सही कहा आपने।। गीता में लिखा है, भगवान ही सिर्फ त्रिगुणों से परे है, फिर ब्राह्मण कैसे हो सकता है।। तुलसीदास जी , स्त्रियों वा सुद्रों पर ही क्यों लिखते हैं
Bahan ji aur bhi chaupai hain lekin kya hai koi chaupai ko log jyada hi prem de dete hain tab lagata hai ki use defend kiya ja raha hai par uska vastavik arth bhi wahi hai isliye Sidha pustak uthayen aur padhna start kare uske niche hindi anuwad diya hota hai Jai shree ram 🚩🚩🚩🙏
@@SalmanKhan-dq4bu aap yahan kya kar rahe hain bandhu Aap kafir wajib ul katal hai Halala se talak shuda auraten pak ho jati hain Alla ke creation par vishwas nahi tha isaliye ek vishesh pahchan dene ke liye khatna karwana Paigambar Mohammad ka 56vs 9 wala prasang ho In sab par safai pesh kare Yaha aap kya kar rahe hain Waise mana nahi hai aap bhi samjhana chahe to jarur samjhe aur palan bhi kare Kabhi aapke purwaj bhi to isi dharm se the n
हे साधु हे महात्मा जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद है आपने संस्कृत शब्द श्लोक का सही सही अर्थ बताया है इस समाज को समझना चाहिए शुद्ध किसे कहते हैं ब्राह्मण किसे कहते हैं क्षत्रिय किसे कहते हैं वैश्य कौन है जो इंसान जो कार्य करता है उसके हिसाब से उसका वर्ण बनता है संत समाज की जय श्री राम जय श्री कृष्णा🙏🙏🙏💥💯👍
आज मैं इस चौपाई का स्पष्ट विश्लेषण सुना और आज जा कर संतुष्टि हुई सही व्याख्यान सुनकर,।जय हो गुरु जी 🙏 लोग जिस चौपाई को समझ नही पाते उसी को ज्यादा महत्व देते है और जो पूरा रामचरित मानस सही से पढ़ा है जिसको संस्कृत का ज्ञान है वही समझ सकता है
श्रीमान जी आपने अच्छी तरह से सरल तरीके से तुलसी दास द्वारा रचित चौपाइयों की व्याख्या किया किन्तु खेद है कि लोग अर्थ का अनर्थ लगा कर समाज में केवल आग लगाने का काम कर रहे हैं । इसलिए मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि लोगों को सोचने और समझने की शक्ति प्रदान करें
तुलसी दास की आत्मा स्वर्ग में रो रही होगी। उनकी बातो को इस तरह विकृत करना उचित नहीं है। तुलसी दास एक ब्राह्मणवादी कवि थे। रामचरितमानस पढ़ने से यह बात मूर्ख को भी समझ में आता है। इसको स्वीकार करने में क्या आपत्ति है।😁😁🙏🙏
Unhone kayi chaupai me brahmno ko. Bhi neech adham kaha h brahmno k kon kon se gun maryda sanskar na hone par magar tum logo sirf rajniti se matlab h koi nahi eska nateeja bhi tumhari aane vali peedhiya hi bhogengi
@@jaishreekrishna5378 अगर ऐसी बात है तो ब्राह्मणों को भी वहिष्कार करना चाहिए। कवि को विभिन्न जातियों को गाली देना कोई काव्य नहीं हो सकता न ही अध्यात्म हो सकता है।🙏🙏
@@ASHOK251058 ब्राह्मणों को क्यों बहिस्कार करना चाहिए अगर उनके घटिया कर्मो के बारे में बोला गया है तो वो बतया गया है कि कर्म कैसे करना है और जीवन कैसे जीना इतने पवित्र ग्रंथ मे कोई भी गाली नहीं लिख सकता मगर अनपढ़ जाहिल लोग अपने अनुसार अर्थ का अनर्थ करने मे माहिर होते है पता नहीं क्या मिलता है इस से
@@ASHOK251058किसी गलत को गलत कहना बिलकुल सही है, तुलसीदास जी ने यदि ब्राह्मण की निन्दा की तो यह अच्छी बात है, कि एक संत ने पक्षपात न करते सत्य को सत्य और गलत को गलत कहा, ब्राह्मणों को इतनी समझ है, वो इसे स्वीकार करते हैं इसलिए कोई विरोध नहीं करेंगे। मुद्दा ये है कि गुणवान शुद्र को सम्मान नहीं मिलना चाहिए, ये क्यों कहा? ये उनके लिखने में कमी हुई, उस समय का समाज ही ऐसा था या इसका अर्थ समझने में भूल हो रही है। हमारा फोकस तथ्य जानने पर है, जातिगत लड़ाई पर नहीं।
महात्मन! आपने रहस्यार्थ समझाने का प्रयास तो पूर्ण किया। सूद्र का अर्थ भी अच्छे से समझा दिया परंतु यदि सूद्र गुणवान है और ज्ञान में भी प्रवीण है तो पूजनीय क्यों नहीं है????
इस चौपाई में शुद्र के बारे में बात हो ही नहीं रहा है इसमें ब्राह्मण के बारे में बात हो रही है कि यदि जो ब्राह्मण शीलवान और निर्गुण हो वह वंदनीय है पर वह ब्राह्मण शुद्र समान है जिसमें गुण,शील, ज्ञान न हो(शुद्र-न गुन, गन,ग्यान प्रबीना)यानि जो ब्राह्मण गुण,शील और ज्ञान में प्रवीण न हो वह शुद्र है।और शुद्र किसे कहते हैं ये इसमें बताया है कि जो ईश्वर वंदन न करता हो और त्रिकाल संध्या आदि न करता हो।
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लोककल्याण के लिए लिखी है अत्यंत सरल भाषा में बिना किसी टोफड़मरोड के.... स्पष्ट है पंडितों ne ये चौपटी बाद में चेंपी हैं अपने आप को ऊँचा बनाए रखने को... जबकि तुलसी पहले लिख चुके हैं-कर्म प्रधान विश्व रचि राखा...
पहली लाइन समझ में आ गई, उससे किसी को कोई खास आपत्ति नहीं है। किन्तु दूसरी लाइन में शुद्र गुणी हो तो भी उसकी पूजा नहीं होनी चाहिए? ये स्पष्ट नहीं हो रहा है। कृपया दूसरी लाइन पर जोर देकर उसे स्पष्ट करें🙏
महराज जी कृपया हमे बताए की आज ऐसा कौन ब्राह्मण है जिसके अंदर ये तीनो गुण नही है ।ऐसा तो केवल इक ही है भगवान श्री कृष्ण जो तीनो ही गुणों से परे है । तब तो आपके कहे अनुसार आज के समय में कोई ब्राह्मण पूजनीय नही है ।क्यों की सबके अंदर काम क्रोध मोह और लोभ है आप ही बताइए इन तीनो गुणों से परे है । यहां तक की भगवान शिव भी इक गुणों से परे नही है 🙏🙏 हमारा उद्देश्य केवल सही जानकारी प्राप्त करना है । किसी को गलत साबित या ठेस पहुंचाने का नही है
Jo manushyau satvau gunrn se uuper utth jaata hai, uske bhautik deh ka astitvau hee nahin rehta yaani aesa muqt purush ya mahila ashreeri (bodiless) ho jaata ya jaati hai. Toh vaesi avastha mein bhautik deh poojan ke liye uplabdh nahin hai. Kisi bhee manushyau ka bhautik deh salaamat rehne ke liye tamohunrn, razogunrn aur satvaugunrn (treegunrno) ke ansh (quantity) rehna bahut bahut zaroori hai. Agar satvaugunrn nahin raha toh shareer ya tan bhee nahin reh sakta. Isliye, aapki baat ko maanane mein sandeh ho raha hai. Tulsidaas Jee kahin na kahin biased the.
गुरु जी को कोटी कोटी प्रणाम ऐसे सरल तरीका से समझा रहे तभी अधम नेताओं को समझ नहीं आयेगा क्योंकि अपना सीट बचाना हैं ये अधमी नेताओं का न तो कोई जाति न तो कोई इनकी कोई पार्टी है बसपा में मयावती का पैर पकड़ते है सपा मे अखिलेस जी पैर पकड़ना है अपना उम्र का भी ख्याल नही करते है
तुम कितना भी सफाई दे दो, वह धर्म,धर्म नहीं जन्म लेते ही नीची जाति का हो जाता है, और कर ही उच्च वर्ग क्षत्रिय ब्राह्मण बन ही नहीं सकता, या तुम्हारी वर्ण व्यवस्था में कभी समानता हो ही नहीं सकता चाहे तुम कितना भी सफाई दे दो। जब लोग ज्ञान प्राप्त करने लग गए, और तुम्हारे साहित्य में ऐसा ऐसा लिखा है यह तर्क वितर्क करने लग गए, तब तुम लोग सफाई देने लग गए, वाह रे ब्राह्मणवाद के महान संत, क्योंकि गुलामी वैसा ही बना रहे समाज में, बाबासाहेब अंबेडकर ने संविधान नहीं बनाया होता और संविधान लागू नहीं रहता देश में तो क्या हालत होती आज शुद्रों की,जो पिछड़े वर्ग हैं वह आज सोचें। तो फिर तुम लोगों ने इतने दिनों तक समाज को सुधारा कैसे नहीं। यह तो 70 80 साल हुआ ना मात्र। कि लोग धीरे-धीरे जानने लगे। उसी स्त्री के पेट से होने वाला पुरुष शुद्ध हो जाता है, और वह स्त्री संतान को जन्म देने के कारण अशुद्ध हो जाती है, स्त्री कभी मंदिर में पुजारी नहीं बन सकती। यह तुम लोगों की ही व्यवस्था थी। कि नीचे कुल का आदमी नीचे ही रहे और ऊंचे कुल का आदमी ऊंचे ही रहे, और आज भी शूद्रों को पीटा जाता है शादी पर घोड़ी चढ़ने पर। इस बारे में तुम लोग बोलोगे नहीं, तुम लोगों को मन में रहता है अच्छा कर रहा है शूद्रों को पीट रहा है। यह सब साले संविधान में आरक्षण पाकर हमारी बराबरी करने लग गए।
तुम लोग तुरंत पलट जाते हो। पहले तो कहते हो वर्ण व्यवस्था में कोई भी ब्राह्मण बन सकता है और एक तरफ से ब्राह्मण आज के जमाने में एक जाति है। इतना बड़ा दोगलापंती कहां से लाते हो?
ये लोग अपने हिसाब से व्याख्या करते हैं।।। अरे भाई, ये ब्राह्मण, वौष्य , सुद्र लिखते ही क्यों है।।। आज कोई भी भ्रमण अगर ब्राह्मण है तो चैलेंज है की को ब्रम्हा के मुख से पैदा हो के दिखाए
@@RakeshKumar-zn9gc hamare sachhe sadhu sant hi nirgun sagun h jinme koi dosh nahi h tumhe koi jabarjasti to nahi kar raha ki tum brahman ko maano Ramayan padho chhor do sanatni sanskrti itni hi buri h jo ki sanatani sanskriti hamare sadhu sant hi sikhate h apne bachho se bhi ab pair mat chhuvana or na hi chhuna hello hay kiya karo ambedkar ka nam jap kiya karo upar jaa kar tumhe vaha bhi narak me aarkshan mil jaayega
Par is shudra ki vyakhya ko manta kaun hai. Sb direct jaati poochhte hain. Maine khud vrindavan me isko face kiya hai. Gudh gyaan wale bhut kam log hain.
उनको लिखना नहीं आ रहा था आपको सब ज्ञान है उनने रामायण लिखी उनको इतना वर्णन उसमें लिख देना था ना क्यों फालतू लीपापोती करते हो यहां लोग घोड़ी पर नहीं बैठने दे रे मुछें नहीं रखने दे रहे हैं इसकी भी व्याख्या कर दो
I think controversial lines must be removed, modified from the Ramayana to unite Hindus.. Now in every society there are many educated persons. Educated & human loving person must be worshipped.
These lines are not a bit controversial sir Ham apne nalayak Rastradrohi putr putri bhai ko bhi dhote rahte han unhe Ghar se bahar nahi nikal pate logon ke kahne pr bhi
पंडित जी आपने चारों वर्णों का नाम भी ले रहे हैं और कहते हैं कि ब्राह्मण में भी शूद्र है जो ज्ञानी नहीं है, चारों वर्णों में शूद्र एक वर्ण है और तुलसी दास जी ने शूद्र को ही कहा है कितना भी ज्ञानी हो पूजनीय नहीं हो सकता, शूद्र वर्ण है, इसका कोई और मतलब नहीं हो सकता, आप कहते हैं जो भगवान का सुमिरन करेगा, पूजा पाठ करेगा संध्या वंदन करेगा ओ शूद्र नहीं है,तो संबुक ऋषि ने किस ब्राह्मण के खेत से गन्ना तोड़ लिया था जो भगवान राम के हाथों मरवा दिया, मेरा तो मानना है कि प्रभु श्रीराम यैसा कर ही नहीं सकते, बल्कि ब्राह्मणों ने खुद को ऊचा दिखाने के लिए राम को भी हत्यारा बना दिया,
आपने अच्छे से समझाने का प्रयास किया लेकिन ये रहस्यार्थ शूद्र और रत्री से सम्बन्धित चौपाइयों पर ही क्यों लागू करते है।
सही कहा आपने।।
गीता में लिखा है, भगवान ही सिर्फ त्रिगुणों से परे है, फिर ब्राह्मण कैसे हो सकता है।।
तुलसीदास जी , स्त्रियों वा सुद्रों पर ही क्यों लिखते हैं
Madam bahut sahi Baat
माता जी अन्य भी चौपाइयों में है पर ध्यान उधर ही आकर्षित होता हैं जिधर शोर होता हैं । जय सियाराम 🙏🚩
Bahan ji aur bhi chaupai hain lekin kya hai koi chaupai ko log jyada hi prem de dete hain tab lagata hai ki use defend kiya ja raha hai par uska vastavik arth bhi wahi hai isliye
Sidha pustak uthayen aur padhna start kare uske niche hindi anuwad diya hota hai
Jai shree ram 🚩🚩🚩🙏
@@SalmanKhan-dq4bu aap yahan kya kar rahe hain bandhu
Aap kafir wajib ul katal hai
Halala se talak shuda auraten pak ho jati hain
Alla ke creation par vishwas nahi tha isaliye ek vishesh pahchan dene ke liye khatna karwana
Paigambar Mohammad ka 56vs 9 wala prasang ho
In sab par safai pesh kare
Yaha aap kya kar rahe hain
Waise mana nahi hai aap bhi samjhana chahe to jarur samjhe aur palan bhi kare
Kabhi aapke purwaj bhi to isi dharm se the n
हे साधु हे महात्मा जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद है आपने संस्कृत शब्द श्लोक का सही सही अर्थ बताया है इस समाज को समझना चाहिए शुद्ध किसे कहते हैं ब्राह्मण किसे कहते हैं क्षत्रिय किसे कहते हैं वैश्य कौन है जो इंसान जो कार्य करता है उसके हिसाब से उसका वर्ण बनता है संत समाज की जय श्री राम जय श्री कृष्णा🙏🙏🙏💥💯👍
आज मैं इस चौपाई का स्पष्ट विश्लेषण सुना और आज जा कर संतुष्टि हुई सही व्याख्यान सुनकर,।जय हो गुरु जी 🙏 लोग जिस चौपाई को समझ नही पाते उसी को ज्यादा महत्व देते है और जो पूरा रामचरित मानस सही से पढ़ा है जिसको संस्कृत का ज्ञान है वही समझ सकता है
बाबाजी महाराज सब पोल खुल गई है लेकिन आप सभी हार मानने को तैयार नहीं है इतना ज्ञान लेकर हमें सतयुग में मत भेजें,रहम करो बाबा।
जय हो गुरुजी आपकी इतनी सरल ब्यख्या आपकी जय हो
ऐ से ऐसे जानकारी गुरुजी वीडियो मे डालते रहिये गुरुजी आपका जवाब नहीं 🙏🙏🙏🙏
Wah wah guru g apki jai ho pranam koti koti naman pranam
श्रीमान जी आपने अच्छी तरह से सरल तरीके से तुलसी दास द्वारा रचित चौपाइयों की व्याख्या किया किन्तु खेद है कि लोग अर्थ का अनर्थ लगा कर समाज में केवल आग लगाने का काम कर रहे हैं । इसलिए मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि लोगों को सोचने और समझने की शक्ति प्रदान करें
Dhany Ho Guruji Bar bar Prnam Krta Hun
गुरु जी के चरणों मे प्रणाम
बहुत ही अच्छे ढंग से समझया है ।
अति सुन्दर गुरू जी
मेरे बिचारो का समर्थन हो गया यह बहुत खुशी की बात है
आंखें बंद कर लेने से सूर्य का प्रकाश लोप नहीं होता बाबाजी !तुलसीदास को बचाने का जबरन प्रयास।
आपने समझाने का अच्छा प्रयास किया आपको सादर नमन
Santa. Bhagvan aapke charno me sashthhang pranam
राधे राधे जय श्री कृष्ण जी लाजवाब गुरुजी
बहुत सुन्दर गुरुजी🙏
Dhanyavad guruji
तुलसी दास की आत्मा स्वर्ग में रो रही होगी। उनकी बातो को इस तरह विकृत करना उचित नहीं है।
तुलसी दास एक ब्राह्मणवादी कवि थे। रामचरितमानस पढ़ने से यह बात मूर्ख को भी समझ में आता है।
इसको स्वीकार करने में क्या आपत्ति है।😁😁🙏🙏
Unhone kayi chaupai me brahmno ko. Bhi neech adham kaha h brahmno k kon kon se gun maryda sanskar na hone par magar tum logo sirf rajniti se matlab h koi nahi eska nateeja bhi tumhari aane vali peedhiya hi bhogengi
बिल्कुल सही, ये धर्म के चोले ओढ़े लोग चौपाई को अपने अनुसार व्याख्या करने में माहिर होते हैं।जैसे भी बता दें भक्त तो आँख मूंद के मानेंगे।
@@jaishreekrishna5378 अगर ऐसी बात है तो ब्राह्मणों को भी वहिष्कार करना चाहिए। कवि को विभिन्न जातियों को गाली देना कोई काव्य नहीं हो सकता न ही अध्यात्म हो सकता है।🙏🙏
@@ASHOK251058 ब्राह्मणों को क्यों बहिस्कार करना चाहिए अगर उनके घटिया कर्मो के बारे में बोला गया है तो वो बतया गया है कि कर्म कैसे करना है और जीवन कैसे जीना इतने पवित्र ग्रंथ मे कोई भी गाली नहीं लिख सकता मगर अनपढ़ जाहिल लोग अपने अनुसार अर्थ का अनर्थ करने मे माहिर होते है पता नहीं क्या मिलता है इस से
@@ASHOK251058किसी गलत को गलत कहना बिलकुल सही है, तुलसीदास जी ने यदि ब्राह्मण की निन्दा की तो यह अच्छी बात है, कि एक संत ने पक्षपात न करते सत्य को सत्य और गलत को गलत कहा, ब्राह्मणों को इतनी समझ है, वो इसे स्वीकार करते हैं इसलिए कोई विरोध नहीं करेंगे।
मुद्दा ये है कि गुणवान शुद्र को सम्मान नहीं मिलना चाहिए, ये क्यों कहा? ये उनके लिखने में कमी हुई, उस समय का समाज ही ऐसा था या इसका अर्थ समझने में भूल हो रही है।
हमारा फोकस तथ्य जानने पर है, जातिगत लड़ाई पर नहीं।
बहुत अच्छी विवेचना महाराज श्री
जय श्री कृष्ण
Guruji Ki jai Ho 100 Prtist Stya
Bhari pandit ji
Pranaam sadar charan sparsh.
Adbhut Gyan dhanyvad guru ji
Jay baba saheb
निर्गुण परमात्मा के सिवाय और कोई नहीं हो सकता और सब ब्रह्मा
विष्णु शिव आदि गुणों में ही है
प्रणाम
Dads agali line ka fir kya matlab hai
जय हो
Okजय।। श्री सीताराम
आप धन्य हैं इतनी सरल व्याख्या आपने किया है आपकी जय हो जय श्री तुलसीदास जी महाराज जय श्री राम
Ati uttam vishleshan
Brahmin can never be worshipped if he has no talent & no humanity. Shudra must be worshipped if he has talent & humanity.
सादर दण्डवत महाराज जी। क्या आप रामानन्द सम्प्रदाय से हैं?
महात्मन! आपने रहस्यार्थ समझाने का प्रयास तो पूर्ण किया। सूद्र का अर्थ भी अच्छे से समझा दिया परंतु यदि सूद्र गुणवान है और ज्ञान में भी प्रवीण है तो पूजनीय क्यों नहीं है????
इस चौपाई में शुद्र के बारे में बात हो ही नहीं रहा है इसमें ब्राह्मण के बारे में बात हो रही है कि यदि जो ब्राह्मण शीलवान और निर्गुण हो वह वंदनीय है पर वह ब्राह्मण शुद्र समान है जिसमें गुण,शील, ज्ञान न हो(शुद्र-न गुन, गन,ग्यान प्रबीना)यानि जो ब्राह्मण गुण,शील और ज्ञान में प्रवीण न हो वह शुद्र है।और शुद्र किसे कहते हैं ये इसमें बताया है कि जो ईश्वर वंदन न करता हो और त्रिकाल संध्या आदि न करता हो।
Jai ho aapki bhagwan
Aap hi bhagwan ho
सदगुरू रविदास का दोहा " पूजिय चरन चंडाल का ,जो हो गुण परबीन ,, बाभन कबहुं न पूजिए जो होवे गुणहीन .. का वही अर्थ लगायेंगें। ?
Kripya aap apne naam ko spasht kijiye
इस विद्वतापूर्ण व्याख्या के लिए महराज जी आपको बहुत बहुत शुभकामनाओं सहित सादर धन्यवाद।
Good
Jay Ho Mahatma Sadar Charan Sparsh
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लोककल्याण के लिए लिखी है अत्यंत सरल भाषा में बिना किसी टोफड़मरोड के....
स्पष्ट है पंडितों ne ये चौपटी बाद में चेंपी हैं अपने आप को ऊँचा बनाए रखने को...
जबकि तुलसी पहले लिख चुके हैं-कर्म प्रधान विश्व रचि राखा...
पहली लाइन समझ में आ गई, उससे किसी को कोई खास आपत्ति नहीं है। किन्तु दूसरी लाइन में शुद्र गुणी हो तो भी उसकी पूजा नहीं होनी चाहिए? ये स्पष्ट नहीं हो रहा है।
कृपया दूसरी लाइन पर जोर देकर उसे स्पष्ट करें🙏
Gobar KO V Rashagulla banate ho maharaj ji ,Sapata tadata purusa kahanta..iska matalab v batao.
Jai Bhim
Ji vhim
हरिओम हरि हरि का वास है
आचार्य श्री, "शापत, ताड़त, परुष कहन्ता " चौपाई का अर्थ भी समझाने की कृपा करें. धन्यवाद
Isi channel par aapko shapat tadat parush kahanta ka mil jayega dekh lijiye
Radhe Radhe
ua-cam.com/video/sfdt2jLH8hw/v-deo.html
🚩🚩🚩🙏जय श्री राम🙏🚩🚩🚩
ठीक है, आपने समझाया सील गुन हीन विप्र पूजनीय है l तो क्या सील गुन से युक्त विप्र अपूजनीय है l
वहां बाबाजी आप ने क्या अर्थ बातें आप तो महान है जय संविधान
Baba ji ne etane asan sabdo me likha hay ki anpad bhi arth samagh sakta hay
महराज जी कृपया हमे बताए की आज ऐसा कौन ब्राह्मण है जिसके अंदर ये तीनो गुण नही है ।ऐसा तो केवल इक ही है भगवान श्री कृष्ण जो तीनो ही गुणों से परे है । तब तो आपके कहे अनुसार आज के समय में कोई ब्राह्मण पूजनीय नही है ।क्यों की सबके अंदर काम क्रोध मोह और लोभ है आप ही बताइए इन तीनो गुणों से परे है । यहां तक की भगवान शिव भी इक गुणों से परे नही है 🙏🙏 हमारा उद्देश्य केवल सही जानकारी प्राप्त करना है । किसी को गलत साबित या ठेस पहुंचाने का नही है
लेकिन शूद्रो मे शीलवान गुणवानकभी ऊंचे पदो पर।आज भी नही पहुंच पाया है ,
Ramcharit manas me arth bhi likha hai jo aap bta rhe hai uske bipeit likha hai to kon mana jay
Mahara Ji kitani chaupai ko fer badal karoge jabki tulsi das ji saral bhasa me byakhaya ki hai taki sadharan byakti bhi samajh sake
🙏🙏🙏
Hii
Gurubihin Insan Psu Tuĺy Hota hai Isiliye Guru Ki Jrurt Hoti hai
Jai bhim saheb ji
Jo manushyau satvau gunrn se uuper utth jaata hai, uske bhautik deh ka astitvau hee nahin rehta yaani aesa muqt purush ya mahila ashreeri (bodiless) ho jaata ya jaati hai. Toh vaesi avastha mein bhautik deh poojan ke liye uplabdh nahin hai. Kisi bhee manushyau ka bhautik deh salaamat rehne ke liye tamohunrn, razogunrn aur satvaugunrn (treegunrno) ke ansh (quantity) rehna bahut bahut zaroori hai. Agar satvaugunrn nahin raha toh shareer ya tan bhee nahin reh sakta. Isliye, aapki baat ko maanane mein sandeh ho raha hai. Tulsidaas Jee kahin na kahin biased the.
Ye sab ab dictionary ka naya avishkar karne mein laga hai....
नारायण नारायण गुरुजी ऐसे ही वीडियो डालते रहिये गुरुजी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Tomar ji
महात्मा जी इधर उधर की मत पेलो हमने कह्नी नहि पढ़ा गुणातीत का मतलब गुणहीन होता है...
पक्षियों या बंदरों की जो बात है वो उनकी कला नही प्रवृत्ति है आपकी बात से कुछ खास रहस्य नहीं निकला
1
Gurdevji Raadhe-Radhe, pranaam. Lakin in yah sab kathavachkon ko bhi vyash gaddi se bolna chahiye. Tab galat Fahmiyan door hogi.
गुरु जी को कोटी कोटी प्रणाम
ऐसे सरल तरीका से समझा रहे तभी
अधम नेताओं को समझ नहीं आयेगा
क्योंकि अपना सीट बचाना हैं ये अधमी
नेताओं का न तो कोई जाति न तो कोई इनकी
कोई पार्टी है बसपा में मयावती का पैर पकड़ते है सपा मे अखिलेस जी पैर पकड़ना है अपना
उम्र का भी ख्याल नही करते है
ब्राह्मण वर्ण है या जाति है,ब्राह्मण जाति से पूजनीय है या कुछ और कारण से ।
जय भारत जय बहुजन
Bah gye
वाह रे ब्राम्हण तेरे रूप अनेक
तुम कितना भी सफाई दे दो, वह धर्म,धर्म नहीं जन्म लेते ही नीची जाति का हो जाता है, और कर ही उच्च वर्ग क्षत्रिय ब्राह्मण बन ही नहीं सकता, या तुम्हारी वर्ण व्यवस्था में कभी समानता हो ही नहीं सकता चाहे तुम कितना भी सफाई दे दो। जब लोग ज्ञान प्राप्त करने लग गए, और तुम्हारे साहित्य में ऐसा ऐसा लिखा है यह तर्क वितर्क करने लग गए, तब तुम लोग सफाई देने लग गए, वाह रे ब्राह्मणवाद के महान संत, क्योंकि गुलामी वैसा ही बना रहे समाज में, बाबासाहेब अंबेडकर ने संविधान नहीं बनाया होता और संविधान लागू नहीं रहता देश में तो क्या हालत होती आज शुद्रों की,जो पिछड़े वर्ग हैं वह आज सोचें। तो फिर तुम लोगों ने इतने दिनों तक समाज को सुधारा कैसे नहीं। यह तो 70 80 साल हुआ ना मात्र। कि लोग धीरे-धीरे जानने लगे। उसी स्त्री के पेट से होने वाला पुरुष शुद्ध हो जाता है, और वह स्त्री संतान को जन्म देने के कारण अशुद्ध हो जाती है, स्त्री कभी मंदिर में पुजारी नहीं बन सकती। यह तुम लोगों की ही व्यवस्था थी। कि नीचे कुल का आदमी नीचे ही रहे और ऊंचे कुल का आदमी ऊंचे ही रहे, और आज भी शूद्रों को पीटा जाता है शादी पर घोड़ी चढ़ने पर। इस बारे में तुम लोग बोलोगे नहीं, तुम लोगों को मन में रहता है अच्छा कर रहा है शूद्रों को पीट रहा है। यह सब साले संविधान में आरक्षण पाकर हमारी बराबरी करने लग गए।
कमाल के है बाबा चित भी आपकी और पट भी आपकी ।हद हैं मनुवादी सोच।
आपकी जय हो
मंदिर मे भी सभी हिन्दू जाति के पुजारी होना चाहिए
Jatiwaadi tulsidas
बहुत कुछ छुपा लिए महाराज जी पिछले चौपाइ का अर्थ सही से नहीं बताए क्योंकि पोल खुल रहा है ना महाराज आप सब पोल खोलने के लिए नहीं चाहते हैं
ब्रह्माजी श्रीहरि नारायण के नाभिकमल से पैदा हुए हैं
ब्रह्माजी श्रीहरि नारायण के जन हरिजन हैं
बाबा अच्छा चू.... बनावत है... सच को छुपाना कठिन है...
क्या कह रहे हो मुल्ला यादव
मात्र लीपा पोती करने का प्रयास आंखो मे धूल मत झोको कथावाचक जोर जोर से चिल्ला कर कहते है पूजिय विप्र सकल गुन हीना
संत है। विप्र, विप्र वर राजा होता है। संत को निर्गुण रूप है।निराकार रूप भी है।
तुम लोग तुरंत पलट जाते हो। पहले तो कहते हो वर्ण व्यवस्था में कोई भी ब्राह्मण बन सकता है और एक तरफ से ब्राह्मण आज के जमाने में एक जाति है। इतना बड़ा दोगलापंती कहां से लाते हो?
Sale Buddhist chor
गोलमोल जवाब
ज्ञान बढाये
शील शब्द की मेरे बिचार से सही व्याख्या नहीं हुयी अवधी भाषा की भावना गुण हीना के साथ ही है शील भी एक तरह का दोष है
ऐसे तो कोई ब्राह्मण पूजनीय नहीं है। क्योकि निर्गुण तो केवल ब्रह्म है। ब्राह्मण कभी निर्गुण नहीं होता है।
ji सही कहा। एक दम गलत व्याख्या।।। निर्गुण तो सिर्फ भगवान है।।
ये लोग अपने हिसाब से व्याख्या करते हैं।।।
अरे भाई, ये ब्राह्मण, वौष्य , सुद्र लिखते ही क्यों है।।।
आज कोई भी भ्रमण अगर ब्राह्मण है तो चैलेंज है की को ब्रम्हा के मुख से पैदा हो के दिखाए
@@RakeshKumar-zn9gc hamare sachhe sadhu sant hi nirgun sagun h jinme koi dosh nahi h tumhe koi jabarjasti to nahi kar raha ki tum brahman ko maano Ramayan padho chhor do sanatni sanskrti itni hi buri h jo ki sanatani sanskriti hamare sadhu sant hi sikhate h apne bachho se bhi ab pair mat chhuvana or na hi chhuna hello hay kiya karo ambedkar ka nam jap kiya karo upar jaa kar tumhe vaha bhi narak me aarkshan mil jaayega
Par is shudra ki vyakhya ko manta kaun hai. Sb direct jaati poochhte hain. Maine khud vrindavan me isko face kiya hai. Gudh gyaan wale bhut kam log hain.
उनको लिखना नहीं आ रहा था आपको सब ज्ञान है उनने रामायण लिखी उनको इतना वर्णन उसमें लिख देना था ना क्यों फालतू लीपापोती करते हो यहां लोग घोड़ी पर नहीं बैठने दे रे मुछें नहीं रखने दे रहे हैं इसकी भी व्याख्या कर दो
I think controversial lines must be removed, modified from the Ramayana to unite Hindus.. Now in every society there are many educated persons. Educated & human loving person must be worshipped.
These lines are not a bit controversial sir
Ham apne nalayak Rastradrohi putr putri bhai ko bhi dhote rahte han unhe Ghar se bahar nahi nikal pate logon ke kahne pr bhi
जय जय श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम ।
पंडित जी आपने चारों वर्णों का नाम भी ले रहे हैं और कहते हैं कि ब्राह्मण में भी शूद्र है जो ज्ञानी नहीं है, चारों वर्णों में शूद्र एक वर्ण है और तुलसी दास जी ने शूद्र को ही कहा है कितना भी ज्ञानी हो पूजनीय नहीं हो सकता, शूद्र वर्ण है, इसका कोई और मतलब नहीं हो सकता, आप कहते हैं जो भगवान का सुमिरन करेगा, पूजा पाठ करेगा संध्या वंदन करेगा ओ शूद्र नहीं है,तो संबुक ऋषि ने किस ब्राह्मण के खेत से गन्ना तोड़ लिया था जो भगवान राम के हाथों मरवा दिया, मेरा तो मानना है कि प्रभु श्रीराम यैसा कर ही नहीं सकते, बल्कि ब्राह्मणों ने खुद को ऊचा दिखाने के लिए राम को भी हत्यारा बना दिया,
जानकारी कमहै
सफेद दाढ़ी वाला आदमी। कोई भी ब्राह्मण निर्गुण नहीं हो सकता। जो इंसान है उसमें तीनों गुण होंगे सत्व रज और तम
🙏 जय सियाराम 🙏
चार वरण किसने बनाया
आप पंडित है और आपका लडका कितना भी नालायक क्यों न हो लेकिन आप लोग कभी उसे शुद्र की श्रेणी में नहीं रखोगे यह धर्म नही राजनीति है....
Kya aap dalit samaj ke hain.
अर्थ एकदम स्पष्ट है बात इधर उधर मत घुमाएं।
जो अर्थ का कुअर्थ निकलता हो वह भी शुद्र के समान ही है।
Jo
Jo Gyani hota hai usko Brahman kahate Hain
Jo sabhi gun se hai na usko kya
वेद बताये भेद,
इस श्लोक का अर्थ सब जनता समझ गया है,
ज्यादा लीपा पोती मत करिये बाबा जी
You are trying to divert, really now shudra has understood the meaning... Ambedkar was scholar but was not treated like Brahmin.