galat Tadna ka matlab nazar rakhna ya peetna hota hai isliye aaj b dalit samaj pratadit ho rai hn Rajasthan me ek dalit ko much rakhne par kaat diya gaya rajpooto dwara
Tum sab gyan ke adhikari dalito ko siksha se se banchit Rakhna unka sosan krna eska ehihas gvah hai ab bol Ehihas bhi galat hai itna mera dimag kharab hai KYa kahu in gadho ko
Iss chaturwedi ki to ye saala anda bhakto aur jyada gulam banane ka kaam karta hai tanatan ek jaatiwad aur pakhandwad ka gutter hai ye sirf manuwadi brhmno ka dharm hai lekin baaki caste ke gobar bhakton ko dharm ke naam pe behkaaya jata hai ye gobar bhakton ko kabhi bhi samjhta nahi raamu jo ek brhmn hi tha sabhi bhagwan jyadatr brhmn hi kyun the ye baaki castes ke gadhe anda bhakt kabhi nahi sochte aur manuwadiyon ki baato me aakar unki gulami karte rehte hai jbki manuwadiyon ne ye likh ke rakha hai koi to parshya naam ka manya jaisa character hai jisne pruthvi se kshatriyon ko bahut baar khatam kar diya tha aur iss parshya se kshatriy darte hai aur isiliye ye manuwadi brhmn se darte hai inki gulami karte hai aur inki batayi har baat ko ankhe band karke gulam banke maante hai aur itna jaatiwad karke bhi brhmn aaj bhi raaj kar sakta hai kyun ki gobar bhakton ki sankhya hi karodon me hai jo pehle bhi manuwadi brhmn ke gulam the aur aaj bhi gulam hi hai aur aage bhi gulam hi rahenge isme koi shaq nahi hai 🤣🤣🤣
स्वर्ण जाति के लोगों का प्रकाशन ने किताब प्रकाशित किया, अनुवाद भी कोई स्वर्ण ने हीं किया है और प्रवचन भी स्वर्ण लोग ही देते हैं सभाओं में। तो गापोडियो कितने पाप छुपाओगे।
Aap ki jaankari kam hai .bramhan , chhatri ,vaishye shoodra subh bramhan hai . Dooseri baat tadna ka matlab dekhna ya dekh bhaal karna hota hai. Pratadna ka matlab peetna ya kast dena hota .hai . Dhol ek upkaran hai .upkaran ki debh bhaal karna chahiye . Gawar kahi bhi jata hai logo se jhadga karta hai isliye vah kisi se jhagda na karne paye isliye uski dekh bhal karte hai uske pariwar wale . Shoodra matlab sevak ki dekh bhaal karna swami ka kartavye hai. Pashu .... Palane wale ka kartavye hai ki pashu ka palan kare Naari ka dekh bhaal karna chaahiye . Is prakar dhol(yantra),gawar ,shoodra (sevak),pahu , aur naari dekh bhaal ke haq daar hai. Aaj jo shoodra hai vo pahile chhatri aut bramhan thai.
Sahab shudra hum apne karmo se bante hai ....jaat se nhii ...aaj aapka ladka koi acha padai kare to puchna uska jaat koi puchta hai kyaaa kabhii.......
श्री सुधांशु त्रिवेदी जी का सारगर्भित अभिव्यक्ति एवं विश्लेषणात्मक वक्तव्य एकदम सटीक और सही होता है। जय हो श्री सुधांशु त्रिवेदी जी की जय हो। जय हिन्द।
Sub he ek sath rastra pati ban sakte hai kya banega to koi ek vartman me dalit mahila rastra pati hai . Pradhan mantri obc hai .aur kya chahiye . Isliye sub hindu hai.
@@shivakantpandey6203 काश इसी जस्बे के साथ तुम लोग कश्मीर न छोड़कर वोहा कतरपंथियो से लड़े होते और कहा होता की किसी के बाप का kasmir थोड़े ही है। लाखो की संख्या में भागे कुछ तो हथियार उठा लिया होता है ।
OBC, को छुद्र और SC, ST को अछूत बताकर,छुआ छूत का भेद भाव करने वाले लोग , हिन्दू राष्टृ बनाएंगे, और हिन्दू मुस्लिम के नाम पर वोट लेकर, बीजेपी सरकार बनायेगी और वही बीजेपी सरकार, OBC, SC , ST पर अत्याचार करेगी और छुद्र_ अछूत के साथ भेद भाव करके उसे मंदिर मूर्ति से दूर रखा जायेगा, मटके के पानी छूने पर दलित छात्र का मौत का घाट उतारा राजस्थान मे, मेरठ मे दलीत समाज को अंबेडकर जयंती मनाने पर रोका गया मार पिट किया और फील्ड मे मोटर चलाकर पानी भर दिया ताकि लोग आ न सके, दलीत होम देलेवरी लड़का को लखनऊ मे मारा और उसके हाथ को खाना घुमाया और दलित समाज के दूल्हे को घोड़े पर बैठने से रोका और मार पीट किया, और अगर दलीत किसी पाखंडी को जमीन मे पर रख दिया गलती से भी चाहे नल से पानी पीने के लिए पानी छु दिया तब 5k जुर्माना और 50 जूता मारा जायेगा, ये सब मन मे कचरे रखने वाले लोग अब समाज सुधारने के बात और हिन्दू राष्टृ के बात करते है, पहले इंसान तो बनलो फिर हिन्दु राष्टृ बनाना,BJP वाले को और पाखंडी जो स्वर्ण दोगले दूसरे को छुद्र खुदको श्रेष्ठ कहता है 😡😡उसको भी 100 साल अछूत बनाकर रखो तब हिन्दू रास्ट्र बनाना बाद मे 😡😡पाखंडी मनुवादी घटिया लोग डूब मरो
For those who don't know the meaning of Tadana is 'Mokasha' or 'Nirvana' by meditating. In indian villages old people still say 'hey prabhu hame iss bhawsagar se 'Taar' do. 🙏 This 'Tadana' has become 'Tarana' with time. Same like this 'Anaarya' has become 'Anaari'. So many words, pronunciation and their meanings have changed with time. So the correct meaning is 'Everyone deserves salvation or Nirvana or Moksha including animals, transgender, and ladies. 🙏🙏
@@KAMLESHKUMAR-xs8yk That is Dhol, not dholak !! Dhol used to be a big community in ancient times. Even now they exist but very less in numbers. Please remember in our languages many words have multiple meanings.
🤣🤣🤣 pol khul jaati hai to gobar bhakt naya arth tayar rakhte hai tan tanatan ki sacchayi hai jaatiwad, bhedbhav, pakhandwad ye sab tan tanatan ke atma hai ye gobar bhakto ke soch ke bahar ki baat hai
@@narendrapayasigalat Tadna ka matlab nazar rakhna ya peetna hota hai isliye aaj b dalit samaj pratadit ho rai hn Rajasthan me ek dalit ko much rakhne par kaat diya gaya rajpooto dwara
Shree Ram did not kill any Shambook- the original Valmiki Ramayan does not have any Uttrakand and this episode was added late by some anti Snatzn Dharma elements to demean Hinduism😡
Agar Ramayan me Uttarakand nhi hoga to Ramayan pura hi nhi hoga Kuch bhi whatsapp ka gyan mat de , Aranyakand me to Ram Sita ke Stano(Boobs) ko yad kar kar ke Rota hai 🤣🤣😂
@anshkumar1341जब से लोग साथ बैठने लगे साथ खाने लगे इसका नतीजा उनके पूर्वजों पर सवाल होने लगे जब तक कोई संबंध नहीं रखा कोई सवाल नही था ।। गैर हिंदू को हिंदू से मतलब ही क्या है।।
@anshkumar1341 सही को गलत बताना आदत बन गई है अगर हिंदू मुस्लिम सिख कोई गलत है तो ऐसे लोगो के साथ क्यों रहना किसी दूसरे के धर्म से मतलब क्या अपना समाज अपना धर्म सभी का महान होता है।।
अगर हर चौपाई का अर्थ इतना ही सुंदर भावपूर्ण और पवित्र है तो जहाँ जहाँ विप्र लिखा है वहाँ वहाँ शूद्र और जहाँ जहाँ शूद्र लिखा है विप्र कर देना चाहिए। अगर असल बाप की औलाद है तो कर के दिखाएँ
ढोल ग्वार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी।। अवधि भाषा प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥ ढोल गंवार सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥ अवधि भाषा इस चौपाई का full from ढोल ताड़ना के अधिकारी। ग्वार ताड़ना के अधिकारी। शूद्र ताड़ना के अधिकारी। पशु ताड़ना के अधिकारी। नारी ताड़ना के अधिकारी। अर्थात प्रभु ने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा दी (दंड दिया), किंतु मर्यादा (जीवों का स्वभाव) भी आपकी ही बनाई हुई है। ढोल, गंवार, शूद्र, पशु और स्त्री ये सभी उद्धार/उत्थान के अधिकारी हैं। सूद्र अवधि भाषा में लिखा है जिसका हिन्दी शूद्र होगा। Remember यहां श्लेष अलंकार है। जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है किंतु उसको एक से अधिक अर्थ के संदर्भ में कहा जाता है, उसे श्लेष अलंकार कहते हैं। उदाहरण 1 सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर। इसका Full From सुबरन को खोजत फिरत कवि, सुबरन को खोजत फिरत व्यभिचारी(बलात्कारी) सुबरन को खोजत फिरत चोर । अर्थ यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है, किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं; कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द, व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर स्त्री/पुरुष, चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ धन/सोना है। आप सभी को सुबरन का अर्थ सुंदर/अच्छा मिलेगा। किंतु इस वाक्य में अर्थ अलग अलग संदर्भ में किया गया है वैसे ही ताड़ना अवधि भाषा का हिंदी तारना होगा उसका अर्थ उद्धार/उत्थान अलग अलग संदर्भ में किया गया है। उदाहरण 2 पानी गये न ऊबरैँ, मोती मानुष चून।। इसका Full From पानी गये न उबारै मोती। पानी गये न उबारै मानुष। पानी गये न उबारै चून। अर्थ यहाँ पानी का प्रयोग एक बार किया गया है, किन्तु इस पंक्ति में प्रयुक्त पानी शब्द के तीन अर्थ हैं,मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थ चमक या कान्ति, मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ इज्जत (सम्मान), चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थ साधारण पानी(जल) है। ठीक उसी प्रकार ढ़ोल गवार सूद्र पशु नारी चौपाई का अर्थ होगा 1 ढोल के संदर्भ में उसे ठीक रस्सी कसना या बजाकर देखना की रस्सी ठीक से बंधी है क्या ? 2 ग्वार के संदर्भ में शिक्षा देना तभी उसका समाज में उद्धार/उत्थान होगा। 3 शूद्र के संदर्भ में उस समय समाज में शूद्र की हालत दयनीय स्थिति में थी दुखी, गरीब,अज्ञानी आदि इसलिए उनका उद्धार/उत्थान होना चाहिए। 4 पशु के संदर्भ में प्रशिक्षित/ट्रेनिंग करना जैसे बैल,घोड़ा आदि तभी बैल या घोड़ा ठीक मार्ग पर लेजा पायेगे। 5 स्त्री के संदर्भ में शिक्षा, सुरक्षा, सशक्तिकरण, आदि क्योंकि समय के साथ सभी उससे छीनते गए थे उसे सुरक्षित किया जा सके स्त्री की हालत गंभीर दयनीय स्थिति में थी। ताड़ना अवधि भाषा है जिसका हिंदी अर्थ तारना होगा उसका अर्थ उद्धार/उत्थान करना होता हैं। जय श्री राम । 🚩🚩🚩🚩🚩
Tulsi Das was a Dog, Dog means Loyal to God 😂😂😂😂 Yaha maine Dog sbhd ka pryog Noun yani ki sngya k rup me kiya hai.. Kisi ko bura toh nahi lga na, maine toh taarif hi ki hai..
@Vaibhav Singh कर्म के आधार पर जैसे किसी कॉलेज, सरकारी स्कूल में हर तरीके का काम होता है। नौकर, चपरासी, शिक्षक, चौकीदार उसी तरह समाज चार भागों में करता था। क्षेत्रीय: युद्ध में सैनिक, थे। वैश्य: बिजनेस इसे समय के साथ उसके साथ अपनी नीच सोच को मिलावट कर दिया है।
जब कोई कहानी कही जाती है, किसी सत्य घटना को बताया जाता है या कोई उपन्यास-नाटक ही लिखा जाता है तो उसमें कई किरदार होते हैं। स्पष्ट है, हर किरदार की अलग-अलग राय होती है और उनके स्वभाव से लेकर हाव-भाव अलग-अलग होते हैं। इसी तरह, जिस चौपाई का जिक्र चंद्रशेखर यादव ने किया, उसे काकभुशुण्डि कह रहे होते हैं, एक ऋषि जो काग (कौवा) के रूप में रहा करते थे। उनके बारे में बताया गया है कि उन्हें इच्छानुसार कई जन्म लेने और सदियों तक जीवित रहने का वरदान है और वो बड़े रामभक्त रहे हैं। उन्होंने भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ को रामायण सुनाई थी, वाल्मीकि से काफी पहले। कथा है कि महर्षि लोमस की शिक्षाओं का मजाक उड़ाने के कारण उन्हें कौवे के रूप में प्राप्त होने का श्राप मिला था। गरुड़ को अपनी पिछली बात बताते हुए काकभुशुण्डि कह रहे हैं कि दुष्ट प्रवृत्ति का मैं विद्या पाकर ऐसा हो गया, जैसे दूध पिलाने से साँप। यहाँ जाति या वर्ण-व्यवस्था का कुछ लेना-देना है ही नहीं, तो फिर इसमें कहा से घुसेड़ दिया गया? ‘अधम’ का अर्थ होता है पापी या नीचतापूर्ण कार्य करने वाला। काकभुशुण्डि इस प्रसंग में ‘खल परिहरिअ स्वान की नाईं‘ भी कहते हैं, अर्थात दुष्ट को त्याग देना चाहिए। वो ये भी कहते हैं - “बुध नहिं करहिं अधम कर संगा” भी कहते हैं, अर्थात बुद्धिमान व्यक्ति दुष्टों की संगत नहीं करते हैं। यहाँ स्पष्ट है कि एक तरफ बुद्धिमान, अर्थात समझदार व्यक्ति होते हैं और दूसरी तरफ अधम, अर्थात दुष्ट व्यक्ति। इसमें काकभुशुण्डि अपनी ही पुरानी प्रवृत्ति बता रहे हैं कि कैसे उन्होंने बार-बार गुरु की अवहेलना की और उन्हें ‘अधम गति’ में जाने का श्राप मिला। यहाँ अधम का अर्थ है ‘निम्न’। पशु-पक्षियों और कीट-पतंगों का जीवन दुःख भरा होता है और मनुष्य का जीवन सबसे उच्च कोटि का माना गया है,।
Lekin dalito ko bhada chhoone pr hatya kr di jati hai aur mandir choone pr hath pair tod diya jata hai aur 60,000 ka jurmana alag se...itna hi nahi dalito pr atyachar ki list 1000 panno se bhi jyada hai...uska kya jawab hai bhai...
माखनलाल जी को नमन । आपने सही व्याख्या की है। कुछ लोग अपने तुच्छ राजनैतिक स्वार्थ के लिए महा पुरुषों द्वारा कही गई बातों का ग़लत अर्थ निकालते हैं। भाषा में अल्प विराम का महत्त्व समझे।
अब ब्रहमनो की ताड़ना करनी है और पीट पीट सुर निकलेंगे और देखेंगे कि कौन कौन से सुर निकलते हैं. ये बिना मेहनत के दलितों और पिछड़ों के दान और चढ़ावे पर जिंदा रहते हैं. अब सब बन्द होने वाला है. तब देखेंगे कि अब कौन सा सुर निकलने वाला है. बड़े आये ज्ञान सिखाने वाले.
तुलसीदास जी ने रामायण की चौपाई में जो कुछ भी लिखा है बिल्कुल सत्य और सटीक लिखा है उनके भावार्थ जान ने की आवश्यकता है कितना आश्चर्य है जिस जिस श्रीराम जी ने शूद्र जाति की भीलनी के झूठे बेर खाए थे उसी श्रीरामचरितमानस का अपमान किया जा रहा है इससे बड़ी दूषित राजनीति और क्या हो सकती है
फिर मंदिर में शूद्रों को प्रवेश क्यों नहीं किया दिया जाता है सुधांशु त्रिवेदी शुद्र शादी में घोड़ी पर चढ़ जाता है तो तुम क्यों नहीं उसे घोड़ी पर चढ़ने देते हो सुधांशु त्रिवेदी राम ब्राह्मणवाद अब नहीं चलेगा
@@mathstheory7596 8 saal ke babhan ke bacche ka konsa achran hota h jo uska babhano ki jamat janeu sanskar karti h .bata be paidaisi babhan hota h isliye jatiwadi kewal babhan hota
"ताड़ना" शब्द निगेटिव नहीं हैं शब्दकोश में देखें ताड़ना=बहुत ध्यान देना,देखते रहना, पीछे लगना, देखरेख करना अवधी में "तड़ियाय लिहेन"= दौड़ा लिया "तड़े रहे" =नज़र रखे थे
@@pramendramandre3012 धन्य हो महराज!😂 प्रसंग के अनुसार समझा जाता है ढोल के लिए धुनि की संगत के अनुसार गंवार के लिए स्मार्ट वे का ज्ञान कराना भाव को ताड़( समझ)कर ऐसे ही अन्य तीन शब्दों के विषय में है संस्कृत के भाषा विज्ञान को देखने से स्पष्ट होगा, देखने की कृपा करें। यह चौपाई इस युग के लिए नहीं लिखा कवि ने "पूरब कल्प एक प्रभु युग कलियुग..." अर्थात लाखों साल पहले के परिवेश की है आज इस तरह आलोच्य नहीं है...
Sanatan dharma ka majak mat banao, Ynha debate Tak ho jati h, Jabki others m to question bhi nhi kar skte, Kisi bhi holy(pavitra) book par question karne se pahle, usko theek tarah se Jaan Lena bahut jaruri hai. Jai Sanatan 🚩🙏🏻 Jai Hind🇮🇳
आजकल के रामचरित मानस है उसमें ताड़ना शब्द का अर्थ शिक्षा कर दिया गया है बल्कि पुराने मानसचरित में ताड़ना का अर्थ दण्ड दिया गया है अब बताये की किसको सही माने
शूद्रों के साथ होने वाले शोषण को जानने के लिए उनके समाज में जाना होगा शोफ़े पर बैठकर , TV डिबेट में इतिहास नही मिलता। शूद्रों का दर्द और शोषण जानने के लिए शुद्र के घर जन्म लेना पड़ेगा,सवर्ण कभी भी नही समझ सकता, 'जाके पैर न फ़टी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई"
अरे भाई रामायण पर क्यों बहस रामायण में एक शब्द के अनेक अर्थ होते ढोल गवार शुद्र पशु नारी सकल ताड़ना के अधिकारी इसका मतलब हुआ इन सभी चीजों को संभाल कर रखें संभाल कर इस्तेमाल करें
ढोल को तेज बजाने पर फट जाएगा गावार जिनमें बुद्धि कम होती है उन्हें संभाल के काम ले शूद्र जिनकी माइंड गड़बड़ हो जाती है उसे संभाल कर बात विचार करें पशु पशु को संभाल कर रखें नहीं तो किसी का खेती नष्ट कर देगा
आंख खुलने के बाद सुबह एहसास होता कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतराई पारा अब सूत्रों को बात समझ में आ गई है क्या सही है क्या गलत इसका समाधान स्वयं कर सकते हैं किसी दूसरे से पूछने की जरूरत नहीं
Great lord how things we're made to Crept in the religious Scriptures only to be highlighted to divert the attention of People expected to raise resentments against failures of Sir Modi ji. Nomo Narayana!
रामचरित मानस की किसी भी चौपाई के वास्तविक अर्थ को समझने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान का होना आवश्यक है राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करने वाले अपने विचार युक्त अर्थ निकालने वाले अपनी अज्ञानता प्रमाणित कर रहे है जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी यह चौपाई रामचरित मानस की ही है
Yaha to 5 sal me kitabo me vyakaran k naam par kya kya badal diya jata hai to sochiye 500-600 sal pahle likhe vakya me kitna logo ne apne hisab se toda moda gaya hoga
इनके पूरी किताब में ही गंदी बातें भारी पड़ी है पर ये एक चौपाई खोज कर लायेंगे और कहेंगे कि देखो इसमें अच्छी बातें भी है और तुम हमारे पूरे किताब को अच्छा मानो😅
आज सन 1950 के समय मे चल रही पुरानी संस्कृत को पढ़ो और आज 2023 की संस्कृत को पढ़ो तो उसमे बहुत शब्द की बनावट और लिखावट और अर्थ में बहुत अंतर है अब यहां तो 1500 ईसवी के समय लिखी गई रामायण पर बहस हो रही है अब कोई ओरिजनल रामायण को तो पहले खोज ले की उसमे क्या लिखा है कहा कहा कोमा डॉट लगा है और उस समय की भाषा क्या थी और लोकल स्थान पर भाषा के शब्दों का अर्थ क्या थे और अब आज 600 साल में सबने अपने अपने हिसाब से लिख कर लोगो के बीच रख दी है उसमे कितनी सच है कितनी गलत उसे समझने की आवश्यकता है ना की किसी के भी बहकावे में आकर उलझने की।
vivadit nahi hai bhai yeh kitab .. kuchh netaon ke dwara vivad banaya ja raha hai ek varg ke logon ko bargalane ke liye. Bhai ji ek baat aur ye ek granth hai. Aapne sanvidhan nirmata ka ek kathan padha hai... Ambedkar ne hi kaha hai ki koi dalit bharat ke sarvoch pad par baith jaye toh aarakshan khatm kar dena chahiye. Mai bhi dalit hun lekin apne purvajon aur dharm ka samman karta hun. Koi bhi granth oonch nich jatiwad ko badhawa nahi deta. Bas aadha gyan aadmi ko janwar bana deta hai. Pahle granth ko pura padhiye sahi arth samajhiye
Bahut bahut sadhuvaad makhanlal sar ji bilkul sahi data apni baat rakhne hi nahin dete Hain Sun le ki to baat hi alag Jay Bheem Jay Bharat Jay mulniwasi Namo buddhay Jay sanvidhan।
रामायण की चौपाई को जलाने वाले का नाश निश्चित है राम के घर देर है अंधेर नहीं है पूर्व जन्म का पुण्य जैसे ही समाप्त होगा कलयुग उसको पकड़ लेगा और उसको राम याद आने लगेगा अब पछता वत जरा क्या होते हैं चिड़िया चुग गई खेत जय श्री राम
दरअसल हम चीजो को समझते है उसके शब्दो के आधार पे हम भाव नही पकड़ पाते है । इसी लिए पहले के ये सारे शास्त्र गुरु परम्परा से पढ़ाये जाते थे वर्ना आप क्या का क्या अर्थ कर लेगे । यहाँ विप्र का अर्थ आत्मज्ञानी व्यक्ति से है जिसको आत्मा का बोध हो चुका है जो शरीर बोध से ऊपर उठ चुका है । ऐसा व्यक्ति अगर बाहरी रूप से मूर्ख जड़ सब गुणों से हीन भी दिखाई दे तो उसे पूजना चाहिए । जैसे हमारे यहाँ अच्छे अच्छे संतो में कुछ ऐसे हुए जो बाहरी रूप से विचित्र और जड़ मालूम पड़ते रहे । जैसे रामकृष्ण परम् हंसः को जब समाधि लगे तो वो बेहोश हो के गिर जाए उनके मुख से झाग आने लगे लोग समझे उन्हें मिर्गी का दौरा है या वो पागल है । इसी प्रकार से जड़ भरत कर के प्राचीन संत है उन्हें नाम ही जड़ दे दिया गया क्योकि वो बाहरी रूप से जड़ मालूम पड़े तो कभी कभी ज्ञानी जन भी बाहरी आवरण से ऐसे मालूम हो सकते है। शुद्र वेद प्रवीणा का अर्थ हुआ ऐसा व्यक्ति जो सारी किताबे पढ़ पढ़ के प्रवचन बांचता रहता है उसका मर्म नही समझता है । उसको उसका अनुभव ज्ञान नही है फिर भी वो उसका दम्भ करता है पांडित्य दिखाता रहता है । जैसे कबीर कहते है :- मैं कहता आंखन देखी तू कहता कागज की लेखी । यानी मैं अपने अनुभव से बोलता हूं तू सिर्फ किताबो का लिखा बांचता है । वर्ण व्यवस्था पहले जो थी वो अलग थी वर्ण का अर्थ होता है रंग। हम सामान्य बोल चाल की भाषा मे कहते भी है इसके रंग तो देखो यानी भाव तो देखो । पहले की जो वर्ण व्यवस्था थी वो भाव आधारित थी और बहुत से उदाहरण है जहाँ एक वर्ण से दूसरे वर्ण में लोग गए है । जैसे विश्वमित्र, सूत ऋषि इत्यादि । इसी प्रकार बहुत से सूत्रों के अर्थ गलत निकले गए है शब्द न पकड़े भाव पकड़े ।
कितना तोड़ मरोड़ कर अर्थ को पेश करोगे सुधांशु त्रिवेदी जी एक शब्द को तो आप तोड़ कर अलग अर्थ निकाला गया पर शूद्र पशु नारी को क्या-क्या मतलब निकालोगे है ।। शूद्र पशु नारी में पीटने से कौन सा लय स्वर गाना की ताल मिला सकते है आप जरा मंच पर नारी शूद्र का संगीत निकाल कर दिखा दीजिए ।। आप जितने ज्यादा मनुवादी भृष्ट हो हद पार कर दी गर्भ से जन्म से ही समाज पाखंड बो रहे हो ।
जय हो आपकी सुधांशु त्रिवेदी आपके सामने तो गूगल भी फेल है महाराज धन हो आपको
अज्ञानी से ज्यादा अधूरा ज्ञान रखने वाले खतरनाक होते है सुधांशु चतुर्वेदी जी कि पुरी बात सुनिए जो इस वीडियो में नहीं दिखाया गया है🙏🙏
galat Tadna ka matlab nazar rakhna ya peetna hota hai isliye aaj b dalit samaj pratadit ho rai hn Rajasthan me ek dalit ko much rakhne par kaat diya gaya rajpooto dwara
Tum sab gyan ke adhikari dalito ko siksha se se banchit Rakhna unka sosan krna eska ehihas gvah hai ab bol Ehihas bhi galat hai itna mera dimag kharab hai KYa kahu in gadho ko
Iss chaturwedi ki to ye saala anda bhakto aur jyada gulam banane ka kaam karta hai tanatan ek jaatiwad aur pakhandwad ka gutter hai ye sirf manuwadi brhmno ka dharm hai lekin baaki caste ke gobar bhakton ko dharm ke naam pe behkaaya jata hai ye gobar bhakton ko kabhi bhi samjhta nahi raamu jo ek brhmn hi tha sabhi bhagwan jyadatr brhmn hi kyun the ye baaki castes ke gadhe anda bhakt kabhi nahi sochte aur manuwadiyon ki baato me aakar unki gulami karte rehte hai jbki manuwadiyon ne ye likh ke rakha hai koi to parshya naam ka manya jaisa character hai jisne pruthvi se kshatriyon ko bahut baar khatam kar diya tha aur iss parshya se kshatriy darte hai aur isiliye ye manuwadi brhmn se darte hai inki gulami karte hai aur inki batayi har baat ko ankhe band karke gulam banke maante hai aur itna jaatiwad karke bhi brhmn aaj bhi raaj kar sakta hai kyun ki gobar bhakton ki sankhya hi karodon me hai jo pehle bhi manuwadi brhmn ke gulam the aur aaj bhi gulam hi hai aur aage bhi gulam hi rahenge isme koi shaq nahi hai 🤣🤣🤣
स्वर्ण जाति के लोगों का प्रकाशन ने किताब प्रकाशित किया, अनुवाद भी कोई स्वर्ण ने हीं किया है और प्रवचन भी स्वर्ण लोग ही देते हैं सभाओं में। तो गापोडियो कितने पाप छुपाओगे।
Full sport चंद्रशेखर जी को
😂😂🤣
जो जो कथन को बरगला रहे हैं उनका जन्म शुद्र की घर में हुआ होता तो सही दर्द ज़रूर समझ पाते। जय जनता जनार्दन की।
Aap ki jaankari kam hai .bramhan , chhatri ,vaishye shoodra subh bramhan hai .
Dooseri baat tadna ka matlab dekhna ya dekh bhaal karna hota hai. Pratadna ka matlab peetna ya kast dena hota .hai .
Dhol ek upkaran hai .upkaran ki debh bhaal karna chahiye .
Gawar kahi bhi jata hai logo se jhadga karta hai isliye vah kisi se jhagda na karne paye isliye uski dekh bhal karte hai uske pariwar wale .
Shoodra matlab sevak ki dekh bhaal karna swami ka kartavye hai.
Pashu .... Palane wale ka kartavye hai ki pashu ka palan kare
Naari ka dekh bhaal karna chaahiye .
Is prakar dhol(yantra),gawar ,shoodra (sevak),pahu , aur naari dekh bhaal ke haq daar hai.
Aaj jo shoodra hai vo pahile chhatri aut bramhan thai.
Sahab shudra hum apne karmo se bante hai ....jaat se nhii ...aaj aapka ladka koi acha padai kare to puchna uska jaat koi puchta hai kyaaa kabhii.......
Sab divide n rule hai bhaiyo kab samjhoge ?
@@abhinavrichtube sahi kaha hindu o ko apas me ladwa kar hindu vot katne ki rajniti hai.
Ma obc hu par ramcharitra mans ma kuch galat nahi likha hua hai ya wampanthi badwa arth ka anarth nikal raha hai
श्री सुधांशु त्रिवेदी जी का सारगर्भित अभिव्यक्ति एवं विश्लेषणात्मक वक्तव्य एकदम सटीक और सही होता है।
जय हो श्री सुधांशु त्रिवेदी जी की जय हो।
जय हिन्द।
Good ये हिंदुस्तान की असली हिंदुत्ववाद हैं। उच्च पदों पर इन दो से १०% ब्राह्मणों का राज्य हैं। वोट के समय सब हिंदू
Naam se he jahir hai uchch pad samaj ke oonche log jaha pahuch jate hai vah sthan uchch pad ho jata hai .
Sub he ek sath rastra pati ban sakte hai kya banega to koi ek vartman me dalit mahila rastra pati hai .
Pradhan mantri obc hai .aur kya chahiye . Isliye sub hindu hai.
दम है तो Exam clear कर लो और उच्च पद पर तुम बैठ जाओ 🚩50% भी लेके अब तक ग्रुप D Tak ही हो,तो इसमें गलत क्या है 🤔🤔🤔
ये किसी की बपौती नहीं है योग्य बनो आरक्षण की अयोग्यता से नहीं
@@shivakantpandey6203 काश इसी जस्बे के साथ तुम लोग कश्मीर न छोड़कर वोहा कतरपंथियो से लड़े होते और कहा होता की किसी के बाप का kasmir थोड़े ही है। लाखो की संख्या में भागे कुछ तो हथियार उठा लिया होता है ।
धन्यवाद प्रो माखन लाल जी।आभार।बहुत सही व्याख्या।कुतर्कियो को सही लानत भेजी।ये इसीके पात्र है।👏👏👏👏👏
OBC, को छुद्र और SC, ST को अछूत बताकर,छुआ छूत का भेद भाव करने वाले लोग , हिन्दू राष्टृ बनाएंगे, और हिन्दू मुस्लिम के नाम पर वोट लेकर, बीजेपी सरकार बनायेगी और वही बीजेपी सरकार, OBC, SC , ST पर अत्याचार करेगी और छुद्र_ अछूत के साथ भेद भाव करके उसे मंदिर मूर्ति से दूर रखा जायेगा, मटके के पानी छूने पर दलित छात्र का मौत का घाट उतारा राजस्थान मे, मेरठ मे दलीत समाज को अंबेडकर जयंती मनाने पर रोका गया मार पिट किया और फील्ड मे मोटर चलाकर पानी भर दिया ताकि लोग आ न सके, दलीत होम देलेवरी लड़का को लखनऊ मे मारा और उसके हाथ को खाना घुमाया और दलित समाज के दूल्हे को घोड़े पर बैठने से रोका और मार पीट किया, और अगर दलीत किसी पाखंडी को जमीन मे पर रख दिया गलती से भी चाहे नल से पानी पीने के लिए पानी छु दिया तब 5k जुर्माना और 50 जूता मारा जायेगा, ये सब मन मे कचरे रखने वाले लोग अब समाज सुधारने के बात और हिन्दू राष्टृ के बात करते है, पहले इंसान तो बनलो फिर हिन्दु राष्टृ बनाना,BJP वाले को और पाखंडी जो स्वर्ण दोगले दूसरे को छुद्र खुदको श्रेष्ठ कहता है 😡😡उसको भी 100 साल अछूत बनाकर रखो तब हिन्दू रास्ट्र बनाना बाद मे 😡😡पाखंडी मनुवादी घटिया लोग डूब मरो
अच्छा है की मैंने हिंदू धर्म को छोड़कर नास्तिक बन गया।
शिक्षा शिक्षित शिक्षालय विज्ञान से आरएसएस भाजपा को भयंकर भय है।
For those who don't know the meaning of Tadana is 'Mokasha' or 'Nirvana' by meditating. In indian villages old people still say 'hey prabhu hame iss bhawsagar se 'Taar' do. 🙏 This 'Tadana' has become 'Tarana' with time. Same like this 'Anaarya' has become 'Anaari'. So many words, pronunciation and their meanings have changed with time.
So the correct meaning is 'Everyone deserves salvation or Nirvana or Moksha including animals, transgender, and ladies. 🙏🙏
So sir shree tulsidas ji want mokksha for dolak also,
@@KAMLESHKUMAR-xs8yk That is Dhol, not dholak !! Dhol used to be a big community in ancient times. Even now they exist but very less in numbers.
Please remember in our languages many words have multiple meanings.
Wow!!!! Superb 👌👌❣️❣️🙏
🤣🤣🤣 pol khul jaati hai to gobar bhakt naya arth tayar rakhte hai tan tanatan ki sacchayi hai jaatiwad, bhedbhav, pakhandwad ye sab tan tanatan ke atma hai ye gobar bhakto ke soch ke bahar ki baat hai
Bakchodi mt kr bey tadana ka matlab dand ke adhikari
श्री माखनलाल विद्वान है,
इन्होनें जो वक्तव्य और प्रमाणिक ज्ञान दिये है।
इसके लिए, उनको कोटि कोटि कोटिश:
धन्यवाद् एवं नमस्कार है।
जय हिन्द।
ये tv वाले ईसाई से पैसा ले कर दिवेट करते
A
Jai se apna name apne jhutha likha waise makhan Lal dhol ka arath to bata diya to nari pashu ke sath bhi y sabd jodo or n pata ho to Google me dekh lo
@@narendrapayasigalat Tadna ka matlab nazar rakhna ya peetna hota hai isliye aaj b dalit samaj pratadit ho rai hn Rajasthan me ek dalit ko much rakhne par kaat diya gaya rajpooto dwara
Shree Ram did not kill any Shambook- the original Valmiki Ramayan does not have any Uttrakand and this episode was added late by some anti Snatzn Dharma elements to demean Hinduism😡
Agar Ramayan me Uttarakand nhi hoga to Ramayan pura hi nhi hoga Kuch bhi whatsapp ka gyan mat de , Aranyakand me to Ram Sita ke Stano(Boobs) ko yad kar kar ke Rota hai 🤣🤣😂
2 kodi ke pathak uttarkand nahi hoga to tera baap batayega Lav Kush ke bare me
हिंदू ही हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहा है
जब खून बदल जाता है तो ऐसा ही होता है
जो हिंदूओं के धार्मिक ग्रंथों पर सवाल उठा रहा है वह जन्म के आधार पर तो हिंदू है परंतु उसमें खून मुसलमान का है। अतः 50-50 है।
@anshkumar1341 कभी इस्लाम सिक्ख ईसाई से भी पूछ लो क्योंकि आपका ज्ञान खुद का नही उधार का है।।
@anshkumar1341जब से लोग साथ बैठने लगे साथ खाने लगे इसका नतीजा उनके पूर्वजों पर सवाल होने लगे जब तक कोई संबंध नहीं रखा कोई सवाल नही था ।। गैर हिंदू को हिंदू से मतलब ही क्या है।।
@anshkumar1341 सही को गलत बताना आदत बन गई है अगर हिंदू मुस्लिम सिख कोई गलत है तो ऐसे लोगो के साथ क्यों रहना किसी दूसरे के धर्म से मतलब क्या अपना समाज अपना धर्म सभी का महान होता है।।
Jai Jai shree Ram 🙏🙏
अगर हर चौपाई का अर्थ इतना ही सुंदर भावपूर्ण और पवित्र है तो जहाँ जहाँ विप्र लिखा है वहाँ वहाँ शूद्र और जहाँ जहाँ शूद्र लिखा है विप्र कर देना चाहिए। अगर असल बाप की औलाद है तो कर के दिखाएँ
ढोल ग्वार शूद्र पशु नारी,
सकल ताड़ना के अधिकारी।। अवधि भाषा
प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं।
मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥
ढोल गंवार सूद्र पसु नारी।
सकल ताड़ना के अधिकारी॥ अवधि भाषा
इस चौपाई का full from
ढोल ताड़ना के अधिकारी।
ग्वार ताड़ना के अधिकारी।
शूद्र ताड़ना के अधिकारी।
पशु ताड़ना के अधिकारी।
नारी ताड़ना के अधिकारी।
अर्थात
प्रभु ने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा दी (दंड दिया), किंतु मर्यादा (जीवों का स्वभाव) भी आपकी ही बनाई हुई है। ढोल, गंवार, शूद्र, पशु और स्त्री ये सभी उद्धार/उत्थान के अधिकारी हैं।
सूद्र अवधि भाषा में लिखा है जिसका हिन्दी शूद्र होगा।
Remember यहां श्लेष अलंकार है।
जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है किंतु उसको एक से अधिक अर्थ के संदर्भ में कहा जाता है, उसे श्लेष अलंकार कहते हैं।
उदाहरण 1
सुबरन को खोजत फिरत,
कवि, व्यभिचारी, चोर।
इसका Full From
सुबरन को खोजत फिरत कवि,
सुबरन को खोजत फिरत व्यभिचारी(बलात्कारी)
सुबरन को खोजत फिरत चोर ।
अर्थ
यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है, किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं; कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द, व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर स्त्री/पुरुष, चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ धन/सोना है।
आप सभी को सुबरन का अर्थ सुंदर/अच्छा मिलेगा। किंतु इस वाक्य में अर्थ अलग अलग संदर्भ में किया गया है वैसे ही ताड़ना अवधि भाषा का हिंदी तारना होगा उसका अर्थ उद्धार/उत्थान अलग अलग संदर्भ में किया गया है।
उदाहरण 2
पानी गये न ऊबरैँ,
मोती मानुष चून।।
इसका Full From
पानी गये न उबारै मोती।
पानी गये न उबारै मानुष।
पानी गये न उबारै चून।
अर्थ
यहाँ पानी का प्रयोग एक बार किया गया है, किन्तु इस पंक्ति में प्रयुक्त पानी शब्द के तीन अर्थ हैं,मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थ चमक या कान्ति, मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ इज्जत (सम्मान), चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थ साधारण पानी(जल) है।
ठीक उसी प्रकार ढ़ोल गवार सूद्र पशु नारी चौपाई का अर्थ होगा
1 ढोल के संदर्भ में उसे ठीक रस्सी कसना या बजाकर देखना की रस्सी ठीक से बंधी है क्या ?
2 ग्वार के संदर्भ में शिक्षा देना तभी उसका समाज में उद्धार/उत्थान होगा।
3 शूद्र के संदर्भ में उस समय समाज में शूद्र की हालत दयनीय स्थिति में थी दुखी, गरीब,अज्ञानी आदि इसलिए उनका उद्धार/उत्थान होना चाहिए।
4 पशु के संदर्भ में प्रशिक्षित/ट्रेनिंग करना जैसे बैल,घोड़ा आदि तभी बैल या घोड़ा ठीक मार्ग पर लेजा पायेगे।
5 स्त्री के संदर्भ में शिक्षा, सुरक्षा, सशक्तिकरण, आदि क्योंकि समय के साथ सभी उससे छीनते गए थे उसे सुरक्षित किया जा सके स्त्री की हालत गंभीर दयनीय स्थिति में थी।
ताड़ना अवधि भाषा है जिसका हिंदी अर्थ तारना होगा उसका अर्थ उद्धार/उत्थान करना होता हैं।
जय श्री राम । 🚩🚩🚩🚩🚩
Very good
Excellent
100% shi samjhaya aap ne
Tulsi Das was a Dog,
Dog means Loyal to God 😂😂😂😂
Yaha maine Dog sbhd ka pryog Noun yani ki sngya k rup me kiya hai..
Kisi ko bura toh nahi lga na, maine toh taarif hi ki hai..
Good bro
पहले चार ही वर्ण थे। लेकिन आज समय हजारों धर्म है और हजारों जाति है। आज के समय से उस काल को नही समझा जा सकता है।
@Vaibhav Singh कर्म के आधार पर जैसे किसी कॉलेज, सरकारी स्कूल में हर तरीके का काम होता है। नौकर, चपरासी, शिक्षक, चौकीदार उसी तरह समाज चार भागों में करता था।
क्षेत्रीय: युद्ध में सैनिक, थे।
वैश्य: बिजनेस
इसे समय के साथ उसके साथ अपनी नीच सोच को मिलावट कर दिया है।
हां हम भी दलित हैं लेकिन भगवान श्रीराम पूजनीय है लेकिन उन पर कोई उंगली नहीं करेगा जय जय श्री राम कब सुधरोगे हिंदुओं
इनको science journey me भेजिए
You are right Sudhansu Trivediji
शूद्र की जगह ब्रह्मण छत्रीय वैश्य लगा लो और ताडव का माजा लेते रहो
तुलसी दास दुबे बहुत नीच था भगवान तो सबके है भगवान का ना कोइ मंदिर है ना कोई
सुधांशु त्रिवेदी अनंत विद्वान है
जब कोई कहानी कही जाती है, किसी सत्य घटना को बताया जाता है या कोई उपन्यास-नाटक ही लिखा जाता है तो उसमें कई किरदार होते हैं। स्पष्ट है, हर किरदार की अलग-अलग राय होती है और उनके स्वभाव से लेकर हाव-भाव अलग-अलग होते हैं।
इसी तरह, जिस चौपाई का जिक्र चंद्रशेखर यादव ने किया, उसे काकभुशुण्डि कह रहे होते हैं, एक ऋषि जो काग (कौवा) के रूप में रहा करते थे। उनके बारे में बताया गया है कि उन्हें इच्छानुसार कई जन्म लेने और सदियों तक जीवित रहने का वरदान है और वो बड़े रामभक्त रहे हैं। उन्होंने भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ को रामायण सुनाई थी, वाल्मीकि से काफी पहले। कथा है कि महर्षि लोमस की शिक्षाओं का मजाक उड़ाने के कारण उन्हें कौवे के रूप में प्राप्त होने का श्राप मिला था।
गरुड़ को अपनी पिछली बात बताते हुए काकभुशुण्डि कह रहे हैं कि दुष्ट प्रवृत्ति का मैं विद्या पाकर ऐसा हो गया, जैसे दूध पिलाने से साँप। यहाँ जाति या वर्ण-व्यवस्था का कुछ लेना-देना है ही नहीं, तो फिर इसमें कहा से घुसेड़ दिया गया? ‘अधम’ का अर्थ होता है पापी या नीचतापूर्ण कार्य करने वाला। काकभुशुण्डि इस प्रसंग में ‘खल परिहरिअ स्वान की नाईं‘ भी कहते हैं, अर्थात दुष्ट को त्याग देना चाहिए। वो ये भी कहते हैं - “बुध नहिं करहिं अधम कर संगा” भी कहते हैं, अर्थात बुद्धिमान व्यक्ति दुष्टों की संगत नहीं करते हैं।
यहाँ स्पष्ट है कि एक तरफ बुद्धिमान, अर्थात समझदार व्यक्ति होते हैं और दूसरी तरफ अधम, अर्थात दुष्ट व्यक्ति। इसमें काकभुशुण्डि अपनी ही पुरानी प्रवृत्ति बता रहे हैं कि कैसे उन्होंने बार-बार गुरु की अवहेलना की और उन्हें ‘अधम गति’ में जाने का श्राप मिला। यहाँ अधम का अर्थ है ‘निम्न’। पशु-पक्षियों और कीट-पतंगों का जीवन दुःख भरा होता है और मनुष्य का जीवन सबसे उच्च कोटि का माना गया है,।
Lekin dalito ko bhada chhoone pr hatya kr di jati hai aur mandir choone pr hath pair tod diya jata hai aur 60,000 ka jurmana alag se...itna hi nahi dalito pr atyachar ki list 1000 panno se bhi jyada hai...uska kya jawab hai bhai...
Yesa kisne likha hai
@@Rahul25396 aap mere sath mandir chlo ,me bhi to dekhu ki aapko kon Marta he ,ya aap asatya bol rhe hen.
@@Rahul25396 kis century ki bat kar rahe hai aap ... Ab aisa to nhi hai ...
पूर्वाग्रह और शक का इलाज नहीं होता।
"मूरख हृदय न चेत"इन पर फिट बैठता।।,
माखनलाल जी को नमन । आपने सही व्याख्या की है। कुछ लोग अपने तुच्छ राजनैतिक स्वार्थ के लिए महा पुरुषों द्वारा कही गई बातों का ग़लत अर्थ निकालते हैं। भाषा में अल्प विराम का महत्त्व समझे।
Kya vyakhya ki ....bs murkh bnaya ..comma comma bolke pura explain to kiya hi nhi
@@Krm_420_ ¹¹¹1¹¹¹¹¹1¹1¹11111¹11¹⁰⁰⁰⁰0⁰⁰0⁰⁰⁰
@@Krm_420_ tere se jyada knowledge h unko
Literal meaning of Taran is to see and have watch. It does not have any negative meaning.
जाकी रही भावना जैसी ,रामायण चौपाई का मतलब तीन देखी समझी तैसी।।
ब्रह्मण ही ताड़ना के अधिकारी l जम कर ताड़ना हे
😂😂😂😂100%
Tadna ka arth hai dekh bhal karna
@@BABA-qr6id to brahman ko tadna chahiye jamkar
अब ब्रहमनो की ताड़ना करनी है और पीट पीट सुर निकलेंगे और देखेंगे कि कौन कौन से सुर निकलते हैं.
ये बिना मेहनत के दलितों और पिछड़ों के दान और चढ़ावे पर जिंदा रहते हैं. अब सब बन्द होने वाला है. तब देखेंगे कि अब कौन सा सुर निकलने वाला है. बड़े आये ज्ञान सिखाने वाले.
@@GulabSingh-pp7rl hahaha dalito n kitna dan dia brahmano bhai pahle apna pet bal lo
तुलसीदास जी ने रामायण की चौपाई में जो कुछ भी लिखा है बिल्कुल सत्य और सटीक लिखा है उनके भावार्थ जान ने की आवश्यकता है कितना आश्चर्य है जिस जिस श्रीराम जी ने शूद्र जाति की भीलनी के झूठे बेर खाए थे उसी श्रीरामचरितमानस का अपमान किया जा रहा है इससे बड़ी दूषित राजनीति और क्या हो सकती है
विज्ञान में शब्द सबसे शक्तिशाली ऊर्जा है!
फिर मंदिर में शूद्रों को प्रवेश क्यों नहीं किया दिया जाता है सुधांशु त्रिवेदी शुद्र शादी में घोड़ी पर चढ़ जाता है तो तुम क्यों नहीं उसे घोड़ी पर चढ़ने देते हो सुधांशु त्रिवेदी राम ब्राह्मणवाद अब नहीं चलेगा
दोनों मिलकर किसी प्रकार चौपाई को बचाना चाहते हैं ।
जो चार पाई बोल बढचढ कर बता रहे है वह व्यवहार मे क्यो नही दिखाई देता सब बहुजन अब मक्कारी समज रहे है
Tmhara aacharan kaisa hai?
@@mathstheory7596 dharm ke nam pr kisi ka shoshan nhi kiya
तुम लोग सच में गंवार हो
@@mathstheory7596 8 saal ke babhan ke bacche ka konsa achran hota h jo uska babhano ki jamat janeu sanskar karti h .bata be paidaisi babhan hota h isliye jatiwadi kewal babhan hota
@@संजयवर्मा-स9च lekin parasite nhi for thousand of years
माखन लाल चौपाई को सही ठहरा कर।
पुरानी। ब्यवस्था को बनाए रखना चाहते हैं।
Thanks Shudhanshu Trivediji, aap ko koti koti Naman.
विरोध करने वाले को विरोध ही नजर आएगा जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी हरि कथा हरि कथा अनंता कायम सुना हूं बहु बिधि सूत्र संता जय जय श्री
मै भी हिन्दु हुँ पर कुछ बाते गलत लिखी है मुझे ऐसा लगता है।
माखन लाल सही बात को भी झुठलाना चाहते हैं
Tulsi dubey jo likha hai galat hai maurya ji good hai
सनातन वैदिक आर्य हिन्दू धर्म की जय🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Karle jai jitna karna hai bahut jaldi tumhari aukat pata chal jayegi
Kyu ki 85%ek sath ho raha hai.
@@arunkumarak3479 abe chal
@@SPFUNSTUDIO-u3y Ha o pata hai kon nikle be suar
@@arunkumarak3479 mayawati ko kitne seat mile 🤣🤣. Bhai sab hindu ek ho raha he aur buddhism ke pakhand khulegi ab
💐💐💐मलखान जी को प्रणाम 🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳
सुधांशु चतुर्वेदी अगर शुद्ध के घर पैदा होते तो शुद्ध का तकलीफ जरूरत होती
रामचरितमानस में इस चौपाई में कहीं कौमा नहीं है
"ताड़ना" शब्द निगेटिव नहीं हैं शब्दकोश में देखें
ताड़ना=बहुत ध्यान देना,देखते रहना, पीछे लगना, देखरेख करना
अवधी में "तड़ियाय लिहेन"= दौड़ा लिया
"तड़े रहे" =नज़र रखे थे
🥺💔
@@pramendramandre3012 धन्य हो महराज!😂
प्रसंग के अनुसार समझा जाता है
ढोल के लिए धुनि की संगत के अनुसार
गंवार के लिए स्मार्ट वे का ज्ञान कराना भाव को ताड़( समझ)कर
ऐसे ही अन्य तीन शब्दों के विषय में है
संस्कृत के भाषा विज्ञान को देखने से स्पष्ट होगा, देखने की कृपा करें।
यह चौपाई इस युग के लिए नहीं लिखा कवि ने
"पूरब कल्प एक प्रभु युग कलियुग..."
अर्थात लाखों साल पहले के परिवेश की है
आज इस तरह आलोच्य नहीं है...
@@pramendramandre3012 वह तब हो सकता है जब प्रीफेक्स "प्र" जोड़ा जाय
पूजहि विप्र शील गुण हीना । शुद्र न पूजहि सकल प्रवीना । सुधांशु जी की जय हो,क्योंकि आप विप्र है , सूद्र नहीं ।
सबसे बड़ा घोटाला भारतीय इतिहास का हुआ है इनका जब जैसा फायदा लगता समय के अनुसार अर्थ का अनर्थ कर देते हैं
तुम अहिर हो😂
।। जात पात कुल धर्म बडाई धन बल परिजन गुण चतुराई भगत भगत हिन नर मोहे ऐसे जल बिन बारिश लागे जैसे ।।
तुलसीदास की चौपाई को हटाना पड़ेगा
Sanatan dharma ka majak mat banao,
Ynha debate Tak ho jati h,
Jabki others m to question bhi nhi kar skte,
Kisi bhi holy(pavitra) book par question karne se pahle, usko theek tarah se Jaan Lena bahut jaruri hai.
Jai Sanatan 🚩🙏🏻
Jai Hind🇮🇳
Jay Bhim 💙
No one cares 🤣
अल्पज्ञ मंत्री जी जरा शब्दकोश का ज्ञान प्राप्त कर लें आप स्वतः शर्मिंदा हो जाएंगे
Mantri ji ne bilkul satya kaha hai, waise bhi manusmriti ke Anusar aap Sudra ho 😂🤣🤣
Nice and interesting Chopai👌
तुलसीदास ज्ञानी होकर भी अज्ञानी व्यक्ति थे
Jaya Jaya Shri Ram
आजकल के रामचरित मानस है उसमें ताड़ना शब्द का अर्थ शिक्षा कर दिया गया है बल्कि पुराने मानसचरित में ताड़ना का अर्थ दण्ड दिया गया है अब बताये की किसको सही माने
सुधांशु ऐसे नहीं मानेगा लगता है अनुराग भदौरिया को ही भेजना पड़ेगा
😄😄😄😄
अरे मूर्खों,तुम पढे लिखे जरूर हो, लेकिन ज्ञानी नहीं हो। ज्ञान और पढ़ाई में बहुत अंतर है। जय श्री राम।🚩
और जो भगवान तुम्हें भक्ति के बदले में ही पसंद करते हैं क्या वह आदर्श बात है
Sanatan dharm ki yahi khasiyat hai ki bhakti karo ya na karo achchhe karm karo .
निर्मल मन जन सो मोहि पावा।
मोहि कपट छल छिद्र न भावा।
प्यारे जी एक बार श्रीराम जी के संदेश पर नजर डालो
Tum gandi soch rkho ,gande kam kro fir bhi bhagvan aapko pasand krega,?
Is ko pane ke do tarike hai 1) bhakti
2) karm
Jo karm ko pradhan mana jata hai .
Is achchhe karm karo yeh pramukh bhakti hai .
पूजैं विप्र सकल गुण हीना,
शुद्र न गुण गण ज्ञान प्रवीना।
Please go through before giving any statement. Full description of this doha of Ramcharitmanas.. Jai Shri Ram🙏🙏
शूद्रों के साथ होने वाले शोषण को जानने के लिए उनके समाज में जाना होगा शोफ़े पर बैठकर , TV डिबेट में इतिहास नही मिलता। शूद्रों का दर्द और शोषण जानने के लिए शुद्र के घर जन्म लेना पड़ेगा,सवर्ण कभी भी नही समझ सकता, 'जाके पैर न फ़टी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई"
Mere pyare bhai ham sab apke sath h etna dukhi kyo ho
Brahamno ne chaupayi likhi.. Aur brahmano se hi justify kra rahe h 🤣🤣🤣😂😂😂😂😂
रामचरित मानस में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए
Brahman, Pujari hai sab tadan ke Adhikari... 😂 😂 😂
अरे भाई रामायण पर क्यों बहस
रामायण में एक शब्द के अनेक अर्थ होते
ढोल गवार शुद्र पशु नारी सकल ताड़ना के अधिकारी
इसका मतलब हुआ इन सभी चीजों को संभाल कर रखें संभाल कर इस्तेमाल करें
ढोल को तेज बजाने पर फट जाएगा
गावार जिनमें बुद्धि कम होती है उन्हें संभाल के काम ले
शूद्र जिनकी माइंड गड़बड़ हो जाती है उसे संभाल कर बात विचार करें
पशु पशु को संभाल कर रखें नहीं तो किसी का खेती नष्ट कर देगा
नारी
नारी को संभाल कर रखें
Is tarah ki charcha aur bhi dharmo pe honi chahiye
भाई सही हो या गलत पर यह दोहे हटाने चाहिए सृष्टि का पहला राजा दक्ष प्रजापति था पढ़ लेंगे जितने पंडित हैं ब्राह्मण सारे पढ़ ले आंख खोल के
सिधांसु को science journy पर live मे debet करना चाहिए इतना ज्ञान है तो l 🤣😅 🤣
क्षत्रिय वैश्य तिलकधारी। सकल ताड़ना के अधिकारी
सुधांशु त्रिवेदी जी हिन्दू हृदय सम्राट हैं एक अकेला ने सबको पेला
आंख खुलने के बाद सुबह एहसास होता कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतराई पारा अब सूत्रों को बात समझ में आ गई है क्या सही है क्या गलत इसका समाधान स्वयं कर सकते हैं किसी दूसरे से पूछने की जरूरत नहीं
Everyone have right to express their opinion about the debate but still they can't because of power ful politition.
सत्य वचन है रामायण। जय श्री राम
आपने सही अर्थ निकाला लेकिन जो हिंदुओं को बांटना चाहते हैं और नफरत पैदा करना चाहते हैं उनको समझाना बहुत मुश्किल है क्योंकि वह समझना ही नहीं चाहते हैं
Great lord how things we're made to Crept in the religious Scriptures only to be highlighted to divert the attention of People expected to raise resentments against failures of Sir Modi ji. Nomo Narayana!
पंडितों ने निहत्थे पर वार किया है आज भी वही हो रहा है पंडितों ने आज भी वार करते हैं
रामचरित मानस इसका मतलब समझ में
भगवान श्री राम चंद्र जी का वर्णन है आप अपने ऊपर क्यों लेते हैं आपकी जीवन की रामचरितमानस से जिंदगी जीने की प्रेरणा है
रामचरित मानस की किसी भी चौपाई के वास्तविक अर्थ को समझने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान का होना आवश्यक है
राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करने वाले अपने विचार युक्त अर्थ निकालने वाले अपनी अज्ञानता प्रमाणित कर रहे है
जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी
यह चौपाई रामचरित मानस की ही है
Jay shree Ram
Yaha to 5 sal me kitabo me vyakaran k naam par kya kya badal diya jata hai to sochiye 500-600 sal pahle likhe vakya me kitna logo ne apne hisab se toda moda gaya hoga
इनके पूरी किताब में ही गंदी बातें भारी पड़ी है पर ये एक चौपाई खोज कर लायेंगे और कहेंगे कि देखो इसमें अच्छी बातें भी है और तुम हमारे पूरे किताब को अच्छा मानो😅
Jai siaram
Very well explained
जय सिया राम
यह सुनना नहीं चाहते पढ़ना नहीं चाहते सिर्फ भड़का कर राजनीती करेंगे
Sudhanshu Ji is great 👍
गुरु कुम्हार कुम्भ शिष्य है, गढ़ी गढी काढै खोट। अन्तर हाथ सहार दे बाहर बाहै चोट।। इसी को मेरी सम से ताड़ना कहते हैं।
ऐसे लोग भी प्रोफेसर हो सकते हैं जो रामायण को जनसंघी बता रहे है।
आज सन 1950 के समय मे चल रही पुरानी संस्कृत को पढ़ो और आज 2023 की संस्कृत को पढ़ो तो उसमे बहुत शब्द की बनावट और लिखावट और अर्थ में बहुत अंतर है अब यहां तो 1500 ईसवी के समय लिखी गई रामायण पर बहस हो रही है अब कोई ओरिजनल रामायण को तो पहले खोज ले की उसमे क्या लिखा है कहा कहा कोमा डॉट लगा है और उस समय की भाषा क्या थी और लोकल स्थान पर भाषा के शब्दों का अर्थ क्या थे और अब आज 600 साल में सबने अपने अपने हिसाब से लिख कर लोगो के बीच रख दी है उसमे कितनी सच है कितनी गलत उसे समझने की आवश्यकता है ना की किसी के भी बहकावे में आकर उलझने की।
sudhansu g sahi kha
आज के दौर मे भारत की आम जनता को "भारतीय संविधान" जानने-समझने की आवश्यकता है ना की किसी विवादित किताब की।
vivadit nahi hai bhai yeh kitab .. kuchh netaon ke dwara vivad banaya ja raha hai ek varg ke logon ko bargalane ke liye. Bhai ji ek baat aur ye ek granth hai. Aapne sanvidhan nirmata ka ek kathan padha hai...
Ambedkar ne hi kaha hai ki koi dalit bharat ke sarvoch pad par baith jaye toh aarakshan khatm kar dena chahiye. Mai bhi dalit hun lekin apne purvajon aur dharm ka samman karta hun. Koi bhi granth oonch nich jatiwad ko badhawa nahi deta. Bas aadha gyan aadmi ko janwar bana deta hai. Pahle granth ko pura padhiye sahi arth samajhiye
Bahut bahut sadhuvaad makhanlal sar ji bilkul sahi data apni baat rakhne hi nahin dete Hain Sun le ki to baat hi alag Jay Bheem Jay Bharat Jay mulniwasi Namo buddhay Jay sanvidhan।
Sahi bola sir ji nay 🙏🙏🙏👏👏
Jai Shree Ram ❤️
रामायण की चौपाई को जलाने वाले का नाश निश्चित है राम के घर देर है अंधेर नहीं है पूर्व जन्म का पुण्य जैसे ही समाप्त होगा कलयुग उसको पकड़ लेगा और उसको राम याद आने लगेगा अब पछता वत जरा क्या होते हैं चिड़िया चुग गई खेत जय श्री राम
दरअसल हम चीजो को समझते है उसके शब्दो के आधार पे हम भाव नही पकड़ पाते है । इसी लिए पहले के ये सारे शास्त्र गुरु परम्परा से पढ़ाये जाते थे वर्ना आप क्या का क्या अर्थ कर लेगे ।
यहाँ विप्र का अर्थ आत्मज्ञानी व्यक्ति से है जिसको आत्मा का बोध हो चुका है जो शरीर बोध से ऊपर उठ चुका है । ऐसा व्यक्ति अगर बाहरी रूप से मूर्ख जड़ सब गुणों से हीन भी दिखाई दे तो उसे पूजना चाहिए । जैसे हमारे यहाँ अच्छे अच्छे संतो में कुछ ऐसे हुए जो बाहरी रूप से विचित्र और जड़ मालूम पड़ते रहे । जैसे रामकृष्ण परम् हंसः को जब समाधि लगे तो वो बेहोश हो के गिर जाए उनके मुख से झाग आने लगे लोग समझे उन्हें मिर्गी का दौरा है या वो पागल है । इसी प्रकार से जड़ भरत कर के प्राचीन संत है उन्हें नाम ही जड़ दे दिया गया क्योकि वो बाहरी रूप से जड़ मालूम पड़े तो कभी कभी ज्ञानी जन भी बाहरी आवरण से ऐसे मालूम हो सकते है।
शुद्र वेद प्रवीणा का अर्थ हुआ ऐसा व्यक्ति जो सारी किताबे पढ़ पढ़ के प्रवचन बांचता रहता है उसका मर्म नही समझता है । उसको उसका अनुभव ज्ञान नही है फिर भी वो उसका दम्भ करता है पांडित्य दिखाता रहता है ।
जैसे कबीर कहते है :-
मैं कहता आंखन देखी तू कहता कागज की लेखी ।
यानी मैं अपने अनुभव से बोलता हूं तू सिर्फ किताबो का लिखा बांचता है ।
वर्ण व्यवस्था पहले जो थी वो अलग थी वर्ण का अर्थ होता है रंग। हम सामान्य बोल चाल की भाषा मे कहते भी है इसके रंग तो देखो यानी भाव तो देखो । पहले की जो वर्ण व्यवस्था थी वो भाव आधारित थी और बहुत से उदाहरण है जहाँ एक वर्ण से दूसरे वर्ण में लोग गए है । जैसे विश्वमित्र, सूत ऋषि इत्यादि । इसी प्रकार बहुत से सूत्रों के अर्थ गलत निकले गए है शब्द न पकड़े भाव पकड़े ।
कितना तोड़ मरोड़ कर अर्थ को पेश करोगे सुधांशु त्रिवेदी जी एक शब्द को तो आप तोड़ कर अलग अर्थ निकाला गया पर शूद्र पशु नारी को क्या-क्या मतलब निकालोगे है ।। शूद्र पशु नारी में पीटने से कौन सा लय स्वर गाना की ताल मिला सकते है आप जरा मंच पर नारी शूद्र का संगीत निकाल कर दिखा दीजिए ।। आप जितने ज्यादा मनुवादी भृष्ट हो हद पार कर दी गर्भ से जन्म से ही समाज पाखंड बो रहे हो ।
जय श्रीराम
जय ब्रह्मा प्रजापति सृष्टि पिता जय दक्ष प्रजापति सृष्टि कर्ता महाराज ययाति प्रजापति भगवान वामन देव प्रजापति
संस्कृत भाषा में शब्द व्युत्पत्ति का सिद्धांत शास्त्र है पूरे विश्व में सर्वमान्य है वहां से कंफर्म होता है अर्थ
ये हल्ला करने से नहीं होता