आपने केवल शूद्र को परिभाषित करने व विषय से हटकर प्रवचन देने में ज्यादा समय खराब कर दिया । कृपया इस पर भी प्रकाश डालें कि विप्र सकल गुण हीन कौन है जो पूजनीय है ।
अवधी भाषा में लिखी गई इस पंक्ति का वास्तविक मतलब ये है कि 'वो इंसान जिसका कि आत्मा से सीधे साक्षात्कार हो चुका हो, जो सभी बंधनों और माया-मोह से मुक्त हो लेकिन बाहरी रूप से जड़ स्वरूप हो और हो सकता है कि उसमें कोई गुण भी ना दिखाई दे तो भी वो पूज्यनीय है और ऐसा इंसान जो कि किताब पढ़कर ज्ञान तो बांटे लेकिन असल में ना तो उसे शास्त्रों के अर्थ का पता हो और ना ही वो उसके व्यवहार और सोच में उन बातों का भाव दिखता हो,तो ऐसा व्यक्ति कभी भी पूज्यनीय नहीं होता।
मैं आपको बताता हूं पूजहि विप्र सकल गुण हीना? इसका मतलब कि संसार में गुण तीन प्रकार के है सतो गुण, रजोगुण ,तमोगुण जो इन तीनो से हीन हो सिर्फ वही पूजनीय है
Satguru Ravidas ji Maharaj kehte hai ravidas Brahman mat pujiye jo hove gunhin pujiye charan chandal ke jo hove gun pravin jai param sant shiromani satguru Ravidas ji Maharaj ji ki Jai Ho 🙏🙏🙏❤️❤️❤️
आप कह रहे हैं जो मांसाहार करता है वह शूद्र है तो अब आप बतायें कि बलि प्रथा क्या है और किसने प्रचलित किया ? क्या राजा जो क्षत्रिय कहा जाता था वह जंगलों में जाकर पशुओं का शिकार करते थे तो क्या आप कहना चाहते हैं कि वे शूद्र थे ?
Jhutha aadmi, kuchh bhi bol raha hai. Khud kah raha hai Ram ke pas do NISHAD JATI ke lig aaye. Yani us samay Jati thi. Fir kah raha hai SANTAN me jathi thi hi nahi. Kya bakwas karta hai ye 😂
Brahman to Maharaj Hamesha se Paap Karm Karte aaya hai lekin use Shudra Kisi Ne Nahin Kaha Shudra Hamesha se poochh Karm Kiya Hai Fir Bhi usse girna hai use Mandir Mein Jaane Ki ijaajat Nahin Hai Aap Ki Katha Mahan Hai manusmriti Ramayan ine sab ki vivechana Karte Hain Ram ne shambook Rishi ka vadh kiya iski vivechana aapane Nahin Ki
@@BanadnaUpadhyay नहीं प्रभू मेरे पास इतना समय नहीं। बाल बच्चो वाला हूं । मैने तो श शब्द और आधुनिक हिंदी के विकास के बारे मे बात की। इसमें बुरा मानने की कोई बात ही नहीं।
अवधी भाषा में लिखी गई इस पंक्ति का वास्तविक मतलब ये है कि 'वो इंसान जिसका कि आत्मा से सीधे साक्षात्कार हो चुका हो, जो सभी बंधनों और माया-मोह से मुक्त हो लेकिन बाहरी रूप से जड़ स्वरूप हो और हो सकता है कि उसमें कोई गुण भी ना दिखाई दे तो भी वो पूज्यनीय है और ऐसा इंसान जो कि किताब पढ़कर ज्ञान तो बांटे लेकिन असल में ना तो उसे शास्त्रों के अर्थ का पता हो और ना ही वो उसके व्यवहार और सोच में उन बातों का भाव दिखता हो,तो ऐसा व्यक्ति कभी भी पूज्यनीय नहीं होता।
अवधी भाषा में लिखी गई इस पंक्ति का वास्तविक मतलब ये है कि 'वो इंसान जिसका कि आत्मा से सीधे साक्षात्कार हो चुका हो, जो सभी बंधनों और माया-मोह से मुक्त हो लेकिन बाहरी रूप से जड़ स्वरूप हो और हो सकता है कि उसमें कोई गुण भी ना दिखाई दे तो भी वो पूज्यनीय है और ऐसा इंसान जो कि किताब पढ़कर ज्ञान तो बांटे लेकिन असल में ना तो उसे शास्त्रों के अर्थ का पता हो और ना ही वो उसके व्यवहार और सोच में उन बातों का भाव दिखता हो,तो ऐसा व्यक्ति कभी भी पूज्यनीय नहीं होता।
Apna gyaan apane paas hi rakho....Manuvaad ne Bhartiya Samaj ko farzi jaati/ varan ka jahar failakar araajakata ka mahol banaya.......Jabki sabhi barabar hain.......Aaj maha neech wo hai jo kisi doosare ko neech kahata hai....
🎉 आप बोल रहें हैं कि मनुस्मृति जलाने वाले अज्ञानी है मनुस्मृति पढ़े नहीं है तो क्या आप कहना चाह रहे हैं कि बाबा साहब Dr भीमराव अम्बेडकर बिना मनुस्मृति पढ़े ही उसे जलाए थे उनके इतना कोई विद्वान् ही नहीं पैदा हुआ आप पहले पूजही विप्र सकल गुण हीना का अर्थ ही नहीं बता रहे हैं
महाराज आप जितने भी तोड़फोड़ कर शुद्ध का अर्थ बदलने की कोशिश कर रहे हैं वह अब नहीं समझेंगे क्योंकि शुद्ध को अपमान इतना होता है कि आप सोच भी नहीं सकते लेकिन अब शुद्ध भी पढ़े लिखे हो गए हैं उनका दिमाग खुल गया है आप उल्टा पुल्टा समझेंगे तो नहीं समझ पाएंगे
Bhai sab apne constitution ke bare me bola ki use jala do app constitution ke giyanta ya jankar nhi ho app sirf granthon pe bat keejiye, sath sath me app history bhi padiye jaise marsal of law and mulakaram tax ke bare me bhi. Mahabharat me Karan mahan dhanurdhar hone ke baad bhi har jagaha apman ka ghoot peena pada tab to constitution nhi tha ye to sirf 1947 ke baad ki baat hai. Man bhi liya jye ki britishers ne phoot Dali lekin ajj wo bhi nhi hai fir ajj wo chalegye lekin mandiron me ajj bhi bahut jagaha ban hai koi SC ST wala local area me hotel nhi khol sakta. Rahi baat kisi ko guru manne ka ya mansaman dena ka to wo power hoti hai ye sabhi guru ke pass power thi esliye
जिसने राम को मान लिया फिर ऊंच नही तो फिर राम नाथ कोविद और द्रौपदी मूर्मो को मंदिर में प्रवेश क्यों नहीं करने दिया जाता है और इन शिक्षित व्यक्तियों को ब्राह्मण वर्ण क्यों नहीं दिया जाता है कुतर्को से बात नही बनती चालबाजी साफ दिखाई दे रही हैं
Maharaj ji sab sudra hai bas wahi pujniya hai jo rajo gun tamo gun sato gun ko jo par kar sirf bram me Lin ho jata hai bas wahi vipra hai baki sabhi sudra hai is chaupai ka yahi arth hai
Jhooth vo bhi safed jab ram ke samne nishad ne Bola ki main neech hoon to sabit ho jaya hoon ki us samay ke samaz me jaati pratha thi. Jab se swidhan me 98% logo ko shiksha ka adhikar diya hai sanatanio ko bahut safai dene ki jaroorat aan padi. Agar snatan me sab vaisa hota jaise inko ab batane ki jaroorat pad rahi hai to bharat gulam aur barbad nhi hota.
Mera ek sawal hai guruji kya Bhagwan Rajput Brahman ke hi ghar mein janm lete hai aur jatiyan kya raksh hai Bhagwan ne manon ek banaya hai to jatiyan kyon antar
इस महाशय ने पूछी गई चौपाई की व्याख्या को छोड़कर बाकी दुनियाभर के आधे अधूरे ज्ञान का प्रचार कर दिया। गलत काम को सही साबित करने मै बहुत मेहनत करनी पङती है।
तुलसीदास ने यहां 'विप्र' शब्द का प्रयोग आत्मज्ञानी व्यक्ति के लिए किया है और 'शुद्र वेद प्रवीणा' का प्रयोग दिखावटी और पाखंडी लोगों के लिए किया है, जो कि ज्ञान तो बहुत बांटते हैं लेकिन असल जीवन में ज्ञान का ककहरा भी उन्हें नहीं पता होता है। यही नहीं इसी ग्रंथ के सुंदरकांड में तुलसीदास ने प्रभु हनुमान के लिए भी 'विप्र' शब्द का प्रयोग किया है, जहां भी उनका अर्थ 'आत्मज्ञान' से ही था। अब तुलसीदास ने जिस शब्द का प्रयोग ईश्वर के लिए किया है, उसका अर्थ ब्राह्मण से कैसे संभव है
अवधी भाषा में लिखी गई इस पंक्ति का वास्तविक मतलब ये है कि 'वो इंसान जिसका कि आत्मा से सीधे साक्षात्कार हो चुका हो, जो सभी बंधनों और माया-मोह से मुक्त हो लेकिन बाहरी रूप से जड़ स्वरूप हो और हो सकता है कि उसमें कोई गुण भी ना दिखाई दे तो भी वो पूज्यनीय है और ऐसा इंसान जो कि किताब पढ़कर ज्ञान तो बांटे लेकिन असल में ना तो उसे शास्त्रों के अर्थ का पता हो और ना ही वो उसके व्यवहार और सोच में उन बातों का भाव दिखता हो,तो ऐसा व्यक्ति कभी भी पूज्यनीय नहीं होता।
अवधी भाषा में लिखी गई इस पंक्ति का वास्तविक मतलब ये है कि 'वो इंसान जिसका कि आत्मा से सीधे साक्षात्कार हो चुका हो, जो सभी बंधनों और माया-मोह से मुक्त हो लेकिन बाहरी रूप से जड़ स्वरूप हो और हो सकता है कि उसमें कोई गुण भी ना दिखाई दे तो भी वो पूज्यनीय है और ऐसा इंसान जो कि किताब पढ़कर ज्ञान तो बांटे लेकिन असल में ना तो उसे शास्त्रों के अर्थ का पता हो और ना ही वो उसके व्यवहार और सोच में उन बातों का भाव दिखता हो,तो ऐसा व्यक्ति कभी भी पूज्यनीय नहीं होता।
Varana system hai he kyu....... Bhrahaman he kyu pujniye hai or 3000 saal tak sirf vo he kyu padhne layak the....... Agar bhaav ki baat he to manusmriti k hisaab se 3000 saal se dalito kyu school, mandir or smaj me vo respect kyu ni milta tha......
Aap jhuth bol rahe hi hamre yaha bramhan v mash khata hi daru pita hi nasah krta hi Jhuth bol rahe ho sudra q likha gya usme sudra ke jagah insan lukhna chahiye hm nhi mante
आप लोग सदा लोगो को गुमराह करते रहते है सांबुक का सिर क्यों काटा , बाल्मिक ऋषि ब्रह्मण थे ।इस लिए राम ने पूजा । बाल्मीक रामायण में सबरी ने बेर नाम का कोई भी फल राम को नही खिलाया यह बात झूठ है आप गुमराह कर रहे हैं जय भीम
देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जो देश के प्रथम नागरिक थे उन्हें पुरी के जगन्नाथ मंदिर में जाने से रोका गया क्यों ?
Kab roka
Jagannath nahi, pushkar mandir mein jaane se roka tha.
जगन्नाथ पुरी के शंकराचार्य तो साफ बोलते है, कि शुद्र मंदिर में नही आ सकता,
यूट्यूब देख सकते है
@@Kaliphos56 chal jhhute ur tu aapne firke dekh ek Dusre ki majjid bam se uda dete h
दक्षिण भारत में देव दासी प्रथा चलाने वाले ब्राह्मण शूद्र हैं फिर तो 😂😂😂😂😂😂😂😂
बहुत सही महराज जी
बाबा साहेब आंबेडकर जो शुद्र का इतिहास नामक पुस्तक लिखे थे उसे पढ़िए ।
सत्य बोलने की हिम्मत सब मे नही होती जय गुरुदेव 👏
अपने तर्कों से गलत को सही बना देना आजकल कितना आसान हो गया है जबकि समाज में कितनी विकृति है वह दिखाई नही देती
आपने केवल शूद्र को परिभाषित करने व विषय से हटकर प्रवचन देने में ज्यादा समय खराब कर दिया । कृपया इस पर भी प्रकाश डालें कि विप्र सकल गुण हीन कौन है जो पूजनीय है ।
इनके पास कोई जबाब नही है ये केवल इधर उधर घुमायेगें।
अवधी भाषा में लिखी गई इस पंक्ति का वास्तविक मतलब ये है कि 'वो इंसान जिसका कि आत्मा से सीधे साक्षात्कार हो चुका हो, जो सभी बंधनों और माया-मोह से मुक्त हो लेकिन बाहरी रूप से जड़ स्वरूप हो और हो सकता है कि उसमें कोई गुण भी ना दिखाई दे तो भी वो पूज्यनीय है और ऐसा इंसान जो कि किताब पढ़कर ज्ञान तो बांटे लेकिन असल में ना तो उसे शास्त्रों के अर्थ का पता हो और ना ही वो उसके व्यवहार और सोच में उन बातों का भाव दिखता हो,तो ऐसा व्यक्ति कभी भी पूज्यनीय नहीं होता।
@@ombhardwaj7948 Yes, lekin aaj ki youth nahi samjhti 😓
मैं आपको बताता हूं पूजहि विप्र सकल गुण हीना? इसका मतलब कि संसार में गुण तीन प्रकार के है
सतो गुण, रजोगुण ,तमोगुण जो इन तीनो से हीन
हो सिर्फ वही पूजनीय है
Sudra Jo bolta h bahi h kyuki sambidhan ne hame ARTICLE 15 DIYA
Satguru Ravidas ji Maharaj kehte hai ravidas Brahman mat pujiye jo hove gunhin pujiye charan chandal ke jo hove gun pravin jai param sant shiromani satguru Ravidas ji Maharaj ji ki Jai Ho 🙏🙏🙏❤️❤️❤️
शूद्र का अर्थ शास्र के अनुसार समझाईए
आचार्य जी सादर नमस्कार, आप कहते हैं जातिवाद नहीं रहा तो एकलव्य को धनुर्विद्या प्रदान करने से इंकार क्यों किया गया
तिलक राज और तलवार उन्हें शूद्रों पर किए हैं हमेशा अत्याचार
आप कह रहे हैं जो मांसाहार करता है वह शूद्र है तो अब आप बतायें कि बलि प्रथा क्या है और किसने प्रचलित किया ? क्या राजा जो क्षत्रिय कहा जाता था वह जंगलों में जाकर पशुओं का शिकार करते थे तो क्या आप कहना चाहते हैं कि वे शूद्र थे ?
Jo bhi arth pandit nikale per
Hai bahut sahi 100 %.
तुलसीदास की शिक्षा क्या थी और कितनी थी ? जाति को किसने बनाया ? शब्दार्थ में शूद्र का मतलब वह क्यों नहीं दिया गया है जो आप कह रहे हैं ?
पूरी चौपाई की व्याख्या करें ज्ञानी महोदय ।
पहले आप अपनी चौपाई शुद्ध कीजिए उसके बाद आगे बोलिए क्या
Jhutha aadmi, kuchh bhi bol raha hai. Khud kah raha hai Ram ke pas do NISHAD JATI ke lig aaye. Yani us samay Jati thi.
Fir kah raha hai SANTAN me jathi thi hi nahi.
Kya bakwas karta hai ye 😂
Jay gurudev
Brahman to Maharaj Hamesha se Paap Karm Karte aaya hai lekin use Shudra Kisi Ne Nahin Kaha Shudra Hamesha se poochh Karm Kiya Hai Fir Bhi usse girna hai use Mandir Mein Jaane Ki ijaajat Nahin Hai Aap Ki Katha Mahan Hai manusmriti Ramayan ine sab ki vivechana Karte Hain Ram ne shambook Rishi ka vadh kiya iski vivechana aapane Nahin Ki
क्या मनुस्मृति के आधार पर किसी विद्वान बाल्मिकी व्यक्ति को मंदिर में पुजारी बनाया जा सकता है।
Kitne bane h bhai jakr dekhiy
वाल्मीकि जी स्वयं पूजनीय हैं भैया जी
Ban sakte h
फिर राम ने शम्बूक की हत्या क्यों की ?
तुलसीदास को श का ज्ञान था ही नहीं।
पूरी रामचरित मानस में यह अक्षर नहीं मिलेगा
Ek page likh payenge aap,
@@BanadnaUpadhyay नहीं प्रभू मेरे पास इतना समय नहीं। बाल बच्चो वाला हूं । मैने तो श शब्द और आधुनिक हिंदी के विकास के बारे मे बात की। इसमें बुरा मानने की कोई बात ही नहीं।
@@BanadnaUpadhyay और हां तुलसी और कबीर मेरे सबसे अच्छे कवि हैं
जब कभी साइंस और मैथ्स से समय मिलता तो यही भाई साहब टाइम पास करते हैं
श्री राधे महाराज जी🙏🙏🌹🙏🙏
सही अर्थ नहीं बता पा रहे हैं महाशय ये पंडित कहलाने योग्य नहीं है।" पूजिए विप्र शील गुन हीना"
इसका अर्थ कौन बतायेगा
अवधी भाषा में लिखी गई इस पंक्ति का वास्तविक मतलब ये है कि 'वो इंसान जिसका कि आत्मा से सीधे साक्षात्कार हो चुका हो, जो सभी बंधनों और माया-मोह से मुक्त हो लेकिन बाहरी रूप से जड़ स्वरूप हो और हो सकता है कि उसमें कोई गुण भी ना दिखाई दे तो भी वो पूज्यनीय है और ऐसा इंसान जो कि किताब पढ़कर ज्ञान तो बांटे लेकिन असल में ना तो उसे शास्त्रों के अर्थ का पता हो और ना ही वो उसके व्यवहार और सोच में उन बातों का भाव दिखता हो,तो ऐसा व्यक्ति कभी भी पूज्यनीय नहीं होता।
@@ombhardwaj7948wrong
मनुस्मृति मानने वाले,
शुद्र छिपकर वेद सुन ले तो उसके कान में पिघला हुआ सीसा डाल दो
तुम एक इंसान के कान में सीसा डालने वाली किताब का उदाहरण दे रहे हो।
सही ढंग से तुलसीदास ने लिखी है चौपाई सही ढंग से नहीं लिखी तो इसका अर्थ क्या बताएगा अभी भी भक्त है मानवता को शर्मसार मत करो
अवधी भाषा में लिखी गई इस पंक्ति का वास्तविक मतलब ये है कि 'वो इंसान जिसका कि आत्मा से सीधे साक्षात्कार हो चुका हो, जो सभी बंधनों और माया-मोह से मुक्त हो लेकिन बाहरी रूप से जड़ स्वरूप हो और हो सकता है कि उसमें कोई गुण भी ना दिखाई दे तो भी वो पूज्यनीय है और ऐसा इंसान जो कि किताब पढ़कर ज्ञान तो बांटे लेकिन असल में ना तो उसे शास्त्रों के अर्थ का पता हो और ना ही वो उसके व्यवहार और सोच में उन बातों का भाव दिखता हो,तो ऐसा व्यक्ति कभी भी पूज्यनीय नहीं होता।
What is untouchable? Please explain sir
Apna gyaan apane paas hi rakho....Manuvaad ne Bhartiya Samaj ko farzi jaati/ varan ka jahar failakar araajakata ka mahol banaya.......Jabki sabhi barabar hain.......Aaj maha neech wo hai jo kisi doosare ko neech kahata hai....
संबंधित चौपाई पर कोई ब्याखान् नहीं दिया।
घुमाने की आपने बहुत कोशिश की, पर अब सब कोई आपकी चालाकी को समझ रहें हैं।
तो फिर कितने शंकराचार्य गैर ब्राह्मण है बताए
जो पूंछा गया उसका जवाब दो
लेकिन अत्याचार तो जाती देख कर ही होता है और कितनी ब्रह्मांड जो मांस मदिरा का सेवन करते है उसे दलित ho गए
🎉 आप बोल रहें हैं कि मनुस्मृति जलाने वाले अज्ञानी है मनुस्मृति पढ़े नहीं है तो क्या आप कहना चाह रहे हैं कि बाबा साहब Dr भीमराव अम्बेडकर बिना मनुस्मृति पढ़े ही उसे जलाए थे उनके इतना कोई विद्वान् ही नहीं पैदा हुआ आप पहले पूजही विप्र सकल गुण हीना का अर्थ ही नहीं बता रहे हैं
श्लोक का अर्थ जानकर भी नही बता पा रहे हो यानी आप भटका रहे हो
Bhai jativad ka khandan kyo n nahi karte ho . Aaj janam k. Aadhar par dekha jata hai
Ram sabri ke ber kha rahe the to wo pujya niya hai, fir us laxman ka kya kiya jaye.
भारत में ब्राह्मणों का कौन सा गुरुकुल था भाई साहब जरा बताना तो जनता को कौन से गुरुकुल में पढ़ते थे
कोलोनियल टाइम के सारे सर्वे में स्पष्ट लिखा है की 1800 के समय हर गुरुकुल में सभी जातियों के छात्र थे
Sakal gun main kya karma nhi aata kya adarniya ji
Matalab aapko shudra hisamajhayenge
Es parkaar se to kuch Brahmin bhi sudra huye
महाराज आप जितने भी तोड़फोड़ कर शुद्ध का अर्थ बदलने की कोशिश कर रहे हैं वह अब नहीं समझेंगे क्योंकि शुद्ध को अपमान इतना होता है कि आप सोच भी नहीं सकते लेकिन अब शुद्ध भी पढ़े लिखे हो गए हैं उनका दिमाग खुल गया है आप उल्टा पुल्टा समझेंगे तो नहीं समझ पाएंगे
Bhai sab apne constitution ke bare me bola ki use jala do app constitution ke giyanta ya jankar nhi ho app sirf granthon pe bat keejiye, sath sath me app history bhi padiye jaise marsal of law and mulakaram tax ke bare me bhi. Mahabharat me Karan mahan dhanurdhar hone ke baad bhi har jagaha apman ka ghoot peena pada tab to constitution nhi tha ye to sirf 1947 ke baad ki baat hai. Man bhi liya jye ki britishers ne phoot Dali lekin ajj wo bhi nhi hai fir ajj wo chalegye lekin mandiron me ajj bhi bahut jagaha ban hai koi SC ST wala local area me hotel nhi khol sakta. Rahi baat kisi ko guru manne ka ya mansaman dena ka to wo power hoti hai ye sabhi guru ke pass power thi esliye
जिसने राम को मान लिया फिर ऊंच नही
तो फिर राम नाथ कोविद और द्रौपदी मूर्मो को मंदिर में प्रवेश क्यों नहीं करने दिया जाता है और इन शिक्षित व्यक्तियों
को ब्राह्मण वर्ण क्यों नहीं दिया जाता है
कुतर्को से बात नही बनती चालबाजी
साफ दिखाई दे रही हैं
Puran ki Katha mythology hai ved Shastra Satya hai
Maharaj ji sab sudra hai bas wahi pujniya hai jo rajo gun tamo gun sato gun ko jo par kar sirf bram me Lin ho jata hai bas wahi vipra hai baki sabhi sudra hai is chaupai ka yahi arth hai
Jhooth vo bhi safed jab ram ke samne nishad ne Bola ki main neech hoon to sabit ho jaya hoon ki us samay ke samaz me jaati pratha thi. Jab se swidhan me 98% logo ko shiksha ka adhikar diya hai sanatanio ko bahut safai dene ki jaroorat aan padi. Agar snatan me sab vaisa hota jaise inko ab batane ki jaroorat pad rahi hai to bharat gulam aur barbad nhi hota.
Mera ek sawal hai guruji kya Bhagwan Rajput Brahman ke hi ghar mein janm lete hai aur jatiyan kya raksh hai Bhagwan ne manon ek banaya hai to jatiyan kyon antar
Rashtrapati ko Mandir mein ghusne nahin diya Ram Mandir ka udghatan ko kyon karne nahin diya Rashtrapati ko
ये राजनीतिक विचारधारा कहाँ से आ गई
सर जी
To kya draupdi murmu aur Ram nath kovind pandit hai.
Ye sabhi sudra viddwano ko pandit banayenge
इस महाशय ने पूछी गई चौपाई की व्याख्या को छोड़कर बाकी दुनियाभर के आधे अधूरे ज्ञान का प्रचार कर दिया। गलत काम को सही साबित करने मै बहुत मेहनत करनी पङती है।
तुलसीदास ने यहां 'विप्र' शब्द का प्रयोग आत्मज्ञानी व्यक्ति के लिए किया है और 'शुद्र वेद प्रवीणा' का प्रयोग दिखावटी और पाखंडी लोगों के लिए किया है, जो कि ज्ञान तो बहुत बांटते हैं लेकिन असल जीवन में ज्ञान का ककहरा भी उन्हें नहीं पता होता है। यही नहीं इसी ग्रंथ के सुंदरकांड में तुलसीदास ने प्रभु हनुमान के लिए भी 'विप्र' शब्द का प्रयोग किया है, जहां भी उनका अर्थ 'आत्मज्ञान' से ही था। अब तुलसीदास ने जिस शब्द का प्रयोग ईश्वर के लिए किया है, उसका अर्थ ब्राह्मण से कैसे संभव है
अवधी भाषा में लिखी गई इस पंक्ति का वास्तविक मतलब ये है कि 'वो इंसान जिसका कि आत्मा से सीधे साक्षात्कार हो चुका हो, जो सभी बंधनों और माया-मोह से मुक्त हो लेकिन बाहरी रूप से जड़ स्वरूप हो और हो सकता है कि उसमें कोई गुण भी ना दिखाई दे तो भी वो पूज्यनीय है और ऐसा इंसान जो कि किताब पढ़कर ज्ञान तो बांटे लेकिन असल में ना तो उसे शास्त्रों के अर्थ का पता हो और ना ही वो उसके व्यवहार और सोच में उन बातों का भाव दिखता हो,तो ऐसा व्यक्ति कभी भी पूज्यनीय नहीं होता।
अवधी भाषा में लिखी गई इस पंक्ति का वास्तविक मतलब ये है कि 'वो इंसान जिसका कि आत्मा से सीधे साक्षात्कार हो चुका हो, जो सभी बंधनों और माया-मोह से मुक्त हो लेकिन बाहरी रूप से जड़ स्वरूप हो और हो सकता है कि उसमें कोई गुण भी ना दिखाई दे तो भी वो पूज्यनीय है और ऐसा इंसान जो कि किताब पढ़कर ज्ञान तो बांटे लेकिन असल में ना तो उसे शास्त्रों के अर्थ का पता हो और ना ही वो उसके व्यवहार और सोच में उन बातों का भाव दिखता हो,तो ऐसा व्यक्ति कभी भी पूज्यनीय नहीं होता।
Varana system hai he kyu.......
Bhrahaman he kyu pujniye hai or 3000 saal tak sirf vo he kyu padhne layak the....... Agar bhaav ki baat he to manusmriti k hisaab se 3000 saal se dalito kyu school, mandir or smaj me vo respect kyu ni milta tha......
सही जवाब नही दे रहे है ? J महाराज जी धन्यवाद!
आप तों विषय से हटकर बात कर रहे हैं गुरु जी, चौपाई का सही अर्थ नही बता रहे हैं आप
Brahman to mare ke ghar bhi kewal apne pet ke bare me sochta hai usko unse koi sahanubhooti ya sanwedna nhi hoti.
क्यों यार यूं यूं खुमा रहे हो सकल गुण हीना क्या है
Gurdev, pranaam, lakin ye jo dwashbhav failate hai unke baare me bhi bole. Aapne jo kaha bilkul sattya kaha.
यदि राम ने उच्च नीच नहीं देखा तो संबुक ऋषि का क्यों वध किया क्यों को मारा करती हो
Bharmam ajkl Gale islye kha raha..
kyuki jbrdsti vo khud ko bada bolta h
Hii
Poojahi vipra gyan gun hina ka arth hai . Mahamurkh .
Pranam guruji Radhe Radhe 🙏 Jay Gau Mata ki 🙏
Aap jhuth bol rahe hi hamre yaha bramhan v mash khata hi daru pita hi nasah krta hi
Jhuth bol rahe ho sudra q likha gya usme sudra ke jagah insan lukhna chahiye hm nhi mante
आप लोग सदा लोगो को गुमराह करते रहते है सांबुक का सिर क्यों काटा , बाल्मिक ऋषि ब्रह्मण थे ।इस लिए राम ने पूजा । बाल्मीक रामायण में सबरी ने बेर नाम का कोई भी फल राम को नही खिलाया यह बात झूठ है आप गुमराह कर रहे हैं जय भीम
गुरुजी आप सही अर्थ नहीं बता पा रहे हैं
Dekh rahe ho binod kaise gol mol bat karke baat ko ghumaya jata hai
Mujhe samajh mein a Gaya Jo Ram ka hai vahi kam ka hai Jo chhode Sanatan ki patari uski bandh jaaye thathari
Su banavi rahyo cche
Jai shri radhe guru ji🙏🏻
Manusy ki jati stree purush
राधे राधे राधे गुरु जी सही कह रहे हों गुरु जी 🙏🌹🤗
4 varna.......pure india ko le dubega .😂😂😂😂😂
Ab tak kitny ko brahaman banaye ho,chalo choro pujari hi....
अरे भाई वर्ण ही तो जाती है अग्यानी
मूर्ख बनाते रहो बहुत ठीक आप सौ तरीके की व्याख्या कर सकते हो l
क्या चुटिया बनाया गुरु जी 😂😂
आप लोगों को भ्रमित कर रहे हो आचार्य जी
😂😂
Mahapapi hai ye sb
Aap sab babaon ki Pol khul chuki
Murkh Banaya kar Baba
Mas aur mujra
बेवकुफ बना रहे है
गलत बात
Sahi janana chahate ho suno jatiya pandito ne banai,,🕔 Global,,M🕔
Don't philosophy o 2 shabda ka matlab batao😂
Jai guru dev