Sangat Ep.78 | 100 Years Young : Ramdarash Mishra's Journey in Literature | Anjum Sharma | Hindwi
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- Опубліковано 20 сер 2024
- हिंदी साहित्य-संस्कृति-संसार के व्यक्तित्वों के वीडियो साक्षात्कार से जुड़ी सीरीज़ ‘संगत’ के एपिसोड 78 में मिलिए साहित्यकार रामदरश मिश्र से
Sangat Episode 78 | 100 Years Young : Ramdarash Mishra's Journey in Literature | Hindwi | Sangat
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#Hindwi #Sangat #Interview
यह हम सब का सौभाग्य ही है कि हम अपने वरिष्ठतम साहित्यकार और ज्ञान , अनुभव के इस असीम महासागर को खूबसूरती के साथ अपना शतक पूरा करते हुए देख रहे हैं ।
इस साक्षात्कार को सुनने के उपरांत ऐसा अनुभव हुआ जैसे कि मैं गंगा स्नान कर आया हूॅं। धन्यवाद अंजुम जी, आपको खूब सारी शुभकामनाएं।
hello hindwi,
i was scrolling youtube and this video appears on the homepage
i have lost my baba aged around 94/95 years old ...he always been very active but fell in the bathroom around 5/6 month ago and since then he fell sick and didn't recovered liked before and lost him on 16th of June on the day of my upsc prelims exam .
when i came back home after giving my second shift Csat paper_ he was no more .
i really missing him and feels like i have lost my childhood forever
watching ramdarash ji feels like i am watching my baba is sharing me his stories, his experiences .
feels like crying and screaming- baba aap kaha chalege i am missing you very much.
just feels like sharing this here on the comment section.
meanwhile thankyou hindwi for sharing such beautiful content🙏🙏❤.
Keep doing the good work.
अंजुम ने मिश्र जी से बड़ी कायदे की बातचीत की। उनसे उनका समय खुलवाया। यह एक सहज संवाद है जिसमें एक सुदीर्घ जीवन सामने हो आया है। सन 74 से रामदरश जी को देखा है, तब जैसे सरल थे आज भी वैसे ही हैं। जाने वक़्त की कितनी करवटें मिश्र जी ने देखी होंगी!
अंजुम जी प्रणाम आपने रामदर्श मिश्र जी से रू ब रू करा कर हम दर्शकों को मानों एक इनाम दिया है हमारे १०० साला कवि लेखक से बातें करके धन्यवाद।
एक विनती आप से जो इंही के जैसे उम्रदराज़ कवि लेखक हैं उन्हें प्राथमिकता दें आप बातचीत के लिए। ताकि पाठक सहित्यक तौर पर लाभान्वित हों।
महिपाल मानव हिसार हरियाणा
सादर प्रणाम।गुरुदेव की दीर्घकालिक साधना और जीवेत शरदम सतम को नमन।
" अच्छा लेखन अनुभव से ही आता है
अनुभव के साथ विजन होना ज़रूरी है।
महत्त्वाकांक्षा हीनता ही खुश रहने कि बड़ा कारण है
कभी बड़े लोगों से परिचय का शौक कभी नही रहा ..
सरल , निश्छल, स्पष्टवादी श्री मिश्र जी का यह साक्षात्कार अनेक स्तरों पर अत्यन्त महत्वपूर्ण है। हमारा बड़ा सौभाग्य है एक एक पूरी सदी को एक साथ सामने देख पाए हैं इसके लिए आपको भी बहुत धन्यवाद अंजुम जी।
भावुक कर रही है यह संगत। लिखे के मूल्यों को जीवन में उतारने वाले विरले लेखक आदरणीय सर को सादर प्रणाम!
अंजुमजी के प्रश्नों ने रामदरसजी की साहित्य साधना के मंदिर में मुझ जैसे हिन्दी प्रेमियों की ओर से श्रद्धा काअखंड दीपक प्रज्ज्वलित कर दियाहै, आदरणीय मिश्राजी एवं हिन्दी साहित्य की अविरल बहती रहे।🙏🏾
मिश्र जी को सादर प्रणाम। उनको पढ़ना सुखद था। उनको देखना और सुनना और भी सुखद।🙏🏻🙏🏻🙏🏻
शतायु प्रोफ़ेसर रामदरश मिश्र जी की 'संगत' बहुत प्रेरक रही। उनकी स्पष्टवादिता, सहजता और महत्त्वाकांक्षाहीनता प्रशंसनीय व अनुकरणीय है। महिलाओं के प्रति उन्होंने प्रेम व सम्मान व्यक्त किया है, वह उन्हें पूजनीय बनाता है। वे शुद्ध भारतीय हैं।
बहुत ही खूबसूरत साक्षात्कार। ऐसा महसूस हो रहा था कोई पौत्र अपने दादाजी से प्यार से मन की बातें पूछ रहा हो।
अच्छी बातचीत। हिंदी विश्व के सबसे बूढ़े लेखक का जिंदादिली के साथ किया गया इंटरव्यू। उन्हें सुनना सदैव एक प्रीतिकर अनुभव होता है।
जी , बुजुर्ग हैं, बूढ़े नहीं!
सर्वप्रथम आपको मेरा प्रणाम 🙏🙏आज तक मै आपकी रचनाओं को पढ़ती थी और आज मै पहली बार आपको सुनी बहुत ही अच्छा लग रहा 🙏🙏😊
सादर प्रणाम! अंजुम शर्मा जी टिकाऊ और प्रभावी कार्य कर रहे हैं। आदरणीय रामदरश जी को सुनने का सौभाग्य मिला बहुत बहुत धन्यवाद संगत का
अंजुम भाई इसको मैं आपका पहला सफल साहित्यिक इंटरव्यू मानता हूं।
ऐसे ही आगे बढ़ते रहें।
Nisabbd hu etne mahaan vyaktitva Ko dekhna Mera Param soubhagya. Jiske liye Anjum ji ko sadhuvad 👏👏👏👏👏
हिंदवी पर 'संगत' का यह सिलसिला अविछिन्न चलता रहे, साहित्य प्रेमियों के लिए इससे आह्लादक क्या हो सकता है।❤
इस कड़ी में यथाशीघ्र स्वनामधन्य व्यक्तित्व श्री काशीनाथ सिंह जी का एक साक्षात्कार हम दर्शकों की लोकप्रिय मांग है!
जल्दी एक साक्षात्कार उनके साथ कीजिए अंजुम जी।❤
🙏🙏🙏 प्रणाम गुरूवर ईश्वर आपको स्वस्थ एवं दीर्घायु रखें।
अंजुम भईया का बहुत आभार उनकी संगत ऐसे ही धीरे धीरे चलती रहें यही कामना हैं।🙏
धन्यवाद अंजुम जी जो आपने यह संवाद पहुंचाया वास्तव में श्री मिश्र जी अपने आप में अद्भुत व्यक्तित्व के धनी थे और हैं 🙏
बहुत सुंदर साक्षात्कार, सर ने इतने विनम्रता के साथ सभी प्रश्नों का जवाब दिये। बहुत कुछ सीखने को मिला, अंतिम में जो कविताएं सर ने पढ़ी, उसका तो कोई जवाब ही नहीं। उसको सुननें के बाद लगता है कि ये पंक्तियां हर इंसान पर फिट बैठेगी।👏👏
आदरणीय रामदरश मिश्र जी को सादर प्रणाम। ॠतुएं आती रहें और वे अनगिनत वसंत देखें और वे वसंत उन्हें रचनात्मक ऊर्जा देते रहें। संगत की शानदार प्रस्तुतियों के लिए अंजुम जी को हृदय से बधाई और शुभकामनाएं!
सहज व्यक्तित्व! 1985-86 के आसपास पी यू चंडीगढ़ मे हिंदी विभागाध्यक्ष के कार्यालय में अंतरंग मुलाकात हुई थी। मिश्र जी एक वाईवा के सिलसिले में आए थे। प्रोफेसर सहगल, प्रोफेसर मेंहदीरत्ता और हम तीन चार छात्र। तब तक इन का लिखा कुछ न पढ़ा था । आज भी उतने ही सादा, उतने ही सरल। हिंदी साहित्य को आप पर गर्व है। आप स्वस्थ रहेंगे, हम सब को प्रेरित करते रहेंगे। ❤
बहुत बहुत धन्यवाद संगत 👏👏
बाबूजी को सुनना अप्रतिम अनुभव देता है। जीने का गुर सीखते हैं।❤
बहुत सहज सरल सम्मानित रचनाकार को प्रणाम
अद्भुत, अकल्पनीय,असिम ❤💐🌺🌼🌷🙏🌹👌👌👌👌👌👌
आदरणीय मिश्र जी को मेरा सादर प्रणाम🙏 बहुत सुखद साक्षात्कार 🙏 शुक्रिया अंजुम जी😊
मजेदार ! पुनर्जन्म के बाद पी एच डी करने की बात।😊
विलक्षण व्यक्तित्व और कृतित्व जो स्वयं में अनुवर्ती पीढियों के लिये अनुकरणीय जीवन दर्शन है। मिश्र जी की यशस्विता उनके रचनाकर्म में ही नहीं वंश परंपरा में भी दृष्टिगत है ।
विद्वान् व्यक्तित्व को सादर दणडवत् प्रणाम।
बहुत सुन्दर एवं प्रेरक साक्षात्कार।ऐसे सरल,सहज महान व्यक्तित्व को नमन।
बहुत अच्छा साक्षात्कार। कितना संवेदनशील। आनंद आया। बधाई।
इस एपिसोड का इंतजार था, जो पूरा हुआ।
🙏
एक युग को हमारे सामने प्रस्तुत करके आप जो मिशाल कायम किए वो बहुत ही सराहनीय है । आपको बहुत बहुत बधाई और नमस्कार ।
जिस मन्नन द्विवेदी से मिश्र जी सर्वाधिक प्रभावित थे ,सौभाग्य से मै उसी गजपुर गाँव का हूँ। जिसके बारे में इन्होंने अपनी आत्म कथा सहचर है समय में विस्तार से जिक्र किया है
रामदरश जी की सहजता प्रीतिकर है। निराला और फिराक में कतिपय असहजता थी, जो नहीं होती तो भी दोनों धरोहर ही रहते।
Shat shat Naman
उत्कृष्ट सर जी
आपके बहुत बहुत धन्यवाद सर जी
बहुत जरूरी काम आपने किया है, रामदरश जी तो अचंभित करते हैं।
अविस्मरणीय
शत शत नमन आदरणीय चाचा जी को, प्रेरणा स्रोत हैं आप हम सब के ,बहुत बहुत उम्दा साक्षात्कार।
Wonderful! So fit in this age. Amazing memories and physical fitness. May God bless him with good health!
This heavy loaded life energy can only flow from a great personality like him..
अद्भुत 👌👌🙏🙏💐💐
बहुत सुंदर🎉
Guru shrest Mera bhi pranam
धन्यवाद अंजुम जी सुंदर साक्षात्कार के लिए
सुखद अनुभव है आपको सुनना
हिंदी साहित्य जगत के इस युग पुरुष से हाल में दिल्ली गमन के दौरान मेरी मुलाकात हुई, इसे मैं अपना परम सौभाग्य मानती हूं।
🥰🥰
बहुत बढ़िया बातचीत । ऐसी संगत दुर्लभ है ।
सादर प्रणाम।
Happy 100th birthday to sir....incredible milestone....a vintage
Sadar pranam, dumari wale baba ko
वाह!
बहुत ही शानदार इंटरव्यू, बहुत अच्छा लगा पूरी बातचीत सुनकर ।आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
आपसे एक गुजारिश है अंजुम sr जी आप साहित्यकार बल्लभ डोभाल जी का भी इंटरव्यू लें।आज डोभाल जी उम्र के 95 वे पड़ाव पर है । वे किसी भी आंदोलन से जुड़े नही । वे बहुत प्रसन्न होंगे अगर आप उनसे मिलेंगे। डोभाल जी नोएडा w 46 मे अकेले ही जीवन यापन कर रहे हैं। वे एक वरिष्ठ साहित्यकार हैं । तिब्बत की बेटी उनका प्रशिद उपन्यास है।
शानदार ग़ज़ल है ... धीरे धीरे
शानदार १०० साल ❤
बढ़िया संवाद।
GOD bless you sir !!!...
बहुत उम्दा साक्षात्कार🙏🙏🙏
अपूर्व साक्षात्कार ❤
आभार अंजुम।
बहुत अच्छा लगा सुनकर 🙏🙏
सादर प्रणाम
Awesome
संगत को फिर से साप्ताहिक करें।
यशस्वी दीर्घजीविता ।
प्रेरणादायक उद्धरण
🙏🙏
❤
👍❤👌
Jis jindagi mein mahatvakanksha hi na ho, toh kya fayda 100 jine ka, mujhe bhagwan aaj utha le toh bhi apni mrityu ka welcome karunga😢
अंजुम भाई, सहज भाव से जो झरता जा रहा है वार्ताकार के मुख से, उस प्रवाह को आप कई बार रोक देते हैं।शायद आपको लगता है कि भेंटवार्ता में आपका योगदान कम हो रहा है।वरिष्ठतम साहित्यकार को थोड़ा और समय और आदर दे सकते थे आप।बुरा न मानना।
पर निःसंदेह ये कार्यक्रम अमूल्य हैं।
Anchor chuyita hai. Baar baar tokta hai. Bolne hi nahi de raha. Itna buzurg admi betha hai bolne tho de unko.
शतक लगा दिया क्या काम है
जिस मन्नन द्विवेदी से मिश्र जी सर्वाधिक प्रभावित थे ,सौभाग्य से मै उसी गजपुर गाँव का हूँ। जिसके बारे में इन्होंने अपनी आत्म कथा सहचर है समय में विस्तार से जिक्र किया है
जिस मन्नन द्विवेदी से मिश्र जी सर्वाधिक प्रभावित थे ,सौभाग्य से मै उसी गजपुर गाँव का हूँ। जिसके बारे में इन्होंने अपनी आत्म कथा सहचर है समय में विस्तार से जिक्र किया है