Це відео не доступне.
Перепрошуємо.

Sangat Ep77 | Rameshwar Rai on Teaching, Criticism, Poetry, Bhasha, Hindu College & DU| Anjum Sharma

Поділитися
Вставка
  • Опубліковано 27 чер 2024
  • हिंदी साहित्य-संस्कृति-संसार के व्यक्तित्वों के वीडियो साक्षात्कार से जुड़ी सीरीज़ ‘संगत’ के एपिसोड 77 में मिलिए आलोचक रामेश्वर राय से
    SANGAT Episode 77 | Hindwi | RAMESHWAR RAI | Anjum Sharma
    संगत के अन्य एपिसोड्स देखने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ : • संगत
    Hindwi channel is part of Hindwi.org website. The website is a initiative of Rekhta Foundation, dedicated to Hindi literature.
    हिन्दवी के सोशल मीडिया चैनलों से जुड़िए :
    Facebook : / hindwiofficial
    Instagram : / hindwi_offi. .
    Twitter : / hindwiofficial
    Telegram : t.me/Hindwiofficial
    #Hindwi #Sangat #Interview

КОМЕНТАРІ • 102

  • @sudhirkumaracharyji9937
    @sudhirkumaracharyji9937 20 днів тому +5

    रामेश्वर जी बहुत विद्वान, तार्किक और सत्यनिष्ठ व्यक्ति है। बहुत अच्छा लगा इनको सुनकर।

  • @learnwithsahilkairo
    @learnwithsahilkairo 27 днів тому +7

    लगातार 11 वर्षों से सर को लगातार सुनने के सौभाग्य के बावजूद उनकी बातें कभी दोहराव से भरी और बासी महसूस नहीं होतीं! आश्चर्यजनक है, पर शायद ये भी एक बड़ी वजह है जो एक शिक्षक के रिटायर होने से पहले ही उन्हें उनके विद्यार्थियों में किंवदंती में तब्दील करती है। अपने कुछ अति-आग्रहों के बावजूद सर अद्भुत हैं! ❤

  • @ashokseth2426
    @ashokseth2426 Місяць тому +16

    बहुत सुलझे हुए विचार ओर प्रभावी संप्रेषण रामेश्वर राय जी की आवाज़ भी मुग्ध करने वाली है।

  • @suambadakumari3100
    @suambadakumari3100 Місяць тому +10

    अध्ययन का मतलब है निरंतर जीवित होने की प्रक्रिया... हमेशा की तरह राय सर को सुनना और बार बार सुनने की इच्छा पैदा होना... नये-नये विचारों से अवगत कराना ही राय सर को एक सुलझे हुए ईमानदार प्राध्यापक की श्रेणी में रखती है। अहंकार और आत्ममुग्धता से परे अपनी विद्वता से छात्रों के अंदर ऊर्जा और स्फूर्ति प्रदान करने में सर का योगदान अतुलनीय है। आज के दौर में भारत को ऐसे शिक्षक की बहुत ज्यादा जरूरत है। बहुत बहुत बधाई रामेश्वर सर और संगत की टीम को 🎉🎉

  • @user-mg6sb8kz9h
    @user-mg6sb8kz9h Місяць тому +7

    मैं बहुत ही सौभाग्यशाली हूं कि मैंने रामेश्वर राय सर से शिक्षा पाई है। सर को बहुत दिनों बाद आपके चैनल पर देखना आपके प्रति कृतज्ञता के भाव उत्पन्न करता है। 1998 -2001 बैच हिंदी ऑनर्स हिंदू कॉलेज।

  • @rkmishra_vaishnav
    @rkmishra_vaishnav 17 днів тому +3

    आचार्यवर प्रोफेसर रामेश्वर राय सर को सुनना स्वयं को बहुआयामी दृष्टि से परिष्कृत करना है। हिन्दवी पर आजतक मैंने जितने लोगों का साक्षात्कार देखा है उन सब में रामेश्वर राय सर का साक्षात्कार सर्वोत्तम है।
    रामेश्वर राय सर जी को‌ कोटि-कोटि प्रणाम..🙏🙏
    बहुत बहुत आभार हिन्दवी और अंजुम जी 🙏🙏

  • @संदीपpunia
    @संदीपpunia Місяць тому +5

    रामेश्वर राय होना अध्यापक शब्द का सार्थक प्रयाय है । वास्तविक अर्थों में ऐसे अध्यापक विरले ही देखने को मिलते हैं । परीक्षार्थी और विद्यार्थी के संबंध में अंतर को बड़ी ही सहजता से व्यक्त किया है । लेकिन हिंदी विभाग या किसी अन्य विषय के विभाग में देश के अधिकांश संस्थानों में महज़ परीक्षार्थी बनाने की होड़ जारी है, लेकिन ये होड़ एक दिन अवश्य ही समाप्ति की तरफ अग्रसर होगी और निश्चित तौर पर हम सभी इसमें भागीदार भी होंगे । साक्षात्कार के लिए अंजुम शर्मा और हिंदवी का हार्दिक आभार 👏

  • @singhveenavatsal5115
    @singhveenavatsal5115 Місяць тому +7

    बहुत ही सुलझे हुए विचार हैं. इनसे पढ़ने वाले विद्यार्थी सौभाग्यशाली हैं. धन्यवाद इस इंटरव्यू के लिए.

  • @therealgirl8030
    @therealgirl8030 27 днів тому +2

    बहुत बहुत धन्यवाद अंजुम जी!
    ऐसी आधुनिक विभूति से परिचित करवाने और सुनने का अवसर देने के लिए। हम जैसे हिन्दी विद्यार्थियों के लिए इतना विस्तृत संसार बनाने का काम आप और आपके चैनल के माध्यम से बख़ूबी किया जा रहा।
    सभी हिन्दी प्रेमियों को sir को ज़रूर सुनना चाहिए।
    मैं अब समझ सकी कि क्यों इन दिव्य ज्ञान समाहित कर्ता को सुनने के लिए एक भीड़ सी बन जाती रही।

  • @ajayanurag
    @ajayanurag Місяць тому +5

    शानदार! अंजुम जी, आपका शुक्रिया !!
    ऐसे ही शानदार शिक्षक डॉ. बलराम तिवारी सर का भी एक साक्षात्कार जरूर करें।

  • @gulabsingh-wh8wf
    @gulabsingh-wh8wf Місяць тому +2

    सर को सुनने पर ‘वाणी का अमृत' सुनाई पड़ता है। सर जिस ढंग से अपनी बात रखते हैं वह वक्तृत्व की कला नहीं जान पड़ती है। सर के शब्दों में शब्द खाली देहमात्र नहीं हैं, उनके द्वारा उच्चरित शब्दों के भीतर आत्मा भी ज्योतिर्मय है। उनके शब्द केवल शब्द नहीं हैं उनके शब्दों में साधा हुआ चारित्रिक सत्य है। यह शब्दों का नहीं चरित्र का बल है जिस कारण उनकी आस्था को कोई डिगा नहीं सकता।

  • @manojkumarjain1838
    @manojkumarjain1838 18 днів тому +1

    अब तक का सबसे प्रभावशाली साक्षात्कार बहुत बधाई अंजुम जी आपको भी

  • @manojkumarjain1838
    @manojkumarjain1838 18 днів тому +1

    अन्तिम प्रश्न का कितना शालीन उत्तर वाह 🎉🎉

  • @rahuldevahirwarofficial
    @rahuldevahirwarofficial Місяць тому +2

    शिक्षा की दुनिया में सर एक भरोसा है । जिन पर विद्यार्थी विश्वास कर सकते हैं ।
    बहुत दिनों बाद सर को सुना । तीन वर्ष की क्लास के बाद,इस वीडियो को एक और क्लास के रूप में जोड़ा जा सकता है । कुछ दशकों के लिए यह इंटरव्यू हो सकता है । लेकिन सर के छात्रों के लिए यह किसी क्लास से कम नहीं ।

  • @shashankshukla2410
    @shashankshukla2410 Місяць тому +3

    प्रो राय प्रतियोगी परीक्षा के लिए भी पढ़ाते रहे हैं, इसलिए वे सरलीकरण के शिकार हो जाते हैं.

  • @dr.shahid1966
    @dr.shahid1966 Місяць тому +4

    Anjum Sharma.I want to commend you on the incredible work you're doing on the Hindwi UA-cam channel. Although I am an Urdu speaker and don't understand Hindi, I find myself thoroughly enjoying your interviews with Hindi writers. Your engaging style and insightful questions transcend language barriers, making these conversations captivating and enriching. Keep up the fantastic work!

  • @divyasuhag5164
    @divyasuhag5164 Місяць тому +1

    अंजुम जी बहुत अच्छे विद्यार्थी रहे होंगे 🌹आदरणीय राय जी के सभी वक्तव्यों से सहमत हूँ। पहली बार सुना इन्हें। आभार🙏

  • @rajeshdangar7915
    @rajeshdangar7915 9 днів тому

    problem with Freud's theory 32:48 , beautiful explanation of Renaissance 36:23 , manushyaa ki paribhasha 38:55 , kisey acchi rachna kahaa jaye 42:11 , on taking notes 1:12:16 , Relation/role with literature 1:15:09

  • @rishabhyadav-5117
    @rishabhyadav-5117 Місяць тому +1

    विश्वविद्यालय के द्वारा दिया हुआ सिलेबस तो आज भी सर के लिए उतना ही चुनौतीपूर्ण है , अमूमन जितना उनकी शुरुआत में रहा होगा ।

  • @dr.m.k.pandey4894
    @dr.m.k.pandey4894 Місяць тому +1

    ❤राय सर को सुनना बेहद ज्ञानप्रकाश और रोचक होता है शुक्रिया अंजुम

  • @anhadnaad5082
    @anhadnaad5082 19 днів тому

    बहुत ज्ञान वर्धक जानकारी के लिए शुक्रिया। कविता या विचार से दुनिया तब बदल सकती है अगर विचार बदल सकते हों तो।

  • @PushpendraMishra-zy4dq
    @PushpendraMishra-zy4dq 22 дні тому

    इस पहल के लिए हिन्दवी का बहुत बहुत धन्यवाद। कृपया इसे जारी रखें,...

  • @ajaykumarzero
    @ajaykumarzero Місяць тому

    जीवन और दुनिया पर अपनी राय रखने के लिए अगर कोई नदी और प्रवाह जैसे शब्दों का इस्तेमाल करें तो इसका मतलब है कि वह जीवन और दुनिया का गंभीर अध्येता है। बहुत ही सुंदर इंटरव्यू.....अंजुम भाई....

  • @nareshjain6575
    @nareshjain6575 Місяць тому

    अब तक सभी कवियों/मनीषियों को सुना , पहली बार स्पष्टता और पारदर्शिता के साथ बहुत कुछ सीखने समझने मिला . साहित्य के बारे में दृष्टिकोण बदला . रामेश्वर राय जी सच में शिक्षक हैं...... लोक शिक्षक !!

  • @pallavisharma4963
    @pallavisharma4963 Місяць тому

    ऐसे शिक्षक को मेरा विनम्र प्रणाम! उनकी सधी हुई भाषा, ज्ञान और और सरलता से बहुत सीखने को मिला! कन्वर्सेशन के दौरान इतनी बार उन्होंने ऐसी बात कही जिसे बार - बार सुनने का मन हुआ; अंजुम जी आपको किन शब्दों में धन्यवाद दूँ !

  • @newmanavjagartiandolan1882
    @newmanavjagartiandolan1882 Місяць тому

    रामेश्वर राय को नमस्कार शिक्षक लेखक होने के बावजूद पाठक होने में संतुष्ट होना इन्ही के शुरुआती व्य्क्त्व को सही साबित करता है कि हम किसी सृजन कृति को पढ़ कर आपका आईडिया( व्यक्तित्व) बनता है।
    बहुत अच्छा लगा खुली अभिव्यक्ति के सरोकारी को सुनकर,
    महिपाल मानव हिसार हरियाणा

  • @drirchouhanhindisahitya3560
    @drirchouhanhindisahitya3560 Місяць тому

    एक अच्छे इंसान और अच्छे अध्यापक से रूबरू करवाया आपने।सहज चीजों को समझाने की चेष्टा दिखती है

  • @kartikeyashukla5628
    @kartikeyashukla5628 Місяць тому +2

    वे लोग सौभाग्यशाली होंगे, जो प्रो. रामेश्वर राय से पढ़े होंगे।

  • @manojanuragi5292
    @manojanuragi5292 22 дні тому

    ऐसे अध्यापक होना वास्तव में विद्यार्थियों के लिए सौभाग्य की बात है

  • @daauji07
    @daauji07 Місяць тому

    Main Kai vishyayo pr Rai sir se aasahmat hu parantu aapko sunte hue har baar bahut kuch seekhne milta hi hai . Pranaam🙏

  • @ashapandey9233
    @ashapandey9233 Місяць тому

    कितना अच्छा तरीका है समझाने का,सर को प्रणाम।अंजुम जी, आपके प्रश्न आपके सतत अध्ययनशील होने का प्रमाण है। बहुत अच्छा साक्षात्कार।

  • @PublicHealthand.Poetry
    @PublicHealthand.Poetry Місяць тому

    अंजुम जी,आप संगत प्रोग्राम को बहुत अच्छे से चला रहे हैं।आज शाम हमें इस का 77 एपिसोड सुनने को मिला । कहा जा सकता है कि रामेश्वर राव जी ने आपके प्रश्नों को पकड़ा और हम ने अर्थ भरपूर उत्तर सुने।इस से ये कहा जा सकता है कि रामेश्वर राव जी ने आपके प्रश्नों को पकड़ा और उनके अर्थ भरपूर उत्तर सुनने को मिले।
    उन्होंने ज़िंदगी में अध्यापन के असल मतलब समझ कर इन को हमारे जैसे लोगों तक संचारित किया।आप के संगत कार्यक्रम में जितने भी लोग शामिल हुए हैं, उन से अक्सर यही सुना है कि साहित्य किसी बदलाव का कारण नहीं होता, लेकिन मन नहीं मानता। हर एपिसोड के बाद कुछ न कुछ बदलाव महसूस होता है, भले ही वो बहुत बड़ा बदलाव न हो। क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य के छात्र के रूप में हम यही कह सकते है, ऐसा करने से बदलाव संभव हो सकता है । डॉ मोहन बेगोवाल

  • @ashokseth2426
    @ashokseth2426 Місяць тому

    कितनी खूबसूरत बात मेरा साहित्य से वही संबंध हैं जो लताजी और रफी साहब का गायन से है। वाह!

  • @dr.chaitalisinha6352
    @dr.chaitalisinha6352 Місяць тому

    शुक्रिया अंजुम जी इस बार आपने संगत में मेरे प्रिय गुरु को आमंत्रित किया। सर की सादगी और विनम्रता को प्रणाम। आज के समय में जहाँ कुछ लोगों को अपने ज्ञान का अहं इतना है कि वेअपने सामने किसी को कुछ नहीं समझते, वहीं सर की विद्वता और उनकी विनम्रता , ठोस बौद्धिकता में समाहित है। दिखावे से दूर उनमें जो एक सच्चाई है वह एक विधार्थी को सर्वाधिक प्रभावित करता है। सर को स- आदर प्रणाम। 🙏🙏

  • @avagallery6599
    @avagallery6599 Місяць тому

    अंजुम जी शुरुआत में रामेश्वर सर के वाक्यों ने जता दिया कि इंटरव्यू कितना शानदार है
    बहुत खूब, इस इंटरव्यू के लिए हार्दिक बधाई।

  • @ankitachauhanyt
    @ankitachauhanyt Місяць тому

    बोला कैसे जाए, सीखने के लिए इस बातचीत को कई बार देखा जाएगा। बेहतरीन डॉक्यूमेंटेशन। शुक्रिया हिन्दवी ❤

  • @cowzah8551
    @cowzah8551 Місяць тому

    बहुत आभार संगत का रामेश्वर जी से मुझे इस बातचीत के जरिए मिलवाने का....में उनके बारे में पहले जानता नहीं था.. संजीदगी और सहजता के एक अद्भुत मिश्रण से उन्होंने अपनी बातें कहीं. . आध्यात्मिक दृष्टि से परिपूर्ण. प्रेम और मृत्यु का जो जोड़ बैठाया, वो नहीं भूलेगा. और अंत में जिस तरह उन्होंने मुस्कुरा कर "ठीक है"कहा, उसमे एक शांति की अनुभूति हुई:)

  • @shashankshukla2410
    @shashankshukla2410 Місяць тому

    प्रो राय की दृष्टि स्पष्ट है. यह बड़ी बात है. असहमति हो सकती है. कई जगहों पर रही भी... बावजूद

  • @user-uf5wm8fm7i
    @user-uf5wm8fm7i 26 днів тому

    Aalochana Ki Varna Vyavastha.
    It was there from the very beginning. Now you have brought it out in public discourse.
    Obviously good things have begun to happen in the closed world of Hindi literature.
    In fact I have great hopes from the young generation of poets and fiction writers who are in the age group of 25-40.

  • @PriyanshuKanhaiya
    @PriyanshuKanhaiya 29 днів тому

    सर! के द्वारा शब्दों का उच्चारण मन-मोह लेता है।

  • @truthbeyondhype7123
    @truthbeyondhype7123 Місяць тому

    पहली बार आपके चैनल पर आया हूँ.....भाषा शैली और टॉपिक शानदार है.....

  • @pawanparastish4779
    @pawanparastish4779 28 днів тому

    सर की बातें बहुत ही विचारणीय हैं। क्योंकि जिस दौर में हम बन रहे हैं या हमें बनाया जा रहा है उस दौर में हमें यह जान लेना ज़रूरी है कि हम न बन सकते हैं और न हमें बनाया जा सकता हम जो होते हैं उसी में ज़रूरी बदलावों के साथ आख़िर में वही हो जाते हैं। और कोई भी लीक अथवा खाँचा हमें बाँध नहीं सकता और हमें बंधना भी नहीं चाहिये। वैसे आज की ही नहीं सदियों से चली आ रही शिक्षा पद्धति कैय करना है यानी उल्टी करना अर्थात पहले खावो और फ़िर ---
    तो हमें अपने आप को किसी और के निर्णयों का कीर्तन नहीं करना होगा। हमें हमारे समय के यथार्थ को ध्यान में रख कर अपने निर्णय निर्धारण करने होंगेऔर उसमें यह गुंजाइश छोड़ देनी होगी कि आने वाली पीढ़ी अपने निर्णयों का निर्धारण कर सके हमारे निर्णयों को अंतिम सत्य नहीं मान बैठे।

  • @user-yg4ew5qu3v
    @user-yg4ew5qu3v Місяць тому

    एक अध्यापक और एक साहित्य विमर्शकार के रूप में यह भेंट वार्ता बेहद निर्भीक और सकारात्मक रही l

  • @rohitdwivedi7711
    @rohitdwivedi7711 Місяць тому

    एक बेहतर साक्षात्कार के लिए अंजुम जी धन्यवाद ।

  • @user-qt6li3jr4s
    @user-qt6li3jr4s Місяць тому +6

    कृपया संगत में अपूर्वानंद को भी बुलाए। अंजुम ये आपसे व्यक्तिगत अनुरोध है।

  • @user-ye4lr8dk4k
    @user-ye4lr8dk4k Місяць тому

    बढ़िया एपिसोड रहा। ज्ञानवर्धक।

  • @SushantJha-pc2qw
    @SushantJha-pc2qw 29 днів тому

    सुंदर और ज्ञानप्रद साक्षात्कार। बार-बार सुनने लायक।

  • @manimohanmehta6828
    @manimohanmehta6828 Місяць тому

    Very impressive and lucid …one of the best interview by Anjum ❤

  • @gcbagri3573
    @gcbagri3573 Місяць тому

    Nice Comment Dr. Sahid. I think you are enjoying because you understand Hindi. Distance is very thin Dr. Saheb.

  • @sunokahaniwithsantosh
    @sunokahaniwithsantosh Місяць тому

    Thank you for bringing a new episode every Friday

  • @nirdoshkumar7034
    @nirdoshkumar7034 Місяць тому +1

    बहुत सुंदर

  • @drnareshdalal02
    @drnareshdalal02 Місяць тому

    Very nice, thank you. Interesting.

  • @santoshkumar-bg4gr
    @santoshkumar-bg4gr Місяць тому

    It was very nice listening to him.

  • @amitraibxr
    @amitraibxr 18 днів тому

    बिल्कुल सत्य बात कर

  • @user-yk4et7nz6o
    @user-yk4et7nz6o Місяць тому

    प्रणाम सर 🙏🏻🙏🏻

  • @dr.vishalmishra2971
    @dr.vishalmishra2971 Місяць тому

    बेहद प्रभावी संप्रेषण 🎉

  • @purnimaojha6085
    @purnimaojha6085 Місяць тому

    वाह बहुत खूब

  • @user-qn3bx6lf6v
    @user-qn3bx6lf6v 27 днів тому

    अद्भुत ...

  • @shatrughnayadav3355
    @shatrughnayadav3355 20 днів тому

    साहित्य ही नहीं, सम्पूर्ण कलाओं को परिभाषित नहीं किया जा सकता। परिभाषा में बंध जाए तो वो कुछ भी हो कला नहीं। कला अनुशासन में नहीं हो सकती।

  • @manishyadav8124
    @manishyadav8124 27 днів тому

    Thank you so much sir ji 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉

  • @deepakkushwaha9849
    @deepakkushwaha9849 Місяць тому +5

    सर
    प्रोफ़ेसर कृष्ण कुमार को भी बुलाइए।

    • @ravirajan8740
      @ravirajan8740 Місяць тому

      किस विषय के हैं

    • @Anu-qd6ok
      @Anu-qd6ok 27 днів тому +1

      शिक्षा जगत की हस्ती हैं

  • @dineshpradhan5709
    @dineshpradhan5709 27 днів тому

    Wonderful,

  • @rajprabhakar2116
    @rajprabhakar2116 24 дні тому

    जबर्दस्त बातचीत

  • @archanalaark1413
    @archanalaark1413 Місяць тому

    आलोचना की वर्ण व्यवस्था खत्म होनी चाहिए। वाह।

  • @sushmachaturvedi9789
    @sushmachaturvedi9789 Місяць тому

    वाह!

  • @vivekanandcreator5108
    @vivekanandcreator5108 Місяць тому +1

  • @shashankshukla2410
    @shashankshukla2410 Місяць тому

    आलोचना साहित्य की बौद्धिक समझ है.

  • @shatrughnayadav3355
    @shatrughnayadav3355 20 днів тому

    यथार्थ और सत्य एक ही नहीं है।

  • @manojkumarjain1838
    @manojkumarjain1838 18 днів тому

    🎉🎉🎉

  • @OJACADEMY
    @OJACADEMY 26 днів тому

    Nice video

  • @aartibhagchandani7532
    @aartibhagchandani7532 28 днів тому

    मनुष्य एक संभावना है 👌👌

  • @prempalsharma7
    @prempalsharma7 Місяць тому

    एक उदात्त संवाद!

  • @utkarshpandey_du
    @utkarshpandey_du Місяць тому

    🙏🙏🌷

  • @manojkumarjain1838
    @manojkumarjain1838 18 днів тому

    ❤❤❤❤

  • @user-qn3bx6lf6v
    @user-qn3bx6lf6v 27 днів тому

    नीलाद्री भट्टाचार्य को यहां देखना सुखद होगा...कृपया उनको भी यहां बुलाया जाएं

  • @user-bm8jl9bz3p
    @user-bm8jl9bz3p Місяць тому

    ❤❤❤

  • @vijaysinghmeena900
    @vijaysinghmeena900 28 днів тому

    अंजुम जी ऐसे व्यक्ति से साक्षात्कार लेने से पहले आपको भी संपूर्ण हिंदी साहित्य पढ़ना चाहिए!!
    महेश कटारे के इंटरव्यू के दौरान आपके प्रश्न ऐसे लग रहे थे जैसे आपने कभी लोक साहित्य या लोक धारा का साहित्य पढ़ा ही नहीं।

  • @PrabhakarKumar-ug9nn
    @PrabhakarKumar-ug9nn Місяць тому

    एक सहज सम्वाद!

  • @ankur8478
    @ankur8478 Місяць тому +2

    प्रोफेसर कृष्ण कुमार को बुलाइये

  • @RohitYadav-tn7dc
    @RohitYadav-tn7dc Місяць тому

    वर्तमान समय के कुछ प्रमुख आलोचकों का नाम सुझाए जिनको सुनना जरूरी हो!

  • @shashankshukla2410
    @shashankshukla2410 Місяць тому

    आलोचना को जो नहीं समझ सकता, वह क्या अध्यापक बनेगा

  • @Ashanauliya
    @Ashanauliya Місяць тому

    Sir dr venita mam ko bhi buliye ❤❤ Swami shrdnand college du ke hai wo

  • @ravishanker9672
    @ravishanker9672 Місяць тому

    रामजी राय कब आयेंगे

  • @azadhind75
    @azadhind75 Місяць тому

    दादा प्रणय कृष्ण को बुलाइये।

  • @ashokseth2426
    @ashokseth2426 Місяць тому

    भाषा पात्रानुसार होगी ना तो फिर गालियों का निषेध पर इतना आग्रह क्यों रामेश्वर जी!

  • @user-br7jn3pw1h
    @user-br7jn3pw1h Місяць тому

    Sahitya ki thodi bahut samajh jo hai sir k karan hai,jab bhi unko sunte hai lagta hai man k bheeter kuch khul raha hai.

  • @prakashchandra69
    @prakashchandra69 Місяць тому +2

    हिन्दी लेखक-लेखिकाओं की उपस्थिति सिर्फ
    दिल्ली और हिन्दी राज्यों में ही नहीं हिन्दीतर क्षेत्रों में भी हैं। कभी वहां भी
    पहुंचे और उन्हें भी संगत के दायरे में लाएं।
    राय जी, साहित्य की स्वायत्तता अमूर्त है। कुछ भी स्वायत्त नहीं होता। व्यक्ति भी नहीं। जब आप किसी अवधारणा
    को रखते हैं तब आप भी स्वायत्त कहां
    रहते हैं। निर्वात में कुछ भी नहीं है।
    मुग़ल -ए-आजम की भाषा राजभाषा है
    जनभाषा नहीं।आधा गांव की गाली
    अस्वीकार्य और मित्रो मरजानी की गाली
    स्वीकार्य कैसे?
    बिंबवादी कविता है रामेश्वर जी की।प्रेम इतना आलंकारिक और वायवीय नहीं। अशोक वाजपेयी की प्रेम कविताएं भी
    ऐसी ही विज्ञापनी और कृत्रिम हैं।

    • @prabhakarmishra7377
      @prabhakarmishra7377 Місяць тому

      बहुत अच्छा अध्ययन करते हैं आप, ऐसे पाठकों की भी बहुत कमी हो गई है, आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूं। फणीश्वरनाथ रेणु जी ने जैसा लिखा है वैसा होना चाहिए लेखक को

    • @maneetayadav6393
      @maneetayadav6393 28 днів тому

      🎉

  • @rakibulhossain1160
    @rakibulhossain1160 Місяць тому

    Sangat ki..???

  • @rahulasthana4607
    @rahulasthana4607 Місяць тому +2

    इनकी बातें अच्छी लग रही थीं लेकिन अफ़सोस कि ये गालियों को लेकर पूर्वग्रह से ग्रसित हैं और गालियों को नकारने के लिए बेसिरपैर की बातें कर रहे है।
    ज़रा इनसे पूछिए कि भीषम साहनी की कहानी "ओ हरामज़ादे" का शीर्षक इसके अलावा क्या हो सकता है ? शायद ये "ओ दुष्ट" या "ओ पापी" कहें लेकिन इससे तो कहानी की हत्या हो जायेगी
    और उसका पाप इनके सर पर लगेगा ।

  • @madhavasamvad6537
    @madhavasamvad6537 Місяць тому +1

    अंधहि अंधा ठेलिया...।
    आलोचना इतना भर होती है कि अभी तक टेक्स्ट को कब, कैसे और कितना समझा गया है। उसका एक सिरा अनिवार्य रूप से अनंत की ओर खुलता है। आप ऐसा न कर पाएं तो आलोचना क्या करे!
    परंपरा को आत्मसात कर नवीन गवाक्षों का अन्वेषण कर पाना कमज़ोर लोगों का काम नहीं है।

  • @Logomaker-h2v
    @Logomaker-h2v Місяць тому

    ❤❤❤

  • @UnknownSprw
    @UnknownSprw Місяць тому

    ❤❤❤