मुकेश जी और राम पुनियानी जी, आप दोनों को ढेर सारा अभिनंदन और बहुत बहुत धन्यवाद मनुस्मृति को अच्छी तरह समझाने के लिए। ब्राह्मणों ने बड़ी ख़ूबसूरती से मनुस्मृति को बनाया और लोगों को भयभीत कर के आज भी चला रहे हैं…! बुद्धिमान ब्राह्मण सत्ता में शीर्षस्थ भी रहे और सामान्य ब्राह्मण देवी देवता, भूत पिशाच और दूसरे जन्म का डर बता कर लोगों से पैसा, आभूषण आदि दान के रूप में लेते भी रहें…! बढ़ियाँ संयोजन…!!
@Stock 4me You can enjoy your free speech, because constitution has enshrined this on you, otherwise with Manu Smriti you would have been sacrificed to please the Gods. Your choice of words clearly shows your class and how irrelevant it is too engage with you in any future conversation.
छत्तीसगढ़ के विभिन्न हिस्सों में एक प्रथा प्रचलित थी जिसके अनुसार नवविवाहिता स्त्री को शादी की पहली रात राजा के घर रहना पड़ता था। इस विषय पर भी कुछ बोलना चाहिए
इसे शुद्धिकरण कहते, जो तथाकथित सवर्ण मानने वाले लोग जो अपने आप को शुद्ध समझते थे वह मानते थे कि शूद्रों को विवाह से पूर्व उनके यहां शुद्धिकरण के लिए आना चाहिए जिससे स्त्री शुद्ध हो जाए।
एक देवदासी प्रथा भी है भाई जिसके बारे में यदि आपने पढ़ लिया तो रूह कांप जाएगी आपकी, इस प्रथा के अनुसार स्त्रियों को मंदिर में देव दासी बना कर दान कर दिया जाता था जहां पर उसके साथ वहां एक प्रकार से भोग की वस्तु बन जाती थी
मुकेश जी और पुनियानी जी की सार्थक बहस मनुस्मृति तथा ब्रह्मणवादी मानसिकता की की है । भारत में बौद्ध और जैन धर्म का हिन्दु धर्म की आडम्बर अंधविश्वास पाखंड को जनता को समझाया । सार्थक चर्चा बहुत बढ़िया
Bodh Dharam mein bhi do tareh ke hain aur Jain Dharam mein bhi digambar aur shwetambar Hain Jo apas mein sambandh nahi rakhte.Sirf Hinduon ko jation aur samudayon ke Karan doshi manna uchit nahi hai.
@@NadeemKhan-bz8hb अत्याचार और असमानता को बढ़ावा देना ही एक उद्देश्य है । राम पुनियानी जी ने इनकी पोल उजागर कर दी है। डॉ अम्बेडकर ने अपनी कइ किताब द्वारा इनके षडयंत्र का पर्दाफाश किया है। छूतअछूत और क्या है, शोषण-दमन का झरिया है। किसी को शर्म भी नही आती है।
@BRIJ SAXENA antar bhi hay or samanata bhi, samanta yah ki un ko Shri Raam ne mara or antar yah un me se pahale do ka koi kasur nahi tha, rahi baat aap ki to aap vishamta k puraskarta banana chahonge k samanata k yah aap par nirbhar hay. Aap ne jo bhashya aap k gantavya me diye ho or aap jis granth ka support karte ho wah aap k vichardhara k hisab se sahi ho sakate hay par kya sahi me yah naitik hay yah bhi bataiye. Kya aap aaj bhi warna vyavasta ko samaj par thopana chahate ho yah bhi 🙏
प्रोफेसर श्री मुकेश कुमार जी एवं इतिहास के जानने वाले विद्वान श्री राम पुनियानी जी आपको तहेदिल से जय भीम नमो बुद्धाय, आप दोनों विद्वानों ने मिलकर इतिहास से अनजान लोगों को इतिहास के बारे में नयी दिशा और रोशनी💡🔦 देने का अनूठा प्रयास किया है जो सराहनीय एवं प्रशंसनीय है🙏💕
ऐसे विवादास्पद विषय पर ऐसा सही प्रकाश डालने के लिए आपका बहुत बहुत आभार और धन्यवाद। ऐसे ही सामाजिक कुरीतियों से पर्दा उठाते रहिए ताकि सभी समझदार लोग समाज में तथाकथित "समरसता" नामके ढौंगी शब्द का बहिष्कार करने केलिए तत्पर हो और समाज में बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर जी की विचारधारा के अनुरूप "समता "का माहौल बनाने में मदद मिले। धन्यवाद जी।
मुकेश कुमारजी एक दुष्ट व्यक्ति पढ़लिखकर और अच्छी सैलरी पर जाकर ब्राम्हणों से जलन और तीव्र ईर्ष्या का जहर उगलता ही है, यह अच्छी तरह जाना हुआ तथ्य है। प्रोफेसर राम पुनियानी इस्लामिक आतंकवाद के समर्थन, वामपंथी एजेंडा फैलाने, जलन के कारन जो कई जगह इसी तरह की जानबूझकर दुष्प्रचार करते हैं। यह भलीभांति जानी हुई बात है। वैसे जातीय नफरत, ब्राम्हणों के विरुद्ध ईर्ष्यापूर्ण प्रचार में काफी पैसा और अन्य सुविधाएँ भी बांटी जा रही हैं। आप कितना कमाते हैं इसका मुझे पता नहीं है। फिर भी ऐसा ही प्रयास आप पर्यावरण को सुधारने, पशुओं को बचाने, मोहल्ले में स्वच्छता बनाए राखमे में करें तो अच्छा होगा। वैसे इस राम पुनियानी का योग चेहरा नहीं देखना चाहते हैं यह बहुत बदनाम है। कृपया अपनी लोकप्रियता खराब न करें।
सही कहा आपने,,,,,,, सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए, चाहे वो कड़वी या मधुर हो।हम आपसे भी इसी तरह की उम्मीद करते हैं कि आप भी इस्लाम धर्म की उन सामाजिक बुराइयों को समझकर, स्वीकार करें और उसपर चर्चा करें। जिससे लोगों का जीवन प्रभावित होता है, फिर उनका समाधान निकालने पर समाज सुधारकों को वो समाधान समाज में लागू करने वाले आंदोलन चलाने चाहिए। हर धर्म,समुदाय में जो बुराइयां हैं,उन समाजों के पढ़े लिखे लोगों का फर्ज़ बनता है कि उन सामाजिक बुराइयों को दूर करने वाले असरदार उपाय करने चाहिए। धन्यवाद
@@ravipchhokar3792 Koran se Bharat me kisi ko fark nhi padta Kyuki bahusankhyak Hindu hai aur RSS ka ek hi lakshya hai Manusmriti ko as a samvidhan laagu karna 🤔🤔🤔 Jisse obc SC ST ki gulami pakki hai 🙄
@@NadeemKhan-bz8hb वो बात अलग है,लेकिन क़ुरान में जो कुरितियां और बुराइयों को तो बताना हर सच्चे मुस्लमान का फर्ज़ बनता है ना, मुस्लमान यानी जिसका ईमान मुकम्मल हो,,,,,, मुस्लिम समुदाय को कितने साल हो गए हैं रहते हुए, आज़ भी उनकी स्थिति बद। से भी बदतर हो गई है। मनु-स्मृति ने तो OBC, ST, SC को सक्षम नहीं होने दिया, लेकिन मुस्लिमों को किस वजह से शिक्षित और समृद्ध नहीं होने दिया। जबकि मुस्लिम समुदाय को सरकार की तरफ से भी बहुत अनुदान दिया जाता रहा है। इस बात को स्वीकार किया जाए या नहीं,,,,,आप खुद ही सोचिए और उस मुस्लिम समुदाय से न्याय कीजिए जो अशिक्षित, अपराधी और अतिपिछड़ा है। इस बात को स्वीकार कर गहराई और गंभीरता से समझना होगा,हर भारतीय मुसलमान को,,,,,,, जय फुले दम्पति, जय बाबा साहेब, जय छोटूराम, जय कांशीराम,,,,,,, #जय भीम जय भारत#
@@ravipchhokar3792 PHULEY FAMILY WAS ABLE TO MAKE THEIR MARK IN HISTORY BECAUSE OF A GREAT MUSLIM LADY NAMED AS FATIMAH WHO PROVIDED THE LAND FOR THE TEACHING CLASSES.
@@razamojizraza आपने जो लिखा है वह सही है लेकिन मैं आपसे पूरी तरह से सहमत नहीं हूं। क्योंकि आपने मेरे सवाल का जवाब वाजिब नहीं दिया है। मैंने जो सवाल किया था, आपने जवाब उससे एकदम अलग दिया है।आप यह जरूर सोचिएगा की फुले दम्पति को पाठशाला के लिए जमीन मुहैया कराने वाली फातिमा बी ने शोषितों और वंचितों के साथ साथ महिला व बालिकाओं को शिक्षा दिलाने में मदद की, जो उन दिनों के हालातों में एक महान क्रांतिकारी परिवर्तनों में से एक था। देश उन महिलाओं और महापुरुषों का क़यामत तक ऋणी रहेगा जिन्होंने देश व समाज को जागरूक किया। लेकिन बावजूद इसके मुस्लिम लड़की और महिलाओं की शिक्षा में सुधार क्यों नहीं आया। दुसरी बात यह है कि अगर फुले दम्पति को जमीन मुहैया मुस्लिम महिला ने नहीं की होती तो क्या फिर पाठशाला नहीं बनाया जाता। आप की सोच और जवाब पर तरस आता है। आपको अहसान मानना चाहिए उस महान फातिमा बी और फुले दम्पति का जिन्होंने आपसी भाईचारे को बढ़ावा दिया और अब इतिहास में हमेशा हमेशा के लिए याद किया जाता है।इन बातों से धर्म बड़ा नहीं होता है बल्कि हर अच्छे लोगों के अच्छे कार्यों के कारण ही धर्म बड़ा कहलाता है ना कि धर्म से कोई व्यक्ति बड़ा कहला सकता है। @इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही पैगाम हमारा........# आपसे एक निवेदन है कि आप अंग्रेजी में चर्चा ना करें क्योंकि मुझे अंग्रेजी कम आती है। आपको अंग्रेजी अच्छी आती है बहुत खुशी की बात है, लेकिन अगर चर्चा हिन्दी में हो तो काफ़ी लोगों को समझने में आसानी होगी। धन्यवाद।
इसे पढ़ता ही कौन है।हमारे धर्म मे बहुत सारी किताबे है पर जो सबसे बुरी है उसी पे चर्चा होती है। आज के कितने युवा होंगे जो इसे जानते और पढ़ते होंगे सिर्फ वही जिन्हें मंच पर बैठकर बुराई करनी है। और दूसरी किताबे पढ़ लो जैसे श्रीमद्भागवत गीता
@@Thepatriot8356 : जब सत्ता में हीं मनुवादी बैठे हैं! सत्ता के हिसाब से प्रजा और देश चलता है! BJP आने के बाद इस किताब पे कुछ ज्यादा हीं चर्चा शुरू हो गया है! सरकार तो कांग्रेस की भी थी उस टाइम इतना तो नहीं था!
ब्राह्मण वाद के सारे धर्म ग्रंथों की रचना छठी शताब्दी के बाद की है, संस्कृत भाषा भी बुद्ध के बाद की है, संस्कृत पाली और प्राकृत के बाद की भाषा है, क्योंकि किसी भी धर्म ग्रंथों का पुख्ता प्रमाण नहीं मिला है
Bhasha ke baare me vivaad hai.humaara maanana isse alag hai bashaye samkaaleen hi rahi hongi ya kuch aage peeche par rajya prabhutva ghatne badhane ke karan samapt hui jaise ki sanskrit ka ant hindi ke roop me ya anya bhasao ka vilupt ho jana ye bhi rajya shashan se badalne ke karan hua.iske avshesh aap aaj bhi dekh sakte hain jaha rajyo me hindi ek tarah probitated language hai ya majboori ki bhasha hai.pakistan me to lipi ka sampoorna naash hi hai.
स्वाभाविक है कि मनुस्मृति के अनुसार जिन जातियों को श्रेष्ठ बताया कहा गया है वे इसकी प्रशंसा करेंगे और जिन्हें निम्न कहा गया है वे मनुस्मृति की भर्त्सना करेंगे । जिस धर्म ने अपने अनुयायियों को ऊंच - नीच में विभक्त कर रखा है ।उस धर्म को धर्म कहना मूर्खता है।
मनुस्मृति को सरकार द्वारा प्रतिबंधित किया जाना चाहिए, क्योंकि इसकी बहुत सी बातें संविधान की मूलभावना के विपरीत है ,जैसे : महिलाओं और sc, st, obc ko अपमानित करती हैं l
@@sowmenmukherjee-team7916 apke pass book he us kis time me likhi gyi he kis bhasa lipi me likhi gyi he usko likhne vala ka name kya he hme batayiye aapke pass to orijnal hogi
मनुस्मृति एक संकीर्ण मानसिकता छिन्न-भिन्न संस्कृति का बिगड़ा स्वरूप है यह कोई धर्म ग्रन्थ नही माना जा सकता यह एक सत्ता कबजांवर के सत्ता बनाने के बाद संकीर्ण मानसिकता का भविष्य के लिए दुराचारीयो को उर्जा देने के किया क्योकि अन्ध भगत हर दोर मे रहा
@@anilsinghal2312 han to koi mutpine wale dharm ko chodna chahe to fir tum logon ko bura kyn lag jata he…….Ambedkar ne sahi kaha tha….hindu dharm chod ke kisi bhi dusre dharam me chale jao
@@devasharma5478 कतई किसी को बुरा नहीं लग रहा है. ऐसे लोगों से तो सिख धर्म भी पसंद नहीं कर रहा. सिंधु बार्डर पर धर्म प्रेमी निहंग सिख ने अपने ग्रंथ को ऐसे लोगों से बचाने के लिए बहादुरी दिखाई है. मंदिर प्रवेश तक पर आपत्ति जगजाहिर है. ये लोग जितनी जल्दी बौध्द बन जायें वही बहतर है. मीडिया की खबरों के अनुसार लोग इन्हें पास तक बैठाना पसंद नहीं करते, इनके हाथ का पानी तक नहीं पीते, अपना मकान तक किराए पर नहीं देते, ऐसी स्थिति में बुरा लगने का तो प्रश्न ही नहीं.
अंग्रेजो ने हम भारतीयों को कैसे गुलाम बनाया भाई क्या वो भी मनुस्मृति का सहारा लिए। ब्रिटिश शासन से पहले के भारतीय ग्रंथ पढ़ कर देखो फिर समझ में आयेगा की जातिवादी व्यवस्था किसने बनाया। और अगर जाति व्यवस्था ग़लत है तो फिर संविधान में क्यों जाति व्यवस्था है उसे भी जला सकते हो।
सिर्फ दुष्ट प्रवृत्ति के बामन ही अब मनु स्मृति को support करता है l सत्य हिंदी और श्री राम पुण्यानी जैसे विद्वानों का बहुत बहुत धन्यवाद जिन्होंने भूत काल में जाकर वर्त्मान के लिए बहुजनों के लिए एक सार्थक और सच्चा ज्ञान दिये 👏👌🙏 ll
इस चर्चा में बौद्ध धर्म का भारत में पूर्णतः समूल उच्छेद कर ब्राह्मणवाद की दृढ़तापूर्वक सफल पुनर्स्थापना करनेवाले आदिशंकराचार्य की भूमिका का उल्लेख अपरिहार्य था।जो नहीं हुवा। यह बड़ी चूक कही जायेगी।
@@romilmahant2971 भारत और भारतीयता पर,मानव समता पर,जन्म से जाति/वर्ण निर्धारण के बकवास पर,वर्ण-जाति अनुसार दण्ड/पुरस्कार के बारे में मनुस्मृति के आदेश बतायें!!
Manusimriti ek science hai humanity ka bas need hai to dimaag kholkar padne ki kyonki manu bhawaan ne insaan ka pehla bhagwaan maa ko hi bataya hai yeh to uska basic science hai samjhne aur seekhne aur jin logo ke dimaag khulein hai unke liye
यह दुष्ट और कपटी लोग हम लोगों को गुलाम बनाकर रखने की एक साजिश थी हमारी किस्मत अच्छी थी कि बाबा साहब ने 25 सितंबर को मनुस्मृति में आग लगाकर इन कपटी लोगों को हमें बचाया जय हो बाबा साहब की🙏
महत्वपूर्ण चर्चा । बधाई । जहां तक मैं समझा हूँ ये मूल लड़ाई इतिहास और कल्पना की है । मसलन, हिन्दू धर्म के अलावा भारत में जितने भी धर्म हैं, चाहे वे इस देश की धरती पर पैदा हुए, फले-फूले या फिर विदेश से आए, वे हकीकत पर आधारित थे जैसे बौद्ध, जैन, इस्लाम, ईसाई और सिख धर्म । इन कल्पनावादियों ने ही समाज को अलग अलग वर्णों और बाद में जातियों में तोड़ा । इसमें जन्म और कर्म का सिद्धांत भी अव्यवहारिक है इससे जो भारत, सम्राट असोक और नन्द के राज में महाभारत बन रहा था, वह सिकुड़ता चला गया । बाबासाहेब ने भारत से महाभारत बनने और बौद्ध-जैन धर्म के उदय को क्रांति कहा था , जो वास्तव में धर्म नहीं धम्म यानि एक जीवन दर्शन, जीवान जीने की कला है । हिन्दू धर्म जो प्रारंभ में हिन्दू नहीं था । इसके कई नाम थे । इसके पुनः स्थापित होने को ही बाबासाहेब ने प्रतिक्रांति कहा है । मनुस्मृति भी उसी प्रतिक्रांति की देन है । क्रांति-प्रतिक्रांति का ये सिलसिला आज तक जारी है । अगर ये सिलसिला रुका नहीं तो भारत के पुनः विखंडित होने का खतरा है । सुदेश तनवर 9868862563 / 9999093364
आप दोनोको नमन ! ब्राम्हणबादी बिषमतामूलक मनुस्मृती के मूल्य मान्यताके बारेमे सूक्ष्म विश्लेषण करके जानकारीयाँ देनेके लिए मै नेपाल से आभार व्यक्त करता हुँ । नमो बुद्धाय: ! जय भीम !!
Mukesh ji, Manu Smriti ki sateek jaankari ke liye hardik dhanyavad. Manu Smriti ki baat to bahut hoti hai, lekin janta ko bahut kuchh nahi maloom hai. 👌
@BRIJ SAXENA और नारी वो है जो शादी से पहले पिता के अधीन रहे /शादी के बाद पति के अधीन रहे और पति के बाद पुत्र के अधीन रहे / जो यह नहीं मानते हैं वो कुलक्षणा स्त्री हैं /यह मनुस्मृति के दोगलापन है
मनुस्मृति एक महान ग्रंथ है जिसे आधार बनाकर पूरे विश्व में सामाजिक, न्यायिक और राजनीतिक व्यवस्था बनाई गई है. इससे सटीक विश्लेषण इस संसार में और कोई किताब में नहीं है.कोई कितना भी पढ़ ले और कितनी भी डिग्रियां हासिल कर ले, वो कभी भी राम, कृष्ण या बुद्ध नहीं बन सकता.
@BRIJ SAXENA to Ambedkar ne manusmriti kyun jalayi aur buddh Dharm kyun adopt kya aur yeh kyun kaha ki mein hindu paida to hua hoon lekin hindu marunga nahin.
@BRIJ SAXENA don't call them momin they r Pakistani aap bhi zara Jamiat ulama e hind aur unki desh k prati sewa ko jaaniye agar Ambedkar ne Islam nahi qabul kiya to ye muslim ki ghalti thi Islam ki nahin. Maulvi Ahmadullah Shah, maulana Husain Ahmad Madni ko padhiye tab samajh mein aayega ki desh sewa kisne ki thi.
प्राचीन भारत में जातियां तो थी पर जातिवाद नही था..भारत मे कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था थी.. वर्ण (वरण) का एक अर्थ "चुनना" या "ग्रहण" करना भी होता है... वर्ण व्यवस्था मे सभी को कर्म के आधार पर कर्म करते हुए उपर उठने का अधिकार था.. वाल्मीकि जंगल में रहने वाले भील जाति के थे..रत्नाकर (वाल्मीकि) लोगों को लूटता और हत्याये करता था..परंतु बाद में राम नाम जप कर ब्रह्मर्षि हो गए.. इसी तरह विश्वामित्र जन्म से क्षत्रिय थे पर बाद में तप से राजर्षि और बाद में अहंकार का नाश होने पर ब्रह्मऋषि हुए... ,शबरी जो भीलनी थी उसे मतंग ऋषि ने शरण दी और वह राम की भक्ति करते हुए साक्षात राम के दर्शन कर पाई... व्यास केवट जाति की माता से पैदा होने के बावजूद महर्षि वेदव्यास कहलाये और वेद के ज्ञान को ही अट्ठारह पुराण के रूप में प्रस्तुत किया ...राजा भरत(क्षत्रीय) जिनके नाम से हमारे देश का नाम भारतवर्ष पड़ा...कर्म के आधार पर उनके 100 पुत्रो मे में से 82 वेदपाठी ब्राह्मण, 9 क्षत्रीय राजा और 9 योगेश्वर (सन्यासी) हुए... वही ब्राह्मण माता पिता से जन्म लेने के बावजूद अजामिल,धुन्धकारी आदि को उनके बुरे कर्म के कारण शूद्र (संस्कारहीन) ही माना गया.. ब्राह्मण पिता की संतान होने के बावजूद रावण को उसके निकृष्ट कर्मो के कारण राक्षस ही कहा जाता है...ऐसे अनेको उदाहरण है जिससे सिद्ध होता है कि वर्ण व्यवस्था जन्म आधारित नही बल्कि कर्म आधारित थी... हाँ , हम यह मानते है कि लगातार विदेशी आक्रमणो और उसके परिणाम स्वरूप इस व्यवस्था मे खराबी जरूर आई और समाज में उच्च और नीच का वर्गवाद पनपता और बढ़ता गया... अन्त में अन्ग्रेजो की गुलामी से आजादी के बाद भी हमे हमारी पुरानी व्यवस्था के इतिहास को सही से न बताया गया और न ही पढ़ाया गया.. हमे मार्क्सवाद प्रेरित घृणित इतिहास पढ़ाई गई और हमारा बटाँ हुआ सनातनी समाज और भी बटता ही गया ... आज हमारे आप जैसे युवा भी पूर्व की गलतियों से सीखकर सनातन समाज को एकजुट करने की बजाय उस जातिवाद की ईर्ष्या भरी खाई को और गहरी करने का काम कर रहे है... कृपया सनातन समाज को तोड़ने की बजाय जोड़ने का काम करे जिससे हृदय की ईर्ष्या की अग्नि शान्त होगी और सच्चे अर्थो में आनंद और बुद्धत्व के मार्ग की प्राप्ति होगी ।
जी! प्रो मुकेश कुमार एवं प्रो राम पुनियानी साहब आपने बहुत ही अच्छी और प्रासंगिक चर्चा जनहित मे की है! जब देश और विश्व बहुत बहुत आगे की ओर देख रहे है! मनु स्मृति जैसी किताबे बढ़ती प्रगति के विपरीत हजारो वर्ष पीछे की कलातीत ब्यवस्था की ओर ले जाने का प्रयास है!!!
थैंक्यू सर आप को बहुत बहुत धन्यावाद जी आप ने हमे महान विचार शेयर किया ओर हमे हमारे देश की मनुस्मृति के बारे मे बताया सर मनुस्मृति की बात करे तो यह हमारे देश को वापसी गुलाम बना सकती है इस ग्रन्थ मे शुद्र के साथ अत्याचार ओर क्रूरता है एसे मे मनुस्मृति की ओर नही देखा जाना चाहिए
@@nityanandsingh3968 जी , ज्ञान की बात अब जाके आपने की है.. पढ़ने से कोई ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता है.. ज्ञान केवल आपकी सेवा करने से ही प्राप्त कर सकते हैं.. आप यह ज्ञान किसकी सेवा करने के बाद प्राप्त कर लिया है?
@BRIJ SAXENA अब क्या रिप्लाई करू आपको सक्सेना जी सदियों se तुम लोगो ने इन ग्रंथो की आड़ मे लोगों को गुलाम बनाया अब तो ये ढोंग करना बंद करो बक्श दो, आने वाले टाइम मे लोगो दूसरे प्लैनेट्स मे रहने लगेंगे. यहाँ तो तुमने ये झूठे भगवान बना दिए.... other planets पर क्या करोगे इस देश को आगे बढ़ जाने दो.. इंसान ने धर्म बनाया है धर्म ने इंसान nahi बाकी गाली देनी है तो दो.. मैं तुम्हारे भीतर मौजूद ईश्वर को नमन करता हूं 🙏
@@PawanKumar-hj9kc kayasth samaj ko apna itihaas hi nahi malum innke bare mai khud manu ke kiya vichar hai kiya inko malum hain? Agar kisi kayastha ki parchhayee Brahman par pad jaye to turant ussko suraj ki taraf dekhna chahiye. Innko Brahman ne Yam ke lekha jokha rakhne wale Chitargupt ka vanshaj bataya. Ram Vishnu Brahma Shiv ka vanshaj nahi kaha. Ye log Shudar samaj ke hain jinhe Brahman ne shadyantar ke karan savarn category mai shamil kiya ye vaishye se neeche hi hain abhi bhi. Ye naye naye sawarn apne ko ziyada sawaran sabit karne mai lage rahte hai. Kabhi kayastha samaj se aane wale Munshi Premchand ko padh lo apne samaj ki sachchai pata chal jayegi.
मनुवाद जन्म के आधार पर ही था , वरना शुद्रों को वेदों का ज्ञान वर्जित नहीं किया जाता , यदि शुद्र वेदों की शिक्षा ग्रहण कर लेंगे तो वे ब्राहम्णो के समकक्ष हो जाते ।
Today is 79th foundation day of Azad Hind Fouz (INA) having 43000 soldiers.They had done matchless sacrifices to attain Freedom for this country. Mohan Singh ,Shah Nawaz ,Gurbax Singh Dhillon , Prem Sehgal & Mohammad Jama Kiyani were main Generals of INA.🙏
Sir आपका इस तरह का विश्लेषण बहुत ही ज्ञानवर्धक और समाज को सही दिशा देने वाला होता है ..... कृप्या इसी तरह का आप विश्लेषण करते रहिए और समाज को जागरूक करते रहिए .......😮😮😮😮😮😮😮😮
I am a hindu an ex-Defence ( NAVAY) doctor.i have read Buddhas history and Dhamma.it is very good and practical for living day to day life.No hatred no castism no lies.i saute buddhism.if we follow his teaching.India will not suffer like now
हमारा संविधान हमें और हमारे समाज को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है.. जबकि मनुस्मृति बिल्कुल इसके विपरीत हमें और हमारे समाज को प्रकाश से अंधकार की ओर ले जाता है.. जिस तरह से समाज विरोधी फिल्मों को बैन कर दिया जाता है, उसी भाँति इस विकृत मानसिकता वाली पुस्तक को बैन कर देना चाहिये.. और समाज में समरसता का भाव संचार का प्रसार करें..!!!
सत्य रूप में जो भी आसमानी किताबे पुरे विश्व में है वो कोई भी किताब सत्य रूप में आसमानी नही है । जिस वक्त जिस किताब का उदय हुआ व जिसने किया वो व्यक्ति उस वक्त अपने समूह पर अपनी बात रखने का प्रभाव रखता था व साथ ही साथ व्यक्तिगत तौर पर ताकतवर था अपने प्रभाव की ताकत को मजबूत करने के लिए उसने अपना दर्शन शास्त्र आसमानी किताब के रूप में प्रभावित कर अज्ञानता पर अपने ज्ञान की जीत करी। मात्र स्वयं की ताकत के पक्ष के लिए किया गया प्रयास व साथ ही साथ अज्ञानता की स्वीकृति और राज तन्त्र की बनने वाली ढाल में संयोग ने उसे 100% सत्य रूप में पीढ़ी दर पीढ़ी शेशव के ज्ञान के रूप में प्रभावित ने मानसिकता में सत्य कर दिया । इसलिए यदि एक नए युग का प्रयास करना है तो सभी आसमानी किताबों को पुर्ण रुप से प्रतिबंध लगाने पर ही मानवीय सभ्यता में बदलाव आएगा ।
@@ramjain8115 कुछ लोग धर्म की राजनीती करके देश और राज्य की सत्ता को हथिया कर मुखिया के रूप में आसीन होना चाहते हैं। देश का कोई भी नागरिक चाहे वह किसी भी समुदाय से हो किसी भी धर्म में आस्था रखता हो उसको देश में किसी भी तरह का दंगा फसाद खून खराबा स्वीकार नहीं होगा .जहाँ केवल और केवल मानवता और मासूम की जान जाती हो। क्या हम और आप ने कभी इस बारे में सोचा है की हमारी भावना संवेदना क्यों उन राजनेताओं के हाथों में है जो कभी भी देश में शांति नहीं चाहते। क्यों किसी को हिंदुत्व खतरे में लगता है किसी को इस्लाम किसी को ईसाईयत खतरे में लगता है। परिवर्तन ही संसार का नियम है और समय के अनुसार स्वयं को ढालना ही समझदारी है, इतिहास गवाह है कि जो समाज वक्त के साथ नहीं चला वक्त ने उस समाज को इतिहास बना दिया.
जब तक यस सी , यस टी, ओ बी सी हिंदू धर्म में रहेंगे तब तक मनुस्मृति ग्रंथ का प्रभाव रहेगा. इन तीनों के हिंदू धर्म को छोड़कर किसी अन्य धर्म को अपनाने से मनुस्मृति का प्रभाव समाप्त हो जायेगा.वह धर्म केवल और केवल बौद्ध धर्म ही है🇮🇷💢🇮🇷💢🇮🇷💢🇮🇷💢🇮🇷💢🇮🇷💢
मुकेश कुमारजी एक दुष्ट व्यक्ति पढ़लिखकर और अच्छी सैलरी पर जाकर ब्राम्हणों से जलन और तीव्र ईर्ष्या का जहर उगलता ही है, यह अच्छी तरह जाना हुआ तथ्य है। प्रोफेसर राम पुनियानी इस्लामिक आतंकवाद के समर्थन, वामपंथी एजेंडा फैलाने, जलन के कारन जो कई जगह इसी तरह की जानबूझकर दुष्प्रचार करते हैं। यह भलीभांति जानी हुई बात है। वैसे जातीय नफरत, ब्राम्हणों के विरुद्ध ईर्ष्यापूर्ण प्रचार में काफी पैसा और अन्य सुविधाएँ भी बांटी जा रही हैं। आप कितना कमाते हैं इसका मुझे पता नहीं है। फिर भी ऐसा ही प्रयास आप पर्यावरण को सुधारने, पशुओं को बचाने, मोहल्ले में स्वच्छता बनाए राखमे में करें तो अच्छा होगा। वैसे इस राम पुनियानी का योग चेहरा नहीं देखना चाहते हैं यह बहुत बदनाम है। कृपया अपनी लोकप्रियता खराब न करें।
प्रो. मो.मुकेशजी, डा. मो. पीडियानिजी आपकी कोशिश रंग लाएगी!कभी न कभी या कयामत तक आपके प्रलाप से दूसरे भी रूदन जरूर करेंगे?प्रकृति के रहस्य से आप परिचित है और प्रकृति आपके आधीन है,मेरा अनुरोध है की आप दोनों ही ईश्वर के मैसेंजर है, मैं आशा करता हूं की आप अवतार ही है !आप सभी विषयों के अधिकृत प्रकांड ऋषि हो...गहरे पानी पैठ के मंडुक तुम्हारी जय जय...
डा.राम पुनियानी जी ने मनु स्मृति में जातिगत (वर्णवादी) व्यवस्था के बारे में अलग-अलग कोणों से जानकारी दी है , और ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्यों व क्षुद्रों के बारे में बारिकी से विश्लेषण तथा हमारे संविधान निर्माताओं ने बौद्ध दर्शन व जैन दर्शन जो ब्राह्मण वादी मूढ़ परंपराओं व स्त्रियों एवं क्षुद्रों के हितार्थ संविधान की पृष्ठभूमि को समझाया है पुनियानी जी को साधुवाद सहधन्यवाद साथ ही चैनल सत्य हिंदी के एंकर महोदय को गहनता से प्रश्नावली व जिज्ञासा भरी जानकारी चाहने पर साधुवाद सहधन्यवाद।
शूद्रं/ शूद्रन/ शूद्रण - का मतलब तपस्वी/उत्पादक/ शिल्पकार/ निर्माता/ उद्योगण है। कृतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार । चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार । चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम। ब्रह्म वर्ण = ज्ञान वर्ग मुख समान । क्षत्रम वर्ण = ध्यान वर्ग बांह समान। शूद्रम वर्ण = तपस वर्ग पेट समान। वैशम वर्ण = तमस वर्ग चरण समान। राजसेवक = दिल राजन्य समान। चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम। 1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन 2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय 3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन 4- वितरक वणिक = वैश्य इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = राजसेवक/दासजन/ सेवकजन/नौकरजन। यही है चतुरवर्ण कर्म विभाग वर्ण व्यवस्था। जो मानव जन वर्ण कर्म विभाग जीविका प्रबन्धन विषय को लेकर दुविधाग्रस्त रहते हैं वे बतायें कि चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम, वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
सनातन वैदिक दक्ष धर्म - अनुसार - शूद्रन भी अपने कार्य बढ़ाने पर नौकर (दास) को रखता है l शूद्रण जन द्वारा दासी (नौकरानी) या दास (नौकर) की स्त्री में यदि संतान उत्पन्न की जाती है, तो वह पिता की औरस (अपनी पत्नी से उत्पन्न ) संतान के बराबर धन भाग लेगी, यही सनातन वैदिक धर्म व्यवस्था है l सनातन धर्म संस्कृति श्लोक - ॐ दास्यां वा दासदास्यां वा य: शूद्रस्य सुतो भवेत् l सोअनुज्ञातो हरेदंशमिति धर्मो व्यवस्थित: ll (वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र) l यंहा यह जानना चाहिए कि शूद्रम वर्ण एक उद्योग उत्पादन विभाग होता है और इस विभाग में कार्य करने वाले मानव जन शूद्रन (उत्पादक /शिल्पकार/उद्योगपति) होते हैँ l शूद्रन अपना उत्पादन उद्योग निर्माण कार्य बढ़ाने पर वेतन भोगी दासों (नौकरों /सेवकों) को रखते हैँ l शूद्रन जन को अपने पास रखे गए नौकरो/सेवको (दासों) के साथ मर्यादा पूर्ण व्यवहार आचरण करना चाहिए और दासी (सेविका/नौकरानी) के साथ योंन सम्बंध नहीँ बनाना चाहिए l चारो वर्णों (विभागों) के कार्य जैसे कि शिक्षन, शासन, उत्पादन और वितरन कर्म करने के लिए वेतन भोगी दासो (नौकरों /सेवकों) को रखना होता है l पेशाजाति कार्यों को करने वाले इंसानो के लिए पेशापदवि होती हैं l जो पेशाजाति कर्म करते हैं वो असली पेशाजाति वाले होते हैं लेकिन जो बिना पेशाजाति कर्म किए भी किसी पेशाजाति को मानते हैं तो वो मात्र नामधारी पेशाजाति वाले बने रहते हैं l सभी पेशाजाति को चार विभागों (वर्णों) में बांटकर कर चार वर्णिय कार्मिक वर्णाश्रम व्यवसायिक व्यव्स्था प्रबन्धन किया गया है l वर्ण वाला कर्म जो भी करते हैं वो असली वर्ण वाले होते हैं और जो बिना वर्ण कर्म किए किसी वर्ण को मानते हैं वो मात्र नामधारी वर्ण वाले बने रहते हैं l वंशज्ञातियों गोत्रों को विवाह सम्बन्ध बनाए रखने के लिए ऋषि संसद द्वारा निर्मित किया गया है l चार वर्ण विभाग व्यवस्था प्रबंधन अनुसार - 1. अध्यापक चिकित्सक संगीतज्ञ = ब्रह्मण 2. शासन रक्षक न्याय कर्ता = क्षत्रिय 3. उत्पादक निर्माता उद्योगण = शूद्रण 4. वितरण व्यापार कर्ता = वैश्य l चरण चलने से स्थान बदलने से ही व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य आढ़त वित्त वैश्य वर्ण कार्य होता है इसलिए चरण समान वैश्य वर्ण विभाग होता है। 5 . पांचवे वेतन भोगी नौकर = दासजन /सेवकज़न चारो वर्ण (विभागों) में कार्यरत हैं l सरकार भी वेतन भोगी जन जनसेवक नौकर रूप में कार्यरत है। व्रात्य = अशिक्षित ज़न को कहा गया है I
जय फुले दम्पति, जय बाबासाहेब, जय छोटूराम, जय कांशीराम,,,,,,,,,,,हर समझदार और संस्कारी लोगों का फर्ज़ बनता है कि वो अपने जाति,समाज और धर्म की बुराइयों को समझकर स्वीकार करें और उन बुराइयों का निदान करने हेतु पुरजोर तरीके से अभियान चलाएं। धन्यवाद।।
Interesting 🧐 information ℹ️ Also understand laws of “Manu Smriti” extended to Burma, Thailand, Cambodia and Indonesia. Manu Smriti was first translated into English by “Sir” William Jones. in 1776 and used to construct the Hindu CASTE Laws for British East India 🇮🇳 Company !!
संसार में मनुष्य को सुख शांति से रहने और अंत में मोक्ष की ओर ले जाने वाला धार्मिक नियम कानून का कल्याणकारी धर्मग्रंथ है मनुस्मृति। जिन लोगों ने इसका अध्ययन नहीं किया ऐसे लोगों को इस कल्याणकारी धर्मग्रंथ को समझना संभव नहीं है । राधे-राधे
एक माध्यम से पैदा होता है , एक जैसा मरता है , एक ही ज़मीन का उगा हुआ खाता, पानी पीता है । फिर एक से दूसरा श्रेष्ठ कैसे हो सकता है। मनुवाद सामंतवाद , मनुस्मृति,,, ,, मुर्दाबाद मुर्दाबाद
वैदिक संस्कृति में स्त्रियों की रक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया क्योंकि स्त्री की रक्षा (यौन संरक्षण) ही वंश एवं समाज की शुद्धता सुनिश्चित करती है, इसलिए यह माना गया कि स्त्रियों को पारिवारिक पुरुषों (पिता, पति, पुत्र ) के संरक्षण में रहना चाहिए | पिता रक्षति कौमार्ये भर्ता रक्षति यौवने | पुत्रो रक्षति वार्धक्ये न स्त्री स्वातन्त्र्यमर्हति ||
शूद्रं/ शूद्रन/ शूद्रण - का मतलब तपस्वी/उत्पादक/ शिल्पकार/ निर्माता/ उद्योगण है। कृतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार । चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार । चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम। ब्रह्म वर्ण = ज्ञान वर्ग मुख समान । क्षत्रम वर्ण = ध्यान वर्ग बांह समान। शूद्रम वर्ण = तपस वर्ग पेट समान। वैशम वर्ण = तमस वर्ग चरण समान। राजसेवक = दिल राजन्य समान। चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम। 1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन 2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय 3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन 4- वितरक वणिक = वैश्य इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = राजसेवक/दासजन/ सेवकजन/नौकरजन। यही है चतुरवर्ण कर्म विभाग वर्ण व्यवस्था। जो मानव जन वर्ण कर्म विभाग जीविका प्रबन्धन विषय को लेकर दुविधाग्रस्त रहते हैं वे बतायें कि चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम, वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
अगर मनु स्मृति में नारी को तुच्छ समझा जाता तो फिर ये बहुत सारे श्लोक ऐसे हैं जो नारी के पक्ष में बृहद रूप से लिखा हुआ है । श्लोक इस प्रकार है :- यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः । यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।। मनुस्मृति ३/५६ ।। Anvaya: यत्र तु नार्यः पूज्यन्ते तत्र देवताः रमन्ते, यत्र तु एताः न पूज्यन्ते तत्र सर्वाः क्रियाः अफलाः (भवन्ति) । जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं। Where women are worshiped, there lives the Gods. Wherever they are not worshiped, all actions result in failure. शोचन्ति जामयो यत्र विनश्यत्याशु तत्कुलम् । न शोचन्ति तु यत्रैता वर्धते तद्धि सर्वदा ।। मनुस्मृति ३/५७ ।। Anvaya: यत्र जामयः शोचन्ति तत् कुलम् आशु विनश्यति, यत्र तु एताः न शोचन्ति तत् हि सर्वदा वर्धते । जिस कुल में स्त्रियाँ कष्ट भोगती हैं ,वह कुल शीघ्र ही नष्ट हो जाता है और जहाँ स्त्रियाँ प्रसन्न रहती है वह कुल सदैव फलता फूलता और समृद्ध रहता है । (परिवार की पुत्रियों, बधुओं, नवविवाहिताओं आदि जैसे निकट संबंधिनियों को ‘जामि’ कहा गया है ।) The family in which women (such as mother, wife, sister, daughter et al.) are full of sorrow that family meets its destruction very soon; while the family in which they do not grieve is always prosperous.
बहुत-बहुत धन्यवाद सत्य हिंदी को मनुस्मृति के सिद्धांतों को बहस में लाने के लिए और उस पर डिस्कशन करने के लिए मनुस्मृति के सिद्धांतों को लोगों के बीच में डिस्कस करना बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि आज भी भारत का बहुत बड़ा हिस्सा इसी सिद्धांत से चल रहा है और हमें सामाजिक समरसता नहीं जाति का विनाश चाहिए।
Janab mohtram : - SATYA HINDI : - sahib is very nice and very sunny and very lively and very good natural beautiful selection thankyou sir thankyou. App dono saiban ke bolney ka or program pash karney ka andaz bohot ahla ha Haq chach bahain karney per App ka bohot bohot shukria. Ham Sab ke Sarey Pakistan ke Allah pak ( BAGHWAN Gee ) sey dawah ha Ke app Or app ka Chanel bohot bohot taraki kary aameen sum aameen jazaqalla mashaalla zindabad inshaalla thankyou. Or Dawah ha ke app ke Mahain Baap jahain hain hamashain hamashain Kush Rahain app Ke Mahain Baap Bahaino Bahaion Bal Bachion Sarey Khandan Sarey koam kabeley per rahmatain ata farmay aameen sum aameen. App Hazrat bohot barha amil kam kar Rahain hain. We Love all hindus and we love all Dalit. And we love all people’s of INDIA shukria. Hamashain Kush Rahain. Please please Please please please merey Comments ka Jawab Apney interior Mahain Zoror zoror zoror degega To App ka bohot bohot shukria hoga. I’m Rawalpindi Islamabad Pakistan shukria. Akher mahain adab araz shab pakhar allah hafiz. Sir for your and all people’s people’s INDIA One Line Or Some Words In PASHTO Language It’s Meaning is Well Come To Pakistan Pakistan Pakistan Pakistan Pakistan. RASHA Rasha PAKISTAN Rasha RASHA.
human rights, democracy,equality believer n defender should not only just listen to such progressive videos but support them financially to continue the reforms in education.. Its great efforts sir.salute to your work.
मुकेश जी और राम पुनियानी जी, आप दोनों को ढेर सारा अभिनंदन और बहुत बहुत धन्यवाद मनुस्मृति को अच्छी तरह समझाने के लिए। ब्राह्मणों ने बड़ी ख़ूबसूरती से मनुस्मृति को बनाया और लोगों को भयभीत कर के आज भी चला रहे हैं…! बुद्धिमान ब्राह्मण सत्ता में शीर्षस्थ भी रहे और सामान्य ब्राह्मण देवी देवता, भूत पिशाच और दूसरे जन्म का डर बता कर लोगों से पैसा, आभूषण आदि दान के रूप में लेते भी रहें…! बढ़ियाँ संयोजन…!!
सही है
ज्ञानवर्धन सार्थक वार्ता के लिए डॉ. पुनियानी जी का हार्दिक धन्यवाद।
@Stock 4me You can enjoy your free speech, because constitution has enshrined this on you, otherwise with Manu Smriti you would have been sacrificed to please the Gods. Your choice of words clearly shows your class and how irrelevant it is too engage with you in any future conversation.
@@kiteorathat's why manusmriti is just Dirt that's oll because it only want rajput Brahmin to show their mentally and other are not
देश के हर नागरिक को मनुस्मृति के दुष्प्रभाव को उजागर करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
छत्तीसगढ़ के विभिन्न हिस्सों में एक प्रथा प्रचलित थी जिसके अनुसार नवविवाहिता स्त्री को शादी की पहली रात राजा के घर रहना पड़ता था।
इस विषय पर भी कुछ बोलना चाहिए
इसे शुद्धिकरण कहते, जो तथाकथित सवर्ण मानने वाले लोग जो अपने आप को शुद्ध समझते थे वह मानते थे कि शूद्रों को विवाह से पूर्व उनके यहां शुद्धिकरण के लिए आना चाहिए जिससे स्त्री शुद्ध हो जाए।
एक देवदासी प्रथा भी है भाई जिसके बारे में यदि आपने पढ़ लिया तो रूह कांप जाएगी आपकी, इस प्रथा के अनुसार स्त्रियों को मंदिर में देव दासी बना कर दान कर दिया जाता था जहां पर उसके साथ वहां एक प्रकार से भोग की वस्तु बन जाती थी
अकबर ने चलाई थी ये प्रथा।
@@hirdeshbhargavachal saboot de abhi
@@Hitler-v1h Jab Brahman-Rajpoot ke Pas koi jawab nahi Banta to ve iska dosh Mughlon-Angrejo pe laga dete hai..
मुकेश जी और पुनियानी जी की सार्थक बहस मनुस्मृति तथा ब्रह्मणवादी मानसिकता की की
है ।
भारत में बौद्ध और जैन धर्म का हिन्दु धर्म की आडम्बर अंधविश्वास पाखंड को जनता को समझाया ।
सार्थक चर्चा बहुत बढ़िया
Bodh Dharam mein bhi do tareh ke hain aur Jain Dharam mein bhi digambar aur shwetambar Hain Jo apas mein sambandh nahi rakhte.Sirf Hinduon ko jation aur samudayon ke Karan doshi manna uchit nahi hai.
@@vkchadha7430 Absolutely right sir
ram puniyani baampanthi hai ek no ka dogla manusmriti me chhercchhar kia gya hai y log galat bolta hai
The program divides us . Buddhism/ Jainism/ Sikhism/ Lingayats are no different & which is why there is no dispute among them & with rest of Hindus.
Pehle pata kar le Manu ब्राह्मण tha ki nahi 😂😂
जिस ग्रंथ में मानव कल्याण न हो, मानव में समानता न हो और मानव समाज में ऊर्जा न दें। ऐसा ग्रंथ अनुपयोगी हैं।
@BRIJ SAXENA
Kuch nhi hua woh samajhdaar aadmi hai use pata chal gaya ki tum kaun ho🤣🤣
Ab tu mujhe muslim hone ki wajah se gaali dega🤣🤣🤣
@@NadeemKhan-bz8hb अत्याचार और असमानता को बढ़ावा देना ही एक उद्देश्य है । राम पुनियानी जी ने इनकी पोल उजागर कर दी है। डॉ अम्बेडकर ने अपनी कइ किताब द्वारा इनके षडयंत्र का पर्दाफाश किया है। छूतअछूत और क्या है, शोषण-दमन का झरिया है। किसी को शर्म भी नही आती है।
@BRIJ SAXENA bohot hi sarthak bhashya nikala hay aap ne, aap Marich or Shambhuk yah do logon k bare me kya kahana chaonge saksena ji.
@BRIJ SAXENA antar bhi hay or samanata bhi, samanta yah ki un ko Shri Raam ne mara or antar yah un me se pahale do ka koi kasur nahi tha, rahi baat aap ki to aap vishamta k puraskarta banana chahonge k samanata k yah aap par nirbhar hay.
Aap ne jo bhashya aap k gantavya me diye ho or aap jis granth ka support karte ho wah aap k vichardhara k hisab se sahi ho sakate hay par kya sahi me yah naitik hay yah bhi bataiye.
Kya aap aaj bhi warna vyavasta ko samaj par thopana chahate ho yah bhi 🙏
@BRIJ SAXENA ऐसे पोंगापंथी संस्कृत शब्दों को पढ़ने और बताने से क्या होगा? धरातल पर तो तुमलोग गैर बराबरी ही करोगे।
मैने मनुस्मृति 2019 में पढ़ी थी वास्तव में ये ग्रन्थ घृणा ही फैलाने वाला है।मैने संकल्प किया कभी इसे पढ़ने की किसी को प्रेरणा भी नही दूँगा।
Right
सही है
Sabhi ko ye dharmik granth padne ki prerna deni chahiye kyonki
👍👍
@@rohitkhelwal9261
Hi 👋😊
प्रोफेसर श्री मुकेश कुमार जी एवं इतिहास के जानने वाले विद्वान श्री राम पुनियानी जी आपको तहेदिल से जय भीम नमो बुद्धाय, आप दोनों विद्वानों ने मिलकर इतिहास से अनजान लोगों को इतिहास के बारे में नयी दिशा और रोशनी💡🔦 देने का अनूठा प्रयास किया है जो सराहनीय एवं प्रशंसनीय है🙏💕
ऐसे विवादास्पद विषय पर ऐसा सही प्रकाश डालने के लिए आपका बहुत बहुत आभार और धन्यवाद। ऐसे ही सामाजिक कुरीतियों से पर्दा उठाते रहिए ताकि सभी समझदार लोग समाज में तथाकथित "समरसता" नामके ढौंगी शब्द का बहिष्कार करने केलिए तत्पर हो और समाज में बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर जी की विचारधारा के अनुरूप "समता "का माहौल बनाने में मदद मिले। धन्यवाद जी।
मुकेश कुमारजी एक दुष्ट व्यक्ति पढ़लिखकर और अच्छी सैलरी पर जाकर ब्राम्हणों से जलन और तीव्र ईर्ष्या का जहर उगलता ही है, यह अच्छी तरह जाना हुआ तथ्य है। प्रोफेसर राम पुनियानी इस्लामिक आतंकवाद के समर्थन, वामपंथी एजेंडा फैलाने, जलन के कारन जो कई जगह इसी तरह की जानबूझकर दुष्प्रचार करते हैं। यह भलीभांति जानी हुई बात है।
वैसे जातीय नफरत, ब्राम्हणों के विरुद्ध ईर्ष्यापूर्ण प्रचार में काफी पैसा और अन्य सुविधाएँ भी बांटी जा रही हैं। आप कितना कमाते हैं इसका मुझे पता नहीं है। फिर भी ऐसा ही प्रयास आप पर्यावरण को सुधारने, पशुओं को बचाने, मोहल्ले में स्वच्छता बनाए राखमे में करें तो अच्छा होगा। वैसे इस राम पुनियानी का योग चेहरा नहीं देखना चाहते हैं यह बहुत बदनाम है। कृपया अपनी लोकप्रियता खराब न करें।
राम पुण्यानी जी और भाई को सच्ची बात बताने के लिए तहे दिल से लाखों लाख बार सलाम
सही कहा आपने,,,,,,, सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए, चाहे वो कड़वी या मधुर हो।हम आपसे भी इसी तरह की उम्मीद करते हैं कि आप भी इस्लाम धर्म की उन सामाजिक बुराइयों को समझकर, स्वीकार करें और उसपर चर्चा करें। जिससे लोगों का जीवन प्रभावित होता है, फिर उनका समाधान निकालने पर समाज सुधारकों को वो समाधान समाज में लागू करने वाले आंदोलन चलाने चाहिए।
हर धर्म,समुदाय में जो बुराइयां हैं,उन समाजों के पढ़े लिखे लोगों का फर्ज़ बनता है कि उन सामाजिक बुराइयों को दूर करने वाले असरदार उपाय करने चाहिए।
धन्यवाद
@@ravipchhokar3792
Koran se Bharat me kisi ko fark nhi padta Kyuki bahusankhyak Hindu hai aur RSS ka ek hi lakshya hai Manusmriti ko as a samvidhan laagu karna 🤔🤔🤔
Jisse obc SC ST ki gulami pakki hai 🙄
@@NadeemKhan-bz8hb वो बात अलग है,लेकिन क़ुरान में जो कुरितियां और बुराइयों को तो बताना हर सच्चे मुस्लमान का फर्ज़ बनता है ना, मुस्लमान यानी जिसका ईमान मुकम्मल हो,,,,,, मुस्लिम समुदाय को कितने साल हो गए हैं रहते हुए, आज़ भी उनकी स्थिति बद। से भी बदतर हो गई है। मनु-स्मृति ने तो OBC, ST, SC को सक्षम नहीं होने दिया, लेकिन मुस्लिमों को किस वजह से शिक्षित और समृद्ध नहीं होने दिया। जबकि मुस्लिम समुदाय को सरकार की तरफ से भी बहुत अनुदान दिया जाता रहा है।
इस बात को स्वीकार किया जाए या नहीं,,,,,आप खुद ही सोचिए और उस मुस्लिम समुदाय से न्याय कीजिए जो अशिक्षित, अपराधी और अतिपिछड़ा है।
इस बात को स्वीकार कर गहराई और गंभीरता से समझना होगा,हर भारतीय मुसलमान को,,,,,,,
जय फुले दम्पति,
जय बाबा साहेब,
जय छोटूराम,
जय कांशीराम,,,,,,,
#जय भीम जय भारत#
@@ravipchhokar3792 PHULEY FAMILY WAS ABLE TO MAKE THEIR MARK IN HISTORY BECAUSE OF A GREAT MUSLIM LADY NAMED AS FATIMAH WHO PROVIDED THE LAND FOR THE TEACHING CLASSES.
@@razamojizraza आपने जो लिखा है वह सही है लेकिन मैं आपसे पूरी तरह से सहमत नहीं हूं। क्योंकि आपने मेरे सवाल का जवाब वाजिब नहीं दिया है। मैंने जो सवाल किया था, आपने जवाब उससे एकदम अलग दिया है।आप यह जरूर सोचिएगा की फुले दम्पति को पाठशाला के लिए जमीन मुहैया कराने वाली फातिमा बी ने शोषितों और वंचितों के साथ साथ महिला व बालिकाओं को शिक्षा दिलाने में मदद की, जो उन दिनों के हालातों में एक महान क्रांतिकारी परिवर्तनों में से एक था। देश उन महिलाओं और महापुरुषों का क़यामत तक ऋणी रहेगा जिन्होंने देश व समाज को जागरूक किया। लेकिन बावजूद इसके मुस्लिम लड़की और महिलाओं की शिक्षा में सुधार क्यों नहीं आया।
दुसरी बात यह है कि अगर फुले दम्पति को जमीन मुहैया मुस्लिम महिला ने नहीं की होती तो क्या फिर पाठशाला नहीं बनाया जाता। आप की सोच और जवाब पर तरस आता है। आपको अहसान मानना चाहिए उस महान फातिमा बी और फुले दम्पति का जिन्होंने आपसी भाईचारे को बढ़ावा दिया और अब इतिहास में हमेशा हमेशा के लिए याद किया जाता है।इन बातों से धर्म बड़ा नहीं होता है बल्कि हर अच्छे लोगों के अच्छे कार्यों के कारण ही धर्म बड़ा कहलाता है ना कि धर्म से कोई व्यक्ति बड़ा कहला सकता है।
@इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही पैगाम हमारा........#
आपसे एक निवेदन है कि आप अंग्रेजी में चर्चा ना करें क्योंकि मुझे अंग्रेजी कम आती है। आपको अंग्रेजी अच्छी आती है बहुत खुशी की बात है, लेकिन अगर चर्चा हिन्दी में हो तो काफ़ी लोगों को समझने में आसानी होगी।
धन्यवाद।
मनुस्मृति बहुजनों को गुलाम बनाने का एक कुत्सित प्रयास हैं हमें बुद्ध फुले पेरियार और बाबा साहेब के सपनो का भारत बनाना है।
इसे पढ़ता ही कौन है।हमारे धर्म मे बहुत सारी किताबे है पर जो सबसे बुरी है उसी पे चर्चा होती है। आज के कितने युवा होंगे जो इसे जानते और पढ़ते होंगे सिर्फ वही जिन्हें मंच पर बैठकर बुराई करनी है। और दूसरी किताबे पढ़ लो जैसे श्रीमद्भागवत गीता
@@Thepatriot8356 : जब सत्ता में हीं मनुवादी बैठे हैं! सत्ता के हिसाब से प्रजा और देश चलता है! BJP आने के बाद इस किताब पे कुछ ज्यादा हीं चर्चा शुरू हो गया है! सरकार तो कांग्रेस की भी थी उस टाइम इतना तो नहीं था!
@@सचबोल-न4च में भी उसी प्रजा में से हु। तुमसे कुछ छीन लिया क्या सरकार ने। सरकार मनुवादी कैसे हुई बताओ तो
@@Thepatriot8356 : कुछ छीन लिया? बचा हीं क्या है?
@@सचबोल-न4च अरे भाई बताओ तो क्या बुरा कर दिया तुम्हारे साथ सरकार ने कुछ पॉइन्ट तो लिखो बस एक ही लाइन बोले जा रहे हो सब बर्बाद हो गया
ब्राह्मण वाद के सारे धर्म ग्रंथों की रचना छठी शताब्दी के बाद की है, संस्कृत भाषा भी बुद्ध के बाद की है, संस्कृत पाली और प्राकृत के बाद की भाषा है, क्योंकि किसी भी धर्म ग्रंथों का पुख्ता प्रमाण नहीं मिला है
Many Smariti is a big blot on humanity
बुद्ध स्वयं एक संस्कृत शब्द है
Taqqiyya
@@ganeshbanerjee9841 अगर बुद्ध संस्कृत का शब्द है तो संस्कृत में बुद्ध का अर्थ क्या होता है।
Bhasha ke baare me vivaad hai.humaara maanana isse alag hai bashaye samkaaleen hi rahi hongi ya kuch aage peeche par rajya prabhutva ghatne badhane ke karan samapt hui jaise ki sanskrit ka ant hindi ke roop me ya anya bhasao ka vilupt ho jana ye bhi rajya shashan se badalne ke karan hua.iske avshesh aap aaj bhi dekh sakte hain jaha rajyo me hindi ek tarah probitated language hai ya majboori ki bhasha hai.pakistan me to lipi ka sampoorna naash hi hai.
स्वाभाविक है कि मनुस्मृति के अनुसार जिन जातियों को श्रेष्ठ बताया कहा गया है वे इसकी प्रशंसा करेंगे और जिन्हें निम्न कहा गया है वे मनुस्मृति की भर्त्सना करेंगे ।
जिस धर्म ने अपने अनुयायियों को ऊंच - नीच में विभक्त कर रखा है ।उस धर्म को धर्म कहना मूर्खता है।
बिल्कुल सही
Absolutely right 👍
Lekin obc wale aaj v manu ko bhgwan mante hai
@@amandmx because they are supposed to be higher than dalits.
मनुस्मृति को सरकार द्वारा प्रतिबंधित किया जाना चाहिए, क्योंकि इसकी बहुत सी बातें संविधान की मूलभावना के विपरीत है ,जैसे : महिलाओं और sc, st, obc ko अपमानित करती हैं l
✌
Apke paas jo book hai, us book ka amazon link bhejiye, mai khud ekbaar padkar dekhunga aur khud uska visleshan karunga.
@@sowmenmukherjee-team7916 बाजार से खरीद लो,उपलब्ध है!!
@@sowmenmukherjee-team7916 apke pass book he us kis time me likhi gyi he kis bhasa lipi me likhi gyi he usko likhne vala ka name kya he hme batayiye aapke pass to orijnal hogi
Bhiya ye sarkar hi Manu smriti Lana chahti hai ye RSS ke hi log hein ruling govt mein
मनुस्मृति एक संकीर्ण मानसिकता छिन्न-भिन्न संस्कृति का बिगड़ा स्वरूप है
यह कोई धर्म ग्रन्थ नही माना जा सकता
यह एक सत्ता कबजांवर के सत्ता बनाने के बाद संकीर्ण मानसिकता का भविष्य के लिए दुराचारीयो को उर्जा देने के किया
क्योकि अन्ध भगत हर दोर मे रहा
कभी पड़ी भी है 😂 ? हाँ कुरान एक शैतानिक किताब है और मैंने क़ुरान पड़ी है
Kaunsi bhasha me likhi manusmriti padhi hai
Shariya aur manusmriti ek hi sikke ke do pahlu nazar aate hain.
एस सी एस टी ओबीसी एक हो जाओ। जाती छोड़ो रोटी बेटी का सम्बन्ध जोड़ो।
Right
Good thought!
👍👍👍👍👍
Tumlog Krishna ji banna chodo pehle
Bilkul
Ryt
मनुस्मृति मानसिक बिमार पोंगा पंडित गोबर भक्त के ग्रंथ ही साबित हुआ है
जिन्हें हिन्दू पध्दति पसंद नहीं तो उसे छोड़ने का उन्हें अधिकार तो उनके पास है ही. तुरन्त इस पध्दति को छोड़ दो.
@@anilsinghal2312 han to koi mutpine wale dharm ko chodna chahe to fir tum logon ko bura kyn lag jata he…….Ambedkar ne sahi kaha tha….hindu dharm chod ke kisi bhi dusre dharam me chale jao
@@devasharma5478 कतई किसी को बुरा नहीं लग रहा है. ऐसे लोगों से तो सिख धर्म भी पसंद नहीं कर रहा. सिंधु बार्डर पर धर्म प्रेमी निहंग सिख ने अपने ग्रंथ को ऐसे लोगों से बचाने के लिए बहादुरी दिखाई है. मंदिर प्रवेश तक पर आपत्ति जगजाहिर है. ये लोग जितनी जल्दी बौध्द बन जायें वही बहतर है. मीडिया की खबरों के अनुसार लोग इन्हें पास तक बैठाना पसंद नहीं करते, इनके हाथ का पानी तक नहीं पीते, अपना मकान तक किराए पर नहीं देते, ऐसी स्थिति में बुरा लगने का तो प्रश्न ही नहीं.
Qqq
@@anilsinghal2312 मानसिक बिमारी के इलाज भी किया जाता है और किया जायेगा!
मुकेश जी और डा.राम पुण्यानी साहेब को सादर प्रणाम। आपने मनुस्मृति की सही व्याख्या की और हिंदू समाज की सही तस्वीर प्रस्तुत की। आपका साधुवाद।
बिलकुल सही कह सकते है की मनुस्मृति एक गुलाम बनाए रखने का ही प्रोसेस है
ua-cam.com/video/CkcQ5bliVcM/v-deo.html
मनुस्मृति बनाता सवर्ण ब्राह्मण लोग ऑर खुद को शुद्र ( ओ बी सी ) सवर्ण मान ने वाला नियमों को फोलो करते हैं ।बहुजनो समजो ।
Is vulgate book ko sabko padhna chahiye fir isko burn karo
@@bharatvora4141 ये पुनियानी हरामजादा वर्ण व्यवस्था को मनुस्मृति में जन्म से बता रहा है,जबकि प्रत्येक श्लोक में कर्म पर आधारित है।
अंग्रेजो ने हम भारतीयों को कैसे गुलाम बनाया भाई क्या वो भी मनुस्मृति का सहारा लिए। ब्रिटिश शासन से पहले के भारतीय ग्रंथ पढ़ कर देखो फिर समझ में आयेगा की जातिवादी व्यवस्था किसने बनाया। और अगर जाति व्यवस्था ग़लत है तो फिर संविधान में क्यों जाति व्यवस्था है उसे भी जला सकते हो।
सिर्फ दुष्ट प्रवृत्ति के बामन ही अब मनु स्मृति को support करता है l सत्य हिंदी और श्री राम पुण्यानी जैसे विद्वानों का बहुत बहुत धन्यवाद जिन्होंने भूत काल में जाकर वर्त्मान के लिए बहुजनों के लिए एक सार्थक और सच्चा ज्ञान दिये 👏👌🙏 ll
बहुत स्पष्ट शब्दों में विषय को समझाया गया है।
इस चर्चा में बौद्ध धर्म का भारत में पूर्णतः समूल उच्छेद कर ब्राह्मणवाद की दृढ़तापूर्वक सफल पुनर्स्थापना करनेवाले आदिशंकराचार्य की भूमिका का उल्लेख अपरिहार्य था।जो नहीं हुवा। यह बड़ी चूक कही जायेगी।
मनुस्मृति किसी भी सभ्य समाज मे एक कलंकित कलंक कहा जाना ही उचित संज्ञा दी जा सकती है।
Padha hai tumne
@@HanumanManMohan तुमने पढ़ा ?????
@@HanumanManMohan yes, tum bhi padh lo bhai, book se padhna, watsapp se nhi
@@romilmahant2971 भारत और भारतीयता पर,मानव समता पर,जन्म से जाति/वर्ण निर्धारण के बकवास पर,वर्ण-जाति अनुसार दण्ड/पुरस्कार के बारे में मनुस्मृति के आदेश बतायें!!
Manusimriti ek science hai humanity ka bas need hai to dimaag kholkar padne ki kyonki manu bhawaan ne insaan ka pehla bhagwaan maa ko hi bataya hai yeh to uska basic science hai samjhne aur seekhne aur jin logo ke dimaag khulein hai unke liye
मनुष्य मृति एक राक्षसी ग्रंथ है कैसे मानव का विनाश यही बताता है
Thanks Satya Hindi for such meaningful episodes specially Dr Mukesh Kumar sir.
Very very educational. Thank you for taking this interview.
यह दुष्ट और कपटी लोग
हम लोगों को गुलाम बनाकर रखने की एक साजिश थी
हमारी किस्मत अच्छी थी कि बाबा साहब ने 25 सितंबर को मनुस्मृति में आग लगाकर इन कपटी लोगों को हमें बचाया
जय हो बाबा साहब की🙏
महत्वपूर्ण चर्चा । बधाई । जहां तक मैं समझा हूँ ये मूल लड़ाई इतिहास और कल्पना की है । मसलन, हिन्दू धर्म के अलावा भारत में जितने भी धर्म हैं, चाहे वे इस देश की धरती पर पैदा हुए, फले-फूले या फिर विदेश से आए, वे हकीकत पर आधारित थे जैसे बौद्ध, जैन, इस्लाम, ईसाई और सिख धर्म । इन कल्पनावादियों ने ही समाज को अलग अलग वर्णों और बाद में जातियों में तोड़ा । इसमें जन्म और कर्म का सिद्धांत भी अव्यवहारिक है इससे जो भारत, सम्राट असोक और नन्द के राज में महाभारत बन रहा था, वह सिकुड़ता चला गया । बाबासाहेब ने भारत से महाभारत बनने और बौद्ध-जैन धर्म के उदय को क्रांति कहा था , जो वास्तव में धर्म नहीं धम्म यानि एक जीवन दर्शन, जीवान जीने की कला है । हिन्दू धर्म जो प्रारंभ में हिन्दू नहीं था । इसके कई नाम थे । इसके पुनः स्थापित होने को ही बाबासाहेब ने प्रतिक्रांति कहा है । मनुस्मृति भी उसी प्रतिक्रांति की देन है । क्रांति-प्रतिक्रांति का ये सिलसिला आज तक जारी है । अगर ये सिलसिला रुका नहीं तो भारत के पुनः विखंडित होने का खतरा है ।
सुदेश तनवर
9868862563 / 9999093364
आप दोनोको नमन ! ब्राम्हणबादी बिषमतामूलक मनुस्मृती के मूल्य मान्यताके बारेमे सूक्ष्म विश्लेषण करके जानकारीयाँ देनेके लिए मै नेपाल से आभार व्यक्त करता हुँ ।
नमो बुद्धाय: ! जय भीम !!
Mukesh ji, Manu Smriti ki sateek jaankari ke liye hardik dhanyavad. Manu Smriti ki baat to bahut hoti hai, lekin janta ko bahut kuchh nahi maloom hai. 👌
@BRIJ SAXENA और नारी वो है जो शादी से पहले पिता के अधीन रहे /शादी के बाद पति के अधीन रहे और पति के बाद पुत्र के अधीन रहे /
जो यह नहीं मानते हैं वो कुलक्षणा स्त्री हैं /यह मनुस्मृति के दोगलापन है
मनुस्मृति एक महान ग्रंथ है जिसे आधार बनाकर पूरे विश्व में सामाजिक, न्यायिक और राजनीतिक व्यवस्था बनाई गई है. इससे सटीक विश्लेषण इस संसार में और कोई किताब में नहीं है.कोई कितना भी पढ़ ले और कितनी भी डिग्रियां हासिल कर ले, वो कभी भी राम, कृष्ण या बुद्ध नहीं बन सकता.
@BRIJ SAXENA to Ambedkar ne manusmriti kyun jalayi aur buddh Dharm kyun adopt kya aur yeh kyun kaha ki mein hindu paida to hua hoon lekin hindu marunga nahin.
@BRIJ SAXENA don't call them momin they r Pakistani aap bhi zara Jamiat ulama e hind aur unki desh k prati sewa ko jaaniye agar Ambedkar ne Islam nahi qabul kiya to ye muslim ki ghalti thi Islam ki nahin. Maulvi Ahmadullah Shah, maulana Husain Ahmad Madni ko padhiye tab samajh mein aayega ki desh sewa kisne ki thi.
@BRIJ SAXENA kariye
हिन्दू धर्म का आधार है, एक समुदाय को भगवान का दर्जा और दूसरे समुदाय को अछूत।
क्या हमें ऐसे धर्म और परंपराओं पर गर्व करना चाहिए
नही
Bilkul Aise manyata ko jadmul se nest nabud karana chahiye
No
मेरे भाई बुद्धि का उपयोग करो सनातन धर्म ही सत्य है।
प्राचीन भारत में जातियां तो थी पर जातिवाद नही था..भारत मे कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था थी.. वर्ण (वरण) का एक अर्थ "चुनना" या "ग्रहण" करना भी होता है... वर्ण व्यवस्था मे सभी को कर्म के आधार पर कर्म करते हुए उपर उठने का अधिकार था.. वाल्मीकि जंगल में रहने वाले भील जाति के थे..रत्नाकर (वाल्मीकि) लोगों को लूटता और हत्याये करता था..परंतु बाद में राम नाम जप कर ब्रह्मर्षि हो गए.. इसी तरह विश्वामित्र जन्म से क्षत्रिय थे पर बाद में तप से राजर्षि और बाद में अहंकार का नाश होने पर ब्रह्मऋषि हुए... ,शबरी जो भीलनी थी उसे मतंग ऋषि ने शरण दी और वह राम की भक्ति करते हुए साक्षात राम के दर्शन कर पाई... व्यास केवट जाति की माता से पैदा होने के बावजूद महर्षि वेदव्यास कहलाये और वेद के ज्ञान को ही अट्ठारह पुराण के रूप में प्रस्तुत किया ...राजा भरत(क्षत्रीय) जिनके नाम से हमारे देश का नाम भारतवर्ष पड़ा...कर्म के आधार पर उनके 100 पुत्रो मे में से 82 वेदपाठी ब्राह्मण, 9 क्षत्रीय राजा और 9 योगेश्वर (सन्यासी) हुए... वही ब्राह्मण माता पिता से जन्म लेने के बावजूद अजामिल,धुन्धकारी आदि को उनके बुरे कर्म के कारण शूद्र (संस्कारहीन) ही माना गया.. ब्राह्मण पिता की संतान होने के बावजूद रावण को उसके निकृष्ट कर्मो के कारण राक्षस ही कहा जाता है...ऐसे अनेको उदाहरण है जिससे सिद्ध होता है कि वर्ण व्यवस्था जन्म आधारित नही बल्कि कर्म आधारित थी...
हाँ , हम यह मानते है कि लगातार विदेशी आक्रमणो और उसके परिणाम स्वरूप इस व्यवस्था मे खराबी जरूर आई और समाज में उच्च और नीच का वर्गवाद पनपता और बढ़ता गया... अन्त में अन्ग्रेजो की गुलामी से आजादी के बाद भी हमे हमारी पुरानी व्यवस्था के इतिहास को सही से न बताया गया और न ही पढ़ाया गया.. हमे मार्क्सवाद प्रेरित घृणित इतिहास पढ़ाई गई और हमारा बटाँ हुआ सनातनी समाज और भी बटता ही गया ... आज हमारे आप जैसे युवा भी पूर्व की गलतियों से सीखकर सनातन समाज को एकजुट करने की बजाय उस जातिवाद की ईर्ष्या भरी खाई को और गहरी करने का काम कर रहे है... कृपया सनातन समाज को तोड़ने की बजाय जोड़ने का काम करे जिससे हृदय की ईर्ष्या की अग्नि शान्त होगी और सच्चे अर्थो में आनंद और बुद्धत्व के मार्ग की प्राप्ति होगी ।
Hats off to you, Mukesh Ji, for bringing out the truth everytime.
जी! प्रो मुकेश कुमार एवं प्रो राम पुनियानी साहब आपने बहुत ही अच्छी और प्रासंगिक चर्चा जनहित मे की है! जब देश और विश्व बहुत बहुत आगे की ओर देख रहे है! मनु स्मृति जैसी किताबे बढ़ती प्रगति के विपरीत हजारो वर्ष पीछे की कलातीत ब्यवस्था की ओर ले जाने का प्रयास है!!!
थैंक्यू सर आप को बहुत बहुत धन्यावाद जी आप ने हमे महान विचार शेयर किया ओर हमे हमारे देश की मनुस्मृति के बारे मे बताया सर मनुस्मृति की बात करे तो यह हमारे देश को वापसी गुलाम बना सकती है इस ग्रन्थ मे शुद्र के साथ अत्याचार ओर क्रूरता है एसे मे मनुस्मृति की ओर नही देखा जाना चाहिए
Very good and informative comments. Thanks Prof Mukesh Kumar ji.
मनु स्मृति अंधकार का ग्रंथ है
Padhne se andhkar ujjla nahi hota anubhab Karo kya andhkar hai kya ujjla hai
@@nityanandsingh3968 जी , ज्ञान की बात अब जाके आपने की है.. पढ़ने से कोई ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता है.. ज्ञान केवल आपकी सेवा करने से ही प्राप्त कर सकते हैं.. आप यह ज्ञान किसकी सेवा करने के बाद प्राप्त कर लिया है?
@@parmachandyadav2066 gurudev or mata pita ki
@@nityanandsingh3968
sirf apni ya kisis doosre ki bhi.... bhakt-uddin?
Tum log khud hi andhkar mai ho ,granth ko andhkar ka bol raha.🤣😂🤣😂😂
Ram puniyani ko thanks.. ek dum right bola apne..
@BRIJ SAXENA अब क्या रिप्लाई करू आपको सक्सेना जी सदियों se तुम लोगो ने इन ग्रंथो की आड़ मे लोगों को गुलाम बनाया अब तो ये ढोंग करना बंद करो बक्श दो, आने वाले टाइम मे लोगो दूसरे प्लैनेट्स मे रहने लगेंगे. यहाँ तो तुमने ये झूठे भगवान बना दिए.... other planets पर क्या करोगे
इस देश को आगे बढ़ जाने दो.. इंसान ने धर्म बनाया है धर्म ने इंसान nahi बाकी गाली देनी है तो दो..
मैं तुम्हारे भीतर मौजूद ईश्वर को नमन करता हूं 🙏
@@PawanKumar-hj9kc kayasth samaj ko apna itihaas hi nahi malum innke bare mai khud manu ke kiya vichar hai kiya inko malum hain? Agar kisi kayastha ki parchhayee Brahman par pad jaye to turant ussko suraj ki taraf dekhna chahiye. Innko Brahman ne Yam ke lekha jokha rakhne wale Chitargupt ka vanshaj bataya. Ram Vishnu Brahma Shiv ka vanshaj nahi kaha. Ye log Shudar samaj ke hain jinhe Brahman ne shadyantar ke karan savarn category mai shamil kiya ye vaishye se neeche hi hain abhi bhi. Ye naye naye sawarn apne ko ziyada sawaran sabit karne mai lage rahte hai. Kabhi kayastha samaj se aane wale Munshi Premchand ko padh lo apne samaj ki sachchai pata chal jayegi.
डॉ राम पुनिया जी ने बहुत तथ्यपरक और सारगर्भित विचार को रखा। धन्यवाद।
हिन्दू धर्म का साहित्य, इतना विशाल और बहुत
कठिनाई से समझ में आने वाला है। थोड़े अध्ययन और जानकारी के आधार पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
ये शैतान शास्त्र है।
It is v ugly book
आँप कि sereis बहुत बडीया हे.... keep it up
Very nice discussion on Manushmriti, many many thanks to Mukesh sir
बहोत सुंदर विवेचन किया है मी. पुनियाजी ने.समरसता क्या है ,कैसी साजिश है ये समझ मे आया. धन्यवाद सत्य हिंदी का.
मनुवाद जन्म के आधार पर ही था , वरना शुद्रों को वेदों का ज्ञान वर्जित नहीं किया जाता , यदि शुद्र वेदों की शिक्षा ग्रहण कर लेंगे तो वे ब्राहम्णो के समकक्ष हो जाते ।
बहुत सुंदर जानकारी मुकेश सर।
Today is 79th foundation day of Azad Hind Fouz (INA) having 43000 soldiers.They had done matchless sacrifices to attain Freedom for this country. Mohan Singh ,Shah Nawaz ,Gurbax Singh Dhillon , Prem Sehgal & Mohammad Jama Kiyani were main Generals of INA.🙏
And they had one kitchen no bhed bav
@Stock 4me 65 sall badh pahlli barr itna bhedbhav huaa hai kyear sangii angrejon mugalon kee dllali karne walle Desh kaa pahlle atankwade naturam godse kee kyear sangii ajj Bhagat Singh kee wansjon ko atankwade bolte hain hahahaha 😁😂 kisano ko
@Stock 4me pahle itihas jano.. u are already hacked by feku's IT cell.. all these books are written around 9th-10th century
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Congretulation to Dr puniyani sir to give historical knowledge to young people
Sir आपका इस तरह का विश्लेषण बहुत ही ज्ञानवर्धक और समाज को सही दिशा देने वाला होता है ..... कृप्या इसी तरह का आप विश्लेषण करते रहिए और समाज को जागरूक करते रहिए .......😮😮😮😮😮😮😮😮
I am a hindu an ex-Defence ( NAVAY) doctor.i have read Buddhas history and Dhamma.it is very good and practical for living day to day life.No hatred no castism no lies.i saute buddhism.if we follow his teaching.India will not suffer like now
हमारा संविधान हमें और हमारे समाज को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है..
जबकि मनुस्मृति बिल्कुल इसके विपरीत हमें और हमारे समाज को प्रकाश से अंधकार की ओर ले जाता है..
जिस तरह से समाज विरोधी फिल्मों को बैन कर दिया जाता है, उसी भाँति इस विकृत मानसिकता वाली पुस्तक को बैन कर देना चाहिये.. और समाज में समरसता का भाव संचार का प्रसार करें..!!!
सत्य रूप में जो भी आसमानी किताबे पुरे विश्व में है वो कोई भी किताब सत्य रूप में आसमानी नही है । जिस वक्त जिस किताब का उदय हुआ व जिसने किया वो व्यक्ति उस वक्त अपने समूह पर अपनी बात रखने का प्रभाव रखता था व साथ ही साथ व्यक्तिगत तौर पर ताकतवर था अपने प्रभाव की ताकत को मजबूत करने के लिए उसने अपना दर्शन शास्त्र आसमानी किताब के रूप में प्रभावित कर अज्ञानता पर अपने ज्ञान की जीत करी। मात्र स्वयं की ताकत के पक्ष के लिए किया गया प्रयास व साथ ही साथ अज्ञानता की स्वीकृति और राज तन्त्र की बनने वाली ढाल में संयोग ने उसे 100% सत्य रूप में पीढ़ी दर पीढ़ी शेशव के ज्ञान के रूप में प्रभावित ने मानसिकता में सत्य कर दिया । इसलिए यदि एक नए युग का प्रयास करना है तो सभी आसमानी किताबों को पुर्ण रुप से प्रतिबंध लगाने पर ही मानवीय सभ्यता में बदलाव आएगा ।
@@ramjain8115 कुछ लोग धर्म की राजनीती करके देश और राज्य की सत्ता को हथिया कर मुखिया के रूप में आसीन होना चाहते हैं। देश का कोई भी नागरिक चाहे वह किसी भी समुदाय से हो किसी भी धर्म में आस्था रखता हो उसको देश में किसी भी तरह का दंगा फसाद खून खराबा स्वीकार नहीं होगा .जहाँ केवल और केवल मानवता और मासूम की जान जाती हो। क्या हम और आप ने कभी इस बारे में सोचा है की हमारी भावना संवेदना क्यों उन राजनेताओं के हाथों में है जो कभी भी देश में शांति नहीं चाहते। क्यों किसी को हिंदुत्व खतरे में लगता है किसी को इस्लाम किसी को ईसाईयत खतरे में लगता है।
परिवर्तन ही संसार का नियम है और समय के अनुसार स्वयं को ढालना ही समझदारी है, इतिहास गवाह है कि जो समाज वक्त के साथ नहीं चला वक्त ने उस समाज को इतिहास बना दिया.
जब तक यस सी , यस टी, ओ बी सी हिंदू धर्म में रहेंगे तब तक मनुस्मृति ग्रंथ का प्रभाव रहेगा.
इन तीनों के हिंदू धर्म को छोड़कर किसी अन्य धर्म को अपनाने से मनुस्मृति का प्रभाव समाप्त हो जायेगा.वह धर्म केवल और केवल बौद्ध धर्म ही है🇮🇷💢🇮🇷💢🇮🇷💢🇮🇷💢🇮🇷💢🇮🇷💢
बहुत महत्त्वपूर्ण ज्ञान, आप दोनों का आभार 🙏🙏
मुकेश कुमारजी एक दुष्ट व्यक्ति पढ़लिखकर और अच्छी सैलरी पर जाकर ब्राम्हणों से जलन और तीव्र ईर्ष्या का जहर उगलता ही है, यह अच्छी तरह जाना हुआ तथ्य है। प्रोफेसर राम पुनियानी इस्लामिक आतंकवाद के समर्थन, वामपंथी एजेंडा फैलाने, जलन के कारन जो कई जगह इसी तरह की जानबूझकर दुष्प्रचार करते हैं। यह भलीभांति जानी हुई बात है।
वैसे जातीय नफरत, ब्राम्हणों के विरुद्ध ईर्ष्यापूर्ण प्रचार में काफी पैसा और अन्य सुविधाएँ भी बांटी जा रही हैं। आप कितना कमाते हैं इसका मुझे पता नहीं है। फिर भी ऐसा ही प्रयास आप पर्यावरण को सुधारने, पशुओं को बचाने, मोहल्ले में स्वच्छता बनाए राखमे में करें तो अच्छा होगा। वैसे इस राम पुनियानी का योग चेहरा नहीं देखना चाहते हैं यह बहुत बदनाम है। कृपया अपनी लोकप्रियता खराब न करें।
Very nicely explained sir. Manusmriti is nothing but a curse to Hindu brothers. Ambedkar was a right man.
प्रो. मो.मुकेशजी, डा. मो. पीडियानिजी आपकी कोशिश रंग लाएगी!कभी न कभी या कयामत तक आपके प्रलाप से दूसरे भी रूदन जरूर करेंगे?प्रकृति के रहस्य से आप परिचित है और प्रकृति आपके आधीन है,मेरा अनुरोध है की आप दोनों ही ईश्वर के मैसेंजर है, मैं आशा करता हूं की आप अवतार ही है !आप सभी विषयों के अधिकृत प्रकांड ऋषि हो...गहरे पानी पैठ के मंडुक तुम्हारी जय जय...
Manu smiriti is the basis of ideology of BJP rss and bramins
यह उनके आरक्षणकी नीव रखता है!
Enjoy your reservation.
@@ranasingh4356 As you have been enjoying for thousands of yers by fooling masses, you lousy criminal.
@@ranasingh4356enjoy your relgion business reservation which three class already reserved for the communist for over centuries
@@Patr600 enjoy your reservation funded by the ones you hate.
अशोक के जितने भी शिलालेख है, कोई भी संसकृत भाषा मे नही है, कया उस समय संसकृत भाषा नही थी?
बुद्ध और महावीर ने लोकभाषाओं -पाली और अर्धमागधी- को बहुत सम्मानपूर्ण स्थान पर पहुंचा दिया था
नही थी.
'अशोक' स्वयं एक संस्कृत शब्द है
जो सत्य है वह तो समाज में दिखाई देता है
डा.राम पुनियानी जी ने मनु स्मृति में जातिगत (वर्णवादी) व्यवस्था के बारे में अलग-अलग कोणों से जानकारी दी है , और ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्यों व क्षुद्रों के बारे में बारिकी से विश्लेषण तथा हमारे संविधान निर्माताओं ने बौद्ध दर्शन व जैन दर्शन जो ब्राह्मण वादी मूढ़ परंपराओं व स्त्रियों एवं क्षुद्रों के हितार्थ संविधान की पृष्ठभूमि को समझाया है पुनियानी जी को साधुवाद सहधन्यवाद साथ ही चैनल सत्य हिंदी के एंकर महोदय को गहनता से प्रश्नावली व जिज्ञासा भरी जानकारी चाहने पर साधुवाद सहधन्यवाद।
शूद्रं/ शूद्रन/ शूद्रण - का मतलब तपस्वी/उत्पादक/ शिल्पकार/ निर्माता/ उद्योगण है।
कृतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार ।
चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार ।
चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम।
ब्रह्म वर्ण = ज्ञान वर्ग मुख समान ।
क्षत्रम वर्ण = ध्यान वर्ग बांह समान।
शूद्रम वर्ण = तपस वर्ग पेट समान।
वैशम वर्ण = तमस वर्ग चरण समान।
राजसेवक = दिल राजन्य समान।
चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम।
1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन
2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय
3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन
4- वितरक वणिक = वैश्य
इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = राजसेवक/दासजन/ सेवकजन/नौकरजन।
यही है चतुरवर्ण कर्म विभाग वर्ण व्यवस्था। जो मानव जन वर्ण कर्म विभाग जीविका प्रबन्धन विषय को लेकर दुविधाग्रस्त रहते हैं वे बतायें कि चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम, वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
सनातन वैदिक दक्ष धर्म - अनुसार - शूद्रन भी अपने कार्य बढ़ाने पर नौकर (दास) को रखता है l
शूद्रण जन द्वारा दासी (नौकरानी) या दास (नौकर) की स्त्री में यदि संतान उत्पन्न की जाती है, तो वह पिता की औरस (अपनी पत्नी से उत्पन्न ) संतान के बराबर धन भाग लेगी, यही सनातन वैदिक धर्म व्यवस्था है l
सनातन धर्म संस्कृति श्लोक -
ॐ दास्यां वा दासदास्यां वा य: शूद्रस्य सुतो भवेत् l सोअनुज्ञातो हरेदंशमिति धर्मो व्यवस्थित: ll (वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र) l
यंहा यह जानना चाहिए कि शूद्रम वर्ण एक उद्योग उत्पादन विभाग होता है और इस विभाग में कार्य करने वाले मानव जन शूद्रन (उत्पादक /शिल्पकार/उद्योगपति) होते हैँ l शूद्रन अपना उत्पादन उद्योग निर्माण कार्य बढ़ाने पर वेतन भोगी दासों (नौकरों /सेवकों) को रखते हैँ l
शूद्रन जन को अपने पास रखे गए नौकरो/सेवको (दासों) के साथ मर्यादा पूर्ण व्यवहार आचरण करना चाहिए और दासी (सेविका/नौकरानी) के साथ योंन सम्बंध नहीँ बनाना चाहिए l
चारो वर्णों (विभागों) के कार्य जैसे कि शिक्षन, शासन, उत्पादन और वितरन कर्म करने के लिए वेतन भोगी दासो (नौकरों /सेवकों) को रखना होता है l
पेशाजाति कार्यों को करने वाले इंसानो के लिए पेशापदवि होती हैं l जो पेशाजाति कर्म करते हैं वो असली पेशाजाति वाले होते हैं लेकिन जो बिना पेशाजाति कर्म किए भी किसी पेशाजाति को मानते हैं तो वो मात्र नामधारी पेशाजाति वाले बने रहते हैं l
सभी पेशाजाति को चार विभागों (वर्णों) में बांटकर कर चार वर्णिय कार्मिक वर्णाश्रम व्यवसायिक व्यव्स्था प्रबन्धन किया गया है l वर्ण वाला कर्म जो भी करते हैं वो असली वर्ण वाले होते हैं और जो बिना वर्ण कर्म किए किसी वर्ण को मानते हैं वो मात्र नामधारी वर्ण वाले बने रहते हैं l
वंशज्ञातियों गोत्रों को विवाह सम्बन्ध बनाए रखने के लिए ऋषि संसद द्वारा निर्मित किया गया है l
चार वर्ण विभाग व्यवस्था प्रबंधन अनुसार -
1. अध्यापक चिकित्सक संगीतज्ञ = ब्रह्मण
2. शासन रक्षक न्याय कर्ता = क्षत्रिय
3. उत्पादक निर्माता उद्योगण = शूद्रण
4. वितरण व्यापार कर्ता = वैश्य l
चरण चलने से स्थान बदलने से ही व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य आढ़त वित्त वैश्य वर्ण कार्य होता है इसलिए चरण समान वैश्य वर्ण विभाग होता है।
5 . पांचवे वेतन भोगी नौकर = दासजन /सेवकज़न चारो वर्ण (विभागों) में कार्यरत हैं l सरकार भी वेतन भोगी जन जनसेवक नौकर रूप में कार्यरत है।
व्रात्य = अशिक्षित ज़न को कहा गया है I
Thank you Dr Ram puniyani sir ,Apki baten parilakchit hoti dikh rahi hi.you are absolutely right.
जय फुले दम्पति,
जय बाबासाहेब,
जय छोटूराम,
जय कांशीराम,,,,,,,,,,,हर समझदार और संस्कारी लोगों का फर्ज़ बनता है कि वो अपने जाति,समाज और धर्म की बुराइयों को समझकर स्वीकार करें और उन बुराइयों का निदान करने हेतु पुरजोर तरीके से अभियान चलाएं।
धन्यवाद।।
Thanks for explaining difficult subject.
Thank you so much... पुनियानी जी और मुकेश जी आपका 🙏🏼🙏🏼
ਬਹੁਤ ਵਧੀਆ ਵਿਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਦਿਲੋਂ ਧੰਨਵਾਦੀ
Interesting 🧐 information ℹ️
Also understand laws of “Manu Smriti” extended to Burma, Thailand, Cambodia and Indonesia. Manu Smriti was first translated into English by “Sir” William Jones. in 1776 and used to construct the Hindu CASTE Laws for British East India 🇮🇳 Company !!
Good programme
Hats off to Prof Mukesh for your factual questions. Please keep raising such issues.
Thanks
संसार में मनुष्य को सुख शांति से रहने और अंत में मोक्ष की ओर ले जाने वाला धार्मिक नियम कानून का कल्याणकारी धर्मग्रंथ है मनुस्मृति। जिन लोगों ने इसका अध्ययन नहीं किया ऐसे लोगों को इस कल्याणकारी धर्मग्रंथ को समझना संभव नहीं है । राधे-राधे
Honourable Sir,
Very very valuable and Knowledgeous information.
For me amazing point was
Annihilation of cast vs Samajik Samarasata.
It's really important to understand.
Very micro observation.
ये पुनिया इस ने शायद मनुस्मृति नहीं पड़ी 😂 " सच का सामना - झूठ के साथ"
जन्म से कोई जाति नहीं ।कार्य योग्यता के आधार पर जाति बनी।वर्तमान में जन्म से जाति ।
धन्यवाद डॉक्टर राम पुनियानी जी
Buddhists era was the golden era of the country
@@sarapara174japan tak gaya bhai....par yahi khatam ho gaya 😂😂😂...... Hinduism sucks
Thanks sir. Please continue this series. Hindustan ki sabse badi problem jati vyavastha hai.
सर जैन और बौद्ध धर्म के पहले ब्राह्मण धर्म संस्कृति का क्या कोई ऐतिहासिक प्रमाण स्रोत मिलता है?
NCERT की किताबें पढ लीजिए
Even NCERT ne to Ram or Krisna ke astitva ko hi challange kiya hai
@@sandeepgopalan4934 तुमन NCERT पढी है कभी ?
@@sandeepgopalan4934 कहां किस पुस्तक में ? किस पृष्ठ में ?
@@ganeshbanerjee9841 NCERT पढ़ लीजिए, पृष्ठ संख्या मिल जाएगी।
मनु स्मृति बहुजन समाज के लिए एक गुलाम बनाने का षड्यंत्र है आपने इतनी अच्छी जानकारी दी आपका बहुत-बहुत आभार
Bahut achhi jankari program se mili
Thank !🙏
Muekeh ji aur Pr. Punaiyani ji
Untouchability & Casteism main cause of religious conversions..
Apni Ammi aur Appa ko kaale tent me dhak kar kyun rakhta hai
Are bhai tum apni mata ji aur Didi ko Khajuraho style me rakkho kisne mana kiya hai 😂
@@NadeemKhan-bz8hb well said Nadeem Khan.👍
@@kamalkamal-ie1sp , Agar auroto Ko kapde pehne me poore adhikar hona jaroori hein to koi aurot poori nange rahna chahe to tumhe usme koi apatti nhi hona chahiye.
@@NadeemKhan-bz8hb kya bat bol diya bhai,head off
एक माध्यम से पैदा होता है , एक जैसा मरता है , एक ही ज़मीन का उगा हुआ खाता, पानी पीता है । फिर एक से दूसरा श्रेष्ठ कैसे हो सकता है। मनुवाद सामंतवाद , मनुस्मृति,,, ,, मुर्दाबाद मुर्दाबाद
Very good studied knowledge and interpretation. God bless you.
वैदिक संस्कृति में स्त्रियों की रक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया क्योंकि स्त्री की रक्षा (यौन संरक्षण) ही वंश एवं समाज की शुद्धता सुनिश्चित करती है, इसलिए यह माना गया कि स्त्रियों को पारिवारिक पुरुषों (पिता, पति, पुत्र ) के संरक्षण में रहना चाहिए |
पिता रक्षति कौमार्ये भर्ता रक्षति यौवने |
पुत्रो रक्षति वार्धक्ये न स्त्री स्वातन्त्र्यमर्हति ||
strongly Agreed the facts has been presented by Dr. Ram Puniyani..
जो अमानवीय सिख देता हो, वह कोई आदर्श धार्मिक किताब हो नहीं सकता I
Great scholar ram puniyani jee🙏🙏
Sir भारत की ladies को पता नही कब समझ आये गा। कि हम इन लोग को sport न करे जो मनु समर्थन को लना चाहते है।
Lol, duniya ke sabhi dharma grantho me kuch milawat he.
Bhagwat Gita hindus ka granth hai, manusmriti nahi
Tab tak nahi samjh aayega jab tak education na mil jaaye not just in cities but in villages too
शूद्रं/ शूद्रन/ शूद्रण - का मतलब तपस्वी/उत्पादक/ शिल्पकार/ निर्माता/ उद्योगण है।
कृतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार ।
चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार ।
चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम।
ब्रह्म वर्ण = ज्ञान वर्ग मुख समान ।
क्षत्रम वर्ण = ध्यान वर्ग बांह समान।
शूद्रम वर्ण = तपस वर्ग पेट समान।
वैशम वर्ण = तमस वर्ग चरण समान।
राजसेवक = दिल राजन्य समान।
चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम।
1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन
2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय
3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन
4- वितरक वणिक = वैश्य
इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = राजसेवक/दासजन/ सेवकजन/नौकरजन।
यही है चतुरवर्ण कर्म विभाग वर्ण व्यवस्था। जो मानव जन वर्ण कर्म विभाग जीविका प्रबन्धन विषय को लेकर दुविधाग्रस्त रहते हैं वे बतायें कि चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम, वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
Dr Ram puniyani sirji bahut Saralata se samajhaate hai bahut dhanyawad jaibhim
अगर मनु स्मृति में नारी को तुच्छ समझा जाता तो फिर ये बहुत सारे श्लोक ऐसे हैं जो नारी के पक्ष में बृहद रूप से लिखा हुआ है । श्लोक इस प्रकार है :-
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।। मनुस्मृति ३/५६ ।।
Anvaya: यत्र तु नार्यः पूज्यन्ते तत्र देवताः रमन्ते, यत्र तु एताः न पूज्यन्ते तत्र सर्वाः क्रियाः अफलाः (भवन्ति) ।
जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।
Where women are worshiped, there lives the Gods. Wherever they are not worshiped, all actions result in failure.
शोचन्ति जामयो यत्र विनश्यत्याशु तत्कुलम् ।
न शोचन्ति तु यत्रैता वर्धते तद्धि सर्वदा ।। मनुस्मृति ३/५७ ।।
Anvaya: यत्र जामयः शोचन्ति तत् कुलम् आशु विनश्यति, यत्र तु एताः न शोचन्ति तत् हि सर्वदा वर्धते ।
जिस कुल में स्त्रियाँ कष्ट भोगती हैं ,वह कुल शीघ्र ही नष्ट हो जाता है और जहाँ स्त्रियाँ प्रसन्न रहती है वह कुल सदैव फलता फूलता और समृद्ध रहता है । (परिवार की पुत्रियों, बधुओं, नवविवाहिताओं आदि जैसे निकट संबंधिनियों को ‘जामि’ कहा गया है ।)
The family in which women (such as mother, wife, sister, daughter et al.) are full of sorrow that family meets its destruction very soon; while the family in which they do not grieve is always prosperous.
nhi bolege ye communist,khud kabhi boddh grant nhi padte aur nahi dhammpado ko
हाथरस काण्ड किसानों को कार से रौंधना जैसी घटनाएं और दोषी को सज़ा न मिलने का अर्थ है हिंदू राष्ट्र आ गया।
@BRIJ SAXENA
🤣🤣🤣 jab Manuvadiyo ki pole khulne lagti hai toh woh muslimo ka sahara lekar unhe gaali dekar bachna chahta hai🙄🤔🤔😂
@BRIJ SAXENA kayasth samaj kitna purana hai?
@@sabiyasyed5487 म्यांमार के बौध्द समाज ने 17 लाख आतंकियों को मय बेगम बच्चों के मार जूता देश से ही भगा दिया.
Thanks mukesh ji and punyani ji
Please advise books in Hindi and English to understand Manusmriti and also the reaction of RSS when the constitution was built.
Bahut acchi Jankari Di aapane aapka बहुत-बहुत dhanyvad
बहुत-बहुत धन्यवाद सत्य हिंदी को मनुस्मृति के सिद्धांतों को बहस में लाने के लिए और उस पर डिस्कशन करने के लिए मनुस्मृति के सिद्धांतों को लोगों के बीच में डिस्कस करना बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि आज भी भारत का बहुत बड़ा हिस्सा इसी सिद्धांत से चल रहा है और हमें सामाजिक समरसता नहीं जाति का विनाश चाहिए।
Very good Lecture. Thank you.
हमे अंग्रेज का धन्यवाद करना चाहिए जिसके बदौलत हमारा जायज संविधान बन सका वरना आज मनुस्मृति ही चल रहा होता ।
Agreed. Thank you Ram sir
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human rights, democracy,equality believer n defender should not only just listen to such progressive videos but support them financially to continue the reforms in education..
Its great efforts sir.salute to your work.
मनुस्मृति भृगु ब्राम्हण समूहने इ.पू. २०० के दरम्यान रचा था. इसमे तथाकथीत मनुका कोई योगदान नही.
Brilliant analysis. We must be extremely careful