What was the role of Chanakya in establishing the Mauryan empire? । CHANDRAGUPTA । INDIAN HISTORY

Поділитися
Вставка
  • Опубліковано 22 гру 2024

КОМЕНТАРІ • 1,2 тис.

  • @SPSINGH-qw8el
    @SPSINGH-qw8el Рік тому +153

    सम्राट अशोक के शिलालेख , बौद्ध धम्म उपदेश के स्तूपों पर धम्म लिपि में कहीं पर भी चाणक्य / कौटिल्य का कोई वर्णन नहीं मिला है । यदि ये आदमी इतना महत्वपूर्ण था तो सम्राट अशोक के समय के मिले पुरातत्व प्रमाणों में क्यों इसका उल्लेख नहीं मिलता ।

    • @ayushind27
      @ayushind27 Рік тому +8

      Ish hisab sadar Vallabhbhai Patel k naam pr na major port, airport, railway station congress k time m itna nhi mil lega iska mtlb nhi wo the hi nhi ya or unka major contribution tha nhi
      Amit Shah hi ko dekh lo modi jeeta akela to nhi h
      Jitne bhi india m pm bne akele dum pr to
      Nhi bne unko kisi ka support to hoga unka naam kbhi sunte ho
      Document rhe honge documents jlane k baad khna bole
      Kuch deeno m ye professor dadu chle jae ge lekin inki liye likhi gyi kitabe baate to rhengi fir inko 50 saal proof Krna muskil ho jaega ye asa adami tha bhi na nhi
      Ya tv pr aane views paane k liye kuch bhi bolt dete the

    • @ayushind27
      @ayushind27 Рік тому +1

      Nalanda vishwavidyalay ko jalaya usk documents ko bhul jaoge , ou tm khudi updesh likhe hue history nhi likhi h ush pr
      Modi ne parliament bnawaya us pr Amit Shah ka naam nhi h
      Phle pta kro ye angrej log to nalanda ko nhi maante Ashok ko nhi maante the

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому +4

      आदरणीय SPSINGH🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

    • @SunilKushwaha-ov3ys
      @SunilKushwaha-ov3ys Рік тому +8

      gobar aur mootra bhakto ko ni smjha sakte bhai...arthashatra sanskrit me likhi gyi h, jo ki aisi lipi 7 c.e me aayi, to kaise ye purani h...

    • @ad15626
      @ad15626 Рік тому

      ​@@SunilKushwaha-ov3yschaanakya ne chandrasen guptvans pr likha tha sanskrit me joki dhariwal jaat tha

  • @siddharth2315
    @siddharth2315 Рік тому +78

    'मुद्राराक्षस' नामक नाटक में पहली बार चाणक्य को गढ़ा गया, 1875 के आसपास लिखा गया एक बहरामण द्वारा

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому +3

      आदरणीय siddharth🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

    • @harshity4414
      @harshity4414 Рік тому +11

      मुद्रा राक्षस विशाखा दत्त ने 500AD के आस पास लिखा था ।।। इस मैं चंद्रगुप्त 2 के बारे मे लिखा है.... अपनी जानकारी थोडा अपडेट करे जातिवाद बहुत भरा है दिमाग में अपके

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      @@harshity4414 हर्शितजी ऊसके दिमाग में जातिवाद है या सत्य है या गलत जानकारी है यह मैं बता नहीं सकता. पर ईसका दोष निःसंशय आदरणिय मोदीजी और ऊनके सरकार को दे सकते है. 2012 से लेकर मई 2022 तक मैंने 1400 प्रार्थनापत्र दिये है सभी ऐतिहासिक, धार्मिक और जातीय विवादोंका समाधान करने के लीये... समाधान करने के उचित तरीके के साथ. पर आदरणिय मोदीजी की सरकार से कोई प्रतिसाद नहीं. आप मेरी काॅमेंट पढे ऐसी आपसे प्रार्थना है. 🙏. अवधूत जोशी

    • @siddharth2315
      @siddharth2315 Рік тому +9

      @@harshity4414 कुछ भी......कुछ भी गपोड़ना, ये तो बाभनों का काम है

    • @harshity4414
      @harshity4414 Рік тому +5

      @@siddharth2315 कभी गूगल का भी यूज करो ज्ञान मै थोड़ा इजाफा करो

  • @kshirodrasunaspeaking1574
    @kshirodrasunaspeaking1574 Рік тому +91

    Chanakya is a man made character,it is not real but fantasy thank you professor Puniyani sir

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому +1

      आदरणीय 🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।समय के साथ चीजें गलत होती गईं।
      यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

    • @TheSmartEnglish
      @TheSmartEnglish Рік тому

      Read the history and his book you will know the truth.
      According to you even the science math doesn't exist in this world.
      This is a leftist ideology to abuse the great man of india.

    • @ASFACT2805
      @ASFACT2805 Рік тому

      dekh le dhyn se

    • @kumarkk532
      @kumarkk532 Рік тому +5

      Sorry Buddha is fictional character but Chanakya was real .

    • @razm3610
      @razm3610 Рік тому +7

      @@kumarkk532 :):D Ram, Shiva, and Krishana are fictional too....Buddha was indeed real :)

  • @mundarasatish8542
    @mundarasatish8542 Рік тому +85

    चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में मौजूद यूनानी राजदूत मैगस्थनीज ने इंडिका नामक पुस्तक लिखी। और उसमें चाणक्य का कोई जिक्र नहीं है। दूसरी तरफ चाणक्य को संस्कृत का विद्वान बताया गया है लेकिन मौर्य कालीन राज भाषा पालि प्राकृत है।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому +4

      आदरणीय @mundarasatish8542🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।समय के साथ चीजें गलत होती गईं।
      यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

    • @korashortss
      @korashortss Рік тому +2

      🤣🤣🤣🤣
      That's absolutely true, you caught it from Neck

    • @rajupatil8569
      @rajupatil8569 Рік тому +2

      ​@@avadhutjoshi796आयटी सेल के नमुने.. कहीं भी, बिन बुलाऐ आ जाते हैं

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      @@rajupatil8569 धन्यवाद राजू पाटीलजी. आपकी बातसे मैं सहमत हूं. मैंने भी ईसका अनुभव लीया है. क्या करे बेचारे ऊनकी ड्यूटी निष्ठासे निभाते है. पर आप यह बात मुझे बताकर बिना वेतन के वैसीही मुर्खता क्यों कर रहे है? मेरे कॉमेंट का विषय अलग है. कृपया ईसे स्पष्ट करे ऐसी आपसे प्रार्थना है. 🙏. अवधूत जोशी

    • @rameshgairola5281
      @rameshgairola5281 Рік тому +1

      युनानी को पीटा था चाणक्य ने

  • @raghvendrasingh9976
    @raghvendrasingh9976 Рік тому +39

    आप दोनों बंधुओं की वार्ता से एक बात स्पष्ट है कि चाणक्य अगर बौद्ध या जैन है तो उसका अस्तित्व स्वीकारा जा सक्ता है और यदि वह ब्राह्मण है तो वह गढ़ा हुआ चरित्र है। देश को गुमराह करने के लिए आप दौनों महापुरुषों का धन्यवाद।

    • @PREETSINGH-mi6ic
      @PREETSINGH-mi6ic 5 місяців тому +1

      बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद भक्तों के लिए

    • @debendrasuar9854
      @debendrasuar9854 5 місяців тому +1

      Ye log khud ki bap ko nahin mante. To chanakya kya manenge.

    • @Pranav-IITD
      @Pranav-IITD Місяць тому

      bhai chandragupt bhi neech jaat ka nahi fir bhi ye log usko baap bana lete hai acha hua kese brahmin ne in neech jaat ke madad nahi ke varna ye log use bhi gali dete

  • @hemantk.sharma2541
    @hemantk.sharma2541 Рік тому +46

    उस किताब की कार्बन डेटिंग कराई जानी चाहिए ताकि सच दुनियाँ के सामने आ सके

    • @rnmishra7001
      @rnmishra7001 Рік тому

      Nahi hui hogi? Yeh to uas library se patta karna chahiye jahan padulipi rakhi hai.

    • @amandmx
      @amandmx Рік тому +4

      @@rnmishra7001 wo fake h devnagari lipi me likhi h jo 9th century me aai

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому +1

      @@rnmishra7001
      आदरणीय 🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

    • @SunilKushwaha-ov3ys
      @SunilKushwaha-ov3ys Рік тому

      ​@@amandmxsahi bola

    • @AyushPal124
      @AyushPal124 6 днів тому

      Chanakya ne mauryan empire mein kuch yogdan nahi diya mauryan empire ko banane wala sirf chandragupt maurya tha aur chanakya bad mein chandragupt ka mantri ban gaya tha kyuki chanakya dhananad ka mantri tha usne chanakya ko nikala dhananad ko harane ke liye chandragupt ne dusre rajya ke raja aur selucus nicator ke sath 6 lakh ki sena banake dhananad ko haraya chandragupt ki kabhi 6 lakh ki sena nahi thi chandragupt ne Kaling aur bharat ke kayi state ke raja se madat mangi aur chanakya bas ek scholar tha jisne economics likha vo sirf ek teacher tha par vo koi mauryan empire nahi banaya tha lekin chanakya ko mahan bana diya chandragupt se

  • @sujeettelang4891
    @sujeettelang4891 Рік тому +11

    Ye log thode din baad bolenge ki brahman 500 saal pehle bhi nahi the😅

    • @Kumarsharma5954
      @Kumarsharma5954 3 місяці тому

      Brahmado ne mushkil se 150 saal ke andar hi hinduu word me infiltrate kita hai...... Brahmado ne apni kisi bhi kitab me hinduu shabd ka prayog nhi kiya hai kyuki wo hindu se chidte the

  • @deepakrajraj6995
    @deepakrajraj6995 11 місяців тому +1

    आप ने सही जानकारी देते है। आपलोग इतिहास को बचाने के लिये पुस्तक छपवाने चाहिए।तभी जा के आने वाले पीढी को सही इतिहास की जानकारी हो सकेगी।

  • @pintudhyani7818
    @pintudhyani7818 Рік тому +6

    एकतरफा विश्लेषण😢😢 अच्छा होता कि दूसरे पक्ष का एक विश्लेषक और होता

  • @Gayansagarchaman
    @Gayansagarchaman Рік тому +8

    बहुत बढ़िया विश्लेषण हैं।

  • @ASHOK251058
    @ASHOK251058 Рік тому +46

    चंद्रगुप्त संस्कृत नहीं जानता था।
    चाणक्य पाली प्राकृत नहीं जानता था।
    चाणक्य के बारे में मात्र महावंश में मिलती है वो भी सिर्फ एक लाइन। महावन्श में बहुत सारी काल्पनिक बातें है। इसलिए विश्वास योग नहीं है।

    • @ayushind27
      @ayushind27 Рік тому +1

      Bhai phle to angrej Ashoka ki khaani jhuti bolte the
      Bhai jha kuch milta wo kalpanik h, jha nhi mila wo chij h nhi,
      Us hsisab thumare prbaba or unke pitaji kbhi hue nhi kyo ki unke koi sabut nhi
      Tumhe to kisi dhrti sansadhna bhog krne k liye bheja h

    • @ASHOK251058
      @ASHOK251058 Рік тому +1

      @@ayushind27 kisi ko bhi apna parbaba mat banao. jaanch karo.

    • @ayushind27
      @ayushind27 Рік тому

      @@ASHOK251058 tmne bna liya kis or ko bhi

    • @maheshsinghmunnusingh5494
      @maheshsinghmunnusingh5494 Рік тому +3

      चीनी यात्री को दोनो भाषा आता था यहा रहने वालो को नही 🤣😃

    • @meshramajay66
      @meshramajay66 Рік тому +1

      ये सही विश्लेषण है। उस समय संस्कृत का चलन था ही नही।

  • @rammaheshmishra1117
    @rammaheshmishra1117 Рік тому +14

    यह वार्ता हमने पूरी सुनी। बेहद दु:ख हुआ कि हमारे देश के विद्वान कितना नीची सोच के हो चुके हैं!!! और वह वैचारिक निम्नगामिता बढ़ती ही जा रही है। यह इस ऋषि राष्ट्र के लिए वास्तव में ज्यादा चिंताजनक है। इंटरव्यू लेने वाला व्यक्ति और देने वाला विद्वान किसी वर्ग विशेष के प्रति घृणा से भीतर तक भरे हुए हैं। कहां से लाते हैं आप इतनी घृणा? ऋषियों के इस देश के कोई माता पिता इस स्तर की घृणा के संस्कार बच्चे को नहीं दे सकते, यह हमारा स्पष्ट मत है।
    18 मिनट की वार्ता तक पहुंचते पहुंचते हम सोच रहे थे कि चाणक्य और चंद्रगुप्त के काल की इन बातों, शंकाओं के लिए कहीं आप दोनों आरएसएस और भाजपा को दोषी न ठहरा दें। तभी अचानक इंटरव्यू देने वाले विद्वान ने वही प्रसंग शुरू भी कर दिया। हम तो ठहाका लगाकर हंस पड़े। एकतरफा छोटी सोच की पराकाष्ठा देखकर मन क्षुभित हुआ।
    ओफ्फो!!! हे राम! हे प्रभु! ऐसे विद्वानों की विद्वता से, महान परिवर्तनों से गुजर रहे, इस देश को बचाएं। आप दोनों को सुनकर अचरज हुआ है। इंटरव्यू लेने वाला भाई जब सवाल करता है तब इस तरीके से करता है कि उसे उसी हिसाब से ही उत्तर मिले। यानी उत्तर को भी स्वयं ही सुना देता है, कि इंटरव्यू दाता उनके कथन की ही पुष्टि कर दे।
    भारत के महापुरुषों की त्याग तपस्या को भी ऐसे गंदे चश्मे से देखना बहुत चिंताजनक है और निंदाजनक भी। मैं इस साक्षात्कार को अब तक सुने सारे साक्षात्कारों में सबसे घटिया स्तर का मानता हूं और इसे देश को भारी नुकसान पहुंचाने वाला घोषित करता हूं। परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूं कि एकपक्षीय सोच रखने वाले ऐसे विद्वान इस देश से उत्तरोत्तर कम हों।

    • @NeerajKumar-uu3ym
      @NeerajKumar-uu3ym Рік тому

      ऐसा है पण्डित जी कि आपकी होशियारी अब पकड़ी जाने लगी तो आप बौवा रहे हैं। केरल में शुद्र लड़कियों के स्तन पर आप ही ने टैक्स लगाए थे ना???? बोलो झूठ है???इसका भी प्रमाण चाहिए क्या? आपकी जात ने भारत को नस्तोनाबुत कर दिया। वर्ण व्यवस्था क्या शूद्रों ने बनाई??? लोगों को गुलाम बनाकर खूब मक्कन खाया है अपने जमाने में अब धीरे धीरे भेद खुल रहा है तो मिर्ची लग रही है।

  • @safarkerang9615
    @safarkerang9615 Рік тому +26

    बहुत खूब। आज मानवीय मुद्दों को तरजीह देने वाली विचार धारा की जरूरत है। चआनक्यओं न आम जन का न भला किया है। और न कभी करेंगे।।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय safarkerang🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

  • @KESARIYA2023
    @KESARIYA2023 Рік тому +18

    बहोत लोग आये और चले गए, आप भी काल के कपाल में चले जायेंगे, हिंदू और उनकी संस्कृति ऐसे ही चलती रहेगी.... फिल्हाल आप जलते रहिये....

    • @debendrasuar9854
      @debendrasuar9854 5 місяців тому +2

      Ekdam sahi bole. Dhanyabad

    • @dushyantsingh5759
      @dushyantsingh5759 4 місяці тому

      बहुत सही भाई जी👍🙏 धन्यवाद ।

    • @TheYuvrajwagh
      @TheYuvrajwagh 4 місяці тому

      बाबासाहब डॉ अम्बेडकरजी ने १९५६ में कहा था कि सही इतिहास पता चलने पर इस देश के सभी लोग बौद्ध धर्म को अपनाएंगे, मतलब बौद्ध धर्म में घर-वापसी कर लेंगे। और ब्राह्मण सबसे आखिर में बौद्ध धर्म अपनाएंगे।
      और बाबासाहब की भविष्यवाणी आज तक कभी गलत नहीं हुई है। वैसे भी तुम्हारा तथाकथित हिंदू धर्म पुरा बुद्धिज़्म के पुरातात्विक ढेर पर बसा हुआ है। हम भी देखते हैं वह और कितने बालू की भीत पर खड़ा रहता है। 😅

    • @KishanHarisingh
      @KishanHarisingh 4 місяці тому +1

      1001%√ सही है भाई

    • @ਕੁਦਰਤਹੀਰੱਬਹੈ
      @ਕੁਦਰਤਹੀਰੱਬਹੈ 3 місяці тому

      हिंदू धर्म की बुनियाद रेत की कच्ची ईंटों से बनी है। सोशल मीडिया की बाढ़ में बह जाएगी।

  • @sanjaysachan2949
    @sanjaysachan2949 Рік тому +11

    दोनों महानुभाव ऐसे बोल रहे हैं जैसे यह उस समय उपस्थित थे जो बातें हैं उनके मतलब कि हैं वह बातें मानेंगे जो मतलब के नहीं हैं उन्हें नहीं माने यही इनका इतिहास इतिहास है परम ज्ञानी इतिहास पुरुष धन्य है

  • @shankul3032
    @shankul3032 Рік тому +3

    Prof, राम जी के अलावा इतिहास के और जानकारों को भी बुलाया कीजिए।

    • @ushaangarakh522
      @ushaangarakh522 Рік тому

      pro.vilas ji kharat ko bulaye.

    • @rahulmudgal6582
      @rahulmudgal6582 3 місяці тому

      दूसरे इतिहासकार उनके मन की बात नही बोलेंगे ना।

  • @yadunathyadav8580
    @yadunathyadav8580 Рік тому +23

    चाणक्य एक काल्पनिक चरित्र है जो ब्राह्मण वाद की श्रेष्ठता के लिए गढ़ा गया है।

    • @veerSingh-qg3qp
      @veerSingh-qg3qp Рік тому

      Arthshastr kisne likha phir

    • @veerSingh-qg3qp
      @veerSingh-qg3qp Рік тому +1

      Kal tum kahoge ki bhagwan krishna bhi kalpanik the tab

    • @yadunathyadav8580
      @yadunathyadav8580 Рік тому

      @@veerSingh-qg3qp he was also.

    • @rameshgairola5281
      @rameshgairola5281 Рік тому +1

      तो चंद्रगुप्त भी काल्पनिक था

    • @Indian-rn7br
      @Indian-rn7br Рік тому

      ​@@rameshgairola5281 chandragupt morya ka khud ka likha shilalekh milta he vo bhi Pali bhasha me or chanyak ka koi jikar nhi usme.

  • @ASHOK251058
    @ASHOK251058 Рік тому +18

    अशोक के समय तक वर्ण व्यवस्था का कोई प्रमाण नहीं मिलता

    • @priyammaurya6404
      @priyammaurya6404 Рік тому

      Bhai vo khud bole matsi silalekh men ki main usi kul men paida hua jisme Budh paida hue budha Shakya the aur ashok Maurya-shakya

  • @saketranjan5128
    @saketranjan5128 Рік тому +38

    चंद्रगुप्त के समय संस्कृत भाषा नहीं था तो अर्थशास्त्र कौटिल्य कैसे लिख दिया

    • @max-cs9ko
      @max-cs9ko Рік тому

      Arthasashtra was written much later after mauryan empire and it was not written by single person but a lot of writers across generations

    • @shubhamkumarjha4469
      @shubhamkumarjha4469 Рік тому

      Abe chutiye 4000 sal pehle rigved likha gaya jo ki Sanskrit me tha aur maurya samrajya to 2400 sal purana hi hai

    • @vijayjadhav1444
      @vijayjadhav1444 Рік тому +1

      ठीक वैसेही आजतारीख मे सरदार पटेल जैसे नेता हमारे विचारधारा के थे, ऐसा बताया जाता है

    • @civilofficer8636
      @civilofficer8636 Рік тому

      Tujhe kaise pta ...

    • @GhostRealm8
      @GhostRealm8 Рік тому

      @@civilofficer8636 uska khandan wahan ga^^d marane ka kaam krta tha usi ka generation se h ye log😂😂

  • @r.r.ahirwar3357
    @r.r.ahirwar3357 Рік тому +18

    Excellent views on the same subject and great thanks to you.

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय r.r.ahirwar🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

  • @sachidanandsingh2936
    @sachidanandsingh2936 Рік тому +2

    प्रो राम पुनियानी और मुकेश कुमार जी पहले ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर जिसमें पुरातात्विक प्रमाण (खुदाई,शिलालेख,गुफा लेख), विदेशी यात्रियों के यात्रावृतांत का उल्लेख हो , कि चंद्रगुप्त मौर्य के समय तक तथाकथित आर्यों का जम्बूद्वीप में आगमन हो चूका था, साबित कीजिए।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय 🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।समय के साथ चीजें गलत होती गईं।
      यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

  • @jagjitsinghgrewal6375
    @jagjitsinghgrewal6375 Рік тому +41

    Thank you Mukeshji and Prof Puniyaniji for clearing the myth surrounding the non existent Chankya with well researched logics.

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому +3

      आदरणीय Jagjitsinggrewalji🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

    • @inderjeetgiroh1814
      @inderjeetgiroh1814 Рік тому +3

      If Bharat has to become again World Leader, we have to abolish Castes, like under Article 17 of the Indian Constitution Untouchability has been Abolished. We have to create scientific attitudes among our citizens.

    • @bpp827
      @bpp827 Рік тому +3

      @@avadhutjoshi796 pandit to hamesha ambedkar ke bare me.. negetive hi bole hai..🤣🤣

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому +1

      @@bpp827 ईसमें हसने जैसा क्या है? कोई कॉमेडी शो तो है नहीं. मैं धार्मिक और सामाजिक विवादोंका समाधान ढूंढने की बात कर रहा हूं. और आप फालतू बाते कर रहे है. अगर पंडीत आंबेडकरके बारेमें नकारात्मक सोचते थे तो डाॅ.बाबासाहेब आंबेडकर भी पंडीतों के बारेमें वैसा ही नकारात्मक सोचते थे. ईसी को तो विवाद कहते है.

    • @AkhandJambudweep.
      @AkhandJambudweep. Рік тому +4

      @@avadhutjoshi796 itna kissa khani likhne ki jarurat nhi hai.....hindu dharam jaisa kuch hai nhi vo srf brahmin baniya dharam hai....puri treh unhi k ayaashi or mjje k liye banaya gya ha ....srf or srf iss desh ki political and econimical malai lutne ko

  • @rnshrivas6949
    @rnshrivas6949 Рік тому +2

    मुकेश जी बहुत धन्य दीप हैं आप।

  • @pravinshetty1310
    @pravinshetty1310 Рік тому +15

    Chanakya is an imaginary character.
    Chandragupta became Emperor with his own intelligence and own strength. 😮😮😅😅

  • @DineshKumar-pq5mc
    @DineshKumar-pq5mc 3 місяці тому

    अति सुंदर!!👍👍👌👌मुकेश जी आपने और श्री पुनियानी जी ने बहुत सटीकता और तथ्यात्मक रूप से चाणक्य के भ्रामक और मनगढ़ंत चरित्र को उजागर किया है!!!
    ❤❤

  • @RajMalhotra69
    @RajMalhotra69 Рік тому +34

    ब्राह्मणों की चाणक्य के ज़रिए यह साबित करने की कोशिश की गई है की चंद्रगुप्त के समय में ब्राह्मण का अस्तित्व था।
    जबकि अलबरूनी के अनुसार CE के बाद से ब्राह्मण का अस्तित्व मिलता है।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому +1

      आदरणीय rajmalhotraji🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

    • @aakashtiwariofficial7473
      @aakashtiwariofficial7473 Рік тому

      तुम लोग विदेशियों का लिखा बहुत मानते हो ।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      @@aakashtiwariofficial7473 ईसके लीये 2015 से आदरणिय मोदीजी और ऊनकी सरकार जिम्मेदार है. 2015 से इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं. ताकी ऐसे सभी विवादोंका स्थायी समाधान हो. सत्य प्रस्थापित हो. 1400 प्रार्थनापत्र दीये है सरकारको. पर सरकार मदत नहीं कर रही है. 🙏. अवधूत जोशी

  • @siddharth2315
    @siddharth2315 Рік тому +39

    तक्षशिला विश्वविद्यालय बौद्ध संस्थान था , वहाँ सारे बौद्धाचार्य थे तो ये चाणक्य बाहरामण कैसे हो गया ?

    • @anilmaurya7701
      @anilmaurya7701 Рік тому +2

      भाई आपकी जानकारी के लिए बता दू की तक्षशिला और नालंदा विस्वविद्यालय मे बौद्ध धर्म की शिक्षा चलती थी लेकिन ये विश्विधालय गुप्त वंश के शाशको ने बनवाया था

    • @siddharth2315
      @siddharth2315 Рік тому +3

      @@anilmaurya7701 मेरे द्वारा पूछा गया सवाल सभी के लिए था और तुम्हारे लिए भी था ...तथ्यात्मक विचार करने के लिए ।
      ...और हाँ मौर्य काल पहले आया , कोई 6-7 सौ साल बाद गुप्ता काल आया ,,,,और तब अगर तक्षशिला विश्वविद्यालय मौर्यकाल में था तो नंदवंश , शिशुनाग वंश, हर्यक वंश ने बनवाया होगा या बौधमार्गियों ने बनवाया होगा.....और अगर कहीं तुम्हारे अनुसार तक्षशिला विश्वविद्यालय का निर्माण गुप्ता वंश(जो बाद में आया) ने कराया तब तो चाणक्य काल्पनिक सिद्ध हो गया.

    • @asmasitara3930
      @asmasitara3930 Рік тому +1

      ​@@anilmaurya7701jise Aryan videshi brahmmanwadi manuwadi duawara toda Gaya tha

    • @soulin8520
      @soulin8520 Рік тому

      What a joke !
      Ram puniyani giving lecture on historical event !

    • @javaprogrammer5662
      @javaprogrammer5662 Рік тому

      और ये तुम कहा से पढ़ के आये हो?

  • @GhumakkadYogeshRajput
    @GhumakkadYogeshRajput Рік тому +12

    जीन वामपंथियों को यह लगता है कि भारत का जन्म ही 1947 में हुआ और भारत को इन्होंने अंग्रेज इतिहासकारों से जाना उन्हें चाणक्य की उपस्थित जूठी ही लगेगी

  • @bhushandhabekar2316
    @bhushandhabekar2316 Рік тому +3

    in which script it was written?

  • @cprakashsharma8116
    @cprakashsharma8116 Рік тому +7

    यानि आपके मुताबिक चाणक्य थे ही नहीं। अगर थे तो बहुत बुरा अर्थशास्त्र लिखा। चंद्रगुप्त गरीब और पिछड़ा तो था, मगर बिना चंद्रगुप्त की मदद के ही चक्रवर्ती बन गया। धन्य है आपलोग। अपना एजेंडा चलाने के लिए कुछ भी

    • @mohit19907
      @mohit19907 Місяць тому

      Chanakya ki arthshaastra sanskrit main h or ashok k samay ki lipi prakrat or paali h... Orr doosra ashok k shilalekho main chanakya ka jiqra nahi h....
      Or magastneez ki indika main bhi uska ziqra nahi h

  • @thetramp785
    @thetramp785 Рік тому +3

    1905 में प्राप्त ताड़पत्र पर अंकित अर्थशास्त्र मिली। क्या ताड़पत्र की कार्बन डेटिंग की गई है? यदि हां, तो पांडुलिपि कितनी पुरानी है? भाषा-विज्ञान के अनुसार उसकी लिपि और भाषा कब की सिद्ध होती है?

  • @RNMimrot-ql7ds
    @RNMimrot-ql7ds Місяць тому +1

    चाणक्य द्वारा निर्देशित व प्रभूत्व प्रधान चन्द्रगुप्त शासन व्यवस्था का विवरण विस्तार से मिलता है परन्तु चाणक्य के जन्म मृत्यु का स्पष्ट उल्लेख न होना तथा उपलब्ध तात्कालिक अभिलेख प्रमाण आदि में चाणक्य का उल्लेख न होना ही आश्चर्यजनक रूप से चाणक्य के अस्तित्व पर संदेह उत्पन्न करता है।

  • @sjb-mx8ly
    @sjb-mx8ly Рік тому +5

    आज भी जब कोई ब्राम्हण अकबर से होशियार बीरबल बताने की बात करता है तो बहुत हँसी आती है ।

  • @jogindersagar2629
    @jogindersagar2629 Рік тому +1

    18:20 mera ek sawal hai mukesh ji....jo pandulipiya 1908 me achanak mili or usme chandragup k achivemnt ka credit lene ki koshih kiya hai....
    uski carbon dating se ye pta chal sakta hai ki kitni purani hai ya recent me likhi gyi hai ....

  • @jaswantsinghkailashiya4519
    @jaswantsinghkailashiya4519 Рік тому +3

    मान. सर्वो. न्याया.की एक बहुत बड़ी बैंच ने आप. प्र.क्र.291/1971,उ.प्र.सरकार बनाम ललयी सिंह यादव में स्थापित किया है कि रामायण एक काल्पनिक ग्रंथ है।
    उल्लेखनीय है कि वे तर्क और आधार रामायण को काल्पनिक ग्रंथ स्थापित करने में प्रयोग किये हैं वे ही तर्क और आधार महाभारत गीता आदि हिंदू धर्म ग्रंथों पर भी लागू होते हैं। अर्थात ये भी काल्पनिक हैं।
    अब कोई यह नहीं कह दे कि सर्वोच्च न्यायालय तो राष्ट्र विरोधी है?

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому +1

      आदरणीय 🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

  • @rajsingh19444
    @rajsingh19444 Рік тому +9

    धनानंद भी पिछड़ी जाति का और सम्राट अशोक भी पिछडी जाति का लेकिन ये ब्राह्मण राजपूत कब आऐ भारत में

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय rajgrewalji🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

  • @sureshdohare8427
    @sureshdohare8427 Рік тому +6

    Thankyou so much sir Punia Ji for truth history 🙏🙏

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому +1

      आदरणीय @sureshdohare8427🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।समय के साथ चीजें गलत होती गईं।
      यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

  • @KESARIYA2023
    @KESARIYA2023 Рік тому +3

    1905 में ही aayan attacks की थ्योरी आई थी, उसको आँख बंध करके सच मानते हैं puniyani जैसे लोग

    • @thegoldberg8470
      @thegoldberg8470 Рік тому +1

      Munna saboot mane jate hai 😂😂 gappe nhi

    • @KESARIYA2023
      @KESARIYA2023 Рік тому +1

      @@thegoldberg8470 .... Bhai... Sahab
      . Sabooot kisi ke paas kuch nahi hai.... Aur tere paas to kuch nahi....

  • @pardeepbhambhurmg13
    @pardeepbhambhurmg13 Рік тому +22

    मुझे भी काल्पनिक पात्र लगता है

  • @malvindersingh6828
    @malvindersingh6828 Рік тому +21

    Mukesh Kumar ji - Thank you for bringing such important and historical topics to public.

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому +2

      आदरणीयmalvindersinghji🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

    • @civilofficer8636
      @civilofficer8636 Рік тому

      Tujhe chutiya bna rha

    • @soulin8520
      @soulin8520 Рік тому

      He is profesor of bio medical , not history . There is no value of his openion about any historical event .

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      @@soulin8520 You are totally wrong. Pl tell me about a historian. What is historian?

    • @soulin8520
      @soulin8520 Рік тому

      @@avadhutjoshi796
      I have been following Mr. Ram Puniyani almost 6 years .
      Non professional history is referred to the analysis taken by the persons who do not have the fact of legitimacy and keep to speculate on all matters. It's easy to detect a professional historian from an amateur or a non professional person .
      He is master player in distorting the history and glorifying the mughals and other invaders .
      William Dalrymple ( historian and author ) writing about the Islamic invasions of India….” Practically everything was eradicated in the cultural holocaust that accompanied the first Turkic invasions of northern India in the thirteenth century. In these conquests an enormous corpus of Buddhist knowledge was lost through Islamic iconoclasm in an orgy of wreckage comparable to the burning of the Alexandrian Library, or the destruction of centers of learning .
      We ignore history at our own peril…enabling pretenders and apologists to become ‘experts’ and to deliver their opinions as fact…please spare us

  • @inderjeetgiroh1814
    @inderjeetgiroh1814 Рік тому +36

    There is no proof that there was any Chanakaya. There is no archival proof in inscriptions of Asoka. Chanakaya is the creation of Manuwadis.

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому +2

      आदरणीय inderjeetgiroh🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

    • @dipeshbhai9056
      @dipeshbhai9056 Рік тому +2

      Allah ka koi proof h??

    • @inderjeetgiroh1814
      @inderjeetgiroh1814 Рік тому +1

      @@dipeshbhai9056 yes there is no such thing.

    • @dipeshbhai9056
      @dipeshbhai9056 Рік тому +1

      @@inderjeetgiroh1814 to ap mante ho Allah bs kalpanik hai

    • @inderjeetgiroh1814
      @inderjeetgiroh1814 Рік тому +1

      @avadhutjoshi796 I sincerely support your endeavors. As a close watcher of SOCIAL CHANGE in our Society, I see many good things happening over the last 76 years and after the adoption of the Indian Constitution. Still, DALITS and Adivasis, and OBCS are feeling that they have not been given their share in the development of the Socioeconomic part. They feel that most fruits of development have been cornered by Upper Castes people, particularly Brahmins. To achieve their goals, the Dalits, Adivasis, OBCs, and PASMINDA MUSLIMS have joined hands. I see that they are very active and vociferous.
      I have a suggestion: under Article 17 of our Constitution, UNTOUCHABILITY has been Abolished. Now the time has come when CASTES should be Abolished under Article 17. This will bring huge changes in the minds of our citizens.

  • @भारतीययुवा-ज7ल

    पंडितों का फैलाया हुआ झूठ है, झूठ फैलाना इनकी पुरानी आदत है, जागो पिछड़े दलित और इनकी किसी भी बात पर भरोसा मत करो ।

  • @abhinavsharma1740
    @abhinavsharma1740 Рік тому +7

    Mukesh sir aapne aaj dhananand ke bare me itni batayi or prof. Punyani itani sari chije chankya ke bare me uska source/ book bataye hamara knowledge badhega 🙏
    It's seems that you were eye witnesses Historians of maurya Era.

    • @rnmishra7001
      @rnmishra7001 Рік тому

      Bhayankar roop se har subject par, khali ithihas nahi kunthith soch pakachpaati vichardhara hai.bhayankar roop se ghamand ki bas mai hi sab Jaanta hun , baki dusare kuch nahi jaante. Dusaro ke vicharon soch ko le kar bhayankar durbhavana . Politics mai to pakachpaat chal Jaata hai, baki aur vidhao jaise khel kala dharam vegerha mai intolerance nahi chalti. Jaativaadi soch se jaativaad ka yeh virodh karte hai. Khule dimag khuli soch gayab hai.

    • @ImmatureBaller8010
      @ImmatureBaller8010 Рік тому

      Bhai aisa bola jaisa ye sir 100 percent sure ho. Seedha ek insaan ko he mangadth bata diya...brahmano se itna nafrat....brahman kb aaye ye puchte h log toh phir shri krishna pe bhi koi praman mangne lagenge 😢

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय abhinavsharmaji 🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

  • @kamleshkandolia3343
    @kamleshkandolia3343 Рік тому

    Shi Jankari Satyahindi Shi Analysis Prof.Ram Puniyaji

  • @mukeshchhawindra7364
    @mukeshchhawindra7364 Рік тому +5

    आप दोनो को साधुवाद एवं धनयवाद 🙏🙏🙏

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय mukeshchhawindraji🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

    • @spicybinga7469
      @spicybinga7469 Рік тому

      Chamarjeevi zindabad

    • @mukeshchhawindra7364
      @mukeshchhawindra7364 Рік тому

      @@spicybinga7469
      अंधभक्त 🤬🤬

    • @mukeshchhawindra7364
      @mukeshchhawindra7364 Рік тому

      @@avadhutjoshi796
      आपके विचार बहुत अच्छा है,,
      जय भारत जय संविधान जय विज्ञान
      आपको भी साधुवाद और धन्यवाद 🙏🙏🙏

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      @@mukeshchhawindra7364
      जय भारत जय संविधान जय विज्ञान, मुझे ये जयकारा पसंद आया. यह हमारे राष्ट्र के लिए आवश्यक है। बहुत धन्यवाद.
      कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार को अधिकतम लोगों के साथ साझा करें और समर्थन करें। इसके लिए किसी अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता नहीं है. दोस्तों, रिश्तेदारों से बातचीत करते समय, ऑफिस में, यहां तक ​​कि यात्रा में भी आप ऐसा कर सकते हैं।
      🙏
      अवधूत जोशी

  • @SantoshKumar-kv5ce
    @SantoshKumar-kv5ce Рік тому +1

    Saari duniya me Buddh hi satya hai Baki sub kalpanik hai Namo Buddhay Jay bhim jai samvidhan jai vigyan Jai Bharat jai Mulnivasi 🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹

  • @jagdishchandra1468
    @jagdishchandra1468 4 місяці тому +3

    आज का आपका वीडियो देखकर बहुत आनंद आ गया चाणक्य को अपने काल्पनिक साबित करने की कोशिश की तो गौतम बुद्ध पर भी एक ऐसा ही वीडियो बनाएं सर के काल्पनिक गौतम बुद्ध को कैसे सम्राट अशोक ने स्थापित किया था और एक काल्पनिक धर्म बुद्ध धर्म चलाया था

  • @dattatraykapase9967
    @dattatraykapase9967 Рік тому +1

    ब्राह्मण द्वेषाची कावीळ कि सत्य हे समजन मुश्किल

  • @sajjadjaffri8370
    @sajjadjaffri8370 Рік тому +7

    अर्थशास्‍त्र की मूल भाषा काैैनसी है ।
    अशोक ने तो ब्रहमी और आरमाइ्रक भाषाा थी ।
    अर्थशात्र कोरी कल्‍पना है , कोई साक्ष्‍य नही है ।

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय @sajjadjaffiri8370🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।समय के साथ चीजें गलत होती गईं।
      यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

  • @baburaobagade6941
    @baburaobagade6941 Рік тому +10

    अबतक रामदास स्वामी, शिवाजी महाराज के गुरू बताये गये. परंतु स्वामी और शिवाजी महाराज समकालीन नहीं थे .

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय 🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।समय के साथ चीजें गलत होती गईं।
      यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

  • @rakeshkumardiwakar4451
    @rakeshkumardiwakar4451 Рік тому +1

    एक और बात आती है कि विष्णुगुप्त चन्द्रगुप्त का बड़ा भाई था और उसने ही चन्द्रगुप्त को आगे बढ़ाया लेकिन चाणक्य को जबरन डाला गया जबकि चणक नाम का एक बौद्ध भिक्षु था जिसका नाम इसके लिए इस्तेमाल किया गया

  • @rafiqquadri4588
    @rafiqquadri4588 Рік тому +2

    श्री राम पुनियाणी जी श्रेष्ठ हैं ।

  • @yashjoshi5916
    @yashjoshi5916 Рік тому +8

    चंद्रगुप्त था लेकिन चाणक्य नहीं था वा गुरु 😂😂😂

  • @KamalSingh-cq4ct
    @KamalSingh-cq4ct Рік тому +2

    Great sir

  • @JaswinderSingh-xw6cf
    @JaswinderSingh-xw6cf Рік тому +2

    Good job

  • @sahilyadav2141
    @sahilyadav2141 Рік тому +1

    Baah baba saheb ke pyare baccho lage raho 😂😂😂😂😂😂

  • @AmitKumar-gs2us
    @AmitKumar-gs2us Рік тому +9

    They also come with facts and logics 👍👍👍

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय AmitKumar🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      Amitji! I liked your approach of accepting logical things. However the logics given by Ram Puniyaniji are not entirely correct. Pl keep your love for logical and rational approach and support me.
      Avadhut Joshi

    • @AmitKumar-gs2us
      @AmitKumar-gs2us Рік тому

      @@avadhutjoshi796 joshi ji it is great to see your knowledge of indian history ..i agree with you Ram puniyani ji not entirely correct but you will agree with me history is not as we read or hear it is slightly different . I also want to take initiative like you are doing. Respect for humble nature.

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      @@AmitKumar-gs2us Thanks Amit for responding. However I wish to clarify something, and expect some clarification from you. 1) I never expressed any historical knowledge in my comment. My comment is more fouced on the process of finding solutions. I just gave root cause of the disputes. 2) Though you agreed to me, you did not tell your view on nationwide discussion. So I am not getting the exact topic of your agreement with me. 3) You are expecting my agreement with your view about history. I am sorry for not in agreement with your view. There is very insufficient information for agreement. Please elaborate your view. 4) if you are taking any initiative on these subjects, Pl explain its nature. Anyhow, in my idea of nationwide discussion, I am including you also. I am waiting for government response. Till then please support me and share the idea of nationwide discussion with maximum people. 🙏. Avadhut Joshi

  • @shanmukhappamuttagi5310
    @shanmukhappamuttagi5310 Рік тому +1

    Who are Shankacharya ,C.V.Raman, Romanian,mathematician , Chandrashekhar, Visvesaraya, Bhaskracharya and many more. Nehru, Shastri, Vajapai Nabudripsd

  • @jagjitsinghgrewal6375
    @jagjitsinghgrewal6375 Рік тому +9

    Well analysed information. Thank you sir.

  • @dashrathkhatwani7644
    @dashrathkhatwani7644 Рік тому +4

    राम पुनियानीजी ,कृपया सिंध के ब्रामण राजा दाहिरसेन के इतिहास के बारे बताये..इंतजार रहेगा।
    .

    • @biomind
      @biomind Рік тому

      Chachnama padho kyase Sindhi Raj ki Rani Ko pata ke khud Raja ban gya

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय @dasharathkhatawani7644🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।समय के साथ चीजें गलत होती गईं।
      यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

    • @indrapokharel1845
      @indrapokharel1845 Рік тому

      Ram puniyani is planted by anti Bharat

  • @karamjitkaur4648
    @karamjitkaur4648 Рік тому +3

    Very nice explanation
    Brahman
    BJP
    VHP
    Bajrang dal
    🙏🙏🙏🙏🙏

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय 🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

  • @Blessed_Wind6
    @Blessed_Wind6 Рік тому +1

    Mukesh Kumarji is trying to create to negativity against Hinduism... Thanks to Punyani ji for honest answers... Mukesh ji don't spoil the environment it's already spoiled too much now a days...According to Mukesji Chandragupta doesn't exist... Thanks to Punyani ji... Mukesh ji the aim of Satya is not to create negativity...

  • @jitendranawani531
    @jitendranawani531 Рік тому +5

    सत्य वही जो मुकेश जी बताये बाकी सब कपोल काळपनिक।। पुंयानी जी की बात से तो स्पस्ट प्रतीत होता है कि उनकी फटी पड़ी है।।। कितना गिरोगे प्रभु।।।

  • @workingimage4434
    @workingimage4434 Рік тому +1

    नालंदा मे ३लाख से ज्यादा बुक्स जल गई।

  • @vpsbhati7938
    @vpsbhati7938 Рік тому +3

    छोड़ो सब कुछ। चीन से पैसा बराबर मिल रहा है ना। Just chill.

  • @69bungo
    @69bungo Рік тому

    I fully agree with Professor Puniyani

  • @satindrapaulsingh9329
    @satindrapaulsingh9329 Рік тому +17

    Book published in 1905 may be concoted.This book may have been planted by the British Empire in connivance of the Brahmins to prove the superiority of this caste.

    • @rnmishra7001
      @rnmishra7001 Рік тому +1

      Aise to mohan jhodro harrapa sindhu ghati ki sabhayata ke bare mai 100 saal pahele patta laga. Aegrejo ne hi khudi karwai. Khajraho ka bhi patta 150 pahele hi chala.Ashok ke baare mai 100 saal pahele hi patta laga. Sare dharmik garanth apne mool roop mai hai kaya availble. Jayadatar viewers including me ya to eatne well read nahi ya jo pade uasse bhul gaye hai. Yeh log easi ka fayada uttathe hai. Pada enhone bhi nahi. Bas exam. Point of view se kuch answer rat liye.

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय satindrapaulsinghji🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

  • @nishnatbiswas9245
    @nishnatbiswas9245 Рік тому +2

    Well said

  • @jks7856
    @jks7856 Рік тому +3

    This is the truth. Even Greeks never talked about any such system.

  • @Sunil-zd4iv
    @Sunil-zd4iv Рік тому +1

    पुनीयानी को एक काल्पनिक, कठोर, मनगढंत ब्राह्मणपर इतने शब्द खर्च करने की जरूरतही उसके कार्यकी महानता दर्शाती है. 😂
    पुनियानी और रोमिला थापर जैसे अजेंडाबाज लेफ्टचाटूकार लोगोंका दौर खतम. टाटा. गुडबाय.

  • @AslamKhan-gb8ho
    @AslamKhan-gb8ho Рік тому +2

    Excellent observation and analysis.

  • @bapparawal9709
    @bapparawal9709 Рік тому +3

    कल का बुद्ध आज का केजरीवाल।
    एक लोगों को दुःख दूर करने का झांसा दिया।
    दूसरे ने मुफ्त में बिजली पानी टॅक्स मुफ्तखोरी का झांसा दिया।

  • @ASHOK251058
    @ASHOK251058 Рік тому +7

    चंद्रगुप्त के समय संस्कृत भाषा थी ही नहीं। 😁😁😁😁

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय ASHOK🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

    • @ASHOK251058
      @ASHOK251058 Рік тому

      @@avadhutjoshi796 आपका प्रयास सराहनीय है। हर प्रकार का संभव सहयोग रहेगा।।अगर हम एक स्वस्थ समाज का निर्माण करते हैं तो इससे किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
      वैसे चाणक्य के बारे में व्यक्तव्य किसी के विरोध में नहीं है। न ही किसी विचार से प्रेरित है। यह शुद्ध रूप से शैक्षणिक है।🙏🙏

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      @@ASHOK251058 धन्यवाद सर. आपका चाणक्य के प्रती अगर नकारात्मक विचार है तो भी स्वागत है. मैं ऊसे विवाद के रूपमें देखुंगा. अशोक251058 के प्रती कतई नकारात्मक नहीं रहुंगा. मेरा ईसपर अनुभव बताता हूं. सच्चे आंबेडकरवादी, सच्चे हिंदू और सच्चे धर्मनिरपेक्ष सभी देशव्यापी चर्चा का समर्थन करते है. दोगले विरोध करते है....क्या जरुरत है ईसकी. देखीये सर ऐसे विरोधाभासपर हम समाधान निकालेंगे तो हम सच्चे देशभक्त. और संविधान भी ऐसी शास्त्रीय सोच की बात करता है. आप देशव्यापी चर्चा कि बात लोगोंसेभी साझा करना ऐसी आपसे प्रार्थना है. ईसीसे एक सामूहिक इच्छा बन सकती है. 🙏. अवधूत जोशी

    • @ASHOK251058
      @ASHOK251058 Рік тому

      @@avadhutjoshi796 पुनः निवेदन है श्रीमान चाणक्य या किसी के प्रति नकारात्म या सकारात्मक का प्रश्न ही नहीं है। मात्र इतिहास को निरपेक्ष भाव से समझने का प्रयास है। नए भारत के निर्माण में अंबेडकर का बहुत बड़ा योगदान है। लेकिन मैं अंबेडकर तक ही सीमित नहीं हूं।🙏

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      @@ASHOK251058 धन्यवाद भाईसाब. मैंने नकारात्मक और सकारात्मक कि इसलीये बात की क्यों की.... मेरी कॉमेंट आपके काॅमेंट के संदर्भमें है ऐसा आपको लगा. और इसलीये आपने ऊसका स्पष्टिकरण दिया. अगर वैसा नहीं है तो ऊसे हम भुल जाते है. एक सर्वसाधारण बात कहता हूं. मैं किसीके कॉमेंट के संदर्भमें विचार नहीं रखता. बस मैं ने जो काम हाथमें लीया है ऊसकी जानकारी देता हूं. मैने लीखा है की ईन विषयोंपर चर्चा के लीये खास प्रणाली विकसीत की है. और ऊसी के अंतर्गत मैं चर्चा चाहता हूं. और वह बात सरकार के आशीर्वाद से ही हो सकती है. तो किसी के साथ चर्चा की कोई संभावना है ही नहीं. अब बात डॉ. आंबेडकरसाब या किसी और के देशके लीये कीये कामोंकी. ऊसमें मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है. वह राजकीय पक्ष देखे. मेरा विषय है ईतिहास जाती और धर्म विषयक विवादोंका स्थायी समाधान. जो सरकार मेरी मदत करेगी वह सरकार मेरे काम की. वैसे 2015 से मैं सरकार के आशीर्वाद का हकदार हूं. पर नहीं मीली मदत. तो नाराजी है... तीव्र नाराजी है. पर फीरभी सरकार का न्यौता मिलेगा तो खुदको भाग्यवान समझूंगा. जबतक ऐसा होता नहीं तबतक आप जैसे यू ट्यूबर्स के साथ देशव्यापी चर्चा कि बात साझा करूंगा. मैं एक सामान्य नागरिक हूं. मेरे बसमें है ऊतना श्रद्धापूर्वक करता रहूंगा. 🙏. अवधूत जोशी

  • @ashishkatyan9847
    @ashishkatyan9847 Рік тому

    AAP dono ke andar ek dhanya aatma hai bhagwaan kare us aatma ko jaldi mukti mile

  • @cho1013
    @cho1013 Рік тому +3

    सम्राट अशोक के बारे में भी सुना है कि 1915 में मील शिलालेख के बाद ही पता चला था

  • @ashvanikumar6305
    @ashvanikumar6305 Рік тому

    Inhe satya hindi valo ko muglo se koi praman nhi chahiye but chanakya ki chahiye best comedy channel till now on you tube

  • @indicgyantv5454
    @indicgyantv5454 Рік тому +6

    Can you please organize an session on debate for this topic. I could share lots of litrary evidences from Buddhist, Jain and Puranic sources on Chanakya and also views on Kautilya Arthashastra from Indologists. It is an one sided interpretation from PuniyaniJi

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय @indicgyantv5454🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।समय के साथ चीजें गलत होती गईं।
      यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

    • @iPolitics.
      @iPolitics. 11 місяців тому

      These people are trying to wipe out our history. All these things are part of subversion. Do read about how subversion works. You'll know about it.

  • @satishurdu9818
    @satishurdu9818 Рік тому +1

    Chander gupat morya K time jo unani vidvaan, rajddot magasthneez bhi isi darbaar mei hi tha, jis ne morya raaj par apni kitaab indica likhi thi, jo kitab aaj bhi World ki universeties mei as history parrhayi dikhayi jaati hai. Us kitaab mei kahin bhi chankya ka zikar nahi hai. Aur us time sarkari Bhasha pali prakrit thi. Lekin brahmnwaadi chankya ko Sanskrit ka mahan guru btaa rahay hain. Asl mei us time morya dynasty ka mahan vidvaan mahan Guru chaper naam kay thay. Brahmnwadion ne chaper ki jagah chankya bhar diya

  • @mukulkaushik22
    @mukulkaushik22 Рік тому +3

    A. If Chanakya didn't write Arthshastra then who did? Prof Puniyani conveniently discredits Chanakya. But at the same time he claims that there is no evidence for or against Chanakya writing Arthshastra, so I would only suggest that till you find conclusive evidence there is no point in discrediting Chanakya and exhibiting anti Brahmin prejudice.
    B. Prof. Puniyani and the comperer both conveniently forget that story of Chanakya is more about an ascetic teacher and an ordinary person whom he mentored as a student and not about a Brahmin and a lower caste person. Also in this entire discourse I didn't here the word teacher even a single time.
    C. If Chanakya has been really propped up by upper caste brahmins then why did he became a Jain during his last days?.....Some points to ponder!

    • @amarbhengra4038
      @amarbhengra4038 Рік тому

      At first you read the history of language of that period and remember Chanakya was famous for his Sanskrit language according to Brahmanavaad knowledge. But Mouryan era was with Pali language, mind it.

  • @ikumar7827
    @ikumar7827 Рік тому +1

    Gandhi ya maulana Azad nahi hame Ambedkar chahiye.....jai Bheem

  • @aurangzebansari3007
    @aurangzebansari3007 Рік тому +4

    , very nice discussion

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय 🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

  • @elevenstarclub
    @elevenstarclub Рік тому +1

    Chanakya sabse mahan hai..

  • @rajkumarsonipat6815
    @rajkumarsonipat6815 Рік тому +3

    Shri man जी चन्द्रगुप्त का सही नाम चचंदर h jo maha। पदमंद ka putr h our mura ka beta h chanke ka apman महापद्मनद ke time huva tha maha padmand ne apne pale bete ko Raja bna deya tha our chander कोसेनापति jo chandergupt koape peta se jlne laga our is bat ko chaneke ne फायदा उठा या chanke के
    सद्यंत्र से राजा महापदमानद कोजाहर देकर पुत्रो shet mrwya our bad me chande he bha jeskao chaneke ne chander महापदमानद ko kha ke tum apni maa ka gotr lgao jo mura ka morya bana deya dnand our chander dono ek peta ke putr h per maa alg thi
    Our jab sekander ne jab bhart per hamala karna cha us time महापदमंद ka raj tha jab maha padmand ko is bat ka pata chala k 14:20 e sekander hamla krne wala h to maha padmnd ne apna dut beja our sekandr ke pass ek patr dekar beja ke seknder tu ud क्यों करना चाहते हो rupe kele jmen के लिए दास दासेयो केलिए hati godo ke le मैं तुम को सब kuh duga per ud mat kro kyo की लड़ाई से bhut नुकसान हो सकता है में तुम से डर kr nhi khe रहा हुं। क्यो की लड़ाई दोनो तरफ नुकसान होगा। तुहारी लडाई अब बहुत बड़े राजा से h jo tmne mere बारे जानकारी सही nhi h me har treke se तुम से ten गुना ज्यादा हूं hahe den dolt ho sena ho ओर में तुम्हें एक sla our deta हु

    • @rajkumarsonipat6815
      @rajkumarsonipat6815 Рік тому +2

      के तुम मेरे मित्र बन जाओ में पास जो भी है वह सब kuh आपका और तुम्हारे पास जो कुछ h vo Mera । ager fir bhi Tum यह smeg te ke me dar kar khe rha hu to tum glt ho।agar tum ladne ka he socha h to me our sirf तुम ldoge ou koe nhi Jo getega वही dno jge Raj krega mange h to fesla ho जाए। सिकंदene दोस्ती की और अपने मंत्रि सालकुकुस की पुत्री के सदी के महापद्म से तब सेकंड को महान saken der को ऊ pa de

  • @FANTUSHCOMEDY
    @FANTUSHCOMEDY Рік тому +2

    चलो मान लेते हैं सबकुछ सही था, मैं तेरे बात में भी आ गया था परन्तु अंतिम में प्रोफेसर जो बोल दिया, सब बेकार कर दिया

  • @goverdhandhari5282
    @goverdhandhari5282 Рік тому +7

    चलो आगया एक और कम्युनिस्ट लिब्रांडू ।

  • @jogindersagar2629
    @jogindersagar2629 Рік тому +1

    ram ji ko sammn unko sunna accha lagta hai....sath hi saaf saaf jankari se is samj me maujood juth bhram ko lekar unki mehnat samman yogya h......
    sath hi mukesh ji ko danhyawad aisi series jankari laane k liye.....
    ek aur baat ram ji or mukesh ji ap dono k bolne ka tarika shant tarika peaceful voice tone ....ne mujhe inspire kiya hai mai yhi tone ab apnane ka prayas kar rha hoon ❤❤❤

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому

      आदरणीय @jogindersagar2629🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।समय के साथ चीजें गलत होती गईं।
      यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

  • @Gupta_Dynasty
    @Gupta_Dynasty Рік тому +2

    Chanakya is imaginary fairy tale established by some Brahmin 😅

  • @jaibirkhicher8179
    @jaibirkhicher8179 4 місяці тому

    Salute aap dono ko

  • @indrapokharel1845
    @indrapokharel1845 Рік тому +10

    That time chandragupta's commanders were this Mukesh and Ram Puniyani 😮😮😮

    • @spicybinga7469
      @spicybinga7469 Рік тому

      😂😂😂😂😂😂😂😂😂😢😢😢

  • @earthearth80
    @earthearth80 Рік тому +1

    Chankya is real King 3000 salo me unse Bada koi nhi

  • @avishri1470
    @avishri1470 Рік тому +8

    bhartendu harishchandra wrote the Hindi drama in 1871... that is the first reference of chanakya or kautilya there is no historicity of the character Arthashastra was first published in 1905

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому +1

      आदरणीय 🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।समय के साथ चीजें गलत होती गईं।
      यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।आज कई लोग हिंदू धर्म में गर्व महसूस करते हैं। यह पवित्र संहिता या संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। यह विपरीत बात हर जगह समस्या पैदा कर रही है।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

    • @ASFACT2805
      @ASFACT2805 Рік тому

      thoda dhyan se sun le isko

  • @maheshmalhotra2662
    @maheshmalhotra2662 4 місяці тому

    निराधार /प्रमाण रहित टिप्पणी जो जातियों में वैमनस्य नफरत और धार्मिक संघर्ष फैलाने का यह दोनो महोदय अपने हर वीडियो में प्रसारित करते है यह अपराध पूर्ण कार्य खुले आम कर रहे है

  • @mohansingh5000
    @mohansingh5000 Рік тому +3

    Great analysis

    • @avadhutjoshi796
      @avadhutjoshi796 Рік тому +1

      आदरणीय mohansingji🙏!
      जब भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब हिंदू धर्म पर दो अतिवादी विचार थे। सावरकर उन भावनाओं के नेता थे जिनके लिए हिंदू धर्म महान था और डॉ. अंबेडकरजी उन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे जो हिंदू धर्म को तुच्छ समझते थे। कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य शक्ति थी और वह उस काल की हिंदू पार्टी भी थी। डॉ. अम्बेडकरजी अमानवीय कानूनी प्रावधानों और जाति के आधार पर भेदभाव के कारण हिंदू धर्म पर सवाल उठा रहे थे।
      स्वतंत्रता संग्राम हिंदू धर्म की वास्तविक स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए हिंदू पार्टी कांग्रेस ने एक पवित्र समझौता अपनाया। उसी पवित्र समझौते को आगे बढ़ाया गया। यह माननीय नेहरूजी के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली सरकार में दोनों चरमपंथियों के समावेश के रूप में परिलक्षित हुआ। पहली सरकार में डॉ. अम्बेडकरजी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी (सावरकर के शिष्य और वर्तमान भाजपा के जनक) दोनों शामिल थे।
      इस तरह भारत को एक विरोधाभासी व्यवस्था मिली।यह पवित्र समझौता एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की भावनाओं के सम्मान में किया गया।
      समय के साथ चीजें गलत होती गईं। इस विरोधाभास ने जाति, धर्म और राजनीतिक झुकाव पर आधारित इतिहास के कई संस्करणों को जन्म दिया है और इसलिए विवाद ।
      इसलिए मैं इसे देशव्यापी चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहता हूं। यही सबसे सही तरीका है जो संविधान में दिए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाता है। किसी भी बुद्धिमान राष्ट्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि हम चर्चा के माध्यम से सत्य की खोज करें।
      यह हो सकता है।मैं राष्ट्रव्यापी चर्चा आयोजित करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं।
      मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन शुरू कर दिया और अब इस तरह की राष्ट्रव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं। मैं देश के हर नागरिक को शामिल करना चाहता हूं। मैंने जरूरतों के अनुरूप चर्चा की एक ऐसी विशेष प्रणाली विकसित की है।
      चर्चा की खास प्रणाली निम्नलिखित बिन्दुओं परउचित ध्यान देता है ।
      1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि, और किसी भी जाति या धर्म के वास्तविक सम्मान को कोई नुकसान नहीं 3) हमारे देश की विशाल जनसंख्या जिसमें शिक्षित
      और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य को खोजने में सक्षम है।
      यह हमारे देश में सभी इतिहास, जाति और धर्म संबंधी विवादों को हल करने के लिए एक वैध, आधिकारिक प्रयास है। इसलिए मैं अधिकारी शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। अगर सरकार इस प्रक्रिया में मदद करती है तो यह होगा।
      आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
      अवधूत जोशी

  • @surendra8406
    @surendra8406 Рік тому +1

    Thanks Mukesh ji and Puniya ji for giving the right information

  • @kalpanaghosh1702
    @kalpanaghosh1702 Рік тому +5

    Surprisingly , there is a gap of around 2000 years between Regime of Chandragupta Maurya ( 300 BC ) and Metter niche( 1700 AD ) . Chandragupta ruled from India and Metter niche based in Europe . How the contents of their books were similar ( Arthashatra and The Prince ) .

    • @nishnatbiswas9245
      @nishnatbiswas9245 Рік тому +1

      People in similar positions think alike. The only difference is in lifestyle and culture

  • @rationalmarathi4027
    @rationalmarathi4027 Рік тому +2

    Chanakya ek Kalpanik Patra khada kiya gaya hai Brahmano dwara !

  • @blueSkyIs1
    @blueSkyIs1 Рік тому +8

    Until proven authentic by solid scientific means, Chanakya's character should be considered fake, as there is a lot of motivation as well as the pattern of creating such a fake narrative to usurp the importance. Savarkar Mercy-Saga exposes this pattern more vividly in modern times only because we have more resources to expose such mischief.

  • @Tarksheelसाम्राज्य

    Uske time Brahman bhi nhi tha jati hi nhi tha

  • @mohdAyan623
    @mohdAyan623 Рік тому +3

    बिल्कुल सच है चाणक्य कि बात जिस देश का राजा रढूआ होगा उस देश कि प्रजा विधवा जेसी जिंदगी जिऐगी और देश का हाल भी यही है इस वक्त😑😑😑😑😑

  • @hindurastra.5880
    @hindurastra.5880 Рік тому +2

    ये पुनियानी अपने आप को प्रोफेसर कहता है। जबकि इसका ज्ञान शुन्य बट्टा सन्नाटा है।
    ये बोल रहा था की सरस्वती नदी का उद्गम स्थल हिंदुस्तान में नहीं पाकिस्तान में है। जबकि पाकिस्तान 1947 में पैदा ही हुआ है। और सरस्वती नदी का इतिहास हजारों वर्ष पहले का है। तभी मैं समझ गया कि ये भ्रमित व्यक्ति के साथ भ्रमित ज्ञान भी लिया है।