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Jagadguru Shri Devnath Ved Vidyalaya
India
Приєднався 20 лип 2020
ज्ञान यह विश्वका चैतन्य तथा शक्तिका मूल स्रोत है | विश्व को चैतन्य तथा ज्ञान का प्रथम व निरंतर परिचय वेदों ने ही दिया | इसी कारण भारत की संस्कृति एवं उसका अस्तित्व जगत में “विश्वगुरु” के प्रतिष्ठा से गौरवान्वित रहा है | पुनश्च भारत के ज्ञानवैभाव को विश्वाभिमुख करने की अनेक चेष्टाओं में जगद्गुरु श्रीदेवनाथ वेदविद्यालय यह वैदिक प्रतिष्ठान कार्यरत है |
इसी उद्देश्य को ध्यान में रख के यह चैनल द्वारा हम विविध सूक्त उनका पठन, अर्थ, माहात्म्य और महत्व सभी तक पहुंचाने का प्रयत्न कर रहे है | कृपया चैनल को Subscribe करे और सब तक हमारे इस ज्ञानवैभव के प्रसार कार्य में हमे मदत करे |
धन्यवाद |
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पाणिनीय अष्टाध्यायी अष्टमः अध्यायः| PANINIYA ASHTADHYAYI 08|सुस्पष्ट उच्चारणसहित |JSD VED VIDYALAYA
पाणिनीय अष्टाध्यायी अष्टमः अध्यायः| PANINIYA ASHTADHYAYI 08|सुस्पष्ट उच्चारणसहित BY@JAGATGURU SHREE DEVNATH VED VIDYALAYA, NAGPUR.
"अष्टाध्यायी" महर्षि पाणिनि द्वारा रचित संस्कृत व्याकरण का एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ है। अष्टाध्यायी छह वेदांगों में मुख्य माना जाता है। इसमें आठ अध्याय हैं; प्रत्येक अध्याय में चार पाद हैं; प्रत्येक पाद में 38 से 220 तक सूत्र हैं। इस प्रकार अष्टाध्यायी में आठ अध्याय, बत्तीस पाद और सब मिलाकर लगभग 4000 सूत्र हैं।
१) संस्कृत भाषा का तो यह ग्रन्थ आधार ही है। इसका अन्य भारतीय भाषाओं परभी बहुत बड़ा प्रभाव है।
२) वैदिक भाषा को ज्ञेय , विश्वस्त, बोधगम्य एवं सुन्दर बनाने की परम्परा में पाणिनी अग्रणी हैं।
३) अष्टाध्यायी में कुल सूत्रों की संख्या 3996 है। इसमें सन्धि, सुबन्त, कृदन्त, उणादि, आख्यात, निपात,उपसंख्यान, स्वरविधि, शिक्षा और तद्धित आदि विषयों का विचार है।
४) आरम्भ में इसमे चतुर्दश (१४) सूत्र दिये हैं। इन्हीं सूत्रों के आधार पर प्रत्याहार बनाये गये हैं, जिनका प्रयोग आदि से अन्त तक पाणिनि ने अपने सूत्रों में किया है। प्रत्याहारों से सूत्रों की रचना में अति लाघव आ गया है।
५) पाणिनि कृत अष्टाध्यायी वैसे तो व्याकरण का ग्रंथ माने जाते हैं किन्तु इन गंथों में कहीं-कहीं राजाओं एवं जनतंत्रों के घटनाचक्र का विवरण भी मिलता हैं।
६) गोत्र जनपद और वैदिक चरणों के नाम से स्त्रियों के नामकरण की प्रथा का 'अष्टाध्यायी' में पर्याप्त उल्लेख हुआ है। इससे स्त्रियों की सामाजिक प्रतिष्ठा और गौरवात्मक स्थिति का संकेत मिलता है।
७) पाणिनि ने निम्नलिखित नामों का सूत्र में उल्लेख किया है- अवंती जनपद के क्षत्रिय की कन्या अवंती, कुंती जनपद या कोंतवार देश की राजकुमारी कुंती, कुरु राष्ट्र की राजकुमारी कुरु, भर्ग जनपद की राजकुमारी भार्गी आदि। पांचाली, वैदेही, आंगी, वांगी, मागधी, यह नाम प्राच्य देश के जनपदों की स्त्रियों के थे।
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"अष्टाध्यायी" महर्षि पाणिनि द्वारा रचित संस्कृत व्याकरण का एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ है। अष्टाध्यायी छह वेदांगों में मुख्य माना जाता है। इसमें आठ अध्याय हैं; प्रत्येक अध्याय में चार पाद हैं; प्रत्येक पाद में 38 से 220 तक सूत्र हैं। इस प्रकार अष्टाध्यायी में आठ अध्याय, बत्तीस पाद और सब मिलाकर लगभग 4000 सूत्र हैं।
१) संस्कृत भाषा का तो यह ग्रन्थ आधार ही है। इसका अन्य भारतीय भाषाओं परभी बहुत बड़ा प्रभाव है।
२) वैदिक भाषा को ज्ञेय , विश्वस्त, बोधगम्य एवं सुन्दर बनाने की परम्परा में पाणिनी अग्रणी हैं।
३) अष्टाध्यायी में कुल सूत्रों की संख्या 3996 है। इसमें सन्धि, सुबन्त, कृदन्त, उणादि, आख्यात, निपात,उपसंख्यान, स्वरविधि, शिक्षा और तद्धित आदि विषयों का विचार है।
४) आरम्भ में इसमे चतुर्दश (१४) सूत्र दिये हैं। इन्हीं सूत्रों के आधार पर प्रत्याहार बनाये गये हैं, जिनका प्रयोग आदि से अन्त तक पाणिनि ने अपने सूत्रों में किया है। प्रत्याहारों से सूत्रों की रचना में अति लाघव आ गया है।
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६) गोत्र जनपद और वैदिक चरणों के नाम से स्त्रियों के नामकरण की प्रथा का 'अष्टाध्यायी' में पर्याप्त उल्लेख हुआ है। इससे स्त्रियों की सामाजिक प्रतिष्ठा और गौरवात्मक स्थिति का संकेत मिलता है।
७) पाणिनि ने निम्नलिखित नामों का सूत्र में उल्लेख किया है- अवंती जनपद के क्षत्रिय की कन्या अवंती, कुंती जनपद या कोंतवार देश की राजकुमारी कुंती, कुरु राष्ट्र की राजकुमारी कुरु, भर्ग जनपद की राजकुमारी भार्गी आदि। पांचाली, वैदेही, आंगी, वांगी, मागधी, यह नाम प्राच्य देश के जनपदों की स्त्रियों के थे।
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आश्वलायनगृह्यसूत्रम्|चतुर्थोऽध्यायः|ASHVALAYANA GRUHYASUTRA 04|सुस्पष्ट उच्चारणसहित|JSD VEDVIDYALAYA
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i have been listening to it for a long time. Every time it gives me the same joy and bliss. Grateful 🙏
શ્રી રામ ભક્ત હનુમાન જી દાદા શનિદેવ મહારાજ શ્રી ચરણ માં વંદન કરું છું મનો કામ ના પૂર્ણ કરો🌹🌹🌹🌹👈🏼🍅🍅🌺🍌
Jai shree Krishna ❤❤❤❤❤
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
खुप छान
Thanks for your excellent chanting
Om Namah Bhagavate Basudevya
BHAGVAD GEETAKA.PARAYAN.
कृपया क्या है यह स्पष्ट करें l
Atishay uttam .🙏🙏🙏
🙏🏼🙏🏼🙏🏼nomo narayan 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
Jai shree Laxmi Narayan
गुरूजी ऋग्वेद ग्रहमख ऐकायला आवडेल प्लीज अपलोड करा
असेच ललिता सहस्त्र नाम आहे का
खूप छान,खूप घाई नाही,पाल्हाळ नाही ,उच्चार स्पष्ट शांत भक्तिमय आहे
ओम् नमः शिवाय
Omnamo vagbate vasudevay namo namah 🌺🙏🌼🌼🌼🌼🌼💟🙏
खूप खूप छान धन्यवाद
Jay shree ram
🙏🙏🙏🙏🙏❤
Uhhfggfghrfihfghkj🎉😅😮😢🎉😂😂❤😊
🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️
अति उत्तम 🙏🏽🙏🏽 धन्यवाद 😊
ॐ नमः श्री वासुदेव नमः भागवते. प्रसन्न हो
हर हर महादेव 🙏
खूप छान वाटते दिवस छान जातो नाही ऐकले तर चुकल्यासारखे वाटते ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🏻🙏🏻👍🏻🌹
ॐ नमो भगवते vasudevay
राम कृष्ण हरी
अल्प वयात एवढे लिखाण जे एक ओवी समजून घेणे कठीण होते. आमच्या सारखे अल्प ज्ञान असणारे म्हणणार, लग्न न करता अवघाचि संसार सुखाचा करीन, असे ज्ञानेश्वर महाराज यांनी कां म्हटले? पण त्यांना संसार म्हणजे जग सूखाचे करायचे आहे.एवढे समजायला आमचे आयुष्य संपत आले. ज्ञानेश्वर महाराज की जय
चारही वेद लिरिक सहित ऑडिओ काढावेत खूप उपयुक्त होतील नक्की विचार करावा
Nice
🙏🌹
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
खूप सुंदर श्रेयस जी
Om Namah Vagavate Vasudevay ⚘️⚘️🙏🙏⚘️⚘️🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹👏👏👏👏👏👏👏👏🪷🪷🪷🪷
खूप स्पष्ट उच्चार , खूप छान, आता मी रोज एकूण शिकणार , धन्यवाद गुरुजी
बोलत सुंदर स्पष्ट उच्चार
Jay prabhu laxmi nurusingha swami pranam 🙏🌹🙏🌿🌿🌿
❤❤❤❤❤❤❤❤
🌹🌹गुरू जी कोटी कोटी प्रणाम 🌹🌹🌹
Jai shree Hari om namo bhagwate vashudev 🙏🌹🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🌹🌷🌺🙏🙏🌺🌷🌹
Aum na mo bhagawte, Vasudevai 🙏🙏🌹🌹🙏👌 great rendering,voice,speed, clarity..all namaskar Guruji
Om Shanti 🎉
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
Please add lyrics
जय श्री कृष्ण.
Aikoon chaanvate....mana shant hote...koti namaskar, Guruji!!🙏🙏🌹🌹👌👌👌
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