आश्वलायनगृह्यसूत्रम्|चतुर्थोऽध्यायः|ASHVALAYANA GRUHYASUTRA 04|सुस्पष्ट उच्चारणसहित|JSD VEDVIDYALAYA
Вставка
- Опубліковано 6 жов 2024
- आश्वलायनगृह्यसूत्रम्|चतुर्थोऽध्यायः|ASHVALAYANA GRUHYASUTRA 04|सुस्पष्ट उच्चारणसहित|JSD VEDVIDYALAYA BY@JAGATGURU SHREE DEVNATH VED VIDYALAYA, NAGPUR.
आश्वलायन गृह्यसूत्र
इस वैदिक ग्रंथ के रचयिता श्रीआश्वलायन ऋषि हैं। ऋग्वेद का यह गृह्यसूत्र ग्रंथो में प्राचीनतम माना जाता है । इसमें चार अध्याय हैं। इसके मुख्य प्रतिपाद्य-विषय निम्नलिखित हैं :
अध्याय १ : पाकयज्ञ, दैनिक होम, स्थालीपाक, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, अन्नप्राशन, मुंडन, उपनयन, ब्रह्मचर्यनियम, मधुपर्क ।
अध्याय २ : श्रवणाकर्म, अष्टका, वास्तुनिर्माण, गृह प्रवेश ।
अध्याय ३ : पंच महायज्ञ, ऋषितर्पण, उपाकर्म, समावर्तन ।
अध्याय ४ : दाहकर्म, श्राद्ध ।
इस ग्रंथ की मुख्यतः ४ टीकाएँ दिखाई देती हैं :
१. जयन्त-स्वामी कृत 'विमलोदय-
माला ।
२. देवस्वामी का भाष्य ।
३. नारायण कृत 'विवरण' टीका ।
४. प्रसिद्ध वैयाकरण हरदत्त-कृत 'अनाविला' टीका ।
ALSO SEE :-
पाणिनीय शिक्षा - • पाणिनीय शिक्षा | Panin...
वेदांगज्योतिषम् - • वेदांगज्योतिषम् | VEDA...
पिङ्गलछन्दः सूत्रम् - • पिङ्गलछन्दः सूत्रम् | ...
संपूर्ण निघण्टुशास्त्रम् - • संपूर्ण निघण्टुशास्त्रम्
सम्यगस्ति महोदयः आश्वलायन श्रौत सूत्रं कृपया प्रेषयन्तु भोः
ऐतरेय ब्राह्मणमपि प्रेषयन्तु
कृपया संपूर्ण निरुक्त खंड पण अपलोड करा 🙏
Varahi sahasranamam पाहिजे