सर् आप ने उन विषयों पर प्रकाश डाला है जो गढ़वाल और कुमाऊँ के लोगों के जीवन मे आसपास घटता रहा लेकिन कभी हमारी जिज्ञासा और प्रश्नों के उत्तर नही मिल पाए।मेरे गाँव के देवता भी दुधिया नरसिंह हैं।आप ऐसे ही विषयों को लाते रहिये।हम सब आपके आभारी हैं।
बहुत बढ़िया जानकारी। मेरा मानना है इस मामले में हम भटक गए हैं। कोई भी देवता हो सभी कर्म के विधान से बंधे हैं। मेरा मानना है कि देवता भी वैसा ही जाता है जैसे भक्तों के बीच वो रहते हैं । सच्चे देवता बुरे लोगों या परिवार को छोड़ कर अपना स्थान बदल लेते हैं ऐसा मेरा मानना है ।
अच्छा लगा आपने इस विष्य पर वीडियो बनाया लोगो तो इनको विष्णु जी के अवतार मानने लगें थे। पहाड़ी लोग देशी बनते जारे है आपने देवी देवताओं को छोड़ देशी वाले कल्चर को महत्व देरे है।
Narsingh bhagwan hi Uttrakhand k Narsingh devta hain.. Kripya confuse na ho. Bhagwan narsingh hi 9roopon k swamy hain or sabko ek samaan Narsingh bhagwan man k hi pooja krni chahiye... Kyunki Narsingh bhagwan ne hi ye roop bna k darshan dene aye the.
ऊं प्रणाम जी। बहुत अच्छी जानकारी दी है। जैसा कि आपने बताया कि ये गुरु गोरखनाथ जी के शिष्य थे। जागरों में इनको सत गुरु का चेला , गुरु अंनंतपाल, गुरु बैजनाथ, गुरु गोरखनाथ, गुरु सौराल, गुरु भागदास डोडरती, गुरु ज्ञान नाथ, का चेला बताया गया है। इनको माता चंद्रवदनी और केशरी का पुत्र भी बताया गया है। और कहीं माता भागेश्वरी भी बताया गया है, पिता भस्मासुर भी बताया गया है। ये नौ नारसिंह हैं। केशर की क्यारी से एक फूल खैराणी जंगल में गिरा था और खैरणी नरसिंह पैदा हुए। जिनमें खैराणी नरसिंह के सात भाई बताए गए हैं। वैसे नौ सौ नरसिंह भी बताए गये हैं।
जी बिल्कुल सही कहा आपने हरीश जी उत्तराखंड मे नारसिंह देवता नौ भाई है, इनकी कथाएँ कहानी बहुत सारी अलग अलग प्रकार की है जैसे हमारे यहाँ पे जो कहानी लगाते है नार सिंह देवता के जागर मे पहली तो भक्त प्रह्लाद की कथा है और दूसरी कहानी है सूर्या पूर्याल नाम के दो भाईयो की जिन्हे चंद वंशीय राजा कैद कर लेते है और नौ नार सिंह एक भस्म की फुक से उन दोनों भाईयो को बचा लेते है। और तीसरी कहानी है कि कैसे माता पार्वती ने केसर का बीच बोये जिससे छाया गरुड़ देते थे जब ये पेड़ उगा तो उस पेड़ के नौ फूलों को गरुड़ ने अलग अलग स्थान मे फेका जैसे दूध कुंड मे गरुड़ ने फूल फेका तो दूधिया नारसिंह आए डोंडिया कुल मे गिरा तो डोंडिया नार सिंह ऐसे करके नौ भाई नार सिंह आए हमारे देवभूमि के नार सिंह देवता भगवान् शिव और भगवान् विष्णु दोनों के अंश है। जय नार सिंह देवता
लखेरा सर प्रणाम, जितनी गंभीरता, और प्रभाव शाली ढंग से आपने हमारे कुल देवता, नरसिंह भगवान जी की व्याख्या की, उतनी आज तक हमे जानकारी न थी, हम लोगजागर भी सुनते आए है,और आस्था भी रखते है , लेकिन विस्तृत जान कारी का अभाव था, जो आपने प्रस्तुत किया ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद। मैं डी एस बिष्ट, फरीदाबाद से।
जय नर्सिंग देव गुरू देव आपने जो ये अपने चन्नल के माध्यम से जो जानकारी हम तक पहुँचायी इसके लिए हम आपके अति सूक्रगुज़ार हैं ।गुरुदेव हमारी उत्तराखण्ड सरकार को देव स्तुति देव जागर सभी उत्तराखण्ड में निवास करने वाले देव के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए देव संस्कृति उत्तराखण्ड नाम से एक अलग से पाठ्यक्रम की सूरवात करनी चाहिए जिससे हमारी देव संस्कृति सुचारू रूप से चलती रहे और आने वाली पीढ़ी को भी जानकारी मिलती रहे अन्यथा हमारी ये संस्कृति विलुप्त हो कर रह जाएगी ।
नमन वंदन करते हैं डॉक्टर साहब आपके द्वारा बहुत से प्रसंग और सुने किंतु ए मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण था आज मेरा संदेह दूर हुआ मैंने बचपन में आधा अधूरा किसी से सुना था दिल से आभार
जय श्री बद्री नारायण श्रीमान अच्छा लगा आप गड़वाल संस्कृति का प्रचार प्रसार कर रहे है, लेकीन महोदय जी आप नार्शिंग देव जी की चर्चा आप कर रहे है दरअसल उनकी उत्पति का सटीक अंदाजा लगाना मुश्किल है, क्योंकि हर एक अलग जागर में उनकी अलग अलग उत्पति बताई जाती हैं, ओर ना किसी वेद पुराण में उत्तराखंड के लोक देवता नार्शिंग की उत्पति का वर्णन आता, लेकीन में इससे पूर्ण सहमत भी नही हूं कि लोक देवता नर्शीग का भगवान विष्णु से कोई सम्बन्ध न हो, हमारे घर में भगवान विष्णु और लोक देवता नर्सिंग को साथ में पूजा जाता हैं, और हम नारायण के प्राकोस्ट सेवक और पुजारी है ओर जब जागरी, किसी पर नार्शिंग देवता निकाल रहे होते है तो, भगवान विष्णु का जिक्र या उनके नार्शिंग अवतार के जिक्र से ही अनपे लोकदेवता नार्शिंग अवतरित होते हैं, ओर और ज्यादातर जागरि, नार्शिंग देवता को भक्त प्रहलाद की कथा से ही अवतरित कराते हैं ओर नचाते भी है, ओर खुद हमपे भी लोकदेवता नार्शिंग आते हैं, ओर हम बालपन से ही भगवान विष्णु के भक्त हैं, ओर जब हम पर प्रथम बार लोक देवता नर्शिंग अवतरित हुए थे तो, जब जागरी मुख से भगवान विष्णु का जिक्र हुआ तब प्रथम बार नार्शिंग भगवन मेरे शरीर में प्रवाह करने लगे, और जैसे जैसे वो भक्त प्रहलाद की कथा और नारायण अवतार नार्शिंग की वीर कथा गाने लगे वैसे वैसे में और उग्र होता गया, तो इससे साफ साफ जाहिर होता है कि, हमारे लोक देवता नार्शिंग का भगवान विष्णु से कोई न कोई सम्बन्ध अवश्य है, बाकी उनकी उत्पति कहा से हुए, या किस्से उनका सम्बन्ध है इससे उचित यही है कि हम उनकी सेवा करे, ओर उन्हे पूजा करें क्योंकि वो अपने भक्त कि पुकार से कही भी उसके पास आ जाते हैं जय श्री नारायण बद्री विशाल जय हो लोकदेवता नारशिंग की जय नर्सिंग नारायण
Narsingh devta ho skta h koi or raha ho lekin Narsingh Bhagwan jinhe sari duniya janti hai vo ek he the jo bhakt parhlaad ko bachaate hain...or sayad isiliye inhe Narsingh devta kaha jata h jbki bhakt Prahlad ko bachane wale Narsingh Bhagwan hain
महोदय मुझे ये जानना है की अगर देवी देवता वही है जो हमारे वैदिक ग्रंथों में हैं जैसे लोकदेवता नरसिंह और भगवान विष्णु तो मेने ऐसा देखा है की देवता बलि मांगते हैं जो की गलत होता है मुझे अपनी संस्कृति से प्रेम है परंतु कुछ सवाल मुझे बहुत चुभते हैं मैं पूर्ण रूप से नहीं मान पता कि जो माता का नाम लेके किसी k दुख को बताती हैं वो कई बार गलत बता देती है अगर वो सब सच में माता है तो वो गलत नहीं बताती और मेने देखा है उत्तराखंड में कई जगह मुसलमानो के पीर पठान इनको पूजा जाता है और ये भी है की वो हमारे माताओं से ज्यादा सच्चे और ताकतवर भी सिद्ध होते है मैं बिल्कुल नही मानता की वो देवी देवता या वो भगवान जो। आदि काल से हैं उनसे ताकतवर कोई 1400 साल पहले आए लोग केसे हो सकते हैं और बाली प्रथा अगर सही है तो गाय और बकरे में फर्क कहा है? बाली गाय की क्यो न दी जाती
बिल्कुल सही कहा आप ने। गुरु गोरख नाथ जी ने जितने भी सात्विक देवी देवता हुवे है उनके ही नाम और उनसे ज्यादा शक्तिशाली वाले और कलयुग के मुताबिक तामसिक देवता त्यार किए है।
जय हो देव भूमि उत्तराखंड की बेहद शानदार व सुन्दरमय अंदाज में बताते हैं भाई जी आप बेहद अच्छा लगता हैं आपसे देव भूमि की जानकारी मिलना आभार व धन्यवाद है आपके 🚩🚩🌹🌹🙏
Dr साहब प्रणाम , आप उम्र और तजुर्बे म् हम से बहुत बड़े है । और हिमालियानलोग करके पेज चलते है। मान्यवर आपके पास कोई प्रमाण है कि उत्तराखंड में पूजे जाने वाले नरसिंह देवता विष्णु भगवान के अवतार नही थे बल्कि एक नाथपंथी साधु थे। कृपा मेरे इस सन्देह को दूर कीजिये, वैसे मुझे जो ज्ञात है तो वो कुछ इस तरह है जैसे अष्टनाम बीर भैरो,नो तिस नरसिंह, तुम्ही सराग हो तुम्ही नाराग् हो तुम्ही मत्स्य हो तुम्ही कूर्म हो, तुम्ही वराह हो तुम ही कच्छ हो , तुम्ही राम तुम्ही दुधादारी कृष्ण अवतारी विष्णु अवतारी हो तुम्ही मंडलो को मेण्डु छे, ओतुलो कु रहूं छे खतसाल की आग छे द्वी मुखहि साँप छे, शेस नागों म् शेस नाग छे, असुर लोक में आसन किया गजराज भुजा रखी,प्रलेह खम्ब तोड़ो परलाद भक्त को सकल भंडार,नरसिंह रूप लियो हिरण्यकश्यप मारो मोहदय ये सब हमारी किताबो में लिखा है। जो करीब 600 वर्षो से चली आ रही है। इसमें मौखिक परम्परा भी रही है इस के कारण इन जानकारियों म् अशुद्ता का मिलाप हो रखा है। और कुछ लिखित भी है। और हाँ हमारे परदादा जी के पास दो किताबे य विद्या ऐसी थी जिससे एक व्यक्ति शेर य सिंह बन सकता है। नर और सिंह यानी आधा आदमी और आधा शेर, वैसे आप में से बहुत से लोगो ने सुना भी होगा बुगसाडी विद्या , य्या एक आदमी अपनी बेटी को उसके ससुराल छोड़ने जाता है उसे बुगसाडी विद्या का ज्ञान था और उसकी बेटी उससे एक बार बुग्स बाघ बनने की जिद करने लगी तो पिता ने हार कर बेटी की बात मान ली और बेटी को पहले ऊँचे पेड़ पे बिठा दिया और उसके बाद वे बुगसा बाघ बन गया लेकिन बेटी नही मानी और पेड़ से नीचे उतर आई इसके बाद बाघ बने पिता ने उसे खा दिया ऐसी कहानी आपने सुनी जरूर होगी, वैसे ही बड़ेडू विद्या जो शुक्राचार्य के पास थी, गरुड़ विद्या इन सब म् नरसिंह को ही विष्णु भगवान का रुप माना है। अब क्या सच है Dr. हरीश लखेड़ा जी इसका पता आप ही लगाए। क्योंकि मैं बहुत कन्फ्यूज़ हुन हमारी बाप दादा की पौराणिक किताबो म् तो ये लिखा है।
संसार में भगवानों को लेकर हर धर्म की अपनी अवधारणा है। हर क्षेत्र में भी अलग अलग कथाएं हैं। जहां तक नरसिंग भगवान की बात है तो हिंदू धर्म में वे भगवान विष्णु के अवतार हैं, परंतु उत्तराखंड में नरसिंग एक नागपंथी साधु के तौर पर भी पूजे जाते हैं।यानी नरसिंग की दोनो तरह से पूजा होती है। जहां तक बुकासाड़ विद्या का सवाल है तो प्रकृति के नियम ये हैं कि कोई भी देहधारी अपने शरीर को बदल नहीं सकता है। मनुष्य है तो जानवर नहीं बन सकता है। बाकी ये सब कथाएं हैं सत्य नहीं।
प्रणाम सुप्रभात नमस्कार जी बहुत बढीया और अच्छी जानकारी आपके माध्यम से हमे नयी नयी जानकारी प्राप्त होती है और अच्छी बात का ज्ञान सिखने को मिलता है आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद लखेडा़ जी जय हो श्री देव भूमि उतराखंणड
बिल्कुल सही कहा आपने ये एक साधु ही ही थे... हालांकी इनकी सात्विक पूजा नरसिंह भगवान के रूप में की जाती है... जागरों में नौ नाथों के रूप मे गाये जातें है...
आदरणीय पंडित जी, आपके द्वारा उत्तराखंड की लोक कथाओं की जानकारी उनकी प्रस्तुति ज्ञानवर्धक हैं। उत्तराखंड देवभूमि है और देवी देवताओं की उत्पत्ति एवं पूजा पद्धति के बाबत आपका सटीक विश्लेषण रहता है। आप उत्तराखंड की सांस्कृतिक पृष्टभूमि पर लोगों को जानकारी उपलब्ध कराते रहते हैं। आपका कथन स्पष्ट रूप से खोज का विषय है। यदि भगवान श्री नरसिंह देवता विष्णु भगवान के अवतार के रूप में लोक प्रचलित जागरों में नहीं माने जाते तो फिर उत्तराखंड के जोशीमठ में उनका मंदिर किस प्रकार है । उत्तराखंड के सभी लोग श्री नरसिंह देवता की पूजा के लिए हरिद्वार अथवा जोशीमठ जाते हैं। इस पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता होती है।
Jai Narsingh Devta ji ki🙏... Humare papa ji ko Narsingh Devta ji aate hai aur appne sahi bola hai katuri Raj vansh ne hi katurihaat Kamoun region se migrate karke Chaubttakhal near ekeshwar ke Giwali gaon may settle ho gaye thaye mere par dadaji ke time se yahi baat aaj se 25 saal pahle mere dadaji ne bataya tha .
वो तो है पर ये भी जानो की नाथ पंथी जोगी थे नरसिंह और निरंकार देवता यानी शिवजी और विष्णु जी यानी निरंकार देवता उनके चेले और अंश है नरसिंह और नाथ पंथी लोग तो दोनों को शिवजी और विष्णु जी दोनों को मानते है और मृत्यु के बाद तो आत्मा परमात्मा से मिलती है ठीक नरसिंह जोगी शिवजी और विष्णु जी दोनों के भक्त थे प्रचंड भक्त इसीलिए उनकी मृत्यु के बाद वो शिवजी और विष्णु भगवान् दोनों के साथ मिलगये इसीलिए तो रहे शिवजी का रूप और कृष्ण अवतारी कहा गया। जैसे की हमारे यहाँ दुधी नरसिंह है इनके जागर मे ये पंक्ति है दुधाधारी कृष्ण अवतारी नरसिंह को आदेश हैना और ये की झूठ नही है भक्त भगवान् की भक्ति करते करते खुद अपने आराध्य देवता का रूप बन जाता है जैसे गुरु गोरखनाथ जो प्रचंड शिव भक्त थे वो महादेव की भक्ति करते करते उन्ही के अवतारी बन गए और बंगाल के चैतन्य महाप्रभु जी भी प्रचंड कृष्ण भक्त थे उनकी भक्ति करते करते वो भी उन्ही के अवतारी होगए
जब कोई भगत किसी देवता या भगवान की सेवा करता है तो वह उसी का रूप होता है शरीर छोड़ने के बाद उसी देवता का रूप बनकर अपने भगतों की सेवा करता है नरसिंह नाथपंथी सिद्ध है भगवान विष्णु के स्थान पर विराजमान होने से इन्हें नरसिंह रूप प्राप्त है इनके साथ भगवान शंकर और भगवान विष्णु की शक्ति पूर्ण रूप से है और अपनी साधना की शक्ति तो है ही। जय दूधाधारी नारसिंह । हर हर महादेव।
भाई जी नरसिंह देवता कोई इंसान नहीं था कोई भगत नहीं था , जो कि मरने के बाद देवता बना हो नरसिंह देवता भगवान् विष्णु के अवतार नरसिंह अवतार के ans अवतार हैं
@@Riyal405 भाई जी सिद्ध योग बल से मृत्यु पर विजय प्राप्त कर लेते हैं भगवान देवता सिद्धों या मनुष्य में केवल ज्ञान और योग का अंतर होता है और कुछ अंतर नहीं होता है।
@@Riyal405 ve ansh avtaar thhe, ye aapne kaha se padha aur suna hai i mean confusion sa hai , isliye poocha doosra ye 9 veer ansh hain to baaki kaha hain ?
आपका प्रयास शानदार है।हमारे उत्तराखंड में जरा खराब ढंग से भी समझा जाता है इन्हे जानकारी के अभाव में।कुछ और जानकारी सभी नौ रूपों की मिले तो अच्छा रहेगा।
भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह अवतार के ही ans अवतार हैं नौ नरसिंह जब भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप को मारने के लिए नरसिंह अवतार लिया तो उसके बाद उनका क्रोध शांत नहीं हुआ था तभी उनके शरीर से नरसिंह वीर प्रकट हुए जो कि हजारों की संख्या में थे जिनकी शक्तियां भी उसी तरह थी जैसे नरसिंह भगवान की उसके बाद ये अलग अलग जगह विराजमान हो गए धरती पर जिनमें से मुख्य 9 नरसिंह उत्तराखंड में पूजे जाते हैं ये कोई साधारण साधु नहीं थे हालांकि वे साधु भेष में रहते थे गुरु गोरखनाथ जी और गुरु मछेंद्र नाथ दोनों को इन्होंने गुरु बनाया ये वीर शक्तियां हैं जो कि माता काली के साथ चलती हैं । पर वो थे भगवान नरसिंह के ans अवतार 🙏🙏🙏🙏 जय हो नरसिंह नारायण की।।।।
बहुत बहुत सुंदर हरीश जी 🙏🙏🙏 मेरा आपसे विनम्र निवेदन है की जैसा आपने अपने उत्तराखंड के लोक मन्ये देवता नर्सिंग के बारे मे बताया वैसे ही आप गद्देवी, गोरिला के बारे मे भी बतायेl क्यों बहुत से लोग इनका नाम भी घरों मे नहीं लेते थे l pehle के लोग क्यों डरते है इनसे l क्यों कई जगह उत्तराखंड मे इनको अच्छी नज़र से नही देखा जाता l लोग इनकी पूजा डर की वजह से करते है न की प्रेम से जैसे bhagvaan के अन्य रूपों के प्रति है वैसे गद्देवी कोंन है क्या यह महाकाली का रूप है या अन्य देवी है l 🙏🙏
प्रणाम । बहुत ही अच्छी बाते मालुम हुई । धन्यवाद । जय हिमालय ।
सर् आप ने उन विषयों पर प्रकाश डाला है जो गढ़वाल और कुमाऊँ के लोगों के जीवन मे आसपास घटता रहा लेकिन कभी हमारी जिज्ञासा और प्रश्नों के उत्तर नही मिल पाए।मेरे गाँव के देवता भी दुधिया नरसिंह हैं।आप ऐसे ही विषयों को लाते रहिये।हम सब आपके आभारी हैं।
बहुत सुंदर प्रस्तुति लखेड़ा जी ।
बहुत बढ़िया जानकारी। मेरा मानना है इस मामले में हम भटक गए हैं। कोई भी देवता हो सभी कर्म के विधान से बंधे हैं। मेरा मानना है कि देवता भी वैसा ही जाता है जैसे भक्तों के बीच वो रहते हैं । सच्चे देवता बुरे लोगों या परिवार को छोड़ कर अपना स्थान बदल लेते हैं ऐसा मेरा मानना है ।
श्री नरसिंह देवता के बारे में बहुत ही शानदार जानकारी दी बहुत बढ़िया 🌷🌹💐🌷🙏
जय श्री खराणी नर्सिंग।
जय श्री डोंडिया नर्सिंग।
जय श्री नौ नर्सिंग भगवान।
नौ नाग बारह भैरव अठारह कलवे चौसठ जोगिड़ बावन वीर पैसठ हजार काली शक्तियों से अवतरित वीर डौंडिया नरसिंह देव तुम्हारी जय जय कार हो।
अच्छा लगा आपने इस विष्य पर वीडियो बनाया लोगो तो इनको विष्णु जी के अवतार मानने लगें थे। पहाड़ी लोग देशी बनते जारे है आपने देवी देवताओं को छोड़ देशी वाले कल्चर को महत्व देरे है।
varnshankar ho chuke hai pahadi log?
Bhai Mai bhagwan vishnu ki pooja karta hu vidhivat..
Unki arti me hamare dudhadhari narsingh a jate hain..
Koi connection to hai
Narsingh bhagwan hi Uttrakhand k Narsingh devta hain.. Kripya confuse na ho. Bhagwan narsingh hi 9roopon k swamy hain or sabko ek samaan Narsingh bhagwan man k hi pooja krni chahiye... Kyunki Narsingh bhagwan ne hi ye roop bna k darshan dene aye the.
Bahut sundar jaankaari mili jai bharat bhoomi jai uttrakhand
🙏🙏जय नरसिंह देवता की🙏🙏
ऊं प्रणाम जी। बहुत अच्छी जानकारी दी है। जैसा कि आपने बताया कि ये गुरु गोरखनाथ जी के शिष्य थे। जागरों में इनको सत गुरु का चेला , गुरु अंनंतपाल, गुरु बैजनाथ, गुरु गोरखनाथ, गुरु सौराल, गुरु भागदास डोडरती, गुरु ज्ञान नाथ, का चेला बताया गया है। इनको माता चंद्रवदनी और केशरी का पुत्र भी बताया गया है। और कहीं माता भागेश्वरी भी बताया गया है, पिता भस्मासुर भी बताया गया है। ये नौ नारसिंह हैं। केशर की क्यारी से एक फूल खैराणी जंगल में गिरा था और खैरणी नरसिंह पैदा हुए। जिनमें खैराणी नरसिंह के सात भाई बताए गए हैं। वैसे नौ सौ नरसिंह भी बताए गये हैं।
Ji ye vishnu ji ke ansh bhi hai
बहुत अच्छी जानकारी देते हैं आप गुरु जी
बहुत ही बढ़िया जानकारी दी आपने।
अच्छा लगा पहाड़ के लोगों के देवता के बारे में ।🌟🌟🌟🌟♥️
Jai mere Dondya Narsingh aapki sada hi jai ho.
जी बिल्कुल सही कहा आपने हरीश जी उत्तराखंड मे नारसिंह देवता नौ भाई है, इनकी कथाएँ कहानी बहुत सारी अलग अलग प्रकार की है जैसे हमारे यहाँ पे जो कहानी लगाते है नार सिंह देवता के जागर मे पहली तो भक्त प्रह्लाद की कथा है और दूसरी कहानी है सूर्या पूर्याल नाम के दो भाईयो की जिन्हे चंद वंशीय राजा कैद कर लेते है और नौ नार सिंह एक भस्म की फुक से उन दोनों भाईयो को बचा लेते है। और तीसरी कहानी है कि कैसे माता पार्वती ने केसर का बीच बोये जिससे छाया गरुड़ देते थे जब ये पेड़ उगा तो उस पेड़ के नौ फूलों को गरुड़ ने अलग अलग स्थान मे फेका जैसे दूध कुंड मे गरुड़ ने फूल फेका तो दूधिया नारसिंह आए डोंडिया कुल मे गिरा तो डोंडिया नार सिंह ऐसे करके नौ भाई नार सिंह आए
हमारे देवभूमि के नार सिंह देवता भगवान् शिव और भगवान् विष्णु दोनों के अंश है।
जय नार सिंह देवता
जै हो , नौ नरसिंह देवता , दूधाधारी नरसिंह देवता 🙏🙏🚩🚩
बहुत बहुत धन्यवाद आपको
जय हो बाबा नर्सिंग जी की
लखेरा सर प्रणाम, जितनी गंभीरता, और प्रभाव शाली ढंग से आपने हमारे कुल देवता, नरसिंह भगवान जी की व्याख्या की, उतनी आज तक हमे जानकारी न थी, हम लोगजागर भी सुनते आए है,और आस्था भी रखते है , लेकिन विस्तृत जान कारी का अभाव था, जो आपने प्रस्तुत किया ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
मैं डी एस बिष्ट, फरीदाबाद से।
Thnxx जी
Ye galat jaankari dera hai 😡😡😡
@@Riyal405 क्या गलत है भाई,
@@Riyal405 जी मान लिया गलत जानकारी दे रहे हैं लेकिन आपकी भाषा तो संयम और आदर्श होनी चाहिए।
जय नर्सिंग देव
गुरू देव आपने जो ये अपने चन्नल के माध्यम से जो जानकारी हम तक पहुँचायी इसके लिए हम आपके अति सूक्रगुज़ार हैं ।गुरुदेव हमारी उत्तराखण्ड सरकार को देव स्तुति देव जागर सभी उत्तराखण्ड में निवास करने वाले देव के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए देव संस्कृति उत्तराखण्ड नाम से एक अलग से पाठ्यक्रम की सूरवात करनी चाहिए जिससे हमारी देव संस्कृति सुचारू रूप से चलती रहे और आने वाली पीढ़ी को भी जानकारी मिलती रहे अन्यथा हमारी ये संस्कृति विलुप्त हो कर रह जाएगी ।
बहुत सुन्दर ज्ञानवर्धक जानकारी।
🙏 जय हो नरसिगं देवता 🌹
नमन वंदन करते हैं डॉक्टर साहब आपके द्वारा बहुत से प्रसंग और सुने किंतु ए मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण था आज मेरा संदेह दूर हुआ मैंने बचपन में आधा अधूरा किसी से सुना था दिल से आभार
Thnx
जय श्री बद्री नारायण श्रीमान
अच्छा लगा आप गड़वाल संस्कृति का प्रचार प्रसार कर रहे है,
लेकीन महोदय जी आप नार्शिंग देव जी की चर्चा आप कर रहे है दरअसल उनकी उत्पति का सटीक अंदाजा लगाना मुश्किल है, क्योंकि हर एक अलग जागर में उनकी अलग अलग उत्पति बताई जाती हैं, ओर ना किसी वेद पुराण में उत्तराखंड के लोक देवता नार्शिंग की उत्पति का वर्णन आता,
लेकीन में इससे पूर्ण सहमत भी नही हूं कि लोक देवता नर्शीग का भगवान विष्णु से कोई सम्बन्ध न हो, हमारे घर में भगवान विष्णु और लोक देवता नर्सिंग को साथ में पूजा जाता हैं, और हम नारायण के प्राकोस्ट सेवक और पुजारी है
ओर जब जागरी, किसी पर नार्शिंग देवता निकाल रहे होते है तो, भगवान विष्णु का जिक्र या उनके नार्शिंग अवतार के जिक्र से ही अनपे लोकदेवता नार्शिंग अवतरित होते हैं,
ओर और ज्यादातर जागरि, नार्शिंग देवता को भक्त प्रहलाद की कथा से ही अवतरित कराते हैं ओर नचाते भी है,
ओर खुद हमपे भी लोकदेवता नार्शिंग आते हैं, ओर हम बालपन से ही भगवान विष्णु के भक्त हैं,
ओर जब हम पर प्रथम बार लोक देवता नर्शिंग अवतरित हुए थे तो, जब जागरी मुख से भगवान विष्णु का जिक्र हुआ तब प्रथम बार नार्शिंग भगवन मेरे शरीर में प्रवाह करने लगे, और जैसे जैसे वो भक्त प्रहलाद की कथा और नारायण अवतार नार्शिंग की वीर कथा गाने लगे वैसे वैसे में और उग्र होता गया,
तो इससे साफ साफ जाहिर होता है कि, हमारे लोक देवता नार्शिंग का भगवान विष्णु से कोई न कोई सम्बन्ध अवश्य है,
बाकी उनकी उत्पति कहा से हुए, या किस्से उनका सम्बन्ध है इससे उचित यही है कि हम उनकी सेवा करे, ओर उन्हे पूजा करें क्योंकि वो अपने भक्त कि पुकार से कही भी उसके पास आ जाते हैं
जय श्री नारायण बद्री विशाल
जय हो लोकदेवता नारशिंग की
जय नर्सिंग नारायण
Narsingh devta ho skta h koi or raha ho lekin Narsingh Bhagwan jinhe sari duniya janti hai vo ek he the jo bhakt parhlaad ko bachaate hain...or sayad isiliye inhe Narsingh devta kaha jata h jbki bhakt Prahlad ko bachane wale Narsingh Bhagwan hain
महोदय मुझे ये जानना है की अगर देवी देवता वही है जो हमारे वैदिक ग्रंथों में हैं जैसे लोकदेवता नरसिंह और भगवान विष्णु तो मेने ऐसा देखा है की देवता बलि मांगते हैं जो की गलत होता है मुझे अपनी संस्कृति से प्रेम है परंतु कुछ सवाल मुझे बहुत चुभते हैं मैं पूर्ण रूप से नहीं मान पता कि जो माता का नाम लेके किसी k दुख को बताती हैं वो कई बार गलत बता देती है अगर वो सब सच में माता है तो वो गलत नहीं बताती और मेने देखा है उत्तराखंड में कई जगह मुसलमानो के पीर पठान इनको पूजा जाता है और ये भी है की वो हमारे माताओं से ज्यादा सच्चे और ताकतवर भी सिद्ध होते है मैं बिल्कुल नही मानता की वो देवी देवता या वो भगवान जो। आदि काल से हैं उनसे ताकतवर कोई 1400 साल पहले आए लोग केसे हो सकते हैं और बाली प्रथा अगर सही है तो गाय और बकरे में फर्क कहा है? बाली गाय की क्यो न दी जाती
@@uk1315garhwali-vlovgerNarsingh devta ko parhlad wale story suna kar hi jagar lgya jata hai
नमस्कार साहब काफी लंबे समय बाद आए. बेहद रोचक जानकारी. धन्यवाद.
नमस्कार जी।
मै तो नियमित तौर पर हर हफ्ते लगभग दो या तीन वीडियो डालने का प्रयास करता हूं।
@@himalayilog शायद में देख नहीं पाया.
Bahut sunder..... ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी देते रहिए
Thnx
🙏 आपकी बहुत सुंदर कथाएं हैं जय उत्तराखंड जय देव भूमि 🚩🙏🙏
Jai narshing bhagwan ki jai bhut sundar
जय माता की , जय ईष्ट देवता। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
Baut achi or perfect information di apne
Very good
Baut confusion tha aaj clear hogya
अरे भाई ये गलत बता रहा है नरसिंह देवता भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह अवतार के ही ans अवतार हैं उनके ans से ही ये 9 नरसिंह प्रकट हुए
@@Riyal405 han woh ek jogi roop mein hai
Wo narsingh ka avtar he hai par jogi roop liya hai unhone Kalyug mein
@@Samirbhatia007 ji 🙏🙏
बहुत सुन्दर जानकारी
श्रीमान महत्वपूर्ण जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, नमस्कार
Thnxx
बिल्कुल सही कहा आप ने।
गुरु गोरख नाथ जी ने जितने भी सात्विक देवी देवता हुवे है उनके ही नाम और उनसे ज्यादा शक्तिशाली वाले और कलयुग के मुताबिक तामसिक देवता त्यार किए है।
हमारे नई पीढ़ी को इसकी जानकारी होनी आवश्यक है। मैं आदरणीय इतिहासकार डॉक्टर लखेड़ा जी का जानकारी देने के लिए आभार व्यक्त करता हूं।
Thnxx जी
❤❤❤❤धन्यवाद गुरू जी
Bhi ji mai apko dil se parmaam karta hoon aap gyaan ke bhandaar hai
Thnx
जय हो देव भूमि उत्तराखंड की बेहद शानदार व सुन्दरमय अंदाज में बताते हैं भाई जी आप बेहद अच्छा लगता हैं आपसे देव भूमि की जानकारी मिलना आभार व धन्यवाद है आपके 🚩🚩🌹🌹🙏
Bahut acchi Jankari dhanyawad
Dr साहब प्रणाम , आप उम्र और तजुर्बे म् हम से बहुत बड़े है । और हिमालियानलोग करके पेज चलते है। मान्यवर आपके पास कोई प्रमाण है कि उत्तराखंड में पूजे जाने वाले नरसिंह देवता विष्णु भगवान के अवतार नही थे बल्कि एक नाथपंथी साधु थे। कृपा मेरे इस सन्देह को दूर कीजिये, वैसे मुझे जो ज्ञात है तो वो कुछ इस तरह है जैसे अष्टनाम बीर भैरो,नो तिस नरसिंह, तुम्ही सराग हो तुम्ही नाराग् हो तुम्ही मत्स्य हो तुम्ही कूर्म हो, तुम्ही वराह हो तुम ही कच्छ हो , तुम्ही राम तुम्ही दुधादारी कृष्ण अवतारी विष्णु अवतारी हो तुम्ही मंडलो को मेण्डु छे, ओतुलो कु रहूं छे खतसाल की आग छे द्वी मुखहि साँप छे, शेस नागों म् शेस नाग छे, असुर लोक में आसन किया गजराज भुजा रखी,प्रलेह खम्ब तोड़ो परलाद भक्त को सकल भंडार,नरसिंह रूप लियो हिरण्यकश्यप मारो मोहदय ये सब हमारी किताबो में लिखा है। जो करीब 600 वर्षो से चली आ रही है। इसमें मौखिक परम्परा भी रही है इस के कारण इन जानकारियों म् अशुद्ता का मिलाप हो रखा है। और कुछ लिखित भी है। और हाँ हमारे परदादा जी के पास दो किताबे य विद्या ऐसी थी जिससे एक व्यक्ति शेर य सिंह बन सकता है। नर और सिंह यानी आधा आदमी और आधा शेर, वैसे आप में से बहुत से लोगो ने सुना भी होगा बुगसाडी विद्या , य्या एक आदमी अपनी बेटी को उसके ससुराल छोड़ने जाता है उसे बुगसाडी विद्या का ज्ञान था और उसकी बेटी उससे एक बार बुग्स बाघ बनने की जिद करने लगी तो पिता ने हार कर बेटी की बात मान ली और बेटी को पहले ऊँचे पेड़ पे बिठा दिया और उसके बाद वे बुगसा बाघ बन गया लेकिन बेटी नही मानी और पेड़ से नीचे उतर आई इसके बाद बाघ बने पिता ने उसे खा दिया ऐसी कहानी आपने सुनी जरूर होगी, वैसे ही बड़ेडू विद्या जो शुक्राचार्य के पास थी, गरुड़ विद्या इन सब म् नरसिंह को ही विष्णु भगवान का रुप माना है। अब क्या सच है Dr. हरीश लखेड़ा जी इसका पता आप ही लगाए। क्योंकि मैं बहुत कन्फ्यूज़ हुन हमारी बाप दादा की पौराणिक किताबो म् तो ये लिखा है।
संसार में भगवानों को लेकर हर धर्म की अपनी अवधारणा है।
हर क्षेत्र में भी अलग अलग कथाएं हैं। जहां तक नरसिंग भगवान की बात है तो हिंदू धर्म में वे भगवान विष्णु के अवतार हैं, परंतु उत्तराखंड में नरसिंग एक नागपंथी साधु के तौर पर भी पूजे जाते हैं।यानी नरसिंग की दोनो तरह से पूजा होती है।
जहां तक बुकासाड़ विद्या का सवाल है तो प्रकृति के नियम ये हैं कि कोई भी देहधारी अपने शरीर को बदल नहीं सकता है। मनुष्य है तो जानवर नहीं बन सकता है। बाकी ये सब कथाएं हैं सत्य नहीं।
@@himalayilog यही तो समझ नही आता की आखिर हम जैसे जिज्ञासु लोग किस पर विश्वास करे। कभी कभी तो देख कर चमत्कार लगता है।
ज्ञान वर्धक। सराहनीय
सच मे आपका चैनल बहुत ही अद्भुत जानकारी देता है। °®
Thnx
बहुत सुंदर 💐🌿
JAI ISHT DEVTA. JAI DEVBHOOMI. JAI HIND. JAI BHARAT. THANKS DR SAHEB.
बहुत बहुत धन्यवाद गुरू जी इस जानकारी के लिए 🙏🙏🙏
प्रणाम सुप्रभात नमस्कार जी बहुत बढीया और अच्छी जानकारी आपके माध्यम से हमे नयी नयी जानकारी प्राप्त होती है और अच्छी बात का ज्ञान सिखने को मिलता है आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद लखेडा़ जी जय हो श्री देव भूमि उतराखंणड
Jai narsingh Devta bahut he sunder aur manmohak hai yah kahani
जय श्री नृसिंह देव जी
Sir thank you so much for clearing the doubts pata hai mujhe kabse se doubts rehta tha ki kyu ye sab hota hai
जय नृसिंह भगवान 🪔🌹🍎👪🏘️🙏 शानदार 👌👏🙏
Guru g garhwali sahitya batany ke liye dhanyavad. Jai Uttarakhand.
Thnx
@@himalayilogBhai ye letist channel hai sara itihas ulta seedha kar Diya h usne
Aapko jaankari Dene k leaye bahut dhanywad
बिल्कुल सही कहा आपने ये एक साधु ही ही थे... हालांकी इनकी सात्विक पूजा नरसिंह भगवान के रूप में की जाती है... जागरों में नौ नाथों के रूप मे गाये जातें है...
Utpati alag alag btai hai sabhi ne....
Per Utpatti jo bhi h per narsingh devta humare zindagi ka ab ek atut hissa hai... Humare kuldevta hai 🙏
Behad sundar 👌💗
Pls bholanath ji par bhi ek video bnaye... Sampurn roop se...isi trh ...dhanyawad
जय हो 🙏🙏❤️✨✨ जय प्रणाम गुरु जी 🙏🙏 बहुत बहुत बढ़िया संदेश 🙏👌👌✌️✌️👏👏👍👍🕉️🕉️🕉️
Thnx
Bahut hi sundar जानकारी दी है आपने,,,आप काली माता के बारे में भी बताए प्लीज,की माता केसे प्रकट हुई
Thnxx
बताऊंगा
बहुत सुंदर जानकारी
क्या नर सिंह देव की माता भगवान विष्णु की पुत्री हैं जिस कारण नर सिंह देव संस्कृत मे भी बोलते है
आदरणीय पंडित जी, आपके द्वारा उत्तराखंड की लोक कथाओं की जानकारी उनकी प्रस्तुति ज्ञानवर्धक हैं। उत्तराखंड देवभूमि है और देवी देवताओं की उत्पत्ति एवं पूजा पद्धति के बाबत आपका सटीक विश्लेषण रहता है। आप उत्तराखंड की सांस्कृतिक पृष्टभूमि पर लोगों को जानकारी उपलब्ध कराते रहते हैं। आपका कथन स्पष्ट रूप से खोज का विषय है। यदि भगवान श्री नरसिंह देवता विष्णु भगवान के अवतार के रूप में लोक प्रचलित जागरों में नहीं माने जाते तो फिर उत्तराखंड के जोशीमठ में उनका मंदिर किस प्रकार है । उत्तराखंड के सभी लोग श्री नरसिंह देवता की पूजा के लिए हरिद्वार अथवा जोशीमठ जाते हैं। इस पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता होती है।
Jai ho Aap ki Bahut sundar.. Katyuro ne 400 isbi ke Lag-Bhag Apni Suruwat Joshi math se Nar Singh Bhagwan se hi suru ki thi.
जय दूदाधारी नरसिंह देव। सबको खुश रखना।
Bahut acchi jankari dhyanbad
Jai Narsingh Devta ji ki🙏... Humare papa ji ko Narsingh Devta ji aate hai aur appne sahi bola hai katuri Raj vansh ne hi katurihaat Kamoun region se migrate karke Chaubttakhal near ekeshwar ke Giwali gaon may settle ho gaye thaye mere par dadaji ke time se yahi baat aaj se 25 saal pahle mere dadaji ne bataya tha .
Sunder manmohak jai narshing bhagwan ji ki 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Aapko bahut bahut sadhubad bhayiji.
Thnxx
बहुत बहुत धन्यवाद गुरु जी 🙏🙏,
जय नरसिंह देवता,🙏🌺
Jai ho, Dhanya h aap 🙏🙏
Thanks for Kind Information
सुंदर जानकारी दी है
Thnx
अति सुन्दर वर्णन। सर आप गोलू देवता का वर्णन भी इसी प्रकार करे
बना दी है गोलू देवता पर वीडियो
Bahut hi Sundar bataya aapane
वो तो है पर ये भी जानो की नाथ पंथी जोगी थे नरसिंह और निरंकार देवता यानी शिवजी और विष्णु जी यानी निरंकार देवता उनके चेले और अंश है नरसिंह और नाथ पंथी लोग तो दोनों को शिवजी और विष्णु जी दोनों को मानते है और मृत्यु के बाद तो आत्मा परमात्मा से मिलती है ठीक नरसिंह जोगी शिवजी और विष्णु जी दोनों के भक्त थे प्रचंड भक्त इसीलिए उनकी मृत्यु के बाद वो शिवजी और विष्णु भगवान् दोनों के साथ मिलगये इसीलिए तो रहे शिवजी का रूप और कृष्ण अवतारी कहा गया। जैसे की हमारे यहाँ दुधी नरसिंह है इनके जागर मे ये पंक्ति है दुधाधारी कृष्ण अवतारी नरसिंह को आदेश हैना और ये की झूठ नही है भक्त भगवान् की भक्ति करते करते खुद अपने आराध्य देवता का रूप बन जाता है जैसे गुरु गोरखनाथ जो प्रचंड शिव भक्त थे वो महादेव की भक्ति करते करते उन्ही के अवतारी बन गए और बंगाल के चैतन्य महाप्रभु जी भी प्रचंड कृष्ण भक्त थे उनकी भक्ति करते करते वो भी उन्ही के अवतारी होगए
बहुत सुंदर जी 🙏🙏
*आपने वीडियो बना ही दिया मेरे सुझाव पर , धनयवाद जानकारी के लिए*
जी
Jai ho Narsingh devta ki
कुछ जगह जागर में विष्णु भगवान की नरसिंह अवतार की कथा भी गाई जाती है
हरि अनंत हरि कथा अनंता सीम के नागराज कोन है भगवान कृष्ण या कोई और
भगवान श्रीकृष्ण
Jay ho narsingh dev
जब कोई भगत किसी देवता या भगवान की सेवा करता है तो वह उसी का रूप होता है शरीर छोड़ने के बाद उसी देवता का रूप बनकर अपने भगतों की सेवा करता है नरसिंह नाथपंथी सिद्ध है भगवान विष्णु के स्थान पर विराजमान होने से इन्हें नरसिंह रूप प्राप्त है इनके साथ भगवान शंकर और भगवान विष्णु की शक्ति पूर्ण रूप से है और अपनी साधना की शक्ति तो है ही। जय दूधाधारी नारसिंह । हर हर महादेव।
भाई जी नरसिंह देवता कोई इंसान नहीं था कोई भगत नहीं था , जो कि मरने के बाद देवता बना हो नरसिंह देवता भगवान् विष्णु के अवतार नरसिंह अवतार के ans अवतार हैं
@@Riyal405 भाई जी सिद्ध योग बल से मृत्यु पर विजय प्राप्त कर लेते हैं भगवान देवता सिद्धों या मनुष्य में केवल ज्ञान और योग का अंतर होता है और कुछ अंतर नहीं होता है।
@@Shashtri.ankitbhatt12 😂😂😂 aapki baat Sahi hai par bro wo bhagwan ke ans avtaar hai na ki koi manusya
@@Riyal405 ve ansh avtaar thhe, ye aapne kaha se padha aur suna hai i mean confusion sa hai , isliye poocha doosra ye 9 veer ansh hain to baaki kaha hain ?
Jay Narsingh Devta ki Jay
बहुत दुख की बात है आने वाली पीढ़ी मे किसी के पास ये ज्ञान नहीं रहेगा.
उत्तराखंड के स्कूलों मे उत्तराखंड का इतिहास पढ़ना चाइये.
Aap Uttrakhand ke bare mein batate hain Humko bahut Achcha lagta hai
Thnx
भाई गलत बता रा ये पहले ढंग से पता करो नरसिंह जी के बारे में ऐसी mangandat कहानी मत बनाओ
Jai Narsingh devta ki 🙏
Jay narsing Bhagwan ki
Jai ho narsingh devta ki jai ho 🙏🌹🌷🪔🙏❤️
जय हो इष्ट देवता🙏🚩
जय नरसिंह स्वामी 🙏
बढिया खैराण्या नरसिंग कौन हैं।कृपया बतायें।
Vo 9 bhai narsing m se ek hain
Hmare bhi dudhiya narshing devta h jai ho 🙏
जय होनृ सिंह देवता की❤ ❤
Dondiya narsing devta ki jai🙏🙏🙏🙏🙏
आपका प्रयास शानदार है।हमारे उत्तराखंड में जरा खराब ढंग से भी समझा जाता है इन्हे जानकारी के अभाव में।कुछ और जानकारी सभी नौ रूपों की मिले तो अच्छा रहेगा।
अवश्य जी
Subscribed.
जय कुलदेव नरसिंह महाराज ♥️🌼😇🙏🏻
भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह अवतार के ही ans अवतार हैं नौ नरसिंह जब भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप को मारने के लिए नरसिंह अवतार लिया तो उसके बाद उनका क्रोध शांत नहीं हुआ था तभी उनके शरीर से नरसिंह वीर प्रकट हुए जो कि हजारों की संख्या में थे जिनकी शक्तियां भी उसी तरह थी जैसे नरसिंह भगवान की उसके बाद ये अलग अलग जगह विराजमान हो गए धरती पर जिनमें से मुख्य 9 नरसिंह उत्तराखंड में पूजे जाते हैं ये कोई साधारण साधु नहीं थे हालांकि वे साधु भेष में रहते थे गुरु गोरखनाथ जी और गुरु मछेंद्र नाथ दोनों को इन्होंने गुरु बनाया ये वीर शक्तियां हैं जो कि माता काली के साथ चलती हैं । पर वो थे भगवान नरसिंह के ans अवतार 🙏🙏🙏🙏 जय हो नरसिंह नारायण की।।।।
Bhai ap teek Jai ho parbhu
यथार्थ कथन है आपका
Bhai sach me ye asli story hai kya ??......main to avi tak yahi smjhta tha
@@alphaguru4301 ji sir real hai FB id kya h aapki aapko wahi par bhejta hu story
@@Riyal405 Pranshu King hloe red color me.........shree raam ki dp hogi vahi meri id h
सुप्रभात 🙏जिस प्रकार से आप ने नरसिंह देवता के बारे में बताया क्या उसी प्रकार नागराजा के बारे में इनकी उत्पत्ति आदि के बारे बताने की कृपा करें।
अवश्य
जय माता की , 52 वीरों के नाम क्या क्या है बताने की कृपा करें।
Jay Narshing Devta Ki Jay.
જય માતાજી હરહર મહાદેવ વિશ્ર્વઞુઋદેવજી માં ચામુંડા માતાજીની જય નારાયણ નરસિંહ ભગવાન ગણેશજી ગુઋ ગોરખનાથજી ગોગાજીૐ
बहुत बहुत सुंदर हरीश जी 🙏🙏🙏 मेरा आपसे विनम्र निवेदन है की जैसा आपने अपने उत्तराखंड के लोक मन्ये देवता नर्सिंग के बारे मे बताया वैसे ही आप गद्देवी, गोरिला के बारे मे भी बतायेl क्यों बहुत से लोग इनका नाम भी घरों मे नहीं लेते थे l pehle के लोग क्यों डरते है इनसे l क्यों कई जगह उत्तराखंड मे इनको अच्छी नज़र से नही देखा जाता l लोग इनकी पूजा डर की वजह से करते है न की प्रेम से जैसे bhagvaan के अन्य रूपों के प्रति है वैसे गद्देवी कोंन है क्या यह महाकाली का रूप है या अन्य देवी है l 🙏🙏
thik hai,
Bhai isko Kuch nhi pata .... Or gaddevi ma Durga Ka hi roop hai
गुरु जी... जरूर इस गर्देवी, काली, बेहरव जो नाथ पंथ k hai unke bare में भी बताए।
सर हम बड़ाबे के जोशी है, और हमारे ईस्ट देव नरसिंह भगवान है परंतु हमारे पूर्वज उनको नारायण का अवतार ही बताते है ...
जी भाई सही बताए हैं वो भगवान नरसिंह के अंस से ही प्रकट हुए थे नरसिंह वीर।