आचार्य प्रशांत की फ्री ईबुक (e-book) : acharyaprashant.org/grace?cmId=m00022 नई 'Acharya Prashant' App डाउनलोड करें: acharyaprashant.org/app?cmId=m00022 उपनिषद, गीता व सभी प्रमुख ग्रंथों पर ऑनलाइन कोर्स: acharyaprashant.org/en/courses?cmId=m00022 संस्था से संपर्क हेतु इस फॉर्म को भरें: acharyaprashant.org/en/enquiry?cmId=m00022"
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरजी ने किया हुआ काम धार्मिक, आध्यात्मिक और सनातन से जुडा हुआ था! ये बोलकर आपने लोगो को नया और मेरी विचार में सच्चा दृष्टीकोन दीया! और उनके विरोधीयोको करारा जवाब दिया है! तामील और पेरीयार स्वामीजी के वीचारोंको साकारात्मक दृष्टीसे समझाया है! धन्यवाद!
आचार्य प्रशान्त जी को कोटि कोटि प्रणाम! आपने सनातन धर्म को पूर्णतः वैज्ञानिक रूप से परिभाषित किया है। एकमात्र इसी विचार को आत्मसात करते हुए मन की अशान्ति को दूर किया जा सकता है। स्पष्ट है मन को शांत, स्थिर और संयमित करने के लिए समाज में व्याप्त हर तरह के अवैज्ञानिक, अविवेकपूर्ण एवं अतार्किक सोच पर आधारित मनुष्यों के बीच भेदभाव, ऊंच-नीच, शोषण आदि को समाप्त करना होगा। ऐसी पहल करने वाला ही सनातनी कहलाने का अधिकारी है।
Prashant sir mera naam javed hai, mai apko bahut dil se izzat aur pyar karta hu, Islam ko bhi khud molviyon ne ganda kar diya h, hamare yahan b kuch log h Islam ki sahi jaankari dete h bus Love you sir ap bahut kamyab ho inshallah❤❤
सबसे बड़ी दिक्कत हैं की लोग संस्कृति (मान्यता, रीति रिवाज, कर्मकांड) को धर्म समझते हे इससे बड़ी दिक्कत ये है की बताओ की ये धर्म नहीं संस्कृति है तो मानते नहीं और कुतर्क करते हैं और तर्क कर के साबित भी कर दो तो फिर अन्त में मान कर भी ये कह देंगे की हम तो मानेंगे क्योंकि सब यही मान रहे हैं।
Shayad tum unhe achhe se samjha nahi pate hoge qki mere saath aisa nahi hota hai. Aap unse logically baat to karo wo khud apne kalpanao aur andhwishwason ko defend karne me sharma jayenge.
आज आपने जो सनातन धर्म की परिभाषा दी है आज ह्रदय प्रफुल्लित हो गया, मैने एक विडियो देखी थी जिसमें एक MBBS Dr. गाय का मूत्र पी रहा है ओर गोबर खा रहा है, तब मुझे इस धर्म से घिन होने लगी थी। शुक्रिया आप ने सनातन का सही अर्थ समझाया
Kuch fake babao ki bajah se mujhe sabhi dharm ke naam se nafrat ho gayi thi par aacharya jii real snatan ka meaning bataya hai ab sab kuch clear ho Gaya hai thank you acharya jii❤❤❤
मैं तो आचार्य प्रशांत को आज ही सुन रहा हूं। पहले आचार्य, सद्गुरु और गुरु देव आदि जैसे कथावाचक आसाराम, श्रीश्री रविशंकर जैसे समझ कर सुनने की इच्छा नहीं करता था। सिर्फ आचार्य रजनीश को सुनता था पर आज उपनिषद और वेदान्त आधारित बात सुनकर बड़ी प्रसन्नता हुई।न कोई साधु जैसा लिबास का ढकोसला है।आप तो शुरू से कपिल मुनि के सांख्य दर्शन पर आ गए।मन जैसे अंत:करण पर , जीवात्मा पर आ गए। वाकई यही सही है।ये आर एस एस बीजेपी की धर्म की व्याख्या कुछ और ही है।आप सत्य हैं।
@@abc.12346tum Bramcharya ka palan karo saare dharmik granth padh ke unka gyaan lo baan jao bramhan, Kshatriya banne ki iccha hai toh army mai chale jao Vaishya Banna hai toh koi buisness khol lo kaam kar rahe ho toh Shudr ban jao simple
Religion is set of rules to live your life. Not you need to think which religion teaches good things. A religion which doesn't stop you to eat non veg is not a good religion.
मनुष्य धार्मिक हो सिर्फ धर्म के किसी मकड़ जाल में न उलझे जिज्ञासु बने विश्वासी नहीं सत्य की खोज स्वयं से होती है समाज से नहीं हर चीज का विश्लेषण करना सीखें धर्म न भविष्य में है ना अतीत में है धर्म सिर्फ वर्तमान में है हम भय और लोभ मैं जीते हैं इनको जानने की कोशिश करें यही सनातन है
आज तक मैं सनातन का अर्थ हिन्दू धर्म मानता था परंतु अब मेरी सनातन के प्रति विचार बिल्कुल बदल गया। मुझे पहले सनातन अर्थात हिन्दू धर्म से नफ़रत सी लगती थी पर अब जब आचार्य जी को सुनने के बाद पता चला कि सनातन और हिन्दू बिल्कुल अलग है। अब मुझे लगता है कि मैं भी खुद को सनातनी कह सकता हूं। धन्यवाद आचार्य जी 🙏
Acharya Prashant is today's REVOLUTIONARY MIND, he is one of few people of India who speaks harsh truths and really wants to find out root cause of irrationality, and defines purest form of dharma/adhyatma/sanatani❤ loads of love sir
धर्म अच्छी चीज है लेकिन इन्सान द्वारा जब इसका निजीकरण कर खुद के स्वार्थों कि पुर्ती करने का प्रयास होता हैं वहां धर्म के मायने ही बदल जाते हैं,जबकि धर्म का मतलब तो इन्सानियत के पथ पर चलना है,,
Acharya Prashant ji is a true sanatani and he is the one who is really creating so many sanatanis while rest of the so called religious are just hell bent in defaming sanatan dharam which led Stalin to say what he said. The nation owes Acharya Prashant a huge respect for really spreading the right message 🙏🙏
First thing every hindu should seek is knowledge of vedanta. Second we should abandon castism completely this will create unity amongst us. And we wonldn't get fear of any religions population and knowledge. But We will face them only by knowledge ❤ not violence😅
सनातन धर्म की असलीयत आचार्य जी के सिवा कोई समझा नहीं सकता! आचार्यजी जो ज्ञान दे रहे है वो सिधा मन को भाता है!मन बार बार विचार करनेपर मजबूर होता है! अहंकार को गिराना ही सनातन धर्म है!शत् शत् प्रणाम आचार्य जी!
बिल्कुल सही परिभाषा दी है आपने | सनातन का मतलब जो सबसे पुराना हो तो अब यदि थोड़ा भी सोचेंगे तो आखिरी में मिलेगा सत्य सर्वव्यापी जो कि अनन्त अनन्त समय से यानि कि जब ये सारे के सारे ब्रह्माण्ड और वो निर अक्षर या परम अक्षर पार ब्रहम या परम शून्य या आदि शिव इत्यादि इत्यादि शब्दों से जिसे बुलाया जाता है | वो भी नही था | तब जो भी था | वही सर्वव्यापी आत्मा है जो एकत्व है और जैसा तब जिस तरह स्थिर था और आज भी वैसा ही उसी में अवस्था में, उसी हालत में हर जगह व्याप्त है | और उसको आज तक कोई भी जान नहीं पाया है | वो ही है सनातन | वो ही है सत्य वो ही है आत्मा या परमात्मा जो सबसे पहले से ही मौज़ूद है | जब कोई भी सृष्टी नहीं बनी थी | उनके भी पहले वही मौज़ूद था | मनुष्य तो क्या खुद पार ब्रहम जोकि सृष्टीयों को बनाता है वह भी नहीं जान सकता है | तो मनुष्यों की तो बात क्या की मनुष्य जान ले उसको कि वह कैसा है जो हर जगह अपनी जगह स्थिर है | हमारे ब्रह्माण्ड में भी और अन्य सभी ग्लेक्सियों के अन्दर भी और सभी ग्लेक्सियों के बाहर भी | एक अणु परमाणु में भी और अणु परमाणु के बाहर भी | यह सभी तो भाग रही हैं | दौड़ रही हैं परन्तु जो इन सभी को आधार दिए हुए है वो अपनी ही जगह स्थिर है उसे ही तो आत्मा कहते हैं वो ही तो एक है जो सब में व्यापक रूप से है | अब आते हैं की उसको कैसे पहचाने उसको !!!!!!!! हम सिर्फ़ और सिर्फ़ उसको उसके गुणों से ही उसकी पहचान कर सकते हैं | इसके इलावा और कोई भी दूसरा रास्ता है ही नहीं नहीं नहीं | उसका पहला गुण है स्थिर है | दूसरा गुण बिल्कुल निर्मल है तीसरा गुण निर्लेप है | चौथा गुण बिल्कुल शान्त अवस्था में है | पाँचवा गुण सर्वव्यापकता है छठा गुण सहज है | सातवाँ गुण निरविकार है | आठवां गुण निविचार है | नौवां गुण सदा सदा अमर है | दसवाँ गुण निर वैर है | उसका किसी से कोई भी वैर नहीं है | ग्यारवाँ गुण निर्मोही है अभी तो मुझे यही गुण समझ में आ रहे हैं ऐसे ही और भी गुण हो सकते हैं | अब जैसे इन सभी गुणों को उस सर्वव्यापी परमात्मा ने एक एक पल अनन्त समय से धारण किये हुए है | वैसे ही इन गुणों में से 5 -6 गुणों को भी जिस धर्म के लोग ऱोज जीते हों यानि अपने हर कार्य और काम धन्धे भी इन्ही गुणों को धारण करके ही करते हों तो वो हक से कह सकते हैं की वो सनातन धर्म में हैं | यानि हम सनातन के गुणों पर ही ज़िन्दगी जीते है हमने इन गुणों को धारण किया हुआ है | क्यों की धर्म का अर्थ है जो मनुष्य के लिये धारण करने योग्य है | अब उपर दिए ये गुण आत्मज्ञान होने पर स्वयं ही सर्वव्यापी परमात्मा की कृपा से आने लगते हैं और उस स्तिथि में वह मनुष्य मुक्त ही हो चुका होता है बस आखरी साँस निकने पर उसकी चेतना का वज़ूद ही ख़तम हो जाता है |अगला जन्म नहीं होता है | चाहे कोई देवी देवता हो या कोई भी शक्तियाँ हो आप वहाँ इन गुणों का मिलान करके ( उनके स्वभाव को ) भी मिलाकर देख सकते हैं | न तो ये गुण मनुष्य में नज़र आते हैं | और न ही उनमें जिनकी हम पूजा करते हैं | सब तो लड़ाई के शस्त्र धारण किये हुये हैं तो फिर सहज गुण कहाँ है | इस हमारी ग्लेक्सी के बाहर उनका कोई वज़ूद नहीं है तो सर्वव्यापकता का गुण न मनुष्य में है न ही किसी भी पूजनीय शक्ति का | एक से दुसरे की लड़ाई से किताबें भरी पड़ी हैं | तो निर वैर वाला गुण भी नहीं बैठता है अमरता का गुण भी नहीं बैठता है क्यों कि जिस दिन यह ब्रह्माण्ड की समाप्ति होगी | उस दिन ये देवी देवता का भी सफाया हो जायेगा तो अमर भी नहीं है सदा सदा के लिए | निर्मोही भी नहीं है क्यों की कहानियां भरी पड़ी है जिनमें इनका मोह भी प्रकट हो जाता है |
हमारे भीतर जितनी भी गन्दगी है, हमारे भीतर जो आदिम पशु बैठा हुआ है उसकी काट है वास्तविक आध्यात्म! उसी को धर्म बोलते है, अगर धर्म और आध्यात्म अलग अलग है तो धर्म इक दम झूठा है🙏🙏❤❤
Bilkul thik kha aapne pr mujhe Aisa lgta hai ki is vdo ko aap khud kam se kam apne gav shahar (apne logo) m un logo tak pahuncha sakte h jo apne aap ko Sanatani ya Hindu mante to h par hai nhi.😊
Such a good discussion & lots of topics covered. This is how debate and discussion should be held on national level so that people understand each other's, thoughts, beliefs, differences and respect it's as well. Even after lots of differences we can certainly live peacefully together in a good and healthy environment.
Its better to know the real definition of sanatan dharma to get clarity. But the real thing is not just to stay or fight with names and definition but to dive into the teachings and live it. As Acharya ji said we need to challenge our own beliefs and bring about a real transformation in our lives and experience what our rishis have discovered.
भारतीय उनके धर्म को रिलिजन बनाने पे तुले है, Abrahamic बनाने पे तुले है. That's the crux of this whole conversation, very important conversation for today's environment.
Ek dharm hai jo bagwan ne banaya hai wo pavitra hai, dusra jo khudgarz logo ne insano ke dukh Dene ko banaya hai or yehe ek bimari hai jo sirf dukh or lafda he paida kar sakta hai!!!!😢
बिल्कुल सही परिभाषा दी है आपने | सनातन का मतलब जो सबसे पुराना हो तो अब यदि थोड़ा भी सोचेंगे तो आखिरी में मिलेगा सत्य सर्वव्यापी जो कि अनन्त अनन्त समय से यानि कि जब ये सारे के सारे ब्रह्माण्ड और वो निर अक्षर या परम अक्षर पार ब्रहम या परम शून्य या आदि शिव इत्यादि इत्यादि शब्दों से जिसे बुलाया जाता है | वो भी नही था | तब जो भी था | वही सर्वव्यापी आत्मा है जो एकत्व है और जैसा तब जिस तरह स्थिर था और आज भी वैसा ही उसी में अवस्था में, उसी हालत में हर जगह व्याप्त है | और उसको आज तक कोई भी जान नहीं पाया है | वो ही है सनातन | वो ही है सत्य वो ही है आत्मा या परमात्मा जो सबसे पहले से ही मौज़ूद है | जब कोई भी सृष्टी नहीं बनी थी | उनके भी पहले वही मौज़ूद था | मनुष्य तो क्या खुद पार ब्रहम जोकि सृष्टीयों को बनाता है वह भी नहीं जान सकता है | तो मनुष्यों की तो बात क्या की मनुष्य जान ले उसको कि वह कैसा है जो हर जगह अपनी जगह स्थिर है | हमारे ब्रह्माण्ड में भी और अन्य सभी ग्लेक्सियों के अन्दर भी और सभी ग्लेक्सियों के बाहर भी | एक अणु परमाणु में भी और अणु परमाणु के बाहर भी | यह सभी तो भाग रही हैं | दौड़ रही हैं परन्तु जो इन सभी को आधार दिए हुए है वो अपनी ही जगह स्थिर है उसे ही तो आत्मा कहते हैं वो ही तो एक है जो सब में व्यापक रूप से है | अब आते हैं की उसको कैसे पहचाने उसको !!!!!!!! हम सिर्फ़ और सिर्फ़ उसको उसके गुणों से ही उसकी पहचान कर सकते हैं | इसके इलावा और कोई भी दूसरा रास्ता है ही नहीं नहीं नहीं | उसका पहला गुण है स्थिर है | दूसरा गुण बिल्कुल निर्मल है तीसरा गुण निर्लेप है | चौथा गुण बिल्कुल शान्त अवस्था में है | पाँचवा गुण सर्वव्यापकता है छठा गुण सहज है | सातवाँ गुण निरविकार है | आठवां गुण निविचार है | नौवां गुण सदा सदा अमर है | दसवाँ गुण निर वैर है | उसका किसी से कोई भी वैर नहीं है | ग्यारवाँ गुण निर्मोही है अभी तो मुझे यही गुण समझ में आ रहे हैं ऐसे ही और भी गुण हो सकते हैं | अब जैसे इन सभी गुणों को उस सर्वव्यापी परमात्मा ने एक एक पल अनन्त समय से धारण किये हुए है | वैसे ही इन गुणों में से 5 -6 गुणों को भी जिस धर्म के लोग ऱोज जीते हों यानि अपने हर कार्य और काम धन्धे भी इन्ही गुणों को धारण करके ही करते हों तो वो हक से कह सकते हैं की वो सनातन धर्म में हैं | यानि हम सनातन के गुणों पर ही ज़िन्दगी जीते है हमने इन गुणों को धारण किया हुआ है | क्यों की धर्म का अर्थ है जो मनुष्य के लिये धारण करने योग्य है | अब उपर दिए ये गुण आत्मज्ञान होने पर स्वयं ही सर्वव्यापी परमात्मा की कृपा से आने लगते हैं और उस स्तिथि में वह मनुष्य मुक्त ही हो चुका होता है बस आखरी साँस निकने पर उसकी चेतना का वज़ूद ही ख़तम हो जाता है |अगला जन्म नहीं होता है | चाहे कोई देवी देवता हो या कोई भी शक्तियाँ हो आप वहाँ इन गुणों का मिलान करके ( उनके स्वभाव को ) भी मिलाकर देख सकते हैं | न तो ये गुण मनुष्य में नज़र आते हैं | और न ही उनमें जिनकी हम पूजा करते हैं | सब तो लड़ाई के शस्त्र धारण किये हुये हैं तो फिर सहज गुण कहाँ है | इस हमारी ग्लेक्सी के बाहर उनका कोई वज़ूद नहीं है तो सर्वव्यापकता का गुण न मनुष्य में है न ही किसी भी पूजनीय शक्ति का | एक से दुसरे की लड़ाई से किताबें भरी पड़ी हैं | तो निर वैर वाला गुण भी नहीं बैठता है अमरता का गुण भी नहीं बैठता है क्यों कि जिस दिन यह ब्रह्माण्ड की समाप्ति होगी | उस दिन ये देवी देवता का भी सफाया हो जायेगा तो अमर भी नहीं है सदा सदा के लिए | निर्मोही भी नहीं है क्यों की कहानियां भरी पड़ी है जिनमें इनका मोह भी प्रकट हो जाता है |
मन जो कुछ भी मानता है(belief) और मन जो भी कोई मत रखता है(opinion) यही मन का बंधन है। तो सच्चे सनातनी का ये लक्षण होगा कि वो सभी मान्यताओं और मतों को चुनौती देता चलेगा। सनातनी की परिभाषा ही यही है कि वो सबसे पहले अपने मत और अपनी मान्यता को चुनौती देगा। जिसका लक्ष्य मुक्ति है और जो पूरी भीतरी आज़ादी का बहुत बड़ा प्रेमी है, सिर्फ उसको ही सनातनी कह सकते हैं। -आचार्य प्रशांत
आचार्य जी को जी20 शिखर सम्मेलन में होना चाहिए और सही बात दुनिया के लोगो तक आनी चाहिए, जैसे जलवायु परिवर्तन और अन्य जरूरी मुद्दों पर खुल कर बात की जा सके।
जब भी में आचार्य जी को सुनता हूँ तो लगता है कि बुद्ध की मूल शिक्षाओं पर बात कर रहे हैं। "एस धम्म सनातनो।" आचार्य जी का बताया सनातन धर्म वो नहीं है जिसका विरोध स्टालिन ने किया।
Amazing episode ... All these years I was neither an atheist nor a theist, but you have given me the direction to search something new and please accept my heartfelt gratitude for this.
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🌻😎🌻🌷❤
प्रत्येक मनुष्य का भौतिक और आध्यात्मिक उत्थान ही सनातन वैदिक धर्म है।
🚩 हर-हर महादेव 🙏
😊😊😊😊
"Waheguru"
Apki site pe me network problem hai sayad me kai prasoon ke baad bhi ni pauch pa ra hu
सच्चाई सभी को प्यारी होती हैं इसलिए हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई और सभी लोग आचार्य जी की बातें ध्यान पूर्वक सुनते follow करते हैं ❤
असली कंटेंट इधर हैं,
आपका ध्यान किधर हैं?
Great analysis आचार्य श्री ❤
आचार्य जी के live आने से पहले plise notification भेजा जाय हमे पता ही नही रहता आने वाले है🙏
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरजी ने किया हुआ काम धार्मिक, आध्यात्मिक और सनातन से जुडा हुआ था! ये बोलकर आपने लोगो को नया और मेरी विचार में सच्चा दृष्टीकोन दीया! और उनके विरोधीयोको करारा जवाब दिया है!
तामील और पेरीयार स्वामीजी के वीचारोंको साकारात्मक दृष्टीसे समझाया है!
धन्यवाद!
आचार्य प्रशान्त जी को कोटि कोटि प्रणाम! आपने सनातन धर्म को पूर्णतः वैज्ञानिक रूप से परिभाषित किया है। एकमात्र इसी विचार को आत्मसात करते हुए मन की अशान्ति को दूर किया जा सकता है। स्पष्ट है मन को शांत, स्थिर और संयमित करने के लिए समाज में व्याप्त हर तरह के अवैज्ञानिक, अविवेकपूर्ण एवं अतार्किक सोच पर आधारित मनुष्यों के बीच भेदभाव, ऊंच-नीच, शोषण आदि को समाप्त करना होगा। ऐसी पहल करने वाला ही सनातनी कहलाने का अधिकारी है।
Prashant sir mera naam javed hai, mai apko bahut dil se izzat aur pyar karta hu, Islam ko bhi khud molviyon ne ganda kar diya h, hamare yahan b kuch log h Islam ki sahi jaankari dete h bus
Love you sir ap bahut kamyab ho inshallah❤❤
समस्त ब्रह्माण्ड सनातन की शक्ति से संचालित हो रहा है सनातन को मिटा सके किसी में इतना सामर्थ्य नहीं है।
वेद और उपनिषद से धर्म के पर आम लोगोको दूर रखा गया तो आम इसे कैसे पढ़ेंगे। आचार्य जी आपने सत्य को बताया इसलिए आपका हार्दिक आभार। धन्यवाद।🙏🙏
ACHARYA PRASHANTJI HAS BEAUTIFULLY ANALYSED THE SANATAN DHARM.
FOLLOWERS OF TRUE SANATAN DHARM WILL NEVER HARM ANY ONE.
I'm a Muslim now a sanatani...
Quran n Muhammed is clearly exposed on social media
गुरुजी आपकी बातें केवल एक खुला हुआ दिमाग ही समझ और स्वीकार सकता है। आज आप से बड़ा सनातनी कोई नहीं। 🙏🙏
आदरणीय प्रशांत जी ! आपने बहुत सी बातें बहुत ही ईमानदारी से रखी हैं , उसके लिए आपको ह्रदय से धन्यवाद ।
मन को बंधन मुक्त करना ही सनातन धर्म है।
:- आचार्य प्रशांत ❤
आपकी बातों को आजकल केसाधू सन्यासी लोगों को समझने नहीं देते। आचार्य जी को प्रणाम!
अंशु जी आपने सवाल बड़े सटीक पूछें हैं।
सबसे बड़ी दिक्कत हैं की लोग संस्कृति (मान्यता, रीति रिवाज, कर्मकांड) को धर्म समझते हे इससे बड़ी दिक्कत ये है की बताओ की ये धर्म नहीं संस्कृति है तो मानते नहीं और कुतर्क करते हैं और तर्क कर के साबित भी कर दो तो फिर अन्त में मान कर भी ये कह देंगे की हम तो मानेंगे क्योंकि सब यही मान रहे हैं।
Shayad tum unhe achhe se samjha nahi pate hoge qki mere saath aisa nahi hota hai. Aap unse logically baat to karo wo khud apne kalpanao aur andhwishwason ko defend karne me sharma jayenge.
ओशो के बाद आप जैसे लोगों की जरूरत हैं सत्य का आईना दिखाने के लिए।
आज तक नहीं सुना था सनातन धर्म के बारे में आचार्य जी ना होते तो कौन बताता 🙏🙏🙏🙏❤❤❤❤❤
Batate na bhai 😂😂
250 kilo ke jo shankaraachaary bethe he ac me wo batate 2 kodi gyan he unka
Aacharya ji ke samne
आज आपने जो सनातन धर्म की परिभाषा दी है आज ह्रदय प्रफुल्लित हो गया, मैने एक विडियो देखी थी जिसमें एक MBBS Dr. गाय का मूत्र पी रहा है ओर गोबर खा रहा है, तब मुझे इस धर्म से घिन होने लगी थी।
शुक्रिया आप ने सनातन का सही अर्थ समझाया
Religion की बुनियाद में belief बैठी है और सनातन धर्म की बुनियाद में जिज्ञासा बैठी है।
Vedant darshan ka pehla shlok hi hai-
"Athato brahmjigyasa"
Matlab - Ab yahan se brahm ko janane ki jigyasa prarambh hoti hai.😎
Kuch fake babao ki bajah se mujhe sabhi dharm ke naam se nafrat ho gayi thi par aacharya jii real snatan ka meaning bataya hai ab sab kuch clear ho Gaya hai thank you acharya jii❤❤❤
स्वामी जी... सनातन एक सत्य हैं जो धरती पर समस्त जीव और प्रकृति में शामिल हैं यह एक विज्ञान हैं जो सभी पर लागू होता हैं ....यह मेरा विचार हैं 🙏
काश अब बड़े लोग अपने अपने बच्चों को सनातन ,हिन्दू , धर्म, रिलिजन, वेदों के बारे में सही तथ्य सिखा पाए।आपने बहुत सरल सटीक शब्दों से समझाया है🙏🙏🙏🙏🙏
Thanks for being in my life❤❤
Kaash mai apse aur jaldi mil pata😔
❤❤❤❤
🙏😍😍😍😍🙏🙏😍
मैं तो आचार्य प्रशांत को आज ही सुन रहा हूं। पहले आचार्य, सद्गुरु और गुरु देव आदि जैसे कथावाचक आसाराम, श्रीश्री रविशंकर जैसे समझ कर सुनने की इच्छा नहीं करता था। सिर्फ आचार्य रजनीश को सुनता था पर आज उपनिषद और वेदान्त आधारित बात सुनकर बड़ी प्रसन्नता हुई।न कोई साधु जैसा लिबास का ढकोसला है।आप तो शुरू से कपिल मुनि के सांख्य दर्शन पर आ गए।मन जैसे अंत:करण पर , जीवात्मा पर आ गए। वाकई यही सही है।ये आर एस एस बीजेपी की धर्म की व्याख्या कुछ और ही है।आप सत्य हैं।
प्रयोग ,परीक्षण और प्रश्न करना ही सनातनी होने का वास्तविक अर्थ है.❤ acharya Prashant ji.
Doing nothing, means not moving mind is Sanatan Dharm.
मन का मूल बंधन मान्यता है; मन जो कुछ भी मानता(belief )है और मन जो कुछ भी मत(opinion )रखता है यही मन का बंधन है ।
हर वो इंसान जो आत्मज्ञान की जिज्ञासा रखता है और मुक्ति के प्रति लालायित है उसको सनातनी माना जाना चाहिए 🙏
According to बुद्धा
Lekin mane kya use brahman kshatriya vaishya ya shudra❓
@@abc.12346 उसे मानने की कोई जरूरत नहीं है
@@abc.12346 dhram me koi jati nahi hoti dhram niji baat hai juth. Se sach or jane ko dhram kahte hai ab batao isme jati kaha. Ati hai
@@abc.12346tum Bramcharya ka palan karo saare dharmik granth padh ke unka gyaan lo baan jao bramhan, Kshatriya banne ki iccha hai toh army mai chale jao Vaishya Banna hai toh koi buisness khol lo kaam kar rahe ho toh Shudr ban jao simple
धर्म का अर्थ है वो जो धारण करने योग्य है और वो कर्म जो करने योग्य है।
-आचार्य प्रशांत
Religion is set of rules to live your life.
Not you need to think which religion teaches good things.
A religion which doesn't stop you to eat non veg is not a good religion.
@@rubeldas7583Right Bro
मेरे को आज तक किसी गुरु ने से शिक्षा नहीं दी आचार्य जी जो आपने दी है मेरे लिए तो आप ही गुरु होगा आप ही मेरे आप ही टीचरों❤
सत्य कहा ह आचार्य जी जीज्ञासा का सब्दिक अर्थ जी जीना है, ज्ञा ज्ञान के, सा साथ
बहुत ही सटीक व गहरा विश्लेषण सनातन धर्म के बारे में।
जीव अशांत है उसको शान्ति की ओर ले जाना ही सनातन धर्म है। आचार्य जी🙏
मनुष्य धार्मिक हो सिर्फ
धर्म के किसी मकड़ जाल में न उलझे जिज्ञासु बने विश्वासी नहीं सत्य की खोज स्वयं से होती है समाज से नहीं हर चीज का विश्लेषण करना सीखें धर्म न भविष्य में है ना अतीत में है धर्म सिर्फ वर्तमान में है हम भय और लोभ मैं जीते हैं इनको जानने की कोशिश करें
यही सनातन है
आचार्य जी आज आपने ही अपने विश्लेषण से सिद्ध कर दिया कि बुद्ध धम्म ही सनातन धर्म है क्योंकि आप वही कह रहे हैं जो बुद्ध ने कहा था अपने सम्यक सूत्र में।
बुध्द कही भी कुछ भी ग़लत नहीं है
Buddhism is influenced by Samkhya Darshan Philosophy.
यही बात जैन में कहा गया है यही बात गीता और 108 उपनिसद में कही गई है तो इसका मतलब कोई अलग नही है सभी सनातन है और सबका उद्देश्य एक ही है मुक्ति
पहले आप बौद्ध का अर्थ समझे बौद्ध कोई धर्म नही है
@@sapnokinagri9382 sahi kaha
आज तक मैं सनातन का अर्थ हिन्दू धर्म मानता था परंतु अब मेरी सनातन के प्रति विचार बिल्कुल बदल गया।
मुझे पहले सनातन अर्थात हिन्दू धर्म से नफ़रत सी लगती थी पर अब जब आचार्य जी को सुनने के बाद पता चला कि सनातन और हिन्दू बिल्कुल अलग है।
अब मुझे लगता है कि मैं भी खुद को सनातनी कह सकता हूं।
धन्यवाद आचार्य जी 🙏
Jay Sanatan Jay Bhim 🙏🙏
Hindu shabd dharmik ya sampradayik nahi bhaugolic hai.
तुम हमारे भाई हो
बगैर सनातन के बिना जीवन अधुरा है भाई
Jay श्री राम
A perfect universal explanation of Sanatan Dharam and difference among Hinduism, हिन्दुत्व and Hindu
धन्यवाद आचार्य जी काफी स्पष्टता मिली है सनातन धर्म पर।
विश्वास नहीं जिज्ञासा ।
मन को बंधन मुक्त करना अपने मत और धारणा से ।
Acharya Prashant is today's REVOLUTIONARY MIND, he is one of few people of India who speaks harsh truths and really wants to find out root cause of irrationality, and defines purest form of dharma/adhyatma/sanatani❤ loads of love sir
So true🎉
What are u doing to overcome fear of death ? I only believe in scientific temprament .
धर्म अच्छी चीज है लेकिन इन्सान द्वारा जब इसका निजीकरण कर खुद के स्वार्थों कि पुर्ती करने का प्रयास होता हैं वहां धर्म के मायने ही बदल जाते हैं,जबकि धर्म का मतलब तो इन्सानियत के पथ पर चलना है,,
Saty sanatan dharm ki jay
आज पूरे देश के प्रत्येक व्यक्ति को आचार्य जी का यह अद्भुत बातें सुननी चाहिए।
Acharya Prashant ji is a true sanatani and he is the one who is really creating so many sanatanis while rest of the so called religious are just hell bent in defaming sanatan dharam which led Stalin to say what he said. The nation owes Acharya Prashant a huge respect for really spreading the right message 🙏🙏
धन्यवाद आचार्य जी बहुत लोगो को सुना हूं पर सुकून आपको सुनाने के बाद मिली 🙏😊🤗
आचार्य प्रशांत जी ने सनातन धर्म की अच्छी व्याख्या की है। इसको समझने की आवश्कता है।
Kya Mera Salaam aap Tak poncha.. Murshid..
Aaj subah yahi likha
Beniyaaz e dil hi beniyaaz e gam hai..
Dil se wabista khud ik sitam hai..
Entire Nation should subscribe. Because Guruji means Truth.🙏🙏
🌟
True
❤
आचार्य प्रशान्त जी आप ही इन फसादों व अंधविश्वासो से उपर उठा सकते हैं ❤
शत् शत् नमन आचार्य जी 🙏🙏
A very enlightening video on Sanatan, Hindutva, Hinduism, Atheism and also Dravidism .🙏🙏
सच्चा सनातनी वही है जो शिर्फ अपनी ही मान्यताओं को चुनोती दे, पर अन्य रिलीजन की उन मान्यताओं को नहीं जिनसे वह सामूहिक रूप से पीड़ित है l 🙏🏽🙏🏽
Aacharya Prashant ji ko pranaam❤❤
Amazing discussion! So happy to be enlighted by such a wise soul!🙏
First thing every hindu should seek is knowledge of vedanta.
Second we should abandon castism completely this will create unity amongst us. And we wonldn't get fear of any religions population and knowledge.
But We will face them only by knowledge ❤ not violence😅
Agree bro... Totally agree
Where is casteism now? There is reservation alone.
According to Veda, everyone by birth is Sudra. We need to read Veda first.
Buddhism & Jainism are also known as Sanatan Dharma 🕉🕉🚩🚩
TRUE SANATAN
सनातन धर्म की असलीयत आचार्य जी के सिवा कोई समझा नहीं सकता! आचार्यजी जो ज्ञान दे रहे है वो सिधा मन को भाता है!मन बार बार विचार करनेपर मजबूर होता है! अहंकार को गिराना ही सनातन धर्म है!शत् शत् प्रणाम आचार्य जी!
बिल्कुल सही परिभाषा दी है आपने |
सनातन का मतलब जो सबसे पुराना हो तो अब यदि थोड़ा भी सोचेंगे तो आखिरी में मिलेगा सत्य सर्वव्यापी जो कि अनन्त अनन्त समय से यानि कि जब ये सारे के सारे ब्रह्माण्ड और वो निर अक्षर या परम अक्षर पार ब्रहम या परम शून्य या आदि शिव इत्यादि इत्यादि शब्दों से जिसे बुलाया जाता है | वो भी नही था | तब जो भी था | वही सर्वव्यापी आत्मा है जो एकत्व है और जैसा तब जिस तरह स्थिर था और आज भी वैसा ही उसी में अवस्था में, उसी हालत में हर जगह व्याप्त है | और उसको आज तक कोई भी जान नहीं पाया है | वो ही है सनातन | वो ही है सत्य वो ही है आत्मा या परमात्मा जो सबसे पहले से ही मौज़ूद है | जब कोई भी सृष्टी नहीं बनी थी | उनके भी पहले वही मौज़ूद था |
मनुष्य तो क्या खुद पार ब्रहम जोकि सृष्टीयों को बनाता है वह भी नहीं जान सकता है | तो मनुष्यों की तो बात क्या की मनुष्य जान ले उसको कि वह कैसा है जो हर जगह अपनी जगह स्थिर है | हमारे ब्रह्माण्ड में भी और अन्य सभी ग्लेक्सियों के अन्दर भी और सभी ग्लेक्सियों के बाहर भी | एक अणु परमाणु में भी और अणु परमाणु के बाहर भी | यह सभी तो भाग रही हैं | दौड़ रही हैं परन्तु जो इन सभी को आधार दिए हुए है वो अपनी ही जगह स्थिर है उसे ही तो आत्मा कहते हैं वो ही तो एक है जो सब में व्यापक रूप से है |
अब आते हैं की उसको कैसे पहचाने उसको !!!!!!!! हम सिर्फ़ और सिर्फ़ उसको उसके गुणों से ही उसकी पहचान कर सकते हैं | इसके इलावा और कोई भी दूसरा रास्ता है ही नहीं नहीं नहीं |
उसका पहला गुण है स्थिर है |
दूसरा गुण बिल्कुल निर्मल है
तीसरा गुण निर्लेप है |
चौथा गुण बिल्कुल शान्त अवस्था में है |
पाँचवा गुण सर्वव्यापकता है
छठा गुण सहज है |
सातवाँ गुण निरविकार है |
आठवां गुण निविचार है |
नौवां गुण सदा सदा अमर है |
दसवाँ गुण निर वैर है | उसका किसी से कोई भी वैर नहीं है |
ग्यारवाँ गुण निर्मोही है
अभी तो मुझे यही गुण समझ में आ रहे हैं ऐसे ही और भी गुण हो सकते हैं |
अब जैसे इन सभी गुणों को उस सर्वव्यापी परमात्मा ने एक एक पल अनन्त समय से धारण किये हुए है |
वैसे ही इन गुणों में से 5 -6 गुणों को भी जिस धर्म के लोग ऱोज जीते हों यानि अपने हर कार्य और काम धन्धे भी इन्ही गुणों को धारण करके ही करते हों तो वो हक से कह सकते हैं की वो सनातन धर्म में हैं | यानि हम सनातन के गुणों पर ही ज़िन्दगी जीते है हमने इन गुणों को धारण किया हुआ है |
क्यों की धर्म का अर्थ है जो मनुष्य के लिये धारण करने योग्य है |
अब उपर दिए ये गुण आत्मज्ञान होने पर स्वयं ही सर्वव्यापी परमात्मा की कृपा से आने लगते हैं और उस स्तिथि में वह मनुष्य मुक्त ही हो चुका होता है बस आखरी साँस निकने पर उसकी चेतना का वज़ूद ही ख़तम हो जाता है |अगला जन्म नहीं होता है |
चाहे कोई देवी देवता हो या कोई भी शक्तियाँ हो आप वहाँ इन गुणों का मिलान करके ( उनके स्वभाव को ) भी मिलाकर देख सकते हैं |
न तो ये गुण मनुष्य में नज़र आते हैं | और न ही उनमें जिनकी हम पूजा करते हैं |
सब तो लड़ाई के शस्त्र धारण किये हुये हैं तो फिर सहज गुण कहाँ है | इस हमारी ग्लेक्सी के बाहर उनका कोई वज़ूद नहीं है तो सर्वव्यापकता का गुण न मनुष्य में है न ही किसी भी पूजनीय शक्ति का |
एक से दुसरे की लड़ाई से किताबें भरी पड़ी हैं | तो निर वैर वाला गुण भी नहीं बैठता है
अमरता का गुण भी नहीं बैठता है क्यों कि जिस दिन यह ब्रह्माण्ड की समाप्ति होगी | उस दिन ये देवी देवता का भी सफाया हो जायेगा तो अमर भी नहीं है सदा सदा के लिए |
निर्मोही भी नहीं है क्यों की कहानियां भरी पड़ी है जिनमें इनका मोह भी प्रकट हो जाता है |
जो निराकार कि पुजा करे वहि असल सनातन है
आचार्य प्रशांत आपकी वार्तालाप सुनकर मेरे दिल का प्रश्न मुझे मिल गया, सदां रहने बाला सत्य अमर है
हमारे भीतर जितनी भी गन्दगी है, हमारे भीतर जो आदिम पशु बैठा हुआ है उसकी काट है वास्तविक आध्यात्म! उसी को धर्म बोलते है, अगर धर्म और आध्यात्म अलग अलग है तो धर्म इक दम झूठा है🙏🙏❤❤
हर इंसान जो सत्य की राह पर चलता है और आत्मजिज्ञासा रखता है वह सनातनी है 🙏
आचार्य जी के विडियो लेक्चर और पुस्तके भारत के सभी स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए।
*इंसान को आध्यात्म की ज़रूरत है ना कि किसी धर्म की...*
Bhai adhyatm ka gyan bhi dharm se hi milta hai...
सनातन धर्म के अलावा अध्यात्म कहां वर्णित हैं
अगर भारत को कोई बीश्व गूरु बना सकते हैं तो वो आचार्य प्रशांत
मैं आपको अच्छा इंसान मानता हूं इसलिए ऊंच नीच भेदभाव को ख़त्म करने का एक वीडियो बनाओ सर 🙏🙏🙏🙏🙏
The protector of sanathan dharma is Lord Krishna... Don't forget 😊
❤❤भाई बात सीधी सी है कि जो व्यक्ति धार्मिक है वह ढोल नहीं पीटते..वह जीवन को स्थान प्रदान करता है..
Sahi kaha
मन अशांत है उसको शांति के ओर ले जाना सनातन धर्म है क्योंकि मन की अशांति जीव के अस्तित्व में निहित है।
सनातन को कर्म कांड से जोड़ कर देखते हैं। आज कल के सनातनी या हिंदू धर्म का दावा करने वाले आत्मा, शान्ति, बन्धन ,मुक्ति इनका सबको गायब कर दिया गया है ।
This video need to be shown at every educational premise N at grass-root level of society.. 🙏
Bilkul thik kha aapne pr mujhe Aisa lgta hai ki is vdo ko aap khud kam se kam apne gav shahar (apne logo) m un logo tak pahuncha sakte h jo apne aap ko Sanatani ya Hindu mante to h par hai nhi.😊
मन को प्रेम सिखाना और मन को निर्भय बनाना सनातन धर्म ; मन को बंधन मुक्त करना ही सनातन धर्म है।
Dear itne comments ki vajhe kya h
@@amitola5385aap kya dikkat hai jyada pet mein dard ho raha hai
आज सनातनी होना बड़ा मुश्किल है , न परीक्षण को हम मूल्य देते हैं, न प्रयोग और न ही प्रश्न को।
इतना अच्छाज्ञान आज तक िसी ने नही बताया है सत सत नमन आचार्य
आपने हमेशा सच्चा ज्ञान दिया है, धन्यवाद आचार्य जी 🙏🏼❤
Buddhism also says the same thing Acharyaji, thank you for enlightening us.
Yaa it is same
@@iotasymbol8498 buddh deny all ism without knowing and negate ism
Vry well explained in simple language by acharya Prashant . One should truly focus on himself/herself and follow the right path.
Sir ji aap ka har ek ek sachi baath ku hum sab ku samajna chahiye
Such a good discussion & lots of topics covered. This is how debate and discussion should be held on national level so that people understand each other's, thoughts, beliefs, differences and respect it's as well. Even after lots of differences we can certainly live peacefully together in a good and healthy environment.
Its better to know the real definition of sanatan dharma to get clarity. But the real thing is not just to stay or fight with names and definition but to dive into the teachings and live it. As Acharya ji said we need to challenge our own beliefs and bring about a real transformation in our lives and experience what our rishis have discovered.
Acharya prashant ki sari bato ka bss ekhi tathya niklta hai.... Buddhism 👌 Namo buddhaye
आध्यात्मिकता,राजनीति, खेल, फ़िल्म, सामाजिक, पर्यावरण, महिला सशक्तिकरण, पशु क्रूरता कितने विषयों में पारंगत हैं आचार्य जी, नमन 🙏🏻
😎ACHARYA PRASHANT JI is ALLROUNDER.😎
❤
भारतीय उनके धर्म को रिलिजन बनाने पे तुले है, Abrahamic बनाने पे तुले है.
That's the crux of this whole conversation, very important conversation for today's environment.
Ek dharm hai jo bagwan ne banaya hai wo pavitra hai, dusra jo khudgarz logo ne insano ke dukh Dene ko banaya hai or yehe ek bimari hai jo sirf dukh or lafda he paida kar sakta hai!!!!😢
This is urgent
All of us should spread this podcast as much as possible
Mae muslim tha fir mae aapne aap ko athist manne laga tha, fir aap ko discover kerke mere aakhe khul gaye🙂
Incredible ...discussion...by our gurudev❤❤❤❤
सर अनंत नमन।
सत्यमेव जयते।
Congratulation for 15m.....spreading real Sanatan Dharm....world need this
Its 17 now! 🙏
It's now 17.2 within 3 weeks.
It's a revolution like Krishna/Buddha/Kabir did earlier.
22M
38m
धार्मिक लोग तार्किक दिमाग से धर्म से बहुत आगे निकल गए और वापस यात्रा करना अहंकार को ठेस पहुंचाता है...
Ryt
आज से में हिंदू नही सनातनी बनूंगा ❤
Like question, like answer. Aty sunder upasthapana ebam bisleshan.Hriday juraiya gelo. Jay Bharat Mata, Jay Sanatana, Sarba Kalyanam!
ज्ञान को बिना लाग लपेट के कोई वेदांत मर्मज्ञ ही कह सकता हैं 🙏🏻
बिल्कुल सही परिभाषा दी है आपने |
सनातन का मतलब जो सबसे पुराना हो तो अब यदि थोड़ा भी सोचेंगे तो आखिरी में मिलेगा सत्य सर्वव्यापी जो कि अनन्त अनन्त समय से यानि कि जब ये सारे के सारे ब्रह्माण्ड और वो निर अक्षर या परम अक्षर पार ब्रहम या परम शून्य या आदि शिव इत्यादि इत्यादि शब्दों से जिसे बुलाया जाता है | वो भी नही था | तब जो भी था | वही सर्वव्यापी आत्मा है जो एकत्व है और जैसा तब जिस तरह स्थिर था और आज भी वैसा ही उसी में अवस्था में, उसी हालत में हर जगह व्याप्त है | और उसको आज तक कोई भी जान नहीं पाया है | वो ही है सनातन | वो ही है सत्य वो ही है आत्मा या परमात्मा जो सबसे पहले से ही मौज़ूद है | जब कोई भी सृष्टी नहीं बनी थी | उनके भी पहले वही मौज़ूद था |
मनुष्य तो क्या खुद पार ब्रहम जोकि सृष्टीयों को बनाता है वह भी नहीं जान सकता है | तो मनुष्यों की तो बात क्या की मनुष्य जान ले उसको कि वह कैसा है जो हर जगह अपनी जगह स्थिर है | हमारे ब्रह्माण्ड में भी और अन्य सभी ग्लेक्सियों के अन्दर भी और सभी ग्लेक्सियों के बाहर भी | एक अणु परमाणु में भी और अणु परमाणु के बाहर भी | यह सभी तो भाग रही हैं | दौड़ रही हैं परन्तु जो इन सभी को आधार दिए हुए है वो अपनी ही जगह स्थिर है उसे ही तो आत्मा कहते हैं वो ही तो एक है जो सब में व्यापक रूप से है |
अब आते हैं की उसको कैसे पहचाने उसको !!!!!!!! हम सिर्फ़ और सिर्फ़ उसको उसके गुणों से ही उसकी पहचान कर सकते हैं | इसके इलावा और कोई भी दूसरा रास्ता है ही नहीं नहीं नहीं |
उसका पहला गुण है स्थिर है |
दूसरा गुण बिल्कुल निर्मल है
तीसरा गुण निर्लेप है |
चौथा गुण बिल्कुल शान्त अवस्था में है |
पाँचवा गुण सर्वव्यापकता है
छठा गुण सहज है |
सातवाँ गुण निरविकार है |
आठवां गुण निविचार है |
नौवां गुण सदा सदा अमर है |
दसवाँ गुण निर वैर है | उसका किसी से कोई भी वैर नहीं है |
ग्यारवाँ गुण निर्मोही है
अभी तो मुझे यही गुण समझ में आ रहे हैं ऐसे ही और भी गुण हो सकते हैं |
अब जैसे इन सभी गुणों को उस सर्वव्यापी परमात्मा ने एक एक पल अनन्त समय से धारण किये हुए है |
वैसे ही इन गुणों में से 5 -6 गुणों को भी जिस धर्म के लोग ऱोज जीते हों यानि अपने हर कार्य और काम धन्धे भी इन्ही गुणों को धारण करके ही करते हों तो वो हक से कह सकते हैं की वो सनातन धर्म में हैं | यानि हम सनातन के गुणों पर ही ज़िन्दगी जीते है हमने इन गुणों को धारण किया हुआ है |
क्यों की धर्म का अर्थ है जो मनुष्य के लिये धारण करने योग्य है |
अब उपर दिए ये गुण आत्मज्ञान होने पर स्वयं ही सर्वव्यापी परमात्मा की कृपा से आने लगते हैं और उस स्तिथि में वह मनुष्य मुक्त ही हो चुका होता है बस आखरी साँस निकने पर उसकी चेतना का वज़ूद ही ख़तम हो जाता है |अगला जन्म नहीं होता है |
चाहे कोई देवी देवता हो या कोई भी शक्तियाँ हो आप वहाँ इन गुणों का मिलान करके ( उनके स्वभाव को ) भी मिलाकर देख सकते हैं |
न तो ये गुण मनुष्य में नज़र आते हैं | और न ही उनमें जिनकी हम पूजा करते हैं |
सब तो लड़ाई के शस्त्र धारण किये हुये हैं तो फिर सहज गुण कहाँ है | इस हमारी ग्लेक्सी के बाहर उनका कोई वज़ूद नहीं है तो सर्वव्यापकता का गुण न मनुष्य में है न ही किसी भी पूजनीय शक्ति का |
एक से दुसरे की लड़ाई से किताबें भरी पड़ी हैं | तो निर वैर वाला गुण भी नहीं बैठता है
अमरता का गुण भी नहीं बैठता है क्यों कि जिस दिन यह ब्रह्माण्ड की समाप्ति होगी | उस दिन ये देवी देवता का भी सफाया हो जायेगा तो अमर भी नहीं है सदा सदा के लिए |
निर्मोही भी नहीं है क्यों की कहानियां भरी पड़ी है जिनमें इनका मोह भी प्रकट हो जाता है |
धन्यवाद आचार्य जी! आपने बहुत ही सार्वभौमिक धर्म की व्याख्या की है ।
मन जो कुछ भी मानता है(belief)
और मन जो भी कोई मत रखता है(opinion)
यही मन का बंधन है।
तो सच्चे सनातनी का ये लक्षण होगा कि वो सभी मान्यताओं और मतों को चुनौती देता चलेगा।
सनातनी की परिभाषा ही यही है कि वो सबसे पहले अपने मत और अपनी मान्यता को चुनौती देगा।
जिसका लक्ष्य मुक्ति है और जो पूरी भीतरी आज़ादी का बहुत बड़ा प्रेमी है, सिर्फ उसको ही सनातनी कह सकते हैं।
-आचार्य प्रशांत
Prashant sir is my best teacher.
Adbhut hai,,inka interpretation ❤❤
Sanatan Satsang is the only way to avoid any own problem.
आचार्य प्रशांत जी में आपकी बात से बहुत बहुत सहमत हूं
आचार्य जी को जी20 शिखर सम्मेलन में होना चाहिए और सही बात दुनिया के लोगो तक आनी चाहिए, जैसे जलवायु परिवर्तन और अन्य जरूरी मुद्दों पर खुल कर बात की जा सके।
जब भी में आचार्य जी को सुनता हूँ तो लगता है कि बुद्ध की मूल शिक्षाओं पर बात कर रहे हैं।
"एस धम्म सनातनो।"
आचार्य जी का बताया सनातन धर्म वो नहीं है जिसका विरोध स्टालिन ने किया।
Acharya ji Har baar kuch naya knowledge dete hai, I just love it... 💚🙏😇
सही समझ समाधान देती है अन्यथा समस्या बनी रहती है। प्रणाम
सनातन शब्द गौतम बुद्ध ने पेहली कहा था। ऐ धमो सन्ंतनो।
बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी सत्य को इतना शालीनता से समझने के लिए
Amazing episode ... All these years I was neither an atheist nor a theist, but you have given me the direction to search something new and please accept my heartfelt gratitude for this.
What are main good things you have learnt from Acharya Prashant ji.
सनातन धर्म को सबसे ज्यादा नुक्सान ब्राह्मणों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए पाखंड की रचना हुई।