सैय्यद मोहम्मद इरफ़ान जी के कार्यक्रम गुफ्तगू और अंजुम भाई के संगत की सारी वीडियोज के साथ सुखपूर्वक उम्रकैद काटी जा सकती है। कुछ पुस्तकें भी साथ में हों तो सजा सजा भी न लगे।
बहुत बढ़िया बात-चीत! अशोक चक्र धर जी को लंबे समय बाद सुना! अंजुम जी ने इतनी गहराई से कवि के जीवन और रचना संसार को खंगाला कि वर्षों के अंतराल को पाट गया! बहुत साधुवाद!
Chakradhar’s eloquence and passion shine through, giving audiences a rare glimpse into his creative process and the philosophical underpinnings of his work. His contributions not only enrich the world of poetry but also inspire a new generation of poets and readers. Thanks for this interview.
Kudos to you, Anjum, for a very candid and candour interview providing a deep intellectual integrity and insight of Dr Ashok Chakradhar. He is one of the finest poet who did a great प्रचार & प्रसार of हिन्दी कविता. I love your style of conducting interview where you talked with Dr Ashok at the equal level and keep asking very intriguing questions. Some discussions were very disconcerting especially dealing with the flat envelopes but it is a part and parcel of the literature culture. I wish you all the best and look forward to many more thoughtful interviews...🙏
Thank you Anjum and Ashok for this beautiful interview. Anjum ask very beautiful and critical questions and Ashok also responded well. - One suggestion as a younger brother to Anjum, "कि आप भावनात्मक क्षणों पर थोड़ा ठहरे, सामने बैठे व्यक्ति को भावनात्मक से तार्किक बातचीत करने का वक्त मिल जाएगा।
kmaal ki baatchit --mera man karta hain k baatchit ke kuch hisso ko likh kar cemnt likhun ,mai wahhhhh likhun --magar ye karne main mujhe runka padhe ga aut batchit ka lutf nahi rahega --- Anjum ji aapka adhyan aur Ashok ji ka modren aur logicle baat ko sunkar aanand aayea
भाफ (भाप) हो गए। जलकर के राख हो गए। शानदार। आनंद आ गया, पूरा सुना। आप( तुम) साहित्यकार हो सचमुच। डा हरीश नवलजी को काका हाथरसी पुरस्कार समारोह मे आपसे मिला था। प्रगल्भजी को लालकिले से सुना। गोपालप्रसाद जी व्यास की कृपा से बहुत से और अच्छे कवियो को सुनने का सौभाग्य मिला । मुक्तिबोध जीऔर परसाईजी से जबलपुर मे मिलना हो जाता था। आपने पंडित रामकिकर जी उपाध्याय उपाध्याय को सुना या पढा है। परसाई जी ने व्यंग्य लिखने के लिए ही सही राम नाम चरित मानस का पठन किया होगा , लगता है। धर्मवीर भारती महाभारत से काव्य/ कथा सामग्री लेने के पक्षधर थे। मुक्तिबोध made easy की प्रतीक्षा और स्वागत बोध के साथ आपको नमन और आशीर्वाद 🙏🏻
१. जब हिंदवी और अंजुम संगत करना छोड़ देंगे, तब क्या होगा? भय होता है!... मन करता है, बस ऐसे ही चलते रहे! २. पुस्तकाकार में कब आएंगे ये सारे साक्षात्कार! ३.धन्यवाद अंजुमजी! धन्यवाद हिन्दवी!! 🎉🙏
बहुत बहुत आभार अंजुम जी एक अभूतपूर्व अनुभव देने के लिए और उससे भी बड़ी कृपा श्रीमान अशोक जी की है और अशोक जी कीहँसी तो मंत्रमुग्ध कर देने वाली है....🙏🙏
57.10 मिनट पर जयपुर के जिस कवि सम्मेलन की बात अशोक जी कर रहे हैं , जिसमें 2 लाख की भीड़ का जिक्र है वह कवि सम्मेलन जयपुर के बिरला ऑडिटोरियम में हुआ थाl उस कार्यक्रम में अशोक जी के संचालन में मेरे दादाजी जनकवि मोहम्मद सदीक भाटी जी ने भी अपनी प्रस्तुति दी थीl
बेगूसराय में मंच से उनकी कविता "जंगल की आग" सुनी थी. मंच पर से इतनी विचारोत्तेजक रचना कभी नहीं सुनी है. पार्टी की 19 वीं कांग्रेस के अवसर पर दिल्ली में वी पी हाउस के लॉन में एक सेमिनार हुआ था ,"हिंदी पट्टी की तक़लीफ़ें और मुक्ति के रास्ते " विषय पर . उसमें मंच पर इनकी सक्रियता देखते बनती थी .
1 घंटा 10 मिनिट पर आदरणीय अशोक जी भावुक हो जाते हैं , बोलते हुए उनका गला रूंध जाता है , लोगों का उनके प्रति जो प्रेम है वे उसको पाकर अभिभूत हैं । कवि सम्मेलन जगत और अपने प्रशंसकों चेलों के प्रति वे आभारी हैं , अब अंतिम समय में अशोक जी कुछ भी नकारात्मक नहीं करना चाहते न बोलना चाहते न ही सोचते हैं । खैर कवि सम्मेलनों की समीक्षा करते हुए उनका दृष्टिकोण ठीक नहीं हैं । अशोक जी और उनके समकक्ष सभी कवियों को ये लगता है की अब कवि सम्मेलनों में काव्य नहीं बचा है काफी हद तक ये बात ठीक भी हैं किंतु उसको खाद देने में अशोक जी और अन्य पुराने कवियों का भी योगदान है , कवि सम्मेलनों को बरबाद तो किया गया है चाहे यह अनचाहे ही हुआ हो । और अब सारी जिम्मेदारी नए कवियों पर डाल देते हैं । जबकि बात इसकी ठीक उलट है , काफी हद तक अब कवि सम्मेलनों में ठीक कवि आना प्रारंभ हुए हैं । खैर इस पर आदरणीय अशोक जी से अलग से चर्चा करना चाहता हूं । हालांकि अब इसकी बहुत आवश्यकता नही हैं ।
Towards the end, you asked about and praised the translated book of Ashok Ji. Please give the name and reference of that book so that we can purchase the same. Please always give the details of important books of every writer, so that if someone wants to read, he can procure the same.
Anjum ko kisi news channel me kaam karna chahiye jahan wo logon ko chup karane ka kaam karenge. Bolne nahi denge. Aksar aisa hota hai jab sabse dilchasp baat chal rahi hoti hai ye baat zabardasti badalwa dete hain.
मैंने ख़ुद भी अनुभव किया है और बहुत सारे लोगों ने कॉमेंट भी किया था लेकिन फिर भी अंजुम अपने स्वभाव से बाज़ नहीं आते । साहित्यकार को बोलने का पूरा समय दो भाई इतनी जल्दी क्या है। ख़ुद के ही प्रश्नों को लादते जाते हो । अरुचिकर होता जा रहा है अब तुम्हारा शो। मेरी हिंदवी से हाथ जोड़कर निवेदन है कृपया किसी दूसरे एंकर को लाइए
नहीं, नहीं, आशीष जी! ऐसा मत कहिए। मैंने अपने साक्षात्कार से पहले, अंजुम द्वारा किए गए, मुश्किल से दो तीन साक्षात्कार ही देखे थे और मैं बहुत प्रभावित हुआ था। अपने साक्षात्कार के दौरान मैंने देखा कि वे अपने अतिथि से बात करने से पहले उसके बारे में सामान्य से कितना अधिक जानते हैं और अपनी जानकारी बढ़ाने के लिए कितना ताज़ा अध्ययन करते हैं। अपने सद्यःज्ञान से वे जता देते हैं कि अतिथि से वे सब कुछ पूछ सकते हैं, जिससे वह थोड़ा असहज भी हो जाए तो चलेगा। साहित्य की अदालत है भाई! आगंतुक को भी चाहिए कि प्रश्न को इधर उधर घुमाने के स्थान पर अंतर्मन का सत्य बताए। अंजुम अपने कार्य में सफल हो जाते हैं। अब मुझे इनके द्वारा किए गए सारे साक्षात्कारों को देखने का समय चाहिए। बहरहाल, इस कार्यक्रम के लिए एंकर बदलने के प्रस्ताव का मैं क़तई समर्थन नहीं करता।
ये सब कवि फ्रॉड होते, जब बच्चों को पढ़ाना होता है तो सिलेबस कंप्लीट कर देते थे। ब्रिजनोव ने खुद बोला है कि किस तरह ये सारे बकवास कवि कहानीकार रूस की जेब में हुआ करते थे। सब बुढ़ापे तक अपनी सच्चाइयां झेल के जाएंगे। 😅
सैय्यद मोहम्मद इरफ़ान जी के कार्यक्रम गुफ्तगू और अंजुम भाई के संगत की सारी वीडियोज के साथ सुखपूर्वक उम्रकैद काटी जा सकती है। कुछ पुस्तकें भी साथ में हों तो सजा सजा भी न लगे।
बहुत बढ़िया बात-चीत! अशोक चक्र धर जी को लंबे समय बाद सुना! अंजुम जी ने इतनी गहराई से कवि के जीवन और रचना संसार को खंगाला कि वर्षों के अंतराल को पाट गया!
बहुत साधुवाद!
जियो अंजुम।
जलन कुकडो़ं की हिन्दी साहित्य में कमी नहीं है।
अपना काम करते रहो।
Chakradhar’s eloquence and passion shine through, giving audiences a rare glimpse into his creative process and the philosophical underpinnings of his work. His contributions not only enrich the world of poetry but also inspire a new generation of poets and readers. Thanks for this interview.
बहुत सुन्दर....अशोक जी की जलधारा बहती रहे ये तट निहारता रहे
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति, बहुत दिनों बाद आपकी वजह से अशोक चक्रधर जी को सुना। काफी पहले लगभग छः सात साल पहले दूरदर्शन पर सुना था।
बढ़िया बातचीत। दोनो का अभिवादन🎉🎉
Kudos to you, Anjum, for a very candid and candour interview providing a deep intellectual integrity and insight of Dr Ashok Chakradhar. He is one of the finest poet who did a great प्रचार & प्रसार of हिन्दी कविता. I love your style of conducting interview where you talked with Dr Ashok at the equal level and keep asking very intriguing questions. Some discussions were very disconcerting especially dealing with the flat envelopes but it is a part and parcel of the literature culture. I wish you all the best and look forward to many more thoughtful interviews...🙏
Thank you Anjum and Ashok for this beautiful interview.
Anjum ask very beautiful and critical questions and Ashok also responded well.
- One suggestion as a younger brother to Anjum, "कि आप भावनात्मक क्षणों पर थोड़ा ठहरे, सामने बैठे व्यक्ति को भावनात्मक से तार्किक बातचीत करने का वक्त मिल जाएगा।
kmaal ki baatchit --mera man karta hain k baatchit ke kuch hisso ko likh kar cemnt likhun ,mai wahhhhh likhun --magar ye karne main mujhe runka padhe ga aut batchit ka lutf nahi rahega ---
Anjum ji aapka adhyan aur Ashok ji ka modren aur logicle baat ko sunkar aanand aayea
Bemisal Kavi Hai Ashok ji❤
भाफ (भाप) हो गए।
जलकर के राख हो गए।
शानदार। आनंद आ गया, पूरा सुना।
आप( तुम) साहित्यकार हो सचमुच।
डा हरीश नवलजी को काका हाथरसी पुरस्कार समारोह मे आपसे मिला था।
प्रगल्भजी को लालकिले से सुना।
गोपालप्रसाद जी व्यास की कृपा से बहुत से और अच्छे कवियो को सुनने का सौभाग्य मिला ।
मुक्तिबोध जीऔर परसाईजी से जबलपुर मे मिलना हो जाता था।
आपने पंडित रामकिकर जी उपाध्याय उपाध्याय को सुना या पढा है।
परसाई जी ने व्यंग्य लिखने के लिए ही सही राम नाम चरित मानस का पठन किया होगा , लगता है।
धर्मवीर भारती महाभारत से काव्य/ कथा सामग्री लेने के पक्षधर थे।
मुक्तिबोध made easy की प्रतीक्षा और स्वागत बोध के साथ आपको नमन और आशीर्वाद 🙏🏻
के
कृपया गलतिया सुधार कर पढे
साधुवाद।
१. जब हिंदवी और अंजुम संगत करना छोड़ देंगे, तब क्या होगा? भय होता है!... मन करता है, बस ऐसे ही चलते रहे!
२. पुस्तकाकार में कब आएंगे ये सारे साक्षात्कार!
३.धन्यवाद अंजुमजी! धन्यवाद हिन्दवी!!
🎉🙏
बहुत बहुत आभार अंजुम जी एक अभूतपूर्व अनुभव देने के लिए और उससे भी बड़ी कृपा श्रीमान अशोक जी की है और अशोक जी कीहँसी तो मंत्रमुग्ध कर देने वाली है....🙏🙏
बहुत शानदार, प्रश्न भी और उनके उत्तर भी.
हमारे मंचों के बहुत सिद्ध व्यंग्यकार हैं... बहुत लयात्मक बोलते हैं. बहुत सारी नई जानकारियां भी मिली..
Dhnyawad Anjum ji Chakradhar ji se sakshatkar ke like.
बहुत शानदार
शानदार
57.10 मिनट पर जयपुर के जिस कवि सम्मेलन की बात अशोक जी कर रहे हैं , जिसमें 2 लाख की भीड़ का जिक्र है वह कवि सम्मेलन जयपुर के बिरला ऑडिटोरियम में हुआ थाl उस कार्यक्रम में अशोक जी के संचालन में मेरे दादाजी जनकवि मोहम्मद सदीक भाटी जी ने भी अपनी प्रस्तुति दी थीl
बेगूसराय में मंच से उनकी कविता "जंगल की आग" सुनी थी. मंच पर से इतनी विचारोत्तेजक रचना कभी नहीं सुनी है.
पार्टी की 19 वीं कांग्रेस के अवसर पर दिल्ली में वी पी हाउस के लॉन में एक सेमिनार हुआ था ,"हिंदी पट्टी की तक़लीफ़ें और मुक्ति के रास्ते " विषय पर . उसमें मंच पर इनकी सक्रियता देखते बनती थी .
बहुत सुंदर साक्षात्कार।
बहुत देर से आए अशोक जी।मुक्तिबोध को समझने , समझाने और प्यार करने वाले पहले लेखक हैं ❤
Waiting eagerly
तुकान्त कविता बेतुकी नहीं होती.... अंत में पढ़ी गई कविता ने भी बता दिया... बधाईया अंजुमजी.. शानदार संगत 🌹
बेहतर सर जी❤️🙏🙇
अप्रतिम❤
1 घंटा 10 मिनिट पर आदरणीय अशोक जी भावुक हो जाते हैं , बोलते हुए उनका गला रूंध जाता है , लोगों का उनके प्रति जो प्रेम है वे उसको पाकर अभिभूत हैं । कवि सम्मेलन जगत और अपने प्रशंसकों चेलों के प्रति वे आभारी हैं , अब अंतिम समय में अशोक जी कुछ भी नकारात्मक नहीं करना चाहते न बोलना चाहते न ही सोचते हैं । खैर कवि सम्मेलनों की समीक्षा करते हुए उनका दृष्टिकोण ठीक नहीं हैं । अशोक जी और उनके समकक्ष सभी कवियों को ये लगता है की अब कवि सम्मेलनों में काव्य नहीं बचा है काफी हद तक ये बात ठीक भी हैं किंतु उसको खाद देने में अशोक जी और अन्य पुराने कवियों का भी योगदान है , कवि सम्मेलनों को बरबाद तो किया गया है चाहे यह अनचाहे ही हुआ हो । और अब सारी जिम्मेदारी नए कवियों पर डाल देते हैं । जबकि बात इसकी ठीक उलट है , काफी हद तक अब कवि सम्मेलनों में ठीक कवि आना प्रारंभ हुए हैं । खैर इस पर आदरणीय अशोक जी से अलग से चर्चा करना चाहता हूं । हालांकि अब इसकी बहुत आवश्यकता नही हैं ।
प्रणाम सर🙏
अत्यंत बौद्धिक चर्चा
Towards the end, you asked about and praised the translated book of Ashok Ji. Please give the name and reference of that book so that we can purchase the same. Please always give the details of important books of every writer, so that if someone wants to read, he can procure the same.
अच्छी वार्ता
Ashok Ji Pranam aapko maine bahut suna hai
❤
🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
माधव कौशिक जी को भी बुलाए❤❤❤
👍❤️👍
प्रणाम तात
सर डाउनलोड का आप्शन क्यों नहीं दे रहा है..?
✍🙏
Anjum ko kisi news channel me kaam karna chahiye jahan wo logon ko chup karane ka kaam karenge. Bolne nahi denge. Aksar aisa hota hai jab sabse dilchasp baat chal rahi hoti hai ye baat zabardasti badalwa dete hain.
🎉❤
अब तक का सबसे कमज़ोर इंटरव्यू
पाश्चात्य काव्यशास्त्र का कौन सा बुक अच्छा हैं। कोई मुझे सजेस्ट कीजिए।
देवेंद्रनाथ शर्मा
महुआ के नीचे मोती झरे, महुआ के !
कहानीकार वल्लभ डोभाल का भी लीजिए
मुक्तिबोध की एक कहानी है क्लाड ईथरली उसकी फैंटेसी क्या है?
काशीनाथ जी को बुलाइए!
5लाख मांग रहा है। और ये 5000 ही देता है।
आपकी इस सूचना का स्रोत? @@loksanchar08
28:00 book chand ka muh theda
अंजुम जी आपको अपने विश्वास पर टिके रहने की अभिव्यक्ति का हक है मगर धारणा को थोपना अशोभनीय हैं
विचार समृद्ध बने विचार तानाशाह नही
AAJKAL KA KAVITA EVENT EK COPRATE EVENT HAI -----SACH KAHA
अशोक जी यहाँ भी मंचीय जकड़न से नहीं निकल पाए..
तो तुमको इससे क्या फर्क पड़ेगा?
Vimal chandra pandey ko bulaiye
मैंने ख़ुद भी अनुभव किया है और बहुत सारे लोगों ने कॉमेंट भी किया था लेकिन फिर भी अंजुम अपने स्वभाव से बाज़ नहीं आते । साहित्यकार को बोलने का पूरा समय दो भाई इतनी जल्दी क्या है। ख़ुद के ही प्रश्नों को लादते जाते हो । अरुचिकर होता जा रहा है अब तुम्हारा शो। मेरी हिंदवी से हाथ जोड़कर निवेदन है कृपया किसी दूसरे एंकर को लाइए
लेक्चर देने तो बुलाया नहीं। बकैती की जगह बातचीत ही सही है
नहीं, नहीं, आशीष जी!
ऐसा मत कहिए। मैंने अपने साक्षात्कार से पहले, अंजुम द्वारा किए गए, मुश्किल से दो तीन साक्षात्कार ही देखे थे और मैं बहुत प्रभावित हुआ था।
अपने साक्षात्कार के दौरान मैंने देखा कि वे अपने अतिथि से बात करने से पहले उसके बारे में सामान्य से कितना अधिक जानते हैं और अपनी जानकारी बढ़ाने के लिए कितना ताज़ा अध्ययन करते हैं। अपने सद्यःज्ञान से वे जता देते हैं कि अतिथि से वे सब कुछ पूछ सकते हैं, जिससे वह थोड़ा असहज भी हो जाए तो चलेगा। साहित्य की अदालत है भाई! आगंतुक को भी चाहिए कि प्रश्न को इधर उधर घुमाने के स्थान पर अंतर्मन का सत्य बताए। अंजुम अपने कार्य में सफल हो जाते हैं।
अब मुझे इनके द्वारा किए गए सारे साक्षात्कारों को देखने का समय चाहिए।
बहरहाल, इस कार्यक्रम के लिए एंकर बदलने के प्रस्ताव का मैं क़तई समर्थन नहीं करता।
नहीं आशीष जी,
ये बात चीत का तरीका अच्छा है, वरना एक तरफा लेक्चर हो जायेगा। अंजुम जी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं।
अंजुम सर एक सुधि साक्षात्कारकर्ता हैं । उनके बिना संगत अधूरा है ।
तात
Ye bkl Anjum behas kar raha kya jo beech me tarr tarr kar raha
ये अंजुम कभी कभी साहित्यकार को खा जाता है its cerebellum
😊
ये सब कवि फ्रॉड होते, जब बच्चों को पढ़ाना होता है तो सिलेबस कंप्लीट कर देते थे। ब्रिजनोव ने खुद बोला है कि किस तरह ये सारे बकवास कवि कहानीकार रूस की जेब में हुआ करते थे।
सब बुढ़ापे तक अपनी सच्चाइयां झेल के जाएंगे। 😅