Ad- Madam , My Friend 🙏👏👏👏👍💐 आपण खूपच छान माहिती दिली.खूप खूप धन्यवाद.आपल्या करिअर साठी सँल्यूट.आपल्या. पुढील करिअर साठी आपल्याला खूप खूप शुभेच्छा. मी तुमची मैत्रीण चआहे. मी आपल्याला बालपणा पासून ओळखते. तुमचा संघर्ष मी जवळून पाहिला आहे.🎩 😁 👕👍Great! 👖 👍✨✨✨ 🎉😊👏😁👏😃🎉 Congratulations!
Mam maza ak prashn maje vadil mammi mi lahan astana maran pavle mla bhau nahi ki bhin nahi majya vadilachi sheti majya chultyani ghetli ahe ferfar madhye tyani as lihil ahe ki amchya bhavala konihi varas nahi ani swtahachi nave varas mhanun lavlit please mala yavar mi kay karav he sanga 8308774922
वडिलोपार्जित शेती आहे नात म्हणते आजोबाला वाटणीपत्र करुन द्दा पण नातीचे वडील जिवंत आहे वडील आईची नातीची खाऊटी देत आहे आणि शेतीवर पंचवीस लाख रुपये कर्ज आहे आजोबा म्हणते नातीला मी वाटणीपत्र करुन देत नाही कारण कर्ज आहे
क्या ये सही है 9 सितम्बर 2015 को पिताजी जीवित हो तब ही ये नियं लागू होगा HINDU SUGGESSION A साल 2005 में संशोधन होने के पहले हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत । प्रॉपर्टी में बेटे और बेटियों के अधिकार अलग - अलग हुआ करते थे । इसमें बेटों को पिता की संपत्ति पर पूरा हक दिया जाता था , जबकि बेटियों का सिर्फ शादी होने तक ही इस पर अधिकार रहता था । विवाह के बाद बेटी को पति के परिवार का हिस्सा माना जाता था । हिंदू कानून के मुताबिक हिंदू गैर विभाजित परिवार ( एचयूएफ ) , जिसे जॉइंट फैमिली भी कहा जाता है , सभी लोग एक ही पूर्वज के वंशज होते हैं । एचयूएफ हिंदू , जैन , सिख या बौद्ध को मानने वाले लोग बना सकते हैं । आज हम आपको बताएंगे कि शादीशुदा बेटियों का अब उनके पिता की संपत्ति पर क्या अधिकार हैं : हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 में बेटियों के ये हैं अधिकार - पहले बेटियों की शादी होने के बाद उनका पिता की संपत्ति में कोई हक नहीं रहता था । कई लोगों को यह महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को कुचलने वाला लगा । लेकिन 9 सितंबर 2005 को हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 , जो हिंदुओं के बीच संपत्ति का बंटवारा करता है , में संशोधन कर दिया गया । हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 के मुताबिक लड़की चाहे कुंवारी हो या शादीशुदा , वह पिता की संपत्ति में हिस्सेदार मानी जाएगी । इतना ही नहीं उसे पिता की संपत्ति का प्रबंधक भी बनाया जा सकता है । इस संशोधन के तहत बेटियों को वही अधिकार दिए गए , जो पहले बेटों तक सीमित थे । हालांकि बेटियों को इस संशोधन का लाभ तभी मिलेगा , जब उनके पिता का निधन 9 सितंबर 2005 के बाद हुआ हो । इसके अलावा बेटी सहभागीदार तभी बन सकती है , जब पिता और बेटी दोनों 9 सितंबर 2005 को जीवित हों । सहदायिक को भी समान अधिकारः सहदायिक में सबसे बुजुर्ग सदस्य और परिवार की तीन पीढ़ियां आती हैं । पहले इसमें उदाहरण के तौर पर बेटा , पिता , दादा और परदादा आते थे । लेकिन अब परिवार की महिला भी सहदायिक हो सकती है ।
सर ,, मेरे पिता की २ पत्नी थी , पहिले (१ ) पत्नी के ४ बच्चे है। और दूसरी (२) पत्नी २ बच्चे, । पहले पत्नी के - २ बेटे, ओर ३ लड़की हैं दूसरी पत्नी की- २ लडकी या है आब जो जनीम है। हम उसे सालों से मेहनत कर रहे है। हमारा सबकुछ उसपर निर्भर करता है । सर ,,कारण है कि मेरे पीता जी मौत १९७३ में हो गई , उनके जाने के बाद कुछ साल में दोनों मां भी चल बसी , उनके जाने के बाद जो प्रॉपर्टी है , जमीन है ७ /१२ में कोई फेर फार नहीं है, सात भाई बहन नो के नाम वरास है। आब मेरे पिता की जो दूसरी पत्नी है उनकी बेटी जो है। १- सविता २ मंगला दोनों बहनों का बचपन से लेकर शादी तक सारा ख्रच हम दोनों भाई ओ ने किया, लेकीन मेरी जो दूसरी बहन जो है मंगला उसकी कूच कारण वर्सत मौत हो गई । आब तो मंगला का नाम जमीन ७/१२ पर था। तो हमने तब आपने जमीन के ७/१२ के उतारे पर धेन नहीं दिया। तो मंगला की दो बेटियों के नाम भी जमीन के ७/१२ में लग गए हैं। तो उन्होने हमसे की हमारा नाम भी जमीन है । तो हमे भी जमीन में हिसा चाहे है। हमने कहा कि तुम्हरा सारा खर्च हम दोनों भाई आे ने किया है तूम्हरा मा का भी अतिम संस्कार भी हम लोगों ने किया है सारा खर्च किया है । तो अब उन लोगों ने कोर्ट में कम्पलेंट की है कि की हमे भी जमीन में हिसा चाहि सर प्लीज,, हमे कुछ इसका कोई एक्ट है क्या की हमें कोर्ट में सबूत दे सकु आप का कोई esxprins है तो पिल्ज़ बा ताये , आप के पास कोई ऐसा होगा तो हमे प्लीज प्लीज प्लीज सर ।।।।।।।।
मुंबई उच्च ऩ्यायालयाच्या न्या,दळवी यांच्या निर्णयानुसार मुसलीम महिलेला अमूक अमूकच हिस्सा देणे बंधनकारक नाही, :केसलॉ: 16/12/2018 बिलकीस बंदूकवाला विरूध्द शहनाझ बंदकवाला
नौरा मेल्या वरवडलो पारित संपत्ति हक्का मध्येहक्क बजावते पणसासू सासूसार्यांच किंवा फेमिली जवाबदारी निर्वहन करते नाही माहेरी जावून राहतात मग त्यांना वडलोपारजित हिस्सा काबर हिस्सा द्यायलापाहिजे
मॅडम आईने व भावाने वडिलोपार्जीत जमनीमध्ये वारस नोंद करताना आमच्या पाच बहीनीपैकी कोणाचेही नाव सातबारा मध्ये वारस नोंद न करता आई व आपलेच नाव नोंद केले आहे आमचे सातबारावर नाव नोंद होणेसाठी योग्य मार्गदर्शन करावे
Excellent informative interview
आप रहे दुनिया में चहात रहे हैं प्या र रहे या फूल रहे दुनिया में चहात रहे लेखक सुर्य
मुलीना वडिल नवरा दोन ठिकाणी वारसा हकक हा मुलावर अनय होत आहे
Brobr
Ha अन्याय aahe
है बरोबर आहे
Barobar aahe
Ad- Madam , My Friend
🙏👏👏👏👍💐
आपण खूपच छान माहिती दिली.खूप खूप धन्यवाद.आपल्या करिअर साठी सँल्यूट.आपल्या. पुढील करिअर साठी आपल्याला खूप खूप शुभेच्छा. मी तुमची मैत्रीण चआहे. मी आपल्याला बालपणा पासून ओळखते. तुमचा संघर्ष मी जवळून पाहिला आहे.🎩
😁
👕👍Great!
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Mam maza ak prashn maje vadil mammi mi lahan astana maran pavle mla bhau nahi ki bhin nahi majya vadilachi sheti majya chultyani ghetli ahe ferfar madhye tyani as lihil ahe ki amchya bhavala konihi varas nahi ani swtahachi nave varas mhanun lavlit please mala yavar mi kay karav he sanga 8308774922
बहिनीने हक मागितल तर नाही तुट तात
वडीलपार्जित संपत्ती त सावत्र भावाचा हिस्सा असतो का
वडिलोपार्जित शेती आहे नात म्हणते आजोबाला वाटणीपत्र करुन द्दा पण नातीचे वडील जिवंत आहे वडील आईची नातीची खाऊटी देत आहे आणि शेतीवर पंचवीस लाख रुपये कर्ज आहे आजोबा म्हणते नातीला मी वाटणीपत्र करुन देत नाही कारण कर्ज आहे
क्या ये सही है
9 सितम्बर 2015 को पिताजी जीवित हो
तब ही ये नियं लागू होगा
HINDU SUGGESSION A साल 2005 में संशोधन होने के पहले हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत । प्रॉपर्टी में बेटे और बेटियों के अधिकार अलग - अलग हुआ करते थे । इसमें बेटों को पिता की संपत्ति पर पूरा हक दिया जाता था , जबकि बेटियों का सिर्फ शादी होने तक ही इस पर अधिकार रहता था । विवाह के बाद बेटी को पति के परिवार का हिस्सा माना जाता था । हिंदू कानून के मुताबिक हिंदू गैर विभाजित परिवार ( एचयूएफ ) , जिसे जॉइंट फैमिली भी कहा जाता है , सभी लोग एक ही पूर्वज के वंशज होते हैं । एचयूएफ हिंदू , जैन , सिख या बौद्ध को मानने वाले लोग बना सकते हैं । आज हम आपको बताएंगे कि शादीशुदा बेटियों का अब उनके पिता की संपत्ति पर क्या अधिकार हैं : हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 में बेटियों के ये हैं अधिकार - पहले बेटियों की शादी होने के बाद उनका पिता की संपत्ति में कोई हक नहीं रहता था । कई लोगों को यह महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को कुचलने वाला लगा । लेकिन 9 सितंबर 2005 को हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 , जो हिंदुओं के बीच संपत्ति का बंटवारा करता है , में संशोधन कर दिया गया । हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 के मुताबिक लड़की चाहे कुंवारी हो या शादीशुदा , वह पिता की संपत्ति में हिस्सेदार मानी जाएगी । इतना ही नहीं उसे पिता की संपत्ति का प्रबंधक भी बनाया जा सकता है । इस संशोधन के तहत बेटियों को वही अधिकार दिए गए , जो पहले बेटों तक सीमित थे । हालांकि बेटियों को इस संशोधन का लाभ तभी मिलेगा , जब उनके पिता का निधन 9 सितंबर 2005 के बाद हुआ हो । इसके अलावा बेटी सहभागीदार तभी बन सकती है , जब पिता और बेटी दोनों 9 सितंबर 2005 को जीवित हों । सहदायिक को भी समान अधिकारः सहदायिक में सबसे बुजुर्ग सदस्य और परिवार की तीन पीढ़ियां आती हैं । पहले इसमें उदाहरण के तौर पर बेटा , पिता , दादा और परदादा आते थे । लेकिन अब परिवार की महिला भी सहदायिक हो सकती है ।
Like nahi sir/ma'am
Mujhe rply chahiye
वडील ह्यात असताना मुलीचाऊतारावरनावलागतेका
या कायदयाचा गैरवापर होतोय
सर ,,
मेरे पिता की २ पत्नी थी , पहिले (१ ) पत्नी के ४ बच्चे है। और दूसरी (२) पत्नी २ बच्चे, ।
पहले पत्नी के - २ बेटे, ओर ३ लड़की हैं
दूसरी पत्नी की- २ लडकी या है
आब जो जनीम है। हम उसे सालों से मेहनत कर रहे है। हमारा सबकुछ उसपर निर्भर करता है ।
सर ,,कारण है कि मेरे पीता जी मौत १९७३ में हो गई , उनके जाने के बाद कुछ साल में दोनों मां भी चल बसी , उनके जाने के बाद जो प्रॉपर्टी है , जमीन है ७ /१२ में कोई फेर फार नहीं है, सात भाई बहन नो के नाम वरास है। आब मेरे पिता की जो दूसरी पत्नी है उनकी बेटी जो है।
१- सविता
२ मंगला
दोनों बहनों का बचपन से लेकर शादी तक सारा ख्रच हम दोनों भाई ओ ने किया, लेकीन मेरी जो दूसरी बहन जो है मंगला उसकी कूच कारण वर्सत मौत हो गई । आब तो मंगला का नाम जमीन ७/१२ पर था। तो हमने तब आपने जमीन के ७/१२ के उतारे पर धेन नहीं दिया। तो मंगला की दो बेटियों के नाम भी जमीन के ७/१२ में लग गए हैं। तो उन्होने हमसे की हमारा नाम भी जमीन है । तो हमे भी जमीन में हिसा चाहे है। हमने कहा कि तुम्हरा सारा खर्च हम दोनों भाई आे ने किया है तूम्हरा मा का भी अतिम संस्कार भी हम लोगों ने किया है सारा खर्च किया है । तो अब उन लोगों ने कोर्ट में कम्पलेंट की है कि की हमे भी जमीन में हिसा चाहि
सर प्लीज,,
हमे कुछ इसका कोई एक्ट है क्या की हमें कोर्ट में सबूत दे सकु आप का कोई esxprins है तो पिल्ज़ बा ताये , आप के पास कोई ऐसा होगा
तो हमे प्लीज प्लीज प्लीज सर ।।।।।।।।
मुस्लिम महिला ला वडीलपोर्जित हक्क किती असतो.... आणि हिन्दू संशोधन 2005 मधे मुस्लिम महिला ला पण लागु होतो का
मुंबई उच्च ऩ्यायालयाच्या न्या,दळवी यांच्या निर्णयानुसार मुसलीम महिलेला अमूक अमूकच हिस्सा देणे बंधनकारक नाही, :केसलॉ: 16/12/2018 बिलकीस बंदूकवाला विरूध्द शहनाझ बंदकवाला
वडिलोपार्जित जमिनीवर सावत्र मुलाचा हक्क असतो का.
याच काय उत्तर आहे
हक्कसोडपत्र करुन परत हक्क मागता येते काय
मँडम माल तुमच्या नं मीळका
Pati-patni yana apatye nahit patichya mrutu nantar dirala hakksodpatra karun deta yete kai te widhigrahy hotel kai? Gram panchayatimadhe P.D.O.yana he hakksodpatra manya karun waras mhanun dirache name lavata yete kai? Please answer.
Bava bava la haka miltoki
नौरा मेल्या वरवडलो पारित संपत्ति हक्का मध्येहक्क बजावते पणसासू सासूसार्यांच किंवा फेमिली जवाबदारी निर्वहन करते नाही माहेरी जावून राहतात मग त्यांना वडलोपारजित हिस्सा काबर हिस्सा द्यायलापाहिजे
वडील दि ४/५/२००५ रोजी मयत झाले आहेत तरी मुलीला समान हिस्सा मिळते काय
फसवणूक करून हक्क सोड पत्र करून घेतले आहे
मॅडम आईने व भावाने वडिलोपार्जीत जमनीमध्ये वारस नोंद करताना आमच्या पाच बहीनीपैकी कोणाचेही नाव सातबारा मध्ये वारस नोंद न करता आई व आपलेच नाव नोंद केले आहे आमचे सातबारावर नाव नोंद होणेसाठी योग्य मार्गदर्शन करावे
दोन पत्नी ना समान हक्क मिळतो का दुसरी पत्नीला वारस लागते का
Pehli Patni Aur dusri Patni 660 Karnataka