Usne mujhse meri mehboob ko aise chheena | Lankesh Gautam | OnStage 2.0 by Poetistic

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  • Опубліковано 17 лис 2023
  • Prepare to be spellbound by the soul-stirring Shayari performance of the exceptionally talented Lankesh Gautam at the "OnStage - A Shayari Event." 🎙️
    In this captivating video, Lankesh Gautam takes the stage and weaves magic with his words, leaving the audience in awe. His eloquent expressions, heartfelt verses, and magnetic stage presence will transport you to a world of emotions and poetry.
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    Lyrics:
    नई मोहब्बत में चाहता हूँ कि दिल न टूटे
    सो बे-नियाज़ी दिखा रहा हूँ कि दिल न टूटे
    फिर एक लम्हा उसे ये सब कुछ ग़लत लगेगा
    तुम्हें ये सब कुछ बता रहा हूँ कि दिल न टूटे
    ********
    चंद लम्हों को मोहब्बत का सहारा देकर
    छोड़ देता है वो मज़हब का हवाला देकर
    उसने मुझसे मेरी महबूब को ऐसे छीना
    छीन ले जैसे कोई मुँह में निवाला देकर
    ********
    कैसा सितम-ज़रीफ़ है ये इश्क़ का बुख़ार
    हर एक शक्ल तेरी तरह लग रही है यार
    मुझसे हज़ार मर्तबा बोली है ख़ुदकुशी
    आ चल तुझे मैं ले के चलूँ ज़िंदगी के पार
    इतनी ही इल्तिजा है मेरी तुझसे शायरा
    इक बहर में पिरो के मुझे क़ाफ़िए से मार
    ********
    मोहब्बत के नशे में छन-छनन करते हुए कंगन
    तेरे हाथों में आकर और भी महँगे हुए कंगन
    बड़ी मुश्किल से उसके बाप ने कंगन ख़रीदे थे
    सुहागन तक रही है दूर से बेचे हुए कंगन
    भले कुछ कर नहीं सकता मगर ये दुख तो है मुझको
    पराए हाथ में जाकर बहुत मैले हुए कंगन
    किसी ने तैश में आकर तेरे हाथों को झटका था
    मेरे पाँव में चुभते हैं तेरे टूटे हुए कंगन
    वो अच्छे से समझती थी मेरे घर-बार की हालत
    सो उस के होंठ कन पे रुक गए कहते हुए कंगन
    ********
    पिछली रुत की बात है मुझको एक हसीना ले डूबी
    चिकनी चुपड़ी बात बनाकर जो कुछ भी था ले डूबी
    अच्छा ख़ासा दर्द हुआ था इक लड़की के जाने पर
    इक औरत फिर हुस्न दिखाकर दर्द हमारा ले डूबी
    दरियाओं से इश्क लड़ाना अक्सर भारी पड़ता है
    कुछ को झेलम कुछ को जमुना कुछ को गंगा ले डूबी
    ********
    ऐसा नहीं है यार कि ख़ल्वत का दुख नहीं
    दरअस्ल मुझको अब तेरी फ़ुर्क़त का दुख नहीं
    उसको कभी न देना ग़म-ए-हिज्र का हिसाब
    जिसको ज़रा भी तर्क-ए-मोहब्बत का दुख नहीं
    मुझको मेरी बिगड़ती तबीयत के बावजूद
    इन बे-हिसाब सिगरेटों की लत का दुख नहीं
    ********
    हम कभी कहते नहीं पर याद करते हैं तुझे
    शायरी करते हैं अक्सर याद करते हैं तुझे
    काटते हैं जाग कर हम रात के सारे पहर
    और बस तकिया भिगोकर याद करते हैं तुझे
    तैश में तो कर दिया था ख़त्म नंबर फ़ोन से
    अब ग़लत नंबर लगाकर याद करते हैं तुझे
    मेरे जैसे और भी हैं तेरे ठुकराए हुए
    मयकदे में सारे मिलकर याद करते हैं तुझे
    ********
    मैं हँस रहा हूँ हँसी के पीछे छिपा रहा हूँ
    वो हादसे जो मेरी ख़ुशी को नज़र लगा कर गुज़र गए हैं
    गुज़रते लम्हों में मेरे सारे के सारे रंगीन पैरहन भी कुतर गए हैं
    बस एक तारीक पैरहन इस बदन के ढकने को बच गया है
    उसी पे मैंने दुखों के मोती हँसी की सूरत में सी दिए हैं
    सो कोई देखे तो देखकर ये ज़रूर सोचे
    मैं कितना ख़ुश हूँ
    और इस ख़ुशी को नज़र लगा दे
    वही ख़ुशी जो हक़ीक़तों में दुखों को ढकने की कोशिशें हैं
    वो कोशिशें जो ख़ुशी की चाहत में सीढ़ियों पर चढ़ी तो थी पर
    किसे पता था वो साँप-सीढ़ी के खेल में थी
    सो साँप आया और अपने अंदर फँसा के उन को
    ज़मीं पे फिर से उतार लाया
    तुम्हीं बताओ मैं इन दुखों को ढकूँ तो कैसे
    ये होंठ दोनों सिरों से खिंचकर हँसी की शक्लों में आ तो जाते हैं
    पर तुम्हारे विरह के आने से मेरे चेहरे पे दर्द की जो शिकन बनी है
    वो मेरे हँसने की कोशिशों से कहाँ छिपी है
    ********
    पहले पहले तेरे नज़दीक बिठाया गया मैं
    उसके आगे तो मोहब्बत में लुटाया गया मैं
    जब से तूने मेरे होठों को छुआ है काफ़िर
    तब से मुझको ये लगे हैं कि ख़ुदाया गया मैं
    रौशनी ही के सहारे थे मैं मेरा साया
    रौशनी ख़त्म हुई तो गया साया गया मैं
    नहीं मुमकिन था मेरा बनना तेरे लम्स बग़ैर
    तूने हाथों से बनाया तो बनाया गया मैं
    ऐ उदासी मेरा अंजाम यही होना था
    एक पंखे से लटकता हुआ पाया गया मैं
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    #LankeshGautam #ShayariPerformance #OnStageEvent #SoulfulVerses
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