वेदों के अनुसार आत्मा कहां प्रवेश करती है ? || आचार्य योगेश भारद्वाज जी ||
Вставка
- Опубліковано 15 вер 2024
- आचार्य योगेश भारद्वाज जी
............................................................................................
अगर वीडियो पसंद आए तो लाइक और शेयर कर प्रोत्साहित
................................................................................................................
भजन व उपदेश के कार्यक्रम की कवरेज के लिए व अन्य वीडियो हमारे पास भेजने के लिए सम्पर्क करें। Arya Samaj Gharaunda | 94162-21119 Whatsapp | Telegram
........................................................................................................................
प्रतिदिन अन्य वैदिक प्रचार के कार्य्रकम देखने के लिए हमारे Arya Samaj Gharaunda के UA-cam चैनल से जुड़े।
..............................................................................................................................
..............................................................................................................................
Thankyou For Visit
"Arya Samaj Gharaunda" Channel
धन्यवाद पूज्य आचार्य श्री, आपको सादर पायवंदन
आचार्य जी को शत् शत् नमन,,,, . सतीश कुमार आर्य,,, वैदिक पथ
सत्यऔर केवल सत्य वैदिक सनातन धर्म के दर्शन मात्र आर्य समाज में ही होते हैं।
परम आदरणीय आचार्य जी को सादर प्रणाम व नमन
आपका हर प्रवचन सर्वोत्तम विचारों से ओतप्रोत होता है व हमें हर प्रवचन में नया जोश मिलता है
पुनः आपको सादर प्रणाम व नमन
जय हो आरय समाज की❤ योगेश जी को प्रणाम
Bahut bahut dhanyawad guru Ji
परमसत्य सनातनधर्म की जय हो वैदिक धर्म की जय हो आचार्य को प्रणाम आर्य समाजकी जय हो
❤ट
Pakhandbaad ka ek sundar example.
ओउम् नमस्ते आचार्य जी, महाराष्ट्र बोईसर नवापूर, बहुत बहुत सुंदर व्याख्यान
Acharya ji ke charno me koti koti naman
जी सादर अभिवादन नमो नमः ❤️🙏 आचार्य जी
ओम् नमस्ते आचार्य जीं
नमस्ते आचार्य जी
उत्कृष्ट प्रस्तुति।
🙏🙏🙏
I am a SANANI by birth and believe in VEDAS and UPANISHAD. In believe and faith I must declare that ATMA IS LIVING CHETNA of all living beings.
आत्मा और परमात्मा सृष्टि से भिन्न है।
Wah,ati Sundar Video. ❤
गुरु जी सादर चरण स्पर्श
Jai shree ram Satya sanatan vedic dharm ki jai 🙏
Sadar naman aacharya ji
Pranaam Gurudev ji 🙏🏻
वेदों के अनुसार आत्मा कहां प्रवेश करती है ? Pechhwarey Sey.
सत्यार्थ के बौद्ध के लिए केवल केवल आर्य समाज
ओम् 🕉🕉 🙏🙏सादर प्रणाम
सादर नमस्ते आचार्य जी।
नमस्ते Acharya जी l
नमस्ते आचार्य जी 🙏
पहनावा जो भी हो हिन्दुधर्ममे सभी अग्रसर हैं सहयोगकरते हुए अागेबढे.।
Oum namaste ji acharya ji
Behosh hone par ye mai Kahan chala jata hai, ishwar ko yad karne ki kya jarurat hai yadi vo hai bhi aur usne hme banaya hai to ye uski apni garaj hogi hme kya lena dena.
बिना शरीर के आत्मा का कोई अस्तित्व नही है। केवल ये कह देने से की मै शरीर नहीं आत्मा हूं। केवल बातें ही है। जीवन भर हमें शरीर का ही अनुभव होता है। और शरीर के समाप्त होने के बाद जो जीवन भर कहता रहा की मैं शरीर नही आत्मा हूं उसका कहीं कोई पता नहीं चलता की वो कहां गया।
ये शरीर तुमारा है,और तुमरी मां,पिता,बहन ,भाई आदि तुमरे है तुम्हारा घर भी है बहुत सारी चीजे भी तुमरी है जो तुम्हारे सरीर से अलग है ,इसका मतलब यदि तुम शरीर हो तो तुमरे शरीर के अलावा जो भी है तुमरा नही है तुमसे अलग है। और ये शरीर उसका है जो इसकी घोषणा करता है तो वो कौन है?क्या कोई और चीज है दुनिया में जो स्वयं के होने की घोषणा करता हो सिर्फ इंसान के अतिरिक्त?
तो फिर इंसान में वो कौन है जो इन सब की घोषणा करता है ,?
वो जितनी भी इंद्रियों से जानी जाने वाली चीजे है सबको अपना पराया बताता है
तो उससे पूछो की अपने बारे में बताओ तुम कौन हो।अपने बारे में क्यू नही बताते है।
@@Alakh.P लेकिन आत्मा को भी तो मेरी आत्मा बोलते है। मै आत्मा तो नहीं बोलते। तो ये मैं कोन है? ये तो अपने भी नहीं बताया?
@@Krishna-b5j7t yes, आपको यही तो जानना है ।
ये जो मैं,है ये अहंकार है,इसे ego भी कहते है जो आपके unconsiou माइंड में है ,ये सभी इमोशन का भोक्ता बना बैठा है और इमोशन आपको सीधे आपके सेंस ऑर्गन से फील होती है ।किसको फील होती है है ego को।
बस यही कारण है की ego को लगता है मैं बॉडी ही हूं,वो अपनी इस पहचान को छोड़ना नहीं चाहता क्योंकि उसके पूरे अनुभव ही बॉडी centric हैं।
और जब ये ego( अहंकार ) विद्या के द्वारा ये जान लेता है की उसका ये सब जानना झूठ है ,ये तो प्रकृति है ,वो कोई और है तो फिर ego नष्ट हो जाता है फिर बचती है subconsius माइंड में की intelligence फिर वो निर्णय करती है की वो बॉडी नही है तो क्या है और यही से स्टार्ट होती है आत्मा की यात्रा और ये इंटेलिजेंस उस यात्रा में हेल्प करती है ठीक वैसे ही जैसे हम किसी प्रयोग में सब कुछ हेल्प लेते है निष्कर्ष को जानने में ये पूरा जगत भी फिर उसमे हेल्प करेगा (आपको भूलना नहीं चाहिए की ये वही जगत है जो आपको आत्मा की यात्रा करा सकता है तो ये आपको गरहित जीवन जीने के लिए विवश भी करता है)।और जब आप उस पूर्ण आत्मा को जान लेते है तब आप सत चित आनंद रूप में स्थिर हो जाते है ,और आपके सारे इमोशन ,इंटेलिजेंस ,बॉडी रास्ते में ही छूट जाते है । अब आप पूछेंगे आत्मा क्या है तो इसका उत्तर है जैसा ऋषियों ने बताया है की वो अचिंत्य,अनत्त है,अखंड है,साक्षी है,विभु है,सत चित आनंद है,आदि संकेत दिए है की हम कुछ समझ पाए ।अब आप पूछेंगे की आत्मा है कहा तो इसका उत्तर है आप यात्रा स्टार्ट करे तो सिर्फ आत्मा को आत्मा होकर ही जाना जा सकता है।non dualism(वेदांत अद्वैत)कहता है की सिर्फ आत्मा है ,वही ब्रम्ह है,उसके सिवा कोई दूसरा नहीं है ये भ्रम से संसारी जान पड़ता है। चुकी आत्मा को अचिंत्य कहा गया है इसलिए उसके बारे में आप जो भी थिंकिंग करोगे उसकी यात्रा में हेल्प करेगी बट कोई निष्कर्ष नहीं निकलपायेगे,क्योंकि वो अचिंत्य है उसके बारे में आप जो भी सोचेंगे वो सब चिंत्य हो जाएगा। आप यदि consius माइंड में permanent entry चाहते है तो आपको पहले सबकंसियस माइंड ,अनकंसियस माइंड को जानना होगा फिर consius माइंड को जानना होगा उसके बाद आती है आत्मा( not soul) kyoki आत्मा सिर्फ भारत ने जानी है इसलिए उसका कोई synonism नही हो सकता। तो पहले आप अपनी बॉडी की कार्यप्रणाणी को जाने ,फिर brain को जाने,फिर mind को जाने(इसमें आप emotion,intellingec को भी जान पाएंगे) फिर यात्रा करे आत्मा की ।
अयम आत्मा ब्रम्ह जो इसलिए शरीर में आत्मा को न खोजे पहले पहले इतनी चीजे जान ले ये सब जगत का हिस्सा है ।इनको जाने बिना आप आत्मा तक नही जा सकते ।
जो जान गए है इसको वही कह पाते है जगत मिथ्या है हम सब कह तो देगे पर हमे स्वीकार नहीं हो रहा चुकी हम जानते नही है। आशा है आप कुछ समझ पाए होंगे मैने जो जाना है उसे आपसे कह दिया हु जो phi मैने कहा ये प्रोसेस है जाना मैने भी अभी नही है कोशिश कर रहा हु इसी जागता में रहकर जानने की क्योंकि जानने का एक साधन बॉडी भी है ।
🙏
@@Krishna-b5j7tमेरी आत्मा जैसा कुछ नहीं है सिर्फ आत्मा है जो सार्वभौमिक है,सार्वभौमिक तो सत्य ही है , तभी तो कृष्ण कहते है मैं सब जानता है क्योंकि वो सत चित आनंद आत्मा है , इसी को बोलचलमे परमात्मा कहने लगे है ।हम प्राकृतिक सयोग से उत्पन हुए एक जीव है जिसमे अहंकार ने सबका अतिक्रमण कर रखा है ,साथ में intellingenc भी है जो इस अहंकार के अतिक्रमण से मुक्त करा अपने सही स्वरूफ तक पहुंचने में सहायता करेगी लेकिन अहंकार सबके ऊपर भारी है। आपको आत्मा की यात्रा करनी है तो पहले आप जगत क्या है जाने,फिर माइंड क्या है जाने, फिर आपको आत्मा के बारे में पता चलेगा।
मैं आपको बताने की कोशिश करता हु ये पूरी बॉडी है ये भी जगत है , इसमें sense ऑर्गन है जो आपको सिग्नल द्वारा सूचनाएं को पहुंचते है और आप अनुभव करते है ,
पर ये अनुभव होता किसे है ,ब्रेन को की बॉडी को या कोई और है जो इन्हें अनुभव करे ,तो ये है मन(mind )!
इसके तीन पार्ट बताए गए है ,unconsius mind,subconsius mind और consius mind।
Unconsius mind me hote hai emotion,desire and EGO (अहंकार)
Subconsius mind me hota hai thinking process and intelligence
Consius mind एक कोरी स्लेट की तरह है
उसके बाद है आत्मा जो अचिंत्य है ,अनंत है अखंड है ,सत चित आनंद में स्थिर है ,निरंजन है,पूर्ण है। तो आप अब समझ गए होगे की न मन को शरीर में खोज सकते और आत्मा को तो मन से भी नही जान सकते वो मन से भी परे है इसलिए आत्मा का भी शरीर से कोई लेना देना नही। तो पहले आप अपने ब्रेन को जाने ,फिर मन (माइंड) को जाने।ha ego (अहंकार का बॉडी से इतना जुड़ाव इसलिए है की सारे इमोशन senses ke dwara ही मन को अनुभव होते है इसलिए ego ko लगता है वो बॉडी ही है ।आप इंटेलिजेंस de द्वारा इस ego ki तड़फ को सही दिशा में ज्ञान देंगे तो आप आत्मा की यात्रा कर पाएंगे। Isle liye aap उपनिषद पड़ सकते है
पहले शरीर समाप्त होता है या पहले आत्मा शरीर छोड़कर जाती है तब शरीर समाप्त होता हैं?
सगुण निर्गुण द्वन्ध पसारा दोनों पड़ गये काल की धारा
🚩🙏
🎉🎉
Ak sach batt lagti sirf samajna wala hona chahiye
Part 2 bhi jaldi video Dale , aatma ka 🙏
आप माथे पर तिलक नहीं लगते महाराजजी
तिलक लगाने से व्यक्ति अच्छा बन जाता तब तो सारे ढोंगी तिलक लगाते हैं।
Mahabharat me 21 baar chatri ko dharti se samil nas brahman prasuram kyon kiya phir chatri kaha se aya
Kya Plant me Chetna h jad Phir Jad Puthati h
ये कहां हो रहा है गाजियाबाद में ?
Atma pratyak shareer ki chetna hai.mrit hone par chetna bhi nahin hai.
ब्रह्म(आत्मा)+ब्रह्माण्ड(तन,शरीर)
=योग,योगेश्वर स्वंम ईश्वर है। ब्रह्म सिर्फ वर्तमान मे ,प्रारब्द के कर्म फल धारीत हो कर फल प्राप्त हो कर ,पूनः भविष्य काल हो जाया है,
(यही ब्रह्य,आत्मा)योग,योगेश्वर,है।
ईस प्रकार वर्तमान से भविष्त्र व भूतकाल(त्रिकाँल)धारी प्रक्रियाँ है।
वर्तमान मे ब्रह्म+ब्रह्माण्ड=योग से मिलै शरीर से मर्यादा,ससंकारीत,कर्मो से कर्मो को संधारित करना चाहिऐ,जिससे पुनः कर्म फल हेतु क्षैष्ट ब्रह्माण्ड,शरीर प्रर्दत हो।
Arya samaj kyu shankarachayon se shastrarth nhi krte . Kyu ab Rishi Dayanand ki tarah shastrarth nhi krte
Ayega jab shankracharya tabhi toh hoga , pr vo aata hi nhi 😢
@@SunNy-lp5yr chunauti kon de rha Arya samaj se
Acharya agnivrat ji@@BharatVidhaan
शास्त्रार्थ करने से पोल पट्टी नहीं खुल जाएगी धंधा दुकान बंद हो जाएगी
शंकराचार्य तो मुर्ति पुजक है यही से ही यह सिद्ध होता है कि उन लोगों को ज्ञान कम है बाकी बातें तो बाद की है भला स्वामी दयानंद सरस्वती का शिष्य शास्त्रार्थ से क्यों डरेगा
Shankaracharyon se kya shastrarth karna Bo to iske yogya hi nahi hain Arya kp singh
कोई भी शंकराचार्य सार्वजनिक मंच पर कमरे पर आ कर शास्त्रार्थ करने को तैयार ही नहीं होता । govt ने भी सेकुलर स्वतंत्रता के अनुसार शास्त्रार्थ को अनुमति नहीं देती ।
@@sirdr.aanandprakash8658 government ki be dukan bnd hona katra h government ko pasa mandero sa milta h jo yakkti chadava data usi ka
ये तो चार्वाक दर्शन की बात बता रहे हो l लेकिन बात गलत बता रहे l देशी घी खाना है तो कर्ज लेकर नहीं बल्कि खुद की कमाई से खाओ l
उदाहरण के लिये l:---
***************
उतनी पाव पसारिये जितनी चादर होई
Are pandit jee aub kitna thik karoge bed ko bed khudhi gumrah hai char bed char taraf ko khada hai bed ik ishwar ko char ishwar bataya kis bed ko mane
त्रेयतवाद को किसी ने मान्यता नही दिया है.... केवल आर्य समाज इस त्रेतवाद की मानता है
Kon dega Manyata bhai ise tark se samjha jata hai pahle sanskrit sikho phir satya ka gyan hoga murkh
त्रेता बाद किसको कहते हैं यह पहलेमालूम करो अर्थ होता है ईश्वर परमात्मा और सृष्टि क्या आप यह नहीं मानते
@@omprakashchandak2941 दो चिड़ियों वाले मंत्र से उदाहरण से त्रैत वाद सिद्ध नही होता. ईश्वर ने सृस्टि की रचना की..तो सृस्टि पहले से व्याप्त नही था..ईश्वर ने बनाया...
@@omprakashchandak2941traitvad ka arth hota hai -Atma ,parmatma aur prakriti.
ईश्वर दे रहा है वेदों के मध्यम से कोई दे या न दे।
ये बताए कि आत्मा बच्चे के पैदा होने के समय शरीर में प्रवेश करती हैं या सेक्स के समय, महाभारत में वर्णित है कि वीर्य में आत्मा है तो एक बार के सेक्स करने से करोड़ो शुक्र कीट होते हैं तो एक कीट से ही पैदा हुए हैं तो वे आत्मा अंडकोष में क्या पड़ी रहती हैं। इस मामले पर बताए।
@@mangilalbunkar1816 भाई महाभारत में कहा लिखा है जरा पड़ लो ।
यदि अपने पड़ा है तो प्रूफ बताओ । भागवत गीता ,उपनिषद पड़ो ऐसी अनर्गल बातें न करो ।brain and mind me डिफरेंस पता है आपको।आत्मा तो mind से भी परे है वो अचिंत्य है,अखंड है,निरंजन है ,अनंत है ,सत चित आनंद घन स्वरुफ है जिसे परमात्मा भी कहने लगे है बल्कि वो आत्मा ही है। अब आप मुझे बताइए सेक्स के दौरान बॉडी अंदर डाली थी ,क्या उसमे ब्रेन भी अंदर डाला था ,क्या मन भी डाला था ,अपने सिर्फ sperm ही न डाले थे और स्पर्म में क्या है साइंस आपको बता ही रहा है ।फिर गर्भाशय में एक envirinment मिला उस स्पर्म को धीरे धीरे उसने आकर लेना शुरू कर दिया फिर बॉडी बनी,ब्रेन बन उसका विकास हुआ ,यहां आत्मा कही nhi घुसी उसकी बॉडी में,अब मन (mind) विकसित हुआ आप समझ रहे है ak process ke तहत हो रहा सबकुछ।
अब आपको brain एंड mind में अंतर समझ आएगा की ब्रेन को तो है पर मन का नही पता कहा है ,और आत्मा मन से भी परे है इसलिए ये आपसे humble request हैं प्लीज जिन जिन बातों को आप नही जानते इनके बारे में फालतू कोरी कल्पना न करे ।यदि आपको जानने की जिज्ञासा है तो आप उपनिषद का अध्यन करे आपके सारे क्वेश्चन दूर हो जायेगे ।
ईश्वर जीव प्रकृति तीनों सृष्टि की सामग्री है और निराकारसरकार है निराकार साकार माया है।
यजुर्वेद का मंत्र संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है।
परमात्मा क्या है उसके बारे में वेद बता रहे हैं जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। यह वेदों की शिक्षा है। सृष्टि से भिन्न क्या है उसके क्या उसकी लीला है क्या नाम है क्या धाम है उसका वेदों को पता नहीं है।
वेदों में सृष्टि का ज्ञान है सृष्टि से भिन्न का ज्ञान वेदों में नहीं।। सृष्टि से भिंड का ज्ञान भागवत में है भागवत को पूरण ब्रह्म बिना कोई खोल नहीं सकता।
कलयुग बुद्ध शाखा में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक द्वारा जागृत बुद्धि से भागवत को खोल कर एक पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद की पहचान कराई है इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है।
आत्मा अजन्मा है आत्मा द्रष्टा आत्मा संसार से भिन्न है।
जीव करता भोक्ता है जीव शरीर धारण करता है और शरीर छोड़ता है जीव निराकार ईश्वर का अंश है।
ईश्वर अंश जीव अविनाशी चेतन अमल सहज सुख राशि।। रामायण।।
आत्मा संसार से भिन्न है पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद की अंग है। अर्थात सच्चिदानंद है।
सोहमंसि इति ब्रह्म अखंडा दीप शिखा सोई परम प्रचंडा।। रामायण।।
आत्मा और परमात्मा अखंड अद्वैत एक रस है और अखंड परमधाम में विराजमान है।
Lagta h rampal na bhakaya h appko
अखंडित को खंड खंड करना फिर सवाल उठाने तर्क वितर्क करने यही मानव करते आए हैं।
अखंडित मतलब अखंडित पूरा-पूरा है ही यहां तक यह सवाल जवाब ,आकर निराकार,अखंड ब्रह्मांड कुछ भी परमात्मा के हुक्म से बाहर नहीं संपूर्ण भी अंदर अनथक मुंह पर उंगली ॐ
आपको वेदों का ज्ञान भी अधूरा लग रहा है और वह पूरा कहां से हो रहा है वह भी भागवत कथा है जिसमें हजारों परीक्षित बातें लिखी गई है इन सबसे ज्यादा ज्ञान तो आप स्वयं मेंहै अपने आप का उदाहरण लेना चाहिए
आज फिर आर्य समाजी मूर्ख बना गया...इतना सामान्य बातें तो पुरानो में भी है...वेद का नाम लिया और वेद के कोई मंत्र का रेफरेन्स नही दिया...वेदों के आत्मा सम्बन्धी मंत्र पर बिचार नही दिया..अपनी झूठी कहानी लोगो के मनोरंजन के लिए बताए ओर वेद का नाम तक नही लिया..ऐसे ही ये मूर्ख बनाते है...
Arya samaj ko sat sat naman
Murkh vaha h jisko samaj nahi ata h or babao k chakkar me pda hua h
शास्त्रार्थ के लिए खुली चुनौती है आर्य समाज वालों की हे ज्ञानी जी आप अपने वेदों से भी ऊपर के ज्ञान को लोगों में प्रसारित कीजिए और उनका उपकारकीजिए मां मन में कल बुला कर आपको क्या मिलेगा पता तो तब चलेगा तुम शास्त्र आरती की खुली चुनौती दोगे वह स्वीकार नहीं करेंगेतब फिर आपका भी वजन मालूम पड़ जाएगा कि आप में कितनाहै
Bhai puranon ki Rachna kab Hui aap mujhe yah batane ka kasht karenge
@@SandeepYadav-gx3nj hajaro saal pehle...
🙏🙏🙏🙏🙏