आपको सुनकर बड़ी प्रसन्नता हो रही है श्रीमद् भागवत महापुराण के पंचम स्कंध में सृष्टि वर्णन के क्रम में सुखदेव जी ने परीक्षित के प्रश्नों का उत्तर देते हुए जो कुछ ज्ञान की पूंजी प्रदान किया उसी को ऋषि परंपरा के अनुसार आप संसार को जिज्ञासु लोगों को शांत कर रहे हैं ज्ञान का अमृत पिला रहे हैं हमारी वैदिक सनातन परंपरा के प्राचीन ज्ञान को आप जन-जन तक पहुंचा रहे हैं आप अभिवादन और अभिनंदन के पात्र हैं आपको बार-बार नमस्कार
पहले मैं भी पौराणिक हिन्दू था लेकिन जब से मैं आर्य समाज के सम्पर्क में आया तब मैं जाना वास्तविक धर्म है क्या जो ज्ञान आर्य लोग हमें दे रहे हैं वो कहीं और हमें नहीं मिल सकता है साथ ही जबसे सत्यार्थ प्रकाश पढ़ा तब तो उससे सब स्पष्ट हो गया, प्रत्येक सनातनी को जीवन में यह पुस्तक एक बार अवश्य पढ़नी चाहिए..
धर्म से तात्पर्य है, हमें जो आचरण करना चाहिए वह धर्म है। हमें आचरण कैसा करना चाहिए, कि हर कर्म करने के पीछे का भाव निष्काम होना चाहिए, कामना के बिना कर्म होता नहीं है इसलिए हर कर्म के पीछे का भाव सेवा का होना चाहिए।
अगर आप अपने को हिन्दू या आज-कल जो नया नाम दिया गया है सनातनी समझते हैं ये तो एक कोई अपने धर्म की किताब पढ़कर फिर गौमाता कहकर बतायें मनुस्मृति अथवा वेदों में गौवध और गौमांस के संबंध में क्या लिखा है चूंकि भारतीय कृषि कार्य गौवंश आधारित है और यदि गौ हत्या होती रहती तो बैल और खाद के लिए गोबर कहां से लाते इसलिए कृषकों के विरोध तथा बौद धम्म के अहिंसा से आगे निकलने के लिये सिर्फ उत्तर मध्य भारत में गौ हत्या पर सर्वप्रथम मुगल शासकों ने प्रतिबंध लगाया बाबरनामा में भी अपनी वसीयत में बाबर ने इसका जिक्र किया है साथ ही बुद्ध काल के बाद ब्राह्मणो द्वारा शिक्षा पर लगाई गई रोक हटाकर अपनी प्रजा को शिक्षा देने के लिये मदरसे खुलवाये जिससे आमजन मूर्खता, रूढ़िवाद, अंधविश्वास और पाखण्ड वाद से मुक्त हो
🙏आचार्य जी ईश्वर इन्द्रियों की पकड़ में तो आता नहीं।बुद्धि से भी तर्क द्वारा सिद्ध नहीं होता।जब कहते है की ईश्वर ने श्रृष्टि का निर्माण किया तो बुद्धि तो सवाल करेगी की ईश्वर को किसने बनाया।इसीलिए कहीं तो मानना ही पड़ेगा।इसीलिए ईश्वर का होना मान्यता है।और मान्यता तो अलग भी हो सकती है।दूसरी बात डर और स्वार्थ ही ईश्वर को जन्म देता है।दोनो के निकल जाने के बाद ईश्वर कहीं नहीं बचता।सत्य वो है।जिसके होने पर कोई संदेह भी न कर सके।जैसे मैं हूं मेरे होने का एहसास ।इसको कोई भी नकार नही सकता।ईश्वर है या नहीं ये कहने के लिए भी मेरा होना आवश्यक है।और मेरे होने के लिए शरीर का होना आवश्यक है।शरीर के बिना मेरा कोई अस्तित्व नहीं।🙏आचार्य जी ये मेरा विश्लेषण है।आपका मै आदर करता हु।
आप को वेद का त्रैतवाद का ज्ञान न होने की वजह से ऐसा भ्रम पैदा हुआ , त्रैतवाद के अनुसार ईश्वर, जीव, प्रकृति यह तीन अनादि, नित्य , समकालिक सत्ताऐ हैं , इन्हें न कोई बनाता है न ही ये नष्ट हो ती है
ईश्वर है और बकायदा पता चलता है की है शरीर से दूर होने पर आप एक सर्वव्यापी आत्मा को महसूस करने लगते है विराट का पता चलता है / अब पता किसको चलता है हमारे बच्चे हुए मन को पता चलता है जो नष्ट हो गया वो ईश्वर हो गया / akaah अनाम सुनो / मिल जायेगा
नमस्ते आचार्य जी, बहुत बहुत धन्यवाद वैदिक मास मधु माधव शुक्र शुचि नभस् नभस्य आदि बारह मास है। चैत्र वैशाख ज्येष्ठ आदि बारह मास है । ये दोनो ऋतु अनुकूल होकर परस्पर सहयोगी हो। इस विषय पर भी जागरुकता की आवश्यकता है।
आचार्य जी नमस्कार, आचार्य जी जैसा कि आपने बताया कि दिन और रात सूर्य की गति से बनते हैं तो एक दिन में दो तिथि कैसे संभव हैं? दूसरा जब महीना कृष्ण पक्ष से शुरू होता है तो साल का प्रथम दिन शुक्ल पक्ष में कैसे हुआ ? तीसरा क्या हम इन तिथियों से जीवन का कोई कार्य सुचारू रूप से कर सकते हैं ?
क्योंकि उनको अपने धर्म की जानकारी हो नहीं है।वो अपने धर्म ग्रंथ पढ़ते नहीं और धर्म गुरु पाखंड में डूबे हैं। फालतू की कहानियां सुनाना और अनुयायियों के एकत्रित धन से मौज मजे करना , यही उनके लिए धर्म है।आचार्य जी की तरह समझाते हुए किसी कथा वाचक , भागवत कहने वाले से सुना है।😮😮
🙏 आचार्य जी श्रावण मास में क्या भोजन एक ही समय करना चाहिए क्यों की हम तो सोचते है की ये कहीं पाखंड तो नही क्यों की गाँव में लोग इसको शिवजी की वजह बताते है क्या ये शिवजी का महीना है इसलिय व्रत रखते है
इसके लिए आपको आयुर्वेद पढ़ना चाहिए जो वेदो का ही एक अंग है उसमें सब स्पष्ट हो जाएगा। बरसात का मौसम संक्रमण होने की अधिक संभावना होती है जिसमे खाने में कुछ चीजें वर्जित है
देखिए श्रृष्टि एक गोलाकार आकार बना,बीच में से अद्वतीय किरणों वाला प्रकाश सब फैल गया,और अणु चमकते हुए यह तीन घटनाएं घटित हुई। आकार यानि यहां हर वस्तु आकार में है प्रकाश ही ज्ञान है। और चमकदार अणु।
ब्रह्म ज्ञान का आचरण करने से रचना होती है अर्थात सृजन का कार्य होता है, ब्रह्म ज्ञान के आचरण से सृष्टि का जो सृजन होता है उसकी पालना यह विराट भगवत्स्वरूप, अर्थात,विष्णु स्वरूप अर्थात यह ब्रह्माण्ड करता है। इसके विपरीत चलने वाला दुख और कष्ट पाकर नष्ट या समाप्त हो जाता है।
आचार्य जी shivansh Narayan dwivedi के सवालों के जवाब भी देदो जो आर्य समाज पर आक्रमक हैं और उन्होंने अपने तर्कों से अधिकांश आर्य समाजी यों को निरुत्तर कर दिया है।
Raksha kaun karta hai? Yis dharti par sab kuchh insaan karta hai bhagwan ya Ishwar kuchh nahi karta. Insaan insaan ko mar deta hai aur kahin par maarney waley se marney waley ko bachata bhi insaan hi hai. Aab insaan hi sochey kya karna hai bhala ya bura. Aaj ke baba aur oopdeshkon sey bachna chahiye. Jai Hind
कुछ पल्ले नही और मुह उठाकर बोल दिया इन बातों को समझने के लिए आपका बौद्धिक स्तर बहुत कम है शास्रो को पढ़ो और बुद्धि में पैनापन लगो और रही इन विद्वान की बात वे गुरूकुल के आचार्य है आपकी तरह साधारण व्यक्ति नही। उनके बराबर आने के लिए दूसरा जन्म लेना पड़ेगा आपको समझे।
@@dhari-rl6su tumko chahiye dant kathayen sunaane waala dhongi baba Vo yahan arsh gurukulo me nhi milega ... Uske liye aniruddhacharya ji ke paas jaao . Yahan to sacche shiv ki baate ho rahi hai Uske btaaye anusaar jiwan kaise jiya jaay uski baate ho rhi hain
केवल सृष्टि का ज्ञान वेदों में है पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद का ज्ञान वेदों में नहींहै पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद का नाम धाम लीला वेदों में नहीं है। पूर्ण ब्रह्म परमात्मा सच्चिदानंद को जानना है तो वेदों से बाहर निकलना पड़ेगा। क्योंकि वेद केवल सृष्टि की सामग्री है। और पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद सृष्टि से भिन्न है। इस बात की साक्षी खुद वेद भी दे रहे हैं। जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। ओम परमात्मा का नाम नहीं है अकार उकार मकार सतोगुण रजोगुण तमोगुण इसे ओम कहते हैं ओम तीन गुना का नामहै परमात्मा का नहीं परमात्मा का नाम वेदों में है ही नहीं तो अखंड मुक्ति होगी कैसे इसलिए वेदों से बाहर निकलना पड़ेगा।
बिल्कुल गलत। वेदो को अपने पढ़ा भी नही होगा इसलिए कुछ भी पेल रहे है ब्राह्मण ग्रंथो में बताया गया है कि वेद का अर्थ ही ज्ञान होता है ईश्वर ने यही ज्ञान चार ऋषियों को उनकी समाधि अवस्था मे दिया। वेदो में ईश्वर का निज नाम ओ३म ही बताया है
@@user-SanatanRaj वेद का मतलब ज्ञान। लेकिन ज्ञान किस चीज का यह भी तो सोचो। अर्थात सृष्टि का ज्ञान। वेदों में सृष्टि का ज्ञान है। लेकिन जो सृष्टि से भिन्न है इसका ज्ञान वेदों में नहीं है। हां वेद उसे चीज की आज्ञा दे रहे हैं। वेदज्ञान जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नही। लेकिन वेद वालों की यह बुद्धि में नहीं आता जो सृष्टि से परे है वह कैसे मिलेगा। अरे भाई वेद पहली क्लास है जो सृष्टि का ज्ञान देता है दूसरी क्लास में एडमिशन कराना पड़ेगा दूसरी क्लास को आप लोग मानते ही नहीं। अगर बच्चा कहे दूसरी क्लास है ही नहीं तो उसका कोई इलाज है यही कहानी वेद वालों की है। यह कह रहे हैं वेद से अलग कुछ है ही नहीं। आप बताइए अब कौन इनके साथ खाली बुद्धि लड़ाए। जैसे कुएं का मेंढक कुएं को ही सागर समझता है यही हाल वेद वालों का है। अरे भाई वेद ही सब कुछ नहीं है वेद से आगे भी कुछ है। वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश। गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।।
@@munnalal-ui6lb ये आपका खुद के विचार है कहा सुना और मिलावटी ज्ञान हानिकारक होता है वेद सभी सत्य विद्याओं का मूल है महाभारत, वाल्मीकि रामायण में वेदो का ही उल्लेख मिलता है वेदो को ज्ञान को ही पढ़कर या समझकर अन्य शास्त्रो की रचना हुई अब वो कितने सही है कितने गलत। ये शोध का विषय है क्योंकि किसी भी शास्त्र का मूल पुस्तक उपलब्ध नही है सबके अपने अपने अनुवाद है डॉक्यूमेंट्री है वेदो में ईश्वर, उनके गुण, स्वभाव,कर्म के बारे स्पष्ट बताया गया है
@@munnalal-ui6lb vedo Mai Sara Gyan h .....kbhi khud Sai vedo ko pdha h ?????? Niklai Gyan denai ki vedo Sai bahr niklna Pdega .......akl h kuch dimag mai .....Phlai pdh toh lo ....ved pdh Liyai toh tumhari soach sudhr jaegi
@@shwetapunia8770 वेदों में सृष्टिका ज्ञान है वेद सरषटि का सब्जेक्ट है। हां जो सरषटि से बाहर है उसे जानने की शिक्षा वेद दे रहे हैं। वेद ज्ञान -जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। यह वेदों की शिक्षा है। लेकिन सरषटि से बाहर क्या है उसका वेदों को पता नहीं है क्योंकि वेद सृष्टि का ज्ञान रखते हैं। सरषटि से बाहर का ज्ञान भागवत में है भागवत को पूर्ण ब्रह्म के बिना कोई खोल नहीं सकता। अब कलयुग बुद्ध शाखा में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक द्वारा जागृत बुद्धि से भागवत को खोल कर एक पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद की पहचान कराई है इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है।
Qya iswar karuna nidhan daya ka sagar hai yadi kripanidhan hai tow dusah pida qyon janma mityu qyon jeeske sansar me dusah pida haii wah iswarki kasi niti hai aisi rachna qyon kiya qya iswar sukhi sampnna hai tow prja dukhi qyon
यह एपीसोड पूरी तरह काल गणना पर आधारित है यहां एक युग को लाखों सालों का बताया गया है सतयुग, द्वापरयुग, त्रेतायुग, कलयुग इसका मतलब मोटा मोटा एक युग चार लाख साल का पकड लो और कलयुग की शुरुआत मान लो तो बारह लाख साल मानव सभ्यता के गुजर चुके हैं जबकि मानव सभ्यता के अधिकतम पन्द्रह हजार साल से अधिक के प्रमाण नहीं मिलते और आधुनिक सभ्यता जब लोहा की खोज हुई और उसका प्रयोग शुरू किया गया उसको हजार साल के आसपास आपके सभी देवी-देवता जिसके हथियार धारण करते हैं और अपनी उत्पत्ति के समय से ही वह हथियार लिये हुये है। इस्लाम के बारे में जो शंकाएं आपके द्वारा बताई गई और हिन्दू के बारे में मैंने लिखी उसी तरह ईसाईयत में भी अनेक शंकाएं है इसलिए कोई भी महामानव बुद्ध को ही सच्चाई की कसौटी पर खरा मानता है ओशो रजनीश जिन्होंने ढेड लाख किताबों का अध्ययन किया, डाक्टर भीमराव आंबेडकर जिन्होंने 36 विषयो में मास्टर डिग्री ली और आठ विषयों में पीएचडी की शोध प्रबंध किया और पैंतीस हजार किताबों का अध्ययन किया इन महामानवों के अलावा कोई और तीसरा उदाहरण नहीं है और इन्होंने सिर्फ बुद्ध धम्म को ही श्रेष्ठ माना है जो कि मानव निर्मित है। बाकी दुनिया के सभी धर्मों की किताबें जिन्हें संसार को चलाने वाली शक्ति यानि परमात्मा द्वारा लिखित बतायीं जाती है और आजतक की जानकारी जो मनुष्य को है उसमें फ़र्क है इसका मतलब यह किताबें मानव द्वारा लिखित है जो उसकाल तक हुये ज्ञान या जानकारी पर आधारित है
Aap mujhe pasand ho isiliye qki aapka la ilaahaa bhut majboot he,, Lekin thodi galatfahami he islam k baare me, aur muslim se nafrat he,,, Lekin mujhe ummeed he ki jb aapko galatfahami door hogi to aap islaam k vidwanon ya bade logo me gine jaoge,,,, Aur Allah quraan me aap jaise logo ki hi baat kr rha he musalamaanon se ki agr tum firoge to tumhari jagah hum dusri koom ko layege aur wo tumese behtr honge aur tum unka kuch na bigaad sakoge,,,, is waqt musalamaanon me bhi gadbadi aa chuki he,,,
नृसिंह भगवान ने प्रह्लाद की रक्षा नहीं की?यह कथा झूठी है? भक्ति श्रद्धा और विश्वास हो तो भगवान रक्षा करते ही है। त्रेतायुग में विभिषण की रक्षा की। द्वापर युग में द्रौपदी और परीक्षित की रक्षा की। कलियुग में जगद्गुरू आदि शंकराचार्य के रूप में अवतार लेकर सत्य सनातन वैदिक आर्य हिन्दू परम्परा की रक्षा की।
@@HaridevSharma-rc1jv राम नाम करोड़ों लोगों ने रखा है, आपके परिवार में भी होगा, रावण नाम तो जैन भी नहीं रखते। राम राम तो सभी लोग करते हैं, रावण रावण तो कोई नहीं करता। रावण ने तो नारियों के साथ बलात्कार किया। हमने तो सुना था कि रावण का समूल़ नाश हो गया था परन्तु लगता है कुछ लोग अभी भी रावण के वंशज हैं। वैकुंठ के द्वारपाल जय विजय की कथा सुननी पढ़नी चाहिए। अवतार मात्र भगवान ले सकते हैं। बिप्र धेनु सुर संत हित, लीन्ह मनुज अवतार। निज इच्छा निर्मित तनु, माया गुन गोपार ।। एक राम दशरथ के बेटा, एक राम घट घट में लेटा। एक राम का सकल पसारा, एक राम है सबसे न्यारा।। जैसे बर्फ जल वाष्प और तूरीयावस्थित जल एक ही तत्व है वैसे ही चारों राम एक ही है। बिना खोट के संसार नहीं बनता, जैसे 24 कैरेट सोने के गहने नहीं बन सकते,खाद मिलाना ही पड़ता है। भगवान की शरणागति स्वीकार करना चाहिए नहीं तो मनुष्य और पशु में कोई अंतर नहीं। गर्भ में आना और जाना अनंत का से चला आ रहा है, अनन्त काल तक छुटेगा नहीं। मनुष्य जीवन वह भी उत्तम कुल और परिवार में और बुद्धि विवेक के साथ बहुत ही सौभाग्यशाली को मिलता है, दुबारा मिले न मिले।
Big bang khud sare vegyanik nahi mante big bang ke jaisi kitni hi thiyoriya hai bhai kitno ko manoge AAP Rahi bat iswar ki to itna Jan lo duniya me ek sui to aapke banye Bina nahi banti phir ye kaise man lete ho itna bada aur vaywasthit snsar apne aap ban gya hoga thoda socho 😂 namaskar.
10:00 Aacharya ji aap bahut vidwaan ho, lekin aapko koi islaam ko na jaanne wale mulla ji mil gye shayd,,, Agr aap jaane wale se mil gye ho aapko islam qubool krna pad jayega,,, Aap jis mulla ji ki baat kr rhe ho use deep knowledge nhi he islam ki apne istar k vidwaan se baat kro,,, jaise javed ahmed gamidi shahab,,,, Aapki yahan galti ye he ki aapne quraan ko nhi padha,,, agr padha bhi to deeply nhi padha,,, Javed shahab se contact karein,,,, Aisa isliye bol rha hu qki aapne 6 din ki baat ki he, uska wo matlab nhi he jo aapne samjha he,,,,
ओम् नमस्ते आचार्य जीं जय आर्यावर्त
Jai gurudev ji dandvat pranam ji 🙏 naman 🙏 👍 ♥️ great information guru ji 🙏 naman 🙏 👍 ♥️
आदरणीय आचार्य जी सादर नमस्ते 🙏🙏
Aapke har shabd me kaamyabi hi dikhti hai achary ji
दुनियां में सभी चीज परिवर्तनशील है
Thanks 🙏🙏🙏🙏
Namesta Arya Ji,,, Maha Rishi Dav Daya Nand Ki Jai,,,,, Arya Samaj Amar Raha,,,, Ved ki Joti Jalati Raha
ह्रदय से प्रणाम
आपको सुनकर बड़ी प्रसन्नता हो रही है श्रीमद् भागवत महापुराण के पंचम स्कंध में सृष्टि वर्णन के क्रम में सुखदेव जी ने परीक्षित के प्रश्नों का उत्तर देते हुए जो कुछ ज्ञान की पूंजी प्रदान किया उसी को ऋषि परंपरा के अनुसार आप संसार को जिज्ञासु लोगों को शांत कर रहे हैं ज्ञान का अमृत पिला रहे हैं हमारी वैदिक सनातन परंपरा के प्राचीन ज्ञान को आप जन-जन तक पहुंचा रहे हैं आप अभिवादन और अभिनंदन के पात्र हैं आपको बार-बार नमस्कार
जय हिन्द
🙏 नमस्ते आचार्य जी आप कोटी कोटी प्रणाम 🙏
जहीलो की आस्मानी किताब कह्ती है आदम ने मीट्टी के साथ इंसान बना दिए.. उनकी धरती आज बी चप्टी और रूकी हुई है..
Om namo narayan👏👏👏👏👏👏
🙏🚩🙏🕉 Ram Ram ji 🕉🙏🚩🙏
पहले मैं भी पौराणिक हिन्दू था लेकिन जब से मैं आर्य समाज के सम्पर्क में आया तब मैं जाना वास्तविक धर्म है क्या जो ज्ञान आर्य लोग हमें दे रहे हैं वो कहीं और हमें नहीं मिल सकता है साथ ही जबसे सत्यार्थ प्रकाश पढ़ा तब तो उससे सब स्पष्ट हो गया, प्रत्येक सनातनी को जीवन में यह पुस्तक एक बार अवश्य पढ़नी चाहिए..
सत्याथॆ प्रकाश दिमाग के अंदर, बुद्धि दिमाग से बाहर
अरे वाह 🤓जियो मेरे शेर😁
धर्म से तात्पर्य है, हमें जो आचरण करना चाहिए वह धर्म है।
हमें आचरण कैसा करना चाहिए, कि हर कर्म करने के पीछे का भाव निष्काम होना चाहिए, कामना के बिना कर्म होता नहीं है इसलिए हर कर्म के पीछे का भाव सेवा का होना चाहिए।
सत्य हमेशा शिवत्व है, अर्थात सकारात्मक भाव, कल्याणकारी भाव, सेवा का भाव ही सत्य है और वही सुन्दर है।
Hme bhi ye book chahiye bhaiya
Full support aarya samaj
Koti koti parnam acharya ji
आचार्य जी🕉🙏🙏
वक्फ बोर्ड के तर्ज पर हिन्दू वक्फ या दान बोर्ड बनाया जाये ।जिसका उपयोग सडक पानी मन्दिर या शासकीय मद में किया जाय ।
आनंद मार्ग की सृष्टि की रचना का दर्शन अधिक वैज्ञानिक है।
आपके वीडियो देख के बहुत ज्ञान प्राप्त हुआ जो आज तक नही मिला आपका बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी ।
गौमाता राष्ट्रमाता हिंदुराष्ट्र भारत ❤❤
Bhai Hindurastra nahi .Arya rastra hona chahiye
नहीं सत्य सनातन वैदिक धर्म होना चाहिए ok @@PrakashKumarMurmu-mh4kk
अगर आप अपने को हिन्दू या आज-कल जो नया नाम दिया गया है सनातनी समझते हैं ये
तो एक कोई अपने धर्म की किताब पढ़कर फिर गौमाता कहकर बतायें मनुस्मृति अथवा वेदों में गौवध और गौमांस के संबंध में क्या लिखा है चूंकि भारतीय कृषि कार्य गौवंश आधारित है और यदि गौ हत्या होती रहती तो बैल और खाद के लिए गोबर कहां से लाते इसलिए कृषकों के विरोध तथा बौद धम्म के अहिंसा से आगे निकलने के लिये सिर्फ उत्तर मध्य भारत में गौ हत्या पर सर्वप्रथम मुगल शासकों ने प्रतिबंध लगाया बाबरनामा में भी अपनी वसीयत में बाबर ने इसका जिक्र किया है साथ ही बुद्ध काल के बाद ब्राह्मणो द्वारा शिक्षा पर लगाई गई रोक हटाकर अपनी प्रजा को शिक्षा देने के लिये मदरसे खुलवाये जिससे आमजन मूर्खता, रूढ़िवाद, अंधविश्वास और पाखण्ड वाद से मुक्त हो
ओ३म् 🙏🙏🙏
🙏आचार्य जी ईश्वर इन्द्रियों की पकड़ में तो आता नहीं।बुद्धि से भी तर्क द्वारा सिद्ध नहीं होता।जब कहते है की ईश्वर ने श्रृष्टि का निर्माण किया तो बुद्धि तो सवाल करेगी की ईश्वर को किसने बनाया।इसीलिए कहीं तो मानना ही पड़ेगा।इसीलिए ईश्वर का होना मान्यता है।और मान्यता तो अलग भी हो सकती है।दूसरी बात डर और स्वार्थ ही ईश्वर को जन्म देता है।दोनो के निकल जाने के बाद ईश्वर कहीं नहीं बचता।सत्य वो है।जिसके होने पर कोई संदेह भी न कर सके।जैसे मैं हूं मेरे होने का एहसास ।इसको कोई भी नकार नही सकता।ईश्वर है या नहीं ये कहने के लिए भी मेरा होना आवश्यक है।और मेरे होने के लिए शरीर का होना आवश्यक है।शरीर के बिना मेरा कोई अस्तित्व नहीं।🙏आचार्य जी ये मेरा विश्लेषण है।आपका मै आदर करता हु।
आप
को वेद का त्रैतवाद का ज्ञान न होने की वजह से ऐसा भ्रम पैदा हुआ , त्रैतवाद के अनुसार ईश्वर, जीव, प्रकृति यह तीन अनादि, नित्य , समकालिक सत्ताऐ हैं , इन्हें न कोई बनाता है न ही ये नष्ट हो
ती है
ईश्वर है और बकायदा पता चलता है की है शरीर से दूर होने पर आप एक सर्वव्यापी आत्मा को महसूस करने लगते है विराट का पता चलता है / अब पता किसको चलता है हमारे बच्चे हुए मन को पता चलता है जो नष्ट हो गया वो ईश्वर हो गया / akaah अनाम सुनो / मिल जायेगा
हम अहसास ही है और वह अहसास के मिटने पर पता चलता है हम जितने बच जाते है उसको पता चलता है / हमारा जीवत्व्व मिटने पर वही बचता है जो सनातन है
Akaah अनाम विडियो सुन लो वहां मिल जाता है
भाई आपके होने का क्या प्रमाण है ?
आप जो भी जवाब दोगे आप अपने ही एक प्रमाण का पुष्टीकरण करोगे।
इसलिए पहले पता तो करो किन तुम हो भी कि नहीं
Aap to Kamal ho Sir Ji 🙏🌻🙏🌻🙏
आर्यसमाज..✨
आचार्य जी,अति श्रेष्ठ प्रवचन के लिए कोटि कोटि नमन।
आचार्य श्री आपसे मिलना है।🙏
🕉️🙏
नमस्ते आचार्य जी,
बहुत बहुत धन्यवाद
वैदिक मास मधु माधव शुक्र शुचि नभस् नभस्य आदि बारह मास है।
चैत्र वैशाख ज्येष्ठ आदि बारह मास है ।
ये दोनो ऋतु अनुकूल होकर परस्पर सहयोगी हो। इस विषय पर भी जागरुकता की आवश्यकता है।
Yogesh ji open chalenge aap ko debate par 25 lakh rupis inam akalpursh sarwageya ko sabit kare science juorney chanal pe sj sir se 💪💪💪💪
Bhai phele Tu likhna sikhle fir dena challenge 😂
Jay shree ram ji
आचार्य जी नमस्कार,
आचार्य जी जैसा कि आपने बताया कि दिन और रात सूर्य की गति से बनते हैं तो एक दिन में दो तिथि कैसे संभव हैं? दूसरा जब महीना कृष्ण पक्ष से शुरू होता है तो साल का प्रथम दिन शुक्ल पक्ष में कैसे हुआ ? तीसरा क्या हम इन तिथियों से जीवन का कोई कार्य सुचारू रूप से कर सकते हैं ?
He mahamanav mai aapko pranam karta hoo
सम्पूर्ण विश्व प्रकृति अवस्था में कभी नहीं जाता है क्योंकि जीवों के अन्तःकरण प्रलय में भी नष्ट नहीं होते हैं।। अतः परम प्रलय कभी नहीं होती ।।
नमस्ते जी 🙏 कैथल हरियाणा
Om aacharye ji
Namaste.
ॐ सादर नमस्ते आचार्य जी। मेरा एक सवाल है जब हमारी संस्कृति इतनी श्रेष्ठ है तो सनातन धर्म के लोग हिन्दू धर्म छोड़कर अन्य धर्म मै क्यों जा रहे हैं।
क्योंकि उन्होंने। कभी भी एक शास्त्र भी नही पड़ा
क्योंकि उनको अपने धर्म की जानकारी हो नहीं है।वो अपने धर्म ग्रंथ पढ़ते नहीं और धर्म गुरु पाखंड में डूबे हैं। फालतू की कहानियां सुनाना और अनुयायियों के एकत्रित धन से मौज मजे करना , यही उनके लिए धर्म है।आचार्य जी की तरह समझाते हुए किसी कथा वाचक , भागवत कहने वाले से सुना है।😮😮
Kyuki an children gurukul me nhi school me padhte hai
@@deepurwt7340 लेकिन आर्य समाज का भी कर्तव्य बनता है की सत्यार्थ प्रकाश घर घर जाकर प्रचार करें। जैसे मुस्लिम जाते हैं जमात में।
@@opverma1938 बिलकुल सही कहा आपने यही सबसे बड़ी समस्या है।
आचार्य जी सादर प्रणाम स्वीकार कीजिए
Every one is God this truth knowing purpose is human birth
Sir I agree with you , our safety isin our Bhabal, Mantel Strength and active mind
Aacharya ji yagna open yo sky aur saaf jagah pe kariye
ऋत=सार्वभौम सिद्धांत ।।
ଜୟ ଶ୍ରୀ ଜଗନ୍ନାଥ
जय श्री राम जय सियाराम जय सनातन धर्म
जय भारत माता जय गोमाता जय सनातन धर्म
Jai dev
🙏 आचार्य जी श्रावण मास में क्या भोजन एक ही समय करना चाहिए क्यों की हम तो सोचते है की ये कहीं पाखंड तो नही क्यों की गाँव में लोग इसको शिवजी की वजह बताते है क्या ये शिवजी का महीना है इसलिय व्रत रखते है
इसके लिए आपको आयुर्वेद पढ़ना चाहिए जो वेदो का ही एक अंग है उसमें सब स्पष्ट हो जाएगा। बरसात का मौसम संक्रमण होने की अधिक संभावना होती है जिसमे खाने में कुछ चीजें वर्जित है
@@user-SanatanRaj ha और आयुर्वेद अनुसार वर्षा ऋतु मे हमारी जठराग्नि कमजोर होती है इसलिए भी कम और सुपाच्य खाने को कहा है ।
Sahab
Very good analysis gurujee
😂😂😂 जय हो प्रभू 🚩🚩
Acharya ji jitna bhi religion ka kitap hai kisne rachna ki manab ne iska matlab manab ne hi ishwar ka srusti ki hai ahi Satya hai
देखिए श्रृष्टि एक गोलाकार आकार बना,बीच में से अद्वतीय किरणों वाला प्रकाश सब फैल गया,और अणु चमकते हुए यह तीन घटनाएं घटित हुई।
आकार यानि यहां हर वस्तु आकार में है
प्रकाश ही ज्ञान है।
और चमकदार अणु।
Bhagwan Kisi Ki Raksha Nahin karte
Prakriti Apne Vidhan ke anusar sab ko chalati hai
Karmon ke anusar sab Sukh aur Dukh ki Prapti hoti hai
🙏🙏🙏🙏🙏
Aarya smaj ki videos ko status story whatsup k jariye share kro real sanatan to ye h jo aarya samaji btaye h
Acharya Yogesh ji k sath Acharya prsant ji ki b video suna kro 51 millions Acharya parsant ji k h pls 1 bar sun k dekhna
सत्य बाते है गुरु जी सारी
Aacharya jee chaitra ke bad vaishakh aata hai
आचार्य जी आपको बहुत-बहुत नमन । जगत की रचना कैसे हुई संध्या के मंत्रो से बताया धन्यवाद । सुशील कुमार लखनऊ
आदर्श नगर आर्य समाज लखनऊ ।
ब्रह्म ज्ञान का आचरण करने से रचना होती है अर्थात सृजन का कार्य होता है,
ब्रह्म ज्ञान के आचरण से सृष्टि का जो सृजन होता है उसकी पालना यह विराट भगवत्स्वरूप, अर्थात,विष्णु स्वरूप अर्थात यह ब्रह्माण्ड करता है।
इसके विपरीत चलने वाला दुख और कष्ट पाकर नष्ट या समाप्त हो जाता है।
आचार्य जी shivansh Narayan dwivedi के सवालों के जवाब भी देदो जो आर्य समाज पर आक्रमक हैं और उन्होंने अपने तर्कों से अधिकांश आर्य समाजी यों को निरुत्तर कर दिया है।
Iska matlab Bhagvan sabse pehle ek scientist he
Om sabdha buddhism se chory kiya hai science journey se debad kary
गाय का दुध 🥛 कैसे बनता है |
July me admission hote they.
aapne ye tho bataya hi ni ki ishwar raksha kaise krte hain?
Raksha kaun karta hai? Yis dharti par sab kuchh insaan karta hai bhagwan ya Ishwar kuchh nahi karta. Insaan insaan ko mar deta hai aur kahin par maarney waley se marney waley ko bachata bhi insaan hi hai. Aab insaan hi sochey kya karna hai bhala ya bura. Aaj ke baba aur oopdeshkon sey bachna chahiye. Jai Hind
🙏🏻🙏🏻🚩🚩
Vedon,ko,kaun,likha,ya,kanha,se,aaye
इस तरह की कहानियां सुनकर गुरुकुल के बच्चे अपनी आजीविका भी नहीं चला सकते । सृष्टि बनने का एक चरण भी सही नहीं बताया ।
Aap jaison ki samajh ke pare hai
@@VaidicVasundharaतो तुम बताओ क्या समझाया हैं?
कुछ पल्ले नही और मुह उठाकर बोल दिया इन बातों को समझने के लिए आपका बौद्धिक स्तर बहुत कम है शास्रो को पढ़ो और बुद्धि में पैनापन लगो और रही इन विद्वान की बात वे गुरूकुल के आचार्य है आपकी तरह साधारण व्यक्ति नही। उनके बराबर आने के लिए दूसरा जन्म लेना पड़ेगा आपको समझे।
@@dhari-rl6su tumko chahiye dant kathayen sunaane waala dhongi baba
Vo yahan arsh gurukulo me nhi milega ...
Uske liye aniruddhacharya ji ke paas jaao .
Yahan to sacche shiv ki baate ho rahi hai
Uske btaaye anusaar jiwan kaise jiya jaay uski baate ho rhi hain
divinity/happiness/paramaanand are our requirements otherwise he is happy with billions of planets lifeless..
isko sab malum hai bina pramanit gyan
केवल सृष्टि का ज्ञान वेदों में है पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद का ज्ञान वेदों में नहींहै पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद का नाम धाम लीला वेदों में नहीं है।
पूर्ण ब्रह्म परमात्मा सच्चिदानंद को जानना है तो वेदों से बाहर निकलना पड़ेगा। क्योंकि वेद केवल सृष्टि की सामग्री है। और पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद सृष्टि से भिन्न है। इस बात की साक्षी खुद वेद भी दे रहे हैं। जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं।
ओम परमात्मा का नाम नहीं है अकार उकार मकार सतोगुण रजोगुण तमोगुण इसे ओम कहते हैं ओम तीन गुना का नामहै परमात्मा का नहीं परमात्मा का नाम वेदों में है ही नहीं तो अखंड मुक्ति होगी कैसे इसलिए वेदों से बाहर निकलना पड़ेगा।
बिल्कुल गलत। वेदो को अपने पढ़ा भी नही होगा इसलिए कुछ भी पेल रहे है ब्राह्मण ग्रंथो में बताया गया है कि वेद का अर्थ ही ज्ञान होता है ईश्वर ने यही ज्ञान चार ऋषियों को उनकी समाधि अवस्था मे दिया। वेदो में ईश्वर का निज नाम ओ३म ही बताया है
@@user-SanatanRaj वेद का मतलब ज्ञान। लेकिन ज्ञान किस चीज का यह भी तो सोचो। अर्थात सृष्टि का ज्ञान। वेदों में सृष्टि का ज्ञान है। लेकिन जो सृष्टि से भिन्न है इसका ज्ञान वेदों में नहीं है। हां वेद उसे चीज की आज्ञा दे रहे हैं। वेदज्ञान जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नही।
लेकिन वेद वालों की यह बुद्धि में नहीं आता जो सृष्टि से परे है वह कैसे मिलेगा। अरे भाई वेद पहली क्लास है जो सृष्टि का ज्ञान देता है दूसरी क्लास में एडमिशन कराना पड़ेगा दूसरी क्लास को आप लोग मानते ही नहीं। अगर बच्चा कहे दूसरी क्लास है ही नहीं तो उसका कोई इलाज है यही कहानी वेद वालों की है। यह कह रहे हैं वेद से अलग कुछ है ही नहीं। आप बताइए अब कौन इनके साथ खाली बुद्धि लड़ाए। जैसे कुएं का मेंढक कुएं को ही सागर समझता है यही हाल वेद वालों का है।
अरे भाई वेद ही सब कुछ नहीं है वेद से आगे भी कुछ है।
वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश। गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।।
@@munnalal-ui6lb ये आपका खुद के विचार है कहा सुना और मिलावटी ज्ञान हानिकारक होता है वेद सभी सत्य विद्याओं का मूल है महाभारत, वाल्मीकि रामायण में वेदो का ही उल्लेख मिलता है वेदो को ज्ञान को ही पढ़कर या समझकर अन्य शास्त्रो की रचना हुई अब वो कितने सही है कितने गलत। ये शोध का विषय है क्योंकि किसी भी शास्त्र का मूल पुस्तक उपलब्ध नही है सबके अपने अपने अनुवाद है डॉक्यूमेंट्री है वेदो में ईश्वर, उनके गुण, स्वभाव,कर्म के बारे स्पष्ट बताया गया है
@@munnalal-ui6lb vedo Mai Sara Gyan h .....kbhi khud Sai vedo ko pdha h ?????? Niklai Gyan denai ki vedo Sai bahr niklna Pdega .......akl h kuch dimag mai .....Phlai pdh toh lo ....ved pdh Liyai toh tumhari soach sudhr jaegi
@@shwetapunia8770 वेदों में सृष्टिका ज्ञान है वेद सरषटि का सब्जेक्ट है। हां जो सरषटि से बाहर है उसे जानने की शिक्षा वेद दे रहे हैं। वेद ज्ञान -जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। यह वेदों की शिक्षा है। लेकिन सरषटि से बाहर क्या है उसका वेदों को पता नहीं है क्योंकि वेद सृष्टि का ज्ञान रखते हैं।
सरषटि से बाहर का ज्ञान भागवत में है भागवत को पूर्ण ब्रह्म के बिना कोई खोल नहीं सकता।
अब कलयुग बुद्ध शाखा में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक द्वारा जागृत बुद्धि से भागवत को खोल कर एक पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद की पहचान कराई है इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है।
Danveer karn kese peda huye sanka samadhan kare
😊😊
Jymakalibolashukhkyabhrtkame dnihekrmkyahebchapydakrnayadhnpraptkrnay anarirkhnayashrirkobybhovdvaraanntetyadi
Bhardawaj ji Please contact to Allama sayed Abdullah Tariq sahab .Misinterpretation of Quran would be clear
Poore world me budhisam ki philosophy sabse practical hai 😂😂😂😂😂😂😂
Good joke 😂
Mahoday bhakt pralad k bare me. Aapka kya khyal hai,
Qya iswar karuna nidhan daya ka sagar hai yadi kripanidhan hai tow dusah pida qyon janma mityu qyon jeeske sansar me dusah pida haii wah iswarki kasi niti hai aisi rachna qyon kiya qya iswar sukhi sampnna hai tow prja dukhi qyon
Example galat dia aapne mahanuvab
Suraj me bhi ek esa din ayega jab wo thanda pad jayega phir kiran nahi dega to suraj ka kiran bhi satya nahi hua
कमी मुस्लिम में ही दिखाई दे रही अपने रंगे सियार को भी देखो 😊
Tumhari bat buvkoofi bhari h
आपको सृष्टि निर्माण का तनिक भी ज्ञान नहीं है ।
Thmay kia taklif hai..tum log Jooth bol Kay passay kamana chatay hain
Cup batmiz..atmnibhar
Aap hi video bana do iss vishe pe
आचार्जी जैसे वाम पंथ मै मंत्र होते हैं, उसमे आन di जाति , जब हम किसी शब्द के साथ ॐ लगाते है तो क्या वो हठयोग में नही आता,
Agar anand hai, to sristi me kaley kyu
Pakistan main Aaj bhi schoolon main Admissions July or August main Hoti hai acharye ji
आर्य समाज ही तो पारस पथरी है
Jhuth plus batkr pet bhrna nikrushth kam h
00
5?
यह एपीसोड पूरी तरह काल गणना पर आधारित है यहां एक युग को लाखों सालों का बताया गया है सतयुग, द्वापरयुग, त्रेतायुग, कलयुग इसका मतलब मोटा मोटा एक युग चार लाख साल का पकड लो और कलयुग की शुरुआत मान लो तो बारह लाख साल मानव सभ्यता के गुजर चुके हैं जबकि मानव सभ्यता के अधिकतम पन्द्रह हजार साल से अधिक के प्रमाण नहीं मिलते और आधुनिक सभ्यता जब लोहा की खोज हुई और उसका प्रयोग शुरू किया गया उसको हजार साल के आसपास आपके सभी देवी-देवता जिसके हथियार धारण करते हैं और अपनी उत्पत्ति के समय से ही वह हथियार लिये हुये है। इस्लाम के बारे में जो शंकाएं आपके द्वारा बताई गई और हिन्दू के बारे में मैंने लिखी उसी तरह ईसाईयत में भी अनेक शंकाएं है इसलिए कोई भी महामानव बुद्ध को ही सच्चाई की कसौटी पर खरा मानता है ओशो रजनीश जिन्होंने ढेड लाख किताबों का अध्ययन किया, डाक्टर भीमराव आंबेडकर जिन्होंने 36 विषयो में मास्टर डिग्री ली और आठ विषयों में पीएचडी की शोध प्रबंध किया और पैंतीस हजार किताबों का अध्ययन किया इन महामानवों के अलावा कोई और तीसरा उदाहरण नहीं है और इन्होंने सिर्फ बुद्ध धम्म को ही श्रेष्ठ माना है जो कि मानव निर्मित है। बाकी दुनिया के सभी धर्मों की किताबें जिन्हें संसार को चलाने वाली शक्ति यानि परमात्मा द्वारा लिखित बतायीं जाती है और आजतक की जानकारी जो मनुष्य को है उसमें फ़र्क है इसका मतलब यह किताबें मानव द्वारा लिखित है जो उसकाल तक हुये ज्ञान या जानकारी पर आधारित है
तुम खुद ही अज्ञानी बाबा हो. सदियों पुरानी बात करके अज्ञानता फैला रहे हो.
अरे भाई अधूरे ज्ञान क्योन्कि ज्ञान का प्रचार कर रहॆ हो क्योंकि ईश्वर परमात्मा ईश्वर नाम कुछ चतुर लौगौ ने अपनी दुकान चलाने के रास्ते बना लिए है.
अपनी मूर्खता का अनुसरण ना करो
आपकी अकल तरस खाने लायक भी नहीं है कृपया सभी ध्यान दें -?
अपनी राय जरूर दें -?
Aap mujhe pasand ho isiliye qki aapka la ilaahaa bhut majboot he,,
Lekin thodi galatfahami he islam k baare me, aur muslim se nafrat he,,,
Lekin mujhe ummeed he ki jb aapko galatfahami door hogi to aap islaam k vidwanon ya bade logo me gine jaoge,,,,
Aur Allah quraan me aap jaise logo ki hi baat kr rha he musalamaanon se ki agr tum firoge to tumhari jagah hum dusri koom ko layege aur wo tumese behtr honge aur tum unka kuch na bigaad sakoge,,,, is waqt musalamaanon me bhi gadbadi aa chuki he,,,
जो उत्तर देना चाहिए वो नही देते बस गोल गोल घुमाने का काम करते हैं 😂😂😂
नृसिंह भगवान ने प्रह्लाद की रक्षा नहीं की?यह कथा झूठी है? भक्ति श्रद्धा और विश्वास हो तो भगवान रक्षा करते ही है। त्रेतायुग में विभिषण की रक्षा की। द्वापर युग में द्रौपदी और परीक्षित की रक्षा की। कलियुग में जगद्गुरू आदि शंकराचार्य के रूप में अवतार लेकर सत्य सनातन वैदिक आर्य हिन्दू परम्परा की रक्षा की।
दुष्टौं की रक्षा कौन करता है राम का अवतार होता है तो रावण का भी अवतार होता है राम एक है और रावण दस मुख वाला यानि दस रावण अवतार लेते हैं।
@@HaridevSharma-rc1jv राम नाम करोड़ों लोगों ने रखा है, आपके परिवार में भी होगा, रावण नाम तो जैन भी नहीं रखते। राम राम तो सभी लोग करते हैं, रावण रावण तो कोई नहीं करता। रावण ने तो नारियों के साथ बलात्कार किया। हमने तो सुना था कि रावण का समूल़ नाश हो गया था परन्तु लगता है कुछ लोग अभी भी रावण के वंशज हैं। वैकुंठ के द्वारपाल जय विजय की कथा सुननी पढ़नी चाहिए। अवतार मात्र भगवान ले सकते हैं।
बिप्र धेनु सुर संत हित, लीन्ह मनुज अवतार।
निज इच्छा निर्मित तनु, माया गुन गोपार ।।
एक राम दशरथ के बेटा,
एक राम घट घट में लेटा।
एक राम का सकल पसारा,
एक राम है सबसे न्यारा।।
जैसे बर्फ जल वाष्प और तूरीयावस्थित जल एक ही तत्व है वैसे ही चारों राम एक ही है।
बिना खोट के संसार नहीं बनता, जैसे 24 कैरेट सोने के गहने नहीं बन सकते,खाद मिलाना ही पड़ता है।
भगवान की शरणागति स्वीकार करना चाहिए नहीं तो मनुष्य और पशु में कोई अंतर नहीं। गर्भ में आना और जाना अनंत का से चला आ रहा है, अनन्त काल तक छुटेगा नहीं। मनुष्य जीवन वह भी उत्तम कुल और परिवार में और बुद्धि विवेक के साथ बहुत ही सौभाग्यशाली को मिलता है, दुबारा मिले न मिले।
लोगों को Big bang के बारे में बताओं na,क्यूँ इनको ईश्वर,अल्लाह, God के kalpanik पात्र btate फिर रहे हो
Big bang khud sare vegyanik nahi mante big bang ke jaisi kitni hi thiyoriya hai bhai kitno ko manoge AAP Rahi bat iswar ki to itna Jan lo duniya me ek sui to aapke banye Bina nahi banti phir ye kaise man lete ho itna bada aur vaywasthit snsar apne aap ban gya hoga thoda socho 😂 namaskar.
10:00 Aacharya ji aap bahut vidwaan ho, lekin aapko koi islaam ko na jaanne wale mulla ji mil gye shayd,,,
Agr aap jaane wale se mil gye ho aapko islam qubool krna pad jayega,,,
Aap jis mulla ji ki baat kr rhe ho use deep knowledge nhi he islam ki apne istar k vidwaan se baat kro,,, jaise javed ahmed gamidi shahab,,,,
Aapki yahan galti ye he ki aapne quraan ko nhi padha,,, agr padha bhi to deeply nhi padha,,,
Javed shahab se contact karein,,,,
Aisa isliye bol rha hu qki aapne 6 din ki baat ki he, uska wo matlab nhi he jo aapne samjha he,,,,
Time vest😂😂😂
तुम लोग लुट मचा रहे हों ऐसे प्रोग्राम कर कर के। कभी सोचा सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने में मदद कैसे मिलेगी
😂😂 जिस परमात्मा का ढोल बजाते हो कभी देखा भी ह क्या उसको धर्म के ठेकेदारों
🏵️🙏🏽🌺