हे मुनिवर! ज्ञान संबंधित, किसी जाति धर्म का नहीं होता। सभी ज्ञान आदि ग्रंथों से आई।यह ग्रंथ किसी जाति विशेष के लिए नहीं यह समस्त मानव के लिए हैं। जब अनुयायियों ने उन ग्रंथों में फिलोसॉफी को डाला तौ अनेक दर्शन उत्पन्न हो गए। चार्वाक बौद्ध जैन न्याय वेसेसिक अद्वैत वेदांत योग सांख्य उत्तर मीमांसा पूर्व मीमांसा ईत्यादि इत्यादि। लोग कन्फ्यूज हो गए। ईश्वर ने इन्ही आदि ग्रंथों को समय समय पर अपने अवतार भेजे ,भिन्न भिन्न भाषाओं में इसी ज्ञान को फैलाया गया जो पुरे विश्व में फैला। सारांश.... हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई पारसी यहूदी और भी नाम हैं यह सभ्यताएं संस्कृतियां हैं जिनकी परंपराएं अलग अलग हैं यह धर्म नहीं हैं। इन सब में से जो साधु संत फकीर विद्वान आध्यात्मिक से जुड़ जाते हैं वही सब का असली धर्म है। वे सब आपस में प्रेम करते हैं । असली ज्ञानी भी। बाकी तौ सभ्यताओं संस्कृतियों की तारीफों में लढ़ते रहते हैं।😭💞🙏😂💞
@@HamaraAteet हे मुनिवर! आप का हृदय कोमल है। सात्विक लोग छमा को बहुत पसंद करते हैं।आप पर ईश्वर की कृपा है। मौलाना साहब से पूछिए... आमंतु बिल्लाही .... मैं ईश्वर पर ईमान लाया, Malaikatihi... सभी फरिश्तों ( देवताओं) पर ईमान लाया वा कुतुबिही..... मैं सभी किताबों पर ( यानी 100 आदि ग्रंथों/सहीफों पर+4, टोटल 104 छोटी बड़ी सब) पर ईमान लाया .... अगर सब पर ईमान लाए । तौ यह श्लोक / आयत ... " जिस परमेश्वर से सम्पूर्ण प्राणियों की उत्पत्ति हुई है और जिस से यह समस्त जगत व्याप्त है उस परमेश्वर की अपने स्वाभाविक कर्मो द्वारा पूजा करके मनुष्य परम सिद्धि को प्राप्त हो जाता है। ( पवित्र गीता अध्याय 18:46,) यह shlok islamic भाषा में सहीफो से है। इन sahifon पर ईमान nhi होगा तौ दीन की रूहानियत/ अध्यात्मिक केसे बताओगे ईश्वर की मखलूक को। साथ साथ इसके यह पवित्र श्लोक सिर्फ हिंदुओं के लिए ही नहीं है।समस्त संसार के लोगों के लिए है। साथ साथ उन से यह भी पूछिए कि Al Quran sura Al Anam ayat 107,108 Ishwar ka aadesh है कि किसी की आस्था को बुरा न कहो। हे मुनिवर! हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई पारसी यहूदी इत्यादि यह सभ्यताएं संस्कृतियां हैं जिनकी परंपराएं भिन भिन्न हैं। यह धर्म नहीं हैं। Location marking हैं पोस्टल addtesses हैं बस। आध्यात्मिक होने पर सब एक ही धर्म के हो जाते हैं। ईश्वर ने हमेशा हमेशा के लिए एक ही धर्म उतारा प्रलय तक एक ही रहेगा। सनातन धर्म/ दीन/ रिलीजन बोलने से हृदय भाषा नहीं बदलती। हृदय भाषा एक ही रहेगी। हे मुनिवर! समस्त मोलानाओं की ओर से मैं chhama मांगता हूं यदि आप का दिल दुखा हो तौ छमा कर दीजिए ईश्वर के लिए ।💞🙏🤲💞
Sir जी आप को मैंने खूब सुना आप की भाषाशैली अदभुत है समझाने का तरीका अनूठा है, आपका ज्ञान अन्य ऐतिहासिक विचारकों से बहुत अच्छा है,आप में जाति धर्म की बू नही है जो सच है सो है इसका ख्याल रख कर साहसपूर्ण प्रस्तुति देते हैं,आपके इस जज्बे को सलाम ।
मुझे ऐसी किताब की तलाश है... जो स्पष्ट करे भारत मे जातीव्यवस्था कब और क्यू शुरु हुई. आप कुछ मदत करेंगे ऐसा मुझे लगता है... जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. 🙏🙏🙏
बौद्ध काल मे जम्बु द्वीप(अब का इंडिया) बहुत समृद्ध शक्तिशाली देश था मेगास्थनीज फाहीयान की किताबों से हमे उस काल की भव्यता का पता चलता है.बौद्ध काल के अस्त और ब्राह्मण धर्म के उदय के बाद देश खंडों मे बंट गया जिससे विदेशी हमलावर हमेशा जीतते रहे.
अलबरूनी की किताब व आपके बक्तबय के सुनने के बाद ऐसा लगता है कि अधिक तर धर्म बुद्ध धर्म के सिद्धांतों से ही जनमे है इसलिए बुद्ध धर्म ही भारतीय अन्य धर्मों की जननी है
प्रधानमंत्री भी जब विदेश जाते हैं तो वहां यह कभी भी नहीं कहते,कि मैं राम , हनुमान, दुर्गा,काली, शंकर, कृष्ण की धरती से आया हूं, वहां हमेशा उनको बुद्ध ही याद आते हैं, विदेश में कहते हैं मैं बुद्ध की धरती से आया हूं। बुद्ध ही तब इज्जत बचाते हैं।
साधारण जिज्ञासुओं को विभिन्न ग्रन्थों व पुस्तकों से भारतीय सन्दर्भ में परिचित कराने के लिए आदरणीय शिक्षक बन्धुवर को कोटि कोटि धन्यवाद🙏💕 बेहद की परमशान्ति🙏💕🎉
इन से इतिहास का पता चलता है उस समय की संस्कृति और स्थानों का पता चलता है लेखक पूर्वाग्रह से ग्रसित सभी रहते है लेकिन फिर भी इनसे मद्दत मिलती है इतिहास को जानने की।
सलाम सर, आप के ज्ञान की और इस काम की मेहनत के लिए आपको सलाम करता हूँ, सर आपने तो हमे १२०० वी सदी में ले गये, उस वक्त का भारत का प्परिचय कराया, वाह, मैं इतना तो जान ता हु, और बहुत पढ़ा है के भारतीय लोग बहुत ज्ञानी है, पूरे दुनिया में भारतियों का ज्ञान की तारीफ होतीं है, आप के मेहनत के लिए तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हु, आगे भी आप रोचक किताबो के बारे में ज्ञान दोगे ये उम्मीद करताहु, और एक बार शुक्रिया, मुंबई
अलबरूनी की किताब से मालूम पडता है की देवि देवताओं की मूर्ती ब्राह्मणों की मन की कल्पना भर ही थी वास्तविकता का इससे कोई लेना देना नही था . यहाँ वर्णन हो रहा है , ब्राह्मण बता रहा है की कौन-सी मूर्ती कैसी होनी चाहिए अब इन मूर्तियों को बनाने के पिछे तर्क क्या रहता होता यह जानना बोहोत ज्यादा दिलचस्प है
मुसलमान को हर धर्म हर जाति हर् वर्ग का ज्ञान अपने मैं समाहित करने और उस पर अमल करने का श्रेय जाता है।लेकिन जिस समाज से मुस्लिमो ने ये ज्ञान लिया वह आज भी अंधकार मय जीवन जी रहे है इतनी ज्ञानपूर्ण पुस्तको के होते हुए भी आम समाज पाखंड और कर्मकांडी जीवन जी रहा है।ये सच है कि विद्वानों की किसी भी धर्म में कमी नही है।और मुस्लिम समाज आज उसे अपनाकर एक गौरवशाली जीवन व्यतीत कर रहा है।भगवान किसी एक के नही है। हर धर्म के लोग अपने अपने तरीके से पूजते है।हम सब निश्चित तौर से एक माता पिता की ही संतान है।सनातनी है,मुस्लिम है।
आपने अल्बरूनी कि पुस्तक के सम्बन्ध में बहुत सुंदर जानकारीपूर्ण वीडियो बनाया है, इसके लिए साधुवाद। एक बात कमेंट्स को देखकर खटक रही है - यहाँ सनातन धर्म को नीचा दिखाने का पूरा प्रयास किया गया है। साथ ही बौद्ध धर्म को प्राचीनतम धर्म बताने का प्रयास किया गया है। ऐसा क्यों?
Thanks for your post for disclosing the truth...the thought tree..IAS RAS COACHING CENTRE JAIPUR RAJASTHAN INDIA DIRECTOR SHRAWAN YADAV ESPECIALLY FOR UPSC RPSC ASPIRANTS.
सैन्धव सभ्यता से नोमैड से सभ्य बने आर्यों के भारतआने के पहले हमारे यहाँ एक नगरीय कृषक एवं पशुपालक सभ्यता थी।जो आक्रामक नहीं थे।जिसके कारण या तो आर्यों के गुलाम बन गये या विस्थापित होकर विन्ध्य के पार से लेकर आष्ट्रेलिया तक फैल गये।
Very valuable and true facts have been narrated in this video. Alberuni was captured by Mahmood Ghazanavi in his aggression in kheev. Very Impressive knowledge of reality of history has been provided in this video. Thanks alot.
महोदय बहुत बहुत धन्यवाद अति सुंदर अभिव्यक्ति और रोचक विवरण व प्रस्तुती आभारी रहूँगा यदि आप उक्त का भाग दो भी अपने श्रोताओं के लिए प्रस्तुत करने की महती कृपा करें सादर सुखजिन्दर सिंह प्रधान मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान व प्रशिक्षण उत्तर प्रदेश
जानकारी के लिए धन्यवाद। इससे इतना पता चला की अल्बरूनी के समय तक हिंदू एकेश्वरवाद में विश्वास रखता था और गैर हिंदुओं/ विदेशियो को मलेच्छ कहता था। साथ ही, अपनी संस्कृति से इतना जुड़ा था कि मुल्ले उन्हें घमंडी कह कर अपनी तसल्ली करते थे।
लोगो को शिक्षित करने का काम अगर किसी ने किया है तो वो बौद्ध धम्म ने किया सबसे पहले उनके अलावा कोई ज्ञान नहीं देता था यही प्रमाण है की विश्व की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी भारत मैं ही थी जहा देश विदेश से पढ़ने के लिए आते थे और अभी लोग विदेश जा रहे पढ़ाई के लिए कितनी शर्म की बात है
ब्राह्मण धर्म मान्यतानुसार एंव वर्तमान में हिन्दू मान्यतानुसार सबसे आखिर में लिखा गया तुलसीदास रचित रामायण , रामचरितमानस में भी कही हिन्दू शब्द नही लिखा है ।जिसे ज्यादा समय भी नही हुआ । फिर बार बार ये हिन्दू किसको कहा जा रहा है ? ब्राह्मणों द्वारा प्रचलित ब्राह्मण धर्म ही तो था ।
जो गीता का जिक्र आया हैं लगता है वो धम्म पद गीता का नाम हैं न की कृष्ण की गीता का नाम. क्योंकि अल्बरुनी की किताब मे कृष्ण का नाम भी नहीं आया हैं ये समय था तब बमन बौद्ध ग्रंथो मे मिलावट तथा बमणिकरन कर रहे थे.
101 परसेंट यही सही है अशोक सम्राट के बाढ़ के सारी कहानी बनाई गई और पढ़ ली गई और बुध को ही बदल करके धर्मशास्त्र बनाए गए नाम बदले गए डॉक्टरों को तीर्थों का नाम दिया गया 8.8 को हीरो है चार धाम मंदिर मंदिर देवी देवता सब गौतम बुध के विचारों को दूसरे रूप में परिवर्तित करके लिखा गया लिखा गया और दिखाया जा रहा है और लोगों को भ्रम में डालकर के शासन किया जा रहा है
अलबेर्नी लेखक व भारतीय धार्मिक ग्रंथो का को अरबी में लिख कर इसलाम शासन के लिए जगह बना रहा था वह हिंदुओं की खासयित व कमजोरी पकड ली थी और भारत के ब्राह्मणों द्वारा कुरान और अरबों को बादशाहों कोनही पहचान सके आज तक भी खाली 99% वैसा ही है। धन्यवाद आचार्य डा० किशन लाल शर्मा ।।
6टी शताब्दी में नंद वंश और मौर्य वंश थे ।नंदवंश k शासन में,सिर्फ जैन और बौद्ध धर्म थे ,हिंदू धर्म नाम की कोई शब्दावली नहीं थी,बौद्ध धर्म पाली मै लिखा गया।आर्य जो आज ब्राह्मण है अपना अस्तित्व खोज रहे थे, संस्कृत भाषा का उदय नहीं हुआ था। मौर्यकाल मै भी चंद्रगुप्त ने जैन धर्म अपनाया,अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार किया।10राजा मौर्य हुए जिस मैं बौद्ध धर्म अपनी जमीनी हकीकत और पाखंडवाद रहित रूप मै शुद्ध धर्म था भारत का। 10वे मौर्य राजा को मारकर पुष्यमित्र शुंग राजा बना जो ब्राह्मण था थी से वर्णव्यवस्था बनी मूल निवासियो k अधिकार छीने और अशिक्षित बनाया । बौद्ध धर्म k ग्रंथों में मिलावट की और ब्राह्मण ने अपने को श्रेष्ठ बनाया।
तमिलनाडु का *काँचीपुरम, मंदिर, पद्मनाभम मंदिर* आदी सारे 6000 मंदिर सातवी शती के जमाने में बड़े बौद्ध केंद्र थे। बुद्धिज्म के बड़े-बड़े स्काॅलर यहाँ से जुड़े थे। राजकुमार बोधिधर्म काँची के थे। वे झेन बुद्धिज्म के संस्थापक थे। बुद्धिस्ट तर्कशास्त्री दिङ्नाग काँची के थे। नालंदा विहार के कुलपति धर्मपाल ने भी काँची में शिक्षा प्राप्त की थी। बुद्धघोष ने काँची के विहार, याने मोनेस्ट्री में वर्षावास किए थे। तमिल के प्राचीन काव्य - ग्रंथ *मणिमेकलई और शिलप्पदिकारम* भी काँची को बौद्ध केंद्र होने का सबूत देते हैं। सातवीं सदी में ह्वेनसांग काँचीपुरम गए थै, उनकेप्रवास वर्णन लिखता है कि यहाँ सैकड़ों बौद्ध विहार, याने शिक्षा केंद्र हैं, 10, 000 बौद्ध भिक्खु रहते हैं, सम्राट अशोक द्वारा बनवाए 100 फीट ऊँचा स्तूप है। बिहार के कुर्कीहार की खुदाई में जो बौद्ध मूर्तियाँ मिली हैं, उन पर अभिलेख हैं, *अभिलेख बताते हैं कि अनेक बुद्ध मूर्तियाँ काँची के लोगों ने दान किए थे। मूर्तियाँ पाल कालीन हैं।* कांचीपुरम मे आज भी शिल्पकला जिवीत है..! तेरहवीं सदी के यूरोपीय यात्री *मार्कोपोलो* ने काँची के निकट महाबलिपुरम में सप्त पैगोडा (चैत्य) देखे थे। 14 वीं सदी में जावा के कवि ने भी काँची में 13 बौद्ध मठ, मोनेस्ट्री होने का जिक्र किए हैं। 14 वीं सदी के एक कोरियाई अभिलेख में लिखा है कि 1370 में एक बुद्धिस्ट *ध्यान भद्र* काँची से कोरिया गए थे और वहाँ जाकर उन्होंने एक महायान बौद्ध मठ स्थापित किया। अभिलेख में यह भी है कि उन्होंने *धम्म सुत्त* की शिक्षा कांची बौध्द मठ में प्राप्त की थी। 8वी शती मे आदि शंकराचार्य ने इन बौध्द मठो पर कब्जा जमाया और इन स्थानो को चार शारदा पीठो का नाम दिया, कुछ छोटे विहारो को 12 जोतिर्लिग में बदल दिया..! परली बैजनाथ, महाराष्ट्र आदि जोतीर्लीग मंदिर के ऊपरी भाग में चार दिशा में चार बडी आकर्षक बुध्द मुर्तिया आज भी दिखाई देतीहै..!! आज काँची बौद्ध केंद्र नहीं रहा। मगर बौद्ध मूर्तियाँ - स्तंभ - अभिलेख, प्रतीक आदि काँची में मिलते हैं। तस्वीरें काँची की हैं। इन सारे मंदिरो के गर्भ मे पूजारी के अलावा किसी को जने नही दिया जाता, या मुर्ती के वस्र बदलते नक्त दरवाजे बंद किये जाते है.. कारण ब्राम्हण पुजारियो की पोल खुल जायेगी.! गर्भ गृह में टिमटीमाते दिये रखे जाते हैं और मुर्ती के उपर सोने- चांदी का मुकुट रखा जाता हैं कारण यह मुर्ती की पेहचान ना हो जाए..! असल मे ये सारी मुर्तीया बुध्द की ही है..! इन मुर्तीयो को दरवाजे बंद कर के साडी वस्र पेहनाए जाते है..! भक्तो के समक्ष क्यो नही..?? गर्भ गृह मे रोषणी क्यो नही होती..?? कुछ मुर्तीयातो पेंट, चंदन लेप लगाकर विद्रुप कि गयी है..! अंदर के फोटो लेने पर भी रोक लगाई जाती है..??सत्य खो इस तरह आम आदमी से दो हजार वर्ष से क्यो छुपाया गया है..? जिन जनता के दान पर अब्जो खरबों की संपत्ति छुपाई गयी है..?? अंध भक्तो के अज्ञान सेया मुर्खता से यह मंदिरो का झुटा कारोबार चल रहा हैं..! सम्राट हर्ष वर्धन से ले कर सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक के नववंशो ने बनाने 84,000 बौध्दविहार,चैत्य, शिलालेख, गुफाए और तो और नालंदा, तक्षशिला, उज्जनी, वल्लभी आदि 19 बुध्दिष्ट विश्वविद्यालय कहा गए इन का ज्ञान किस ने चुरा कर ७/८वी शती मे वेद, पुराण, महाभारत, रामायण किस ने लिखे..? इस की खोज करो..!! सत्य परेशान हो सकता है मगर पराजित नही.. सत्य मेव जयते..!! *ब्राम्हणी हिंदु धर्म एक संघटीत धंधा हैं पढ़ा लिखा भी अंधा है..!* यह केवल झु़ंड का झुट का पुलिंदा हे..! इन के मुर्खता के उपर ही वैदिकी ब्राम्हणी हिंदु धर्म टिका है..?? *गर्व से कहो हम मुर्ख नही.... महा मुर्ख है..!*
काश हमारे पूर्वज जो हिंदू खुद को बताते थे इन्होंने सच्चे बौद्ध धम्म को उजागर किया होता तो यह आज हमे यह दिन सुनने को n मिलता क्या आज भी हम हिदू एक हैं क्या आज हमारी सामाजिक धार्मिक आर्थिक स्थिति ठीक है जो ज्ञान का डंका हजारों साल पहले बजता था क्या आज बजता है यह एक विचार करने योग्य बात है।
Right ,hmare asali dharm baudh hai ,aj bhi bharat ki phchan budh hi hai.PM VIDESH jate hai to kahate hai budh ki dharati se aya hoo or samman pate hai lakin desh mai ate hi budh ko mitane ka abhiyan or Ram ko isthapit karne ka kaam karte hai.
महात्मा बुद्ध ने बहुत शांति फैलाई आज उनके जैसे ही महापुरुष की जरूरत है विश्व को। लेकिन हमे ये भी नही भूलना चाहिए की वो शांति ऐसी फैली की हम हारते चले गये। जापान ने एक अलग तरीके का बौद्ध धर्म अपनाया इसलिए वो हारे नहीं। लेकिन वो असली बौद्ध से दूर मालूम होते है
महोदय मेरा मानना है जो भी पुराने लेखक हुए है वह अपने शासक को वाहवाही बहुत करते थे।। मैं यहां किसी धर्म विशेष की बुराई नही कर रहा।और अलबरूनी जिस मुस्लिम शासक के साथ आया था और धर्म को जानता था उसी के अनुसार किताब लिखी होगी। वह खुद मुस्लिम था इसलिए उसे मुस्लिम धर्म ही महान लगता होगा।। जैसे कि कई हिन्दू लेखकों को हिन्दू धर्म महान लगता था। बेशक किताब से बहुत सी जानकारी इतिहास की मिलती है लेकिन इन्होंने जानबूझकर सिर्फ गलत बातों पर फोकस किया है।। पृथ्वीराज की आत्मकथा जिन्होंने लिखी है उन्होंने पृथ्वीराज की वाहबाही की है और गौरी की आत्मकथा वाले लेखक ने गौरी की।। इसलिए अगर लोग दूसरे धर्मों की बुराई सुनने के लिए ये वीडियो देख रहे है तो गलत बात है।।क्योकी लेखको की किताबे कई पूर्वग्रहो से घीरी होती है।। मुस्लिम लेखक मुस्लिमो की बुराई नही करता था ।हिन्दू लेखक हिंदुओ की बुराई नही करता था।।लेकिन कमेंट बॉक्स में मुस्लिम हिन्दू ओ की गलत प्रथाओं की बुराई कर रहे है और मुस्लिमो को खुद की गलत प्रथाएं नही दिखती।।लेकिन कमेंट में हिंदु खुद की प्रथाओं की बुराई कर रहे है और दूसरे धर्म को विल्कुल गलत नही बोल रहे है।।
गलत सिर्फ गलत है चाहे वो किसी भी धर्म देश के बारे में हो बुराई देखने में कुछ बुराई नहीं है बशर्ते वोह शुरू खुद के,खुद के धर्म से , खुद की जाति से शुरू हो
आप इस बात पर सही हो सकते हैं कि जो पुराने कवि और लेखक थे वे अपने-अपने राजा या महाराजा की ही प्रशंसा करते थे परंतु कहीं ना कहीं दूसरी सब बताएं संस्कृति का भी जिक्र करते और अलबरुनी ने जो भारत में देखा उसमें कहीं पर भी भारतीय महाकाव्यों का और रामकृष्ण का जिक्र ना हो ना कहीं ना कहीं कुछ प्रश्न खड़े कर देता है
Dear sir, I have learned a lot from you. Being a scholar you must know production of new ideas isn't isolated process, it's interconnected process. We learn from each other. Saying that Muslims doest produce on their own it would be much exaggeration. They learn from India and Greeks, west learn from Arabs. China learn from India. India learn from West. Why this self obsession?
कुरआन हाफ़िज़ को पूरा कुरआन पूरा-पूरा याद होता है और १४४४ वर्ष से यह काम पूरे विश्व में हो रहा है। तथा पवित्र क़ुरआन की सुरक्षा की जिम्मेदारी अल्लाह ने स्वयं ली है।
हमारे देश की छोटी छोटी रियासतों के अपने अपने भाट, चारण और कवि हुआ करते थे जिनको राज सहायता प्राप्त हुआ करती थी। इन भाट, चारण और कवियों का उस राजा के पक्ष में अतिसंयोक्ति पूर्ण विवरण दर्ज करने में बहुत महारत हासिल थी। ठीक उसी तरह जैसे आज के कवि गण और मीडिया शासन के अतिषयोक्ति पूर्ण प्रशस्तिगान में मास्टर होते हैं। यह अतिसंयोक्ति पूर्ण विवरण कालांतर में पीढीयों तक भोले भाले लोगों को भ्रमित किए रहता है। हमारे यहां इतिहास पर सीरियस रिसर्च का भी अभाव रहने के कारण हमें हमारे इतिहास को चीन, अरब और मिडिल ईस्ट से आयात करना पड़ रहा है।
लेकिन किसि भी घुमाने आने वाले पर इतना विश्वाश क्यु और कैसे कर लें ?हमारे यहां ऐसे महापुरूषों ने जो लिखा है ,गणित लगाया है कहीं इन बिदेशियो से सटीक और सत्य है फिर उन्हें क्यु न माने ?
बुद्ध दर्शन को ही इस्लाम और ब्राह्मण ग्रँथों रूपांतरित किया गया था लेकिन हिन्दू और मुसलमान दोनों ही इसके लिए लड़ते रहते हैं। संस्कृत भाषा और देवनागरी लिपि का तो जन्म ही नहीं हुआ था।
Tumhare Knowledge ko..🙏😂😂..Wo Khud bol reh he..Ye Hindu Buddhist Knowledge he..Ur Charaka Sanhita, Panchatantra etc ka jikr he..Ur Thik Se Research kar lo..Bahot Sare Hindu Texts vi unke pehle Arabi me Anuvad ho chuka tha ..Ur Indian Texts Ko Uss bakt Tumhare terah dikha nehin jata tha..Ur Ye Sab Indian Culture (Sanatani Culture) ka Knowledge tha..Ur Tarka Sastra,Yudha Sastra, Medical Science etc ka Origin Kahan se tha ur Original Texts Ke barome thik se Study kar lo..Ur hn Ul-Biruni, Gaznavi ur Hindu Sahi King Jaipal kaun the Pata kar lena..
Sir जी मुझे तो आपके सारे शब्द समझ में आते है और दूसरों से अधिक स्पष्ट हैं, हो सकता है कमेंट करने वाले को उतना शब्द ज्ञान न हो आप बेहतर इसलिए भी हैं क्योंकि आप अपनी गलती भी स्वीकारते हैं जबकि गलती हो भी न तब भी।
हे मुनिवर!
ज्ञान संबंधित, किसी जाति धर्म का नहीं होता। सभी ज्ञान आदि ग्रंथों से
आई।यह ग्रंथ किसी जाति विशेष के लिए नहीं यह समस्त मानव के लिए हैं।
जब अनुयायियों ने उन ग्रंथों में फिलोसॉफी को डाला तौ अनेक दर्शन उत्पन्न हो गए।
चार्वाक बौद्ध जैन न्याय वेसेसिक अद्वैत वेदांत योग सांख्य उत्तर मीमांसा पूर्व मीमांसा ईत्यादि इत्यादि। लोग कन्फ्यूज हो गए।
ईश्वर ने इन्ही आदि ग्रंथों को समय समय पर अपने अवतार भेजे ,भिन्न भिन्न भाषाओं में इसी ज्ञान को फैलाया गया जो पुरे विश्व में फैला।
सारांश....
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई पारसी यहूदी और भी नाम हैं यह सभ्यताएं संस्कृतियां हैं जिनकी परंपराएं अलग अलग हैं यह धर्म नहीं हैं।
इन सब में से जो साधु संत फकीर विद्वान आध्यात्मिक से जुड़ जाते हैं वही सब का असली धर्म है। वे सब आपस में प्रेम करते हैं । असली ज्ञानी भी।
बाकी तौ सभ्यताओं संस्कृतियों की तारीफों में लढ़ते रहते हैं।😭💞🙏😂💞
@@HamaraAteet हे मुनिवर! आप का हृदय कोमल है।
सात्विक लोग छमा को बहुत पसंद करते हैं।आप पर ईश्वर की कृपा है।
मौलाना साहब से पूछिए...
आमंतु बिल्लाही .... मैं ईश्वर पर ईमान लाया,
Malaikatihi... सभी फरिश्तों ( देवताओं) पर ईमान लाया
वा कुतुबिही..... मैं सभी किताबों पर ( यानी 100 आदि ग्रंथों/सहीफों पर+4, टोटल 104 छोटी बड़ी सब) पर ईमान लाया ....
अगर सब पर ईमान लाए । तौ यह श्लोक / आयत ...
" जिस परमेश्वर से सम्पूर्ण प्राणियों की उत्पत्ति हुई है और जिस से यह समस्त जगत व्याप्त है उस परमेश्वर की अपने स्वाभाविक कर्मो द्वारा पूजा करके मनुष्य परम सिद्धि को प्राप्त हो जाता है। ( पवित्र गीता अध्याय 18:46,) यह shlok islamic भाषा में सहीफो से है।
इन sahifon पर ईमान nhi होगा तौ दीन की रूहानियत/ अध्यात्मिक केसे बताओगे ईश्वर की मखलूक को।
साथ साथ इसके यह पवित्र श्लोक सिर्फ हिंदुओं के लिए ही नहीं है।समस्त संसार के लोगों के लिए है।
साथ साथ उन से यह भी पूछिए कि
Al Quran sura Al Anam ayat 107,108 Ishwar ka aadesh है कि किसी की आस्था को बुरा न कहो।
हे मुनिवर! हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई पारसी यहूदी इत्यादि यह सभ्यताएं संस्कृतियां हैं जिनकी परंपराएं भिन भिन्न हैं। यह धर्म नहीं हैं। Location marking हैं पोस्टल addtesses हैं बस।
आध्यात्मिक होने पर सब एक ही धर्म के हो जाते हैं।
ईश्वर ने हमेशा हमेशा के लिए एक ही धर्म उतारा प्रलय तक एक ही रहेगा। सनातन धर्म/ दीन/ रिलीजन बोलने से हृदय भाषा नहीं बदलती। हृदय भाषा एक ही रहेगी।
हे मुनिवर! समस्त मोलानाओं की ओर से मैं chhama मांगता हूं यदि आप का दिल दुखा हो तौ छमा कर दीजिए ईश्वर के लिए ।💞🙏🤲💞
इमरान जी,आपको भी यदि "ज्ञानसागर" कह कर संबोधित किया जाय तो तनिक भी अन्यथा न लीजियेगा
@@IrfanAli-db6kb bhai kahana kya chahte ho short me bolo ye jo dharm shabd baar baar likh rahe ho iski jaankari hai ye kaha se aaya?....
Thanks is video ka leya
आप विद्वान जान पड़ते हैं। 🙏
धर्म का तात्पर्य कर्तव्य से है।
😊Excellent
Sir जी आप को मैंने खूब सुना आप की भाषाशैली अदभुत है समझाने का तरीका अनूठा है, आपका ज्ञान अन्य ऐतिहासिक विचारकों से बहुत अच्छा है,आप में जाति धर्म की बू नही है जो सच है सो है इसका ख्याल रख कर साहसपूर्ण प्रस्तुति देते हैं,आपके इस जज्बे को सलाम ।
इसी से मालूम होता है कि नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय का क्या महत्व था।🙏🙏🙏
संपूर्ण विश्व को ग्यान का प्रकाश देणे वाले भगवान बुद्ध को शत् शत् नमण
मुझे ऐसी किताब की तलाश है... जो स्पष्ट करे भारत मे जातीव्यवस्था कब और क्यू शुरु हुई. आप कुछ मदत करेंगे ऐसा मुझे लगता है... जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. 🙏🙏🙏
बौद्ध काल मे जम्बु द्वीप(अब का इंडिया) बहुत समृद्ध शक्तिशाली देश था मेगास्थनीज फाहीयान की किताबों से हमे उस काल की भव्यता का पता चलता है.बौद्ध काल के अस्त और ब्राह्मण धर्म के उदय के बाद देश खंडों मे बंट गया जिससे विदेशी हमलावर हमेशा जीतते रहे.
अलबरूनी की किताब व आपके बक्तबय के सुनने के बाद ऐसा लगता है कि अधिक तर धर्म बुद्ध धर्म के सिद्धांतों से ही जनमे है इसलिए बुद्ध धर्म ही भारतीय अन्य धर्मों की जननी है
जानकारी अच्छी लगी, ज्ञानवर्धक है, सब कुछ बौद्धों के आसपास ही रचा गया अध्यात्म दर्शन है। आप accademic के हित में अच्छा काम कर रहे हैं, आपको साधुवाद।
प्रधानमंत्री भी जब विदेश जाते हैं तो वहां यह कभी भी नहीं कहते,कि मैं राम , हनुमान, दुर्गा,काली, शंकर, कृष्ण की धरती से आया हूं, वहां हमेशा उनको बुद्ध ही याद आते हैं, विदेश में कहते हैं मैं बुद्ध की धरती से आया हूं। बुद्ध ही तब इज्जत बचाते हैं।
ब्राहमणवादि किस तरह झूठ बोलते थे. और झूूठ बोलकर बौद्ध मार्ग को खत्म कर रहे थे. ये किताब जीता जागता उदाहरण हैं.
बुद्ध के रास्ते से ही भारत विश्वगुरू बन सकता है।
साधारण जिज्ञासुओं को विभिन्न ग्रन्थों व पुस्तकों से भारतीय सन्दर्भ में परिचित कराने के लिए आदरणीय शिक्षक बन्धुवर को कोटि कोटि धन्यवाद🙏💕 बेहद की परमशान्ति🙏💕🎉
इन से इतिहास का पता चलता है उस समय की संस्कृति और स्थानों का पता चलता है लेखक पूर्वाग्रह से ग्रसित सभी रहते है लेकिन फिर भी इनसे मद्दत मिलती है इतिहास को जानने की।
सलाम सर, आप के ज्ञान की और इस काम की मेहनत के लिए आपको सलाम करता हूँ, सर आपने तो हमे १२०० वी सदी में ले गये, उस वक्त का भारत का प्परिचय कराया, वाह, मैं इतना तो जान ता हु, और बहुत पढ़ा है के भारतीय लोग बहुत ज्ञानी है, पूरे दुनिया में भारतियों का ज्ञान की तारीफ होतीं है, आप के मेहनत के लिए तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हु, आगे भी आप रोचक किताबो के बारे में ज्ञान दोगे ये उम्मीद करताहु, और एक बार शुक्रिया, मुंबई
बाचक महोदय आप के द्वारा जानकारी दी गई वास्तविक स्थिति की जानकारी देने के लिए धन्यवाद 🙏🙏🙏
बहुत बहुत धन्यवाद आपकों देश को सच दिखाने के लिए,
जिज्ञासु पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए आदरणीय शिक्षक बंधुवर को कोटि कोटि धन्यवाद🙏💕 बेहद की परमशान्ति🙏🎉
Pehli baar Ved padha,kaafi rochak jaankari hai.🙏❤️🌹
अलबरूनी की किताब से मालूम पडता है की देवि देवताओं की मूर्ती ब्राह्मणों की मन की कल्पना भर ही थी वास्तविकता का इससे कोई लेना देना नही था . यहाँ वर्णन हो रहा है , ब्राह्मण बता रहा है की कौन-सी मूर्ती कैसी होनी चाहिए अब इन मूर्तियों को बनाने के पिछे तर्क क्या रहता होता यह जानना बोहोत ज्यादा दिलचस्प है
Murti to sabse pehle budhho ne hi bnaya tha
History is always written by the winners.
मुसलमान को हर धर्म हर जाति हर् वर्ग का ज्ञान अपने मैं समाहित करने और उस पर अमल करने का श्रेय जाता है।लेकिन जिस समाज से मुस्लिमो ने ये ज्ञान लिया वह आज भी अंधकार मय जीवन जी रहे है इतनी ज्ञानपूर्ण पुस्तको के होते हुए भी आम समाज पाखंड और कर्मकांडी जीवन जी रहा है।ये सच है कि विद्वानों की किसी भी धर्म में कमी नही है।और मुस्लिम समाज आज उसे अपनाकर एक गौरवशाली जीवन व्यतीत कर रहा है।भगवान किसी एक के नही है। हर धर्म के लोग अपने अपने तरीके से पूजते है।हम सब निश्चित तौर से एक माता पिता की ही संतान है।सनातनी है,मुस्लिम है।
महोदय एक वीडियो बुद्ध धर्म के वारे में भी बनाने की कृपा करें धंयवाद
बुद्ध धर्म नहीं सनातन परंपरा है. बुद्ध गौतम के पूर्व भी और पश्चात् भी यह सतत् प्रवाह में है. हमें इस पर गर्व है.
सब ज्ञान भगवान बुद्ध का है🙏
उस समय सभी महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय नालन्दा ,तक्षशिला आदि बौद्धों की थी ।
सर बहुत महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं आप इसका पार्ट 2 और बना देंगे तो लोगों को और जानकारियां प्राप्त होगी
Sir aapne jo information di hai kaafi acchi hai.... Isse ye siddh hota hai ki aaj ke devi devta buddh se purane nahi hai
🙏🏼
आपकी मेहनत के लिए धन्यवाद। बहुत बढिया जानकारी दी है आपने। 🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
सभी कुछ सामने है,
देखने समझने की ही जरूरत है।
बहुत आवश्यक एवं अच्छी जानकारी दी आपने धन्यवाद
शंकराचार्य ने कहा कि ब्रम्ह का ज्ञानी चाहे जो कोई भी हो, वह गुरू योग्य है और वंदनीय है चाहे वह शूद्र हो या डोम।
ladki k liye kya likha hai sabme ye bhi batao
Hindu code Bill padho kya hai usme jo mila nahin tha womens ko.
आपने अल्बरूनी कि पुस्तक के सम्बन्ध में बहुत सुंदर जानकारीपूर्ण वीडियो बनाया है, इसके लिए साधुवाद। एक बात कमेंट्स को देखकर खटक रही है - यहाँ सनातन धर्म को नीचा दिखाने का पूरा प्रयास किया गया है। साथ ही बौद्ध धर्म को प्राचीनतम धर्म बताने का प्रयास किया गया है। ऐसा क्यों?
Aap Jo kah rahe hain Sar ji ine Baton Se Main sahmat Hun Kyunki Main Al birni ko Kuchh had Tak Padha yah Satya hai Shukriya
Bohat hi achchha Aap का gyaan Verdhak hai Aur bhasha she'll bohat behtar hai
Ishwar aapko sada swasth sukhi rakhe.
Dhanyvad
Thanks for your post for disclosing the truth...the thought tree..IAS RAS COACHING CENTRE JAIPUR RAJASTHAN INDIA DIRECTOR SHRAWAN YADAV ESPECIALLY FOR UPSC RPSC ASPIRANTS.
Sabhi मूलनिवासी बहुजनो जय भीम नमो बुधाय
Saari duniya me buddh hi Satya hai baki sub kalpanic hai namo buddhay Jai bhim Jai samvidhan Jai vigyan Jai bharat Jai mulnivasi 🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏
सैन्धव सभ्यता से नोमैड से सभ्य बने आर्यों के भारतआने के पहले हमारे यहाँ एक नगरीय कृषक एवं पशुपालक सभ्यता थी।जो आक्रामक नहीं थे।जिसके कारण या तो आर्यों के गुलाम बन गये या विस्थापित होकर विन्ध्य के पार से लेकर आष्ट्रेलिया तक फैल गये।
Very valuable and true facts have been narrated in this video. Alberuni was captured by Mahmood Ghazanavi in his aggression in kheev. Very Impressive knowledge of reality of history has been provided in this video. Thanks alot.
महोदय बहुत बहुत धन्यवाद अति सुंदर अभिव्यक्ति और रोचक विवरण व प्रस्तुती आभारी रहूँगा यदि आप उक्त का भाग दो भी अपने श्रोताओं के लिए प्रस्तुत करने की महती कृपा करें सादर सुखजिन्दर सिंह प्रधान मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान व प्रशिक्षण उत्तर प्रदेश
जानकारी के लिए धन्यवाद। इससे इतना पता चला की अल्बरूनी के समय तक हिंदू एकेश्वरवाद में विश्वास रखता था और गैर हिंदुओं/ विदेशियो को मलेच्छ कहता था। साथ ही, अपनी संस्कृति से इतना जुड़ा था कि मुल्ले उन्हें घमंडी कह कर अपनी तसल्ली करते थे।
बौद्ध भारत=विश्व गुरु भारत
लोगो को शिक्षित करने का काम अगर किसी ने किया है तो वो बौद्ध धम्म ने किया सबसे पहले उनके अलावा कोई ज्ञान नहीं देता था यही प्रमाण है की विश्व की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी भारत मैं ही थी जहा देश विदेश से पढ़ने के लिए आते थे और अभी लोग विदेश जा रहे पढ़ाई के लिए कितनी शर्म की बात है
बेरूनी किसी शहर का नाम नहीं । बेरूनी इस लिए कहा जाता है कि वह अरब नहीं था। ईरानी था। इस लिए अल ब्रूनी कहा जाता है। यानी बाहर वाला।
सुनने के बाद ऐसा लगता है कि जो कुछ भी हुआ है गौतम बुद्ध जीके बाद का ही है
बुद्ध का ही ज्ञान है ।बाकी सबने वहीं से लिया है ।हिंदू मुस्लिम इसाई सबने
ब्राह्मण धर्म मान्यतानुसार एंव वर्तमान में हिन्दू
मान्यतानुसार सबसे आखिर में लिखा गया तुलसीदास रचित रामायण , रामचरितमानस में
भी कही हिन्दू शब्द नही लिखा है ।जिसे ज्यादा
समय भी नही हुआ । फिर बार बार ये हिन्दू किसको कहा जा रहा है ? ब्राह्मणों द्वारा प्रचलित
ब्राह्मण धर्म ही तो था ।
Sanatan..Iran ke log Indians ko Hindu..Dharma ko Hindu Dharma Bolte the..
जो गीता का जिक्र आया हैं लगता है वो धम्म पद गीता का नाम हैं न की कृष्ण की गीता का नाम. क्योंकि अल्बरुनी की किताब मे कृष्ण का नाम भी नहीं आया हैं ये समय था तब बमन बौद्ध ग्रंथो मे मिलावट तथा बमणिकरन कर रहे थे.
101 परसेंट यही सही है अशोक सम्राट के बाढ़ के सारी कहानी बनाई गई और पढ़ ली गई और बुध को ही बदल करके धर्मशास्त्र बनाए गए नाम बदले गए डॉक्टरों को तीर्थों का नाम दिया गया 8.8 को हीरो है चार धाम मंदिर मंदिर देवी देवता सब गौतम बुध के विचारों को दूसरे रूप में परिवर्तित करके लिखा गया लिखा गया और दिखाया जा रहा है और लोगों को भ्रम में डालकर के शासन किया जा रहा है
असली नाम वासुदेव ही था।
Santan word toa bodh धर्म से churaya hua hai....ab btao देवनागरी लिपी कब पायी गयी?
Bahut khoob 👍👍👍 very nice description of the book.... 🙏🙏🙏
Very nice explanation with clear pronounciation, nice voice Sir jee, thankful.
Excellent instructive thanks
अलबेर्नी लेखक व भारतीय धार्मिक ग्रंथो का को अरबी में लिख कर इसलाम शासन के लिए जगह बना रहा था वह हिंदुओं की खासयित व कमजोरी पकड ली थी और भारत के ब्राह्मणों द्वारा कुरान और अरबों को बादशाहों कोनही पहचान सके आज तक भी खाली 99% वैसा ही है। धन्यवाद आचार्य डा० किशन लाल शर्मा ।।
भारत सहित पूरा एशिया बौद्धमय था,,
6टी शताब्दी में नंद वंश और मौर्य वंश थे ।नंदवंश k शासन में,सिर्फ जैन और बौद्ध धर्म थे ,हिंदू धर्म नाम की कोई शब्दावली नहीं थी,बौद्ध धर्म पाली मै लिखा गया।आर्य जो आज ब्राह्मण है अपना अस्तित्व खोज रहे थे, संस्कृत भाषा का उदय नहीं हुआ था।
मौर्यकाल मै भी चंद्रगुप्त ने जैन धर्म अपनाया,अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार किया।10राजा मौर्य हुए जिस मैं बौद्ध धर्म अपनी जमीनी हकीकत और पाखंडवाद रहित रूप मै शुद्ध धर्म था भारत का। 10वे मौर्य राजा को मारकर पुष्यमित्र शुंग राजा बना जो ब्राह्मण था थी से वर्णव्यवस्था बनी मूल निवासियो k अधिकार छीने और अशिक्षित बनाया । बौद्ध धर्म k ग्रंथों में मिलावट की और ब्राह्मण ने अपने को श्रेष्ठ बनाया।
Wow, totally Amazing. Enjoyed
आप की विडियो बहुत अच्छी लगी धन्यवाद प्रणाम आपको
Sanatan dharma ki jai hoo 🚩
HAR HAR MAHADEV 🚩 🙏
JAI HIND JAI BHARAT 🇮🇳
तमिलनाडु का *काँचीपुरम, मंदिर, पद्मनाभम मंदिर* आदी सारे 6000 मंदिर सातवी शती के जमाने में बड़े बौद्ध केंद्र थे। बुद्धिज्म के बड़े-बड़े स्काॅलर यहाँ से जुड़े थे।
राजकुमार बोधिधर्म काँची के थे। वे झेन बुद्धिज्म के संस्थापक थे। बुद्धिस्ट तर्कशास्त्री दिङ्नाग काँची के थे। नालंदा विहार के कुलपति धर्मपाल ने भी काँची में शिक्षा प्राप्त की थी। बुद्धघोष ने काँची के विहार, याने मोनेस्ट्री में वर्षावास किए थे।
तमिल के प्राचीन काव्य - ग्रंथ *मणिमेकलई और शिलप्पदिकारम* भी काँची को बौद्ध केंद्र होने का सबूत देते हैं।
सातवीं सदी में ह्वेनसांग काँचीपुरम गए थै, उनकेप्रवास वर्णन लिखता है कि यहाँ सैकड़ों बौद्ध विहार, याने शिक्षा केंद्र हैं, 10, 000 बौद्ध भिक्खु रहते हैं, सम्राट अशोक द्वारा बनवाए 100 फीट ऊँचा स्तूप है।
बिहार के कुर्कीहार की खुदाई में जो बौद्ध मूर्तियाँ मिली हैं, उन पर अभिलेख हैं, *अभिलेख बताते हैं कि अनेक बुद्ध मूर्तियाँ काँची के लोगों ने दान किए थे। मूर्तियाँ पाल कालीन हैं।* कांचीपुरम मे आज भी शिल्पकला जिवीत है..!
तेरहवीं सदी के यूरोपीय यात्री *मार्कोपोलो* ने काँची के निकट महाबलिपुरम में सप्त पैगोडा (चैत्य) देखे थे। 14 वीं सदी में जावा के कवि ने भी काँची में 13 बौद्ध मठ, मोनेस्ट्री होने का जिक्र किए हैं।
14 वीं सदी के एक कोरियाई अभिलेख में लिखा है कि 1370 में एक बुद्धिस्ट *ध्यान भद्र* काँची से कोरिया गए थे और वहाँ जाकर उन्होंने एक महायान बौद्ध मठ स्थापित किया। अभिलेख में यह भी है कि उन्होंने *धम्म सुत्त* की शिक्षा कांची बौध्द मठ में प्राप्त की थी।
8वी शती मे आदि शंकराचार्य ने इन बौध्द मठो पर कब्जा जमाया और इन स्थानो को चार शारदा पीठो का नाम दिया, कुछ छोटे विहारो को 12 जोतिर्लिग में बदल दिया..! परली बैजनाथ, महाराष्ट्र आदि जोतीर्लीग मंदिर के ऊपरी भाग में चार दिशा में चार बडी आकर्षक बुध्द मुर्तिया आज भी दिखाई देतीहै..!!
आज काँची बौद्ध केंद्र नहीं रहा। मगर बौद्ध मूर्तियाँ - स्तंभ - अभिलेख, प्रतीक आदि काँची में मिलते हैं। तस्वीरें काँची की हैं।
इन सारे मंदिरो के गर्भ मे पूजारी के अलावा किसी को जने नही दिया जाता, या मुर्ती के वस्र बदलते नक्त दरवाजे बंद किये जाते है.. कारण ब्राम्हण पुजारियो की पोल खुल जायेगी.! गर्भ गृह में टिमटीमाते दिये रखे जाते हैं और मुर्ती के उपर सोने- चांदी का मुकुट रखा जाता हैं कारण यह मुर्ती की पेहचान ना हो जाए..! असल मे ये सारी मुर्तीया बुध्द की ही है..! इन मुर्तीयो को दरवाजे बंद कर के साडी वस्र पेहनाए जाते है..! भक्तो के समक्ष क्यो नही..?? गर्भ गृह मे रोषणी क्यो नही होती..??
कुछ मुर्तीयातो पेंट, चंदन लेप लगाकर विद्रुप कि गयी है..!
अंदर के फोटो लेने पर भी रोक लगाई जाती है..??सत्य खो इस तरह आम आदमी से दो हजार वर्ष से क्यो छुपाया गया है..? जिन जनता के दान पर अब्जो खरबों की संपत्ति छुपाई गयी है..??
अंध भक्तो के अज्ञान सेया मुर्खता से यह मंदिरो का झुटा कारोबार चल रहा हैं..!
सम्राट हर्ष वर्धन से ले कर सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक के नववंशो ने बनाने 84,000 बौध्दविहार,चैत्य, शिलालेख, गुफाए और तो और नालंदा, तक्षशिला, उज्जनी, वल्लभी आदि 19 बुध्दिष्ट विश्वविद्यालय कहा गए इन का ज्ञान किस ने चुरा कर ७/८वी शती मे वेद, पुराण, महाभारत, रामायण किस ने लिखे..? इस की खोज करो..!!
सत्य परेशान हो सकता है मगर पराजित नही.. सत्य मेव जयते..!!
*ब्राम्हणी हिंदु धर्म एक संघटीत धंधा हैं पढ़ा लिखा भी अंधा है..!* यह केवल झु़ंड का झुट का पुलिंदा हे..!
इन के मुर्खता के उपर ही वैदिकी ब्राम्हणी हिंदु धर्म टिका है..??
*गर्व से कहो हम मुर्ख नही.... महा मुर्ख है..!*
Thanks Sir ( गुरुवर्य )
Dear Hamara Ateet sir ji good evening aap ko dil se Abhaar 🙏 🙏
गौतम बुद्ध के पहिले बुद्ध पर video बनाए pls
काश हमारे पूर्वज जो हिंदू खुद को बताते थे इन्होंने सच्चे बौद्ध धम्म को उजागर किया होता तो यह आज हमे यह दिन सुनने को n मिलता क्या आज भी हम हिदू एक हैं क्या आज हमारी सामाजिक धार्मिक आर्थिक स्थिति ठीक है जो ज्ञान का डंका हजारों साल पहले बजता था क्या आज बजता है यह एक विचार करने योग्य बात है।
Right ,hmare asali dharm baudh hai ,aj bhi bharat ki phchan budh hi hai.PM VIDESH jate hai to kahate hai budh ki dharati se aya hoo or samman pate hai lakin desh mai ate hi budh ko mitane ka abhiyan or Ram ko isthapit karne ka kaam karte hai.
Ye bodhi sanatan bodh se pahle tha.
महात्मा बुद्ध ने बहुत शांति फैलाई आज उनके जैसे ही महापुरुष की जरूरत है विश्व को। लेकिन हमे ये भी नही भूलना चाहिए की वो शांति ऐसी फैली की हम हारते चले गये। जापान ने एक अलग तरीके का बौद्ध धर्म अपनाया इसलिए वो हारे नहीं। लेकिन वो असली बौद्ध से दूर मालूम होते है
महोदय मेरा मानना है जो भी पुराने लेखक हुए है वह अपने शासक को वाहवाही बहुत करते थे।। मैं यहां किसी धर्म विशेष की बुराई नही कर रहा।और अलबरूनी जिस मुस्लिम शासक के साथ आया था और धर्म को जानता था उसी के अनुसार किताब लिखी होगी। वह खुद मुस्लिम था इसलिए उसे मुस्लिम धर्म ही महान लगता होगा।। जैसे कि कई हिन्दू लेखकों को हिन्दू धर्म महान लगता था। बेशक किताब से बहुत सी जानकारी इतिहास की मिलती है लेकिन इन्होंने जानबूझकर सिर्फ गलत बातों पर फोकस किया है।। पृथ्वीराज की आत्मकथा जिन्होंने लिखी है उन्होंने पृथ्वीराज की वाहबाही की है और गौरी की आत्मकथा वाले लेखक ने गौरी की।। इसलिए अगर लोग दूसरे धर्मों की बुराई सुनने के लिए ये वीडियो देख रहे है तो गलत बात है।।क्योकी लेखको की किताबे कई पूर्वग्रहो से घीरी होती है।। मुस्लिम लेखक मुस्लिमो की बुराई नही करता था ।हिन्दू लेखक हिंदुओ की बुराई नही करता था।।लेकिन कमेंट बॉक्स में मुस्लिम हिन्दू ओ की गलत प्रथाओं की बुराई कर रहे है और मुस्लिमो को खुद की गलत प्रथाएं नही दिखती।।लेकिन कमेंट में हिंदु खुद की प्रथाओं की बुराई कर रहे है और दूसरे धर्म को विल्कुल गलत नही बोल रहे है।।
गलत सिर्फ गलत है चाहे वो किसी भी धर्म देश के बारे में हो बुराई देखने में कुछ बुराई नहीं है बशर्ते वोह शुरू खुद के,खुद के धर्म से , खुद की जाति से शुरू हो
बिल्कुल सही कहा आपने आशिष त्रिपाठी जी।👍
आप इस बात पर सही हो सकते हैं कि जो पुराने कवि और लेखक थे वे अपने-अपने राजा या महाराजा की ही प्रशंसा करते थे परंतु कहीं ना कहीं दूसरी सब बताएं संस्कृति का भी जिक्र करते और अलबरुनी ने जो भारत में देखा उसमें कहीं पर भी भारतीय महाकाव्यों का और रामकृष्ण का जिक्र ना हो ना कहीं ना कहीं कुछ प्रश्न खड़े कर देता है
Great Knowledge very nice 👍👍👍👍
अल्बर्टा की पुस्तक की जानकारी के लिए धन्यवाद
आपसे आग्रह है कि आप पूर्ण सिरीज बनाए।
Dear sir, I have learned a lot from you. Being a scholar you must know production of new ideas isn't isolated process, it's interconnected process. We learn from each other. Saying that Muslims doest produce on their own it would be much exaggeration. They learn from India and Greeks, west learn from Arabs. China learn from India. India learn from West. Why this self obsession?
ब्रम्ह ज्ञान ब्रम्हांड दर्शन अनादीकाल की आवाज है , वह मानव देह के साथ मानवी जीवन में सुदृढता निर्माण करने का काम कर रही है !
कुरआन हाफ़िज़ को पूरा कुरआन पूरा-पूरा याद होता है और १४४४ वर्ष से यह काम पूरे विश्व में हो रहा है। तथा पवित्र क़ुरआन की सुरक्षा की जिम्मेदारी अल्लाह ने स्वयं ली है।
हमारे देश की छोटी छोटी रियासतों के अपने अपने भाट, चारण और कवि हुआ करते थे जिनको राज सहायता प्राप्त हुआ करती थी। इन भाट, चारण और कवियों का उस राजा के पक्ष में अतिसंयोक्ति पूर्ण विवरण दर्ज करने में बहुत महारत हासिल थी। ठीक उसी तरह जैसे आज के कवि गण और मीडिया शासन के अतिषयोक्ति पूर्ण प्रशस्तिगान में मास्टर होते हैं। यह अतिसंयोक्ति पूर्ण विवरण कालांतर में पीढीयों तक भोले भाले लोगों को भ्रमित किए रहता है। हमारे यहां इतिहास पर सीरियस रिसर्च का भी अभाव रहने के कारण हमें हमारे इतिहास को चीन, अरब और मिडिल ईस्ट से आयात करना पड़ रहा है।
बहुत अच्छा ऐतिहासिक विवरण है
Jawaharl Neheru 's "Discovery of India " name is very similar to Alberuni's book. Isn't it?!
मुझे बस ये जानना है की हिंदू शब्द कब पैदा हुआ,,क्यों की आप बार बार हिंदू शब्द का प्रयोग कर रहे है वो भी आज से लगभग 1000 साल पहले
बहुत अच्छा ज्ञान दिया आप ने आप की जय हो
लेकिन किसि भी घुमाने आने वाले पर इतना विश्वाश क्यु और कैसे कर लें ?हमारे यहां ऐसे महापुरूषों ने जो लिखा है ,गणित लगाया है कहीं इन बिदेशियो से सटीक और सत्य है फिर उन्हें क्यु न माने ?
बहुत बहुत धन्यावाद साधुवाद 🎉🎉🎉🎉🎉🎉
बुद्ध दर्शन को ही इस्लाम और ब्राह्मण ग्रँथों रूपांतरित किया गया था लेकिन हिन्दू और मुसलमान दोनों ही इसके लिए लड़ते रहते हैं। संस्कृत भाषा और देवनागरी लिपि का तो जन्म ही नहीं हुआ था।
सोमनाथ मंदिर गजनी लूटा था इसलिए कि मन्दिरवादी लोग मूर्खतापूर्ण कार्यों में लिप्त थे। गजनी वास्तव में सच्चे विद्वानों का बड़ा सम्मान करता था।
हिन्दू शब्द ही फारसी शब्द है।
Bharat originally ek budhist region hi tha. Budhism ke baad Islam aya aur saath saath brahman dharm develop hua.
Real unbelievable knowledge salute sir
Good stream. It has valuable information. Keep it up. Thanks.
धन्यबाद सर जानकार देने के लिऐ 🙏
हमारे पुर्वज बौध थे।
जो तुम सनातनी सनातनी करते हो ( जो झूठ है ) वह वारहमनवाद है। जो एक नई धर्म है। जो शैव वैष्णव और शाक्त धर्म हो कर यहां तक पहुंची है
Buddh Buddh.. Namo Buddhaye
15:00 साफ साफ बुद्ध विद्वानो ,ओर बुद्ध ग्रंथो का जीक्र आ रहा है,ओर आप क्या हिंदू धर्म का ज्ञान बता रहे हो,हद है 🤔
Tumhare Knowledge ko..🙏😂😂..Wo Khud bol reh he..Ye Hindu Buddhist Knowledge he..Ur Charaka Sanhita, Panchatantra etc ka jikr he..Ur Thik Se Research kar lo..Bahot Sare Hindu Texts vi unke pehle Arabi me Anuvad ho chuka tha ..Ur Indian Texts Ko Uss bakt Tumhare terah dikha nehin jata tha..Ur Ye Sab Indian Culture (Sanatani Culture) ka Knowledge tha..Ur Tarka Sastra,Yudha Sastra, Medical Science etc ka Origin Kahan se tha ur Original Texts Ke barome thik se Study kar lo..Ur hn Ul-Biruni, Gaznavi ur Hindu Sahi King Jaipal kaun the Pata kar lena..
Bahut khubsurat.Keep walking. Warm regards.
जानकारी ठिक होगी प्रयास ठिक था लेकिन जैसे तथागत गौतम बुद्ध ने २५००० वर्ष पहले ही कहा था सत्य और सुरज जादा देर नहीं चुपता
Sir very insightful narrative of the days of al. Beruni,please bring out more details in more volumes regards sukhjinder singh
Sir जी मुझे तो आपके सारे शब्द समझ में आते है और दूसरों से अधिक स्पष्ट हैं, हो सकता है कमेंट करने वाले को उतना शब्द ज्ञान न हो आप बेहतर इसलिए भी हैं क्योंकि आप अपनी गलती भी स्वीकारते हैं जबकि गलती हो भी न तब भी।
Khup chhan 🥦🥦♥️🥦🥦
Thanks for informing about History
बुद्धा ही सही है
वेद पूराण सभी ब्राह्मण साहित्य, तेरहवीं चौदहवीं सदी के बाद लिखें गए हैं
Very well and balanced explanation of book . ❤
Very Nice sir❤💯
Namo buddha❤🙏🙏🙏
अच्छा प्रस्तुतीकरण है। 👍
Great knowledgeable video.
Thank you.
Great work sirji, keep it up
सनातानियो के पास कोणसा अपना ज्ञान अपना दर्शन था, बता सकते है....
Bahut sundar