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Class 8.44। कर्म बन्ध विज्ञान - मोह कर्म Max कितने समय के लिए बन्ध सकता है सूत्र 14,15

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  • Опубліковано 7 лип 2024
  • Class 8.44 summary
    कर्म बन्ध के प्रकरण में आज हमने स्थिति बन्ध समझा
    इसका अर्थ है -
    कर्म आत्मा में कितने समय के लिए बंधा?
    उसमें कितना time set हुआ?
    हमारा जीवन तो 100-50 वर्षों का है
    पर कर्मों के स्थिति बन्ध असंख्यात वर्षों के पड़े हुए हैं
    और अब भी हम असंख्यात वर्षों के बन्ध कर रहे हैं
    स्थिति बन्ध एक तरह से अशुभ माना जाता हैं।
    स्थिति बन्ध में हमने इसकी unit
    सागरोपम और पल्य को समझा।
    ये दोनों ही बहुत बड़े-
    असंख्यात वर्षों के काल के मापक हैं।
    पल्य छोटा, और सागर उससे बहुत बड़ा है।
    और एक करोड़ को एक करोड़ से गुणा करने पर कोड़ा-कोड़ी बनता है।
    सागरोपम की स्थितियों वाले कर्म बन्धते हैं
    यह बहुत बड़ी चीज है।
    कर्मों का maximum time limit के लिए आत्मा में bonding होना
    उसकी ‘परा’ यानि ‘उत्कृष्ट स्थिति’ होती है
    यह नियम से संज्ञी, पंचेन्द्रिय, पर्याप्तक के
    उत्कृष्ट संक्लेश के साथ ही होता है।
    यानि ये हमें हो सकता है।
    एकेन्द्रिय, दो-इन्द्रिय आदि उत्कृष्ट स्थिति नहीं बाँध सकते।
    भावों की अपेक्षा मिथ्यादृष्टि ही उत्कृष्ट बन्ध करता है
    सम्यग्दृष्टि नहीं
    क्योंकि उत्कृष्ट संक्लेश मिथ्यादृष्टि के ही होता है।
    अपर्याप्तक संज्ञी पंचेन्द्रिय में
    सभी कर्मों का उत्कृष्ट स्थिति बन्ध
    पर्याप्तक संज्ञी पंचेन्द्रिय से पल्य का असंख्यातवाँ भाग कम होगा
    यानि पल्य के असंख्यात हिस्सों में से एक हिस्सा प्रमाण कम
    ज्ञानावरण, दर्शनावरण, असाता वेदनीय और अन्तराय
    कर्मों की उत्कृष्ट स्थिति तीस कोड़ा-कोड़ी सागर प्रमाण है
    यानि उत्कृष्ट संक्लेश के साथ बांधे हुए ये चारों कर्म,
    तीस कोड़ा-कोड़ी सागर तक हमारे साथ बंधे रह सकते हैं।
    साता वेदनीय का उत्कृष्ट स्थिति बन्ध पन्द्रह कोड़ा-कोड़ी सागर है।
    इन ज्ञानावरण आदि चारों कर्मों की उत्कृष्ट स्थिति
    एकेन्द्रिय में - एक सागर के सात भाग में से तीन भाग प्रमाण अर्थात् 3/7 सागर (तीन बटा सात = 3 up on 7)
    दो इन्द्रिय में - एकेन्द्रिय से 25 गुना= 25 अधिक 3/7 सागर (25 सही 3 बटे 7 =25 3/7)
    तीन इन्द्रिय में - एकेन्द्रिय से 50 गुना= 50 अधिक 3/7 सागर (50 सही 3 बटे 7= 50 3/7)
    4 इन्द्रिय में - एकेन्द्रिय से 100 गुना= 100 अधिक 3/7 सागर (100 सही 3 बटे 7= 100 3/7)
    और असंज्ञी पंचेन्द्रिय में- एकेन्द्रिय से 1000 गुना= 1000 अधिक 3/7 सागर (1000 सही 3/7 सागर= 1000 3/7) होती है।
    मोहनीय कर्म सबसे बड़ा है
    इसका स्थिति बन्ध सबसे अधिक होता है -
    सत्तर कोड़ा-कोड़ी सागर
    यह मिथ्यात्व नाम के दर्शन मोहनीय कर्म का होता है।
    अर्थात् मोहनीय - मतलब मिथ्यात्व का उत्कृष्ट स्थिति बन्ध सर्वाधिक है।
    और चारित्रमोहनीय कर्म की उत्कृष्ट स्थिति है
    चालीस कोड़ा-कोड़ी सागर
    वहीं, मोहनीय का उत्कृष्ट स्थिति बन्ध
    एकेन्द्रिय में एक सागर,
    दो इन्द्रिय में पच्चीस सागर,
    तीन इन्द्रिय में पचास सागर,
    चार इन्द्रिय में सौ सागर
    और असंज्ञी पंचेन्द्रिय में एक हजार सागर होता है।
    नाम और गोत्र कर्म की उत्कृष्ट स्थिति
    20 कोड़ा-कोड़ी सागर है
    यह - एकेन्द्रिय में एक सागर के सात भाग में से दो भाग अर्थात् 2/7 सागर
    दो इन्द्रिय में 25 सागर अधिक 2/7 सागर
    तीन इन्द्रिय में 50 सागर अधिक 2/7 सागर
    चार इन्द्रिय में 100 सागर अधिक 2/7 सागर
    और असंज्ञी पंचेन्द्रिय में 1000 सागर अधिक 2/7 सागर होती है।
    कर्मों के उत्कृष्ट स्थिति बन्ध
    हमेशा असंख्यात वर्षों की स्थिति को लिए,
    निरन्तर बन्धते रहते हैं।
    शुभ लेश्या वाले और सम्यग्दृष्टि जीव को भी
    यह बन्ध अन्तः कोड़ा-कोड़ी सागर तो अवश्य होता ही है।
    ‘अन्तः’ मतलब अन्दर,
    कोड़ा-कोड़ी सागर के भीतर
    मतलब एक करोड़ से लेकर एक कोड़ा-कोड़ी सागर के बीच तक का बन्ध।
    ये सब बन्ध नियम से होते रहते हैं
    क्षपक श्रेणी में भी!
    दसवें गुणस्थान तक भी!
    हमें इनका अनुभव नहीं होता।
    केवल इन सूत्रों के माध्यम से श्रद्धान होता है।
    हमारे संज्ञान में केवल आयु कर्म आता है।
    Tattwarthsutra Website: ttv.arham.yoga/

КОМЕНТАРІ • 21

  • @sandhyakhadke3218
    @sandhyakhadke3218 Місяць тому

    Namostu Gurudev Namostu Gurudev Namostu Gurudev 🙏🙏🙏

  • @TanusTips
    @TanusTips Місяць тому +1

    नमोस्तु गुरूदेव आचार्य श्री जी की जय हो 🙏🙏🙏🙏🙏

  • @ashishjain48578
    @ashishjain48578 Місяць тому

    नमोस्तु गुरूदेव।

  • @free.fire.ind.gamer7
    @free.fire.ind.gamer7 21 день тому

    संत नहीं है ऐ भगवान है मेरे प्रभु मुनि महाराज जी नमस्तु महारज नमस्तु महाराज नमस्तु महाराज 🙏🙏🙏

  • @prabhajain6878
    @prabhajain6878 Місяць тому

    संत शिरोमणि आचार्य गुरुदेव श्री विद्यासागर महाराज की जय जय जय🙏💖🙏💖🙏💖 अर्हं योग प्रणेता पूज्य गुरुदेव श्री प्रणम्यसागर महाराज की जय जय जय 🙏💖🙏💖🙏💖

  • @manjujain6570
    @manjujain6570 Місяць тому

    नमोस्तु गुरु देव जी

  • @user-ud7lh4tu8q
    @user-ud7lh4tu8q Місяць тому

    Namostu namostu namostu gurudev

  • @manjujain1039
    @manjujain1039 Місяць тому

    Namostu guru dev Namostu 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

  • @anjujain3552
    @anjujain3552 22 дні тому

    Namostu gurudev 🙏🙏🙏

  • @akshayjain9348
    @akshayjain9348 Місяць тому

    Namostu guruvar

  • @manjushashah5597
    @manjushashah5597 Місяць тому

    Namostu gurudev

  • @ruchijain5462
    @ruchijain5462 21 день тому

    Jai jinender ji 🙏

  • @ruchijain5462
    @ruchijain5462 Місяць тому

    Jai ho gurudev😊😊

  • @indraniab1106
    @indraniab1106 Місяць тому

    Nomostu gurudev.

  • @vinayjain4748
    @vinayjain4748 Місяць тому

    Namostu guruver bhagwan

  • @rahulgodha3428
    @rahulgodha3428 Місяць тому

    Kathin topic

  • @vinayjain4748
    @vinayjain4748 Місяць тому

    Answer 3.. utkrasth

  • @ManjuJain-n8n
    @ManjuJain-n8n Місяць тому

    Namostu gurudev

  • @kalpanashah1688
    @kalpanashah1688 Місяць тому

    Namostu gurudev

  • @kalpanashah1688
    @kalpanashah1688 Місяць тому

    Namostu gurudev

  • @SuvratJainDL
    @SuvratJainDL Місяць тому

    Namostu gurudev