मेरा प्रश्न यह है की ऐसा ज्ञानि पुरुष अपनी रोटी पानी का प्रबंध कैसे करता है ? रोटी कपड़ा और मकान यह तीन इन्सान की मूलभूत जरूरते है चलिए मान लेते है इसमे से ज्ञानी पुरुष ने कपड़े का त्याग कर दिया मकान का भी त्याग कर दिया लेकिन भोजन का त्याग तो वो नहीं कर सकता इसके लिए तो उसे कुछ काम करना पड़ेगा और काम करने वाले को कपड़े और मकान की भी जरूरत पड़ेगी। ऐसे में ज्ञानी पुरुष क्या करता है, कैसे रहता है ???
ज्ञानी सब कार्य करता है किन्तु उसमें कर्तापन का अभाव होता है. इसलिये ऐसे महापुरुष आसानी से समझ में नहीं आते हैं l यदि उनके साथ कुछ समय व्यतीत किया जाए तो ही उन्हें पहचाना जा सकता है l()
જય ગુરુદેવ નમન સાદર વંદન પ્રણામ.
गीता तथा अष्टावक्र गीता को गांधी जी ने समझने और अपने व्यवहार में/ आचरण में उतारने का पूरा प्रयास किया
आपके इस प्रयास के लिए आपका हृदय से आभार, धन्यवाद, शुक्रिया।आप और सभी स्वस्थ, प्रसन्नचित्त रहें और आत्मिक उन्नति को प्राप्त करें तहेदिल से ये दुआ है।
Thanks subh gyan
❤️🙏
सुंदर,सरल, तरीके से अदभुत विश्लेषण
Sriman, Muni Astavakra ji ke gyan ka prasaaran ke liye dhanyavaad. 🙏
Excellent explanation ❤
Pranam। Sansaar। Ki। Santi। Ka। Gyan,
Good effort by you
Many thanks 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
संसार खतम हो जाए तो क्या पेट भी खतम हो जाएगा ? पेट भरने के लिए भिक्षा मांग कर खाना क्या गुलामी नहीं है ?
मेरा प्रश्न यह है की ऐसा ज्ञानि पुरुष अपनी रोटी पानी का प्रबंध कैसे करता है ? रोटी कपड़ा और मकान यह तीन इन्सान की मूलभूत जरूरते है चलिए मान लेते है इसमे से ज्ञानी पुरुष ने कपड़े का त्याग कर दिया मकान का भी त्याग कर दिया लेकिन भोजन का त्याग तो वो नहीं कर सकता इसके लिए तो उसे कुछ काम करना पड़ेगा और काम करने वाले को कपड़े और मकान की भी जरूरत पड़ेगी। ऐसे में ज्ञानी पुरुष क्या करता है, कैसे रहता है ???
ज्ञानी सब कार्य करता है किन्तु उसमें कर्तापन का अभाव होता है. इसलिये ऐसे महापुरुष आसानी से समझ में नहीं आते हैं l यदि उनके साथ कुछ समय व्यतीत किया जाए तो ही उन्हें पहचाना जा सकता है l()
Kuch aur jyada details hona chahiye tha