ईश्वरीय सत्ता = (चैतन्य + चैतन्य से, चैतन्य की इच्छा से उत्पन्न हो कर उसकी इच्छा के अनुरूप कार्य करने वाली त्रिगुणात्मक शक्ति, के नामकरण वाली प्रकृति! ) इच्छा से मन के निर्माण में तीन अवस्थाओं का वर्णन पढ़ने में आता है, महत तत्व, अहंम तत्व, और चित तत्व ! प्रकृति के तीन गुण हैं सतोगुण, रजोगुण, तमोगुण। ऐसा सुनने में आया है।
Sacrosanct Episode-Hearing time and again will ameliorate the toxic mind - no need to lecture others - better to practice ourselves - Jai Ho Lord Krishna-Bhagwat Geeta is a scientific scripture. Hara Krishna Hara Krishna Krishna Krishna Hara Hara Hara Rama Hara Rama Rama Rama Hara Hara. Excellent Episode - Lord Krishna is benevolent and kind to everyone.
Very beautiful exposition of Vivek Chudamani. Be blessed to present more such other writings of Bhagwan Adi Shankara in simply beautiful language. Thank you profusely.
शंकराचार्य व वेद-वेदांतिकों की कुछ तथता :- > अहं ब्रह्मास्मि का गुबार लिए भज गोविंदं मूढमते पर आ गये, भक्त बन गये या भक्ति-मुक्ति की बतियायी करने लगे, और अपनी मूढता खुद ही बता गये; सो वेद वेदांती शंकराचार्य व तथा भक्तों की वास्तविकता है यह जानें। दुसरे शब्दों में, अनित्य धरमी कालात्म अहंपिंड में काल दुख अवधूनन के साथ मीठा मरणा या निरवाण पथ समझने के बजाय, ये वेद-वेदांती विचार क्षेपित अहं ब्रह्मास्मि के कल्पना रमण में उलझ गये। > सर्व ब्रह्म या अन्न ब्रह्म है कहते हुए कब टट्टी ब्रह्म है कह गये इन्हें पता ही नहीं चला। > स्त्रियों एवं आम जनों के प्रति हीनभाव का मैल इनके मन में भरा हुआ है, जिसकी इन्हें कोई परवाह नहीं, उल्टे गर्व है। > नाम-रूप या विचार-तृष्णा या काल-भव सत, बोधि या शुन्यता या कालातीत सत, व निरवाणिक या परम सत, इन मूलतः अलग जीवन स्तरों की समझ के साथ, नाम-रूप घट-पिंड में अलख संग्यान अर अनित्य बोध सूं बोधि जागरण व काल दुख अंत गामिता का इन्हें कोई अता-पता नहीं। विचार के बल नित्य आत्मा, परमात्मा, ईश्वर, अल्लाह आदि के नाम पर मनमुखी अहंतोषी कल्पना रमण यह जीवन दरसण नहीं है, तत्तग्यान (तत्वज्ञान) की समझ नहीं है। > वैदिक वर्णाश्रमी धरमनाम परंपरा यह प्रत्यक्ष रूप से लोक-परलोक आस कालांध धरमनाम धंधा परंपरा है, इसे वैदिक-धंधा कहे सम्यक है, सनातन नहीं। सनातन शब्द चारों वेदों को पता भी नहीं है। सनंतन सनातन यह शब्द बुद्ध का काॅइन व व्याख्यायित किया हुआ है। बुद्ध गोरख जिद्दू जैसे महासिद्ध सनातन धम की बात सम्यकता से करते हैं। > आगे यह भी समझे कि, वेदांत की बातें थोड़े में कहनेवाला अष्टावक्र नाम का व्यक्ति कभी प्रत्यक्ष था यह doubtful है, और शरीर से अपाहिज (crippled) था या नहीं यह अलग बात है। आगे, अष्टावक्र शरीर से अपाहिज था तो भी ऐसी बूरी बात नहीं। अष्टावक्र मन से अपाहिज था, जो मानसिक विकृति है। या जिसने भी अष्टावक्र यह पात्र पैदा किया व उसके मुंह में मिनी वेदांत कही जाने वाली अष्टावक्र गीता लिखी, वह मन से अपाहिज था, crippled था। राजा जनक एक सिद्ध पुरुष थे ऐसा कहा जाता है। यह मनमुखी अष्टावक्र उसी की इमेज को प्रदुषित करने व वेद-वेदांतिक अहं ब्रह्मा की अहंतोषी बातें चलाने की तिकड़म है। > अष्टावक्र गीता में अपनी नित्य अमर आत्मा की मान्यता को देखते हुए जैन परंपरा वाले उसे चाव से चबाते दिखाई दे आश्चर्य नहीं। यह खूब समझे कि अहं के लिए कुदरतन, भले अहं किसी भी रूप में हो, भव ही संभव है, निरवाण या मोक्ष मुक्ति नहीं। निरवाणिक सत या परम सत वस्तुतः नाम-रूप सत तथा द्वैत-अद्वैत विचार व शुन्यता/बोधि सत के भी परे हैं: और निरवाणिक या परम सत के बारे में कोई भी बात मनमुखी या बतियाई से ज्यादा नहीं होती। नीचे की गोरख सबदी इन अष्टावक्र व वेद-वेदांतियों की असलियत थोड़े शब्दों में सटीकता से बयान करती है - सबद ही में कहे ब्रह्म, मनसा नहि साधै, ते जोगी मन मनसा कदे नहि बांधै | भणत गोरषनाथ मछंद्र का पूता, ये नये ग्यानी भगत घणे बिगूता ||३१०|| They prate about Brahma in words, but don’t learn about desire, those yogis can’t contain their mind and desires. Gorakhnath, son of Macchindra, says, these strange scholars and bhaktas are much fouled. (310)
सनातन समुद्र की एक पवित्र बूंद, आदि शंकराचार्य जी ने अपने समय के समस्त विद्वानों को, अपनी व्यापक और मूल दर्शन की व्याख्या से स्तब्ध कर दिया है। आजतक , उनकी बातें अखंडित और समयातीत हैं। (आत्मा), समस्त ब्रह्माण्ड और उसके उद्देश्य की encyclopaedia है।
यह प्रश्न जिस मन को आवश्यक लग रहा है वह भी उन्हीं पद प्रतिष्ठा को महत्त्व दे रहा है अन्यथा इस विषय का विचार भी उदित नहीं होता। अतः पहले अपने इस प्रकार के प्रश्नोँ के विलोपित होने का उचित साधन करना चाहिए।
वेद पुराण। गीता कुरान वाइवल उपनिषद विवेक चूणामणि कवीर बीजक कवीर सागर जैसे तमाम धर्म ग्रन्थों को गुरु सानिध्य मे मैं नेभी बहुत वर्षों तक समर्पण भाव से अध्ययन किया सुना समझा सीखा लेकिन आत्मा का ग्यान समझ में नहींआया जब गुरु ग्यान धर्म ग्रन्थों के पाण्डित्य से अलग हुए तव परमात्मा की कृपा से ही पर मात्मा की कुछ हल्की सी पहचान हुईऔर वो यह। कि परमात्मा प़च कोश एवं सूक्ष्म स्थूल कारण महाकारण कैवल्य शरीर बृह्म परवृहम पूर्ण वृह्म से परे अग्यात निकर्म नितत्व अजन्मा है।धन्यवाद जी
आत्मा अचिन्त्य है इसलिए वह चिंतन का विषय नहीं है। अर्थात चिंतन से नहीं जाना जा सकता। वह निर्विकार है इसलिए निर्विकार होकर ही जाना जा सकता है। वह अनंत है इसलिए अनंत अर्थात आत्मा होकर ही आत्म का या परमात्म का दर्शन हो सकता है। क्यूंकि ईश्वर भी अनंत हैं। वेद उपनिषद आदि धर्मग्रंथ ब्रह्म को सत्य और जगत को मिथ्या साबित करने के लिए हैं आत्म को जानने के लिए उस विचार का भी त्याग करना पड़ता है जिससे आत्म को जाना जाता है। इसलिए कहा वह कि अचिन्त्य है। जहां चिंतन समाप्त हो जाये। भाव शून्य। विचार शून्य। चिंतन शून्य। अहं शून्य अवस्था ही आत्मज्ञान की अवस्था है।
मैने बहुत कुछ पढ़ा जाना और समझा है और मेरा नतीजा ये है कि किसी को कुछ भी पता नहीं है सत्य के बारे मे और इस ब्रह्मांड की पेचिदगी के बारे मे l धरती के तेज बुद्धि वाले करोडो इंसानो की बुद्धि को मिला दें तो फिर जो बहुत बड़ी बुद्धि बनेगी वो भी इस ब्रह्मांड के सत्य और पेचिदगी को नहीं सुलझा पायेगी l तो सच ये है कि किसी को कुछ नहीं है पता मुझको बस यही है पता l
Kripaluji mahraj ji ke videos suno unhone samast bharatvarsh ke samast vidwano ko hara original 5th declared jagadguru ki post payi kashi vidwat parishad dwara saath mein bhakti yoga rasavtar ki upadhi bhi payi samast prasno ke uttar milega
सर जी मुक्ति किसकी होती है? अगर मैं आत्मा हूं तो मैं तो सदैव मुक्त ही हूं , और न ही मुझे मोक्ष की जरूरत है। अगर मैं जीव हूं तो फिर आत्मा की उपाधि क्यूं मिली है मुझे। जीव भी अकारण नहीं हो सकता , हा मेरा चुनाव अगर जीव बनने का हो तो मुझे करोड़ों जन्म मुक्ति न मिले। परंतु मैं भगवान आत्मा ,मन बुद्धि चित्त अहंकार सहित या असहित मुक्त और अमुक्त से परे और शाश्वत रहूंगा । सिर्फ लीला वस उपाधि ले लेने का कारण है।
Koli Yug Me 2.30 hours Probochyan Sunya Ka Kitna Percent Hai? Bahut bahut dhanyawad.Meyne To Pura Hai.Om Namo Vogobote Sri Sri Ramkrishno Te Nomo Nomoha.
Kripaluji mahraj ji ko suno jo swam chaitanya mahaprabhu ke avtar hain adishankracharya ji bhagwan shiv ke avatar thae unke baad shree Krishna chaitanya mahaprabhu ke roop mein aaye unhone antim dino mein pratiyga li ki mein phir jald aunga wo hi kripaluji mahraj ji ban ke aaye jinhone samast bharatvarsh ke samast vidwano ko hara kashi mein sarvocch jagadguru ki post payi adishankracharya ji se bhi badi post unko di gayi 5th original declared jagadguru saath mein bhakti yoga rasavtar ki upadhi di gayi
Shivji ke avatar adishankracharya ji ne jis Guru ki baat kahi hain wo kripaluji mahraj ji hi hain dusra koi nahi kyunki unhone samast bharatvarsh ke samast vidwano ko akele hara diya tha kashi mein jaise koi baccho ko hara de tab sabne mana ye koi avtari sant hain aur adishankracharya ji se bhi bada mana aur sarvocch original declared jagadguru di 5th declared jagadguru ke saath mein bhakti yoga rasavtar ki upadhi di aur kaha loag inhe pahchane aur inki sharan mein aa manushya janam ka kalyan karo
Apni bhavan ko control karo jab jo jis ka adhikari hoga vo vaha us mahapurush tak ya vo us jeev tak apne aap pohoch jayege tumhare lakh kehe se bhi kuch nahi hoga na santo ke khne se
Kripalu maharaj swayam jagadguru shankaracharya ko bhagwan shankar ka avatar mana hai aur unki bhuri bhuri gun gaan kiya hai. Aap bhavnao me na behe jaye. Jagadguru kripalu maharaj ji ne shankaracharya ji ke Vedanta darshan ko punar vyakhya kiya hai, haam unko pranam karte hai. Jagadguru aadi shankaracharya kaliyug ke sabse shresth Guru hai.
श्रीमदाद्यशंकराचार्याय नमो नमः🙏🙏🌹🌹
Aadishankracharya ka Adwait Darshan mujhe Anupam Satya, sarv vyapi Satya sundar ,shiv laga,isse barambaar sravan ,manan karna kallyankari hai, jisne Hindi me roopantrit Kiya hai, unko hardik dhanyawad. Aum namah shivah
मनोवुध्याहंकार चित्तानि नाहम, न च शोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे ।न च व्युम भुमि न तेजो न वायु, चिदानन्द रूपम शिवोहम शिवोहम।ॐ नमो नारायणाय गुरूदेव।
❤
Shivoham Shivoham
यह प्रायोगिक सत्य है अनुभव का विषय है अत: जीवन में आचरण में उतारने लायक है यह कोई फिलासफी नहीं है ।यूट्यूबर को सा भार सादर प्रणाम ।
🙏♥️🙏🙏🙏🙏🙏
So deep, so realised and so true.I read at the age of 22 but couldn’t understand now at the age of 62 ,I am able to understand
Wasted 40 yrs
ईश्वरीय सत्ता = (चैतन्य + चैतन्य से, चैतन्य की इच्छा से उत्पन्न हो कर उसकी इच्छा के अनुरूप कार्य करने वाली त्रिगुणात्मक शक्ति, के नामकरण वाली प्रकृति! )
इच्छा से मन के निर्माण में तीन अवस्थाओं का वर्णन पढ़ने में आता है,
महत तत्व, अहंम तत्व, और चित तत्व !
प्रकृति के तीन गुण हैं
सतोगुण, रजोगुण, तमोगुण।
ऐसा सुनने में आया है।
जय जय श्री गुरुदेव दत्त कोटी कोटी प्रणाम गुरुदेव
Sacrosanct Episode-Hearing time and again will ameliorate the toxic mind - no need to lecture others - better to practice ourselves - Jai Ho Lord Krishna-Bhagwat Geeta is a scientific scripture.
Hara Krishna Hara Krishna Krishna Krishna Hara Hara
Hara Rama Hara Rama Rama Rama Hara Hara.
Excellent Episode - Lord Krishna is benevolent and kind to everyone.
पहावे आपणासी आपण या नाव ज्ञान.
अभ्यासासाठी,चिंतनासाठी फारच उपयुक्त.
प्रखर वक्ता शब्दों की स्पष्ट ध्वनि का सौंदर्य एक सम्मोहन पैदा करने वाली आवाज शब्दों की व्यवस्था का चयन तथा उनकी क्रम व्यवस्था बहुत अच्छी है
Very beautiful exposition of Vivek Chudamani. Be blessed to present more such other writings of Bhagwan Adi Shankara in simply beautiful language. Thank you profusely.
श्रीशंकराचार्य भगवान की जय 🙏
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏
परम शांति को प्राप्त करने एकमेव सरल मार्ग।अद्वैत सिद्धांत है।
बहुत सुंदर ऐसे ही लम्बे वीडियो बनाते रहे नमन
ॐ नमः शिवाय
Jay shree Ram bhai uttam prastuti Dhanyawad
श्री गुरु शरणम् 🙏 ओम् नमः शिवाय 🙏🙏🌹🌹🙏🙏
Best book ❤❤❤❤❤
Great work ❤❤❤❤❤
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
💗🙏 Koti koti pranam 👏🥰 Ananta Koti Dhanyawad Param pujya param Gurudev Shankaracharya Swami ji ki Jay ever and forever ❤🌏🙋♂️
** !! Veevek Chudamanhi Parampuja ShreeShtee Shreemad Shankara Charya Maharanjko Hamara Pariwar Koti Koti Sashtang Naman Kararaha Hain. 🎉🎉👏👏💐💐🙏
ॐ नमो नारायणाय।
Bahut saral bhasha mein anuvad sarahniy hai❤🎉
Jay shree Krishna ji ki jai ganesh ji ki jai
Jai Gurudev Pranam.
बेहतरीन प्रस्तुति।
Shri Gurudev Shankaracharya Ji Maharaj ki Jay Ho Jay Ho Jay Ho Aditya ki Jay Ho Jay Ho Jay Ho Jay Ho Sanatan ki
❤ very nice video thanks 🙏 for sharing this video great achievement great survies for hyumenity lots of thanks 🙏
Jagat Guru AadisankarAcharya naman❤
शंकराचार्य जी की सदा ही जय 🙏🏼
कोटी कोटी धन्यवाद..🙏🚩🙏
Thanks 🙏 very much 🙏
Gyan ham Tak lane ke liye.
Jay Guru dev 🌺🙏🙏🙏
शंकराचार्य भगवान की जय हो
हमारे इन दिव्य ज्ञान के लिए एक विश्वविद्यालय खोले और उसकी शाखाएं विधालय के रूप में खोले ❤।
जय श्री कृष्णा
मंदी ने कितने विश्वविद्यालय खोले..? जो है वह बंद हो रहे हैं..! मोदी का शिक्षा बजट अधोगतीपर हैं..!
HARI OMTATSAT. GYAN EAK HI UPAya. Jo is bhasagar par karke janm mrrpityuse Mukti dilanewala pravachan sytaki gyan
सदा कैवल्य स्वरूप में स्थित हो।
Shivoham, Shivoham, Shiv Swaroop Ohm
चिदानंद रूप शिवोहम शिवाहम
उच्चतम ज्ञान ❤
शंकराचार्य व वेद-वेदांतिकों की कुछ तथता :-
> अहं ब्रह्मास्मि का गुबार लिए भज गोविंदं मूढमते पर आ गये, भक्त बन गये या भक्ति-मुक्ति की बतियायी करने लगे, और अपनी मूढता खुद ही बता गये; सो वेद वेदांती शंकराचार्य व तथा भक्तों की वास्तविकता है यह जानें। दुसरे शब्दों में, अनित्य धरमी कालात्म अहंपिंड में काल दुख अवधूनन के साथ मीठा मरणा या निरवाण पथ समझने के बजाय, ये वेद-वेदांती विचार क्षेपित अहं ब्रह्मास्मि के कल्पना रमण में उलझ गये।
> सर्व ब्रह्म या अन्न ब्रह्म है कहते हुए कब टट्टी ब्रह्म है कह गये इन्हें पता ही नहीं चला।
> स्त्रियों एवं आम जनों के प्रति हीनभाव का मैल इनके मन में भरा हुआ है, जिसकी इन्हें कोई परवाह नहीं, उल्टे गर्व है।
> नाम-रूप या विचार-तृष्णा या काल-भव सत, बोधि या शुन्यता या कालातीत सत, व निरवाणिक या परम सत, इन मूलतः अलग जीवन स्तरों की समझ के साथ, नाम-रूप घट-पिंड में अलख संग्यान अर अनित्य बोध सूं बोधि जागरण व काल दुख अंत गामिता का इन्हें कोई अता-पता नहीं। विचार के बल नित्य आत्मा, परमात्मा, ईश्वर, अल्लाह आदि के नाम पर मनमुखी अहंतोषी कल्पना रमण यह जीवन दरसण नहीं है, तत्तग्यान (तत्वज्ञान) की समझ नहीं है।
> वैदिक वर्णाश्रमी धरमनाम परंपरा यह प्रत्यक्ष रूप से लोक-परलोक आस कालांध धरमनाम धंधा परंपरा है, इसे वैदिक-धंधा कहे सम्यक है, सनातन नहीं। सनातन शब्द चारों वेदों को पता भी नहीं है। सनंतन सनातन यह शब्द बुद्ध का काॅइन व व्याख्यायित किया हुआ है। बुद्ध गोरख जिद्दू जैसे महासिद्ध सनातन धम की बात सम्यकता से करते हैं।
> आगे यह भी समझे कि, वेदांत की बातें थोड़े में कहनेवाला अष्टावक्र नाम का व्यक्ति कभी प्रत्यक्ष था यह doubtful है, और शरीर से अपाहिज (crippled) था या नहीं यह अलग बात है। आगे, अष्टावक्र शरीर से अपाहिज था तो भी ऐसी बूरी बात नहीं। अष्टावक्र मन से अपाहिज था, जो मानसिक विकृति है। या जिसने भी अष्टावक्र यह पात्र पैदा किया व उसके मुंह में मिनी वेदांत कही जाने वाली अष्टावक्र गीता लिखी, वह मन से अपाहिज था, crippled था। राजा जनक एक सिद्ध पुरुष थे ऐसा कहा जाता है। यह मनमुखी अष्टावक्र उसी की इमेज को प्रदुषित करने व वेद-वेदांतिक अहं ब्रह्मा की अहंतोषी बातें चलाने की तिकड़म है।
> अष्टावक्र गीता में अपनी नित्य अमर आत्मा की मान्यता को देखते हुए जैन परंपरा वाले उसे चाव से चबाते दिखाई दे आश्चर्य नहीं। यह खूब समझे कि अहं के लिए कुदरतन, भले अहं किसी भी रूप में हो, भव ही संभव है, निरवाण या मोक्ष मुक्ति नहीं। निरवाणिक सत या परम सत वस्तुतः नाम-रूप सत तथा द्वैत-अद्वैत विचार व शुन्यता/बोधि सत के भी परे हैं: और निरवाणिक या परम सत के बारे में कोई भी बात मनमुखी या बतियाई से ज्यादा नहीं होती।
नीचे की गोरख सबदी इन अष्टावक्र व वेद-वेदांतियों की असलियत थोड़े शब्दों में सटीकता से बयान करती है -
सबद ही में कहे ब्रह्म, मनसा नहि साधै, ते जोगी मन मनसा कदे नहि बांधै |
भणत गोरषनाथ मछंद्र का पूता, ये नये ग्यानी भगत घणे बिगूता ||३१०||
They prate about Brahma in words,
but don’t learn about desire,
those yogis can’t contain their mind and desires.
Gorakhnath, son of Macchindra, says,
these strange scholars and bhaktas are much fouled. (310)
🙏🙏 मै आपके सानिध्य मे रह सकता हू?
Thanks for the book.. ❤
सनातन समुद्र की एक पवित्र बूंद, आदि शंकराचार्य जी ने अपने समय के समस्त विद्वानों को, अपनी व्यापक और मूल दर्शन की व्याख्या से स्तब्ध कर दिया है।
आजतक , उनकी बातें अखंडित और समयातीत हैं।
(आत्मा), समस्त ब्रह्माण्ड और उसके उद्देश्य की encyclopaedia है।
Jinko shabdon ki nahi samajh unhe boor hi Lage ga Varna Gyan bhut achaa h
Shakaram shakrachayam keshavam badarayanam sootrabhashya kurtauvande bhgavatau punah punah.🙏🙏🙏
Joy Gurudev
Jay jay gurudev
🙏 🙏 🙏 pranom Guru Dev 🙏 ji
कृपया आप ब्रह्मसूत्र का वाचन करेंगे तो बहुत सुविधा होगी साधक वर्ग के लिये ❤🙏🌹🌹
25:33
ओम् , जय श्री राम।
❤ BRAHMA SATYA:! JAGAN MITHTHYA:!! JourneyWoman Celebration MAYA SANSAR LIFEJOURNEY:!🎉
बहुत खूब ❤
बहुत खूब
Bahut hi ucchkoti ka granth hai.
19/12/2024. ,‼️ Thursday ‼️
Dr. Santosh Kumar Mohanty 🇮🇳
Satyam Gnyanam Anantam Brahmaah ‼️
Thanks Gurudeo Thanks a lot.
अद्वैत तत्वांना बौद्ध मते आणी वैदिक मते यातील संदेश एकत्र करूण एक मिस्र्ं आहे.
...पर हमारे ये बड़े-बड़े धर्म गुरू जो अापस में ही शंकराचार्य की उपाधी के लिए लड़ रहे हैं इनको बुद्धी कौन देगा...😊
यह प्रश्न जिस मन को आवश्यक लग रहा है वह भी उन्हीं पद प्रतिष्ठा को महत्त्व दे रहा है अन्यथा इस विषय का विचार भी उदित नहीं होता। अतः पहले अपने इस प्रकार के प्रश्नोँ के विलोपित होने का उचित साधन करना चाहिए।
Jay shri Shankara
🟦🙏🟦ASANGOHAM ASANGOHAM ASANGOHAM PUNAH PUNAH ;
SADCHIDANANDRUPOHAM AHAMEVAHAM AVYAYA .
I PROSTRATE BEFORE THE PIOUS VIVEK CHUDAMANI ! 🟦 🙏 🟦
🌷THANKS !🪴
सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम
🌺🌺🌺 दिव्य दिव्य दिव्य 🌺🌺🌺
आनंद ❤
Jay Ho
Bramatmaikam Bodhay swamin adaitacharyam...koti pranam. theory without practical is lame& vice versa.
Wow ❤️🔥
Bahut Bahut Achcha
Geeta, Ra.m ayana, bhagwat ke saman bahut acchi rachna hai.
Jay guru dev
आत्मा ❤
वेद पुराण। गीता कुरान वाइवल उपनिषद विवेक चूणामणि कवीर बीजक कवीर सागर जैसे तमाम धर्म ग्रन्थों को गुरु सानिध्य मे मैं नेभी बहुत वर्षों तक समर्पण भाव से अध्ययन किया सुना समझा सीखा लेकिन आत्मा का ग्यान समझ में नहींआया जब गुरु ग्यान धर्म ग्रन्थों के पाण्डित्य से अलग हुए तव परमात्मा की कृपा से ही पर मात्मा की कुछ हल्की सी पहचान हुईऔर वो यह। कि परमात्मा प़च कोश एवं सूक्ष्म स्थूल कारण महाकारण कैवल्य शरीर बृह्म परवृहम पूर्ण वृह्म से परे अग्यात निकर्म नितत्व अजन्मा है।धन्यवाद जी
Sahi bola bidu
Sadho sadho
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻👏
❤❤❤❤❤
आत्मा अचिन्त्य है इसलिए वह चिंतन का विषय नहीं है। अर्थात चिंतन से नहीं जाना जा सकता। वह निर्विकार है इसलिए निर्विकार होकर ही जाना जा सकता है। वह अनंत है इसलिए अनंत अर्थात आत्मा होकर ही आत्म का या परमात्म का दर्शन हो सकता है। क्यूंकि ईश्वर भी अनंत हैं। वेद उपनिषद आदि धर्मग्रंथ ब्रह्म को सत्य और जगत को मिथ्या साबित करने के लिए हैं आत्म को जानने के लिए उस विचार का भी त्याग करना पड़ता है जिससे आत्म को जाना जाता है। इसलिए कहा वह कि अचिन्त्य है। जहां चिंतन समाप्त हो जाये। भाव शून्य। विचार शून्य। चिंतन शून्य। अहं शून्य अवस्था ही आत्मज्ञान की अवस्था है।
Prabhu, slowly slowly so that it can digest fast like water, brahmgyaan hai koi history ka chapter nahi😊
❤️🙏
🙏
Kon kiska ..sab sapna .kon hai apna ..hari bolo bandhan kholo 🎉
Jai shree sachdhanand roopayia nama
Nice video sir
🙏🏿🙏🏿
♥️🙏
full audio book
ua-cam.com/video/goEIgIs4XL8/v-deo.html
Pleasure...without...conscience..
हिंदी में। अद्वितीय।ऐसा। लिखा। होना। चाहिये। ।
( कृपया। गौर। करें)। ।
❤
Mostwelcome
Plz read Astabakra Gita. 🙏 Thanks.
🙏♥️ brother Already Ashtavakra Geeta is available in channel. Please check
मैने बहुत कुछ पढ़ा जाना और समझा है और मेरा नतीजा ये है कि किसी को कुछ भी पता नहीं है सत्य के बारे मे और इस ब्रह्मांड की पेचिदगी के बारे मे l
धरती के तेज बुद्धि वाले करोडो इंसानो की बुद्धि को मिला दें तो फिर जो बहुत बड़ी बुद्धि बनेगी वो भी इस ब्रह्मांड के सत्य और पेचिदगी को नहीं सुलझा पायेगी l
तो सच ये है कि किसी को कुछ नहीं है पता मुझको बस यही है पता l
😂😂😂 mene bahot kuchh padha jana or samjha hai... 😅 really kiska idea chipkaya sach batana 🤣
जो असीम सत्ता है उसे बुद्धि की सीमीत योग्यता के बल से समझने पर इतना ही समझा जा सकता है।
Kripaluji mahraj ji ke videos suno unhone samast bharatvarsh ke samast vidwano ko hara original 5th declared jagadguru ki post payi kashi vidwat parishad dwara saath mein bhakti yoga rasavtar ki upadhi bhi payi samast prasno ke uttar milega
Jara ye bhi maan lo ki tumhe jo pta hai use bhi ye man lo ke tumhe ye bhi nhi pta
🙏🇳🇱
अहम भाव जन्म के साथ नहीं अपितु 03 .04 साल बाद ही आती है पर जाती मौत के बाद ही जाती है इसलिए मुक्ति बहुत ही कठीन प्रतीत होती है
Kaha sa gyan mila prabu, hama bi batao. Agar aham na ho to janm hi kyu hoga wo to jivan mukt hoga pahle hi....
कठिन है लेकिन असंभव नहीं
सर जी मुक्ति किसकी होती है? अगर मैं आत्मा हूं तो मैं तो सदैव मुक्त ही हूं , और न ही मुझे मोक्ष की जरूरत है। अगर मैं जीव हूं तो फिर आत्मा की उपाधि क्यूं मिली है मुझे। जीव भी अकारण नहीं हो सकता , हा मेरा चुनाव अगर जीव बनने का हो तो मुझे करोड़ों जन्म मुक्ति न मिले। परंतु मैं भगवान आत्मा ,मन बुद्धि चित्त अहंकार सहित या असहित मुक्त और अमुक्त से परे और शाश्वत रहूंगा । सिर्फ लीला वस उपाधि ले लेने का कारण है।
मेरे गुरुदेव, भगवान शंकराचार्य की जय विवेक चूड़ामणि ग्रंथ की जय, अद्वैत वेदांत दर्शन की जय, यूट्यूब चैनल की जय।❤
❤
in sheep's clothing understanding and dealing with manipulative people explained karo please
Tu quran pe focus Kar yaha kya kr rha hai 72 hoor pe dhyan De flat earth 😅😅😅
आप क्या कहना चाहते हैं स्पष्ट नहीं है
Koli Yug Me 2.30 hours Probochyan Sunya Ka Kitna Percent Hai? Bahut bahut dhanyawad.Meyne To Pura Hai.Om Namo Vogobote Sri Sri Ramkrishno Te Nomo Nomoha.
जैसे गुरु को अपना गुरु बनाने के लिए आप बोल रहे हैं ऐसे गुरु हमे कहा मिलेंगे कृपया बताने की कृपा करें
जिस दिन आप गुरु पाने के योग्य हो जाएंगे, उस दिन आप गुरु को अवश्य पा लेंगे।
Kripaluji mahraj ji ko suno jo swam chaitanya mahaprabhu ke avtar hain adishankracharya ji bhagwan shiv ke avatar thae unke baad shree Krishna chaitanya mahaprabhu ke roop mein aaye unhone antim dino mein pratiyga li ki mein phir jald aunga wo hi kripaluji mahraj ji ban ke aaye jinhone samast bharatvarsh ke samast vidwano ko hara kashi mein sarvocch jagadguru ki post payi adishankracharya ji se bhi badi post unko di gayi 5th original declared jagadguru saath mein bhakti yoga rasavtar ki upadhi di gayi
Kripaluji mahraj ji ke videos suno
सद्गुरू माता सुदिक्षा जी महाराज
संत निरंकारी मिशन
परमपूज्य संत श्री आशारामजी महाराज।
Shivji ke avatar adishankracharya ji ne jis Guru ki baat kahi hain wo kripaluji mahraj ji hi hain dusra koi nahi kyunki unhone samast bharatvarsh ke samast vidwano ko akele hara diya tha kashi mein jaise koi baccho ko hara de tab sabne mana ye koi avtari sant hain aur adishankracharya ji se bhi bada mana aur sarvocch original declared jagadguru di 5th declared jagadguru ke saath mein bhakti yoga rasavtar ki upadhi di aur kaha loag inhe pahchane aur inki sharan mein aa manushya janam ka kalyan karo
Pagal hai kya
Apni bhavan ko control karo jab jo jis ka adhikari hoga vo vaha us mahapurush tak ya vo us jeev tak apne aap pohoch jayege tumhare lakh kehe se bhi kuch nahi hoga na santo ke khne se
Kripalu maharaj swayam jagadguru shankaracharya ko bhagwan shankar ka avatar mana hai aur unki bhuri bhuri gun gaan kiya hai. Aap bhavnao me na behe jaye. Jagadguru kripalu maharaj ji ne shankaracharya ji ke Vedanta darshan ko punar vyakhya kiya hai, haam unko pranam karte hai. Jagadguru aadi shankaracharya kaliyug ke sabse shresth Guru hai.
19:20
Sax man kapsha sen
मे भी बहुत बड़ा ज्ञानी हु और हु
mujhe bibhor kar dia