What’s In The Name - Mumbai | Full Episode | Epic
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- Опубліковано 8 вер 2024
- Every story has a NAME! This is the story of the name - MUMBAI. Epic Digital Original - What’s In The Name - Mumbai , 8th April at 7:55 PM, sirf EPIC, EPIC ON, EPIC ke UA-cam channel par.
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Great work buddy. Btw how do you get to work for them?
Good bro
congrats
Being a mumbaikar it's really fantastic to know these interesting facts.....
CARRY ON EPIC ......
Jay Maharashtra
I hit the like button even before watching epic channel’s videos, cuz I know, Epic is indeed an epic! ❤️
Hi Manya, Thank you for your appreciation.
One of the best channels and I specially liked to see the History of aamchi Mumbai. Loved it
Hi Shashi, Thank you for your appreciation.
Here it is how Mumbai got its name: " Many fishing families were living in the suburbs of the modern city of Bombay. These fishing families were the old inhabitants of the city before it became Bombay. Their traditional deity was the goddess Mumbávatii. Vatii becomes bai in Maháráśt́rii Prákrta, so accordingly Mumbávatii became Mumbábai and, with the passage of time, Mumbái. The word mumbái has been common in both Marathi and Gujarati since that time and remains so. The British turned this Mumbái into Bombay and this “Bombay” became Bombái in Hindi and Bengali.... Recently the government of Maharashtra has changed the name Bombái to Mumbái. This is a praiseworthy action." - Shrii PR Sarkar
They are soon to reach one million
The epic channel EPIC ❤❤
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Hi Sandeep, Thank you for your appreciation.
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History+information+entertainment=epic
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मुंबा देवी की नगरी मुंबई 🙏❤️
Very knowledgeable
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Mumbai ka naam , mumba Devi jo ki Apbransh hai amba ka waha se liya gaya hai ,
Gujarat ke Rajput ( chalukya ( solanki) rajvansh or Data ke Parmar) vaha ja ke base or unki kuldevi amba ka mandir nirman karaya jo ki Ambaji (Banas Kantha) district me hai aabu ke paas,
Mandir banaya or ye Amba ka bolne me change hoker mumba bana or unhi ko mumba Devi kaha jata hai or uspe hi Mumbai ka naamkeren hua,
Gujarat ke history me iska ullekh hai ,
Data ke shilalekh me bhi iska vernan hai
Loved this episode
Wow nice 😍😊
New show🤩🤩🤩🤩👍👍👍
I 💕 Mumbai
Apki video bhut amazing hoti hai ❤️❤️❤️❤️acha lgta hai apne India ko jn ke knowledge v ho jti hai
Hi Shweta, Thank you for your appreciation.
Great content comes with great channel hope you get it♥️♥️☺️
Fantastic 👌 Epic
Mazaa aa gya sir
Waiting for next episod😊
हिंदुह्रदयसम्राट बाळासाहेब ठाकरे 🔥🔥
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Best channel 👍👍👍
Sir ek series leke aayiye jisme seher ke famous market ho jaise katra civil lines kaise established hue ...aur bhi famous market jo seher ke ho
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Hi Poonam, Thank you for your kind words. We really appreciate your feedback.
ভাল লাগিল
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Plz make a vdo on different dynasties also..
Please Kolkata par bhi is tarah ka video banaye 👌👌👌👌👌👌😊😊😊
Make a documentary on odisha
False information given in this video where is the information of mahikavti chi bakhar which is the most trusted resources of information about mumbai and it's surrounding area.
Hi Epic Channel, we are very glad to know that u are going to make a documentary on the Bengalees. We are here to help in ur research. Here is a complete script on History of Bengal in brief on which the video can be made. Read this & follow the points : the video will provide new light to unsung topics & ur channel will be highlighted. Thank you.
बंगाल, भारतभूमि के पूरबी क्षेत्र में रहा पांच हजार साल पुराना एक सभ्यता और आठ बृहत हिन्दू साम्राज्य निर्माण का केंद्र रहा है । बंगाल शब्द का उतपत्ति हुआ है दो संस्कृत पद "वंग" और "आलय" से, वंग एक प्राचीन वैदिक आर्य गोत्र का नाम है और आलय शब्द का अर्थ है गृह या घर । प्राचीन बंगाल सात प्रमुख जनपदों का क्षेत्र था, जो कि हे - पुंड्र, राढ़, सुह्म, बंग, समतट, हरीकेल, कामरूप । वृहत-बंग में अंग, मगध और कलिंग भी ज़्यादातर समय बंगाल के साम्राज्य का ही अंश रहा है ।
(Check parts in Reply)
ऐतिहासिक रूप से बंग समुदाय का प्रथम उल्लेख मिलता है ऋग्वेद के ऐतरेय आरण्यक अंश में, जहा वर्णित है सिंधु-सरस्वती सभ्यता के आर्य समुदाय में से 'बंग' नामका एक गोत्र पशुमेध यज्ञ में अंशग्रहन करने के बजाय उपत्यका छोड़के पूरब के तरफ बढ़ने लगे और अपनी गोत्र के नाम गंगा नदी के निम्न तट पर एक स्वतंत्र राज्य "वंगप्रदेश" का प्रतिष्ठा किये ।
( प्रजाहि तिस्र अत्यायमीयुरिति या वै ता इमा: प्रजास्तिस्रो अत्यायमायांस्तानीमानि वयांसि बंगाबगधास्चेर-पादान्यन्या अर्कमभितो विविश्र इति।
~ ऐतरेय आरण्यक २.१.१।)
बंगाली भाषा का भी प्रथम उल्लेख ऋग्वेद में है, जहाँ वंग समुदाय के भाषा को 'पक्षीभाषा' बोलके पृथक किया गया है, क्योंकि वे पक्षीराज गरुड़देव के चिह्न अपने जातीय प्रतीक के स्वरूप इस्तेमाल करते थे । बंगाली भाषा के सबसे प्राचीन लिखित रूप है 'चर्यापद', जो 10th AD में पाल राजवंश के शासनकाल में लिखा गया है । बुद्धचरित के रचयिता अश्वघोष उल्लेख करते है कि गौतम बुद्ध अपने कपिलवस्तु के गुरुगृह में वंगलिपि की चर्चा करते थे, इससे बंगाली भाषा का प्राचीनत्व पता चलता है ।
रामायण में भी वंगप्रदेश का उल्लेख मिलता है, जहा प्राचीन बंगाल के शक्तिशाली कैवर्त नौसेना का वर्णन के साथ इसे नाव्यमंडल कहा गया है । महाभारत में वंगप्रदेश का उल्लेख है, महाभारतकाल में वंगप्रदेश के शासक थे महाराजा समुद्रसेन और राजकुमार चन्द्रसेन । दक्षिण-पश्चिम बंगाल में ताम्रलिप्त राज्य के शासक थे महाराजा मयूरध्वज और राजकुमार ताम्रध्वज । उत्तरबंगाल में पुंड्रराज्य के शासक थे महाराज वासुदेव । उनके 'वायुजब' नाम के एक विमान होने का भी उल्लेख है ।
● गंगाऋद्धि :
आज से लगभग चार हज़ार साल पहले बंगाल में प्राचीन गंगाऋद्धि सभ्यता का उन्मेष हुआ था, जिसे ग्रीक और रोमन लेखकों द्वारा गंगारिडाई या गंगारिडी लिखा गया है । गंगाऋद्धि साम्राज्य का ख्याति समग्र विश्व मे फेहला था । गंगाऋद्धि सेना में आठ हजार का विशाल हस्तीबाहिनी रहा था । ऐतिहासिक दावा करते है कि गंगाऋद्धि का विशाल हस्तीबाहिनी होने की बात शुनकर अलेक्सान्दर का विशाल सेना भारतीय उपमहाद्वीप छोड़के भाग गया था । पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना में एक 2300 साल पुराना प्रत्नतात्त्विक क्षेत्र है चन्द्रकेतुगढ़, जो गंगाऋद्धि साम्राज्य का राजधानी रहा करा था ।
रोमन लेखक भार्जील लिखते है की बंगाल के गंगारिडी सेना का पराक्रम इतना रोमांचक होता है कि वे इनके युद्ध की कहानी हाथी के दांत पर सोने से खोदकर लिखना चाहते है । ग्रीक ऐतिहासिक कार्तियास के मान्यता अनुसार, तत्कालीन भारत के शासक नंद वंश की उतपत्ति भी बंगाल यानी गंगारिडी के बर्धमानभुक्ति क्षेत्र से है । चीनी परिव्राजक इत-सिं के वर्णन अनुसार, गुप्त वंश की उतपत्ति भी उत्तर बंगाल के पुंड्रवर्धनभुक्ति क्षेत्र से है ।
श्रीलंका के साथ बंगाल का प्रत्यक्ष राजनैतिक और ब्यापारिक सम्पर्क रहा है । श्रीलंका के पहला राजा विजय सिंघा नामक एक बंगाली राजकुमार था । 22 अप्रेल 544 ईशा पूर्ब में प्राचीन बंगाल के सिंहपुर राज्य के राजकुमार विजय सिंघा अपने सातशो अनुयायिओं के साथ लंकाद्वीप जीतकर वहाँके राजा बने और अपने वंश के नामपर इस द्वीप का नाम सिंहल रखा । आज के सिंहली जाती के साथ बंगाली जाती का 72% जेनेटिक सिमिलारिटी पाया जाता है, जो उनका बंगाल से होने का प्रमाण है ।
● गौड़ सभ्यता :
पंचम शताब्दी में बंगाल में उत्थित होता है महान गौड़ीय सभ्यता । गौड़ेश्वर शशांक महाराज के नेतृत्व में बंगाल का गौड़ साम्राज्य का प्रभूत विस्तार हुआ, जो कि उत्तर भारत ने कनौज से पूर्व में कामरूप और दक्षिण में कलिंग तक फेहल गया । पुनः चन्द्र साम्राज्य के युग वाराणसी तक क्षेत्र बंगाल की अधीन आया । उनके शासन में सूर्यसिद्धांत के अनुसार बंगाली वर्षपंजी "बंगाब्द" की सूचना हुए । राजा शशांक के राज्यभीषेक के दिन बंगाल में 'नवबर्ष' के नाम से पालन होता है ।
अष्टम शताब्दी में शैव पालवंश के शासन में बंगाल में शुरू हुआ पालयुग, जिसे बंगाल का स्वर्णयुग भी कहा जाता है । सम्राट धर्मपाल के नेतृत्व में पाल साम्राज्य समग्र उत्तर भारत मे विस्तार हुआ, जिस कारण उन्हें 'उत्तरापथस्वामी' कहा जाता था । सम्राट देवपाल के शासन में पाल साम्राज्य उत्तर-पश्चिम में गांधार यानी कि अफगानिस्तान और दक्खन में आंध्र तक फेहल गया ।
पालयुग मे अनेकों मंदिरों का निर्माण हुआ । इस समय बंगाल का शिल्प, साहित्य, भास्कर्य अपने शिखर पर पहुचे । पालयुग मे अनेक गौड़ीय देउल रीति के मंदिर निर्माण हुए, जैसे बाहालुरा सिद्धेश्वर शिवमन्दिर । सम्राट धर्मपाल ने सोमपुर विहार का निर्माण करवाये । चन्द्र शासन के दौरान दक्षिण बंगाल में जटार देउल शिवालय भी गौड़ीय वास्तुकला का अनन्य निदर्शन है ।
बंगाल में विक्रमपुर से उतपन्न हुआ वज्रयानी तांत्रिक बौद्धधर्म, जो बाद में एक गौड़ीय श्रमण अतीश दीपंकर श्रीज्ञान द्वारा तिब्बत तक पहुचा । पालयुगकालीन बंगाल के चित्रकला समग्र एशिया में मशहूर रहा, जिससे प्रभावित होकर तिब्बत के चित्रकला बनी है । गणितशास्त्र के Quadratic Equation देने वाले महान भारतीय गणितज्ञ श्रीधराचार्य का जन्म भी बंगाल के भुरीश्रेष्ठ नगर में हुआ था । नालन्दा विश्वविद्यालय के प्रधान अध्यक्ष आचार्य शीलभद्र भी बंगाली थे ।
पालवंश के बाद बंगाल में सेनवंश का शासन शुरू हुआ । सेनयुग मे बांग्ला भाषा और वंगलिपि का राजकीय इस्तेमाल शुरू हुआ । सेन राजसभा में पंचरत्न के सदस्य कवि जयदेव रचना किये 'गीतगोविंद' वैष्णव पदावली । इस समय भारत मे इस्लामिक आक्रमण हुआ था जो कि पूर्व भारत मे सेन राजाओ द्वारा सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया गया । बंगाल के महाराजा गौड़ेश्वर लक्ष्मणसेन ने तुर्क आक्रमणककारी बख्तियार खिलजी को पराजित कर पूरबी भारत मे इस्लामिक आक्रमण से बचाये । उनके पुत्र बंगालनरेश गौड़ेश्वर विश्वरूप सेन समग्र भारत से तुर्को को खदेड़ ने के लिए विशाल गौड़ीय सेनाके साथ युद्धयात्रा किये, तुर्को को खदेड़ कर वाराणसी धाम को मुक्त किये और विजयस्तम्भ बनवाये । सेनवंश के अंतिम शासक गौड़ेश्वर मधुसूदन सेन थे जिन्होंने नालन्दा विश्वविद्यालय को पुनस्थापित किये थे ।
सेनवंश के बाद बंगाल में देववंश का शासन शुरू हुआ । इस वंश के प्रतापी राजाओ के शासन में उस समय के भारत मे बंगाल एक स्वतंत्र हिन्दू राज्य बनके खड़ा था । बंगालनरेश महाराज दशरथदेव थे वो हिन्दू राजा जिसके सामने सलाम ठोकने में मजबूर हुआ था खुद दिल्ली का सुल्तान गियासुद्दीन बलबन । महाराज दनुजमर्दनदेव के शासन में खण्डविखण्ड अनेक राज्यो को एकत्रित कर निर्माण हुआ था अखण्ड "बंघाला साम्राज्य" ।
राढ़बंगाल के मल्लभूम राज्य में लगभग 1300 साल तक शासन किया है मल्लवंश, जो की दुनिया का द्वितीय सबसे ज़्यादा समयतक शासक करने वाले भारतीय राजवंश हे । मल्लभूम के राजधानी विष्णुपुर नगरी आज भी बंगाल का एक प्रसिद्ध स्थान है । विष्णुपुर का टेराकोटा मन्दिर, रासमंच, दलमर्दन कमान हिन्दू वास्तुकला और प्रयुक्ति का अनन्य निदर्शन है ।
हिंदुस्तान में मुघल बादशाह अकबर के शासनकाल में एक स्वतंत्र हिन्दू राज्य के रूप में बंगाल को खड़ा किये थे महाराज रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य । उन्होंने मुघलों को लगातार सात युद्ध मे पराजित कर समग्र बंगाल से लेकर बिहार और ओडिशा तक क्षेत्र मुघलों से जीत लिए । सनातनधर्म के विजय स्वरूप महाराज प्रतापादित्य ने काशीधाम में विशाल चौषट्टी घाट और चौषट योगिनी कालीमन्दिर का निर्माण किये ।
ब्रिटिशकाल मे भारत का पहला स्वतन्त्रता संग्राम 'संन्यासी विद्रोह' (1761-1802) प्रथम बंगाल में शुरू हुआ, जिसके नेतृत्व में थे पण्डित भवानीचरण पाठक । भारत सभी प्रमुख राजनैतिक दल के संस्थापक बंगाली रहे है, नेशनल कांग्रेस के संस्थापक है सर् सुरेंद्रनाथ बंद्योपाध्याय, कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक है कमरेड नरेन्द्रनाथ भट्टाचार्य (एम एन राय) और जनसंघ के संथापक है भारतकेशरी श्यामाप्रसाद मुखोपाध्याय ।
बंगालियों के ये अग्रणी चिन्ताशीलता देखते हुए आचार्य गोपालकृष्ण गोखले जी कहे थे, What Bengal thinks today India will think tomorrow. भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में सबसे ज़्यादा योगदान बंगाल का रहा है । बंगाल के अनुशीलन समिति और युगांतर जैसे दल समग्र भारत मे क्रांतिकारी आंदोलन फेहलाये । यतीन्द्रनाथ मुखर्जी, शचीन्द्रनाथ सान्याल, खुदीराम बोस, विनय बसु-बादल गुप्ता-दिनेश गुप्ता, नेताजी सुभाषचंद्र जैसे प्रमुख क्रान्तिकारियो का भूमि है बंगाल ।
सुप्राचीन वैदिक काल से लेकर गंगाऋद्धि सभ्यता, गौड़ साम्राज्य, बंगाल साम्राज्य से स्वतन्त्रता क्रांति आंदोलन - सर्बत्र बंगाली जाती अपना प्रभाव रखा है । बंगाल से उठे पाल साम्राज्य ने समग्र देश को एकत्रित कर अखण्ड भारत बनाया था, अपितु गौड़ीय शिल्प सभ्यता संस्कृति भारत का नाम मशहूर करता था समग्र विश्व मे । भारत के स्वतन्त्रता में सबसे ज़्यादा खून भी बंगालियों ने ही बहाया है । आज भी कामियाबी के साथ आगे बढ़ रहा है सोने की चिड़िया भारत का दिल, बंगाल ।
IN film persona;ities, you must show Dadasaheb Phalke!
😎👍👌👌
Bihar ke bare me btaye
👍
Make video on hydrabad
Make video on Koli community
साहेबांची मुंबई!
सर्वांची मुंबई !
Please upload adrishya full episodes on epic🙏🙏🙏
Old woman island nahi chota culaba kaha jata tha
वैसे चंद्रगुप्त मौर्य को आज का पाकिस्तान और अफगानिस्तान दहेज में ही मिला था
This is half baked information of the Mumbai name given to the city..... Mumbai was always Mumbai in Marathi and Never Bambai aur Bombay ....! Jo gore tumhare Desh ko India (Bharat ke jagah ) bolne lage unka kya reference they rahe ho Mumbai ke naam Karan ke liye.
Please post origin of Bengali community.
Bakwass fact india ke facts janke kya achaar dale😏
Tu 🙃kyu dekh raha hai par???
@@user-ut3mx6hl7l aisehi hi abhi kya kare i
👍