आत्मा = परमात्मा = ब्रह्म = सत्य इस समीकरण ने समझ को भी समझा दिया कि शब्द नहीं उनके अर्थ पकड़े...इशारे पकड़े.... विचार = व्यक्ति का मैं = मन = बुद्धि = स्मृति = अहंकार = देश = काल = संसार इस समीकरण ने अध्यात्म की जटिलता को दूर कर उसे सरल बना दिया! ऐसे कोई नहीं बताता आप अनूठे हैं...हृदय से नमन 💫
आपके द्वारा छूआ गया हर बिंदु यह याद दिलाता है कि आध्यात्मिक सफ़र गहरा और विरोधाभासी होता है। यह साथ ही शांति और चुनौती दोनों होता है। प्रणाम महाराज जी 🙏
The idea that the soul and the Supreme Soul are one and the same is deeply enlightening. It really makes one reflect on the interconnectedness of all things. Thank you for such an insightful video. Thank you much Maharaj ji 🌻🌻
सारा जगत जीव सब चिज आत्मा, चेतना से छुवा कुच भि चिज अलग नहि पूरा एक complete circle बन्ता सब कुच circle के भित्र है।चेतन (आत्मा) रुपसे सब एक है दो नहि। तबि तो अहम ब्रह्मी अस्मि के सक्ता है।जो निराकार है उसे शिव कहो , अल्ला,बिष्णु ,देबि आत्मा रुपसे एको तो है।दो हुइ तो पुर्ण केसे कहे।ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते । पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
Your discussion on how waking life is as illusory as dreams really pushes the boundaries of our understanding of reality. It's a fascinating perspective that invites further exploration and discussion.
प्रणाम महाराज जी🙏 | इतनी स्पष्टता से बहुत गहरी बात समझायी है शत् शत् नमन महाराज जी ..... हमारी गलती बस एक ही है- की नकली को असली और असली को नकली समझ लेना।
"जो कहीं नहीं है वही सब जगह है" - यह कथन परमाणु भौतिकी के नियमों की याद दिलाता है जहाँ कण और तरंग के गुण सिद्धांत से सम्बंधित होते हैं। आपका दृष्टिकोण आधुनिक विज्ञान और प्राचीन ज्ञान के मेल को दर्शाता है। धन्यवाद! 🙏🙏🙏
Pranam Maharaj ji! Your explanation that "what is nowhere is everywhere" has really opened my eyes to a new way of seeing the world. It's a profound reminder of the omnipresence of the divine. 🙏🙏
Pranam Maharaj ji 🙏 Ham bhi Atma ko Apne andar aur Parmatma ko Bahar Jante the. aapke Satsang ke Madhyam se Kafi Kuchh clear Hota ja raha hai ki yah do Nahin ek hi hai Shuddh mein na ki koi Sharir
I really praise your way of explaining spirituality as it is direct, to the point and rational. This is what is required for this era's generation. You nicely keep yourself away from the traditional way of delivering discourses. With regards
शरीर के भीतर आत्मा नहीं लिवर किडनी है ! महाराज जी आप ठीक बात कहते हो...आपकी बात समझने के लिए कुशल मेधा चाहिए। शरीर खुद एक धारणा है उसमें आत्मा मानना अंधकार को प्रकाश बोलने जैसा है।
It is a very important video which factually eradicates lot of misconceptions pertaining to Self (Atma). As people generally think that Self is something which is inside their body and operates it, leaves it after the death and enter the womb...video hammers upon all such stupid ideas and provide clarity about this...i feel it is an another enlightening video pertaining to our real nature the Impersonal undivided Self...Thanks a lot
बहुत ही सटीक बात बताई गई है। लेकिन कोई बिरला ही इस पर आरूढ़ हो सकता है। धन्यवाद आपका।
🙇♀️🙇♀️🙇♀️❤️❤️❤️💐💐💐
🙏🙏🙏🙏😊
न इधर की बात न उधर की बात।
जब भी सुनी
सुनी सीधी सटीक काम की बात।।
मुझे आपके सारे video एक से बढ़कर एक लगे। साधुवाद!
धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏
स्वामीजी आपके श्री चरणों में कोटि कोटि नमन!
One more enlightening video !
One more enlightening video ! 🙏
जागृत और स्वप्न अवस्था की तुलना सुनकर बहुत ही गहरा अनुभव हुआ।
धन्यवाद!
आत्मा = परमात्मा = ब्रह्म = सत्य
इस समीकरण ने समझ को भी समझा दिया कि शब्द नहीं उनके अर्थ पकड़े...इशारे पकड़े....
विचार = व्यक्ति का मैं = मन = बुद्धि = स्मृति = अहंकार = देश = काल = संसार
इस समीकरण ने अध्यात्म की जटिलता को दूर कर उसे सरल बना दिया!
ऐसे कोई नहीं बताता आप अनूठे हैं...हृदय से नमन 💫
बहुत ही सुंदर सत्संग
प्रणाम महाराज जी🙏🏼🙏🏼
Bahut achcha,🙏🙏
अलग अलग रंग रूप के जीवों
में अलग अलग आत्मा होती हैं। जीवात्मा अनगिनत हैं।
परमात्मा एक सागर जैसा है।
आपके द्वारा छूआ गया हर बिंदु यह याद दिलाता है कि आध्यात्मिक सफ़र गहरा और विरोधाभासी होता है। यह साथ ही शांति और चुनौती दोनों होता है। प्रणाम महाराज जी 🙏
जब से आपको सुन रहा हूँ तब से लग रहा है कि ज्ञान रूपी गंगा में स्नान हो रहा है और मैं निर्मल हो रहा हूं ! कोटि कोटि नमन प्रभु !🙏🙏
हर एक बात शीशे की तरह साफ़ और स्पष्ट ...आप बहुत ही सटीक और तर्कपूर्ण ढंग से विषय को स्पष्ट करते हैं ...धन्यवाद एवं आभार
आपको सुनना शून्य का इंजेक्शन लगवाने जैसा...सुनते सुनते बाहर भीतर सब शांत हो जाता है।
ओम शांति शांति शांति
ॐ
प्रणाम महाराज जी। "जो कहीं नहीं है, वही सब जगह है" यह कथन अद्वैत वेदांत के मूल सिद्धांतों की गूंज है। 🙏🙏
True
Bahut.khoob
The idea that the soul and the Supreme Soul are one and the same is deeply enlightening. It really makes one reflect on the interconnectedness of all things. Thank you for such an insightful video. Thank you much Maharaj ji 🌻🌻
सारा जगत जीव सब चिज आत्मा, चेतना से छुवा कुच भि चिज अलग नहि पूरा एक complete circle बन्ता सब कुच circle के भित्र है।चेतन (आत्मा) रुपसे सब एक है दो नहि। तबि तो अहम ब्रह्मी अस्मि के सक्ता है।जो निराकार है उसे शिव कहो , अल्ला,बिष्णु ,देबि आत्मा रुपसे एको तो है।दो हुइ तो पुर्ण केसे कहे।ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते । पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
Hariom. Guruji. ❤
🙏🙏🙏
जीव क्या है आज पता चला...दण्डवत प्रणाम!
Narayan Hari..
नमस्ते प्रभु आपके समझाने का तरीका काफी वैज्ञानिक (scientific) ...व्यवस्थित (organized) ...व्यवहारिक (practical) होता है।
Your discussion on how waking life is as illusory as dreams really pushes the boundaries of our understanding of reality. It's a fascinating perspective that invites further exploration and discussion.
❤
प्रणाम महाराज जी🙏 | इतनी स्पष्टता से बहुत गहरी बात समझायी है
शत् शत् नमन महाराज जी .....
हमारी गलती बस एक ही है- की नकली को असली और असली को नकली समझ लेना।
"जो कहीं नहीं है वही सब जगह है" - यह कथन परमाणु भौतिकी के नियमों की याद दिलाता है जहाँ कण और तरंग के गुण सिद्धांत से सम्बंधित होते हैं। आपका दृष्टिकोण आधुनिक विज्ञान और प्राचीन ज्ञान के मेल को दर्शाता है। धन्यवाद! 🙏🙏🙏
Pranam Maharaj ji! Your explanation that "what is nowhere is everywhere" has really opened my eyes to a new way of seeing the world. It's a profound reminder of the omnipresence of the divine. 🙏🙏
देवी देवताओं का दर्शन दृश्य है
बड़ी ही कडवी पर सच्ची बात
मैं सहमत हूँ आपसे 🙂
Pranam Maharaj ji 🙏
Ham bhi Atma ko Apne andar aur Parmatma ko Bahar Jante the. aapke Satsang ke Madhyam se Kafi Kuchh clear Hota ja raha hai ki yah do Nahin ek hi hai Shuddh mein na ki koi Sharir
I really praise your way of explaining spirituality as it is direct, to the point and rational. This is what is required for this era's generation. You nicely keep yourself away from the traditional way of delivering discourses.
With regards
Guru Ek sansay ko samajna he prakruti Or purush ko kese samje
शरीर के भीतर आत्मा नहीं लिवर किडनी है ! महाराज जी आप ठीक बात कहते हो...आपकी बात समझने के लिए कुशल मेधा चाहिए। शरीर खुद एक धारणा है उसमें आत्मा मानना अंधकार को प्रकाश बोलने जैसा है।
It is a very important video which factually eradicates lot of misconceptions pertaining to Self (Atma). As people generally think that Self is something which is inside their body and operates it, leaves it after the death and enter the womb...video hammers upon all such stupid ideas and provide clarity about this...i feel it is an another enlightening video pertaining to our real nature the Impersonal undivided Self...Thanks a lot
Backround music loud h
यदि एक ही आत्मा है तो एक के मोक्ष होने से सबका मोक्ष हो जाना चाहिए। ऐसा क्यों नहीं है ? क्या इतिहास मे किसी का सम्पूर्ण मोक्ष नही हुआ ?
Parmatma hai ya koi Jothi kahani hai, Jo hame bhrame dala ja raha hai
Atma nehi hai, parmatma bhi Nehi hai. To adhyatam bhi ek jhuth hai. Ye sab concept hai aur sansar se palayanbadi monobhaw hai.