भारत की कोई लड़की अगर पितृसत्ता की राह पर चलना छोड़ दे, तो उसके खुद के मां-बाप उसको पूरी जिंदगी नरक की आग में जलाते है, हमारी गलती क्या है? बस खाली इतनी कि हम भी किसी पुरुष की तरह अपना घर खरीदना चाहते है, हम भी किसी पुरुष की तरह अपनी आजादी चाहते है, हमारे जैसी लड़कियों को अगर "भारत रत्न" का खिताब भी मिल जाए ना, तो वह भी कम है, हमारे दुखों के आगे।
"जैसा कर्म होता है वैसा फल मिलता है" यह सब झूठी बातें है। अगर पुलिस, वकील और जज अच्छे लोग हैं, बस खाली तो ही आपको न्याय और सुरक्षा मिलता है। वरना कर्म और दैवीय न्याय के जूठे प्रपंच से, लोग जिसके साथ गलत हुआ है, उसी को दोष देते हैं !!
बेटी पढावो । बेटी बचावो । बेटी यां बेटा? रीत रिवाज, समाज कोन बनाया ?हमने । कयों? कयोंकि उस दायरे मे रहे । शादी की संस्था से समाज जुडा रहे, मगर बटता है । घरेलु हिंसा, मारना धमकाना यह सब चाहे पढे लिखे, अनपढ़ चलता है । 💠दीमाग को बदलना जरुरी है।
कुछ लोग oldage homes की बदनामी करते हैं, कि देश में oldage homes होने से देश की संस्कृति खराब हो गई, पर ऐसा नहीं है, देश में अच्छे oldage homes होना जरूरी है, जो मां-बाप घर में रहना चाहे वह घर में रहे, जो आश्रम में रहना चाहे वह आश्रम में रहे, मैं तो हमेशा अनाथ आश्रम में रहना चाहती थी, मुझे घर में रहना ही नहीं था, पर बच्चों को तो इतनी फ्रीडम भी नहीं मिलती, उनको जबरजस्ती assaultive मां-बाप के साथ रहना पड़ता है, मां-बाप को तो सब आजादी है, पैसा और जायदाद बच्चों को नहीं देना तो मत दो।
specific gender roles बचपन से लड़की के मां-बाप ने उसको सिखाएं है, उसके मां-बाप ने उसको पैसा कमाना कभी नहीं सिखाया, भारत का हर एक बाप रिक्शा चलाना, टेंपो चलाना, ट्रक चलाना, फेब्रिकेशन काम, लकड़ी का काम, अपनी दुकान संभालना, हर एक पैसे कमाने का काम खाली अपने बेटे को सिखाता है, और बेटी को खाली दूसरे के घर की नौकरानी बनाता है।
लड़कियां ज्यादा पढ़ी लिखी हो, बस खाली इतनी बात नहीं है, बहुत सारी लड़कियां बहुत ज्यादा पढ़ी लिखी होती है, बहुत अच्छी नौकरी कर रही होती है, फिर भी वह अपनी पगार अपने पति और सास-ससुर को ही देती है !! बात है लड़कियों के बड़े सपनों की, लड़की के अंदर यह जिद होनी चाहिए कि मैं अपना घर खरीद लूंगी, अपनी जमीन खरीद लूंगी, भले ही वह लड़की खाली मजदूरी का काम कर रही हो, उसमें भी रोज का ₹500 मिलता है, पर उसके अंदर वह स्वमान होना चाहिए कि वह अपना पैसा अपने पास रखें, अपना बचत अपने बैंक अकाउंट में अपने नाम से करें, और अपने नाम से घर खरीदें, बाकी पढ़ी-लिखी लाखों लड़कियां भारत में खाली पितृसत्ता को बढ़ावा ही दे रही है !!
कब तक भागती रहोगी? पहले मां-बाप से भागा, फिर पहले पति से भागा, फिर दूसरे पति से भागोगी, अगर भागना ही है तो पितृसत्ता से दूर भागो, अपने नाम पर अपना घर खरीद के शांति से अकेले रहो, शादी कभी मत करो, जो लड़का तुमसे प्यार करता है, वह बिना शादी के भी प्यार निभाएगा।
Each scene is an entire movie in itself.
પોલું ઢોલ સાંભળી ને કદાચ પોલા પેટ ને સારું લાગે ❣️
My eyes got wet on this dialogue....
Very nice hellaro movie 🙏🙏🙏🙏🙏 shraddha ji very very great role 🙏🙏 bs thodi clip hi dekhi h
भारत की कोई लड़की अगर पितृसत्ता की राह पर चलना छोड़ दे, तो उसके खुद के मां-बाप उसको पूरी जिंदगी नरक की आग में जलाते है, हमारी गलती क्या है? बस खाली इतनी कि हम भी किसी पुरुष की तरह अपना घर खरीदना चाहते है, हम भी किसी पुरुष की तरह अपनी आजादी चाहते है, हमारे जैसी लड़कियों को अगर "भारत रत्न" का खिताब भी मिल जाए ना, तो वह भी कम है, हमारे दुखों के आगे।
"जैसा कर्म होता है वैसा फल मिलता है" यह सब झूठी बातें है। अगर पुलिस, वकील और जज अच्छे लोग हैं, बस खाली तो ही आपको न्याय और सुरक्षा मिलता है। वरना कर्म और दैवीय न्याय के जूठे प्रपंच से, लोग जिसके साथ गलत हुआ है, उसी को दोष देते हैं !!
What a dialogue..... Master piece of Gujarati Movie....
बेटी पढावो । बेटी बचावो । बेटी यां बेटा? रीत रिवाज, समाज कोन बनाया ?हमने । कयों? कयोंकि उस दायरे मे रहे । शादी की संस्था से समाज जुडा रहे, मगर बटता है । घरेलु हिंसा, मारना धमकाना यह सब चाहे पढे लिखे, अनपढ़ चलता है । 💠दीमाग को बदलना जरुरी है।
कुछ लोग oldage homes की बदनामी करते हैं, कि देश में oldage homes होने से देश की संस्कृति खराब हो गई, पर ऐसा नहीं है, देश में अच्छे oldage homes होना जरूरी है, जो मां-बाप घर में रहना चाहे वह घर में रहे, जो आश्रम में रहना चाहे वह आश्रम में रहे, मैं तो हमेशा अनाथ आश्रम में रहना चाहती थी, मुझे घर में रहना ही नहीं था, पर बच्चों को तो इतनी फ्रीडम भी नहीं मिलती, उनको जबरजस्ती assaultive मां-बाप के साथ रहना पड़ता है, मां-बाप को तो सब आजादी है, पैसा और जायदाद बच्चों को नहीं देना तो मत दो।
specific gender roles बचपन से लड़की के मां-बाप ने उसको सिखाएं है, उसके मां-बाप ने उसको पैसा कमाना कभी नहीं सिखाया, भारत का हर एक बाप रिक्शा चलाना, टेंपो चलाना, ट्रक चलाना, फेब्रिकेशन काम, लकड़ी का काम, अपनी दुकान संभालना, हर एक पैसे कमाने का काम खाली अपने बेटे को सिखाता है, और बेटी को खाली दूसरे के घर की नौकरानी बनाता है।
पुत्र वधु होती हे
नौकरानी नही
आपके विचार कलुषित है
लड़कियां ज्यादा पढ़ी लिखी हो, बस खाली इतनी बात नहीं है, बहुत सारी लड़कियां बहुत ज्यादा पढ़ी लिखी होती है, बहुत अच्छी नौकरी कर रही होती है, फिर भी वह अपनी पगार अपने पति और सास-ससुर को ही देती है !! बात है लड़कियों के बड़े सपनों की, लड़की के अंदर यह जिद होनी चाहिए कि मैं अपना घर खरीद लूंगी, अपनी जमीन खरीद लूंगी, भले ही वह लड़की खाली मजदूरी का काम कर रही हो, उसमें भी रोज का ₹500 मिलता है, पर उसके अंदर वह स्वमान होना चाहिए कि वह अपना पैसा अपने पास रखें, अपना बचत अपने बैंक अकाउंट में अपने नाम से करें, और अपने नाम से घर खरीदें, बाकी पढ़ी-लिखी लाखों लड़कियां भारत में खाली पितृसत्ता को बढ़ावा ही दे रही है !!
😊
Ool..thebastmovi....guarp..thebast
कब तक भागती रहोगी? पहले मां-बाप से भागा, फिर पहले पति से भागा, फिर दूसरे पति से भागोगी, अगर भागना ही है तो पितृसत्ता से दूर भागो, अपने नाम पर अपना घर खरीद के शांति से अकेले रहो, शादी कभी मत करो, जो लड़का तुमसे प्यार करता है, वह बिना शादी के भी प्यार निभाएगा।
Stri ni bhavna parmane ..bhayda na j hoy
Riyal movi 😢
Jay bavani
Hii
Super