हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी भाषा टांकरी लिपि में लिखी जाती थी| टांकरी लिपि, पहाड़ी भाषा समेत उत्तर भारत की कई भाषाओँ को लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली लिपि है| एक ज़माने में कुल्लू से लेकर रावलपिंडी तक हर तरह के पढ़ने-लिखने का काम टांकरी लिपि में ही किया जाता था।टांकरी लिपि ब्राह्मी परिवार की लिपियों का ही हिस्सा है जोकि कश्मीरी में प्रयोग होने वाली शारदा लिपि से निकली है। जम्मू कश्मीर की डोगरी, हिमाचल प्रदेश की चम्बियाली, कुल्लुवी, और उत्तराखंड की गढ़वाली समेत कई भाषाएं टांकरी में लिखी जाती थी।
बहुत सुंदर। हमारे पूर्वज विद्वान जानते थे कि टांकरी लिपि की अपेक्षा देवनागरी लिपि ही पहाड़ी भाषा के लिए उपयुक्त है। अतः हिमाचली पहाड़ी भाषा ही सर्वप्रतिष्ठित है। अतः अब पहाड़ी भाषा कहने में संकोच नहीं होना चाहिए।
I appreciate Upadesh bhai that your and your team's effort towards himachali culture and traditions.... First podcast hui hogi Tankari ke upar .... congratulations and best wishes from the bottom of my heart ❤.... हिमाचला रा विशुध्द रूप आस्सों इंया हे दसदे रह्वा ।।।
देवनागरी लिपि ही उपयुक्त लिपि है पहाड़ी भाषा और उपभाषाओं को लिखने के लिए.. किन्तु यहाँ लाहुल स्पीत्ति की अनदेखी सी की जा रही है क्योंकि केवल मात्र लाहुल प्रभाग में ही सात आठ उपभाषाएं मौजूद हैँ आप पहाड़ी भाषा को वहाँ अपना नहीं सकते क्योंकि न तो अड़ोसी पड़ोसी ज़िलों की भाषा वहाँ अपनाई जा सकती है न ही एकमात्र उपभाषा को पूरे ज़िलें में अपनाई जा सकती है क्योंकि हर घाटी की अपनी उपभाषा है.. हाँ जो भोटी भाषा है वह पूर्वत: अपनाई गई है किन्तु अधिकांश इलाकों में भोटी भाषा बोलने वाले नहीं हैँ बल्कि वे गाहरी, पट्टनी, तिननी, चिनाली और लुहारी तथा तिंदयाली बोलने वाले समुदाय हैँ..!!
"Watching your video on idioms and proverbs brought a rush of nostalgia, transporting me back to my childhood days spent listening to my grandparents and other elders speak in the same rich tapestry of language. Those idioms and proverbs weren't just phrases; they were gateways to our culture, encapsulating centuries of wisdom and tradition. Your efforts to promote these linguistic gems to the next generation fill my heart with gratitude. In a world where language is evolving rapidly, preserving and celebrating our cultural heritage through these timeless expressions is more important than ever. Thank you for championing our language and culture, ensuring that the legacy of our ancestors lives on in the hearts and minds of future generations."
वाह वाह क्या बात है l पहाड़ी भाषा समृद्ध होगी तो ultimately पहाड़ी गानों को भी समृद्ध करेगी l आपके podcast के माध्यम से आप बेहतरीन काम कर रहे हैं l इस level का content हिमाचल में पहले किसी को लेकर आते नहीं देखा l ईश्वर आपको अच्छा स्वास्थ्य और लम्बी आयु दे l
Sir,very admirable podcast, commendable efforts to work for the pahadi language.schedulse 8 must be expand by the adoption of this pahadi language... Being an university student i can explain that how tough are these works to conserve the heritage as well...
Mai aksar tankri mai likhta hun. Meri samajh me jise bhi Devnagri, Gurmukhi, Bhoti, Bangla, or koi bhi Indo aryan script aati hai, use Tankri lipi sikhne mai dikkat nahin hogi. Rules same hain, bas vyanjan alag hai. Dikkat yah hai ki tankri ke apne aap mai kai varieties hain, to hum logon ko sirf ek variety ya har variety nahin sikha sakte. Aise mai koshish yah hai ki har tankri lipi se (aur even bhoti se) vyanjan le kar ek lipi banai jaye, jo ki har himachali tankri aur pandu lipion ko represent kare. Magar isme koi doubt nahin ki pahari bhasha ki lipi devnagri bhi rehni chahiye, kyonki zyadatar logon ko filhal yahi aati hai. Ise sideline nahin karna chahiye, na hi tankri ko.
कांगड़ी भाषा निचले हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रों में बोली जाती है, विशेष रूप से चम्बा के भटियात, कांगड़ा , हमीरपुर और ऊना तथा साथ लगते राज्यों के कुछ हिस्सों में । यह सही है कि इस भाषा को प्रदेश के काफ़ी भागों में समझा भी जाता है परन्तु यह प्रश्न अन्ततः अनुत्तरित ही रहा कि भोटी , बाघली, महासुवी आदि की उत्तरपुस्तिका कौन और कैसे जाँचेगा । हिमाचल प्रदेश एक बहुभाषी प्रदेश है। इसकी अनेक भाषा-बोलियों को मारकर किसी एक खिचड़ी भाषा ( जो किसी की भी अपनी नहीं होगी) को अपनाने के बजाय अपनी अपनी भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए प्रयास क्यों न करें ! वैसे भी भाषा को आधिकारिक दर्जा तब मिलता है जब उस भाषा की उपभाषाओं का एक ही व्याकरण हो । कहलूर से लेकर रावलपिंडी तक कि पहाड़ी भाषाओं/बोलियों का एक जैसा व्याकरण है परंतु ऊपरी हिमाचल की बोलियों का व्याकरण और वाक्य विन्यास एक नहीं है । इस कारण सबको साथ लेकर चलना सम्भव नहीं है। बेहतर यही है कि सब भाषाओं को फलने फूलने दिया जाए । एक प्रदेश की अनेक भाषाओं को भी मान्यता मिल सकती है यदि वे भाषाएं सक्षम हों। बाकी आपकी पॉडकास्ट वाक़ई शानदार रहती है। carry on 😊
हिमाचल में सभी भाषाएं भाषाएं हैं ! कोई बोली नहीं है ! ये सभी भाषाएं अपने आप में पूर्ण हैं ! आदरणीय मौलू राम ठाकुर जी का व्याकरण हिमाचल की इन सभी भाषाओं का परिचय प्रस्तुत करता है !!
जब तक हिमाचली भाषा का न्यूट्रलाइजेशन नहीं होगा तब तक कुछ भी संभब नहीं है। मातृभाषा के साथ भी ऐसा ही है। हमारी हिमाचली भाषाए छोटे पहाडी राज्यों की छोटी सीमाओं तक सीमित रहीं और बड़ा आकार नहीं ले पाईं सो भाषा न होकर उपभाषा या बोली हो गई। अब जरूरत ये है कि पूरे राज्य की एक भाषा को अस्तित्व में लाया जाए। उसमें मध्य हिमाचल की भाषा को एक मानक बिंदु मानकर कार्य किया जाए तो बेहतर होगा वर्ना ये भाषा नहीं उपभाषा ही बनी रहेगी क्योंकि इसमें बोलने वालों का वर्गीकरण रहेगा जैसा कि अभी है। हमने जन से भाषा को नहीं जोड़ा, सरकारी व्याख्या पूर्ति की तो उससे होगा क्या? भाषा जीवंत तो tb hogi जब जनमानस उसे अपनाए और समृद्ध करे।
1. पहाड़ी भाषा में पढ़ाई की पहली खिड़की खुल रही है। स्वागत योग्य कदम। 2. स्कूलों में पहाड़ी भाषा कब पढ़ाई जाएगी। उसका पाठ्यक्रम क्या होगा? क्या इस विषय में कोई तैयारीचल रही है? 3. ओम प्रकाश जी की ये किताबें कैसे उपलब्ध होंगी ?
It was a great initiative.. you as a host could have added questions for origin or similar speaking dialects from the world... Like I found out the lahauli dialect is similar to Burmese , punjabi and Kashmiri.. words are jumbled and mixed accordingly....
Updesh Bhai app ko kitne logo ne kitne baar comment kardeya hai ki the great mohan Singh Chauhan ko bulao agar aapko baat karni unke bete se lokendra se contact Karo
Aapki janakari ke liye bta du , Mohan ji ko December mein hi invite kar chuka hu, Unhone kaha hai jab unko thoda samay milega wo aayenge. Baki Aap unse directly Puch lijiye . Dhnayawaad.
हिमाचल प्रदेश के किसी भी स्कूल में यदि 12 जिलों की अनेक बोलियां वाले विद्यार्थी परीक्षा देते हैं उन विद्यार्थियों के लिए यह अनिवार्य होगा कि उन्होंने जिस भी बोली में गीत, गाथा या कोई अन्य कथा लिखी है वे तदोपरांत उसका हिंदी भाषा में अनुवाद भी लिखेंगे जिससे कि पेपर चेक करने वाले अध्यापक को आसानी होगी।
हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी भाषा टांकरी लिपि में लिखी जाती थी| टांकरी लिपि, पहाड़ी भाषा समेत उत्तर भारत की कई भाषाओँ को लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली लिपि है| एक ज़माने में कुल्लू से लेकर रावलपिंडी तक हर तरह के पढ़ने-लिखने का काम टांकरी लिपि में ही किया जाता था।टांकरी लिपि ब्राह्मी परिवार की लिपियों का ही हिस्सा है जोकि कश्मीरी में प्रयोग होने वाली शारदा लिपि से निकली है। जम्मू कश्मीर की डोगरी, हिमाचल प्रदेश की चम्बियाली, कुल्लुवी, और उत्तराखंड की गढ़वाली समेत कई भाषाएं टांकरी में लिखी जाती थी।
Good initiative updesh bhai 👏 kafi yada informative personalities bulate ho aap . Hope to see many more influential and creative people on your podcast, specifically from administration side
Himachal k lahol mein sanskrit k behad kareeb boli bhi hai .jiska zikr DD sharma ki pustak mein hai vyakaran etc .. Par kahin zikr nhi. lahol mein mulatya bhoti or swangla boli hai . or sath mein sanskrit bhashi log hai jo k 2500 k kareeb hai..
देवनागरी की अपनी महत्त्व है पर हिमाचल की मूल भाषा टांकरी ही है / देवनागरी हम ने १९५७ k बाद ही काम मै लाइ / टांकरी राजाओं के समय की भाषा है / फायदा ना देख के मूल भाषा को बचाना चाइए /
Sir..agr himachal ki लिपि ko ap devnagri me kre hai to..maximum dialect or लिपि to kashmir hai. Or vo khashkuri लिपि में है...devnagri के jagah khashukri लिपि isko rakh सकते hai...
हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी भाषा टांकरी लिपि में लिखी जाती थी| टांकरी लिपि, पहाड़ी भाषा समेत उत्तर भारत की कई भाषाओँ को लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली लिपि है| एक ज़माने में कुल्लू से लेकर रावलपिंडी तक हर तरह के पढ़ने-लिखने का काम टांकरी लिपि में ही किया जाता था।टांकरी लिपि ब्राह्मी परिवार की लिपियों का ही हिस्सा है जोकि कश्मीरी में प्रयोग होने वाली शारदा लिपि से निकली है। जम्मू कश्मीर की डोगरी, हिमाचल प्रदेश की चम्बियाली, कुल्लुवी, और उत्तराखंड की गढ़वाली समेत कई भाषाएं टांकरी में लिखी जाती थी।
ये भ्रांति मात्र हे, इस मानक के अनुसार कई स्थापित भाषायें जैसे हिन्दी, मराठी, नेपाली, बोडो, मैथिली आदि ने देवनागरी को अपनाया हे, वो भी भाषाएं नहीं कहलाएंगे। ये भारतीय भाषाओं में ही नहीं अपितु विश्व की कई अन्य भाषाओं में भी हे यूरोप की रोमन लिपि को ले लीजिए। उत्तर भारत मे पहाडी या अन्य को भाषा का दर्जा ना मिलना केवल राजनीतिक ज्यादा हे। कश्मीर को ले लीजिए एक की राज्य मे कश्मीरी, उर्दू, डोगरी , लद्दाखि आदि आधिकारिक और मान्य भाषाएं हे।
tusse kuski anpadh manu ri galla suni leri bhasa or lipi m antar hota h lipi to koi bhi so skti h ye lo m abhi roman lipi m likh ra iska arth kya hua m anreji bol ra hu
Great insight about Himachali Pahari language.
You are promoting the values of the state of Himachal Pradesh.
Nice piece of work.
हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी भाषा टांकरी लिपि में लिखी जाती थी| टांकरी लिपि, पहाड़ी भाषा समेत उत्तर भारत की कई भाषाओँ को लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली लिपि है| एक ज़माने में कुल्लू से लेकर रावलपिंडी तक हर तरह के पढ़ने-लिखने का काम टांकरी लिपि में ही किया जाता था।टांकरी लिपि ब्राह्मी परिवार की लिपियों का ही हिस्सा है जोकि कश्मीरी में प्रयोग होने वाली शारदा लिपि से निकली है। जम्मू कश्मीर की डोगरी, हिमाचल प्रदेश की चम्बियाली, कुल्लुवी, और उत्तराखंड की गढ़वाली समेत कई भाषाएं टांकरी में लिखी जाती थी।
Brother mein bhi himachal se hoon .nepali gadwali .yeh taankri nahin hai...jaunsaari himachali jammu kashmir rawalpindi taankri hai
बहुत सुंदर। हमारे पूर्वज विद्वान जानते थे कि टांकरी लिपि की अपेक्षा देवनागरी लिपि ही पहाड़ी भाषा के लिए उपयुक्त है। अतः हिमाचली पहाड़ी भाषा ही सर्वप्रतिष्ठित है।
अतः अब पहाड़ी भाषा कहने में संकोच नहीं होना चाहिए।
कौन -कौन उपदेश भाई के इस कार्यक्रम की दिल ❤ से सराहना करते हैं?
I appreciate Upadesh bhai that your and your team's effort towards himachali culture and traditions.... First podcast hui hogi Tankari ke upar .... congratulations and best wishes from the bottom of my heart ❤.... हिमाचला रा विशुध्द रूप आस्सों इंया हे दसदे रह्वा ।।।
❤️
Apna himachal ❤❤❤humari bhasha
देवनागरी लिपि ही उपयुक्त लिपि है पहाड़ी भाषा और उपभाषाओं को लिखने के लिए.. किन्तु यहाँ लाहुल स्पीत्ति की अनदेखी सी की जा रही है क्योंकि केवल मात्र लाहुल प्रभाग में ही सात आठ उपभाषाएं मौजूद हैँ आप पहाड़ी भाषा को वहाँ अपना नहीं सकते क्योंकि न तो अड़ोसी पड़ोसी ज़िलों की भाषा वहाँ अपनाई जा सकती है न ही एकमात्र उपभाषा को पूरे ज़िलें में अपनाई जा सकती है क्योंकि हर घाटी की अपनी उपभाषा है.. हाँ जो भोटी भाषा है वह पूर्वत: अपनाई गई है किन्तु अधिकांश इलाकों में भोटी भाषा बोलने वाले नहीं हैँ बल्कि वे गाहरी, पट्टनी, तिननी, चिनाली और लुहारी तथा तिंदयाली बोलने वाले समुदाय हैँ..!!
25:28
टांकरी लिपि लिखने व सीखने में बहुत ही सहज एवं सरल है।
भाखा बहता नीर, हिमाचली पहाड़ी भाषाओं के विकास की चुनौतियां, गगनदीप सिंह की बुक हाल ही में प्रकशित हुई है। किंडल पर पढ़ी है। बहुत अच्छी किताब है।
"Watching your video on idioms and proverbs brought a rush of nostalgia, transporting me back to my childhood days spent listening to my grandparents and other elders speak in the same rich tapestry of language. Those idioms and proverbs weren't just phrases; they were gateways to our culture, encapsulating centuries of wisdom and tradition. Your efforts to promote these linguistic gems to the next generation fill my heart with gratitude. In a world where language is evolving rapidly, preserving and celebrating our cultural heritage through these timeless expressions is more important than ever. Thank you for championing our language and culture, ensuring that the legacy of our ancestors lives on in the hearts and minds of future generations."
Sir great mohan Singh Chauhan bulao
वाह वाह क्या बात है l पहाड़ी भाषा समृद्ध होगी तो ultimately पहाड़ी गानों को भी समृद्ध करेगी l आपके podcast के माध्यम से आप बेहतरीन काम कर रहे हैं l इस level का content हिमाचल में पहले किसी को लेकर आते नहीं देखा l ईश्वर आपको अच्छा स्वास्थ्य और लम्बी आयु दे l
प्रणाम गुरुजी, बहुत शानदार।।।
बहुत बढ़िया चर्चा जानकारी
One of the best podcasts. Great work 🙏🙏
❤️
Sir,very admirable podcast, commendable efforts to work for the pahadi language.schedulse 8 must be expand by the adoption of this pahadi language...
Being an university student i can explain that how tough are these works to conserve the heritage as well...
❤️
Don’t Forget to share it further
Wow great sir.
guru g apko pranam ❤
Great👍👍👏👏 sir🙏🙏🙏 g
Updesh bhai Need more podcasts like this. This podcast is one of the best podcasts I have ever watched. Really amazing work 🫡🔥🔥🔥
❤️
Supr bhai 🎉🎉🎉
Mai aksar tankri mai likhta hun.
Meri samajh me jise bhi Devnagri, Gurmukhi, Bhoti, Bangla, or koi bhi Indo aryan script aati hai, use Tankri lipi sikhne mai dikkat nahin hogi.
Rules same hain, bas vyanjan alag hai.
Dikkat yah hai ki tankri ke apne aap mai kai varieties hain, to hum logon ko sirf ek variety ya har variety nahin sikha sakte.
Aise mai koshish yah hai ki har tankri lipi se (aur even bhoti se) vyanjan le kar ek lipi banai jaye, jo ki har himachali tankri aur pandu lipion ko represent kare.
Magar isme koi doubt nahin ki pahari bhasha ki lipi devnagri bhi rehni chahiye, kyonki zyadatar logon ko filhal yahi aati hai. Ise sideline nahin karna chahiye, na hi tankri ko.
Bilkul sahi bat,we will do hard work
कांगड़ी भाषा निचले हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रों में बोली जाती है, विशेष रूप से चम्बा के भटियात, कांगड़ा , हमीरपुर और ऊना तथा साथ लगते राज्यों के कुछ हिस्सों में । यह सही है कि इस भाषा को प्रदेश के काफ़ी भागों में समझा भी जाता है परन्तु यह प्रश्न अन्ततः अनुत्तरित ही रहा कि भोटी , बाघली, महासुवी आदि की उत्तरपुस्तिका कौन और कैसे जाँचेगा । हिमाचल प्रदेश एक बहुभाषी प्रदेश है। इसकी अनेक भाषा-बोलियों को मारकर किसी एक खिचड़ी भाषा ( जो किसी की भी अपनी नहीं होगी) को अपनाने के बजाय अपनी अपनी भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए प्रयास क्यों न करें ! वैसे भी भाषा को आधिकारिक दर्जा तब मिलता है जब उस भाषा की उपभाषाओं का एक ही व्याकरण हो । कहलूर से लेकर रावलपिंडी तक कि पहाड़ी भाषाओं/बोलियों का एक जैसा व्याकरण है परंतु ऊपरी हिमाचल की बोलियों का व्याकरण और वाक्य विन्यास एक नहीं है । इस कारण सबको साथ लेकर चलना सम्भव नहीं है। बेहतर यही है कि सब भाषाओं को फलने फूलने दिया जाए । एक प्रदेश की अनेक भाषाओं को भी मान्यता मिल सकती है यदि वे भाषाएं सक्षम हों।
बाकी आपकी पॉडकास्ट वाक़ई शानदार रहती है। carry on 😊
हिमाचल में सभी भाषाएं भाषाएं हैं ! कोई बोली नहीं है !
ये सभी भाषाएं अपने आप में पूर्ण हैं ! आदरणीय मौलू राम ठाकुर जी का व्याकरण हिमाचल की इन सभी भाषाओं का परिचय प्रस्तुत करता है !!
जब तक हिमाचली भाषा का न्यूट्रलाइजेशन नहीं होगा तब तक कुछ भी संभब नहीं है। मातृभाषा के साथ भी ऐसा ही है। हमारी हिमाचली भाषाए छोटे पहाडी राज्यों की छोटी सीमाओं तक सीमित रहीं और बड़ा आकार नहीं ले पाईं सो भाषा न होकर उपभाषा या बोली हो गई। अब जरूरत ये है कि पूरे राज्य की एक भाषा को अस्तित्व में लाया जाए। उसमें मध्य हिमाचल की भाषा को एक मानक बिंदु मानकर कार्य किया जाए तो बेहतर होगा वर्ना ये भाषा नहीं उपभाषा ही बनी रहेगी क्योंकि इसमें बोलने वालों का वर्गीकरण रहेगा जैसा कि अभी है। हमने जन से भाषा को नहीं जोड़ा, सरकारी व्याख्या पूर्ति की तो उससे होगा क्या? भाषा जीवंत तो tb hogi जब जनमानस उसे अपनाए और समृद्ध करे।
1. पहाड़ी भाषा में पढ़ाई की पहली खिड़की खुल रही है। स्वागत योग्य कदम।
2. स्कूलों में पहाड़ी भाषा कब पढ़ाई जाएगी। उसका पाठ्यक्रम क्या होगा? क्या इस विषय में कोई तैयारीचल रही है?
3. ओम प्रकाश जी की ये किताबें कैसे उपलब्ध होंगी ?
Anoop ji , inki books filhaal offline Shimla gaiety theatre me book store mein available hain, jald hi Amazon pe aa jayengi.
❤❤❤❤❤❤
Very nice episode
Bahut hi behtareen episode ❤
Great episode 🎉
It was a great initiative.. you as a host could have added questions for origin or similar speaking dialects from the world... Like I found out the lahauli dialect is similar to Burmese , punjabi and Kashmiri.. words are jumbled and mixed accordingly....
Updesh Bhai app ko kitne logo ne kitne baar comment kardeya hai ki the great mohan Singh Chauhan ko bulao agar aapko baat karni unke bete se lokendra se contact Karo
Aapki janakari ke liye bta du , Mohan ji ko December mein hi invite kar chuka hu, Unhone kaha hai jab unko thoda samay milega wo aayenge. Baki Aap unse directly Puch lijiye . Dhnayawaad.
Mein to chahunga ki ek common swaroop diya jaye himachal ki boliyon ko
हिमाचल प्रदेश के किसी भी स्कूल में यदि 12 जिलों की अनेक बोलियां वाले विद्यार्थी परीक्षा देते हैं उन विद्यार्थियों के लिए यह अनिवार्य होगा कि उन्होंने जिस भी बोली में गीत, गाथा या कोई अन्य कथा लिखी है वे तदोपरांत उसका हिंदी भाषा में अनुवाद भी लिखेंगे जिससे कि पेपर चेक करने वाले अध्यापक को आसानी होगी।
Sahi kaha mein shimla se hoon par himachal ke har distric mein ghooma hoon aur jagh tarika thoda alag hain.par himachali bhasha same hain.
Government should give extra nomber in exams for job
Himachal k sports person ko v bulaya jaye
Vicky Chauhan kab aa rahe hai sir please reply 🙏
Sunil Rana ko bulao bhai
How can i learn pahadi language i just want to learn it ❤❤
Sir agr hme apna astitwa ko bachana hi to hme apne bhasha ko bachana hi padenga ❤or hme apne phadi bhasha ko 8wi soochi me darj Karana hi pdenga
हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी भाषा टांकरी लिपि में लिखी जाती थी| टांकरी लिपि, पहाड़ी भाषा समेत उत्तर भारत की कई भाषाओँ को लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली लिपि है| एक ज़माने में कुल्लू से लेकर रावलपिंडी तक हर तरह के पढ़ने-लिखने का काम टांकरी लिपि में ही किया जाता था।टांकरी लिपि ब्राह्मी परिवार की लिपियों का ही हिस्सा है जोकि कश्मीरी में प्रयोग होने वाली शारदा लिपि से निकली है। जम्मू कश्मीर की डोगरी, हिमाचल प्रदेश की चम्बियाली, कुल्लुवी, और उत्तराखंड की गढ़वाली समेत कई भाषाएं टांकरी में लिखी जाती थी।
Good initiative updesh bhai 👏 kafi yada informative personalities bulate ho aap . Hope to see many more influential and creative people on your podcast, specifically from administration side
Sure soon.
Himachal k lahol mein sanskrit k behad kareeb boli bhi hai .jiska zikr DD sharma ki pustak mein hai vyakaran etc .. Par kahin zikr nhi. lahol mein mulatya bhoti or swangla boli hai . or sath mein sanskrit bhashi log hai jo k 2500 k kareeb hai..
Mandi m kaha jese hai Bata skte h koi ?
Where can we Download these books????
Currently gaiety theatre mein jo Pustakalya hai, usme aapko milegi, very soon these books will be available on Amazon.
How can i buy this book?
Why Shimla & Sirmour's pahadi language is so different from rest of districts.
देवनागरी की अपनी महत्त्व है पर हिमाचल की मूल भाषा टांकरी ही है / देवनागरी हम ने १९५७ k बाद ही काम मै लाइ / टांकरी राजाओं के समय की भाषा है / फायदा ना देख के मूल भाषा को बचाना चाइए
/
Sir..agr himachal ki लिपि ko ap devnagri me kre hai to..maximum dialect or लिपि to kashmir hai. Or vo khashkuri लिपि में है...devnagri के jagah khashukri लिपि isko rakh सकते hai...
हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी भाषा टांकरी लिपि में लिखी जाती थी| टांकरी लिपि, पहाड़ी भाषा समेत उत्तर भारत की कई भाषाओँ को लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली लिपि है| एक ज़माने में कुल्लू से लेकर रावलपिंडी तक हर तरह के पढ़ने-लिखने का काम टांकरी लिपि में ही किया जाता था।टांकरी लिपि ब्राह्मी परिवार की लिपियों का ही हिस्सा है जोकि कश्मीरी में प्रयोग होने वाली शारदा लिपि से निकली है। जम्मू कश्मीर की डोगरी, हिमाचल प्रदेश की चम्बियाली, कुल्लुवी, और उत्तराखंड की गढ़वाली समेत कई भाषाएं टांकरी में लिखी जाती थी।
Devnaagri hee rakhi jaaye aaj jisase logon mein ekta aur melmilaap hota rahe nahin to log ulajhkar reh jaayenge, bikhraav na kahin aa jaaye logon kee psychology mein.
Lip kiya phadi bahsha ki
हमने सुना है कि हिमाचली बोली हो सकती है भाषा नही।
शायद बिना अपनी लिपि न होने के कारण।
क्या ये सत्य है या इसको ठीक करने की आवश्कता है?
ये भ्रांति मात्र हे, इस मानक के अनुसार कई स्थापित भाषायें जैसे हिन्दी, मराठी, नेपाली, बोडो, मैथिली आदि ने देवनागरी को अपनाया हे, वो भी भाषाएं नहीं कहलाएंगे।
ये भारतीय भाषाओं में ही नहीं अपितु विश्व की कई अन्य भाषाओं में भी हे यूरोप की रोमन लिपि को ले लीजिए।
उत्तर भारत मे पहाडी या अन्य को भाषा का दर्जा ना मिलना केवल राजनीतिक ज्यादा हे।
कश्मीर को ले लीजिए एक की राज्य मे कश्मीरी, उर्दू, डोगरी , लद्दाखि आदि आधिकारिक और मान्य भाषाएं हे।
हिमाचल की पहाड़ी भाषांए टांकरी लिपी में लिखी जाती थी
tusse kuski anpadh manu ri galla suni leri bhasa or lipi m antar hota h lipi to koi bhi so skti h ye lo m abhi roman lipi m likh ra iska arth kya hua m anreji bol ra hu
Raja Vikramaditya Singh ❤
ko bulao
Meh punjab se hu mujhe pahari sikhne h any one can help
कौन से क्षेत्र की सीखनी है !
कांगड़ा में तो कांगड़ी ही सिखाई जा सकती है!!
@@trigarti6898 gaddi culture language
@@adityachoprayt9139tu punjab saa nahi hai 😂
@@pushpindersingh4singh408 kuch bol ki sunawa paji
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