@@balajee4341 Beta aisa hi hota hai mere area me tujhe jhuth lag rha hai to aake malum kar sakta hai aur sirf mere hi gaw me nahi mere pure ilake me adhikansh obc or sc hi sadhu hai jabki mere gaw ko brahmano ne hi bashaya hai
जिस मंदिर में माल का चढ़ावा नहीं होगा वहां पुजारी लात मारकर मंदिर से भाग जाता है मित्र हमारे गांव में भी हनुमान जी के मंदिर में हमारे गांव के ही रहते हैं कुछ मिलता नहीं है बस खाने भर मिल जाता है
Pahle se aap log bevakoof ho yaa abhi abhi hue ho pata nahi Pahele a pata karo ki wartalbh kiske kiske bich me ho rahi hai aur duniya me asa ek bhi vyakti hai Jo ramayan me ghuse aur bhar nikaljay
Oho ....UP cabinet sachivalaya kendra sachilavaya Har thana Chaukee Bade bade pad kon baitha hai kis jatee hai wo .90 percent bade pado par kon baitha hai . Ise hee jativad kehte hai. .Doglee dalal media yahee sab dikhayegee .ek samay inko har jagah Yadav yadav dikhai dete the UP me aaj inko har jagah Thakur brahman lala nhi dikhai de rhe .
वीडियो में 4:25 पर एक चौपाई आती है जाकी रही भावना जैसी । प्रभु मूरति देखी तिन तैसी ।। जिसकी जैसी भावना उसने प्रभू को वैसे देखा मतलब जैसी सृष्टि वैसी दृष्टि यहां भी वही हो रहा है जो कोई ताड़ना शब्द को जैसा समझ पा रहा है वैसा बोल रहे है एक और चौपाई इससे पहले भी आती है गगन समीर अनल जल धरनी। इनकै नाथ सहज जड़ करनी ।। इस चौपाई को ढोल गवार वाली चौपाई के समकक्ष देखना चाहिए भाई रामचरित मानस अवधि भाषा में है अवधि में ताड़ना का अर्थ देख रेख करना होता है पीटना नही जब इन दोनो चौपाई को समकक्ष देखेंगे तो सबसे पहले आता है गगन और उसमे आता है ढोल मतलब गगन (आकाश) को ढोल के समकक्ष देखिए मतलब कंपेयर करिए जैसे आकाश खोखला होता है वैसे ही ढोल भी अंदर से खोखली होगी तभी वो बजती है दूसरा आता है गवार अर्थात मूर्ख दूसरी चौपाई में इसके समकक्ष आता है समीर (हवा) जैसे हवा को वश में नही किया जा सकता है उससे लड़ना एक मूर्खता है वैसे ही एक गवार से नही जीता जा सकता है उससे वार्तालाप करना भी एक मूर्खता है तीसरा आता है अनल (अग्नि) दूसरी तरफ आता है शुद्र (सेवक) (शुद्र का अर्थ सेवक होता है इसका आशय किसी जाति से नही है) जैसे अग्नि घर के चूल्हे में रहती है तब तक तो ठीक है पर जैसे ही वह चूल्हे से बाहर आती तो घर का विध्वंश कर देती है वैसे ही शुद्र जब तक अपनी मर्यादा में रहता है तब तक ठीक है जैसे ही वह मर्यादा से बाहर आपके अकाउंट्स में आपकी फैमिलियर प्रोब्लम में आया वो विध्वंश ही करता है इसलिए इन दोनो में समान बर्ताव करना चाहिए चौथा आता है पशु इसके समकक्ष आता है जल जिसमे समुद्र एक जल है और अपने आप को दर्शाता है जिस प्रकार पशू को नियंत्रण में करने के लिए उसको बांधना पड़ता है वैसे ही जल को वश में करने के लिए (पुल) बांधना पड़ता है इसलिए आप मुझपर एक पशु जैसा बर्ताव करिए और आखिरी में आता है नारी और दूसरी तरफ आता है धरनी मतलब अगर एक नारी को देखना है तो धरनी को देखिए और हिंदु धर्म में धरती को पूजनीय बताया गया सुबह उठकर सबसे पहले धरती के पैर छुने का प्रावधान है हिंदू धर्म में धरती को क्षमाशीलता की उपाधि दी गई है और जैसा बर्ताव आप धरनी के साथ करते है वैसा ही नारी के साथ करना चाहिए क्या ऐसा गलत लिखा है इस चौपाई में बस मुंह उठा के चले आते है ये गलत है वो गलत है ये बताओ की जब किसी पेपर की तैयारी करते हो तो क्या पढ़ते जो इंपोर्टेंट है उसे ही तो पढ़ोगे ना अब उसमे ये तो कहने नही लगते आप की जब इंपोर्टेंट ही पढ़ना है तो बाकी क्यों दिए है हो हटाओ इन्हे ऐसा तो कहते नही आप तो इसमें क्या दिक्कत है रामचरितमानस में जो जो कंटेंट अच्छे है आप उन्हें पढ़िए बाकी जो आपको गलत लगते है मत पढ़िए इग्नोर करिए पर ऐसी ऐसी चौपाई जिनका आपको अर्थ तक नही पता उन्हे उठा कर नफरत क्यों फैलाते हो ऐसी चौपाई उठाइए जिससे प्रेम बढे जैसे की कहत सप्रेम नाई महि माथा । भरत प्रणाम करत रघुनाथा।। उठे राम सुनी प्रेम अधिरा। कहु पट कहु निषंग धनु तीरा ।। इस तरह की चौपाई पर बहस करिए इसको समाज के के सामने रखिए जिससे भाई भाई में प्रेम बढे कभी ऐसी चौपाइयां भी उठाइए महाराज नफरत रामचरित मानस नही आप खुद फैलाते है negitive चीजे उठा के या फिर negitive बना के क्योंकि नेग्टीविटी तो आपमें खुद ही भरी पड़ी है और दूसरो को गलत बताते फिरते हो
Bhai jativaat nahi chahiye varna hain hamare yaha jo jis vishay mea accha hain wo uss varna se jana jayeaga dalit hue to kya tab bhai hum bhai hain mera dost bhi dalit hain sath mea khana khate hain hum mujhe kabhi farak nahi para
@@travelgram2856 bkl log hain fir wo apne hi bhaiyoon se bhedbhao kar rahe hain Mere dadaji ne daliton ke liye bhot ladai ki jab tak wo thea tab tak sab sahi tha unke jaane ke bad sab badal gaya 🥲
ये जहर उगालना नहीं रोकेंगे । यदि आप हिन्दू होकर हिन्दुत्व का विरोध कर रहे हैं, तो आपको ज्ञान की नहीं, असली बाप को ढूँढने की आवश्यकता हैं। जय हिंदूराष्ट्र 🚩
@@partikkumar453 हिंदू ही हिंदू के घर का पानी नहीं पीता है इसकी तकलीफ है चमार और मूसहर के घर ठाकुर और ब्राह्मण पानी पीकर दिखा दे राम तो शबरी के जूठे बैर खाए थे मित्र
Aarop bhagwaan par nahi, aarop us insaan par hain jinhone is shlok ko likha(tulsidas). Kyuki bhagwaan apne bachchon me bhed nahi karte .bhed insaan karta hai.
Ek baat to sahi kahi.... Karam Pradhan hai... Geeta m bhi yahi kha hai yahi Saar hai. Insan ki yogita uske karm uski jaat batati hai... So brahaman wo bhakti bhav se ishwar ki prathna seva kare pure niyam sadhbhawana se aur dusro ko Maan mein sraddha bhakti ki lehar ko pravahit kare.... To fir Jo janam lekar brahman k ghar paida hua... Usko hi mandiro pe abhi tak adhikar hai .. koi chhoti jati wala abhi tak mandiro mein ishwar ki seva pooja archana mein nhi hai....
तुलसीदास का जीवन देखो खुद भेदभाव का शिकार रहे वो भी पैदा होते ही उनकी चौपाई में नही लोगो की समझने की शक्ति में खोट है मैं अवधि, मगही भाषा का ज्ञान रखती हूं
Woh sahi ki Taraf khade hain . Kuch logo ne dharm ko apne hisaab se use kiya hai . Aur dharm ke purification ke liye uski aalochna hona bhi jaruri hai. Samajhdaari isi me hai ki galat baat ko accept kare, use theek Kiya jaye, aur aage badha jaye. Agar hum SHRI RAM ki sirf baate kare aur unke Jeevan ko apne Jeevan me utarne ki koshish na kare toh yeh sanatan dharm ka sabse bada durbaghay hoga. Aur yahi iske Patan ka Kaaran bhi.
Bhai shudra ka matlab kon kaise leta he uspar he lakin sachi bat ye he ki shudra matlab yese insan ko kaha gaya he jiska acharan kharab ho usse jati ka koyi Lena Dena nahi . Or lower cast valo ko shudra kehkar bhadkana asan hota he. Ab brahman jo vegetarian hoga agar uske ghar me koyi meat khake ayega to vo thoda react karenga hi na agar koyi chambhar uske yaha ayega to vo thoda uncomfortable hoga hi . Esme us insan ka koyi dosh nahi vo bus animal protectionist rahega us bat ka batangad banakar enone usme jativat, parivarvat ghused diya . Me manta hu ki yesi chize huvi hongi lekin vo hate se nahi balki uski religious soch se huva hoga hi. Me vegetarian hu mere ghar me sab non vegetarian he to jis din nonveg banta he to muje bahut uncomfortable hota he to ye brahman ke liye to aur bhi uncomfortable hoga na. Me yaha jativat ki bat nahi kar raha human psychology ki kar raha hu to krupya koyi ahat na ho
बनारस के संस्कृत यूनिवर्सिटी में oraginal वेदों में कोई उच्च शिकच्छा नही ले सकता है ,इसपर रोक है। एडमिशन ही नही होगा। यह तक कि ,राजपूत और बनिया भी,सिर्फ ब्राम्हड़. समझे .
पटना के हनुमान मंदिर जो राम मंदिर के निर्माण में करोड़ों का दान दिया है उसके महंत विशुद्ध है यह जिहादियों से सनातनी यों के बीच परमेश्वर बढ़ाने के लिए पैसा पाते हैं
(प्रश्न) क्या जिस के माता पिता ब्राह्मण हों वह ब्राह्मणी ब्राह्मण होता है और जिसके माता पिता अन्य वर्णस्थ हों उन का सन्तान कभी ब्राह्मण हो सकता है? (उत्तर) हां बहुत से हो गये, होते हैं और होंगे भी। जैसे छान्दोग्य उपनिषद् में जाबाल ऋषि अज्ञातकुल, महाभारत में विश्वामित्र क्षत्रिय वर्ण और मातंग ऋषि चाण्डाल कुल से ब्राह्मण हो गये थे। अब भी जो उत्तम विद्या स्वभाव वाला है वही ब्राह्मण के योग्य और मूर्ख शूद्र के योग्य होता है और वैसा ही आगे भी होगा। महर्षि दयानन्द सरस्वती - सत्यार्थ प्रकाश - चतुर्थ समुल्लास
(प्रश्न)ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद् बाहू राजन्यः कृतः । ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्या शूद्रो अजायत ।। यह यजुर्वेद के ३१वें अध्याय का ११वां मन्त्र है। इसका यह अर्थ है कि ब्राह्मण ईश्वर के मुख, क्षत्रिय बाहू, वैश्य ऊरू और शूद्र पगों से उत्पन्न हुआ है। इसलिये जैसे मुख न बाहू आदि और बाहू आदि न मुख होते हैं, इसी प्रकार ब्राह्मण न क्षत्रियादि और क्षत्रियादि न ब्राह्मण हो सकते हैं। (उत्तर) इस मन्त्र का अर्थ जो तुम ने किया वह ठीक नहीं क्योंकि यहां पुरुष अर्थात् निराकार व्यापक परमात्मा की अनुवृत्ति है। जब वह निराकार है तो उसके मुखादि अंग नहीं हो सकते, जो मुखादि अंग वाला हो वह पुरुष अर्थात् व्यापक नहीं और जो व्यापक नहीं वह सर्वशक्तिमान् जगत् का स्रष्टा, धर्त्ता, प्रलयकर्त्ता जीवों के पुण्य पापों की व्यवस्था करने हारा, सर्वज्ञ, अजन्मा, मृत्युरहित आदि विशेषणवाला नहीं हो सकता। इसलिये इस का यह अर्थ है कि जो (अस्य) पूर्ण व्यापक परमात्मा की सृष्टि में मुख के सदृश सब में मुख्य उत्तम हो वह (ब्राह्मणः) ब्राह्मण (बाहू) ‘बाहुर्वै बलं बाहुर्वै वीर्यम्’ शतपथब्राह्मण। बल वीर्य्य का नाम बाहु है वह जिस में अधिक हो सो (राजन्यः) क्षत्रिय (ऊरू) कटि के अधो और जानु के उपरिस्थ भाग का नाम है जो सब पदार्थों और सब देशों में ऊरू के बल से जावे आवे प्रवेश करे वह (वैश्यः) वैश्य और (पद्भ्याम्) जो पग के अर्थात् नीच अंग के सदृश मूर्खत्वादि गुणवाला हो वह शूद्र है। अन्यत्र शतपथ ब्राह्मणादि में भी इस मन्त्र का ऐसा ही अर्थ किया है। जैसे-‘यस्मादेते मुख्यास्तस्मान्मुखतो ह्यसृज्यन्त।’ इत्यादि। जिस से ये मुख्य हैं इस से मुख से उत्पन्न हुए ऐसा कथन संगत होता है। अर्थात् जैसा मुख सब अंगों में श्रेष्ठ है वैसे पूर्ण विद्या और उत्तम गुण, कर्म, स्वभाव से युक्त होने से मनुष्यजाति में उत्तम ब्राह्मण कहाता है। जब परमेश्वर के निराकार होने से मुखादि अंग ही नहीं हैं तो मुख आदि से उत्पन्न होना असम्भव है। जैसा कि वन्ध्या स्त्री आदि के पुत्र का विवाह होना! और जो मुखादि अंगों से ब्राह्मणादि उत्पन्न होते तो उपादान कारण के सदृश ब्राह्मणादि की आकृति अवश्य होती। जैसे मुख का आकार गोल मोल है वैसे हीे उन के शरीर का भी गोलमोल मुखाकृति के समान होना चाहिये। क्षत्रियों के शरीर भुजा के सदृश, वैश्यों के ऊरू के तुल्य और शूद्रों के शरीर पग के समान आकार वाले होने चाहिये। ऐसा नहीं होता और जो कोई तुम से प्रश्न करेगा कि जो जो मुखादि से उत्पन्न हुए थे उन की ब्राह्मणादि संज्ञा हो परन्तु तुम्हारी नहीं; क्योंकि जैसे और सब लोग गर्भाशय से उत्पन्न होते हैं वैसे तुम भी होते हो। तुम मुखादि से उत्पन्न न होकर ब्राह्मणादि संज्ञा का अभिमान करते हो इसलिये तुम्हारा कहा अर्थ व्यर्थ है और जो हम ने अर्थ किया है वह सच्चा है। ऐसा ही अन्यत्र भी कहा है। जैसा- शूद्रो ब्राह्मणतामेति ब्राह्मणश्चैति शूद्रताम्। क्षत्रियाज्जातमेवन्तु विद्याद्वैश्यात्तथैव च।। मनु०।। जो शूद्रकुल में उत्पन्न होके ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य के समान गुण, कर्म, स्वभाव वाला हो तो वह शूद्र ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य हो जाय, वैसे ही ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्यकुल में उत्पन्न हुआ हो और उस के गुण, कर्म, स्वभाव शूद्र के सदृश हों तो वह शूद्र हो जाय। वैसे क्षत्रिय, वैश्य के कुल में उत्पन्न होके ब्राह्मण वा शूद्र के समान होने से ब्राह्मण और शूद्र भी हो जाता है। अर्थात् चारों वर्णों में जिस-जिस वर्ण के सदृश जो-जो पुरुष वा स्त्री हो वह-वह उसी वर्ण में गिनी जावे।धर्मचर्य्यया जघन्यो वर्णः पूर्वं पूर्वं वर्णमापद्यते जातिपरिवृत्तौ।।१।।अधर्मचर्य्यया पूर्वो वर्णो जघन्यं जघन्यं वर्णमापद्यते जातिपरिवृत्तौ।।२।। ये आपस्तम्ब के सूत्र हैं। धर्माचरण से निकृष्ट वर्ण अपने से उत्तम-उत्तम वर्ण को प्राप्त होता है और वह उसी वर्ण में गिना जावे कि जिस-जिस के योग्य होवे।।१।। वैसे अधर्माचरण से पूर्व अर्थात् उत्तम वर्णवाला मनुष्य अपने से नीचे-नीचे वाले वर्ण को प्राप्त होता है और उसी वर्ण में गिना जावे।।२।।जैसे पुरुष जिस-जिस वर्ण के योग्य होता है वैसे ही स्त्रियों की भी व्यवस्था समझनी चाहिये। इससे क्या सिद्ध हुआ कि इस प्रकार होने से सब वर्ण अपने-अपने गुण, कर्म, स्वभावयुक्त होकर शुद्धता के साथ रहते हैं। अर्थात् ब्राह्मणकुल में कोई क्षत्रिय वैश्य और शूद्र के सदृश न रहे। और क्षत्रिय वैश्य तथा शूद्र वर्ण भी शुद्ध रहते हैं। अर्थात् वर्णसंकरता प्राप्त न होगी। इस से किसी वर्ण की निन्दा वा अयोग्यता भी न होगी।
मूर्खतापूर्ण बातें मत करो...हमारे यहाँ चरण स्पर्श की परंपरा है..मुख स्पर्श की नहीं..जिस अंग का स्पर्श हम आदर भाव से करते हैं क्या वो नीच हो सकता है..मूर्ख
ये शब्द मेरे नहीं, महान् ऋषियों के हैं और वो मूर्ख नहीं थे । फिर तो आप अपने बच्चों को विद्या प्राप्ति के लिये श्रेष्ठ अध्यापकों, विद्वान आचार्यो के पास ना भेजकर अशिक्षित मजदूरों के पास क्यों नहीं भेज देते । आप स्वतंत्र हैं, मुझे कोई समस्या नहीं । आप अपने ज्ञान के अनुसार अपना जीवन चलायें ।
In whole Ramayana we couldn't find any line to learn and happiness and got entangled in in few words. It's those people mindst. Ramayana was written by valmiki rishi. Who was not Brahamins. Tulsidas only translated Ramayana. It cannot be understood by non lover of Ramayana.
बागेश्वर धाम भेजदो ,हैं हनुमानजी के चमत्कार का ज्ञान हो जाएगा। समुन्द्र बोलता है ? कैसे कैसे विद्वान दरबार म3 पहुंच रहे। जब कि कलयुग है अभी, सतयुग की तो बात बहुत ऊपर है।
जो लोग बहस kr रहे है वो भारत के बारे मैं अल्प ज्ञानी है।। गांवों में जा के देखो मंदिर के पुजारी हर जाति से आते है.... मेरे गांव ४ मंदिर है , एक में भी ब्राह्मण पुजारी नही है।। १ मंदिर में वैष्णव २में गुज्जर ३ में मीणा ४ में वैष्णव हैं।।।। बहस का कोई मतलब nhi , na to neta bharat के बारे मैं जानकारी रखते है , ना ही बड़े cologe में pde hue प्रोफेसर।।।।
Really speaking, whatever is written is clear but it is also true that caste system has been the main issue of all societies whether they belonged to the past or belong to the present.
मेरे गांव के एक मंदिर में शूद्र और एक में obc पुजारी है। ये लोग हिंदुओ को डिवाइड करना चाहते है । कोई भेदभाव नहीं होता है। सब हिंदू है।
Kaun sa gaon h naam v bata do
@@surjeetkumar1270 Nepal Indo par situated village name Ghorasahan adapur prakhand raxaul Anumandal
इतना बड़ा झूठ क्यों बोल रहे हैं ऐसा हो ही नहीं सकता है
@@balajee4341 Beta aisa hi hota hai mere area me tujhe jhuth lag rha hai to aake malum kar sakta hai aur sirf mere hi gaw me nahi mere pure ilake me adhikansh obc or sc hi sadhu hai jabki mere gaw ko brahmano ne hi bashaya hai
जिस मंदिर में माल का चढ़ावा नहीं होगा वहां पुजारी लात मारकर मंदिर से भाग जाता है मित्र हमारे गांव में भी हनुमान जी के मंदिर में हमारे गांव के ही रहते हैं कुछ मिलता नहीं है बस खाने भर मिल जाता है
Conclusion of debate: Communists hates India so much (its in communits party mission to divide India into casts).
शुधांसु त्रिवेदी जी को सत सत नमन है।
ua-cam.com/video/z06UoSu1x_M/v-deo.html
Tum hinduo ke liye hai na ki ham dalito ke liye
देहांत हो गया है क्या इनका सुधांशु जी
को नमन कर रहे हो
@@durgeshchandra6976😂
@@SANJEEVKUMAR-bu3yk dalit kaun si jaati me aate hai
Thank you Sudhansu ji 🙏🙏🙏🙏
Sudhanshu jesa koi nhi h... very intelligent
ua-cam.com/video/fvjNKFFH4wQ/v-deo.html
Pahle se aap log bevakoof ho yaa abhi abhi hue ho pata nahi
Pahele a pata karo ki wartalbh kiske kiske bich me ho rahi hai aur duniya me asa ek bhi vyakti hai Jo ramayan me ghuse aur bhar nikaljay
Garanth ki aap aapman karhe ho
aap log padhe likhe gawar ho agli baar gali dunga yaad rakhna
यहां सुधांशु त्रिवेदी को छोड़कर बाकी सब गधे। है
किसी दूसरे धर्म के आदमी को हिंदू धर्म पर बोलने का कोई हक नही है 🙏🙏
Haa
सभी धर्म का नाश हो !
" धर्म एक अफ़ीम है " - कार्ल मार्क्स
Tum log hindu muslim hi karte rehna
@@purushottamshukla9166 आपके अनुसार क्या करना चाहिए ?
शम्बूक बध राम ने नहीं किया था।
क्योंकि राम ने कभी भी तलबार नहीं चलाई थी
धनुष चलाते थे।
महाज्ञानी प्रकांड पंडित डा० सुधांशु त्रिवेदी जी |
Zatu hai sudhanshu Trivedi bat ko bhatkata hai
सुधांशु जी के बाल के बराबर भी नहीं है बाकी ज्ञान में
@@gauravkumar-lf4tn koi Jativad ko badhva nhi de rha mere bhai🙏
Ye sirf Hindu dharm me ho sakta hai, himmat hai inki agar dusre dharm unhi k dharm wale aise argument to dur kuch bolte te bhi to ..kat gaye hote...
Oho ....UP cabinet sachivalaya kendra sachilavaya Har thana Chaukee Bade bade pad kon baitha hai kis jatee hai wo .90 percent bade pado par kon baitha hai . Ise hee jativad kehte hai. .Doglee dalal media yahee sab dikhayegee .ek samay inko har jagah Yadav yadav dikhai dete the UP me aaj inko har jagah Thakur brahman lala nhi dikhai de rhe .
Pothi padh padh jagmua pandit bhaya na koye .Dhai akhar prem ka padhe to Pandit Hoye
Jara Dr.Vikas Divyakirti Ji ko bulaye hote Panel me .Sara Gyan nikal dete wo inka.
लेफ्ट का चरित्र् नास्तिकों का है।
Koi nastik nhi, Bharat me left ka matalab jihadhi seperatist ka intellectual support hi hai, better way me jihadhi hi hai.
Nastik nhi rakshas
Wo nastik bhi nahi hain nastik app Acharya prashant aur bhagat singh hain
जो नास्तिक है वो भी हिंदु/सनातनी है ,ये है टोलरेंस 🙏🇮🇳🚩
लेफ्ट क्या हैं समझिये।
लेफ्ट आज तक देश को क्या समझाया वो यहाँ समझ लीजिये।
Sudhanshu sir I salute you.jai shri ram
सुधांसु जी की बात सत्य है !
गुस्ताख ए प्रभु की एक सजा सर ----+++++++
💓
लाल भाई को डस्ट बीन में भारत के लोगो ने डाल दिया है फिर भी सुधरते नहीं है।
सुधांशू जी 🙏
Very true speech of Sudhanshu Ji you are great man
Only a donkey understand a donkey.
वेदों को कोई गलत साबित नही कर पाया और न कभी कर पायेगा , यही सत्य है।
एक एक शब्द सत्य है सही है।
इसपर कोई बहस करने का कोई मतलब नही है।
2024 main opposition saaf hone ki taiyari kar rahe hey....
वीडियो में 4:25 पर एक चौपाई आती है
जाकी रही भावना जैसी ।
प्रभु मूरति देखी तिन तैसी ।। जिसकी जैसी भावना उसने प्रभू को वैसे देखा मतलब जैसी सृष्टि वैसी दृष्टि यहां भी वही हो रहा है जो कोई ताड़ना शब्द को जैसा समझ पा रहा है वैसा बोल रहे है
एक और चौपाई इससे पहले भी आती है
गगन समीर अनल जल धरनी।
इनकै नाथ सहज जड़ करनी ।। इस चौपाई को ढोल गवार वाली चौपाई के समकक्ष देखना चाहिए भाई रामचरित मानस अवधि भाषा में है अवधि में ताड़ना का अर्थ देख रेख करना होता है पीटना नही
जब इन दोनो चौपाई को समकक्ष देखेंगे तो सबसे पहले आता है गगन और उसमे आता है ढोल मतलब गगन (आकाश) को ढोल के समकक्ष देखिए मतलब कंपेयर करिए जैसे आकाश खोखला होता है वैसे ही ढोल भी अंदर से खोखली होगी तभी वो बजती है
दूसरा आता है गवार अर्थात मूर्ख दूसरी चौपाई में इसके समकक्ष आता है समीर (हवा) जैसे हवा को वश में नही किया जा सकता है उससे लड़ना एक मूर्खता है वैसे ही एक गवार से नही जीता जा सकता है उससे वार्तालाप करना भी एक मूर्खता है
तीसरा आता है अनल (अग्नि) दूसरी तरफ आता है शुद्र (सेवक) (शुद्र का अर्थ सेवक होता है इसका आशय किसी जाति से नही है)
जैसे अग्नि घर के चूल्हे में रहती है तब तक तो ठीक है पर जैसे ही वह चूल्हे से बाहर आती तो घर का विध्वंश कर देती है वैसे ही शुद्र जब तक अपनी मर्यादा में रहता है तब तक ठीक है जैसे ही वह मर्यादा से बाहर आपके अकाउंट्स में आपकी फैमिलियर प्रोब्लम में आया वो विध्वंश ही करता है इसलिए इन दोनो में समान बर्ताव करना चाहिए
चौथा आता है पशु इसके समकक्ष आता है जल जिसमे समुद्र एक जल है और अपने आप को दर्शाता है जिस प्रकार पशू को नियंत्रण में करने के लिए उसको बांधना पड़ता है वैसे ही जल को वश में करने के लिए (पुल) बांधना पड़ता है इसलिए आप मुझपर एक पशु जैसा बर्ताव करिए
और आखिरी में आता है नारी और दूसरी तरफ आता है धरनी मतलब अगर एक नारी को देखना है तो धरनी को देखिए और हिंदु धर्म में धरती को पूजनीय बताया गया सुबह उठकर सबसे पहले धरती के पैर छुने का प्रावधान है हिंदू धर्म में धरती को क्षमाशीलता की उपाधि दी गई है और जैसा बर्ताव आप धरनी के साथ करते है वैसा ही नारी के साथ करना चाहिए
क्या ऐसा गलत लिखा है इस चौपाई में बस मुंह उठा के चले आते है ये गलत है वो गलत है ये बताओ की जब किसी पेपर की तैयारी करते हो तो क्या पढ़ते जो इंपोर्टेंट है उसे ही तो पढ़ोगे ना अब उसमे ये तो कहने नही लगते आप की जब इंपोर्टेंट ही पढ़ना है तो बाकी क्यों दिए है हो हटाओ इन्हे ऐसा तो कहते नही आप तो इसमें क्या दिक्कत है रामचरितमानस में जो जो कंटेंट अच्छे है आप उन्हें पढ़िए बाकी जो आपको गलत लगते है मत पढ़िए इग्नोर करिए पर ऐसी ऐसी चौपाई जिनका आपको अर्थ तक नही पता उन्हे उठा कर नफरत क्यों फैलाते हो ऐसी चौपाई उठाइए जिससे प्रेम बढे जैसे की
कहत सप्रेम नाई महि माथा । भरत प्रणाम करत रघुनाथा।।
उठे राम सुनी प्रेम अधिरा। कहु पट कहु निषंग धनु तीरा ।। इस तरह की चौपाई पर बहस करिए इसको समाज के के सामने रखिए जिससे भाई भाई में प्रेम बढे कभी ऐसी चौपाइयां भी उठाइए महाराज नफरत रामचरित मानस नही आप खुद फैलाते है negitive चीजे उठा के या फिर negitive बना के क्योंकि नेग्टीविटी तो आपमें खुद ही भरी पड़ी है और दूसरो को गलत बताते फिरते हो
मै दलित हूं गर्व है हिंदू हूं। भारत में जातिवाद है आज भी सनातन धर्म ही सत्य है ।
Bhai jativaat nahi chahiye varna hain hamare yaha jo jis vishay mea accha hain wo uss varna se jana jayeaga dalit hue to kya tab bhai hum bhai hain mera dost bhi dalit hain sath mea khana khate hain hum mujhe kabhi farak nahi para
@@ashutoshmishra7142 bhai mere nani ke village m aaj bhi jatiwad h or to or pani se leker gaun m mandir tak alag alag hote h. 😑
@@travelgram2856 bkl log hain fir wo apne hi bhaiyoon se bhedbhao kar rahe hain
Mere dadaji ne daliton ke liye bhot ladai ki jab tak wo thea tab tak sab sahi tha unke jaane ke bad sab badal gaya 🥲
Bhosdi ke dango me bhi tu hi mara Jata he😂😂
जब मूर्खों को थोड़ा ज्ञान प्राप्त हो जाता है तो वह ऐसा ही मूर्खता करता है।
Sudanshu bhai is great person 🙏
Sudhashuji 👍🏼🕉️🔱🙏
Sudhansu trivedi ......one man army 🚩🚩🚩🚩🚩🚩
ये जहर उगालना नहीं रोकेंगे । यदि आप हिन्दू होकर हिन्दुत्व का विरोध कर रहे हैं, तो आपको ज्ञान की नहीं, असली बाप को ढूँढने की आवश्यकता हैं।
जय हिंदूराष्ट्र 🚩
Sahi baat
Sabse bda dogla Hai profesir kamniust sala
@@partikkumar453 हिंदू ही हिंदू के घर का पानी नहीं पीता है इसकी तकलीफ है चमार और मूसहर के घर ठाकुर और ब्राह्मण पानी पीकर दिखा दे राम तो शबरी के जूठे बैर खाए थे मित्र
@@JitendraYadav-xg7uv bhai mera dost dalit hain tab bhi hum sath mea khana khate hain 🙏🏻
@@JitendraYadav-xg7uv
खुद बहुजन 😅😅😅
एक कसाई के घर खाना नही खाता
पहले उनको सुधार
हमारी क्या गलती है हम
मांस आदि से दूर रहते हैं
सनातन संस्कृति सर्वोत्तम 🚩🙏🙏
jis Ramayan me Ram ne sabari ke juthe ber khaye
un bhagwan par jativad ke arop laga rahe he
Hans chunega dana tinka kauwa moti khayea 😂😂😂
Aarop bhagwaan par nahi, aarop us insaan par hain jinhone is shlok ko likha(tulsidas). Kyuki bhagwaan apne bachchon me bhed nahi karte .bhed insaan karta hai.
Ek baat to sahi kahi.... Karam Pradhan hai... Geeta m bhi yahi kha hai yahi Saar hai. Insan ki yogita uske karm uski jaat batati hai... So brahaman wo bhakti bhav se ishwar ki prathna seva kare pure niyam sadhbhawana se aur dusro ko Maan mein sraddha bhakti ki lehar ko pravahit kare....
To fir Jo janam lekar brahman k ghar paida hua... Usko hi mandiro pe abhi tak adhikar hai .. koi chhoti jati wala abhi tak mandiro mein ishwar ki seva pooja archana mein nhi hai....
Sudhanshiji is a gem🧡
Konsa tir mar diya ki gam .wo to news wale dlal midea usko pura bolne de rha h .
@@Indian-ph3th tu jake bol le bkl
@@Anonymous00071 Tu kya bolna chah rha h
@@Indian-ph3th ki tu gavar hai😂
Sudansu ji very naice parson aur bilkul sai kah rahe hai
सुधांशू तिरीवेदीजी उनकी बात पूरी सूनलो लोग समझ रहे है
सांड के सामने अकेला शेर ही काफी है.....सुधांशू
This is the end of opposition party’s and their supporters because they are criticising the god creator and enka end aa Gaya hai
Sudhanshu ji ko naman he mera
Shudhanshu trivedidi ji jindabad🙌🙌
Koi kahi bhagwan nahi h insaan hi insan ki madad karta h
हमारे गांव में एक शुद्र है जो मंदिर में रहते हैं मंदिर की सेवा करते हैं और सब उन्हें बाबा कहते हैं राम-राम करते है उनसे
Bhai sahi bat hain wo phir shurdra se brahman ban gaye
एकलव्य और गुरु द्रोण चर्या पर भी सुधांशु जी को बोलना चाहिए
Bola hain search karo
@@ashutoshmishra7142 kya bola hai द्रोणा ने जाति के आधार पर भेद भाव किया है
@@ashutoshmishra7142 kya bola hai द्रोणा ने जाति के आधार पर क्या है
@@krishnameravi6438 unhone bola tha ki eklavya kisi raja ka hi beta tha
@@ashutoshmishra7142 thoda pad kar aaya karo fir bolna unchi jati kashtriya jati ke bachcho ko shiksha deta hu bola tha
Shudhanshu ji gajab hai inka gyan adbhut hai
मूरख हृदय न चेत जऊ गुरू मिलही विरंच सम। फूलही फरही न बेत ........ जिसका विवेक ही नष्ट हो गया हो उससे बहस करना भी मूर्खता है. जय श्रीराम
Geeta is only truth
Good srivastav g अच्छी बात है
तुलसीदास का जीवन देखो
खुद भेदभाव का शिकार रहे वो भी पैदा होते ही
उनकी चौपाई में नही
लोगो की समझने की शक्ति में खोट है
मैं अवधि, मगही भाषा का ज्ञान रखती हूं
भाई वहा पर ताड़ने का मतलब "देखना" है आज भी बहुत जगह हम देखने के लिए ताड़ना शब्द का प्रयोग भी करते है जय श्री राम श्री कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे राम
Sab jehadi ke upar bhari sudhanshu trivedi
गुस्ताख ए प्रभू की एक ही सजा सर तन से
सुधांशु त्रिवेदी हिन्दू धर्म का विद्वान 😃😃😃😃
Sanatan dharma
Professor bilkul sahi bol rhe h..sudhanshu triwedi baat ghuma rha h..
सुधांशु जी की बातों का सही तर्कपूर्ण जवाब तो हैं नही इनके पास, इसलिए ये सब बौखला गए हैं..🤣🤣🤣
Ek dum right kha Aapne sir ji
दुख तो इस बात का है कि एक कायस्थ और दूसरा वैश्य है जो हिन्दू धर्म और ब्राह्मणों को गाली दे रहे हैं।
Woh sahi ki Taraf khade hain . Kuch logo ne dharm ko apne hisaab se use kiya hai .
Aur dharm ke purification ke liye uski aalochna hona bhi jaruri hai.
Samajhdaari isi me hai ki galat baat ko accept kare, use theek Kiya jaye, aur aage badha jaye.
Agar hum SHRI RAM ki sirf baate kare aur unke Jeevan ko apne Jeevan me utarne ki koshish na kare toh yeh sanatan dharm ka sabse bada durbaghay hoga. Aur yahi iske Patan ka Kaaran bhi.
Vivek Srivastav ke padosi isko kaise sahan kar rahe hai
जाति समस्या नहीं?
समस्या:
कमजोर को मजबूत करने की है?
👁️
Namo buddhay nepal ❤
Jai shree Ram ji and jai shree Haluman ji 🙏
बात शूद्र और नारी पर चल रही है विडंबना यह है कि इस debat में न ही शूद्र है और न ही नारी ........?
Manywar wahan jo khade hain wo sb ke sb shudra hi hain...🤷♂️
DEBATE MANAS KI CHOUPAYI. HAI VAHAN TULSIDAAS BHI NAHI HAI. BAKWAS
Muslim धर्म me tin talk kya था फिर जो Muslim grantho me लिखा है waha कहाँ nari की ijjat है 🤣🤣🤣🤣
Muslim धर्म me tin talk kya था फिर जो Muslim grantho me लिखा है waha कहाँ nari की ijjat है 🤣🤣🤣🤣
Bhai shudra ka matlab kon kaise leta he uspar he lakin sachi bat ye he ki shudra matlab yese insan ko kaha gaya he jiska acharan kharab ho usse jati ka koyi Lena Dena nahi . Or lower cast valo ko shudra kehkar bhadkana asan hota he. Ab brahman jo vegetarian hoga agar uske ghar me koyi meat khake ayega to vo thoda react karenga hi na agar koyi chambhar uske yaha ayega to vo thoda uncomfortable hoga hi . Esme us insan ka koyi dosh nahi vo bus animal protectionist rahega us bat ka batangad banakar enone usme jativat, parivarvat ghused diya . Me manta hu ki yesi chize huvi hongi lekin vo hate se nahi balki uski religious soch se huva hoga hi. Me vegetarian hu mere ghar me sab non vegetarian he to jis din nonveg banta he to muje bahut uncomfortable hota he to ye brahman ke liye to aur bhi uncomfortable hoga na. Me yaha jativat ki bat nahi kar raha human psychology ki kar raha hu to krupya koyi ahat na ho
Media vale bevfoof logo ko kyo mice dete hai
@@user-uv7lk9gs1n leftiest verbal aatankavadiyo ko
👌
बनारस के संस्कृत यूनिवर्सिटी में oraginal वेदों में कोई उच्च शिकच्छा नही ले सकता है ,इसपर रोक है। एडमिशन ही नही होगा।
यह तक कि ,राजपूत और बनिया भी,सिर्फ ब्राम्हड़.
समझे .
जागो शूद्र जागो
इन चाइनीज कम्युनिस्टों को कहा बुला लिया ,धर्म पर बात करने
Chinese nhi yah Bharat ka jihadhi hai nakab me, communist mool mantra Strong nationalism hota hai
I play cricket. I play drum. Dono sentence me play ka mining alag alag hai ...
ऐसा नहीं है, हमारे यंहा के एक मंदिर में मलाह पुजारी है।
पटना के हनुमान मंदिर जो राम मंदिर के निर्माण में करोड़ों का दान दिया है उसके महंत विशुद्ध है यह जिहादियों से सनातनी यों के बीच परमेश्वर बढ़ाने के लिए पैसा पाते हैं
I’m kattar Hindu but there is Jatibad in India. It’s True
जय हो सुधारी आप गौरव है भारतीय समाज के
(प्रश्न) क्या जिस के माता पिता ब्राह्मण हों वह ब्राह्मणी ब्राह्मण होता है और जिसके माता पिता अन्य वर्णस्थ हों उन का सन्तान कभी ब्राह्मण हो सकता है?
(उत्तर) हां बहुत से हो गये, होते हैं और होंगे भी। जैसे छान्दोग्य उपनिषद् में जाबाल ऋषि अज्ञातकुल, महाभारत में विश्वामित्र क्षत्रिय वर्ण और मातंग ऋषि चाण्डाल कुल से ब्राह्मण हो गये थे। अब भी जो उत्तम विद्या स्वभाव वाला है वही ब्राह्मण के योग्य और मूर्ख शूद्र के योग्य होता है और वैसा ही आगे भी होगा। महर्षि दयानन्द सरस्वती - सत्यार्थ प्रकाश - चतुर्थ समुल्लास
It is clear sudhansu ji is uniting and this man is dividing
अगर दूसरो के ग्रंथ पर बोलते तो यहां खड़े होने लायक नहीं होते सर तन से जुदा हो जाता
Good👍
Vivek sir ne jo kaha hai absolutely sahi khaha hai
सुधांशु जी सब पर भारी है
Good
सोची समझी साजिश है
Jai hind..
Adhuri knowledge bahut khatrnak hoti hai...
Gajab professor sahab kya Bola...
ये लोग शिक्षक बने कम नंबर लाने के बाद भी ये बात नहीं कह रहे तब भी तो जाति बाद हुआ तब तो अच्छा लग रहा था.
Sahi hai CPI vaise bhi Dharm ko afeem mante hain....
Dharam opeum se bhi jayada khatarnakh hota hai
@@surendragautam2654 bhai dharm ka matalab batana pahle religion afeem hain dharm nahi
Great sudhanshu ji
Jai Shree Ram 🙏🙏🙏
जय जय श्रीराम 🙏
सुधांसूजी is बुद्धिवान हिंदू
(प्रश्न)ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद् बाहू राजन्यः कृतः ।
ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्या शूद्रो अजायत ।।
यह यजुर्वेद के ३१वें अध्याय का ११वां मन्त्र है। इसका यह अर्थ है कि ब्राह्मण ईश्वर के मुख, क्षत्रिय बाहू, वैश्य ऊरू और शूद्र पगों से उत्पन्न हुआ है। इसलिये जैसे मुख न बाहू आदि और बाहू आदि न मुख होते हैं, इसी प्रकार ब्राह्मण न क्षत्रियादि और क्षत्रियादि न ब्राह्मण हो सकते हैं।
(उत्तर) इस मन्त्र का अर्थ जो तुम ने किया वह ठीक नहीं क्योंकि यहां पुरुष अर्थात् निराकार व्यापक परमात्मा की अनुवृत्ति है। जब वह निराकार है तो उसके मुखादि अंग नहीं हो सकते, जो मुखादि अंग वाला हो वह पुरुष अर्थात् व्यापक नहीं और जो व्यापक नहीं वह सर्वशक्तिमान् जगत् का स्रष्टा, धर्त्ता, प्रलयकर्त्ता जीवों के पुण्य पापों की व्यवस्था करने हारा, सर्वज्ञ, अजन्मा, मृत्युरहित आदि विशेषणवाला नहीं हो सकता।
इसलिये इस का यह अर्थ है कि जो (अस्य) पूर्ण व्यापक परमात्मा की सृष्टि में मुख के सदृश सब में मुख्य उत्तम हो वह (ब्राह्मणः) ब्राह्मण (बाहू) ‘बाहुर्वै बलं बाहुर्वै वीर्यम्’ शतपथब्राह्मण। बल वीर्य्य का नाम बाहु है वह जिस में अधिक हो सो (राजन्यः) क्षत्रिय (ऊरू) कटि के अधो और जानु के उपरिस्थ भाग का नाम है जो सब पदार्थों और सब देशों में ऊरू के बल से जावे आवे प्रवेश करे वह (वैश्यः) वैश्य और (पद्भ्याम्) जो पग के अर्थात् नीच अंग के सदृश मूर्खत्वादि गुणवाला हो वह शूद्र है। अन्यत्र शतपथ ब्राह्मणादि में भी इस मन्त्र का ऐसा ही अर्थ किया है। जैसे-‘यस्मादेते मुख्यास्तस्मान्मुखतो ह्यसृज्यन्त।’ इत्यादि।
जिस से ये मुख्य हैं इस से मुख से उत्पन्न हुए ऐसा कथन संगत होता है। अर्थात् जैसा मुख सब अंगों में श्रेष्ठ है वैसे पूर्ण विद्या और उत्तम गुण, कर्म, स्वभाव से युक्त होने से मनुष्यजाति में उत्तम ब्राह्मण कहाता है। जब परमेश्वर के
निराकार होने से मुखादि अंग ही नहीं हैं तो मुख आदि से उत्पन्न होना असम्भव है। जैसा कि वन्ध्या स्त्री आदि के पुत्र का विवाह होना! और जो मुखादि अंगों से ब्राह्मणादि उत्पन्न होते तो उपादान कारण के सदृश ब्राह्मणादि की आकृति अवश्य होती। जैसे मुख का आकार गोल मोल है वैसे हीे उन के शरीर का भी गोलमोल मुखाकृति के समान होना चाहिये। क्षत्रियों के शरीर भुजा के सदृश, वैश्यों के ऊरू के तुल्य और शूद्रों के शरीर पग के समान आकार वाले होने चाहिये। ऐसा नहीं होता और जो कोई तुम से प्रश्न करेगा कि जो जो मुखादि से उत्पन्न हुए थे उन की ब्राह्मणादि संज्ञा हो परन्तु तुम्हारी नहीं; क्योंकि जैसे और सब लोग गर्भाशय से उत्पन्न होते हैं वैसे तुम भी होते हो। तुम मुखादि से उत्पन्न न होकर ब्राह्मणादि संज्ञा का अभिमान करते हो इसलिये तुम्हारा कहा अर्थ व्यर्थ है और जो हम ने अर्थ किया है वह सच्चा है। ऐसा ही अन्यत्र भी कहा है। जैसा-
शूद्रो ब्राह्मणतामेति ब्राह्मणश्चैति शूद्रताम्।
क्षत्रियाज्जातमेवन्तु विद्याद्वैश्यात्तथैव च।। मनु०।।
जो शूद्रकुल में उत्पन्न होके ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य के समान गुण, कर्म, स्वभाव वाला हो तो वह शूद्र ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य हो जाय, वैसे ही ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्यकुल में उत्पन्न हुआ हो और उस के गुण, कर्म, स्वभाव शूद्र के सदृश हों तो वह शूद्र हो जाय। वैसे क्षत्रिय, वैश्य के कुल में उत्पन्न होके ब्राह्मण वा शूद्र के समान होने से ब्राह्मण और शूद्र भी हो जाता है। अर्थात् चारों वर्णों में जिस-जिस वर्ण के सदृश जो-जो पुरुष वा स्त्री हो वह-वह उसी वर्ण में गिनी जावे।धर्मचर्य्यया जघन्यो वर्णः पूर्वं पूर्वं वर्णमापद्यते जातिपरिवृत्तौ।।१।।अधर्मचर्य्यया पूर्वो वर्णो जघन्यं जघन्यं वर्णमापद्यते जातिपरिवृत्तौ।।२।।
ये आपस्तम्ब के सूत्र हैं। धर्माचरण से निकृष्ट वर्ण अपने से उत्तम-उत्तम वर्ण को प्राप्त होता है और वह उसी वर्ण में गिना जावे कि जिस-जिस के योग्य होवे।।१।।
वैसे अधर्माचरण से पूर्व अर्थात् उत्तम वर्णवाला मनुष्य अपने से नीचे-नीचे वाले वर्ण को प्राप्त होता है और उसी वर्ण में गिना जावे।।२।।जैसे पुरुष जिस-जिस वर्ण के योग्य होता है वैसे ही स्त्रियों की भी व्यवस्था समझनी चाहिये। इससे क्या सिद्ध हुआ कि इस प्रकार होने से सब वर्ण अपने-अपने गुण, कर्म, स्वभावयुक्त होकर शुद्धता के साथ रहते हैं। अर्थात् ब्राह्मणकुल में कोई क्षत्रिय वैश्य और शूद्र के सदृश न रहे। और क्षत्रिय वैश्य तथा शूद्र वर्ण भी शुद्ध रहते हैं। अर्थात् वर्णसंकरता प्राप्त न होगी। इस से किसी वर्ण की निन्दा वा अयोग्यता भी न होगी।
मूर्खतापूर्ण बातें मत करो...हमारे यहाँ चरण स्पर्श की परंपरा है..मुख स्पर्श की नहीं..जिस अंग का स्पर्श हम आदर भाव से करते हैं क्या वो नीच हो सकता है..मूर्ख
ये शब्द मेरे नहीं, महान् ऋषियों के हैं और वो मूर्ख नहीं थे । फिर तो आप अपने बच्चों को विद्या प्राप्ति के लिये श्रेष्ठ अध्यापकों, विद्वान आचार्यो के पास ना भेजकर अशिक्षित मजदूरों के पास क्यों नहीं भेज देते । आप स्वतंत्र हैं, मुझे कोई समस्या नहीं । आप अपने ज्ञान के अनुसार अपना जीवन चलायें ।
Mantri ji ne bilkul shi kha tha
सुधांशु ji bolte hai to accho accho ki fat ke gale me aa jati hai😂😂😂
Bhut sundar sudhanshu ji
Valmiki ramayan is the original one.
Sudhanshu is the best
Sahi baat hai ..truth aur sahi logic ke age awaj ko badha do.....
In whole Ramayana we couldn't find any line to learn and happiness and got entangled in in few words. It's those people mindst. Ramayana was written by valmiki rishi. Who was not Brahamins. Tulsidas only translated Ramayana. It cannot be understood by non lover of Ramayana.
बागेश्वर धाम भेजदो ,हैं हनुमानजी के चमत्कार का ज्ञान हो जाएगा। समुन्द्र बोलता है ? कैसे कैसे विद्वान दरबार म3 पहुंच रहे। जब कि कलयुग है अभी, सतयुग की तो बात बहुत ऊपर है।
जय श्री राम
मूर्खो से बहस नही की जाती है।
Hindu dharma me sare namasya
Sudhanshu trivedi ji ko shat shat naman
चार चर केउऐ के साथ अकेला सूधानसू तीरबेदी जी एक साथ
जो लोग बहस kr रहे है वो भारत के बारे मैं अल्प ज्ञानी है।।
गांवों में जा के देखो मंदिर के पुजारी हर जाति से आते है....
मेरे गांव ४ मंदिर है , एक में भी ब्राह्मण पुजारी नही है।।
१ मंदिर में वैष्णव
२में गुज्जर
३ में मीणा
४ में वैष्णव
हैं।।।।
बहस का कोई मतलब nhi , na to neta bharat के बारे मैं जानकारी रखते है , ना ही बड़े cologe में pde hue प्रोफेसर।।।।
शुद्र का मतलब था पिछड़ा ध्यान नहीं रखेंगे तो आगे नहीं आगे पायेगा
Really speaking, whatever is written is clear but it is also true that caste system has been the main issue of all societies whether they belonged to the past or belong to the present.
True we have to end it at any cost as soon as possible
ब्रह्मवाद और सनातन धर्म अलग अलग है|ब्रह्मवाद सिर्फ अंधविश्वास फेलता है और सनातन धर्म विज्ञान पर अधारित है |सारे इंडियन सनातनी है |
बीआर ambedakar हिंदू धर्म क्यों छोड़ा बताए सुधांशु त्रिवेदी जी