मैं शुद्ध रूप से नास्तिक हूँ, किन्तु नैतिकता और मानवीय संवेदनाओं की मेरे अंदर कोई कमी नहीं है | ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा में कोई कमी नहीं बल्कि तथाकथित आस्तिकों से ज्यादा ही है🙏
सही बात कहा है पहले मै भी जब धार्मिक प्रवृत्ति का था तब किसी की दुःख तकलीफ़ देखकर भगवान् सबका भला करते हैं का तर्क करता था लेकिन अब जब धर्म से दूर हुआ कोशिश यहीं रहती है कि उसकी ज्यादा से ज्यादा हेल्प कर दुख तकलीफ़ दुर कर सकू कहने का मतलब है कि अब ज्यादा संवेदनशील,emotions आते हैं दिमाग़ में।
सारे अच्छे बुरे भाव मन से उत्पन्न होते हैं जिसका अपने मन पर नियंत्रण है वही जीवन को समझ सकता है इसीलिए सारे धर्म में एक कॉमन बात है अपने मन पर काबु रखना। और गौतम बुद्ध ने भी यहि बताया। उन्होंने कहा कि मनुष्य का सबसे बड़ा उद्देश्य है कि उसकी इच्छा कितना कम है। मन ही सारे कुकर्म का कारण है।
बहुत बढ़िया सर।👍🏻💐🙏🏻💖 आपने नैतिकता, "जो मानव समाज का अभिन्न, मूलभूत व महत्वपूर्ण अंग है, को सामाजिक, धार्मिक व स्वैच्छिक सद्भाव के स्तर पर बहुत अच्छे से समझाया। साथ में इस बात पर भी कई बेहतर उदाहरणों के साथ बखूबी प्रकाश डाला की नैतिकता के लिए अब तक जरूरी समझी जाने वाली चीजें ईश्वर का डर व धार्मिक किताबों में लिखी बातों के बगैर भी साधारण सामाजिक नियम जो हमारे मां बाप से हमें मिलते है व स्वैच्छिक सद्भाव के द्वारा भी समाज में नैतिकता को कायम रखा जा सकता है। आपका धन्यवाद।💐💐🙏🏻
नास्तिक भी अच्छे प्राणी है जय श्रीराम भारत में किसी भी प्राणी का खून नहीं गिरना चाहिए भारत में मांसाहार पर पूरा बैन लगना चाहिए जय सनातन संस्कृति। जय श्रीराम
बहुत ही बेहतरीन "आप हमसे वह व्यवहार न करें जो आप हमसे उम्मीद न रक्खें", इसका उल्टा अर्थ निकाल लिया लोगों ने जैसे कि न आप हमसे लव मैरिज की उम्मीद करें न ही आपको लव मैरिज व्यवहार में लाने दूंगा 😀
@@jayson8082 लेकिन भारत के बहुत से मंदिरो में बली की प्रथा है, जैसे कि कामाख्या मन्दिर वहां पर इन हिंसक क्रियाओं को रोकने में सनातन धर्म संस्कृति क्या कर सकती है??
@@mukeshchhawindra7364 जल्द ही इस पर सुधार होगा मेरे भाई थोड़ा सबर करो हिंदू धर्म मे लगातार तेजी से सुधार हो रहे है और जो हिंदू धर्म मे सुधार लाने के प्रयास करता है हम उसका संम्मान करते उनका पुरस्कार करते फोर ex {शिवाजी महाराज जोतिब फुले और अंबेडकर {जय श्री राम 🙏🧡🚩
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ❤️ वास्तव मे लोग इसलिए धर्म अस्वीकार नहीं करते क्योंकि वह भी ऐसा सोचते हैं कि धर्म ही हमे नैतिकता सिखता है और वो आस्तिक बने रहते है यह वीडियो नए तरीकों से लोगो को सोचने में मदद मिलेगी आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
@@bimlendu wo sab Ko pata hai kon dadak chhap hai or Han me nimta nahi Dr Baba Saheb Ambedkar ke beta hun mind it tere jaise vadwe angutha chhap Manu ke oulad nahi mind it
मैं आपके विचारों से बिल्कुल सहमत हूं।मेरा ऐसा मानना है कि एक अच्छा धार्मिक होने के बजाए हम एक अच्छा इंसान बन जाए तो हमारे समाज के लिए ज्यादा बेहतर होगा ।
बहुत ही गहन विश्लेषण । कई धर्म में रहते हुए भी अपराध करते हैं जो कोई नास्तिक तक नहीं कर सकता । तो धर्म और भगवान का भय कहाँ ? या ईश्वर से आई मोरालिटी कहाँ ? सवाल ईश्वर को चुनौती देते हैं ।
मैं आपकी हर वीडियो को बहुत ही ध्यान से देखता हूं समझता हूं निरीक्षण भी करने का प्रयास करता हूं काफी अच्छा बनाते हो आप... समझ इसलिए पाते हैं क्योंकि हम भी तर्कशक्ति विज्ञान और मनोविज्ञान में दिलचस्पी, अध्ययन और निरीक्षण करते हैं.. एक लाइन में- बड़ी चीजों को संक्षेप में समझा देते हो जिससे व्यक्ति अपने पूर्व ज्ञान से नए ज्ञान को आत्मसात करण कर लेता है
ये आदमी लोगों को विज्ञान के नाम पर उल्लू बना रहा है। ये केवल उन्हीं लोगों को उल्लू बना सकता है जिसने भारतीय ग्रंथों का सही से अध्ययन ही ना किया हो। आचार्य रजनीश ओशो ने एक और पंडे पुजारी और पाखंड की बैंड बजाई तो दूसरी और उपनिषद गीता श्री कृष्ण के महान ज्ञान की बारिकी से विवेचना की । और उसकी महानता लोगों को समझाती। पर इन भाईसाहब की 2-3 विडियो देखने के बाद मुझे समझ आया की ये लोगों को गुमराह कर रहै है। इनका मकसद बस कैसे भी करके सनातन वैदिक ज्ञान और पुरानी भारतीय संस्कृति को निचा दिखाना है। जबकि अंग्रेज लोग आज भी भारत के आध्यात्मिक ज्ञान के दिवाने है। संदीप माहेश्वरी और ओशो दोनों ने माडुक्य उपनिषद को आध्यात्मिकता के क्षेत्र में एक सर्वश्रैष्ट बताया है। पर इन वामपंथियों को यह बात रास नहीं आती है। इनके हिसाब से तो ऋषि मुनियों के पास ज्ञान था ही नहीं । इनके हिसाब से तो सारे वैदिक ग्रंथों उपनिषद , अष्टावक्र गीता , सुषुतसहिंता , अष्टाध्यायी , महर्षी पातंजली का योगज्ञान , ये सब व्यर्थ की किताबें हैं। ये भाईसाहब लोगों को गुमराह कर रहे हैं। इनमें और ढोंगी पंडो में ज्यादा फर्क नहीं है क्योंकि पंडे धर्म का बिजनेस करते हैं और ये भाईसाहब विज्ञान का। पर पंडे और ये भाईसाहब दोनों ही सही चिजो का ग़लत इस्तेमाल कर रहै है और अपना धंधा चला रहै है। पंडो ने धर्म का ग़लत इस्तेमाल किया और इन भाईसाहब ने विज्ञान का बिजनेस किया।
@@focuspointup2432 भाई अगर आप ऐसे ही सवाल पूछते गये तो लम्बें समय तक कमेंट करूं तब भी आप संतुष्ट नहीं हो पाएंगे। पर मैं अंततः इतना कहना चाहूंगा कोई भी महान इंसान कोई भी नियम उस काल के अनुसार शुरुआत में अच्छाई के लिए बनाता है। पर कुछ बेईमान लोग (पंडे/मौलवी/ पादरी ) उन नियमो का अपने स्वार्थ के लिए मिसयूज करते हैं गरबड़ वहीं पर हो जाती है। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि धर्म के नियमों के पीछे विज्ञान ना हो। बस फर्क इतना है कि पहले के टाइम पर सभी लोगों के पास इतनी विज्ञान की समझ नहीं थी तो ऋषि या ज्ञानी लोग इसे भगवान/धर्म से जोड़ देते हैं। ताकि जब कोई ना देख रहा हो तब भी इन नियमों को माने कि चलो यार कोई नही तो ऊपरवाला तो मुझे देख ही देख रहा है। 1. अगर हम शुध्द घी जलाकर उसके पास बैठते हैं तो उसकी महक अंदर तक नाड़ी ( स्वसन ) शोधन करती है। ठीक उसी प्रकार सही सामग्री के साथ हवन आदि करने से आसपास का वातावरण शुद्ध होता है। 2. पीपल निम गंगा यमुना गाय हाथी बंदर आदि चिजो को भगवान के बराबर दर्जा देने और पूछने के पीछे भी यही विज्ञान था कि लोग इनकी रक्षा करें ताकि प्रकृति सुरक्षित रहै। 3. अगर हम लोग अपने क्लासिकल म्यूजिक की हि बात करें तो उसमें दिन के चार पहर और रात के चार पहर यानि आठो पहर के हिसाब से अलग अलग राग निर्मित की जो भाव (feel) भी वैसा ही देती है। यानि की हमारा शास्त्रीय संगीत भी प्रकृती से वेस्टर्न मूजीक की तुलना में ज्यादा करीब है। 4. ये सूत्र "अजीर्णे भेषजं वारि, जीर्णे वारि बलप्रदम| भोजने चामृतं वारि, भोजनान्ते विषप्रदम् " आज भी पानी पीने के नियमो का सर्वश्रेष्ठ सुत्र है। 5. सुबह की सूर्य की किरणें अगर भोजन पकाते समय भोजन में पडे तो भोजन की गुणवत्ता और बढ़ जाती है इसी लिए हमारे यहाँ पूर्व दिशा की और रसोई घर बनाने को कहा जाता है। 6. ध्यान की श्रेष्टम विधीयों में एक विधी भक्ति है जिसे भक्तियोग कहा जाता है। अगर सच्चे मन से 30 मिनट के लिए अगर सारी दुनियादारी को छोडकर भी भजन / प्रार्थना / ध्यान / ऊंकार जप किया जाये तो हमारे चित काफी शांत होता है । और एक अलग ही सूकुन मिलता है। भाई में मेरे जीवन में 3 साल *पूर्ण रुप से नास्तिक* रहा हूँ क्योंकि मेने ओशो को बहुत सूना था और आज भी सुनता हू। नास्तिक भी इतना बड़ा था की अगर कोई कहदे की अगर इस भगवान की मूर्ति / मस्जिद / चर्च / श्मशान पर पैसाब कर दे। तो मैं कर देता अगर और लोगों को और उनकी आस्था को मेरे पेशाब करने से कोई आपत्ति नहीं हो तो। लेकिन इसी दौरान में धर्म आध्यात्मिक मोक्ष तंत्र इनके बारे में अध्ययन भी करता रहता । और धीरे धीरे मुझे जब इनके पीछे का गहरा लौजिक समझ आया तो मुझे लगा कि यार ये सब छोटे नियम हि जिवन के महत्त्वपूर्ण सूत्र है जिन्हें धर्म से जोड़ कर पुराने लोगों ने सदियों तक जीवंत रखा। वरना न जाने आज तक जाने कितनी पुरानी संस्कृति और उनके मानव कल्याण के सूत्र और उपलब्धियां विलुप्त हो चुकी है। हमे घी में पड़ी मक्खी को फेंकना होता है ना कि सारे घी को । ठिक वैसे हि अपना पुराना ज्ञान भी घी है जो कि पंडे पुजारी ( बेईमान लोगों ) के हस्तझेप से हमें ग़लत लगता है। पर इसका मतलब ये नहीं है कि वो पूरा ज्ञान हि झूठा और ग़लत है। एक सैंकड के लिए आप ऋषी मुनियों की जगह खुद को रखकर देखिए अगर इस ज्ञान को धर्म और भगवान से ना जोड़ा जाता तो आज ये हमारे तक पहुंच ही नहीं पाता। उस समय भले हि विज्ञान भले इतनी उन्नत ना हो पर उनका ज्ञान बोध और विवेक आध्यातमिक क्षैत्र में उतना ही महत्वपूर्ण है। जो मुझे कहना ता वो मेने इस कमेंट में कह दिया भाई , अब मैं आपके आगामी कमेंट का जवाब नहीं दूंगा। क्योंकि इन चिजो और बातों का कोई अंत नहीं है। ये स्वयं जानने समझ और बोध की चीजें हैं । जो हमें सही सत्य और तर्कशील लगे उसी पर भरोसा करना चहिए। और उसको गहराई तक समझने की कोशिश करना चाहिए। (बाह्मणवाद / अंधविश्वास/ पाखंड/ पुजारी) और (आध्यात्मिकता / भक्ति / ध्यान/ असली संतो) दोनों को परखने और समझने की हमें कोशिश करनी चाहिए । दोनों को हम एक ही चीज नहीं के सकते। ओशो महत्वपूर्ण कथन के साथ आपसे दोनो हाथजोडकर विदा लेता हूँ : अप दीपों भव : ।
Aap sach me ek achhe insaan hai.............Sabhi ko Ek achha insaan banane ki koshish karna chahiye aur ek naastik vichaar dhara wala insaan kar bhi sakta kyonki vo kisi bhagwaan ke bharose apna jivan nahi jita...... Baki jisme dharmik kattarta hai usse to ek achhe insaan ki ummeed hi mat kijiye kyonki kahi na kahi uska dharma aade aa hi jayega aur vo kisi anya dharma wale se pratishodh ki bhawna rakhte huye shaitan ban sakta
*वाह क्या बात है सर जी आप का वीडियो देखने के लिए मैं काफी उत्साहित रहता हूं आप बहुत ही विद्वान और बुद्धिजीवी मालूम होते हैं आपको ऐसे वीडियो बनाने के लिए बहुत-बहुत साधुवाद*
Aap kitne intelligent or shant nature ke ho aapki baato se pata lagta hai Very Good Aise Logo ki hi is dunia ko zarurat hai.. By the way I'm atheist...m nastik Hu...
एक निष्पक्षता देखने को मिलती है ज्ञान & मानवता के लिए... To good sir 🙏 पर ऐसे लोग बहुत कम है जिसे दुनिया या समाज को जरूरत है सच्ची मानवता में रंग भरने के लिए एक निष्पक्षता है थोड़ा सा बैलेंस हो सके क्योंकि एक तरफ से समाज को डिसबैलेंस करने वालों की संख्या बहुत है जो धर्म झूठ शोषण का सहारा लेकर या आधार बनाकर पूरी मानवता को खतरे में डाल दिया है आज या कहे तो एक ऐसे वातावरण को बना दिया है जहां मानव सभ्यता ही खतरे में है
बहुत सही,, शील सदाचार दया प्रेम करूणा का स्रोत हैं मानवीय समझ सकती। ज्ञान से ही हम अपने और दूसरो के दुख को दूर कर सकते हैं। अज्ञानता और अविद्या ही सारे संस्कारो (तृष्णा) को जन्म देती,, जिसके कारण मनुष्य जीवंत पर्यन्त दुःख भोगता है। चूंकि जीवन में अनिश्चितता है, और इस अनिश्चितता से मुक्ति के लिए लोग भक्ति करते हैं, पर विकृतियों से निवृत्ती के बिना मोक्ष नहीं होता है। इसलिए आत्मज्ञान और वासनाओं का पूर्ण त्याग चाहिए,, जोकि बहुत कठिन कार्य है।
Sir, thank you very much. I am seeking this question from very long time as I am in a journey to becomes a atheist with highest possible morality. Your video helped to move a step forward.
I was watching the video and was literally waiting for the line, you said at 18:05 don't do things to others, you don't want done to you....this is literally the only line which can dethrone all the religions books as a source of morality...
काफी सुलझे हुअे ,तार्किक और well prepared तरीके की बात , मैं युवावस्था से इसी तरीके से सोचता रहा हूं ,pl.keep this going on , इस तरह से सोचने वाले लोगों का social media पर कोई group है ? शायद कुछ upgraded बातें जानने को मिलती रहेंगी , पढ़ने का उपक्रम तो हमेंशा रहेगा मेरे साथ ! हिम्मत भरी intelligence के लिये आभार ! साथ हूं ।
ये आदमी लोगों को विज्ञान के नाम पर उल्लू बना रहा है। ये केवल उन्हीं लोगों को उल्लू बना सकता है जिसने भारतीय ग्रंथों का सही से अध्ययन ही ना किया हो। आचार्य रजनीश ओशो ने एक और पंडे पुजारी और पाखंड की बैंड बजाई तो दूसरी और उपनिषद गीता श्री कृष्ण के महान ज्ञान की बारिकी से विवेचना की । और उसकी महानता लोगों को समझाती। पर इन भाईसाहब की 2-3 विडियो देखने के बाद मुझे समझ आया की ये लोगों को गुमराह कर रहै है। इनका मकसद बस कैसे भी करके सनातन वैदिक ज्ञान और पुरानी भारतीय संस्कृति को निचा दिखाना है। जबकि अंग्रेज लोग आज भी भारत के आध्यात्मिक ज्ञान के दिवाने है। संदीप माहेश्वरी और ओशो दोनों ने माडुक्य उपनिषद को आध्यात्मिकता के क्षेत्र में एक सर्वश्रैष्ट बताया है। पर इन वामपंथियों को यह बात रास नहीं आती है। इनके हिसाब से तो ऋषि मुनियों के पास ज्ञान था ही नहीं । इनके हिसाब से तो सारे वैदिक ग्रंथों उपनिषद , अष्टावक्र गीता , सुषुतसहिंता , अष्टाध्यायी , महर्षी पातंजली का योगज्ञान , ये सब व्यर्थ की किताबें हैं। ये भाईसाहब लोगों को गुमराह कर रहे हैं। इनमें और ढोंगी पंडो में ज्यादा फर्क नहीं है क्योंकि पंडे धर्म का बिजनेस करते हैं और ये भाईसाहब विज्ञान का। पर पंडे और ये भाईसाहब दोनों ही सही चिजो का ग़लत इस्तेमाल कर रहै है और अपना धंधा चला रहै है। पंडो ने धर्म का ग़लत इस्तेमाल किया और इन भाईसाहब ने विज्ञान का बिजनेस किया।
@@Arpit_Explains जी सर उनको एक -दो वीडियो से समझना थोड़ा मुश्किल हैं ,बड़े साइंटिफिक और लॉजिकल बाबा है वो आईआईटी ,आईआईएम और सिविल सर्विसेज भी पास आउट है ,और 10,000 से ऊपर free वीडियो है UA-cam पर ,,,
Ha sir meri bhi request hai main bhi unko follow Karti hun Aacharya Prashant ko lekin confused bhi rahti hun kabhi vo bolate Hain Bhagwan nahin Hai Kabhi kahate Hain Shiv hai Krishna hai so please video bnaye🙏🙏
सटीक विश्लेषण । लेकिन धार्मिक लोग इस बात पर ज़ोर देते हैं कि धर्म ही आपके अंदर की नैतिकता का आपको ज्ञान कराती है। जबकि ऐसा नहीं है । मानव सभ्यता के साथ साथ नैतिकता भी evolve हुआ है।
@@himanshu8619 मानव सभ्यता के साथ साथ नैतिकता भी पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। और समय के साथ साथ उसमे परिवर्तन भी साफ़ दिखाई देता है। सदियों पहले लोग सती प्रथा , बाल विवाह, मानव बलि, पशु बलि, बहू विवाह करते थे लेकिन आज की सभ्यता में नहीं करते। यहां तक कि कई समाजो में विधवा पुनर्विवाह को शुरू, और मृत्यु भोज को भी बन्द कर दिया गया है। लोग शादियों के रीति रिवाज भी 5 से7 दिन के बजाय 2या3दिन में ही करना शुरू कर दिए हैं।
@@himanshu8619 प्राकृतिक परिस्थितियों के साथ मनुष्य के दिमाग़ का विकास जैसे जैसे होता गया सोचने समझने विश्लेषण की शक्ति बढ़ने के साथ साथ नैतिकता का स्वरूप भी बदलता रहा है।
Sir अपने सही कहा मैं भी अच्छा इंसान बनने का हमेशा प्रयास करता हु क्योंकि इसी से मुझे समाज में इज्जत मिलेगी अच्छा बनने में मुझे अच्छा भी लगता है और तो मेरे परिवार और दोस्त भी जानते है की मैं नास्तिक हु इसलिए मैं पूरा प्रयास करता हु की एक अच्छा इंसान बनू और उनकी यह धारणा तोड़ दू की नास्तिक बुरे होते है , इसी वजह से मैने मुर्गा मछली खाना भी छोर दिया हु क्योईकी इसमें एक बेजुबान की जान जाति है लेकिन मैं अंडा तो खाता हु क्योंकि अंडे को खाने से उसे दर्द नही होगा। वैसे भी निषेचित अंडे से ही चूजा निकलता है फॉर्म के अंडे निषेचित नही होते
@@himanshu8619 देखो भाई मुर्गा मछली ज्यादातर लोग केवल स्वाद के लिए खाते है लेकिन ये न खाकर लोग स्वाद के लिए chaumin बर्गर और भी कई खाने खा सकते है जो मांसाहारी खाने से ज्यादा स्वादिष्ट होते है तो वही खाने न खाए जो किसी जीव को मारे न 🙏 इसी लिए मैं मांसाहारी नही हुं । और मैं अंडे क्यों खाता हु ये तो पहले ही बता दिया है
@@himanshu8619 किसी कमजोर जीव को अपने स्वाद के लिए मार कर खाना मेरे हिसाब से तो गलत है सोचो जरा अगर उस जगह हम होते तो तुम्हे कैसा लगता वैसे ऐसा कभी न हो ।
Bro donot mind,i think u donot have the proper knowledge about buddha.he also Denied god at his time.a Buddhist donot believe any god and some Buddhist who donot know anything, they think that buddha is god.also buddha donot start a religion which name is buddha darma.he just say the people the way of life.he also denied soul,reborn etc etc. I think you have to gain knowledge about buddha.gaining knowledge Isn't a bad thing.so u can see the speech of buddha and decision is you's🖤
🙏🕉️✝️☪️🙏 Arpit Sir, I listened to your entire video very carefully. The topic was morality and religion. (1) Making rules of morality is the job of the government and society (2) Human beings follow morality (3) In morality, there is I (4) In morality, I did it, it happened because of me (5) I am moral (6) The meaning of religion is completely different (7) Religion means I do not exist (8) Religion means I do not know anything (9) Even the most knowledgeable people cannot understand these mysteries (10) To understand this mystery, meditation is necessary (Thank you) That's all for today Jai Chandwani 🙏
नास्तिक बनना याने समाज से युद्ध करना ! ग्रेजुएट व्यक्ति विवाद को हल कर देगा। आस्था रखने वाले जल्द स्वीकार नहीं करते। आपकी जिस तरहसे समजा ने की कोशिश काबिले तारीफ़ हैं।
Arpit ji as usual very intriguing 🤔 I am more impressed with your maturity at such a young age. 👍🙏 Morality is not a stagnant pool as well as the culture. Nudity ..if immoral humans would have born with clothes 😀 Wearing clothes is not for the morality but protective gear from weather and wounds. Faith in God is more in the greed than the fear. Mutual symbiosis and camaraderie develop morality. Secondly ...What laws of land and constitution is for?😀🙏
नैतिकता का कोई सम्बन्ध आस्था और धर्म से नहीं है बल्की धर्म और आस्था का संबध नैतिकता से होना चाहिए नैतिकता की बैठक तो मनुष्यता के साथ ही सुन्दरतम है जय भीम 🙏 नमो बुद्धाय 🙏
बिल्कुल सही,,🙏 जहां सत्य है , वहां धर्म नहीं और जहां धर्म है, वहां सत्य के लिए स्थान नहीं, वास्तव में धर्म का उद्देश्य समाज में सदाचार और नैतिक मूल्यों की स्थापना होना चाहिए,, जबकि वह कर्मकाण्ड और अनुयायियों का अधिकतर आर्थिक सामाजिक और शारीरिक शोषण करती है
We are being told that religion instills morality. On contrary there is conclusive evidence that the contrary is the case and that faith causes people to be more mean, more selfish, and perhaps above all, more stupid.
Family oriented people are religious people, they take burden of and children happily.they are content people. Atheist suicides more than theists, divorce rate more in them, Single parenting only in them. Drugs use more in them. Imposing their beliefs in others more in them. Look at China, Russia, France, Europe these made hell to the life of theists.cant wear burqa, can't pray openly, mosques and churches are demolished.
धार्मिक व्यक्ति नैतिक होना जरूरी नहीं है। नैतिकता से मेरा मतलब जिसका समाज में अच्छा मान सम्मान हो । परंतु कानून का डर आपको बुरे कर्म करने से नही रोक सकता , ईश्वर का डर अंदरूनी है,और यदि ईश्वर में पूरी आस्था है तो व्यक्ति गलत काम नही करता
I spotted Early indians by tony joseph and early india by romilla thapar (not sure) at the background. That's why he has good knowledge of human evolutionary history.
प्रणाम, आपका विडियो बहुत सुन्दर है। बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको। मैं एक बात कहना चाहूंगा, मैंने सुना है कि संस्कृति धर्म नहीं है बहुत सारी सम्प्रदाय है और उनकी संस्कृति अलग अलग है। पर सभी धर्म का लक्ष्य शांति ही है। अलग-अलग समय में कहा गया है परस्थिति अलग अलग तो शब्द भी अलग है।
हमारे पास प्राकृतिक ने मनुष्य का दिमाग दिया हुआ है जो जो गलत और सही को सही तरीके से निर्णय ले सके। तो हम दूसरे के बहकावे में आकर के क्यों धर्म को आधार बनाकर गलत काम करने को मजबूर होते है? और हमें देखकर हमारे आने वाली पीढ़ीया भी उसी रास्ते में चलती है। सर कृपया इसी आधार पर अगले वीडियो बनाये।
Interesting,I agree that morality have various roots , religion being one of them but making it a benchmark can be dangerous so gotta look for all aspects of it, I wish Sam Harris also believe so.
एक नास्तिक इंसान कभी बुरे काम नहीं करता! वो हमेशा अबोल पशुओं के प्रति दया और करुणा के भाव से देखता है!अच्छे काम करना हमारे विचारों और शंस्कारो में होना चाहिए इसका धर्म से कोई लेना देना नही है!
मैं नास्तिक हूं लेकिन जीवों पर दया करता हूं। ईश्वर वादी लोग जीवों के ऊपर दया नहीं करते क्योंकि उन्हें पता है पाप करने के बाद गंगा में डुबकी लगाने और बड़ा यज्ञ हवन करवाने से सारे पाप धुल जायेंगे। और लोगों के बीच ऐसी तुच्छ मानसिकता के कारण ही इतनी ज्यादा अराजकता फैलती जा रही है।
Hello sir In today's society human rights are more important than someone's personal beliefs. Religions have very rigid rules which do not change with time. And if someone follow these rules he will get prize (heaven or rebirth) .may be that's why people follow these rules. And from Here comes belief system .the question of belief arises when there is no seeing . The moment you see ,the question of belief or faith disappears. And then it will become truth. So it is important to see through knowledge or wisdom. And not believing through faith.
Newzealand finnland Norway Sweden Denmark inn desho m 40% se zyada kisi religion ko nhi mante aur yhi desh sbse acche desho m aate hai aur crime bhi naa ke brabar hota h
Thanks sir bahut acha laga, सर,आज मैं बहुत कन्फ्यूज हूं,द्वारका नगरी मिल गई है,बहुत से चैनल ये दावा कर रहे हैं,यहां तक कि डिस्कवरी चैनल, बीबीसी भी बोल रहा रहा है,बहुत सर्च किया लेकिन कोई प्रूफ आंसर नही मिला,नास्तिक हूं इसलिए सच जानना चाहता हूं,आपसे आखरी उम्मीद है मुझे पता है आप जवाब जरूर देंगे। Thanks again for this knowledgeable video 🙏🙏
ये आदमी लोगों को विज्ञान के नाम पर उल्लू बना रहा है। ये केवल उन्हीं लोगों को उल्लू बना सकता है जिसने भारतीय ग्रंथों का सही से अध्ययन ही ना किया हो। आचार्य रजनीश ओशो ने एक और पंडे पुजारी और पाखंड की बैंड बजाई तो दूसरी और उपनिषद गीता श्री कृष्ण के महान ज्ञान की बारिकी से विवेचना की । और उसकी महानता लोगों को समझाती। पर इन भाईसाहब की 2-3 विडियो देखने के बाद मुझे समझ आया की ये लोगों को गुमराह कर रहै है। इनका मकसद बस कैसे भी करके सनातन वैदिक ज्ञान और पुरानी भारतीय संस्कृति को निचा दिखाना है। जबकि अंग्रेज लोग आज भी भारत के आध्यात्मिक ज्ञान के दिवाने है। संदीप माहेश्वरी और ओशो दोनों ने माडुक्य उपनिषद को आध्यात्मिकता के क्षेत्र में एक सर्वश्रैष्ट बताया है। पर इन वामपंथियों को यह बात रास नहीं आती है। इनके हिसाब से तो ऋषि मुनियों के पास ज्ञान था ही नहीं । इनके हिसाब से तो सारे वैदिक ग्रंथों उपनिषद , अष्टावक्र गीता , सुषुतसहिंता , अष्टाध्यायी , महर्षी पातंजली का योगज्ञान , ये सब व्यर्थ की किताबें हैं। ये भाईसाहब लोगों को गुमराह कर रहे हैं। इनमें और ढोंगी पंडो में ज्यादा फर्क नहीं है क्योंकि पंडे धर्म का बिजनेस करते हैं और ये भाईसाहब विज्ञान का। पर पंडे और ये भाईसाहब दोनों ही सही चिजो का ग़लत इस्तेमाल कर रहै है और अपना धंधा चला रहै है। पंडो ने धर्म का ग़लत इस्तेमाल किया और इन भाईसाहब ने विज्ञान का बिजनेस किया।
मैं शुद्ध रूप से नास्तिक हूँ, किन्तु नैतिकता और मानवीय संवेदनाओं की मेरे अंदर कोई कमी नहीं है | ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा में कोई कमी नहीं बल्कि तथाकथित आस्तिकों से ज्यादा ही है🙏
बिलकुल सहमत हैं आपसे👌
वाह अच्छी बात है मै आश्तिक हूं और मेरे में भी आपके जैसे ही गुण है,,,,वैसे आप मांस खाते है?
सही बात कहा है पहले मै भी जब धार्मिक प्रवृत्ति का था तब किसी की दुःख तकलीफ़ देखकर भगवान् सबका भला करते हैं का तर्क करता था लेकिन अब जब धर्म से दूर हुआ कोशिश यहीं रहती है कि उसकी
ज्यादा से ज्यादा हेल्प कर दुख तकलीफ़ दुर कर सकू
कहने का मतलब है कि अब ज्यादा संवेदनशील,emotions आते हैं दिमाग़ में।
@@himanshu8619 aap doodh pite hai na.... Wo bhi maansahaar hai....
@@ashishkumar-sf8sp अगर ऐसा है तो उसे छोर दूंगा
"यदि धर्म का डर ही आपको बुरे काम करने से रोकता है तो निसंदेह आप बुरे आदमी ही है|"
इतना पर्याप्त है पुरे विडीयो को समझने के लिए| Good job Sir...
Bilkul ❤✌
Outstanding
आपकी बात करने का अंदाज मुझे बहुत अच्छा लगता है, क्या सादगी है। लव यू भईया❤️
Ha paai...
सारे अच्छे बुरे भाव मन से उत्पन्न होते हैं जिसका अपने मन पर नियंत्रण है वही जीवन को समझ सकता है इसीलिए सारे धर्म में एक कॉमन बात है अपने मन पर काबु रखना। और गौतम बुद्ध ने भी यहि बताया। उन्होंने कहा कि मनुष्य का सबसे बड़ा उद्देश्य है कि उसकी इच्छा कितना कम है।
मन ही सारे कुकर्म का कारण है।
Very true. presented in a justified and convincing manner.
बहुत बढ़िया सर।👍🏻💐🙏🏻💖 आपने नैतिकता, "जो मानव समाज का अभिन्न, मूलभूत व महत्वपूर्ण अंग है, को सामाजिक, धार्मिक व स्वैच्छिक सद्भाव के स्तर पर बहुत अच्छे से समझाया। साथ में इस बात पर भी कई बेहतर उदाहरणों के साथ बखूबी प्रकाश डाला की नैतिकता के लिए अब तक जरूरी समझी जाने वाली चीजें ईश्वर का डर व धार्मिक किताबों में लिखी बातों के बगैर भी साधारण सामाजिक नियम जो हमारे मां बाप से हमें मिलते है व स्वैच्छिक सद्भाव के द्वारा भी समाज में नैतिकता को कायम रखा जा सकता है।
आपका धन्यवाद।💐💐🙏🏻
सही कहा sir मैं भी अच्छे काम इसी लिए करता हु क्योंकि इससे मेरा बड़ाई और इज्जत बढ़ेगा और अच्छा काम करने में अच्छा एहसास भी होता है।🙏
भाई दूसरे की बड़ाई नहीं अपने अच्छाई के लिए करो
नास्तिक भी अच्छे प्राणी है
जय श्रीराम
भारत में किसी भी प्राणी का खून नहीं गिरना चाहिए
भारत में मांसाहार पर पूरा बैन लगना चाहिए
जय सनातन संस्कृति।
जय श्रीराम
@@jayson8082bilkul animal cruelty me ekdmm ban hona chie wo bhi jaldi se jaldi.......but I will not support any religion or fraud too never ever 😊
निश्चित रूप से बहुत ही सुंदर वर्णन किया आपने, विशेषकर धर्म से ज्यादा समाज का एक व्यक्ति के उपर ज्यादा प्रभाव होता है आपकी इस बात से मै सहमत हुँ।
बहुत ही बेहतरीन
"आप हमसे वह व्यवहार न करें जो आप हमसे उम्मीद न रक्खें", इसका उल्टा अर्थ निकाल लिया लोगों ने जैसे कि
न आप हमसे लव मैरिज की उम्मीद करें न ही आपको लव मैरिज व्यवहार में लाने दूंगा 😀
😂😂
Absolutely true.
Thanks a lot.
Congratulations.
Outstanding monologue.
Waiting eagerly for next stream.
एक इंसान की जिंदगी जीने के लिए किसी भी ईश्वर आत्मा परमात्मा की कोई जरूरत नहीं होती।
भारत में मांसाहार पर पूरा बैन लगना चाहिए
भारत में किसी भी प्राणी का खून नहीं गिरना चाहिए
जय सनातन संस्कृति
जय श्रीराम
@@jayson8082
लेकिन भारत के बहुत से मंदिरो में
बली की प्रथा है, जैसे कि कामाख्या मन्दिर
वहां पर इन हिंसक क्रियाओं को रोकने में
सनातन धर्म संस्कृति क्या कर सकती है??
@@mukeshchhawindra7364 जल्द ही इस पर सुधार होगा मेरे भाई थोड़ा सबर करो हिंदू धर्म मे लगातार तेजी से सुधार हो रहे है और जो हिंदू धर्म मे सुधार लाने के प्रयास करता है हम उसका संम्मान करते उनका पुरस्कार करते फोर ex {शिवाजी महाराज जोतिब फुले और अंबेडकर {जय श्री राम 🙏🧡🚩
@@R_K_J भागवत गीता पढ़ो जवाब मिल जायेगा
@@R_K_J आत्मा परमात्मा मन की कल्पना है और कुछ नहीं।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ❤️
वास्तव मे लोग इसलिए धर्म अस्वीकार नहीं करते क्योंकि वह भी ऐसा सोचते हैं कि धर्म ही हमे नैतिकता सिखता है और वो आस्तिक बने रहते है
यह वीडियो नए तरीकों से लोगो को सोचने में मदद मिलेगी
आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
आपके ज्ञान और सादगी को सलाम
Love you sir ❤️❤️❤️
जो आदमी धर्म, ईश्वर से जितना दूर रहता है वो उतना ही अच्छा इंसान होता है
धर्म ही बताता है कि अपनी बहन या मा से शादी नही करना चाहिए। आगे समझादार हो👍
@@bimlendu lagta Brahma ke Khan Dan ke ho ... jaise apni beti Gayatri Devi k sath kiya tha...age samajh sakte ho.....👌😂👌
@@arajuaryanaraju7407 मतलब मान ही गये चमत्कार होते है। गायत्री नाम तो ऐसे ले रहा है जैसे वैज्ञानिक है जरूर कोई सडकछाप भीमटा होगा
@@bimlendu wo sab Ko pata hai kon dadak chhap hai or Han me nimta nahi Dr Baba Saheb Ambedkar ke beta hun mind it tere jaise vadwe angutha chhap Manu ke oulad nahi mind it
लव यू भाई.
बडा तगडा है ये भाई
मैं आपके विचारों से बिल्कुल सहमत हूं।मेरा ऐसा मानना है कि एक अच्छा धार्मिक होने के बजाए हम एक अच्छा इंसान बन जाए तो हमारे समाज के लिए ज्यादा बेहतर होगा
।
Sir ur chanel may be the most needed educational chanel in India right now...
बहुत ही अच्छा ज्ञान दिया आपने सर .लेकिन एक सबाल मुझे बहुत परेशान करता है और यह कि मुसिबत के समाय में हम भगवान की जगह किस्को याद करे.
Sir ko yad karo wo apake sbhi dard ko science ki bhasa me samajha denge
बहुत ही गहन विश्लेषण ।
कई धर्म में रहते हुए भी अपराध करते हैं जो कोई नास्तिक तक नहीं कर सकता ।
तो धर्म और भगवान का भय कहाँ ?
या ईश्वर से आई मोरालिटी कहाँ ?
सवाल ईश्वर को चुनौती देते हैं ।
Gyaan ke bina Jiwan adhura he,🙏 Grand salute sir
मैं आपकी हर वीडियो को बहुत ही ध्यान से देखता हूं समझता हूं निरीक्षण भी करने का प्रयास करता हूं काफी अच्छा बनाते हो आप...
समझ इसलिए पाते हैं क्योंकि हम भी तर्कशक्ति विज्ञान और मनोविज्ञान में दिलचस्पी, अध्ययन और निरीक्षण करते हैं..
एक लाइन में- बड़ी चीजों को संक्षेप में समझा देते हो जिससे व्यक्ति अपने पूर्व ज्ञान से नए ज्ञान को आत्मसात करण कर लेता है
ये आदमी लोगों को विज्ञान के नाम पर उल्लू बना रहा है। ये केवल उन्हीं लोगों को उल्लू बना सकता है जिसने भारतीय ग्रंथों का सही से अध्ययन ही ना किया हो।
आचार्य रजनीश ओशो ने एक और पंडे पुजारी और पाखंड की बैंड बजाई तो दूसरी और उपनिषद गीता श्री कृष्ण के महान ज्ञान की बारिकी से विवेचना की । और उसकी महानता लोगों को समझाती।
पर इन भाईसाहब की 2-3 विडियो देखने के बाद मुझे समझ आया की ये लोगों को गुमराह कर रहै है। इनका मकसद बस कैसे भी करके सनातन वैदिक ज्ञान और पुरानी भारतीय संस्कृति को निचा दिखाना है।
जबकि अंग्रेज लोग आज भी भारत के आध्यात्मिक ज्ञान के दिवाने है। संदीप माहेश्वरी और ओशो दोनों ने माडुक्य उपनिषद को आध्यात्मिकता के क्षेत्र में एक सर्वश्रैष्ट बताया है। पर इन वामपंथियों को यह बात रास नहीं आती है। इनके हिसाब से तो ऋषि मुनियों के पास ज्ञान था ही नहीं । इनके हिसाब से तो सारे वैदिक ग्रंथों उपनिषद , अष्टावक्र गीता , सुषुतसहिंता , अष्टाध्यायी , महर्षी पातंजली का योगज्ञान , ये सब व्यर्थ की किताबें हैं। ये भाईसाहब लोगों को गुमराह कर रहे हैं। इनमें और ढोंगी पंडो में ज्यादा फर्क नहीं है क्योंकि पंडे धर्म का बिजनेस करते हैं और ये भाईसाहब विज्ञान का। पर पंडे और ये भाईसाहब दोनों ही सही चिजो का ग़लत इस्तेमाल कर रहै है और अपना धंधा चला रहै है। पंडो ने धर्म का ग़लत इस्तेमाल किया और इन भाईसाहब ने विज्ञान का बिजनेस किया।
@@creativebuddy765 Dharm kya hai?
Batao....
@@focuspointup2432 जो नियम प्रकृति लोग समाज के कल्याण के लिए बनाये है वो ही धर्म है भाई।
@@creativebuddy765 समाज में कितने कल्याण हुए हैं धर्म से ?
फायदे बताओ कुछ... किस वर्ग को
@@focuspointup2432 भाई अगर आप ऐसे ही सवाल पूछते गये तो लम्बें समय तक कमेंट करूं तब भी आप संतुष्ट नहीं हो पाएंगे।
पर मैं अंततः इतना कहना चाहूंगा कोई भी महान इंसान कोई भी नियम उस काल के अनुसार शुरुआत में अच्छाई के लिए बनाता है। पर कुछ बेईमान लोग (पंडे/मौलवी/ पादरी ) उन नियमो का अपने स्वार्थ के लिए मिसयूज करते हैं गरबड़ वहीं पर हो जाती है।
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि धर्म के नियमों के पीछे विज्ञान ना हो। बस फर्क इतना है कि पहले के टाइम पर सभी लोगों के पास इतनी विज्ञान की समझ नहीं थी तो ऋषि या ज्ञानी लोग इसे भगवान/धर्म से जोड़ देते हैं। ताकि जब कोई ना देख रहा हो तब भी इन नियमों को माने कि चलो यार कोई नही तो ऊपरवाला तो मुझे देख ही देख रहा है।
1. अगर हम शुध्द घी जलाकर उसके पास बैठते हैं तो उसकी महक अंदर तक नाड़ी ( स्वसन ) शोधन करती है।
ठीक उसी प्रकार सही सामग्री के साथ हवन आदि करने से आसपास का वातावरण शुद्ध होता है।
2. पीपल निम गंगा यमुना गाय हाथी बंदर आदि चिजो को भगवान के बराबर दर्जा देने और पूछने के पीछे भी यही विज्ञान था कि लोग इनकी रक्षा करें ताकि प्रकृति सुरक्षित रहै।
3. अगर हम लोग अपने क्लासिकल म्यूजिक की हि बात करें तो उसमें दिन के चार पहर और रात के चार
पहर यानि आठो पहर के हिसाब से अलग अलग राग निर्मित की जो भाव (feel) भी वैसा ही देती है। यानि की हमारा शास्त्रीय संगीत भी प्रकृती से वेस्टर्न मूजीक की तुलना में ज्यादा करीब है।
4. ये सूत्र "अजीर्णे भेषजं वारि, जीर्णे वारि बलप्रदम| भोजने चामृतं वारि, भोजनान्ते विषप्रदम् " आज भी पानी पीने के नियमो का सर्वश्रेष्ठ सुत्र है।
5. सुबह की सूर्य की किरणें अगर भोजन पकाते समय भोजन में पडे तो भोजन की गुणवत्ता और बढ़ जाती है इसी लिए हमारे यहाँ पूर्व दिशा की और रसोई घर बनाने को कहा जाता है।
6. ध्यान की श्रेष्टम विधीयों में एक विधी भक्ति है जिसे भक्तियोग कहा जाता है। अगर सच्चे मन से 30 मिनट के लिए अगर सारी दुनियादारी को छोडकर भी भजन / प्रार्थना / ध्यान / ऊंकार जप किया जाये तो हमारे चित काफी शांत होता है । और एक अलग ही सूकुन मिलता है।
भाई में मेरे जीवन में 3 साल *पूर्ण रुप से नास्तिक* रहा हूँ क्योंकि मेने ओशो को बहुत सूना था और आज भी सुनता हू। नास्तिक भी इतना बड़ा था की अगर कोई कहदे की अगर इस भगवान की मूर्ति / मस्जिद / चर्च / श्मशान पर पैसाब कर दे। तो मैं कर देता अगर और लोगों को और उनकी आस्था को मेरे पेशाब करने से कोई आपत्ति नहीं हो तो।
लेकिन इसी दौरान में धर्म आध्यात्मिक मोक्ष तंत्र इनके बारे में अध्ययन भी करता रहता ।
और धीरे धीरे मुझे जब इनके पीछे का गहरा लौजिक समझ आया तो मुझे लगा कि यार ये सब छोटे नियम हि जिवन के महत्त्वपूर्ण सूत्र है जिन्हें धर्म से जोड़ कर पुराने लोगों ने सदियों तक जीवंत रखा। वरना न जाने आज तक जाने कितनी पुरानी संस्कृति और उनके मानव कल्याण के सूत्र और उपलब्धियां विलुप्त हो चुकी है।
हमे घी में पड़ी मक्खी को फेंकना होता है ना कि सारे घी को । ठिक वैसे हि अपना पुराना ज्ञान भी घी है जो कि पंडे पुजारी ( बेईमान लोगों ) के हस्तझेप से हमें ग़लत लगता है। पर इसका मतलब ये नहीं है कि वो पूरा ज्ञान हि झूठा और ग़लत है।
एक सैंकड के लिए आप ऋषी मुनियों की जगह खुद को रखकर देखिए अगर इस ज्ञान को धर्म और भगवान से ना जोड़ा जाता तो आज ये हमारे तक पहुंच ही नहीं पाता। उस समय भले हि विज्ञान भले इतनी उन्नत ना हो पर उनका ज्ञान बोध और विवेक आध्यातमिक क्षैत्र में उतना ही महत्वपूर्ण है।
जो मुझे कहना ता वो मेने इस कमेंट में कह दिया भाई , अब मैं आपके आगामी कमेंट का जवाब नहीं दूंगा। क्योंकि इन चिजो और बातों का कोई अंत नहीं है। ये स्वयं जानने समझ और बोध की चीजें हैं । जो हमें सही सत्य और तर्कशील लगे उसी पर भरोसा करना चहिए। और उसको गहराई तक समझने की कोशिश करना चाहिए।
(बाह्मणवाद / अंधविश्वास/ पाखंड/ पुजारी) और (आध्यात्मिकता / भक्ति / ध्यान/ असली संतो) दोनों को परखने और समझने की हमें कोशिश करनी चाहिए । दोनों को हम एक ही चीज नहीं के सकते।
ओशो महत्वपूर्ण कथन के साथ आपसे दोनो हाथजोडकर विदा लेता हूँ : अप दीपों भव : ।
Aap sach me ek achhe insaan hai.............Sabhi ko Ek achha insaan banane ki koshish karna chahiye aur ek naastik vichaar dhara wala insaan kar bhi sakta kyonki vo kisi bhagwaan ke bharose apna jivan nahi jita...... Baki jisme dharmik kattarta hai usse to ek achhe insaan ki ummeed hi mat kijiye kyonki kahi na kahi uska dharma aade aa hi jayega aur vo kisi anya dharma wale se pratishodh ki bhawna rakhte huye shaitan ban sakta
*वाह क्या बात है सर जी आप का वीडियो देखने के लिए मैं काफी उत्साहित रहता हूं आप बहुत ही विद्वान और बुद्धिजीवी मालूम होते हैं आपको ऐसे वीडियो बनाने के लिए बहुत-बहुत साधुवाद*
Aap kitne intelligent or shant nature ke ho aapki baato se pata lagta hai Very Good Aise Logo ki hi is dunia ko zarurat hai.. By the way I'm atheist...m nastik Hu...
Mere channel par dekho isko khud 10th class ka science nahi aata proton aur neutron ko milakar neutral charge bana diya isne 😂😂😂
Mr ridera bura na mane to , aapki caste kya hain??
Bhut bhut shukriya sir...itne aache se smajhne ke liye...❤❤❤❤❤❤❤
Apko sun kar sir meri samajh me vikash hua hai... Dhanyavaad sir...
Last line gives me goosebumps
एक निष्पक्षता देखने को मिलती है ज्ञान & मानवता के लिए... To good sir 🙏
पर ऐसे लोग बहुत कम है जिसे दुनिया या समाज को जरूरत है सच्ची मानवता में रंग भरने के लिए एक निष्पक्षता है थोड़ा सा बैलेंस हो सके क्योंकि एक तरफ से समाज को डिसबैलेंस करने वालों की संख्या बहुत है जो धर्म झूठ शोषण का सहारा लेकर या आधार बनाकर पूरी मानवता को खतरे में डाल दिया है आज या कहे तो एक ऐसे वातावरण को बना दिया है जहां मानव सभ्यता ही खतरे में है
नैतिकता और शालीनता मस्तिष्क से आती है दिन धर्म से नहीं।
ये आपने कहा से पढ़ लिए ?
@@himanshu8619 dharm se kuch nahi aata only nafrat
@@amiteshraj7342 fir to aap nationalism ,racial descrimination ,classicm , communism ,,,family vs family dispute k baare me sochiye
बहुत सही,, शील सदाचार दया प्रेम करूणा का
स्रोत हैं मानवीय समझ सकती। ज्ञान से ही हम अपने और दूसरो के दुख को दूर कर सकते हैं।
अज्ञानता और अविद्या ही सारे संस्कारो (तृष्णा) को जन्म देती,, जिसके कारण मनुष्य जीवंत पर्यन्त दुःख भोगता है।
चूंकि जीवन में अनिश्चितता है, और इस अनिश्चितता से मुक्ति के लिए लोग भक्ति करते हैं, पर विकृतियों से निवृत्ती के बिना मोक्ष नहीं होता है। इसलिए आत्मज्ञान और वासनाओं का पूर्ण त्याग चाहिए,, जोकि बहुत कठिन कार्य है।
@@himanshu8619 achha tum kya krte ho like study job thoda description do plz pata to chale dharm se tume mila kya
Society and kanoon Ka fear
Hi zyda dominant hai.....
Ye point achhaa hai ...
Sir, thank you very much. I am seeking this question from very long time as I am in a journey to becomes a atheist with highest possible morality. Your video helped to move a step forward.
Athesim is not a journey to disprove god or gaining morality rather having a believe that you don't need God any more neither objective morality.
I was watching the video and was literally waiting for the line, you said at 18:05 don't do things to others, you don't want done to you....this is literally the only line which can dethrone all the religions books as a source of morality...
Bahot achchha arpit divedi sir aap bahot kaam kar rahe hain jay vigyan sir
काफी सुलझे हुअे ,तार्किक और well prepared तरीके की बात , मैं युवावस्था से इसी तरीके से सोचता रहा
हूं ,pl.keep this going on ,
इस तरह से सोचने वाले लोगों का social media पर कोई group
है ?
शायद कुछ upgraded बातें जानने को मिलती रहेंगी , पढ़ने का उपक्रम
तो हमेंशा रहेगा मेरे साथ !
हिम्मत भरी intelligence के लिये
आभार !
साथ हूं ।
जरूर धर्म को लेकर बहुत सारी विवाद होते हैं। हमारा दुर्भाग्य की हम धर्म को नहीं समझे सके।
ये आदमी लोगों को विज्ञान के नाम पर उल्लू बना रहा है। ये केवल उन्हीं लोगों को उल्लू बना सकता है जिसने भारतीय ग्रंथों का सही से अध्ययन ही ना किया हो।
आचार्य रजनीश ओशो ने एक और पंडे पुजारी और पाखंड की बैंड बजाई तो दूसरी और उपनिषद गीता श्री कृष्ण के महान ज्ञान की बारिकी से विवेचना की । और उसकी महानता लोगों को समझाती।
पर इन भाईसाहब की 2-3 विडियो देखने के बाद मुझे समझ आया की ये लोगों को गुमराह कर रहै है। इनका मकसद बस कैसे भी करके सनातन वैदिक ज्ञान और पुरानी भारतीय संस्कृति को निचा दिखाना है।
जबकि अंग्रेज लोग आज भी भारत के आध्यात्मिक ज्ञान के दिवाने है। संदीप माहेश्वरी और ओशो दोनों ने माडुक्य उपनिषद को आध्यात्मिकता के क्षेत्र में एक सर्वश्रैष्ट बताया है। पर इन वामपंथियों को यह बात रास नहीं आती है। इनके हिसाब से तो ऋषि मुनियों के पास ज्ञान था ही नहीं । इनके हिसाब से तो सारे वैदिक ग्रंथों उपनिषद , अष्टावक्र गीता , सुषुतसहिंता , अष्टाध्यायी , महर्षी पातंजली का योगज्ञान , ये सब व्यर्थ की किताबें हैं। ये भाईसाहब लोगों को गुमराह कर रहे हैं। इनमें और ढोंगी पंडो में ज्यादा फर्क नहीं है क्योंकि पंडे धर्म का बिजनेस करते हैं और ये भाईसाहब विज्ञान का। पर पंडे और ये भाईसाहब दोनों ही सही चिजो का ग़लत इस्तेमाल कर रहै है और अपना धंधा चला रहै है। पंडो ने धर्म का ग़लत इस्तेमाल किया और इन भाईसाहब ने विज्ञान का बिजनेस किया।
@@creativebuddy765 आप सत्य बोली।
सर आप आचार्य प्रशांत पे वीडियो बनाए 🙏❤️
उनका पॉइंट ऑफ व्यू समझने की कोशिश कर रहा हूँ। थोड़ा समय दीजिए।
@@Arpit_Explains जी सर उनको एक -दो वीडियो से समझना थोड़ा मुश्किल हैं ,बड़े साइंटिफिक और लॉजिकल बाबा है वो आईआईटी ,आईआईएम और सिविल सर्विसेज भी पास आउट है ,और 10,000 से ऊपर free वीडियो है UA-cam पर ,,,
Yes Sir such an important topic.
@@Arpit_Explains आचार्य प्रशांत हमारी तरह तर्कशील इंसान हैं
Ha sir meri bhi request hai main bhi unko follow Karti hun Aacharya Prashant ko lekin confused bhi rahti hun kabhi vo bolate Hain Bhagwan nahin Hai
Kabhi kahate Hain Shiv hai Krishna hai so please video bnaye🙏🙏
I am Rationalist atheist, a way toward truth.
सटीक विश्लेषण ।
लेकिन धार्मिक लोग इस बात पर ज़ोर देते हैं कि धर्म
ही आपके अंदर की नैतिकता का आपको ज्ञान कराती है। जबकि ऐसा नहीं है । मानव सभ्यता के साथ साथ
नैतिकता भी evolve हुआ है।
👍❤️
ये नैतिकता आई कहा से ? भाई इंसान का evolution to पढ़ा है लेकिन नैतिकता का evolution नहीं पढ़ा आप कृपया रेफरेंस साझा करे
@@himanshu8619 मानव सभ्यता के साथ साथ नैतिकता भी पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। और समय के साथ साथ उसमे परिवर्तन भी साफ़ दिखाई देता है।
सदियों पहले लोग सती प्रथा , बाल विवाह, मानव बलि, पशु बलि, बहू विवाह करते थे लेकिन आज की सभ्यता में
नहीं करते। यहां तक कि कई समाजो में विधवा पुनर्विवाह को शुरू, और मृत्यु भोज को भी बन्द कर दिया गया है। लोग शादियों के रीति रिवाज भी 5 से7 दिन के बजाय 2या3दिन में ही करना शुरू कर दिए हैं।
@@himanshu8619 प्राकृतिक परिस्थितियों के साथ मनुष्य के दिमाग़ का विकास जैसे जैसे होता गया सोचने समझने विश्लेषण की शक्ति बढ़ने के साथ साथ नैतिकता का स्वरूप भी बदलता रहा है।
@@animalkingdom5933 अरे भाई तो साथ साथ धर्म भी तो चला आ रहा है ,,तो फिर कैसे जाने नैतिकता और धर्म अलग अलग बढ़े है
Arpit sir, is a great human being of india 🎉❤🎉😅😂
आप बहोत अच्छा काम कर रहे हैं अर्पित भाई
नैतिकता के लिए आस्तिक होना जरूरी नहीं है। नास्तिक भी ज्यादा नैतिक हो सकता है।
Bhagat sing
Nastik bhi ❌
Nastik hi ✅
No, nastik bhi@@anandchoure1343
Sir अपने सही कहा मैं भी अच्छा इंसान बनने का हमेशा प्रयास करता हु क्योंकि इसी से मुझे समाज में इज्जत मिलेगी अच्छा बनने में मुझे अच्छा भी लगता है और तो मेरे परिवार और दोस्त भी जानते है की मैं नास्तिक हु इसलिए मैं पूरा प्रयास करता हु की एक अच्छा इंसान बनू और उनकी यह धारणा तोड़ दू की नास्तिक बुरे होते है , इसी वजह से मैने मुर्गा मछली खाना भी छोर दिया हु क्योईकी इसमें एक बेजुबान की जान जाति है लेकिन मैं अंडा तो खाता हु क्योंकि अंडे को खाने से उसे दर्द नही होगा। वैसे भी निषेचित अंडे से ही चूजा निकलता है फॉर्म के अंडे निषेचित नही होते
अरे भाई क्यों खाना छोर दिए ? 🤔
@@himanshu8619 देखो भाई मुर्गा मछली ज्यादातर लोग केवल स्वाद के लिए खाते है लेकिन ये न खाकर लोग स्वाद के लिए chaumin बर्गर और भी कई खाने खा सकते है जो मांसाहारी खाने से ज्यादा स्वादिष्ट होते है तो वही खाने न खाए जो किसी जीव को मारे न 🙏 इसी लिए मैं मांसाहारी नही हुं । और मैं अंडे क्यों खाता हु ये तो पहले ही बता दिया है
@@tiggintlt4915 भाई लेकिन चिकन का अपना ही स्वाद है इसके बहुत लोग पिज़्ज़ा भी खाते है और नोन वेग भी
@@himanshu8619 किसी कमजोर जीव को अपने स्वाद के लिए मार कर खाना मेरे हिसाब से तो गलत है सोचो जरा अगर उस जगह हम होते तो तुम्हे कैसा लगता वैसे ऐसा कभी न हो ।
Great explanation sir! Jaibhim from my bottom of heart
Mai aacha insaan hu...... Kisi bhi religion ko nhi manta 🙏🌹🇮🇳✌
same yaar❤️
Do u know Buddha??
I love buddha!!buddha was a scientific man!! So,buddha is my idol/inspiration!!
My family is hindu but i donot believe that❤️
@@tattigamer3580 भाई वो भी धार्मिक हो गए
Bro donot mind,i think u donot have the proper knowledge about buddha.he also Denied god at his time.a Buddhist donot believe any god and some Buddhist who donot know anything, they think that buddha is god.also buddha donot start a religion which name is buddha darma.he just say the people the way of life.he also denied soul,reborn etc etc.
I think you have to gain knowledge about buddha.gaining knowledge Isn't a bad thing.so u can see the speech of buddha and decision is you's🖤
@@tattigamer3580 dear I don't believe in any common gods that people use or reborn or any superstition but what buddha said is dharam for me 😊
🙏🕉️✝️☪️🙏 Arpit Sir, I listened to your entire video very carefully. The topic was morality and religion. (1) Making rules of morality is the job of the government and society (2) Human beings follow morality (3) In morality, there is I (4) In morality, I did it, it happened because of me (5) I am moral (6) The meaning of religion is completely different (7) Religion means I do not exist (8) Religion means I do not know anything (9) Even the most knowledgeable people cannot understand these mysteries (10) To understand this mystery, meditation is necessary (Thank you) That's all for today Jai Chandwani 🙏
Bahut ache vichar share kiye apne. Aur last line to 👌👏👍🙏
सभी समाजों में नैतिकता का अर्थ अलग अलग है|जो काम किसी एक के लिए नैतिक है, वही दूसरे के लिए अनैतिक हो सकता है|
Well done brother 👍👍👍
You are doing such a great job
Insaniyat jindabaad
नास्तिक बनना याने समाज से युद्ध करना ! ग्रेजुएट व्यक्ति विवाद को हल कर देगा। आस्था रखने वाले जल्द स्वीकार नहीं करते। आपकी जिस तरहसे समजा ने की कोशिश काबिले तारीफ़ हैं।
समाज का रचाकथित धर्मग्रंथ, कानून और नैतिकता खोकली चीज है, अध्यात्म और विज्ञान ही सत्य है।🙏🙏🙏
Great
उत्कृष्ट
धन्यवाद !!!
Amazing video bhaiya.... Very well explained 👍👍👏👏👏👏👏
समाज में छवि खराब हो जाने का डर खुदा के डर से कहीं ज्यादा होता है 👍
Arpit ji as usual very intriguing 🤔
I am more impressed with your maturity at such a young age. 👍🙏
Morality is not a stagnant pool as well as the culture. Nudity ..if immoral humans would have born with clothes 😀 Wearing clothes is not for the morality but protective gear from weather and wounds. Faith in God is more in the greed than the fear. Mutual symbiosis and camaraderie develop morality. Secondly ...What laws of land and constitution is for?😀🙏
जब पहचान छुप जाता है तब बहुत से लोग कुछ भी कर सकता है। No morality, human is demon, no humanity
Aapki video youtube par kam hain lekin jitni bhi hain sab awesome hai... i follow u sir..
Reminded me of cosmicskeptic and rationality rules. You are composed in your explanation. Impressed
Bhut he achaa aur sunder information deye h 👍💓
Awesome video... Great job sir... Best of Luck... 🙏
Humanity is true religion.
No...truth, science, fact are the true relgion
नैतिकता का कोई सम्बन्ध आस्था और धर्म से नहीं है बल्की धर्म और आस्था का संबध नैतिकता से होना चाहिए
नैतिकता की बैठक तो मनुष्यता के साथ ही सुन्दरतम है
जय भीम 🙏 नमो बुद्धाय 🙏
बिल्कुल सही,,🙏
जहां सत्य है , वहां धर्म नहीं
और जहां धर्म है, वहां सत्य के लिए स्थान नहीं,
वास्तव में धर्म का उद्देश्य समाज में सदाचार और नैतिक मूल्यों की स्थापना होना चाहिए,, जबकि वह कर्मकाण्ड और अनुयायियों का अधिकतर
आर्थिक सामाजिक और शारीरिक शोषण करती है
@@mukeshchhawindra7364 true
@@EFIlist-Anti-NATALIST 👍
बहुत जबरदस्त शानदार वीडियो
बहुत बेहतरीन विशलेषण 👌👌👌👌👌👍👍👍👍
Your explanation is so simple...Keep it up.
बहुत शानदार प्रस्तुति सर 🙏
Thanks to UA-cam algorithm, i found this channel. You give a lot more scientific explanation on everything.
Ha paai....
Mere man me bhi yahi sawal tha thank you so much for video 👍🏻🔥
EXCELLENT ❤
There should be only 1 religion: Humanity
We are being told that religion instills morality. On contrary there is conclusive evidence that the contrary is the case and that faith causes people to be more mean, more selfish, and perhaps above all, more stupid.
Oh seriously , totally lack of understanding
Family oriented people are religious people, they take burden of and children happily.they are content people.
Atheist suicides more than theists, divorce rate more in them,
Single parenting only in them.
Drugs use more in them.
Imposing their beliefs in others more in them.
Look at China, Russia, France, Europe these made hell to the life of theists.cant wear burqa, can't pray openly, mosques and churches are demolished.
धार्मिक व्यक्ति नैतिक होना जरूरी नहीं है। नैतिकता से मेरा मतलब जिसका समाज में अच्छा मान सम्मान हो । परंतु कानून का डर आपको बुरे कर्म करने से नही रोक सकता , ईश्वर का डर अंदरूनी है,और यदि ईश्वर में पूरी आस्था है तो व्यक्ति गलत काम नही करता
Ye dusre jo apshabd bolke samjane aur aapke samjane me bahut fark hai. Bahut sare nastik channel hai but aapki bhasha 👌👌. Samjane ka tarika 👌👌
I spotted Early indians by tony joseph and early india by romilla thapar (not sure) at the background. That's why he has good knowledge of human evolutionary history.
Very nice !!best explanation!!
प्रणाम, आपका विडियो बहुत सुन्दर है। बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको। मैं एक बात कहना चाहूंगा, मैंने सुना है कि संस्कृति धर्म नहीं है बहुत सारी सम्प्रदाय है और उनकी संस्कृति अलग अलग है। पर सभी धर्म का लक्ष्य शांति ही है। अलग-अलग समय में कहा गया है परस्थिति अलग अलग तो शब्द भी अलग है।
Mere channel par dekho isko khud 10th class ka science nahi aata proton aur neutron ko milakar neutral charge bana diya isne 😂😂😂
Too good Arpit, every video you represent me, in a better way.
Your explanation is so good keep going 🙏👍👍
Sabhi galat kaam to ab bhi ho rahe hain dharmik hote hue bhi paap karke ganga nahane chale jaate hai ya haj pe chale jaate hain paap dhone
I really like & love your logic and source of Real science
Dharm aur ishvar yadi naitikata sikhate to bharat me sab jail khali hoti police aur vakil sab berojgar ho jate
Dharam aur iswar ko samajh paate tab n
Thank God that there is no God 😁🙏🙏
Sar main aapka bahut bada fan 🙏🏻 love you sar ❤️aap bahut achcha kam karte👍🏻
sir evolution pe ek puri series bnanaiye please.Apke videos bahut informative hoti h.
. गलत का विरोध करने वाला नास्तिक खुद गलती कर छवि खराब नही कर सकता
Sir I salute u bahut durdarshi hai apki soch, 🙏🙏👌🇮🇳
For those who didn’t notice, He reset his mic on collar at least three time in entire video. Did you notice more times?
हमारे पास प्राकृतिक ने मनुष्य का दिमाग दिया हुआ है जो जो गलत और सही को सही तरीके से निर्णय ले सके।
तो हम दूसरे के बहकावे में आकर के क्यों धर्म को आधार बनाकर गलत काम करने को मजबूर होते है?
और हमें देखकर हमारे आने वाली पीढ़ीया भी उसी रास्ते में चलती है।
सर कृपया इसी आधार पर अगले वीडियो बनाये।
ईश्वर को मानना अपनी निजी चुनाव के तौर पर लेना चाहिए
Interesting,I agree that morality have various roots , religion being one of them but making it a benchmark can be dangerous so gotta look for all aspects of it, I wish Sam Harris also believe so.
एक नास्तिक इंसान कभी बुरे काम नहीं करता! वो हमेशा अबोल पशुओं के प्रति दया और करुणा के भाव से देखता है!अच्छे काम करना हमारे विचारों और शंस्कारो में होना चाहिए इसका धर्म से कोई लेना देना नही है!
Kya praman hai ke nastik kabhi koi bure kam nhi karta?
मैं नास्तिक हूं लेकिन जीवों पर दया करता हूं।
ईश्वर वादी लोग जीवों के ऊपर दया नहीं करते क्योंकि उन्हें पता है पाप करने के बाद गंगा में डुबकी लगाने और बड़ा यज्ञ हवन करवाने से सारे पाप धुल जायेंगे। और लोगों के बीच ऐसी तुच्छ मानसिकता के कारण ही इतनी ज्यादा अराजकता फैलती जा रही है।
Bhagat Singh is great example of morality with atheism
Hello sir
In today's society human rights are more important than someone's personal beliefs. Religions have very rigid rules which do not change with time. And if someone follow these rules he will get prize (heaven or rebirth) .may be that's why people follow these rules. And from Here comes belief system .the question of belief arises when there is no seeing . The moment you see ,the question of belief or faith disappears. And then it will become truth. So it is important to see through knowledge or wisdom. And not believing through faith.
Seeing must be peer reviewed to become trust😅
शानदार
Nice topic sir ❤️👌
Newzealand finnland Norway Sweden Denmark inn desho m 40% se zyada kisi religion ko nhi mante aur yhi desh sbse acche desho m aate hai aur crime bhi naa ke brabar hota h
बहुत अच्छे से बात रखे
Thanks sir bahut acha laga, सर,आज मैं बहुत कन्फ्यूज हूं,द्वारका नगरी मिल गई है,बहुत से चैनल ये दावा कर रहे हैं,यहां तक कि डिस्कवरी चैनल, बीबीसी भी बोल रहा रहा है,बहुत सर्च किया लेकिन कोई प्रूफ आंसर नही मिला,नास्तिक हूं इसलिए सच जानना चाहता हूं,आपसे आखरी उम्मीद है मुझे पता है आप जवाब जरूर देंगे। Thanks again for this knowledgeable video 🙏🙏
Chalo chale Ham Ek kadam Aastha Mukti ki or.🙏🙏🙏💐
Jay manavta Jay vigyan 👪👪🖋️🩺💡🔬🔭🪐🌍
ईश्वर के होने की वजह से मैं आजतक शाकाहारी था । तो क्या अब ईश्वर के न होने पर मांसाहारी होना नैतिकता है या अनैतिकता है
ये आदमी लोगों को विज्ञान के नाम पर उल्लू बना रहा है। ये केवल उन्हीं लोगों को उल्लू बना सकता है जिसने भारतीय ग्रंथों का सही से अध्ययन ही ना किया हो।
आचार्य रजनीश ओशो ने एक और पंडे पुजारी और पाखंड की बैंड बजाई तो दूसरी और उपनिषद गीता श्री कृष्ण के महान ज्ञान की बारिकी से विवेचना की । और उसकी महानता लोगों को समझाती।
पर इन भाईसाहब की 2-3 विडियो देखने के बाद मुझे समझ आया की ये लोगों को गुमराह कर रहै है। इनका मकसद बस कैसे भी करके सनातन वैदिक ज्ञान और पुरानी भारतीय संस्कृति को निचा दिखाना है।
जबकि अंग्रेज लोग आज भी भारत के आध्यात्मिक ज्ञान के दिवाने है। संदीप माहेश्वरी और ओशो दोनों ने माडुक्य उपनिषद को आध्यात्मिकता के क्षेत्र में एक सर्वश्रैष्ट बताया है। पर इन वामपंथियों को यह बात रास नहीं आती है। इनके हिसाब से तो ऋषि मुनियों के पास ज्ञान था ही नहीं । इनके हिसाब से तो सारे वैदिक ग्रंथों उपनिषद , अष्टावक्र गीता , सुषुतसहिंता , अष्टाध्यायी , महर्षी पातंजली का योगज्ञान , ये सब व्यर्थ की किताबें हैं। ये भाईसाहब लोगों को गुमराह कर रहे हैं। इनमें और ढोंगी पंडो में ज्यादा फर्क नहीं है क्योंकि पंडे धर्म का बिजनेस करते हैं और ये भाईसाहब विज्ञान का। पर पंडे और ये भाईसाहब दोनों ही सही चिजो का ग़लत इस्तेमाल कर रहै है और अपना धंधा चला रहै है। पंडो ने धर्म का ग़लत इस्तेमाल किया और इन भाईसाहब ने विज्ञान का बिजनेस किया।
@@creativebuddy765 to aap proof kre
God ko ok
सर आप अच्छा कार्य कर रहे हो।
नैतिकता बिना ईश्वर के बुद्ध को पड़ने से आसकती है।