दोहे कक्षा -८
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- Опубліковано 10 лют 2025
- कक्षा 8 के लिए दोहे - विवरण
परिचय:
दोहे हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण काव्य विधा है, जो दो पंक्तियों में गहन अर्थ व्यक्त करने की क्षमता रखती है। यह छंद प्राचीन काल से ही लोकप्रिय रहा है और आज भी शिक्षाप्रद, नैतिक, व सामाजिक संदेश देने के लिए प्रयोग किया जाता है।
रचना संरचना:
दोहे में प्रत्येक पंक्ति 13-13 मात्राओं की होती है, और इसमें कुल 24 मात्राएँ होती हैं। इसकी छंद योजना (13+11) मात्राओं की होती है। पहली और तीसरी तुक मिलती है, जबकि दूसरी और चौथी पंक्ति स्वतंत्र होती है।
विशेषताएँ:
1. दोहा सरल, संक्षिप्त और प्रभावशाली होता है।
2. इसमें नैतिक शिक्षा, समाज सुधार, नीति, भक्ति, प्रेम और ज्ञान से जुड़े विषय होते हैं।
3. इसके प्रमुख कवि संत कबीर, रहीम, तुलसीदास और बिहारी हैं।
उदाहरण:
(1) कबीरदास जी का दोहा:
"बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर,
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।"
अर्थ:
केवल आकार में बड़ा होना ही श्रेष्ठता का प्रतीक नहीं होता, यदि वह दूसरों के काम न आए। जैसे खजूर का पेड़ ऊँचा होता है, लेकिन उसकी छाया नहीं मिलती और फल भी दूर होते हैं।
(2) रहीमदास जी का दोहा:
"रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय,
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय।"
अर्थ:
रहीम कहते हैं कि प्रेम रूपी धागे को झटके से नहीं तोड़ना चाहिए, क्योंकि यदि यह एक बार टूट जाता है, तो दोबारा जुड़ने पर उसमें गाँठ पड़ जाती है। यानी रिश्तों में दरार आ जाए, तो वह पहले जैसी नहीं रह सकती।
निष्कर्ष:
कक्षा 8 के छात्रों के लिए दोहे पढ़ना न केवल उनकी भाषा और साहित्य की समझ बढ़ाता है, बल्कि उन्हें नैतिक शिक्षा और जीवन में सही मार्गदर्शन भी प्रदान करता है।