Aba kuch malum nahi par bhi bolo ya jo tv show ma dekhya hai vo sach nahi first read mahabharat aswthama akela hi inko mar deta agar vo apni puri sakti sa ladta bhagvan shiv ka ashn tha vo usa koi nahi mar paya ya bat janta ho na Karn kavpas uska kavach aur kundal hata lo toh dhanur Vidya ma aswthama ko bhisma bhi nahi mar pata aur yadh ka badh bhi vo jivit kaise tha ha kahi jawab
🙈🙉🙊 तो गांगपुत्र भीष्म जी व गुरुद्रोण भगदत्त महाराज शल्य अश्वत्थामा कंबोज सुदक्षिण जी व अन्य अनेक राजा को दुर्योधन की क्यों आवश्यकता थी और उनको क्यों युद्ध करने के लिए नियुक्ति की? और क्यों कृष्ण जी से उनकी विश्व की सबसे उत्तम नारायणी सेना की सहायता ली? कर्ण अकेला युद्ध करने क्यों नही गया ? अर्जुन की भांति जैसे अर्जुन ने विराट के लिए किया और सबको अजेले ही परास्त किया? सभी पाण्डवो व उनकी सेना को परास्त कर उनका सबका वध कर युद्ध विजय कर दुर्योधन को सब कुछ देने । 😆 कुछ विवेक बुद्धि लगाकर भी विचार कर अपना विचार साझा किया करो । कब तक ऐसे ही ही मानसिक्ता भृम में भृमित होकर जीवन व्यतीत करते रहोगे? मतलब कुछ भी। 🤣😝😅😜
अगर कर्ण, पांडवों के पक्ष में आ जाते तो उनको वो सम्मान और कीर्ति नहीं मिल पाती, जो आज है। उदाहरण के तौर पर रावण के भाई विभीषण को ही ले लीजिए.. इतिहास उन्हें आज भी " घर का भेदी" की संज्ञा देता है
Agr arjun ki side hota to apno ke sath hota dusro ke sath nhi . Vibhishn ne dusro ka sath diya r karn bhi . Frk itna hai vibhishn ne dharm ka r vibhishn ne adharm
युद्ध होता ही नहीं और युद्ध नहीं होता तो कलयुग का आगमन होता ही नहीं परिवर्तन की चाह रखने वाले कर्ण के कारण ही संभव हो पाया कर्ण के कारण ही हम सब सामान अधिकार पर रहे हैँ /
Bhai apke hisb se kya sirf karan ke paas hi dukh tha mere hisab main to bhisham ka dukh jayada tha aapko kya lagta hai ??? Agar bhishma na. Hote to ye youdh bhi na hota
इस विषय पर विचार तो कर्ण ने भी किया होगा। परन्तु कोई संतोषजनक जवाब उनको भी नहीं मिला होगा।यही परिस्थिति पितामह भीष्म और आचार्य द्रोण के साथ भी थी। ये सब चाहकर भी दुर्योधन को नहीं त्याग पाए। तभी तो उन्होंने दुर्योधन के पक्ष में लड़ते हुए अपने प्राण त्याग देना उचित जाना।🤗
पहला - कर्ण एक महान योद्धा थे और करम से एक क्षत्रिय भी थे. दूसरा - जब कर्ण और अर्जुन का पहली बार रंग भूमि में आमना सामन होने जा रहा था उस समय कुलगुरु कृपाचार्य ने यह कहकर कर्ण को रोक दिया था की यह एक गुरुकुल के राजकुमारों की रंग भूमि है. और यह सुनकर दुर्योधन ने कर्ण को आंग देश का राजा घोषित कर दिया. फिर यह देख कर्ण ने दुर्योधन को अपना जीवन समर्पण कर दिया. तीसरा - और इसी कारण वर्ष कर्ण चाहकर भी दुर्योधन को कभी नहीं छोड़ सकता. और इसी कारण वर्ष युद्ध होना निश्चित था.
Jab puree samnaj nee usee sut putra bolkee uskaa mazzak udaayaa tab Jisnee uski buree samay mee madat kari usee Karan kysee chodtaa....bhot difficult hotaa hee...jab krishna koo sab pataa thaa too usee voo pehee lee hi voo bataa detee...too shaayad kuch baat banti
Karna Kabhi maharathi bheeshma ko nahi jeet pata.. Yeah Sirf Arjun k lie hi possible he.. Or dronacharya ki Mrityu drishtdhumya k hatho nishchit thi... Or abhimanyu Phir bhi mara jata kuki chakrvyuh bhedne ka gyan Arjun ko tha or wahi jaydrath ka vadh karne ka samarthya rakhta tha... Karn ko jaydrath apne vardan k wajah se... Karn ko bhi hara deta.. Or karn k pass Itna samarthya bhi nahi tha.. Ki sampoorna trigarth sena ka vadh kar sake.. 🙂🙂🙂🙂🙂
@@devensharma8696 shi mai murkh murkh hi rehte hai abe bewakoof karn ko arjun ne chhal se mara tab arjun ke sarthi aur koi nahi shri krishn the to bheesm ko kya hi hara pata arjun arjun ko harane wale kai yoddha hai lekin tumne unke baare mai kabhi jaana hi nahi chalo mai tumko bata deta hu kuch yoddha jo arjun mitti me mila dete sabse pehle to obviously karn hi aayege fir bheesm fir dron fir eklavya fir aswathama fir bhagdatt ye 6 to badi hi asani se arjun ko hara dete baaki tumhari murkhta
@@ShubhanjalSNGupta log ekta kapoor ki Mahabharata dakhkar Moorkhta poorn bat hi karenge.. Arjun vajradhari Indra ka putra OT Swayam nar narayan me nar hr Arjun ko Vijay islie hi kaha jata he ki wo Kabhi kisi yudh. Me nhi hara.. Bhulo Matt Arjun Arjun he.. Virat yudh me koi Arjun ka kux na bigad Saka Sabhi yodha Milkar.... Or karn ki baat karte ho... Gandharb yudh me apne Mitra ko akela chor kar bhag nikla.. Karn sabse swarthi vyakti raha he.. Mahabharat ka Dhitrashtra k baad.. Or balki arjun Purush shreshta raha he dwaparyug me.. Jisne akele kalkay jese rakshaho ko Mara Bhagwan shiv ka Saamne yudh me tik saka. Ase veer maharathi yodha ko karna athva bhagdatt OT eklavya Kya hi bigad lete.. 🙂🙂🙂
@@devensharma8696 yaar paheli baat toh karna and bhishma dono hi powerful hai and bhishma kabhi bhi karna ko nahi hara pate becouse karna ke pass uska kavach or kuntal tha and karna and bhishma dono ka teacher bhi ek hi hai bhishma ke pass bhi wardan hai unki maa ka toh dono main se Kon jeetega ye batana impossible hai
Aise kaise bol sakte ho ki yudh nahi hota aggar bishma pitamah ji cchate toh ek hi din mai sabko prajit kar yudh jeet lete but bishma ji bhi chhte the ki dharm ki sthapna ho woh toh yudh mai apna kartavya aur sahi waqt ka intezaar kar rahe the moksh aur mrityu prapti ke ke liye jis tarah kheti mai purane faslo ko ukhad kar naye faslo ko boya jaata hai usi bhaati purane dharam ko ukhadke unka ant krke naye dharm ki sthapna karo yeh bishmah ji ne pandavs se kaha tha
अगर कर्न पांडवों की तरफ चले जाते तो आज के जमाने में सच्ची मित्रता जैसी कोई चीज नहीं होती लोग एक दूसरे पर कभी विश्वास नहीं करते और वह अपनी मदद करने वालों की तरफ ही मुंह मोड़ लेते और यह कहते जब महाभारत में ऐसा हो सकता तो हम क्या चीज हैं!! भगवान कृष्ण जानते थे कि कर्न उनकी बात उनकी बात कभी नहीं मानेगा फिर भी वह उनको मनाने गए हमें यह बताने के लिए सच्ची मित्रता की परिभाषा क्या होती है!! नहीं तो आज के जमाने में विश्वास की कोई परिभाषा नहीं होती
7:41 शकुनि की हर कपट का जवाब श्रीकृष्ण के पास था तों इस बात की इतनी चिंता नहीं होती, वो भी क्या दृश्य होता एक तरफ कर्ण और अर्जुन दूसरी तरफ ड्रोन और भीष्म पितामह वाह मजा आ जाता 😍
If Karan joins hands with his brothers then there will be no war. If at all war starts no one can kill Karan because his kavach and kundal will stay with him, also he's unstoppable. But the most possible this is war won't happen and all 106 brothers may stay together because Duryodhan will just give his life for friend just as Karan did.
मै मानता हू की पांडव आधर्मी थे इसिलिये तो महारथी करणे दुर्योधन का सात दिया था इसलीये पांडव के साथ युद्ध करने का सवाल ही उत्पन्नही होता क्युकी अगर कर्ण ज्येष्ठ पांडव हे आसा पता चलते ही दुर्योधन और धर्मराज दोनो मिलकर हस्तिनापुर का सम्राट कर्ण को ही कर देते. पांडव की विजय तो अधर्म की विजय है इसीलिये कलीयुग की सुरुवात हो गये है
महाभारत का सबसे महान योद्धा सूर्यपुत्र कर्ण था ना भूतो ना भविष्यति न कभी हुआ है और ना ही कभी होगा सूर्यपुत्र कर्ण महाभारत का सबसे ताकतवर योद्धा थे उसके जैसा कोई नहीं
Haa karn rajya ko duryodhan ko de deta lekin duryodhan usee kabhi swekaar nahi karta kyon ki wo swabhimani tha wo karn ko hi hastinapur ka raja banadeta chahe shakuni Kitna bhi chaal chalale duryodhan ke liyae karn apne mata pita se bhi adhik priya tha isse pandav aur kaurav yuddh chodkar ek saat rahte, mahabharat mai duryodhan ko apna ahankaar aur swabhiman ke liyae mana jata hai
युद्ध नहीं होता क्योंकि कर्ण दुर्योधन की दोस्ती इतनी गहरी हो गई थी कि दोनों आधा आधा राज्य आपस में बाट लेते पांडव धर्म प्रायण थे वो बड़े भाई के आज्ञा का अवेह्लना नहीं करते
अगर कर्ण पांडव के पक्ष मे आजाते तो कर्ण के कवच-कुण्डल मामा स्कुनी कि वझसे दान मे लेलिये जाते ना कि भगवान इन्द्र फिर उन कवच कुंडल को मामा सकुनी अपने हित के कार्यो मे काम लेते तो जिसका परिणाम बहूत विनस्करी हो सकता था क्यू कि कर्ण धार्मिक भावनाओं वाले व्यक्ति थे जबकी मामा स्कुनी एक दम विपरित
जब कर्ण जी शहीद होणे के कगार पे थे तब दुर्योधन जी ने सारा संसार तुम्हारा पुरी दुनिया तुम्हारी ऐसा युधिष्ठिर को कहा था इसिलिये दुर्योधन युद्ध नही करते.... पर श्री कृष्ण जी इस पर भी कूच ना कूच कर धर्म स्थापना की लिये युद्ध करावते...
करण और पितामह भीष्म हस्तिनापुर के असली राजा थे और जिंदा भी थे । और सबसे बड़ा दोषी यही दो व्यक्ति हैं जो अपने वचन और धर्म के लिए एक बहुत बड़ा युद्ध का संचालन किया वरना यह युद्ध हुआ ही नहीं होता
वैसे भी आपके ओर मेरे बोलने या सोचने ये क्या होगा ये सब परम परमात्मा की इच्छा से हुआ था ओर ये कल युग के लोगो के लिए ही किया गया सब ताकि हम इनका अध्ययन के धर्म को जान पाए ओर वैसे भी ये सब भोले कि सारी लीला थी ओर कृष्ण के हाथ सारे सूत्र थे आप कोई भी परिस्थिति बना लो युद्ध तो होकर है रहता कु की अधर्म परवान हो गया था
कर्मयोगी अपने कर्म पर चलते है किसी के कहने पे नहीं किसी भी हाल में वो दुर्योधन को नहीं छोड़ ते भगवान स्वयं आकर कहे तो भी नहीं। इसी लिए हम उसपर बात करते है
अतः सत्यं यतो धर्मो मतो हीरार्जवं यतः। ततो भवति गोविन्दो यतः कृष्णस्ततो जयः।। भावार्थ: जहां सत्य, धर्म, लज्जा और सरलता का वास है वहां श्रीकृष्ण निवास करते हैं और जहां श्रीकृष्ण निवास करते हैं, वहां विजय का वास होता है।
इतनी संभावनाओं को देखने एवम सुनने के बाद भी यही लगा की युद्ध की दीक्षा तो जरूर ही होती। और तो और हम जिस काल चक्र की दशा और दिशा की बात कर रहे हैं। वो द्वापर युग था। जिसमें लोगों द्वारा बोली गई बातों, वचनों, प्रतिज्ञा और श्राप का मान स्वयं भगवान को रखना पड़ता था। जैसे की माता गांधारी का श्राप स्वयं केशव को झेलना पड़ा। ठीक उसी तरह कर्ण को भगवान परशुराम का श्राप। देवी अम्बा का भीष्म को मारने की प्रतिज्ञा। चिर हरण के समय द्रुपदी द्वारा की गई प्रतिज्ञा। इन सब बातों के अलावा महा विनाशक अस्त्र और शस्त्र को उसी काल खंड में नष्ट करना भी एक प्राथमिकता थी। क्योंकि युग परिवर्तन और केशव के पलायन का समय जो आ चुका था यही नियति ने निर्धारित किया था। और यही कृष्ण नीति भी थी। राधे राधे !! 🙏
दुर्योधन की भांति करण के मन में अर्जुन के प्रति द्वेष भावना थी इसलिए वे कभी भी पांडवों के पक्ष में न आते। भगवान कृष्ण के द्वारा बताए जाने के बाद भी वे पांडू के पक्ष में नहीं आते। इसलिए दूर दूर तक कोई संभावना नहीं थी कि वह पांडवों के पक्ष में होकर युद्ध करते।
Jo har se Shastra uthao jab main Ganga Putra kahlau Bhagwan Krishna ko bhi Shastra utne pde pratiyag bhi tudaba di Jai kuruvansh ⚔️ Jai Bhishma baba ⚔️ Jai dhryodhan ⚔️ Jai kaurav
यदा यदा हि धर्मस्य ग्रामीण भवति भारत अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मानम् सृजाहम्यहम सत्य की विजय बहुत आवश्यक है,, हम वर्तमान में अधर्मी की घिनौना चेहरा देख ही रहे हैं जय श्री राम 🙏🇮🇳🚩 धर्मों रक्षति रक्षित:
What if Dhrutarastra , Balram , Jarasandh , Sishupal , Kansh , Rukmi , Paundrak Vasudev , Kichak join Mahabharat and fought against Pandavs ? Please make a video on this topic . 🤔🤔🤔🤔
कर्ण भीष्म और गुरु द्रोण का युद्ध जबरदस्त होता क्योंकि वो हमेशा कर्ण को कम आके krte थे।फिर फिर कवच कुंडल और जब विजय धनुष के साथ लड़ता कर्ण तो युद्ध दस दिन में खत्म हो जाता
मत भूलो महाभारत में पांचो पांडव को जीवनदान दिया था सूर्यपुत्र कर्ण अगर करन चाहते तो पांचों पांडवों को मृत्यु का घाट अवश्य उतार सकते थे लेकिन उन्होंने अपनी भाई समझ कर छोड़ दिया था सच्चाई बात तो यह है कि कर्ण अर्जुन को मारना नहीं चाहते थे क्योंकि उसका बड़ा भाई था सिर्फ अपना कौशल दिखाना चाहते थे
अगर कर्ण पांडव पक्ष से युद्ध भी करते तो उनका वीरगती प्राप्त होना संभव ही था चाहे भगवान श्रीकृष्ण भी उनके साथ होते तब भी क्योंकी उनको कई श्राप मिले थे और इस महाभारत में जो हर एक वीर ने लियी गयी प्रतिज्ञा ओर किसी को मिला हुवा श्राप का क्या होता ओह तोह मिथ्या बनता इसीलिये भगवान श्रीकृष्ण ने हर कही गयी बात ओर प्रतिज्ञा एवं किसी के द्वारा दिये गये श्राप को लोग मिथ्या ना कहे ओर धर्म की सिख देणे के लिये सब घटनाक्रम होणे दिया...! ओर एक बात वीर महात्मा बर्बरिक छाहे तो ३ ही बाण मे ही युद्ध समाप्त कर सकते थे परंतु महाभारत धर्म स्थापना करणे के लिये श्रीकृष्ण जी को बर्बरीक का वध करणा पडा..! अखिर महाभारत होणे के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने भी गांधारी का उन्हे दिया गया श्राप स्वीकार किया ओर उसी श्राप को द्वापरयुग से देह त्याग करणे का कारण सुनिश्चित किया..! यथार्थ 😊
@@Karanpatrutia12 first u correct ur self his name is karna not Karan North Indians call him Karan, He is called karna in kannada, karnudu in telugu, karnan in tamil, karn in English his name differs based on language but according to mahabharat his name is vasusena later called as karna
दुर्योधन ये बात अच्ची तरह जाणता था, की गुरू द्रोण और पितामह भीष्म अपनी पुरी ताकद से पांडव से युद्ध नहीं करेंगे, लेकिन वह कर्ण ही था जो सिर्फ अर्जुन को पराजित करना चाहता था, जिस्के लिये उसने जीवन भर संघर्ष भी किया था। तो कही न कही दुर्योधन कर्ण के भरोसे युद्ध कर रहा था,और अंत मे जब कर्ण की मृत्यू हुई तब स्वयं दुर्योधनने कहा था की अब हम ये युद्ध हार चुके है। और अगर कर्ण पांडव पक्ष मे जाते, तो हमे कर्ण के खिलाफ गुरू द्रोण या भीष्म पितामह को देखणे को मिलता । मुझे तो भीष्म और कर्ण का युद्ध काफी भयंकर और सबसे विचित्र और रोमांचकारी लगता है।
I want to tell agar karn pandavo ke side se ladta toh indradev unse unka kavach kundal ni lete .isliye uske baad unka vadh koi ni kar sakta tha bhisma na hi guru drona
ये वीडियो पूरा सही है पर दुणाचार से कारण का वाद नहीं होता और नहीं बिषम से क्यों की कारण के कवच और कुण्डल रेते हुवे कोई योद्धा नहीं यारा पता जय, मिर्त्युजय karn🙏🙏🙏
Real Mahabharata book ke anusar, Karan bachpan se Arjun se ghrina aur pratispardha karta tha. Agar karan pandav dal mein hota to bhi human psychology ke anusar woh Arjun se pratispardha nahi chhorta. Karan ka Pandav paksh mein nahi jane ka kaaran (mostly) bhi yahi tha ki woh apne ko Arjun se shreshtha ghoshit kar sake. Agar woh aisa karta to Yudhishthir us ko apna bada bhai jaan kar apne saare adhikar chhor dete. Aise mein Karan ki Jeewan bhar ki pratiksha vyarth ho jaati
Agar Karan Pandav paksh me aa jaate to Shayad youdh na hota aur wah raja bante jo kaurav aur Pandav dono ko manjur hota lakin agar Shakuni youdh karvata tab bhi karan hi raja bante Aur Pandav youdh jeet jaate 🙏
क्या यहां सब लिख रहें हैं की कर्ण की कीर्ति इतनी न मिलती क्या कुछ भी अर्थात यहां लोगो को धर्म का ज्ञान नहीं है और यदि कर्ण धर्म की ओर से रहेंगे तो ये लोग उन्हें बुरा मानेंगे
Karna did tell Shri Krishna that if his secret was revealed & Yudhishthir surrendered his inheritance to Karna, that he'd in turn turn it over to Duryodhan. Had Karna decided to join the Pandavas, the war would probably not have happened, but Duryodhan would have hated Karna. He was willing to overlook any fault in Karna, but it's safe to assume that being Kunti's son wasn't one of them Also, Indra would probably not have deprived Karna of the kavach/kundal, so he could have absorbed even Ashwatthama's Narayanastra & Brahmashira himself courtesy that armor
Tab Hume Krisha Arjun nhi baliki Krishna Karan Ko dekhne milte. Or Geeta ka Gyan bhi Krishna Karan Ko dete. Taki wo Apne Param Mitra ke virodh me SASTRA udhae... ❤️ Krishna Karan
यह युद्ध तो होना ही था क्योंकि श्रीकृष्ण जी को मनुष्य को धर्म का पाठ सीखाने के लिए कुंभ कठपुतलियों की जरूरत थी जो उन्हें हस्तिनापुर में मिल गई थी यदि श्रीकृष्ण चाहते तो युद्ध न होने देते
युद्ध श्री कृष्ण चाहते थे कलयुग आने से पहले सारी धनुर्विद्याए सारे महान योद्धाये इस महायुद्ध अपने प्राणों की आहुति दे दे। ताकि नए युग में नया निर्माण हो और इसीलिए भगवान श्री कृष्ण का जन्म भी हुआ था होनी को कोई टाल नहीं सकता कोशिश जरूर कर सकता है
युद्ध होता ही नहीं 😂 दुर्योधन को विश्वास सिर्फ कर्ण पर था🙏🔥
Aba kuch malum nahi par bhi bolo ya jo tv show ma dekhya hai vo sach nahi first read mahabharat aswthama akela hi inko mar deta agar vo apni puri sakti sa ladta bhagvan shiv ka ashn tha vo usa koi nahi mar paya ya bat janta ho na Karn kavpas uska kavach aur kundal hata lo toh dhanur Vidya ma aswthama ko bhisma bhi nahi mar pata aur yadh ka badh bhi vo jivit kaise tha ha kahi jawab
🙈🙉🙊
तो गांगपुत्र भीष्म जी व गुरुद्रोण भगदत्त महाराज शल्य अश्वत्थामा कंबोज सुदक्षिण जी व अन्य अनेक राजा को दुर्योधन की क्यों आवश्यकता थी और उनको क्यों युद्ध करने के लिए नियुक्ति की? और क्यों कृष्ण जी से उनकी विश्व की सबसे उत्तम नारायणी सेना की सहायता ली? कर्ण अकेला युद्ध करने क्यों नही गया ? अर्जुन की भांति जैसे अर्जुन ने विराट के लिए किया और सबको अजेले ही परास्त किया? सभी पाण्डवो व उनकी सेना को परास्त कर उनका सबका वध कर युद्ध विजय कर दुर्योधन को सब कुछ देने । 😆
कुछ विवेक बुद्धि लगाकर भी विचार कर अपना विचार साझा किया करो । कब तक ऐसे ही ही मानसिक्ता भृम में भृमित होकर जीवन व्यतीत करते रहोगे?
मतलब कुछ भी। 🤣😝😅😜
भाई कर्ण के अलावा दुर्योधन के पास पितामह भीष्म ओर गुरू दोर्णाचार्य जैसे महा रथी भी थे ।
Yes
Right 😂😂
कर्ण महान योद्धा था अपने प्राण देकर कर्तव्य का पालन किया उनके मन में लालच नही था
कर्ण एक महान व्यक्ति था दानवीर था ! परंतु वो महारथी नही था वो अधिरथी था!
Lalchi tha
@@ndp0414 knha dekhe ho mhambharat
@@Rajkumar-fk6bp चावल आटे का दान देकर कोई महान नहीं बनता😂😂😂😂🤣🤣🤣
डरपोंक ओर कायर था करण
अगर कर्ण, पांडवों के पक्ष में आ जाते तो उनको वो सम्मान और कीर्ति नहीं मिल पाती, जो आज है।
उदाहरण के तौर पर रावण के भाई विभीषण को ही ले लीजिए.. इतिहास उन्हें आज भी " घर का भेदी" की संज्ञा देता है
Bilkul right
क्या
अभी तो सब धर्म का साथ देने वाले को लोग बुरा ही कहते है
Ye shi baat he
Agr arjun ki side hota to apno ke sath hota dusro ke sath nhi . Vibhishn ne dusro ka sath diya r karn bhi . Frk itna hai vibhishn ne dharm ka r vibhishn ne adharm
@@asmitkumar12 to bandhu dharma ka kya ?
युद्ध होता ही नहीं और युद्ध नहीं होता तो कलयुग का आगमन होता ही नहीं परिवर्तन की चाह रखने वाले कर्ण के कारण ही संभव हो पाया कर्ण के कारण ही हम सब सामान अधिकार पर रहे हैँ /
जो समझ पाया करण का दुख वे सिर्फ करण करण ही बोलेंगे 😔😔😔😔
😂😂
❤️
Bhai apke hisb se kya sirf karan ke paas hi dukh tha mere hisab main to bhisham ka dukh jayada tha aapko kya lagta hai ???
Agar bhishma na. Hote to ye youdh bhi na hota
@@ndp0414 q hasa ?🙂
@@ilaiahali4902 q ki ye nanga Arjun ka bhakt he😂🤣
इस विषय पर विचार तो कर्ण ने भी किया होगा। परन्तु कोई संतोषजनक जवाब उनको भी नहीं मिला होगा।यही परिस्थिति पितामह भीष्म और आचार्य द्रोण के साथ भी थी। ये सब चाहकर भी दुर्योधन को नहीं त्याग पाए। तभी तो उन्होंने दुर्योधन के पक्ष में लड़ते हुए अपने प्राण त्याग देना उचित जाना।🤗
पहला - कर्ण एक महान योद्धा थे और करम से एक क्षत्रिय भी थे.
दूसरा - जब कर्ण और अर्जुन का पहली बार रंग भूमि में आमना सामन होने जा रहा था उस समय कुलगुरु कृपाचार्य ने यह कहकर कर्ण को रोक दिया था की यह एक गुरुकुल के राजकुमारों की रंग भूमि है. और यह सुनकर दुर्योधन ने कर्ण को आंग देश का राजा घोषित कर दिया. फिर यह देख कर्ण ने दुर्योधन को अपना जीवन समर्पण कर दिया.
तीसरा - और इसी कारण वर्ष कर्ण चाहकर भी दुर्योधन को कभी नहीं छोड़ सकता. और इसी कारण वर्ष युद्ध होना निश्चित था.
कर्ण पासा बदलते तो कर्ण की कीर्ति मिट जाती
लोग जब विभीषण को सम्मान नही देते है तो कर्ण को कैसे सम्मान दे देते
U r right bro
Jab puree samnaj nee usee sut putra bolkee uskaa mazzak udaayaa tab Jisnee uski buree samay mee madat kari usee Karan kysee chodtaa....bhot difficult hotaa hee...jab krishna koo sab pataa thaa too usee voo pehee lee hi voo bataa detee...too shaayad kuch baat banti
Bilkul sahi
Right bro mahendra
Agreed
Imagine karna fight for his brother's:
Karna vs bhism
Arjun vs drona
Abhimanyu vs aswattthama🚩
Karna Kabhi maharathi bheeshma ko nahi jeet pata.. Yeah Sirf Arjun k lie hi possible he..
Or dronacharya ki Mrityu drishtdhumya k hatho nishchit thi... Or abhimanyu Phir bhi mara jata kuki chakrvyuh bhedne ka gyan Arjun ko tha or wahi jaydrath ka vadh karne ka samarthya rakhta tha... Karn ko jaydrath apne vardan k wajah se... Karn ko bhi hara deta..
Or karn k pass Itna samarthya bhi nahi tha.. Ki sampoorna trigarth sena ka vadh kar sake.. 🙂🙂🙂🙂🙂
@@devensharma8696 shi mai murkh murkh hi rehte hai abe bewakoof karn ko arjun ne chhal se mara tab arjun ke sarthi aur koi nahi shri krishn the to bheesm ko kya hi hara pata arjun arjun ko harane wale kai yoddha hai lekin tumne unke baare mai kabhi jaana hi nahi chalo mai tumko bata deta hu kuch yoddha jo arjun mitti me mila dete sabse pehle to obviously karn hi aayege fir bheesm fir dron fir eklavya fir aswathama fir bhagdatt ye 6 to badi hi asani se arjun ko hara dete baaki tumhari murkhta
@@ShubhanjalSNGupta log ekta kapoor ki Mahabharata dakhkar Moorkhta poorn bat hi karenge..
Arjun vajradhari Indra ka putra OT Swayam nar narayan me nar hr
Arjun ko Vijay islie hi kaha jata he ki wo Kabhi kisi yudh. Me nhi hara..
Bhulo Matt Arjun Arjun he.. Virat yudh me koi Arjun ka kux na bigad Saka Sabhi yodha Milkar....
Or karn ki baat karte ho... Gandharb yudh me apne Mitra ko akela chor kar bhag nikla..
Karn sabse swarthi vyakti raha he.. Mahabharat ka Dhitrashtra k baad..
Or balki arjun Purush shreshta raha he dwaparyug me.. Jisne akele kalkay jese rakshaho ko Mara Bhagwan shiv ka Saamne yudh me tik saka.
Ase veer maharathi yodha ko karna athva bhagdatt OT eklavya Kya hi bigad lete.. 🙂🙂🙂
@@devensharma8696 yaar paheli baat toh karna and bhishma dono hi powerful hai and bhishma kabhi bhi karna ko nahi hara pate becouse karna ke pass uska kavach or kuntal tha and karna and bhishma dono ka teacher bhi ek hi hai bhishma ke pass bhi wardan hai unki maa ka toh dono main se Kon jeetega ye batana impossible hai
@@devensharma8696 Kavach kundal ke sath karna ko harane ka saamarthya kisi ke paas nhi krishna ji ne ek shlok bori ce mein kaha hai
अगर युद्ध नही होता तो सब भाई आपस में मिल कर रहते और दुनिया का कोई भी ताकत इनको नही हरा सकता । क्युकी घर फूटे ग्वार लूटे । जय श्री कृष्ण । 🚩🚩
अगर कर्ण पांडवो के पक्ष में होते तो युद्ध ही नहीं होता great of karna 🙏❣️♥️
Yudh hota phirbhi bhiahma aur dron ka vadh chal se karna padta
Aise kaise bol sakte ho ki yudh nahi hota aggar bishma pitamah ji cchate toh ek hi din mai sabko prajit kar yudh jeet lete but bishma ji bhi chhte the ki dharm ki sthapna ho woh toh yudh mai apna kartavya aur sahi waqt ka intezaar kar rahe the moksh aur mrityu prapti ke ke liye jis tarah kheti mai purane faslo ko ukhad kar naye faslo ko boya jaata hai usi bhaati purane dharam ko ukhadke unka ant krke naye dharm ki sthapna karo yeh bishmah ji ne pandavs se kaha tha
Battle Ruk jaty but karn Ka Jo motive tha wo Pura hi Nahi hota Orr ajj bhi sudron k sath Sahi nhi hota
Sabse bada motive tha vhi Pura nhi hota
Nice
अगर कर्न पांडवों की तरफ चले जाते तो आज के जमाने में सच्ची मित्रता जैसी कोई चीज नहीं होती लोग एक दूसरे पर कभी विश्वास नहीं करते और वह अपनी मदद करने वालों की तरफ ही मुंह मोड़ लेते और यह कहते जब महाभारत में ऐसा हो सकता तो हम क्या चीज हैं!!
भगवान कृष्ण जानते थे कि कर्न उनकी बात उनकी बात कभी नहीं मानेगा फिर भी वह उनको मनाने गए हमें यह बताने के लिए सच्ची मित्रता की परिभाषा क्या होती है!! नहीं तो आज के जमाने में विश्वास की कोई परिभाषा नहीं होती
करण मेरा सबसे प्रिय योद्धा
7:41 शकुनि की हर कपट का जवाब श्रीकृष्ण के पास था तों इस बात की इतनी चिंता नहीं होती, वो भी क्या दृश्य होता एक तरफ कर्ण और अर्जुन दूसरी तरफ ड्रोन और भीष्म पितामह वाह मजा आ जाता 😍
If Karan joins hands with his brothers then there will be no war. If at all war starts no one can kill Karan because his kavach and kundal will stay with him, also he's unstoppable. But the most possible this is war won't happen and all 106 brothers may stay together because Duryodhan will just give his life for friend just as Karan did.
मै मानता हू की पांडव आधर्मी थे इसिलिये तो महारथी करणे दुर्योधन का सात दिया था इसलीये पांडव के साथ युद्ध करने का सवाल ही उत्पन्नही होता क्युकी अगर कर्ण ज्येष्ठ पांडव हे आसा पता चलते ही दुर्योधन और धर्मराज दोनो मिलकर हस्तिनापुर का सम्राट कर्ण को ही कर देते. पांडव की विजय तो अधर्म की विजय है इसीलिये कलीयुग की सुरुवात हो गये है
महाभारत का सबसे महान योद्धा सूर्यपुत्र कर्ण था ना भूतो ना भविष्यति न कभी हुआ है और ना ही कभी होगा सूर्यपुत्र कर्ण महाभारत का सबसे ताकतवर योद्धा थे उसके जैसा कोई नहीं
अगर कर्ण,पांडव के पक्ष में आ जाते तो,,,विभीषण के जैसे,कर्ण की कीर्ति भी मिट जाती
भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य से युद्ध होता तो अस्वथामा भी वीर था
कृपाचार्य
युद्ध होना है तो होकर ही रहेगा लेकिन कारण भले ही भिन हो
कभी तारण तो कभी sanka का निवारण 🙏🙏🙏🙏
Serial op on sony dekho khulke aur sacchai se dur raho
ye to suryaputra karn me dropdi swamwar ke baad ka dialog hai
कर्ण अगर पांडव की और से होते तो उनके कवच कुंडल उनके पास होते भीष्म पितामा तो क्या उनको सोयम भगवान श्रीकृष्ण भी नही मार सकते थे
Krishna is best
Bhagwan Shri Krishna chahte to yuddh ko ek Hi din mein khatam kar date aur koi Nahin bachta
करण की तरह हजारों योद्धा क्यों ना होते श्री कृष्ण का सामना नहीं कर सकते थे
@@criccomedy0.019 krishna ko karna harane ka taqat rakhta tha saale Gaddar
Naw janam lena padta karn ko marne k liye
Swetjaa
Yaad hi ya bhul gye
Nar Narayan ....katha
Radhe Radhe❤❤🙏
Bhai ab mai thik ho rha hu aur ab apki video's sbse pehle dekhne ke liye tyaar hu...🤗🤗🤗🙏❤️❣️
:) आप जल्दी ठीक हो जाएंगे । हमारी शुभकामनाएं ।
@@WatchGod Balwan kaise bne video bnaoo
App thek ho
ऐसा संभव नहीं था, लेकिन ऐसा होता भी तो कर्ण समस्त राज-पाट दुर्योधन को दे देते । ये खुद कर्ण ने भगवान कृष्ण से कहा है ।
Haa karn rajya ko duryodhan ko de deta lekin duryodhan usee kabhi swekaar nahi karta kyon ki wo swabhimani tha wo karn ko hi hastinapur ka raja banadeta chahe shakuni Kitna bhi chaal chalale duryodhan ke liyae karn apne mata pita se bhi adhik priya tha isse pandav aur kaurav yuddh chodkar ek saat rahte, mahabharat mai duryodhan ko apna ahankaar aur swabhiman ke liyae mana jata hai
युद्ध नहीं होता क्योंकि कर्ण दुर्योधन की दोस्ती इतनी गहरी हो गई थी कि दोनों आधा आधा राज्य आपस में बाट लेते पांडव धर्म प्रायण थे वो बड़े भाई के आज्ञा का अवेह्लना नहीं करते
Ye sahi kaha
Par sakuni mama ko yah bilkul ras nahi aata aur kuchh na kuchh kapat wala kam jarur karta
उचित विचार है
Chahe jo hote agar krishna na hote to bhishma hi khatam krte
Duryodhan ki aur se dosti ka adhar sirf karn ki shakti thi koi dosti nahi thi
अगर कर्ण पांडव के पक्ष मे आजाते तो कर्ण के कवच-कुण्डल मामा स्कुनी कि वझसे दान मे लेलिये जाते ना कि भगवान इन्द्र
फिर उन कवच कुंडल को मामा सकुनी अपने हित के कार्यो मे काम लेते तो जिसका परिणाम बहूत विनस्करी हो सकता था
क्यू कि कर्ण धार्मिक भावनाओं वाले व्यक्ति थे जबकी मामा स्कुनी एक दम विपरित
सर कीर्ति आज भी कर्ण की ही ज्यादा है।। ❤️❤️❤️ वो महान थे है और रहेंगे।।
जब कर्ण जी शहीद होणे के कगार पे थे तब दुर्योधन जी ने सारा संसार तुम्हारा पुरी दुनिया तुम्हारी ऐसा युधिष्ठिर को कहा था इसिलिये दुर्योधन युद्ध नही करते.... पर श्री कृष्ण जी इस पर भी कूच ना कूच कर धर्म स्थापना की लिये युद्ध करावते...
करण और पितामह भीष्म हस्तिनापुर के असली राजा थे और जिंदा भी थे ।
और सबसे बड़ा दोषी यही दो व्यक्ति हैं जो अपने वचन और धर्म के लिए एक बहुत बड़ा युद्ध का संचालन किया वरना यह युद्ध हुआ ही नहीं होता
कर्ण कुरु वंशी नहीं थे वो विवाह के पहले की सन्तान थे तो भिष्म उनको कभी कुरुवंशियों नहीं मानते ओर सरा राज पड़ युधिस्ठिर को से देते
Yudh ka jimmedar Duryodhan hi hai, uske alava koi aur karna nahi chahta tha
बिल्कुल सही । यहां तक कि शकुनि भी युद्ध नहीं चाहता था । हालांकि उसका कारण अलग था, वो कपट युद्ध से ही सब हासिल करना चाहता था ।
समय के खेल से इश्वर भी नहीं बच पाए
वैसे भी आपके ओर मेरे बोलने या सोचने ये क्या होगा ये सब परम परमात्मा की इच्छा से हुआ था ओर ये कल युग के लोगो के लिए ही किया गया सब ताकि हम इनका अध्ययन के धर्म को जान पाए ओर वैसे भी ये सब भोले कि सारी लीला थी ओर कृष्ण के हाथ सारे सूत्र थे आप कोई भी परिस्थिति बना लो युद्ध तो होकर है रहता कु की अधर्म परवान हो गया था
कर्मयोगी अपने कर्म पर चलते है किसी के कहने पे नहीं किसी भी हाल में वो दुर्योधन को नहीं छोड़ ते भगवान स्वयं आकर कहे तो भी नहीं। इसी लिए हम उसपर बात करते है
Sakuni is main reason of this situation 👍👍👍👍👍
अतः सत्यं यतो धर्मो मतो हीरार्जवं यतः।
ततो भवति गोविन्दो यतः कृष्णस्ततो जयः।।
भावार्थ:
जहां सत्य, धर्म, लज्जा और सरलता का वास है
वहां श्रीकृष्ण निवास करते हैं और जहां श्रीकृष्ण निवास करते हैं,
वहां विजय का वास होता है।
अगर ऐसा होता तो घटोत्कच बच जाते
हाँ शायद
@@WatchGod ❤️❤️❤️
Aur abhimanyu
🤣🤣
@@shlokmeshram1775 Patanhi
होता वही जो भगवान श्रीकृष्ण चाहते। युद्ध के परिणाम पर कोई खास असर नहीं पड़ता । हो सकता है कर्ण के प्राण बच जाते
😍❤️भगवान श्रीकृष्ण के बात अगर बात आती हे तो अगराज कर्ण❤️😍
कर्ण महाभारत में अर्जुन से बचपन से ही युद्ध करना चाहता था जैसे आगे जाकर और ही बड़ा युद्ध हो गया
Ji nahi aysi koi baat nahi Dronacharya nee Karna koo dhanurvidy sikhaa nee see manaa kiyaa aur bolaa ki mee Arjun koo sabsee Shreshtha dhanurdhar banaa un gaa...too karnaa nee kahaa ki mee sreshta dhanurdhar bankee dikhaa ungaa....its called competition...lol....Karna nee doo baar Arjun koo jivdaan diyaa aur krisha nee Arjun koo karna kee nagastra see bachaa yaa
Superwarrior karna
बचपन m drona ki wajah se karn or arjun dushmn bne
अगर ऐसा होता तो अनेक योद्धाओं की तरह आज कोई कर्ण को भी न जानता क्योंकि दुनिया कर्ण को उनके दान और शौर्य के लिए जानती है वो खत्म हो जाती
इतनी संभावनाओं को देखने एवम सुनने के बाद भी यही लगा की युद्ध की दीक्षा तो जरूर ही होती। और तो और हम जिस काल चक्र की दशा और दिशा की बात कर रहे हैं। वो द्वापर युग था। जिसमें लोगों द्वारा बोली गई बातों, वचनों, प्रतिज्ञा और श्राप का मान स्वयं भगवान को रखना पड़ता था। जैसे की माता गांधारी का श्राप स्वयं केशव को झेलना पड़ा। ठीक उसी तरह कर्ण को भगवान परशुराम का श्राप। देवी अम्बा का भीष्म को मारने की प्रतिज्ञा। चिर हरण के समय द्रुपदी द्वारा की गई प्रतिज्ञा। इन सब बातों के अलावा महा विनाशक अस्त्र और शस्त्र को उसी काल खंड में नष्ट करना भी एक प्राथमिकता थी। क्योंकि युग परिवर्तन और केशव के पलायन का समय जो आ चुका था यही नियति ने निर्धारित किया था। और यही कृष्ण नीति भी थी।
राधे राधे !! 🙏
1 comment 💖
Wow 💖
Very very nice ❤️❤️👌❤️👍❤️👍
Yes you are :)
@@WatchGod Thanku 💖
दुर्योधन की भांति करण के मन में अर्जुन के प्रति द्वेष भावना थी इसलिए वे कभी भी पांडवों के पक्ष में न आते। भगवान कृष्ण के द्वारा बताए जाने के बाद भी वे पांडू के पक्ष में नहीं आते। इसलिए दूर दूर तक कोई संभावना नहीं थी कि वह पांडवों के पक्ष में होकर युद्ध करते।
I love very much Karn.He us the most faithfull friend of Duryadhan,so always he take part of war in kaurav paks,in spit of ,he is son of Kunti👍🙏❤️
Aap kaurav paksh ke sath hai kya
@@unknown69149 nahi karna ke sath
Jai sri Krishna
Han bhai Mahabharat ki alternate stories per bhi aap video banaa sakte hain |
Bahut maja ayega 🙏🙏🙏
That's our history
Jo har se Shastra uthao jab main Ganga Putra kahlau
Bhagwan Krishna ko bhi Shastra utne pde pratiyag bhi tudaba di
Jai kuruvansh ⚔️ Jai Bhishma baba ⚔️ Jai dhryodhan ⚔️ Jai kaurav
Karn agar pandavo k pakcha me hote, to Karn or Arjun dono Bhai yudhh kewal 2 se 3 din me hi khatam krne me sakhccham the💖
यदा यदा हि धर्मस्य ग्रामीण भवति भारत
अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मानम् सृजाहम्यहम
सत्य की विजय बहुत आवश्यक है,,
हम वर्तमान में अधर्मी की घिनौना चेहरा देख ही रहे हैं
जय श्री राम 🙏🇮🇳🚩
धर्मों रक्षति रक्षित:
First view first like first comment
Thank You :)
What if Dhrutarastra , Balram , Jarasandh , Sishupal , Kansh , Rukmi , Paundrak Vasudev , Kichak join Mahabharat and fought against Pandavs ? Please make a video on this topic . 🤔🤔🤔🤔
BARBIK ek baar be sako maar deta
@@corejavaforeveryone8858 nahii yaha kuchh sahi nahi lag rha...aisa nahi hota...
Vasudev , are you serious
Vasudev k virudh wale jit hi kse skte h akela hi kafi tha ye bakiyo ki lod hi nhi thi
GAME OVER🔥
Then Duryodhan would have never fought this war against Karna...
Suryaputra karna dekha ke aaya hai.
@@achintayajha3794 bhot sahi bola 😂😂
कर्ण भीष्म और गुरु द्रोण का युद्ध जबरदस्त होता क्योंकि वो हमेशा कर्ण को कम आके krte थे।फिर फिर कवच कुंडल और जब विजय धनुष के साथ लड़ता कर्ण तो युद्ध दस दिन में खत्म हो जाता
Jai ho sanatan dharm ki
जय हो
Jai ho 🛕🛕🛕
जो सम्मान वचन पर अडिग रहकर मरने में है वो कायर की भांति जीवित रहने में कहाँ
कर्ण के राजा बनने पर दुर्योधन अपनी सहमति दे देते क्योंकि दोनों की मित्रता अटूट थी |
DARSHAK GAN TO bohot samajdar hai💫
मत भूलो महाभारत में पांचो पांडव को जीवनदान दिया था सूर्यपुत्र कर्ण अगर करन चाहते तो पांचों पांडवों को मृत्यु का घाट अवश्य उतार सकते थे लेकिन उन्होंने अपनी भाई समझ कर छोड़ दिया था सच्चाई बात तो यह है कि कर्ण अर्जुन को मारना नहीं चाहते थे क्योंकि उसका बड़ा भाई था सिर्फ अपना कौशल दिखाना चाहते थे
Bak pata bhi hai tumhe
4 pandvo diya
Jay shree Krishna 🙏
Karna agar pandav side ate to duryodhana ka friendship ka apman hota 🙏
अगर कर्ण पांडव पक्ष से युद्ध भी करते तो उनका वीरगती प्राप्त होना संभव ही था चाहे भगवान श्रीकृष्ण भी उनके साथ होते तब भी क्योंकी उनको कई श्राप मिले थे और इस महाभारत में जो हर एक वीर ने लियी गयी प्रतिज्ञा ओर किसी को मिला हुवा श्राप का क्या होता ओह तोह मिथ्या बनता इसीलिये भगवान श्रीकृष्ण ने हर कही गयी बात ओर प्रतिज्ञा एवं किसी के द्वारा दिये गये श्राप को लोग मिथ्या ना कहे ओर धर्म की सिख देणे के लिये सब घटनाक्रम होणे दिया...! ओर एक बात वीर महात्मा बर्बरिक छाहे तो ३ ही बाण मे ही युद्ध समाप्त कर सकते थे परंतु महाभारत धर्म स्थापना करणे के लिये श्रीकृष्ण जी को बर्बरीक का वध करणा पडा..! अखिर महाभारत होणे के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने भी गांधारी का उन्हे दिया गया श्राप स्वीकार किया ओर उसी श्राप को द्वापरयुग से देह त्याग करणे का कारण सुनिश्चित किया..! यथार्थ 😊
द्रौणाचार्य भिष्म कर्ण को नहीं मार पाते
द्रोणाचार्य और महामहिम भीष्म कर्ण से कहीं अधिक सकती साली और बलवान थे भाई
Dron bhisma karn ko hra nhi pate
KIASE kwach -kudal
Bhi bhisma aur drona ek sath hi the
Ha
In Multiverse it's really possible we want to see more what if
JaI RADHE PUTRA KARNA❤️
Spaling to thik likh lata *karan* Hota hai
@@Karanpatrutia12 first u correct ur self his name is karna not Karan North Indians call him Karan,
He is called karna in kannada, karnudu in telugu, karnan in tamil, karn in English his name differs based on language but according to mahabharat his name is vasusena later called as karna
My favriot angraj karn
Dost wohi hota hai jo apne dost ke liye apni Jaan de isi bharose ko kaaym rakha karna ne... Sacchi dosti k liye karn ko koti koti pranam🙏🙏
चाहे आपका दोस्त गरीब की हत्या करदे????? अजीब छछुंदर हो
दुर्योधन ये बात अच्ची तरह जाणता था,
की गुरू द्रोण और पितामह भीष्म अपनी पुरी ताकद से पांडव से युद्ध नहीं करेंगे,
लेकिन वह कर्ण ही था जो सिर्फ अर्जुन को पराजित करना चाहता था, जिस्के लिये उसने जीवन भर संघर्ष भी किया था।
तो कही न कही दुर्योधन कर्ण के भरोसे युद्ध कर रहा था,और अंत मे जब कर्ण की मृत्यू हुई तब स्वयं दुर्योधनने कहा था की अब हम ये युद्ध हार चुके है।
और अगर कर्ण पांडव पक्ष मे जाते,
तो हमे कर्ण के खिलाफ गुरू द्रोण या भीष्म पितामह को देखणे को मिलता ।
मुझे तो भीष्म और कर्ण का युद्ध काफी भयंकर और सबसे विचित्र और रोमांचकारी लगता है।
I want to tell agar karn pandavo ke side se ladta toh indradev unse unka kavach kundal ni lete .isliye uske baad unka vadh koi ni kar sakta tha bhisma na hi guru drona
ये वीडियो पूरा सही है पर दुणाचार से कारण का वाद नहीं होता और नहीं बिषम से क्यों की कारण के कवच और कुण्डल रेते हुवे कोई योद्धा नहीं यारा पता जय, मिर्त्युजय karn🙏🙏🙏
Krishna would have still been Arjuna's charioteer as he gave his word to Arjuna.
धर्म की स्थापना हेतु युद्ध अनिवार्य था !
Real Mahabharata book ke anusar, Karan bachpan se Arjun se ghrina aur pratispardha karta tha. Agar karan pandav dal mein hota to bhi human psychology ke anusar woh Arjun se pratispardha nahi chhorta.
Karan ka Pandav paksh mein nahi jane ka kaaran (mostly) bhi yahi tha ki woh apne ko Arjun se shreshtha ghoshit kar sake. Agar woh aisa karta to Yudhishthir us ko apna bada bhai jaan kar apne saare adhikar chhor dete. Aise mein Karan ki Jeewan bhar ki pratiksha vyarth ho jaati
🙏🙏🚩🚩🚩
7:08 Thanks For Covering My Comment ❤️🙏🏻.
युद्ध तो होता लेकिन युद्ध चार दिन में ही खत्म हो जाती
Agar Karan Pandav paksh me aa jaate to Shayad youdh na hota aur wah raja bante jo kaurav aur Pandav dono ko manjur hota lakin agar Shakuni youdh karvata tab bhi karan hi raja bante Aur Pandav youdh jeet jaate 🙏
कर्ण सदैव परिवर्तन चाहता
सब लोग शास्त्र चला सकते है
Karna mera favourite hai....unke saath bahot galat hua..😭😭😭
युद्ध 3 - 4 दिवसमेही समाप्त होता.
अभिमन्यू, घटकोतकोच जीवित राहते.
esa Kujh nahi hota👍👍❤️❤️❤️I Love veeryodha ❤️❤️Karan is great❤️❤️❤️
कारण यदि पांडवों की तरफ आ जाते तो फिर यह महाभारत ही नहीं रहती
If they both come together thn they will be superpowerful as both of their dhanush was powerful, vijaya and gandiv
Vijaya is undifitable
Vijaya was hundred times powerful than Gandiv
Tiwari ji ji ne shi btaya hai mere vichar se
Kya hota agar mahabharat yudhh me balram ji kaurav paksha ya pandav paksh se yudhh ladte?🙄
Ispe ek aisi hi video bnaiye
क्या
यहां सब लिख रहें हैं की कर्ण की कीर्ति इतनी न मिलती
क्या कुछ भी
अर्थात यहां लोगो को धर्म का ज्ञान नहीं है
और
यदि कर्ण धर्म की ओर से रहेंगे तो ये लोग उन्हें बुरा मानेंगे
Karna ♥️
Jay shree Krishna
गंगापुत्र भीष्म हो या आचार्य द्रोण हो चाहे इं दोनों का बाप भी अजा तो सूर्य पुत्र कर्ण को हराना असंभव था कर्ण महाभारत का सबसे महान योद्धा था
Kuch bhi🤣
Karna did tell Shri Krishna that if his secret was revealed & Yudhishthir surrendered his inheritance to Karna, that he'd in turn turn it over to Duryodhan. Had Karna decided to join the Pandavas, the war would probably not have happened, but Duryodhan would have hated Karna. He was willing to overlook any fault in Karna, but it's safe to assume that being Kunti's son wasn't one of them
Also, Indra would probably not have deprived Karna of the kavach/kundal, so he could have absorbed even Ashwatthama's Narayanastra & Brahmashira himself courtesy that armor
Q) What if the great war of kurukshetra never fought between Pandavas and Kauravas ?...
Then Our Dharma would be something else
TUm hum sabka office Pandav aur karav ka mhal hi hota
महाभारत होना तैय था क्योकि पहेले से युध लिखा गया था उदहारन दुउत सभा में पाडव दवरा लिया गया वचनो और पंचालि के सराफ पुरा होने के लिये ।
Toh Watch God jesa channel hota hi nhi🤔😂
🙏Aisa kuch nhi hai😤 Jo bhagwaan ne ek baar✍️likh diyaa vo hi sach hai, 😍
Thanks for all this information sir
Welcome Karan Thakur ji.
@@WatchGod mera khiyal sa bheem apni pratigya puri karka hi dam lata uski dropadi ka etna apman bheem sa sahan nahi hota esliya yudh nishchint hi hota
योद्धाओं की सोच से महाभारत युद्ध सम्पत्ति के लिए था मगर असल वजह थी इन योद्धाओं के श्रापओ के भार से धरती को मुक्त कराना धर्म स्थापना करना युद्ध तो होता
Very good animation and information
पूरा वीडियो देखने के बाद ये तो निश्चित होगया की युद्ध जरूर होता और यह शांतनु की लालसा से शुरू हुआ था तो हमे वहां पर जाकर रोकना पड़ेगा 🤔🤔🤔🤔
Tab Hume Krisha Arjun nhi baliki Krishna Karan Ko dekhne milte. Or
Geeta ka Gyan bhi Krishna Karan Ko dete. Taki wo Apne Param Mitra ke virodh me SASTRA udhae...
❤️ Krishna Karan
यह युद्ध तो होना ही था क्योंकि श्रीकृष्ण जी को मनुष्य को धर्म का पाठ सीखाने के लिए कुंभ कठपुतलियों की जरूरत थी जो उन्हें हस्तिनापुर में मिल गई थी यदि श्रीकृष्ण चाहते तो युद्ध न होने देते
Karna is always best 🔥🔥🔥
Arjun always great
Karna was always great from arjun
कर्ण ही तो दुर्योधन का असली सत्र था युद्ध होता ही नही
Kya hota agar karn se kavach kundal nhi liya jata aur karn sadev Vijay dhanush hi use karte aur unpe koi shrap bhi nhi hota???
Ya swas acha es pr bii 1 video bnao plz
Duniya main paap punya ki jitni bhi batein hai sab jagah karn hai.
युद्ध श्री कृष्ण चाहते थे कलयुग आने से पहले सारी धनुर्विद्याए सारे महान योद्धाये इस महायुद्ध अपने प्राणों की आहुति दे दे।
ताकि नए युग में नया निर्माण हो और इसीलिए भगवान श्री कृष्ण का जन्म भी हुआ था होनी को कोई टाल नहीं सकता कोशिश जरूर कर सकता है
Krishna ji hamare desh ko unuch banadiye.koi precepetator nehin rahen yudh kala bachanekeliyeHamara desh bideshiyonse paradhin hua.