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only some lost in some myths think he is destroying myths. No doubt he is doing a great job. Again some very strange people think Sanatan was drowning or being strangulated. No such thing.
@@Memarathi56 Charvak philosophy Jo bhi hai, islam Jaise ghatiya Mazhab ke saath iske dur dur tak relation nahi hai. Kyuki islam Atheism ko nahi mante and islam ke anusar to kafir logo ko kill karna hai & kafir women ko Sex Slaves banana hai.
मुझे आपकी टिप्पणी पसंद आई। धर्म के बारे में आपकी समझ बहुत बढ़िया है। कृपया उपनिषद12 से धर्म शब्द का अर्थ और धर्म क्या है, यह पूछें। उसे न छोड़ें। जिस तरह से उसने आपसे पूछा है, वह पाखंड का संकेत मात्र है.
Ye bilkul Dadaji HS Sinha ke discourses ki tarah hai. Ab wo duniya me nhi rahe lekin ye bhai unki legacy ko continue karenge. Channel ka naam bhi similar hai. The Quest ke jagah hyper quest.
भिक्षा, यज्ञ, बलिदान इन सब का परिणाम मिले या न मिले लेकिन अच्छे या बुरे कर्मो का परिणाम को जरूर मिलता है। जैसे अच्छा या बुरा कर्म करने वाला व्यक्ति रहे या न रहे लेकिन उसके कर्म उस व्यक्ति, परिवार और उसकी पीढ़ी के साथ जरूर जोड़े जाते है । और यही अच्छे या बुरे कर्मो का परिणाम है जो तुरंत देखने को मिले या न मिले लेकिन मिलते ज़रूर है।
.जय श्री राम मैं आपके विचार के लिए कुछ और दे रहा हूं और आपके सहयोग की अपेक्षा करता हूं। धर्म की समझ के मामले में भारत सबसे बेवकूफ देश है। भारत हिंदू धर्म को लेकर विरोधाभासी स्वीकृति के साथ जी रहा है।यह विरोधाभास किसी भी चीज़ की सही या गलत प्रकृति को समझने की अनुमति नहीं देता है। विरोधाभास की स्वीकृति धोखेबाज़ और झूठे लोगों को भी खुद को सही साबित करने की अनुमति देती है। यह बहुत ही निम्न श्रेणी की व्यवस्था है। यह बिलकुल गलत है। 2015 से मैं जाति और धर्म व्यवस्था से जुड़े सभी पुराने विवादों को सुलझाने की स्थिति में हूं। लेकिन सरकार इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा के मेरे प्रोजेक्ट में मेरी मदद नहीं कर रही है।सरकार ने मेरी 1400 प्रार्थनाओं को नजरअंदाज कर दिया है। एक और बात, कभी मत सोचिए कि धर्म का कोई महत्व नहीं है। धर्म ही वह चीज है जो हमें जानवरों से अलग करती है। जानवरों के पास सीमित चीजें होती हैं, जैसे खाना, सेक्स और आश्रय या घर। धर्म के कारण ही इंसान जानवरों से अलग है। धर्म ही वह चीज है जो इंसान को बहुत सी चीजों से आनंद लेने की सुविधा देती है। धर्म सभ्यता की शुरुआत के अलावा और कुछ नहीं है। हमें जाति और धर्म से जुड़े सभी विवादों को सुलझाना होगा। जाति/धर्म के विवादों के कारण इतिहास एक हास्य बन गया है। धर्म सभ्यता का सबसे बुनियादी विषय है। यह सभ्यता की अवधारणा का आधार है। चार्वाक दर्शन मेरे विचारों के विरुद्ध नहीं है। यह केवल उचित समझ का विषय है। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
यह तो स्पष्ट है। यह जीवित प्राणी का मूल स्वभाव है। फिर भी मैं सोचने के लिए कुछ और बातें बता रहा हूँ। धर्म की समझ के मामले में भारत सबसे बेवकूफ देश है। भारत हिंदू धर्म को लेकर विरोधाभासी स्वीकृति के साथ जी रहा है।यह विरोधाभास किसी भी चीज़ की सही या गलत प्रकृति को समझने की अनुमति नहीं देता है। विरोधाभास की स्वीकृति धोखेबाज़ और झूठे लोगों को भी खुद को सही साबित करने की अनुमति देती है। यह बहुत ही निम्न श्रेणी की व्यवस्था है। यह बिलकुल गलत है। 2015 से मैं जाति और धर्म व्यवस्था से जुड़े सभी पुराने विवादों को सुलझाने की स्थिति में हूं। लेकिन सरकार इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा के मेरे प्रोजेक्ट में मेरी मदद नहीं कर रही है।सरकार ने मेरी 1400 प्रार्थनाओं को नजरअंदाज कर दिया है। एक और बात, कभी मत सोचिए कि धर्म का कोई महत्व नहीं है। धर्म ही वह चीज है जो हमें जानवरों से अलग करती है। जानवरों के पास सीमित चीजें होती हैं, जैसे खाना, सेक्स और आश्रय या घर। धर्म के कारण ही इंसान जानवरों से अलग है। धर्म ही वह चीज है जो इंसान को बहुत सी चीजों से आनंद लेने की सुविधा देती है। धर्म सभ्यता की शुरुआत के अलावा और कुछ नहीं है। हमें जाति और धर्म से जुड़े सभी विवादों को सुलझाना होगा। जाति/धर्म के विवादों के कारण इतिहास एक हास्य बन गया है। धर्म सभ्यता का सबसे बुनियादी विषय है। यह सभ्यता की अवधारणा का आधार है। चार्वाक दर्शन मेरे विचारों के विरुद्ध नहीं है। यह केवल उचित समझ का विषय है। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
चार्वाक विचार धारा बिल्कुल सही है और स्वर्ग ,नर्क या परलोक, पातळ लोग यह सब पाखंड है! हमें बस इतना करना चाहिए कि हमारी जीवन शैली से किसी और पर अन्याय ना हो! हम अगर इस बात का हमेशा अपनाए तो सभी पृथ्वी वासी सुख और शांति से अपना जिवन जी सकेंगे!
Badi chutiya philosophy hai ye insaan ke existence ka basis hi suppression pe tika hua hai and permanent sukh ya permanent Shati bahar nahi andar milega
Bhaiya mai to naastik is duniya me dhoond raha hu koi milta hi nhi. Qki mai khud ek naastik hu. Mere aasa paas koi nhi . Mai akela hu mujhe naastik kaha milenge. Suggest me
सनातन अथाह है ! सनातन के सभी मूल सिद्धांत परम् सत्य हैं! आत्मा वह सत्य है कि चाहे कोई माने अथवा नहीं । आत्मा वैज्ञानिक सत्य है ! चार्वाक आदि विचारों को ईसाई मिशनरियों ने धर्मांतरण करने के लिए प्रचारित किया!
@@saakshigaur8381aatma vaigyanil satya hai???? Kon bola kidhar se late ho itna gyan ap bhai sahab...kya refference hai Vigyan ka naam le ke kuch bhi mat boliye.
Charvak darsan sunkar ye samz aaya ki o bhot bde vaigyanik the asj ke logo ko bhi yhi soch rkhni chahiye tsb hmara desh tarkki krega muze to praud ho raha hai charvak darshan par ❤❤
Makkhali Gosāla. He was the most prominent teacher of the Ājīvika order and a contemporary of Buddha and Mahāvīra in the 13th-12th century BCE in the alternative timeline of Indian history. In the Sāmaññaphala Sutta, which is the second book of the Buddhist text Dīgha Nikāya (the long collection), six spiritual teachers contemporary to Buddha are listed: Pūraṇa Kassapa, Makkhali Gosāla, Ajita Keśakambalī, Pakudha kachchāyana, Sañjaya Belatthiputta, and Nīgaṇṭha Nātaputta. As discussed in the previous article, Pūraṇa Kassapa and Makkhali Gosāla belonged to the Ājīvika order. Pakudha Kachchāyana taught a doctrine that cannot be identified with any existing philosophy. Sañjaya Belatthiputta was an agnostic and Nīgaṇṭha Nātaputta is identified with the Jain teacher Mahāvīra by historians. Ajita Keśakambalī was a prominent teacher of materialism. When Ajātaśatru asked Ajita Keśakambalī whether any appreciable benefit was derived from asceticism, he received the following reply: “There is no (merit in) almsgiving sacrifice or offering, no result or ripening of good or evil deeds. There is no passing from this world to the next. No benefit accrues from the service of mother or father. There is no afterlife, and there are no ascetics or brāhmaṇas, who have reached perfection on the right path, and who, having known and experienced this world and the world beyond, publish (their knowledge). Man is formed of the four elements; when he dies, earth returns to the aggregate of earth, water to water, fire to fire, and air to air, while the senses vanish into space. Four men with bier take up the corpse; they gossip (about the dead man) as far as the burning ground, (where) his bones turn the colour of a dove’s wing, and his sacrifices end in ashes. They are fools who preach almsgiving, and those who maintain the existence (of immaterial categories) speak vain and lying nonsense. When the body dies both fool and wise alike are cut off and perish. They do not survive after death.” [1] Ajita Keśakambalī is the earliest teacher of materialism known to us. Even though he was a materialist, he was not running after material luxury. As his name suggests, he wore a blanket (kambala) made of hair (keśa). Buddha opined that this blanket must have been very uncomfortable as it became colder in winter and hotter in summer. Materialism has been known in India by the names of Bārhaspatya, Lokāyata or Chārvāka philosophy. The name Bārhaspatya means a philosophical school founded by Bṛhaspati, the teacher of the Gods. It is pretty strange that materialism was called by this name as the Indian materialists did not believe in gods or any supernatural powers. The basis of this association is the following passage in Maitrāyaṇa Brāhmaṇa Upanishad [2]: “Bṛhaspati having become Śukra, brought forth that false knowledge for the safety of Indra and for the destruction of the Asuras. By it they show that good is evil, and that evil is good. They say that we ought to ponder on the (new) law, which upsets the Veda and the other sacred books. Therefore, let no one ponder on that false knowledge: it is wrong, it is, as it were, barren.” According to this passage, Bṛhaspati deliberately taught a false doctrine to the forces of evil leading to their destruction. It stands to reason then that the name Bārhaspatya was given to the materialistic philosophy by its competitors who held the opinion that the materialistic philosophy was a false doctrine. Over time the name stuck and Indian materialists were known by a name that they would never have approved. The name Lokāyata for materialistic philosophy seems more appropriate. Loka means world and thus, Lokāyata means a philosophy that is focussed on worldly affairs. The most popular name for the materialistic philosophy, though, was Chārvāka, which seems to be based on the name of a person named Chārvāka. We don’t have any information about the life of Chārvāka or when he lived. Mahābhārata talks about a demon named Chārvāka [3], but there is no indication that this Chārvāka had anything to do with the Chārvāka philosophy. Chārvāka demon is described as a friend of Duryodhana. Chārvāka started saying bad words to Yudhiṣṭhira after his victory over Kauravas and perished during his confrontation with the priests. The original text of the Chārvāka philosophy was called Chārvākasūtra. Unfortunately, this text is lost to us. There were many commentaries written on the Chārvākasūtra. Four known commentators of the Chārvākasūtra were Kambalāśvatara, Purandara, Aviddhakarṇa, and Udbhaṭa. Unfortunately, most of the commentaries have been lost and only some fragments are available. The most important source of information for Chārvāka philosophy is the text Sarvadarśanasaṃgraha written by illustrious scholars Mādhava and Sāyaṇa in fourteenth century. First chapter of Sarvadarśanasaṃgraha summarizes the Chārvāka philosophy as understood by Mādhava and Sāyaṇa, who were not the followers of this philosophy themselves. Mādhava, also called Mādhavārya, Mādhavāchārya or Mādhavāmātya, was a minister in the court of Sri Bukka Rāja of Vijayanagara Empire. Mādhava composed many texts, some of them with the assistance of his brother Sāyaṇa, such as the commentaries on the Ṛgveda, Aitareya Brāhmaṇa and Taittirīya Samhitā. Mādhava calls himself Abhinava Kālidāsa or the new Kālidāsa in his work Śankara Vijaya on the glory of the great philosopher Ādi Śankarāchārya. Mādhava’s other books written without the assistance of Sāyaṇa include Kāla Mādhava (a treatise on the Hindu calendar), Āchāra Mādhava (a treatise on the practice of the Brāhmaṇas) and Vyavahāra Mādhava (a treatise on the Law). Sarvadarśanasaṃgraha, which means compilation of all philosophies, attributes the authorship of the text to Sāyaṇa-Mādhava, which means that the text was written by both Sāyaṇa and Mādhava. Some other texts also contain information about Chārvāka philosophy. Dakṣiṇāranjan Śāstrī compiled the Chārvāka fragments in the book Chārvāka Ṣaṣṭi, which as the title suggests contains sixty verses [4]. These sixty verses are taken from the following texts: verses 1-47 from Naiṣadhīya-charitam by Śrıharṣa, verses 48-55 and 57-59 from Sarvadarśanasaṃgraha by Sāyaṇa-Mādhava, verse 56 from Vidvanmodataraṅgiṇī by Chirañjīva Bhaṭṭachārya, and verse 60 from Śaḍdarśanasamuchchaya by Haribhadra. Since the information about Chārvāka philosophy comes from sources which were generally not sympathetic to the Chārvākas, researchers are not unanimous regarding what constituted the original Chārvāka philosophy and what has been added to malign the Chārvākas. A critical study of this matter has resulted in two other compilations of Chārvāka philosophy by researchers Namai [5] and Bhattacharya [6].
@@descendantofbharatbharatva7155 Prasādē sarvadukhānāṁ hānirasyōpajāyatē Prasannacētasō hyaśu bud’dhiḥ paryavtiṣṭtē. (Bhagavad Gita 2.65) Arthat: When one is joyous from within, sorrow reduces drastically, almost disappearing. And such a contented and blissful yogin is able to take his mind off everything firmly establishing himself in the supreme soul. Gyan2: मनः प्रसाद सौम्यत्वं… If your practices, your God, and your path is missing humor, you should take a hard look at what it is that you have signed up for.
विश्लेषण तो ठीक है। परन्तु एक वाचक की भूमिका में आप अपने स्तर से किसी को 'निंदा के पात्र' नहीं कह सकते। और आपने ऐसा कहा कि अगर मुर्ख, धुर्त और ब्राह्मण की बात कही है तो निंदा के पात्र हैं। बहस लंबी हो सकती है परन्तु वेदों को सत्य मान लेना ही सच हो, जरूरी नहीं।
आइए समझते है वर्तमान समय में हमने धर्म को क्या समझ रखा है :- 1. ध्वनि प्रदूषण का केंद्र 2. भंडारे की व्यवस्था 3. अलग अलग रंगों के परिधान 4. विभिन्न नारों का शोर 5. रैलियों का जोर 6. दूसरे समुदायों से लड़ने का कोर 7. अपनी अनंत इच्छाओं की पूर्ति का मार्ग 8. अपनी मनोरंजन का साधन 9. अपने पापों का इलाज़ 10. अपने अहंकार की ढाल अगर इन सब बातों आधार माना जाए तो महर्षि चार्वाक बिल्कुल सही हैं। धर्म को हमने भीड़ की सामूहिक ईस्तेमाल की वस्तु बन दी है। जबकि धर्म व्यक्तिगत मामला है जिसके लिए किसी माध्यम या कर्मकांड की आवश्यकता नहीं। इसलिए पहले धर्म को समझिए फिर आप अपने लिए स्वयं उसका अनुसंधान कीजिए। जो हम सब सामाजिक तौर पर करते हैं वह धर्म नहीं केवल रीति रिवाज और परम्परा है जिसको हमने धर्म का नाम दे रखा है। जिस दिन वास्तविक धर्म का पता चलता है उस दिन व्यक्ति सब को चलता कर देता है...🙏🙏🙏😊
it's good to know that, people in those generations fighting about these kind of deep philosophies and not believing anything blindly but they believed it because they are also able to prove their points and it is the eternal truth.
@@shubhamjaiswal9495toh mene kab kaha ki, atma prove nahi huyi hai, beta. mene sirf uss generation ke logo ki mentality ki baat ki hai. beta,agar bade logo ki baato mai baccho ko samaj na aaye toh, baccho ko bich nahi bolna chahiye. jaao padhai likhai pe dhyan do
आप की ,माता पिता के संस्कार बहुत अच्छा है, जो आप के साथ है और आप के बात करणेका तरीका बहुत आछा और सरल है, हम लोग सच्चे बातोसे अनजान है,पर आप कि बात सुनकर आछा भी लगता है और समझभी आती है सब कुछ, भगवान करे आप खुश रहो हमेशा और ऐसे ही विडिओ बनाये, हम आपकी हर विडिओ सुनना चाहते हैं
dharm ek pakhand hai jo shayad isliye chalu kiya gaya kyunki logon ke pass vaigyanik samajh nahin thi ,,, rudhivadi soch , dharmandtha yeh sab dharm se upajte hain kyunki log dharm ki zanjir ko hat anahin paate ,, ek baar dhrma ki bedi hata ke dekho ,, insaan , samaj desh aur yeh puri duniya shayad acchi samjhdaar aur suljhi nazar aayegi
@@harsh312harshh और हा सनातन धर्म इस pinacle of logic. हमारे ऋषि मुनि कितने उच्च स्तर का सोचते थे। गर्व होता है unper। एंड 1300 saal पहले लिखी किताब babut ही बोनी महसूस होती है उनके ज्ञान के सामने तर्क और दर्शन मामले में।
English likhane nahi aati hai bolane nahin aati hai phir Bhi yah jatate Ho ki Ham Bade Gyani chutiya Tumhare Baap Ne Dekha hai God doesn't exist apni spelling dekh,,, padha likha Kuchh Nahi Khali aa gaye Munh uthake hansne you are ridiculous
@@kimjongmathematics जिस कहानी में सूर्य रथ से घूम रहा है वह कहानी सत्य नही है ,ब्रम्हा लोक, यमलोक, इंद्र लोक आदि कहाँ है ,साइंस ने अपनी खोज का प्रमाण दिया है और ये आज तक नही बता पाए ,बिना सबूत के कल्पना करना भ्रम है
@@Shree_Krishana_Hari point is agar bhi Buddha dharma sabse purana dharma ho to bhi Jo dharma in purano se hume milta hai use hum sanatan dharma kehte hai. Koi nahi kehta ki ye history hai, but these are stories to learn from. Me charwak hu aur me bhi hindu hu ap Buddhist hai ap bhi hindu hi hai
@@Shree_Krishana_Hari Firstly you cannot prove sanatan or vedic dharma absolutely didn't exist at the time or before Buddha. Yes it wasn't in the form it was today but yes it did. Also sanatan as a darshan ( advait and dvait etc) vednat darshna basically is quite unique and is well grounded. Allows worship of multiple bhagwan and multiple ways to enlightenment. That is the beauty you should respect rather than looking at what came first. Nobody is saying Buddha's way is wrong, but it's a one of the darshan from many thay came from.tjis land
@@Shree_Krishana_Hari are honge jatak kathao ke statues aur agar tabke today gae hai to galat hai. Pr mujhe ek bat batao Jo status nyaneshwar datta etc ke bahut badme banae gae hai unka kya. Also kya buddhism me idol worship hai?
@@Shree_Krishana_Hari 🥲😂 are bhai dharma change hote rehte hai better hote rehta hai. Ideas li hongi buddhism se pr iska matlab buddhism is better than sanatan to nahi. It's like jews and Christians. Similar ideas hai but dono ek sath pyar se reh Rahe Hai na. Konsa jew Jake church ko Jewish mandir me recovery karneko keh raha hai? Aur agar aisa koi specific Buddhist stupa hai Jo ki ab mandir me convert kar diya gaya hai, ap case file karo me apke sath ladunga
धर्म को विज्ञान का दृष्टिकोण देना अच्छी बात है लेकिन धर्म और सत्ता का इतिहास हमेशा खून से लिखा गया है। इस सच को कभी नहीं भूलना चाहिए, चाहे वो अपना देश भारत ही क्यों न हो। 🔥🔥🔥🔥
Islam aur isai ke alava kisi ne bhi majahab ke liye mar kat nahi ki hai? Yadi ki hai to batao kisne ki? Aur pahale dharm ka paribhasha hi Jan lo. Tv debate ya maikale ki shiksha byavasta ke nikalkar Tum grantho ke jankar nahi ho jate ki grantho ke shabd ko granto se jyada Jan jaoge. Tum kisi panth majahab ya samuday ke nam ko dharm samjhte ho lekin panth majahab ya kisi samuday ke nam ko dharm nahi kahate balki dharm tab se hai koi panth majahab tha hi nahi. jo dharan karne yogy hai, jo Satya hai, tap, Daya, dan, aur swabhavik kartaby, jisse kisi ka koi Hani na ho wo karm, shudh acharan, shuddh byauhar itaydi dharm kahlata hai aur iske alava jo asatya, ya na karne yogy karm, jisse kisi ki Hani hoti ho, ghrina, hinsa, lobh, moh, mad ityadi adharm kahalata hai
हिंदू धर्म की स्थापना कैसे हुई पहले ये जान लो!! चलो कुछ hint दे देता हूँ, हिंदू धर्म की स्थापना मौर्य सम्राज्य के आखिरी राजा वृहद्रथ की हत्या के बाद शुरू होती है। और इस घटना का सबूत खुद 800 साल पुराने ऋग्वेद में लिखा हुआ मिल जायेगा। Dhanyawad। और मैं खुद एक हिंदू हूं। सच से भागना नहीं चाहिए। मैं किसी का अपमान नहीं कर रहा।
@@pinkcitypictures7224 😂😂 yar tu bhim meem wala chutiya hai tumlog ka logic hi alag hai islie aaj tak unnati ni kar pae Maine upar dham ka arth btaya lekin fir bhi apna sada hua gya chep diya 😂😂 chal tereko budha ke janam se pahale ki bhagvan Vishnu ki murti dikhau kya? 😂😂😂😂 Salo jhat brabar bhi common sense nahi hota tum me isliye sale arakshan pa kar koi unnati nahi kar pae 😂😂
@@pinkcitypictures7224chacha ved 800 sal purane nahin h tu kis hisab se keh sakta h jo aj book likh rahen h sabhi apne hisab se likhte h chacha jahan science khatam hoti h vahan adhyaatm suru hota h karam karo karm hi srestha h
Shukriya for dissolving this misconceptions. I am not a Hindu but a beginner learner in Hindu philosophy. Your video helped me to understand properly. Thanks from Bangladesh 🇧🇩
@@yashwant675 No. But in sufism some theories are good about spiritual understanding. Sufism is related to Islam, although it is also related to several other religions.
@@yashwant675चेतना का स्तर नीचे रहने का कारण नफरत होता है। जैसे आप का है। आप को इस्लाम से नफरत है इसमें उलझ गए। कबीरा कुआ एक है पानी भरें अनेक बर्तन में ही भेद है पानी सब में एक। यार क्यूं धरती पर अकड़ कर नफरत फेला रहे हो? ज्ञान को शांति के लिए बांटों।❤❤
जय श्री राम मैं आपके विचार के लिए कुछ और दे रहा हूं और आपके सहयोग की अपेक्षा करता हूं। धर्म की समझ के मामले में भारत सबसे बेवकूफ देश है। भारत हिंदू धर्म को लेकर विरोधाभासी स्वीकृति के साथ जी रहा है।यह विरोधाभास किसी भी चीज़ की सही या गलत प्रकृति को समझने की अनुमति नहीं देता है। विरोधाभास की स्वीकृति धोखेबाज़ और झूठे लोगों को भी खुद को सही साबित करने की अनुमति देती है। यह बहुत ही निम्न श्रेणी की व्यवस्था है। यह बिलकुल गलत है। 2015 से मैं जाति और धर्म व्यवस्था से जुड़े सभी पुराने विवादों को सुलझाने की स्थिति में हूं। लेकिन सरकार इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा के मेरे प्रोजेक्ट में मेरी मदद नहीं कर रही है।सरकार ने मेरी 1400 प्रार्थनाओं को नजरअंदाज कर दिया है। एक और बात, कभी मत सोचिए कि धर्म का कोई महत्व नहीं है। धर्म ही वह चीज है जो हमें जानवरों से अलग करती है। जानवरों के पास सीमित चीजें होती हैं, जैसे खाना, सेक्स और आश्रय या घर। धर्म के कारण ही इंसान जानवरों से अलग है। धर्म ही वह चीज है जो इंसान को बहुत सी चीजों से आनंद लेने की सुविधा देती है। धर्म सभ्यता की शुरुआत के अलावा और कुछ नहीं है। हमें जाति और धर्म से जुड़े सभी विवादों को सुलझाना होगा। जाति/धर्म के विवादों के कारण इतिहास एक हास्य बन गया है। धर्म सभ्यता का सबसे बुनियादी विषय है। यह सभ्यता की अवधारणा का आधार है। चार्वाक दर्शन मेरे विचारों के विरुद्ध नहीं है। यह केवल उचित समझ का विषय है। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
The main beliefs of Chārvākas are listed below: 1. Indian texts describe a number of pramāṇas or means of knowledge. The most important pramāṇas were: pratyakṣa (direct perception), anumāna (inference), upamāna (analogy), arthāpatti (derivation), anupalabdhi (non-existence), and śabda (revealed scriptures). Various schools of philosophy accepted some of them as valid means of knowledge. Buddhism and Vaiśeṣika considered only pratyakṣa and anumāna to be valid means of knowledge, while Jainism, Sāṃkhya, Yoga, Dvaita Vedānta and Viśiṣṭādvaita Vedānta held pratyakṣa, anumāna, and śabda to be valid. Mimāṃsā and Advaita Vedānta considered all six pramāṇas to be valid means of knowledge. Chārvāka philosophy was the most restrictive in terms of what constituted the valid means of knowledge. The Chārvāka position is summarized by “pratyakṣaika pramāṇa” meaning pratyakṣa or direct perception is the only means of knowledge. 2. Indian texts considered everything in the universe to be made of five elements: earth (pṛthvī), water (āpaḥ), air (vāyu), fire (agni), and space (ākāśa). Chārvākas did not consider space to be an element. Bhāskarāchārya has summarized their position as “pṛthivyāpastejovāyuriti tattvāni” meaning earth, water, fire and air are the elements. Chārvākas considered the consciousness to arise from the combination of these four elements. “atra chatvāri bhūtāni bhūmivāryanalānilāḥ| chaturbhyaḥ khalu bhūtebhyaśchaitanyamupajāyate||” Meaning: “There are four elements in this school of thought namely earth, water, fire and air. The consciousness arises from these four elements.” Madhusūdana Sarasvatī has given the Chárváka viewpoint as “śarīrendriyasaṅghāta eva chetanaḥ kṣetrajñaḥ” meaning consciousness is the result of the union of the body and the senses. Thus, the Chārvākas did not believe in the concept of Atma that is separate from the body. 3. Traditional Hindus believed in the pursuit of four puruṣārthas or goals of life, kāma (pleasure), artha (wealth), dharma (righteousness) and mokṣa (liberation). The Chārvākas considered the pursuit of pleasure as the only goal of life. Their position is summarized by Madhusūdana Sarasvatī as “kāma evaikaḥ puruṣārthaḥ” meaning pleasure is the only goal of life. The guiding principle of life for the Chārvākas is described by the following famous verse: “Yāvaj jīvet sukhaṃ jīvedṛṇaṃkṛtvā ghṛtaṃ pibet | bhasmībhūtasya dehasya punarāgamanaṃ kutaḥ ||” Meaning: “As long as you live, live happily. Drink ghee (clarified butter) by taking loan. Once the body is turned into ashes, where is the question of coming again?” 4. The Chārvākas didn’t believe in the theory of Karma. They didn’t believe that people have to bear the fruits of their puṇya (meritorious acts) and pāpa (sins). Jain mendicant Haribhadrasūri has presented the Lokāyata viewpoint as “dharmādharmau na vidyate na phalam puṇyapāpayoḥ” meaning there is no existence of dharma (moral behaviour), adharma (immoral behaviour) and the fruits of puṇya (meritorious acts) and pāpa (sins). The Chārvākas believed in enjoying life in the present than to make sacrifices now to have a better life in future. Vātsyāyana has illustrated the Chārvāka viewpoint as follows: “ko hya abāliśo hastagataṃ paragataṃ kuryāt| varamadyakapotaḥ śvo mayūrāt||” Meaning: “Only a fool will give what is in one’s hand into the hands of other. A pigeon in possession today is better that a peacock tomorrow.” 5. The Chārvākas didn’t believe in afterlife and concepts of heaven and hell. Their belief was “dehochchhedo mokṣaḥ” meaning the end of physical body was liberation. They held that “dukhameva narakaḥ” meaning (a life filled with) sorrow was hell. They proclaimed that “na svargo nāpavargo vā naivātmā pāralaukikaḥ” meaning there is no heaven, no liberation, no soul and no afterlife. Thus, we find that the Chārvākas were materialists in their beliefs. They didn’t believe in anything that could not be verified by direct perception by the senses. They believed that rituals were invented by Brāhmanas as a means of livelihood. The Chārvākas remained a vibrant group in India for most of its history. Abul Fazl included Chārvāka as one of the nine schools of Hinduism. He has summarized his understanding of Chārvāka philosophy in the third volume of the Akbarnāma, known as the Āīn-i Akbarī (Constitution of Akbar) in the following words: “Chárváka, after whom this school is named, was an unenlightened Brahman. Its followers are called by the Bráhmans, Nástikas or Nihilists. They recognize no existence apart from the four elements, nor any source of perception save through the five organs of sense. They do not believe in a God nor in immaterial substances, and affirm faculty of thought to result from the equilibrium of the aggregate elements. Paradise, they regard as a state in which man lives as he chooses, free from the control of another, and hell the state in which he lives subject to another’s rule. The whole end of man, they say, is comprised in four things: the amassing of wealth, women, fame and good deeds. They admit only of such sciences as tend to the promotion of external order, that is, a knowledge of just administration and benevolent government. They are somewhat analogous to the sophists in their views and have written many works in reproach of others, which rather serve as lasting memorials of their own ignorance.” It is interesting to note that despite their unorthodox views, there is no evidence of the persecution of the Chārvākas in ancient India. India was a land of intellectual freedom, where people could live fulfilling lives without fear of persecution due to their beliefs. The most important part of the Chārvāka belief system was to have a good life full of enjoyment as the Chārvākas didn’t believe in afterlife. To make sacrifices in this life for a better afterlife is a revolutionary idea that has been used to regulate human behaviour all over the world, but in its latest transformation this idea now threatens the very existence of humanity.
जो ईश्वर को मानते हैं वो "हिन्दू" और जो नहीं मानते हैं वो भी "हिन्दू" हैं. इससे अच्छा साहचर्य का भाव कहा मिलेगा. यहां तो तुरन्त "काफिर" घोषित कर देते हैं. 👍🏼👍🏼
Charvak darshan bhi iss savyata ka hissa hai..agar usme kuchh tark hai to wlcm..sab high morale restricted life nhi jete..lekin apni physical life entertainment,vog aware ho kar agar aap kare aur usi ko sabkuchh na man le to is me koi prblm nhi..main aastik but not ritual follower type ka hoon..koi monk ya bohot restricted life nhi jeeta..bas apni budhhi se pata hai mujhe ki Kahan Jana hai,Kahan nhi,,kaunsi chez kaise karni hai aur rukna hai..chahe woh kisi ko personally pasand ho ya na ho
आपके प्रयासो को सैल्यूट करता हू। भैया हमको इन तरह-तरह के धर्मो के जंजाल से मुक्ति दिलवा दिजिये ताकि हमारी मेहनत की कमाई और समय को बर्बाद होने से बचाया जा सके। ये धर्म के ठेकेदार हमको आपस मे लडाते है, इस पृथ्वी पर हमारा जीना हराम कर दिया है। इन सभी धर्मो का नाश होने पर ही पृथ्वी पर मनुष्य चैन से रह सकता है।
Tere comment ko dekhkar pta chalta hai ki jaato ke paas buddhi Kyo nhi hoti..agar tu dharm ko nhi maanta toh tu ne apni mehnat se Kya ukhad lia apni life me ? Jo dharm ko maante hain wo arab pati, world famous ban rhe hain aur tere jese nastik gareeb or Berojgar hain
@@ankits4640 tumhare hisab se koi Aamir or famous bolega toh wo bdi baat or whi baat normal insaan bolega toh uske koi mayne nhi.... Success mtlb bs pesa or famous hona hi nhi h koi normal life jite hue shanti muhsus kr rha h toh wo b success h us insaan ke liye...
Dar Mann ka ek roop hai. Hume Jo bhi nahi dikhta (dikhta yani experience nahi hota apne 5 indriyo se)usse Hume Darr lagta hai jaise future, bhoot, pret, bhagwaan, aatma. Hume andhere se bhi issiliye dar lagta hai. Dharm Hume ek marg dikhata hai, humme ek samajh nirman karta hai, ek confidence deta hai ki aap jo kar rahe hai vo thik kar rahe hai tabhi aadmi aage badh sakta hai. Jaise kisi bhi cheez ko aage badhne k liye thrust ki jaroorat hote hai waise hi dharm Hume aage badhne mai madat karta hai. Per samay k saath parivartan aata hai aur log ismai bhi parivartan karte hai aur uska dushparinam samajh per padta hai. Dharm ka arth kartavya hota hai. Aapko dharma ka nirvahan karna hota hai jisse aapka aur samaj ka kalyan hota hai.
बेवकूफ आदमी हो तुम धर्म को समझो धर्म एक मानसिक ओर सामाजिक समझ को एकाकार करता है तुम्हें अगर समाज में नहीं रहना क्या जंगल में अकेला रहोगे कुछ पागल कह देते हैं हम अपने परिवार को लेकर जंगल में चले जायेंगे परिवार समाज कुछ इकाई है उसे भी छोड़ो नहीं छोड़ सकते जीवन जीने के लिए आधार की जरूरत की जरूरत होती है सामाजिक इकाई का आधार धर्म है अच्छे संस्कारो की नींव समाज ओर धर्म मिलकर रखते हैं
@@MotiramBhilawekar-j5gdharm mtlab satyata ..adharm matlab asatyata ..aaj ke nam ke hindu Islam Sikh isai baudh etc ...ye dharm nahi alag alag bhagwan ko alag tarike se pujane ki pratha hai..jai panch maha bhutam 🙏🏻
जय श्री राम मैं आपके विचार के लिए कुछ और दे रहा हूं और आपके सहयोग की अपेक्षा करता हूं। धर्म की समझ के मामले में भारत सबसे बेवकूफ देश है। भारत हिंदू धर्म को लेकर विरोधाभासी स्वीकृति के साथ जी रहा है।यह विरोधाभास किसी भी चीज़ की सही या गलत प्रकृति को समझने की अनुमति नहीं देता है। विरोधाभास की स्वीकृति धोखेबाज़ और झूठे लोगों को भी खुद को सही साबित करने की अनुमति देती है। यह बहुत ही निम्न श्रेणी की व्यवस्था है। यह बिलकुल गलत है। 2015 से मैं जाति और धर्म व्यवस्था से जुड़े सभी पुराने विवादों को सुलझाने की स्थिति में हूं। लेकिन सरकार इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा के मेरे प्रोजेक्ट में मेरी मदद नहीं कर रही है।सरकार ने मेरी 1400 प्रार्थनाओं को नजरअंदाज कर दिया है। एक और बात, कभी मत सोचिए कि धर्म का कोई महत्व नहीं है। धर्म ही वह चीज है जो हमें जानवरों से अलग करती है। जानवरों के पास सीमित चीजें होती हैं, जैसे खाना, सेक्स और आश्रय या घर। धर्म के कारण ही इंसान जानवरों से अलग है। धर्म ही वह चीज है जो इंसान को बहुत सी चीजों से आनंद लेने की सुविधा देती है। धर्म सभ्यता की शुरुआत के अलावा और कुछ नहीं है। हमें जाति और धर्म से जुड़े सभी विवादों को सुलझाना होगा। जाति/धर्म के विवादों के कारण इतिहास एक हास्य बन गया है। धर्म सभ्यता का सबसे बुनियादी विषय है। यह सभ्यता की अवधारणा का आधार है। चार्वाक दर्शन मेरे विचारों के विरुद्ध नहीं है। यह केवल उचित समझ का विषय है। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
आत्मा अमर है kyunki मुझे उसकी sakshat दर्शन हुए उस पुण्य आत्मा ने जो बोला वो सत्य प्रतिशत सत्य हुआ और मैं उस सत्य से बिल्कुल अंजान था ये मेरे पिता कि मृत्यु के लगभग आठ घंटे बाद मेरे पिता ने खुद बताया 😢
Have you heard about gravitational & magnetic field?? If soul is imaginary, how's these things r real ?? Do you know quantum physics? I doubt bcoz if u knew u wouldn't leave this comment.
@@NativeBharatiye kon smjhate inko.... Uss tym tk science itni develop nhi thi... I didn't say that they give scientific theories or phenomenon... But their way to look at things was similar to modren day scientific approach... Tu kahin or hi le ja rha h bat ko...
आप पूरी तरह ग़लत हैं। चार्वाक दर्शन के बारे में आपकी समझ ग़लत है। लेकिन मैं आपको गलत नहीं कहूंगा क्योंकि आप भारत में रहते हैं। धर्म की समझ के मामले में भारत सबसे बेवकूफ देश है। भारत हिंदू धर्म को लेकर विरोधाभासी स्वीकृति के साथ जी रहा है।यह विरोधाभास किसी भी चीज़ की सही या गलत प्रकृति को समझने की अनुमति नहीं देता है। विरोधाभास की स्वीकृति धोखेबाज़ और झूठे लोगों को भी खुद को सही साबित करने की अनुमति देती है। यह बहुत ही निम्न श्रेणी की व्यवस्था है। यह बिलकुल गलत है। 2015 से मैं जाति और धर्म व्यवस्था से जुड़े सभी पुराने विवादों को सुलझाने की स्थिति में हूं। लेकिन सरकार इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा के मेरे प्रोजेक्ट में मेरी मदद नहीं कर रही है।सरकार ने मेरी 1400 प्रार्थनाओं को नजरअंदाज कर दिया है। एक और बात, कभी मत सोचिए कि धर्म का कोई महत्व नहीं है। धर्म ही वह चीज है जो हमें जानवरों से अलग करती है। जानवरों के पास सीमित चीजें होती हैं, जैसे खाना, सेक्स और आश्रय या घर। धर्म के कारण ही इंसान जानवरों से अलग है। धर्म ही वह चीज है जो इंसान को बहुत सी चीजों से आनंद लेने की सुविधा देती है। धर्म सभ्यता की शुरुआत के अलावा और कुछ नहीं है। हमें जाति और धर्म से जुड़े सभी विवादों को सुलझाना होगा। जाति/धर्म के विवादों के कारण इतिहास एक हास्य बन गया है। धर्म सभ्यता का सबसे बुनियादी विषय है। यह सभ्यता की अवधारणा का आधार है। चार्वाक दर्शन मेरे विचारों के विरुद्ध नहीं है। यह केवल उचित समझ का विषय है। अवधूत जोशी
Jab wo atma me vishwas hi nhi karte toh shanti kaha se milegi?😂😂😂 Ek isi darshan ko manne wale vyakti ka kehna thha ki wo khud ko andhe kuwe me girta hua feel karega marte samay. Maine kaha ki apne patan ko pehle hi dekh liya? Mujhe near death experience jab hua thha tab aas paas ke logo ki aawaz sunai de rahi thhi lekin tez ujala dikha aur mai ujale ki oar jaa raha thha. Lekin phir wapis aa gaya.
@@tremendousthrilling5331 wapis issliye aaya kyunki maut ka time nhi aaya thha. Tu toh andhkaar me hi jayega.🤣🤣🤣 Log andhkaar se prakash ki oar jate hain
Sach to yeh hai ki hum log charwaak ki alochana to karte hai lekin wahi zindagi jina bhi chahte hai. Sabhi log aaj kal materialism aur sukhad jivan ki hi kaamna rakhte hai. Mool roop se sanatan jo hume sikhtaa hai, karm aur saada jivan, bhagwan mai lin rahna. Aisa karta hua kaun hi dikhta hai. Lekin iske bawjood lof charwaak ki bejtti karne aa jaate hai, sirf isliye kuoki vo bhagwan aur aatma mai nahi maante the. Sach to yahi ki hum charwaak ki philospy ko follow karte hai lekin aatma aur bhagwan pe vishwas rakhte hai.
Strongly disagree!! Those who believe in the existence of God tend to live in the world of imagination! Their belief gets destroyed when they realize that 'the God' is unable to help them in their difficult times!! Clearly, people who believe in God are more dillusioned.
@@subh0x na America nhi mante wo log sabse jada barbad hai , aur sabse happy country Bhutan hai waha ke log bss hindu and Buddh me believe krte hai to sahi religion follow Krna happiness ka karan hai . Atheist last me depreciation me he rhete hai .
I have started chanting mandukya upanishad also learned its भाष्य और सार In few weeks i want to remember and chant entire upanishad without reading. It also helps with speech memory learning sanskrit in my experience so far.
चार्वाक दर्शन वास्तविकता पर आधारित। ज्यादातर लोग ऐसी कल्पनाओं पर विश्वास करते हैं जिनको देखा या अनुभव नहीं किया गया। ऐसे विश्वासों को धर्म का हिस्सा बता कर चालाक लोगो भोले भाले लोगो पर अनजाना भय तथा लोभ दिखा कर थोपा। जैसे इस जन्म के कामों का अगले जन्म में फल मिलना । स्वर्ग नर्क की कल्पना आदि।
Thanks a lot bhaiyaa. U r a gem. I dont understand why people have to "believe" in something.... i mean whats the need of establishing facts without full knowledge? And the fact about knowledge is, it is never complete. Hence an individual must be humble enough to know that he is indeed very small and ignorant... i mean we dont know sooo many things. Actually we dont know a damn thing about literally anything. Unless we experience, we cant say if somthing is true or untrue. We should just be receptive and observant to the universe and bhagwaan and keep on doing good karma as said by Shri Krishna in the Bhagwad Geeta. Believing is not the key... knowing, exploring, experiencing is the key. We r here to experience the universe... not to deny or accept any fact or belief. Our culture is indeed great and marvellous... debate or शास्त्रार्थ was the most effective way to dispel ignorance. Knowledge was presented as logic and questions were nicely answered. How can we forget Adi Shankaracharya's famous debate with Mandan mishr!? Pure bliss. We r truly lucky that we have such kind of culture rooted deeply in our minds, blood and nerves. Har har Mahadev!❤
जब-जब बुद्धि और अनुभव से किसी भी रचना या सोच को प्रस्तुत किया जाएगा वो भैतिक है और चार्वाक भी भौतिकवाद को बताते हैं इसका मतलब आत्मा परमात्मा भी भौतिकवाद है। कुछ भी करो लेकिन विचार विचार है। आत्मा भी परमात्मा भी, अभी भी कोई शब्दों में भेद देख पा रहा है वो ये नही देख पा रहा कि शून्य या एक केंद्र से ही मिलकर सब बना है ये नही देख पा रहा है। गौर करेंगे तो पाएंगे सब एक केंद्र से हैं अब उसे आत्मा करो परमात्मा करो या कुछ भी न कहो कोई फर्क नही पड़ता है। शब्दों में जब तक कोई अभिव्यक्ति है वो भैतिक है।
Thank you for bringing this topic... only vaidika drushti is the right one to always stay with the light bcoz it mainly describes about the light and puts the dark far away even though it excepts the existence of both for srushti leela...
गुब्बारे का अविष्कार साल 1824 में महान वैज्ञानिक प्रोफेसर माइकल फैराडे ने किया था। इसका मतलब ये है, गुब्बारे वाली कहनी बाद में बना के घुसेड दी गयी ....
चार्वाक दर्शन का मुख्य सिद्धांत जब तक जियो मौज करके जियो इसके लिए चाहे किसी को भी बर्बाद करना पड़े,, लूटना पड़े लूटो, पैसा नहीं है तो कर्ज करो , कर्ज को मत पटाओ चाहे बदनामी झेलना पड़े,, इज्जत से जिसे कोई परवाह नहीं, जिसे ना मान चाहिए ना सम्मान चाहिए,, उसे केवल भोगना है।। यही चार्वाक दर्शन है, जिंदगी खुशी से जियो चाहे किसी को भी लूट लो आज भी दुनियां में चार्वाक लोगों की कमी नहीं है केवल लूट रहें हैं लोगों को , जिन्हे इज्जत,मान , प्रतिष्ठा से कोई मतलब नहीं हैं ऐसे लोगों के ही कारण समाज में अराजकता आती है,जो दूसरों को ही सताकर जीना जानते हैं 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Soul से तुम्हारा मतलब 'आत्मा' है तो शास्त्रों में आत्मा को अचिंत्य, अज्ञेय और अप्रमेय कहा है। आत्मा को तुम नहीं जान सकते, जो १००% जानने का दावा कर रहा है वह झूठ बोल रहा है।
नानक नाम जहाज हैजो चड़े सो उतरे पार नाम वो जो जीवित सतगुरु समाधी लगाकर (जीवित मरकर) ईश्वर तत्व से मिल लेता है उनके द्वारा शिष्य के सर पर हाथ रखकर ईश्वर तत्व का ध्यान लगाकर दिया जाता है उसके प्रभाव से चौरासी लाख योनिओ का जन्म मरण का चक्र समाप्त होने लगता है सतगुरु मधु परमहंस जी
जय श्री राम मैं आपके विचार के लिए कुछ और दे रहा हूं और आपके सहयोग की अपेक्षा करता हूं। धर्म की समझ के मामले में भारत सबसे बेवकूफ देश है। भारत हिंदू धर्म को लेकर विरोधाभासी स्वीकृति के साथ जी रहा है।यह विरोधाभास किसी भी चीज़ की सही या गलत प्रकृति को समझने की अनुमति नहीं देता है। विरोधाभास की स्वीकृति धोखेबाज़ और झूठे लोगों को भी खुद को सही साबित करने की अनुमति देती है। यह बहुत ही निम्न श्रेणी की व्यवस्था है। यह बिलकुल गलत है। 2015 से मैं जाति और धर्म व्यवस्था से जुड़े सभी पुराने विवादों को सुलझाने की स्थिति में हूं। लेकिन सरकार इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा के मेरे प्रोजेक्ट में मेरी मदद नहीं कर रही है।सरकार ने मेरी 1400 प्रार्थनाओं को नजरअंदाज कर दिया है। एक और बात, कभी मत सोचिए कि धर्म का कोई महत्व नहीं है। धर्म ही वह चीज है जो हमें जानवरों से अलग करती है। जानवरों के पास सीमित चीजें होती हैं, जैसे खाना, सेक्स और आश्रय या घर। धर्म के कारण ही इंसान जानवरों से अलग है। धर्म ही वह चीज है जो इंसान को बहुत सी चीजों से आनंद लेने की सुविधा देती है। धर्म सभ्यता की शुरुआत के अलावा और कुछ नहीं है। हमें जाति और धर्म से जुड़े सभी विवादों को सुलझाना होगा। जाति/धर्म के विवादों के कारण इतिहास एक हास्य बन गया है। धर्म सभ्यता का सबसे बुनियादी विषय है। यह सभ्यता की अवधारणा का आधार है। चार्वाक दर्शन मेरे विचारों के विरुद्ध नहीं है। यह केवल उचित समझ का विषय है। मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें। अवधूत जोशी
एक पीढी का "पाखंड", दुसरी पीढ़ी के लिए "परंपरा" बन जाती है, तीसरी पीढ़ी के लिए "संस्कृति" और चौथी पीढ़ी के लिए "धर्म "।।।। ऐसा ही है तुम्हारा धर्म यानी पाखंड ❤❤❤❤❤❤
Avg bhimta 😂😂 Dharam ko bas karmkand tak simit rakh diya Vedant upanishad darshan real dharam Tum bhimte ke hisab se varn vyastha, jatiwad his bas dharam hain Khud tum aapas main sabse jyada jatiwad karo
@@CommerceFloor Mali jati ke the par unke batein debatable thi Dr ambedkar seems more awared and rational Phule sahab ne jab women ke liye classes shuru ki to unko Ghar ek brhamin bhide nhi diya tha
Excellent enlightening session as always. Freedom of thought and debates through शास्त्रार्थ has always been an integral part of our civilization 🔥🔥🙏🏻🙏🏻
चार्वाक दर्शन ने वास्तव में मनुष्य को अंतिम सुख तक पहुंचा दिया है इसीलिए ऐसे धर्म जो ईश्वर को मानते हैं वह इस धर्म के लोगों से चिढ़ते हैं वह इस विचारधारा से नफरत करते हैं वह इस सोच को मतलबी मानते हैं लेकिन चार्वाक दर्शन सत्य मे वह है जिसे मनुष्य को अंतिम संतुष्टि प्रदान की है और यह बताया है वही करो जिससे तुम्हें सुख प्राप्त होता है संतुष्टि प्राप्त होती है क्योंकि अंतः इस पृथ्वी पर सब लोग सुख और संतुष्टि ही प्राप्त करना चाहते हैं
राजा भोग विलास को reperesent नहीं करते वो एक नगर को represent करते हैं एक व्यवस्था को चलाते हैं किसी भी व्यवस्था का हिस्सा बने बिना आप उसको नहीं चला सकते नगर में सब कुछ होता है उसका ज्ञान रखना हर वस्तु का यथा सम्भव उपयोग करना उनके लिए अनिवार्य बन जाता था नगर वासी रोज़ कुछ ना कुछ नया बना ही लेते थे हर वस्तु बिक जाए सम्भव नहीं राजा बुद्धिमान होते थे लोगों की खुशी के लिए तो कभी उपयोग के लिए वो उनकी बनाई वस्तु खरीद ही लेते थे चाहे वो इस्तेमाल करें या अपने किसी सेवक को दे दें जनता का विस्वास बना रहता था और उनको मनोबल मिलता था अपनी खोज और प्रयोग को आगे बढ़ाने का, राजा द्वारा उचित राय मिलने पर
The best thing about this channel is that there is no mockery, no hate, no propaganda against any theory, any practice and any belief. He talks about things of their reality, he doesn't attach his opinion while talking about subjects. If such decency is maintained by everyone, the world will be safe, sustainable and supportive of one other. All problems in the world be it in countries, in people, in politics, in families, is because of ego, once it is removed we will see real life.
उस जगह की सुध कोई नहीं बताता जहाँ से इस धरती की सभी आत्माए अनंत समय पूर्व आई है पानी नहीं पवन,नहीं धरती नहीं सूरज चाँद नहीं, माया और पांच तत्वों से परे वो देश है जिसका कभी नाश नहीं होता जहा कभी उदासी नहीं होती क्योंकि वहां मन नहीं है जिसके कारन सुख दुःख की अनुभूति होती है
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भाई मुझे कृपा कर के आजीवन सम्प्रदाय और चार्वाक के क्या समानता है बताइये ।।
जैन विद्वान ने गुब्बारे का उदाहरण दिया, उस जमाने मे गुब्बारो का अस्तित्व कैसे था, इस पर प्रकाश डालिये।
कृपा करके ओडिशा के पूरी में एक meet up करिए
@HyperQuest Aap is Charvak Darshan ko Agye Badhaye aur Is par aur video banaye
शिक्षणाम का लिंक दीजिए
मृत्यु के बाद क्या होगा इसकी चिंता हम क्यों करें? अपना जीवन जियो भाई अच्छे से, स्वयं प्रगति करो और समाज को भी आगे बढ़ाओ।
बिल्कुल सही कहा आपने❤
जब लग आश शरीर की, मिरतक हुआ न जाय |
काया माया मन तजै, चौड़े रहा बजाय ||
Bhai mout ka baad aap ko pata chal jata ga ki mout ka baad ki chinta kyo kaei
फिर मनुष्य और पशु में अंतर ही क्या रह जाएगा
किस खुशी की बात कर रहे हो जो इस धरती पर सम्भव हीं नहीं है
This guy single handedly destroying myths. Thankyou brother for saving Sanatan dharm
only some lost in some myths think he is destroying myths. No doubt he is doing a great job.
Again some very strange people think Sanatan was drowning or being strangulated. No such thing.
Watch Sanatan Samiksha
@@Memarathi56atleast charvaks do not raise weapon against others...
@@Memarathi56 Charvak philosophy Jo bhi hai, islam Jaise ghatiya Mazhab ke saath iske dur dur tak relation nahi hai. Kyuki islam Atheism ko nahi mante and islam ke anusar to kafir logo ko kill karna hai & kafir women ko Sex Slaves banana hai.
@@kumargupt3426ha unhone bhi kafi branti dur ki hai
धर्म जब स्वार्थ में तब्दील हो जाए तो समझो यह एक पाखंड है। जब समाज को जोड़ कर रखे तो समझो यह धर्म प्रेम है जो समाज को जोड़ता है।
Fjfjdhf ha hgehd
पहले धर्म क्या है और इस शब्द का अर्थ क्या है यह जान लें 😊😊
Bhimta
मुझे आपकी टिप्पणी पसंद आई। धर्म के बारे में आपकी समझ बहुत बढ़िया है। कृपया उपनिषद12 से धर्म शब्द का अर्थ और धर्म क्या है, यह पूछें। उसे न छोड़ें। जिस तरह से उसने आपसे पूछा है, वह पाखंड का संकेत मात्र है.
@@Eternal00211 Bhimta क्या है?
*"Hyper quest " मेरा पसंदीदा channel है। क्योंकि आप धर्म को भी विज्ञान के दृष्टिकोण से समझाते हो।~धन्यवाद।,🙏❤️🙏*
Ye bilkul Dadaji HS Sinha ke discourses ki tarah hai. Ab wo duniya me nhi rahe lekin ye bhai unki legacy ko continue karenge. Channel ka naam bhi similar hai. The Quest ke jagah hyper quest.
आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आपके बहुमूल्य समय और सराहना के लिए। 🙏😊
Ajvikiya darshan PE bhi bole pls
इसमें विज्ञान क्या था???
@@vegaz4966
Isme Vigyan Yahi Tha ki -
dharm hi vrihad vigyan hai.
वाह सर अपने धर्म और प्राचीन गौरवशाली इतिहास को सुनकर गदगद हो गया
भिक्षा, यज्ञ, बलिदान इन सब का परिणाम मिले या न मिले
लेकिन
अच्छे या बुरे कर्मो का परिणाम को जरूर मिलता है।
जैसे अच्छा या बुरा कर्म करने वाला व्यक्ति रहे या न रहे लेकिन उसके कर्म उस व्यक्ति, परिवार और उसकी पीढ़ी के साथ जरूर जोड़े जाते है ।
और यही अच्छे या बुरे कर्मो का परिणाम है
जो तुरंत देखने को मिले या न मिले लेकिन मिलते ज़रूर है।
चार्वाक दर्शन पर प्रकाश डालने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद.....जय श्री राम
.जय श्री राम
मैं आपके विचार के लिए कुछ और दे रहा हूं और आपके सहयोग की अपेक्षा करता हूं।
धर्म की समझ के मामले में भारत सबसे बेवकूफ देश है।
भारत हिंदू धर्म को लेकर विरोधाभासी स्वीकृति के साथ जी रहा है।यह विरोधाभास किसी भी चीज़ की सही या गलत प्रकृति को समझने की अनुमति नहीं देता है। विरोधाभास की स्वीकृति धोखेबाज़ और झूठे लोगों को भी खुद को सही साबित करने की अनुमति देती है। यह बहुत ही निम्न श्रेणी की व्यवस्था है। यह बिलकुल गलत है।
2015 से मैं जाति और धर्म व्यवस्था से जुड़े सभी पुराने विवादों को सुलझाने की स्थिति में हूं। लेकिन सरकार इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा के मेरे प्रोजेक्ट में मेरी मदद नहीं कर रही है।सरकार ने मेरी 1400 प्रार्थनाओं को नजरअंदाज कर दिया है।
एक और बात, कभी मत सोचिए कि धर्म का कोई महत्व नहीं है। धर्म ही वह चीज है जो हमें जानवरों से अलग करती है। जानवरों के पास सीमित चीजें होती हैं, जैसे खाना, सेक्स और आश्रय या घर। धर्म के कारण ही इंसान जानवरों से अलग है। धर्म ही वह चीज है जो इंसान को बहुत सी चीजों से आनंद लेने की सुविधा देती है। धर्म सभ्यता की शुरुआत के अलावा और कुछ नहीं है।
हमें जाति और धर्म से जुड़े सभी विवादों को सुलझाना होगा। जाति/धर्म के विवादों के कारण इतिहास एक हास्य बन गया है।
धर्म सभ्यता का सबसे बुनियादी विषय है। यह सभ्यता की अवधारणा का आधार है। चार्वाक दर्शन मेरे विचारों के विरुद्ध नहीं है। यह केवल उचित समझ का विषय है।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
हर व्यक्ति कहीं ना कहीं थोड़ा बहुत चार्वाक है 😊
यह तो स्पष्ट है। यह जीवित प्राणी का मूल स्वभाव है। फिर भी मैं सोचने के लिए कुछ और बातें बता रहा हूँ।
धर्म की समझ के मामले में भारत सबसे बेवकूफ देश है।
भारत हिंदू धर्म को लेकर विरोधाभासी स्वीकृति के साथ जी रहा है।यह विरोधाभास किसी भी चीज़ की सही या गलत प्रकृति को समझने की अनुमति नहीं देता है। विरोधाभास की स्वीकृति धोखेबाज़ और झूठे लोगों को भी खुद को सही साबित करने की अनुमति देती है। यह बहुत ही निम्न श्रेणी की व्यवस्था है। यह बिलकुल गलत है।
2015 से मैं जाति और धर्म व्यवस्था से जुड़े सभी पुराने विवादों को सुलझाने की स्थिति में हूं। लेकिन सरकार इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा के मेरे प्रोजेक्ट में मेरी मदद नहीं कर रही है।सरकार ने मेरी 1400 प्रार्थनाओं को नजरअंदाज कर दिया है।
एक और बात, कभी मत सोचिए कि धर्म का कोई महत्व नहीं है। धर्म ही वह चीज है जो हमें जानवरों से अलग करती है। जानवरों के पास सीमित चीजें होती हैं, जैसे खाना, सेक्स और आश्रय या घर। धर्म के कारण ही इंसान जानवरों से अलग है। धर्म ही वह चीज है जो इंसान को बहुत सी चीजों से आनंद लेने की सुविधा देती है। धर्म सभ्यता की शुरुआत के अलावा और कुछ नहीं है।
हमें जाति और धर्म से जुड़े सभी विवादों को सुलझाना होगा। जाति/धर्म के विवादों के कारण इतिहास एक हास्य बन गया है।
धर्म सभ्यता का सबसे बुनियादी विषय है। यह सभ्यता की अवधारणा का आधार है। चार्वाक दर्शन मेरे विचारों के विरुद्ध नहीं है। यह केवल उचित समझ का विषय है।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
चार्वाक विचार धारा बिल्कुल सही है और स्वर्ग ,नर्क या परलोक, पातळ लोग यह सब पाखंड है! हमें बस इतना करना चाहिए कि हमारी जीवन शैली से किसी और पर अन्याय ना हो! हम अगर इस बात का हमेशा अपनाए तो सभी पृथ्वी वासी सुख और शांति से अपना जिवन जी सकेंगे!
Badi chutiya philosophy hai ye insaan ke existence ka basis hi suppression pe tika hua hai and permanent sukh ya permanent Shati bahar nahi andar milega
Bhaiya mai to naastik is duniya me dhoond raha hu koi milta hi nhi. Qki mai khud ek naastik hu. Mere aasa paas koi nhi . Mai akela hu mujhe naastik kaha milenge. Suggest me
अन्याय न्याय सुखी शांति संविधान यह सब बी कल्पना और पाखंड ही है भाई
@@ayaz984 Mai bhi nastik hu. Halaki bahut se log nastik hai bhi. Lekin pakhandi logo ki wajah se wo kabhi khulkar nahi kahte ki Mai nastik hu
@@abhimanyuyadav9556 sahi baat hai . Lekin thanks universe ko . Koi to Mila naastik . 😊😊😊😊😊😊
जहा राक्षसी वृत्ती है वाहा दैवी शक्ती है🕉️जहा इंसान है वाहा आत्मा है मूर्ख||जहा सत्य है वाहा असत्य भी है ,बस उसे दिलं से जनाने की कोशिश कर 🕉️🕉️🕉️
True
Ek hi jivan hai bas😌
आप की बाते सुनकर यह प्रतीत होता है की हमने नालंदा और तक्षशीला जैसे महाविद्यालयों के साथ कितना कुछ खो दिया है ।
Haan wo sab brahamano ki gaddari thi. Kyuki brahano ki dukaan aage kaise chalati
पहली बार आपको सुना।
बहुत मजा आया
आपका वर्णन बेहतरीन है।
क्या आप मानते हैं कि इस्लाम इंसानियत के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है?😂😂😂😂😂😂😂😂😂
Who doesn't mawat is currently the biggest example in india and throughout the world thay keep proving their peacefulness 😂Olla hu akbar...boom💥💀
जानवर से इंसान और इंसान से जानवर यही तो डार्विन का सिद्धांत है,
सनातन में सत,त्रेता,द्वापर,कलयुग ,
ये चक्र तो चलता रहेगा
हां
Manta hi nahi yakeen hai
Lgta hai Ex Muslim channel dekhto ho?
मैं भगवान में पूर्ण रूप से विश्वास करती हूं और पारलौकिक घटनाओं में भी, परंतु, फिर भी चार्वाक ऋषि का मैं आदर करती हूं.
सनातन अथाह है ! सनातन के सभी मूल सिद्धांत परम् सत्य हैं! आत्मा वह सत्य है कि चाहे कोई माने अथवा नहीं । आत्मा वैज्ञानिक सत्य है ! चार्वाक आदि विचारों को ईसाई मिशनरियों ने धर्मांतरण करने के लिए प्रचारित किया!
@@saakshigaur8381aatma vaigyanil satya hai???? Kon bola kidhar se late ho itna gyan ap bhai sahab...kya refference hai
Vigyan ka naam le ke kuch bhi mat boliye.
Charvak koi rishi nahi the...
Charwak darshan me sirf ayyashi h. Isko manna oh god
शरीर को यहीं जला दिया जाता है, और आत्मा अमर है तो फिर नर्क में तेल में फ्राई किसको किया जाता है ?😂😂
Gita padho
Meri priye bhai apko bta du ki hme har jagah alag alag sharir prapat hota hai wse hi nark me bhi logo ko dukh bhogne ke liye alag sharir milta hai
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब व्यक्ति की मृत्यु पश्चात उसको सूक्ष्म शरीर फिर से प्रदान किया जाता है
@@CristianO7_in aree re re bhai tu garud puran pdh le samajh aa jayega ok
Wo nichi jaat wale ko samjh nahi aayga😂
Only channel which promotes sanatan dharm by knowledge not radically
Project shivoham bhi achha channel hai this channel also gives good knowledge of hindu sanskriti
@@IndicRenai-2047 thanks for your reference ❤️😄
Sanatan Samiksha Channel bhi accha hai
@@kumargupt3426 yes i knew it 😄
@@kumargupt3426Sanatan Samiksha channel ka apna kary kshetra hai jabki Hyper Quest channel ka apna.
Agara saari baat ka conclusion dekhu to modern science mujhe kaafi hadd tak Charvaak philosophy se inspired laga.😊
Chalo koi to hai mere jaisa
Wtffr kuch bhi!!!!!!!!
Pehle spelling sahi se likhna seekho fir karna science ki baat
Charvak darsan sunkar ye samz aaya ki o bhot bde vaigyanik the asj ke logo ko bhi yhi soch rkhni chahiye tsb hmara desh tarkki krega muze to praud ho raha hai charvak darshan par ❤❤
अद्भुत और अनुपम जानकारी देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। 🙏🙏🌺🌺
🙏😊
Makkhali Gosāla. He was the most prominent teacher of the Ājīvika order and a contemporary of Buddha and Mahāvīra in the 13th-12th century BCE in the alternative timeline of Indian history. In the Sāmaññaphala Sutta, which is the second book of the Buddhist text Dīgha Nikāya (the long collection), six spiritual teachers contemporary to Buddha are listed: Pūraṇa Kassapa, Makkhali Gosāla, Ajita Keśakambalī, Pakudha kachchāyana, Sañjaya Belatthiputta, and Nīgaṇṭha Nātaputta. As discussed in the previous article, Pūraṇa Kassapa and Makkhali Gosāla belonged to the Ājīvika order. Pakudha Kachchāyana taught a doctrine that cannot be identified with any existing philosophy. Sañjaya Belatthiputta was an agnostic and Nīgaṇṭha Nātaputta is identified with the Jain teacher Mahāvīra by historians. Ajita Keśakambalī was a prominent teacher of materialism. When Ajātaśatru asked Ajita Keśakambalī whether any appreciable benefit was derived from asceticism, he received the following reply:
“There is no (merit in) almsgiving sacrifice or offering, no result or ripening of good or evil deeds. There is no passing from this world to the next. No benefit accrues from the service of mother or father. There is no afterlife, and there are no ascetics or brāhmaṇas, who have reached perfection on the right path, and who, having known and experienced this world and the world beyond, publish (their knowledge). Man is formed of the four elements; when he dies, earth returns to the aggregate of earth, water to water, fire to fire, and air to air, while the senses vanish into space. Four men with bier take up the corpse; they gossip (about the dead man) as far as the burning ground, (where) his bones turn the colour of a dove’s wing, and his sacrifices end in ashes. They are fools who preach almsgiving, and those who maintain the existence (of immaterial categories) speak vain and lying nonsense. When the body dies both fool and wise alike are cut off and perish. They do not survive after death.” [1]
Ajita Keśakambalī is the earliest teacher of materialism known to us. Even though he was a materialist, he was not running after material luxury. As his name suggests, he wore a blanket (kambala) made of hair (keśa). Buddha opined that this blanket must have been very uncomfortable as it became colder in winter and hotter in summer.
Materialism has been known in India by the names of Bārhaspatya, Lokāyata or Chārvāka philosophy. The name Bārhaspatya means a philosophical school founded by Bṛhaspati, the teacher of the Gods. It is pretty strange that materialism was called by this name as the Indian materialists did not believe in gods or any supernatural powers. The basis of this association is the following passage in Maitrāyaṇa Brāhmaṇa Upanishad [2]:
“Bṛhaspati having become Śukra, brought forth that false knowledge for the safety of Indra and for the destruction of the Asuras. By it they show that good is evil, and that evil is good. They say that we ought to ponder on the (new) law, which upsets the Veda and the other sacred books. Therefore, let no one ponder on that false knowledge: it is wrong, it is, as it were, barren.”
According to this passage, Bṛhaspati deliberately taught a false doctrine to the forces of evil leading to their destruction. It stands to reason then that the name Bārhaspatya was given to the materialistic philosophy by its competitors who held the opinion that the materialistic philosophy was a false doctrine. Over time the name stuck and Indian materialists were known by a name that they would never have approved.
The name Lokāyata for materialistic philosophy seems more appropriate. Loka means world and thus, Lokāyata means a philosophy that is focussed on worldly affairs. The most popular name for the materialistic philosophy, though, was Chārvāka, which seems to be based on the name of a person named Chārvāka. We don’t have any information about the life of Chārvāka or when he lived. Mahābhārata talks about a demon named Chārvāka [3], but there is no indication that this Chārvāka had anything to do with the Chārvāka philosophy. Chārvāka demon is described as a friend of Duryodhana. Chārvāka started saying bad words to Yudhiṣṭhira after his victory over Kauravas and perished during his confrontation with the priests.
The original text of the Chārvāka philosophy was called Chārvākasūtra. Unfortunately, this text is lost to us. There were many commentaries written on the Chārvākasūtra. Four known commentators of the Chārvākasūtra were Kambalāśvatara, Purandara, Aviddhakarṇa, and Udbhaṭa. Unfortunately, most of the commentaries have been lost and only some fragments are available. The most important source of information for Chārvāka philosophy is the text Sarvadarśanasaṃgraha written by illustrious scholars Mādhava and Sāyaṇa in fourteenth century.
First chapter of Sarvadarśanasaṃgraha summarizes the Chārvāka philosophy as understood by Mādhava and Sāyaṇa, who were not the followers of this philosophy themselves. Mādhava, also called Mādhavārya, Mādhavāchārya or Mādhavāmātya, was a minister in the court of Sri Bukka Rāja of Vijayanagara Empire. Mādhava composed many texts, some of them with the assistance of his brother Sāyaṇa, such as the commentaries on the Ṛgveda, Aitareya Brāhmaṇa and Taittirīya Samhitā. Mādhava calls himself Abhinava Kālidāsa or the new Kālidāsa in his work Śankara Vijaya on the glory of the great philosopher Ādi Śankarāchārya. Mādhava’s other books written without the assistance of Sāyaṇa include Kāla Mādhava (a treatise on the Hindu calendar), Āchāra Mādhava (a treatise on the practice of the Brāhmaṇas) and Vyavahāra Mādhava (a treatise on the Law). Sarvadarśanasaṃgraha, which means compilation of all philosophies, attributes the authorship of the text to Sāyaṇa-Mādhava, which means that the text was written by both Sāyaṇa and Mādhava.
Some other texts also contain information about Chārvāka philosophy. Dakṣiṇāranjan Śāstrī compiled the Chārvāka fragments in the book Chārvāka Ṣaṣṭi, which as the title suggests contains sixty verses [4]. These sixty verses are taken from the following texts: verses 1-47 from Naiṣadhīya-charitam by Śrıharṣa, verses 48-55 and 57-59 from Sarvadarśanasaṃgraha by Sāyaṇa-Mādhava, verse 56 from Vidvanmodataraṅgiṇī by Chirañjīva Bhaṭṭachārya, and verse 60 from Śaḍdarśanasamuchchaya by Haribhadra. Since the information about Chārvāka philosophy comes from sources which were generally not sympathetic to the Chārvākas, researchers are not unanimous regarding what constituted the original Chārvāka philosophy and what has been added to malign the Chārvākas. A critical study of this matter has resulted in two other compilations of Chārvāka philosophy by researchers Namai [5] and Bhattacharya [6].
Tu AI toh nhi hai.
@@Info-dz3hv अहम् हि राष्ट्र भारतः स्वयंमेव प्लवङ्गम् 💪
Copy paste maaro kahi se bhi 😂😂
@@Shubham_SINGH_7 acintyā khalu ye bhāvā na taṁś tarkeṇa yo jayet
"Do not apply your poor logic in the matters which is inconceivable by you."
@@descendantofbharatbharatva7155 Prasādē sarvadukhānāṁ hānirasyōpajāyatē
Prasannacētasō hyaśu bud’dhiḥ paryavtiṣṭtē. (Bhagavad Gita 2.65)
Arthat: When one is joyous from within, sorrow reduces drastically, almost disappearing. And such a contented and blissful yogin is able to take his mind off everything firmly establishing himself in the supreme soul.
Gyan2: मनः प्रसाद सौम्यत्वं…
If your practices, your God, and your path is missing humor, you should take a hard look at what it is that you have signed up for.
विश्लेषण तो ठीक है। परन्तु एक वाचक की भूमिका में आप अपने स्तर से किसी को 'निंदा के पात्र' नहीं कह सकते। और आपने ऐसा कहा कि अगर मुर्ख, धुर्त और ब्राह्मण की बात कही है तो निंदा के पात्र हैं।
बहस लंबी हो सकती है परन्तु वेदों को सत्य मान लेना ही सच हो, जरूरी नहीं।
Dusro ki ninda karne wala Savye kabhi parshansha ka Patr nhi hota..
आइए समझते है वर्तमान समय में हमने धर्म को क्या समझ रखा है :-
1. ध्वनि प्रदूषण का केंद्र
2. भंडारे की व्यवस्था
3. अलग अलग रंगों के परिधान
4. विभिन्न नारों का शोर
5. रैलियों का जोर
6. दूसरे समुदायों से लड़ने का कोर
7. अपनी अनंत इच्छाओं की पूर्ति का मार्ग
8. अपनी मनोरंजन का साधन
9. अपने पापों का इलाज़
10. अपने अहंकार की ढाल
अगर इन सब बातों आधार माना जाए तो महर्षि चार्वाक बिल्कुल सही हैं। धर्म को हमने भीड़ की सामूहिक ईस्तेमाल की वस्तु बन दी है। जबकि धर्म व्यक्तिगत मामला है जिसके लिए किसी माध्यम या कर्मकांड की आवश्यकता नहीं। इसलिए पहले धर्म को समझिए फिर आप अपने लिए स्वयं उसका अनुसंधान कीजिए। जो हम सब सामाजिक तौर पर करते हैं वह धर्म नहीं केवल रीति रिवाज और परम्परा है जिसको हमने धर्म का नाम दे रखा है। जिस दिन वास्तविक धर्म का पता चलता है उस दिन व्यक्ति सब को चलता कर देता है...🙏🙏🙏😊
Aur dharm ka gyaan gurukul se aata hai,..
@@megatron6382
नही
धर्म का ज्ञान आत्मचिंतन से आता है
@@sarveshbhardwaj1599 , bilkul shi..aatmchintan se aata hai lekin aatmchintan karna mujhe nhi aata isliye mujhe guru ki jarurat padega..
@@megatron6382
Ha ye baat sahi hai
बहुत बहुत निरीक्षण एवं अभ्यासपुर्ण जानकारी दी गई है
आपको धन्यवाद
it's good to know that, people in those generations fighting about these kind of deep philosophies and not believing anything blindly but they believed it because they are also able to prove their points and it is the eternal truth.
Atma prove ho gayi h chacha quantum physics pad lena
@@shubhamjaiswal9495toh mene kab kaha ki, atma prove nahi huyi hai, beta. mene sirf uss generation ke logo ki mentality ki baat ki hai. beta,agar bade logo ki baato mai baccho ko samaj na aaye toh, baccho ko bich nahi bolna chahiye. jaao padhai likhai pe dhyan do
@@shubhamjaiswal9495shorts me kon atama prove kr rha hai?
आप की ,माता पिता के संस्कार बहुत अच्छा है, जो आप के साथ है और आप के बात करणेका तरीका बहुत आछा और सरल है, हम लोग सच्चे बातोसे अनजान है,पर आप कि बात सुनकर आछा भी लगता है और समझभी आती है सब कुछ, भगवान करे आप खुश रहो हमेशा और ऐसे ही विडिओ बनाये, हम आपकी हर विडिओ सुनना चाहते हैं
बिलकुल सही,,बुद्ध,धर्म नही, धम्म है,( सचका रास्ता,सच्चा मार्ग,)
Dharma ka bhi wahi matlab hai. Sanskrit me dharm aur prakrit me dhamma kehte hai
Kya h sahi rasta? Ssb khud ko sahi hi kahte h
Carvaka philosophy par aur ek famous book hai... "lokayata darshan" by Debiprasad Chatterjee. This book was first published in 1956.
धर्म का कोई बुनियादी ढाँचा नही है शिक्षा का है हमे शिक्षा की तरफ़ जाना चाहिए
शिक्षा का उद्देश्य भी पता है क्या
मैकाले की शिक्षा? विज्ञान पढ़ना अलग है और एक अच्छे नौकर बनाने की पढ़ाई अलग
dharm ki buniyaad hai, aur wo hai philosophy. dharm meta physics ka answer deta hai.
dharm ek pakhand hai jo shayad isliye chalu kiya gaya kyunki logon ke pass vaigyanik samajh nahin thi ,,, rudhivadi soch , dharmandtha yeh sab dharm se upajte hain kyunki log dharm ki zanjir ko hat anahin paate ,, ek baar dhrma ki bedi hata ke dekho ,, insaan , samaj desh aur yeh puri duniya shayad acchi samjhdaar aur suljhi nazar aayegi
what is DHARMA ?
धर्म तर्क है धर्म में जादू चमत्कार टुना टोटका का कोई स्थान नहीं सनातन धर्म तार्किक है
Sanatan dharma is very vast there are multy fold division in it. It has every aspect of life in some amount
@@IndicRenai-2047 yup but magic jadu tona etc not part of vedas vedas are our dharm granth👍❤️🕉️
@@harsh312harshh अथर्वेद में कुछ जगह पर है। But और किसी ग्रंथ में nhi है। But इंडियन सोसाइटी में है। खासतौर पर ग्रामीण समाज में।
@@harsh312harshh और हा सनातन धर्म इस pinacle of logic. हमारे ऋषि मुनि कितने उच्च स्तर का सोचते थे। गर्व होता है unper। एंड 1300 saal पहले लिखी किताब babut ही बोनी महसूस होती है उनके ज्ञान के सामने तर्क और दर्शन मामले में।
@@IndicRenai-2047 nahi bhai kisi b ved me nahi he ulekh naa hi athrvved me he ved mantr dikha dijiye ,ji hn rishi muni vigyanik the
भगवद्गीता मे इन सबका उत्तर भगवान ने दिया हुआ है 🕉️ और वही सत्य है सब लोग अवश्य पढणा 🕉️🙏🏼🚩
Kya utaar Diya hai humbi toh jane😂 God doesn't exit u fool
English likhane nahi aati hai bolane nahin aati hai phir Bhi yah jatate Ho ki Ham Bade Gyani chutiya Tumhare Baap Ne Dekha hai God doesn't exist apni spelling dekh,,, padha likha Kuchh Nahi Khali aa gaye Munh uthake hansne you are ridiculous
@@kimjongmathematics जिस कहानी में सूर्य रथ से घूम रहा है वह कहानी सत्य नही है ,ब्रम्हा लोक, यमलोक, इंद्र लोक आदि कहाँ है ,साइंस ने अपनी खोज का प्रमाण दिया है और ये आज तक नही बता पाए ,बिना सबूत के कल्पना करना भ्रम है
@@MukeshKumar-it2obka re chamaar
@@MukeshKumar-it2obchal joota poch bahinchod
*मेरी नजर में "Charvaka "अपनी जगह सही थे।❤*
Apni jagah nahi sahi hi the
@@Shree_Krishana_Hari point is agar bhi Buddha dharma sabse purana dharma ho to bhi Jo dharma in purano se hume milta hai use hum sanatan dharma kehte hai. Koi nahi kehta ki ye history hai, but these are stories to learn from. Me charwak hu aur me bhi hindu hu ap Buddhist hai ap bhi hindu hi hai
@@Shree_Krishana_Hari Firstly you cannot prove sanatan or vedic dharma absolutely didn't exist at the time or before Buddha. Yes it wasn't in the form it was today but yes it did. Also sanatan as a darshan ( advait and dvait etc) vednat darshna basically is quite unique and is well grounded. Allows worship of multiple bhagwan and multiple ways to enlightenment. That is the beauty you should respect rather than looking at what came first. Nobody is saying Buddha's way is wrong, but it's a one of the darshan from many thay came from.tjis land
@@Shree_Krishana_Hari are honge jatak kathao ke statues aur agar tabke today gae hai to galat hai. Pr mujhe ek bat batao Jo status nyaneshwar datta etc ke bahut badme banae gae hai unka kya. Also kya buddhism me idol worship hai?
@@Shree_Krishana_Hari 🥲😂 are bhai dharma change hote rehte hai better hote rehta hai. Ideas li hongi buddhism se pr iska matlab buddhism is better than sanatan to nahi. It's like jews and Christians. Similar ideas hai but dono ek sath pyar se reh Rahe Hai na. Konsa jew Jake church ko Jewish mandir me recovery karneko keh raha hai? Aur agar aisa koi specific Buddhist stupa hai Jo ki ab mandir me convert kar diya gaya hai, ap case file karo me apke sath ladunga
चार्वाक दर्शन पर पहली बार संक्षिप्त जानकारी मिलने पर हृदय गदगद हो गया। आपका बहुत बहुत आभार।
धर्म को विज्ञान का दृष्टिकोण देना अच्छी बात है लेकिन धर्म और सत्ता का इतिहास हमेशा खून से लिखा गया है। इस सच को कभी नहीं भूलना चाहिए, चाहे वो अपना देश भारत ही क्यों न हो। 🔥🔥🔥🔥
Islam aur isai ke alava kisi ne bhi majahab ke liye mar kat nahi ki hai? Yadi ki hai to batao kisne ki?
Aur pahale dharm ka paribhasha hi Jan lo. Tv debate ya maikale ki shiksha byavasta ke nikalkar Tum grantho ke jankar nahi ho jate ki grantho ke shabd ko granto se jyada Jan jaoge. Tum kisi panth majahab ya samuday ke nam ko dharm samjhte ho lekin panth majahab ya kisi samuday ke nam ko dharm nahi kahate balki dharm tab se hai koi panth majahab tha hi nahi. jo dharan karne yogy hai, jo Satya hai, tap, Daya, dan, aur swabhavik kartaby, jisse kisi ka koi Hani na ho wo karm, shudh acharan, shuddh byauhar itaydi dharm kahlata hai aur iske alava jo asatya, ya na karne yogy karm, jisse kisi ki Hani hoti ho, ghrina, hinsa, lobh, moh, mad ityadi adharm kahalata hai
हिंदू धर्म की स्थापना कैसे हुई पहले ये जान लो!! चलो कुछ hint दे देता हूँ, हिंदू धर्म की स्थापना मौर्य सम्राज्य के आखिरी राजा वृहद्रथ की हत्या के बाद शुरू होती है। और इस घटना का सबूत खुद 800 साल पुराने ऋग्वेद में लिखा हुआ मिल जायेगा। Dhanyawad। और मैं खुद एक हिंदू हूं। सच से भागना नहीं चाहिए। मैं किसी का अपमान नहीं कर रहा।
@@pinkcitypictures7224 😂😂 yar tu bhim meem wala chutiya hai tumlog ka logic hi alag hai islie aaj tak unnati ni kar pae Maine upar dham ka arth btaya lekin fir bhi apna sada hua gya chep diya 😂😂 chal tereko budha ke janam se pahale ki bhagvan Vishnu ki murti dikhau kya? 😂😂😂😂
Salo jhat brabar bhi common sense nahi hota tum me isliye sale arakshan pa kar koi unnati nahi kar pae 😂😂
@@pinkcitypictures7224 कोई प्रूफ
@@pinkcitypictures7224chacha ved 800 sal purane nahin h tu kis hisab se keh sakta h jo aj book likh rahen h sabhi apne hisab se likhte h chacha jahan science khatam hoti h vahan adhyaatm suru hota h karam karo karm hi srestha h
Shukriya for dissolving this misconceptions. I am not a Hindu but a beginner learner in Hindu philosophy. Your video helped me to understand properly. Thanks from Bangladesh 🇧🇩
Bas ek simple question aapse kya islam me manushya jeevan ko itni gahrai se samjhne wali philosophy najar ayi he ajtak aapko
@@yashwant675 No. But in sufism some theories are good about spiritual understanding. Sufism is related to Islam, although it is also related to several other religions.
Bro yaha me atheist hota ja rha hu aur app Hinduism ko study kr rhe he.
Aethist to nyi nyi cheej hein ....usse jaada research to charvaka pe hogi @@afrozairin8438
@@yashwant675चेतना का स्तर नीचे रहने का कारण नफरत होता है। जैसे आप का है। आप को इस्लाम से नफरत है इसमें उलझ गए।
कबीरा कुआ एक है
पानी भरें अनेक
बर्तन में ही भेद है
पानी सब में एक।
यार क्यूं धरती पर अकड़ कर नफरत फेला रहे हो?
ज्ञान को शांति के लिए बांटों।❤❤
चार्वाक दर्शन को फिर से जीवित करना होगा, लोगों तक पहुंचाना होगा।
आम जनता विभिन्न धर्मों की घुटन से बाहर आना चाहती है।
हम सभी में कहीं ना कहीं चार्वाक जीवित हैं
Fir toh arajkta Ka Raj fail Jayega !!
चार्वाकवाद से ऊँचा भी कुछ होता है।
जय श्री राम
मैं आपके विचार के लिए कुछ और दे रहा हूं और आपके सहयोग की अपेक्षा करता हूं।
धर्म की समझ के मामले में भारत सबसे बेवकूफ देश है।
भारत हिंदू धर्म को लेकर विरोधाभासी स्वीकृति के साथ जी रहा है।यह विरोधाभास किसी भी चीज़ की सही या गलत प्रकृति को समझने की अनुमति नहीं देता है। विरोधाभास की स्वीकृति धोखेबाज़ और झूठे लोगों को भी खुद को सही साबित करने की अनुमति देती है। यह बहुत ही निम्न श्रेणी की व्यवस्था है। यह बिलकुल गलत है।
2015 से मैं जाति और धर्म व्यवस्था से जुड़े सभी पुराने विवादों को सुलझाने की स्थिति में हूं। लेकिन सरकार इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा के मेरे प्रोजेक्ट में मेरी मदद नहीं कर रही है।सरकार ने मेरी 1400 प्रार्थनाओं को नजरअंदाज कर दिया है।
एक और बात, कभी मत सोचिए कि धर्म का कोई महत्व नहीं है। धर्म ही वह चीज है जो हमें जानवरों से अलग करती है। जानवरों के पास सीमित चीजें होती हैं, जैसे खाना, सेक्स और आश्रय या घर। धर्म के कारण ही इंसान जानवरों से अलग है। धर्म ही वह चीज है जो इंसान को बहुत सी चीजों से आनंद लेने की सुविधा देती है। धर्म सभ्यता की शुरुआत के अलावा और कुछ नहीं है।
हमें जाति और धर्म से जुड़े सभी विवादों को सुलझाना होगा। जाति/धर्म के विवादों के कारण इतिहास एक हास्य बन गया है।
धर्म सभ्यता का सबसे बुनियादी विषय है। यह सभ्यता की अवधारणा का आधार है। चार्वाक दर्शन मेरे विचारों के विरुद्ध नहीं है। यह केवल उचित समझ का विषय है।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
The main beliefs of Chārvākas are listed below:
1. Indian texts describe a number of pramāṇas or means of knowledge. The most important pramāṇas were: pratyakṣa (direct perception), anumāna (inference), upamāna (analogy), arthāpatti (derivation), anupalabdhi (non-existence), and śabda (revealed scriptures). Various schools of philosophy accepted some of them as valid means of knowledge. Buddhism and Vaiśeṣika considered only pratyakṣa and anumāna to be valid means of knowledge, while Jainism, Sāṃkhya, Yoga, Dvaita Vedānta and Viśiṣṭādvaita Vedānta held pratyakṣa, anumāna, and śabda to be valid. Mimāṃsā and Advaita Vedānta considered all six pramāṇas to be valid means of knowledge. Chārvāka philosophy was the most restrictive in terms of what constituted the valid means of knowledge. The Chārvāka position is summarized by “pratyakṣaika pramāṇa” meaning pratyakṣa or direct perception is the only means of knowledge.
2. Indian texts considered everything in the universe to be made of five elements: earth (pṛthvī), water (āpaḥ), air (vāyu), fire (agni), and space (ākāśa). Chārvākas did not consider space to be an element. Bhāskarāchārya has summarized their position as “pṛthivyāpastejovāyuriti tattvāni” meaning earth, water, fire and air are the elements. Chārvākas considered the consciousness to arise from the combination of these four elements.
“atra chatvāri bhūtāni bhūmivāryanalānilāḥ|
chaturbhyaḥ khalu bhūtebhyaśchaitanyamupajāyate||”
Meaning: “There are four elements in this school of thought namely earth, water, fire and air. The consciousness arises from these four elements.”
Madhusūdana Sarasvatī has given the Chárváka viewpoint as “śarīrendriyasaṅghāta eva chetanaḥ kṣetrajñaḥ” meaning consciousness is the result of the union of the body and the senses. Thus, the Chārvākas did not believe in the concept of Atma that is separate from the body.
3. Traditional Hindus believed in the pursuit of four puruṣārthas or goals of life, kāma (pleasure), artha (wealth), dharma (righteousness) and mokṣa (liberation). The Chārvākas considered the pursuit of pleasure as the only goal of life. Their position is summarized by Madhusūdana Sarasvatī as “kāma evaikaḥ puruṣārthaḥ” meaning pleasure is the only goal of life. The guiding principle of life for the Chārvākas is described by the following famous verse:
“Yāvaj jīvet sukhaṃ jīvedṛṇaṃkṛtvā ghṛtaṃ pibet |
bhasmībhūtasya dehasya punarāgamanaṃ kutaḥ ||”
Meaning: “As long as you live, live happily. Drink ghee (clarified butter) by taking loan. Once the body is turned into ashes, where is the question of coming again?”
4. The Chārvākas didn’t believe in the theory of Karma. They didn’t believe that people have to bear the fruits of their puṇya (meritorious acts) and pāpa (sins). Jain mendicant Haribhadrasūri has presented the Lokāyata viewpoint as “dharmādharmau na vidyate na phalam puṇyapāpayoḥ” meaning there is no existence of dharma (moral behaviour), adharma (immoral behaviour) and the fruits of puṇya (meritorious acts) and pāpa (sins). The Chārvākas believed in enjoying life in the present than to make sacrifices now to have a better life in future. Vātsyāyana has illustrated the Chārvāka viewpoint as follows:
“ko hya abāliśo hastagataṃ paragataṃ kuryāt|
varamadyakapotaḥ śvo mayūrāt||”
Meaning: “Only a fool will give what is in one’s hand into the hands of other. A pigeon in possession today is better that a peacock tomorrow.”
5. The Chārvākas didn’t believe in afterlife and concepts of heaven and hell. Their belief was “dehochchhedo mokṣaḥ” meaning the end of physical body was liberation. They held that “dukhameva narakaḥ” meaning (a life filled with) sorrow was hell. They proclaimed that “na svargo nāpavargo vā naivātmā pāralaukikaḥ” meaning there is no heaven, no liberation, no soul and no afterlife.
Thus, we find that the Chārvākas were materialists in their beliefs. They didn’t believe in anything that could not be verified by direct perception by the senses. They believed that rituals were invented by Brāhmanas as a means of livelihood.
The Chārvākas remained a vibrant group in India for most of its history. Abul Fazl included Chārvāka as one of the nine schools of Hinduism. He has summarized his understanding of Chārvāka philosophy in the third volume of the Akbarnāma, known as the Āīn-i Akbarī (Constitution of Akbar) in the following words:
“Chárváka, after whom this school is named, was an unenlightened Brahman. Its followers are called by the Bráhmans, Nástikas or Nihilists. They recognize no existence apart from the four elements, nor any source of perception save through the five organs of sense. They do not believe in a God nor in immaterial substances, and affirm faculty of thought to result from the equilibrium of the aggregate elements. Paradise, they regard as a state in which man lives as he chooses, free from the control of another, and hell the state in which he lives subject to another’s rule. The whole end of man, they say, is comprised in four things: the amassing of wealth, women, fame and good deeds. They admit only of such sciences as tend to the promotion of external order, that is, a knowledge of just administration and benevolent government. They are somewhat analogous to the sophists in their views and have written many works in reproach of others, which rather serve as lasting memorials of their own ignorance.”
It is interesting to note that despite their unorthodox views, there is no evidence of the persecution of the Chārvākas in ancient India. India was a land of intellectual freedom, where people could live fulfilling lives without fear of persecution due to their beliefs. The most important part of the Chārvāka belief system was to have a good life full of enjoyment as the Chārvākas didn’t believe in afterlife. To make sacrifices in this life for a better afterlife is a revolutionary idea that has been used to regulate human behaviour all over the world, but in its latest transformation this idea now threatens the very existence of humanity.
Thank you❤
ये बढ़िया जानकारी दी आपने गुरू ❤😊
चार्वाक दर्शन को तो आज के विज्ञान ने ही दर्शन करा दिया प्रत्यक्ष प्रमाण इस संसार के अलावा दूसरा एलियंस का संसार भी है🤣🤣🤣🤣🤣
Aur uske alawa chetna mastisk utpan nahin karta yeh bhi proof ho chuka hai.
Charvak jis samay me paida huye the US samay ye soch bhi bohot bdi chij h
Lol😂 quantum physics destroy charwak 😂
@@ujjwalyadav3783 Bhai aap jagah sahi bhi hai aur thode se galat bhi.
@@thor797 Yes not only Charvak Abrahamic faiths too😂😂😂😂😂😂
जय श्री राम 🙏🚩
सुंदर विश्लेषण 😊
जय श्री राम 🙏😊
चर्वाक एक महान दार्शनिक था तथा सत्य एवं वैज्ञानिक सोंच थी उनमें
Best video ever so far on Charvak darshan.
Respect bro❤
🙏♥️
जो ईश्वर को मानते हैं वो "हिन्दू" और जो नहीं मानते हैं वो भी "हिन्दू" हैं. इससे अच्छा साहचर्य का भाव कहा मिलेगा. यहां तो तुरन्त "काफिर" घोषित कर देते हैं. 👍🏼👍🏼
जो संविधान को माने वह भी भारतीय ओर जो न माने वह भी भारतीय,क्या ऐसा संभव है ??
🤣🤣🤣
Hindu is not a religion identity it's a identity of every Indian but if you follow other religion then you are not hindu
Hindu koi dharm ka naam nahi h bhai.
Hindustan me rahne wale sabhi hindu h
धर्म को पाखंड बनाया जाए तो पाखंड और बनाने वाले पाखंडी है
वरना धर्म तो जीवन को व्यवस्थित तरीके से जीने का मार्ग है
Charvak darshan western philosophy jaisa hai. Thanks so much for spreading our sanatan knowledge 🙏
Charvak darshan bhi iss savyata ka hissa hai..agar usme kuchh tark hai to wlcm..sab high morale restricted life nhi jete..lekin apni physical life entertainment,vog aware ho kar agar aap kare aur usi ko sabkuchh na man le to is me koi prblm nhi..main aastik but not ritual follower type ka hoon..koi monk ya bohot restricted life nhi jeeta..bas apni budhhi se pata hai mujhe ki Kahan Jana hai,Kahan nhi,,kaunsi chez kaise karni hai aur rukna hai..chahe woh kisi ko personally pasand ho ya na ho
Ulta bol diya western philosophy charwak darshan jaisa hai.
Ha ye sach hai prachin grees ki taraha
@@vegaz4966 haa sahi baat hai
😂 best philosophy hain attma kuch nhi hota hai
आपके प्रयासो को सैल्यूट करता हू। भैया हमको इन तरह-तरह के धर्मो के जंजाल से मुक्ति दिलवा दिजिये ताकि हमारी मेहनत की कमाई और समय को बर्बाद होने से बचाया जा सके। ये धर्म के ठेकेदार हमको आपस मे लडाते है, इस पृथ्वी पर हमारा जीना हराम कर दिया है। इन सभी धर्मो का नाश होने पर ही पृथ्वी पर मनुष्य चैन से रह सकता है।
Tere comment ko dekhkar pta chalta hai ki jaato ke paas buddhi Kyo nhi hoti..agar tu dharm ko nhi maanta toh tu ne apni mehnat se Kya ukhad lia apni life me ? Jo dharm ko maante hain wo arab pati, world famous ban rhe hain aur tere jese nastik gareeb or Berojgar hain
@@ankits4640 tumhare hisab se koi Aamir or famous bolega toh wo bdi baat or whi baat normal insaan bolega toh uske koi mayne nhi.... Success mtlb bs pesa or famous hona hi nhi h koi normal life jite hue shanti muhsus kr rha h toh wo b success h us insaan ke liye...
फिर नया धर्म नए नाम से जन्म लेगा। धर्म समझना भोगवाद से ऊपर की बात है। जब भोग को छोड़ोगे तो धर्म समझ आने लगेगा।
Dar Mann ka ek roop hai. Hume Jo bhi nahi dikhta (dikhta yani experience nahi hota apne 5 indriyo se)usse Hume Darr lagta hai jaise future, bhoot, pret, bhagwaan, aatma. Hume andhere se bhi issiliye dar lagta hai. Dharm Hume ek marg dikhata hai, humme ek samajh nirman karta hai, ek confidence deta hai ki aap jo kar rahe hai vo thik kar rahe hai tabhi aadmi aage badh sakta hai. Jaise kisi bhi cheez ko aage badhne k liye thrust ki jaroorat hote hai waise hi dharm Hume aage badhne mai madat karta hai. Per samay k saath parivartan aata hai aur log ismai bhi parivartan karte hai aur uska dushparinam samajh per padta hai. Dharm ka arth kartavya hota hai. Aapko dharma ka nirvahan karna hota hai jisse aapka aur samaj ka kalyan hota hai.
बेवकूफ आदमी हो तुम धर्म को समझो धर्म एक मानसिक ओर सामाजिक समझ को एकाकार करता है तुम्हें अगर समाज में नहीं रहना क्या जंगल में अकेला रहोगे कुछ पागल कह देते हैं हम अपने परिवार को लेकर जंगल में चले जायेंगे परिवार समाज कुछ इकाई है उसे भी छोड़ो नहीं छोड़ सकते जीवन जीने के लिए आधार की जरूरत की जरूरत होती है सामाजिक इकाई का आधार धर्म है अच्छे संस्कारो की नींव समाज ओर धर्म मिलकर रखते हैं
100% Sahi The hai our Rahega. Dharm chahe koi ho sub Business ke alawa our kuch nahi. ❤
Salute to your hard work Vishal.
Loved it ❤❤
Thankyou so much Rudra ji for taking time out to appreciate. Means a lot to us 🙏😊
जय हो सत्य सनातन धर्म ।
सनातन धर्म की जय
तभी होगा
जब जाति आधारित vyashatha समाप्त हो
जाएगी
@@sarveshbhardwaj1599एक घर मे 4 लोग होंगे तो 44 का नाम एक ही होगा।
या अलग अलग।
जाती बस नाम है और कुछ नही।
घर🏠 सनातन है।
🚩🚩🚩
Shoodr ka shoshan koun karta h
@@tyagragangwar5874 jatiwadi neta aur kon ?
@@TheSmartEnglish
Sanatan dharm karta h shoshan...
Ishwar karta h shoshan..
Shoodr jaati bhi saale ishwar ne banaayi
धर्म मतलब सत्य, सत्य कभी पाखंड नही होता। बस समझने समझने का फर्क है।
Kaunsa dharm hai jaime pakhand nahi hai ?
Dharm mtlb pakand mtlb chutiya mtlb astik mtlb tum
@@MotiramBhilawekar-j5gdharm mtlab satyata ..adharm matlab asatyata ..aaj ke nam ke hindu Islam Sikh isai baudh etc ...ye dharm nahi alag alag bhagwan ko alag tarike se pujane ki pratha hai..jai panch maha bhutam 🙏🏻
जय श्री राम
मैं आपके विचार के लिए कुछ और दे रहा हूं और आपके सहयोग की अपेक्षा करता हूं।
धर्म की समझ के मामले में भारत सबसे बेवकूफ देश है।
भारत हिंदू धर्म को लेकर विरोधाभासी स्वीकृति के साथ जी रहा है।यह विरोधाभास किसी भी चीज़ की सही या गलत प्रकृति को समझने की अनुमति नहीं देता है। विरोधाभास की स्वीकृति धोखेबाज़ और झूठे लोगों को भी खुद को सही साबित करने की अनुमति देती है। यह बहुत ही निम्न श्रेणी की व्यवस्था है। यह बिलकुल गलत है।
2015 से मैं जाति और धर्म व्यवस्था से जुड़े सभी पुराने विवादों को सुलझाने की स्थिति में हूं। लेकिन सरकार इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा के मेरे प्रोजेक्ट में मेरी मदद नहीं कर रही है।सरकार ने मेरी 1400 प्रार्थनाओं को नजरअंदाज कर दिया है।
एक और बात, कभी मत सोचिए कि धर्म का कोई महत्व नहीं है। धर्म ही वह चीज है जो हमें जानवरों से अलग करती है। जानवरों के पास सीमित चीजें होती हैं, जैसे खाना, सेक्स और आश्रय या घर। धर्म के कारण ही इंसान जानवरों से अलग है। धर्म ही वह चीज है जो इंसान को बहुत सी चीजों से आनंद लेने की सुविधा देती है। धर्म सभ्यता की शुरुआत के अलावा और कुछ नहीं है।
हमें जाति और धर्म से जुड़े सभी विवादों को सुलझाना होगा। जाति/धर्म के विवादों के कारण इतिहास एक हास्य बन गया है।
धर्म सभ्यता का सबसे बुनियादी विषय है। यह सभ्यता की अवधारणा का आधार है। चार्वाक दर्शन मेरे विचारों के विरुद्ध नहीं है। यह केवल उचित समझ का विषय है।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
थर्म पाखंड नहीं है। सम्प्रदाय पाखंड है। धर्म क्या है? किसी भी प्राणी को मन, वचन और कर्म से चोट नहीं पहुंचाना है।
Pakhand ka matlab bhi pata hai nahin pata toh google search karle.
@@tishantchhabra6856dharm kya hai pahle tum yah bta do ...Or dharm ke 4 stambh kya hai?
धर्म के 4 पैर है।
सत्य
तपस्या
शुध्दता
दया
इसलिए कहते हैं सत्य ही धर्म है।
दया ही धर्म है।
@@tishantchhabra6856kisi 1 granth ko to uthakar pado.....
Tab to tumhe pta chlega dharma kya hai ?
Shashtra kya hote hain?
कम्युनिज्म क्या है हिंसा व्यभिचार और असहयोग करके अपनी जायज नाजायज़ बातों (जिसमे ज्यादातर नाजायज ही होती है )को मनवाने की कला इस तरह चार्वाक दर्शन है।
आत्मा अमर है kyunki मुझे उसकी sakshat दर्शन हुए उस पुण्य आत्मा ने जो बोला वो सत्य प्रतिशत सत्य हुआ और मैं उस सत्य से बिल्कुल अंजान था ये मेरे पिता कि मृत्यु के लगभग आठ घंटे बाद मेरे पिता ने खुद बताया 😢
आप से बहुत कुछ सीखने को मिलता है❤
Charvak Darshan was completely a pure scientific approach
Have you heard about gravitational & magnetic field?? If soul is imaginary, how's these things r real ?? Do you know quantum physics? I doubt bcoz if u knew u wouldn't leave this comment.
@@NativeBharatiye kon smjhate inko.... Uss tym tk science itni develop nhi thi... I didn't say that they give scientific theories or phenomenon... But their way to look at things was similar to modren day scientific approach... Tu kahin or hi le ja rha h bat ko...
@@NativeBharatiye u can't judge anyone by one written line... So think once b4 commenting....
To charvak darshan ke anuyayi rishiyon ke tark ko khandit karne me asamarth kyon malum hote hain
@@kabir951 ye kisne kaha k science k pas hr swal ka jwab h... Science keval bahri jgt ki bat krta h... Mn ahnkar chetna mukti ki nhi
हाँ धर्म के पाखंड है
मेरी नजर में चार्वाक दर्शन सबसे अच्छा और मानवीय है ना कोई पाखंड ना कोई अंधविश्वास
आप पूरी तरह ग़लत हैं। चार्वाक दर्शन के बारे में आपकी समझ ग़लत है। लेकिन मैं आपको गलत नहीं कहूंगा क्योंकि आप भारत में रहते हैं। धर्म की समझ के मामले में भारत सबसे बेवकूफ देश है।
भारत हिंदू धर्म को लेकर विरोधाभासी स्वीकृति के साथ जी रहा है।यह विरोधाभास किसी भी चीज़ की सही या गलत प्रकृति को समझने की अनुमति नहीं देता है। विरोधाभास की स्वीकृति धोखेबाज़ और झूठे लोगों को भी खुद को सही साबित करने की अनुमति देती है। यह बहुत ही निम्न श्रेणी की व्यवस्था है। यह बिलकुल गलत है।
2015 से मैं जाति और धर्म व्यवस्था से जुड़े सभी पुराने विवादों को सुलझाने की स्थिति में हूं। लेकिन सरकार इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा के मेरे प्रोजेक्ट में मेरी मदद नहीं कर रही है।सरकार ने मेरी 1400 प्रार्थनाओं को नजरअंदाज कर दिया है।
एक और बात, कभी मत सोचिए कि धर्म का कोई महत्व नहीं है। धर्म ही वह चीज है जो हमें जानवरों से अलग करती है। जानवरों के पास सीमित चीजें होती हैं, जैसे खाना, सेक्स और आश्रय या घर। धर्म के कारण ही इंसान जानवरों से अलग है। धर्म ही वह चीज है जो इंसान को बहुत सी चीजों से आनंद लेने की सुविधा देती है। धर्म सभ्यता की शुरुआत के अलावा और कुछ नहीं है।
हमें जाति और धर्म से जुड़े सभी विवादों को सुलझाना होगा। जाति/धर्म के विवादों के कारण इतिहास एक हास्य बन गया है।
धर्म सभ्यता का सबसे बुनियादी विषय है। यह सभ्यता की अवधारणा का आधार है। चार्वाक दर्शन मेरे विचारों के विरुद्ध नहीं है। यह केवल उचित समझ का विषय है।
अवधूत जोशी
सत्य सनातन की जय हो।।❤
Charvak Darshan walon ki aatma ko bhagavan shanti pradan kare🙏🙏🙏
Wo toh atama ko mantey he nhi hai😂
Jab wo atma me vishwas hi nhi karte toh shanti kaha se milegi?😂😂😂
Ek isi darshan ko manne wale vyakti ka kehna thha ki wo khud ko andhe kuwe me girta hua feel karega marte samay. Maine kaha ki apne patan ko pehle hi dekh liya?
Mujhe near death experience jab hua thha tab aas paas ke logo ki aawaz sunai de rahi thhi lekin tez ujala dikha aur mai ujale ki oar jaa raha thha. Lekin phir wapis aa gaya.
@@Dave_enkyu ...ujaala pasand nhi aaya...?
Kaise aayega...jb bheetar hi andhkaar ho toh ujaale se lagaaw kaise hi ban payega.
@@tremendousthrilling5331 wapis issliye aaya kyunki maut ka time nhi aaya thha. Tu toh andhkaar me hi jayega.🤣🤣🤣
Log andhkaar se prakash ki oar jate hain
@@tremendousthrilling5331 body ke andar andhkaar hi hota hai, check kar le.🤣🤣🤣
Sach to yeh hai ki hum log charwaak ki alochana to karte hai lekin wahi zindagi jina bhi chahte hai. Sabhi log aaj kal materialism aur sukhad jivan ki hi kaamna rakhte hai. Mool roop se sanatan jo hume sikhtaa hai, karm aur saada jivan, bhagwan mai lin rahna. Aisa karta hua kaun hi dikhta hai. Lekin iske bawjood lof charwaak ki bejtti karne aa jaate hai, sirf isliye kuoki vo bhagwan aur aatma mai nahi maante the. Sach to yahi ki hum charwaak ki philospy ko follow karte hai lekin aatma aur bhagwan pe vishwas rakhte hai.
To be honest those who don't believe in god are more depressed and stressed from their life compared to those who strongly believe in god
Strongly disagree!! Those who believe in the existence of God tend to live in the world of imagination! Their belief gets destroyed when they realize that 'the God' is unable to help them in their difficult times!! Clearly, people who believe in God are more dillusioned.
@@jayeshmahajan9391mujhe to depression me ram ya Krishna ke Bhajan he thik krte hai . Wese me Hindu atheist hu
Yet the countries with no faith are the happiest and the countries with religious extremities are miserable . Ironic , isn't it ??
@@subh0x na America nhi mante wo log sabse jada barbad hai , aur sabse happy country Bhutan hai waha ke log bss hindu and Buddh me believe krte hai to sahi religion follow Krna happiness ka karan hai . Atheist last me depreciation me he rhete hai .
@@subh0x isleye Hindu atheist sabse best hai , meditation bhi kro bhajan bhi kro aur bhagwan ke naam pe koy lose bhi mat kro .
I have started chanting mandukya upanishad also learned its भाष्य और सार In few weeks i want to remember and chant entire upanishad without reading. It also helps with speech memory learning sanskrit in my experience so far.
चार्वाक दर्शन वास्तविकता पर आधारित। ज्यादातर लोग ऐसी कल्पनाओं पर विश्वास करते हैं जिनको देखा या अनुभव नहीं किया गया। ऐसे विश्वासों को धर्म का हिस्सा बता कर चालाक लोगो भोले भाले लोगो पर अनजाना भय तथा लोभ दिखा कर थोपा। जैसे इस जन्म के कामों का अगले जन्म में फल मिलना । स्वर्ग नर्क की कल्पना आदि।
Charvak is pure materialism he's like Andrew Tate of that era😂😂😂
😂😂😂😂❤
He is not materialistic but hedonist islamist, stay focus while you're learning something.
kiska naam le lia 🤮🤮
Kis hinduphobic tattoo ka naam le lia😂
What colour is his hair💀
Thanks a lot bhaiyaa. U r a gem.
I dont understand why people have to "believe" in something.... i mean whats the need of establishing facts without full knowledge? And the fact about knowledge is, it is never complete.
Hence an individual must be humble enough to know that he is indeed very small and ignorant... i mean we dont know sooo many things. Actually we dont know a damn thing about literally anything. Unless we experience, we cant say if somthing is true or untrue.
We should just be receptive and observant to the universe and bhagwaan and keep on doing good karma as said by Shri Krishna in the Bhagwad Geeta.
Believing is not the key... knowing, exploring, experiencing is the key.
We r here to experience the universe... not to deny or accept any fact or belief.
Our culture is indeed great and marvellous... debate or शास्त्रार्थ was the most effective way to dispel ignorance. Knowledge was presented as logic and questions were nicely answered. How can we forget Adi Shankaracharya's famous debate with Mandan mishr!? Pure bliss.
We r truly lucky that we have such kind of culture rooted deeply in our minds, blood and nerves.
Har har Mahadev!❤
'KeepDoingGood' itself a 'belief'
Shankar-Mandan debat's base is Shaastr which itself based on belief-system. Then .......?
@@giri3013
'doing good naturally' is result of 'subconscious belief' itself.
praman -food. vishwas -glucose.
Yup we should never stop asking questions
Really 😂🤣tumhare hi dharam me shiv ne ardy ke pichwad me apna shiv ling dalker thukai karke maar dala😁🤣 ye hai tanatani dharam thu thu thu🤮
बिल्कुल सही थे
धर्म कुछ लोगो का चलाया हुआ पाखंड ही है
जिससे वो दूसरो पर अपनी मर्जी उनकी इच्छा से अनवर थोप सके
Maine phle bar ye sub Vikas divyakirti sir se chavak Darshan ke bare mein suna tha 😊. thank you hyper quest etni details m batane k liye🙏
Jai shree Ram 🚩🚩🙏🙏🕉️🕉️
जय श्री राम 🙏
चार्वाक बिलकुल सही हैं। आत्मा-परमात्मा जैसा कुछ नही होता।❤❤❤❤❤
जब-जब बुद्धि और अनुभव से किसी भी रचना या सोच को प्रस्तुत किया जाएगा वो भैतिक है और चार्वाक भी भौतिकवाद को बताते हैं इसका मतलब आत्मा परमात्मा भी भौतिकवाद है। कुछ भी करो लेकिन विचार विचार है। आत्मा भी परमात्मा भी, अभी भी कोई शब्दों में भेद देख पा रहा है वो ये नही देख पा रहा कि शून्य या एक केंद्र से ही मिलकर सब बना है ये नही देख पा रहा है। गौर करेंगे तो पाएंगे सब एक केंद्र से हैं अब उसे आत्मा करो परमात्मा करो या कुछ भी न कहो कोई फर्क नही पड़ता है। शब्दों में जब तक कोई अभिव्यक्ति है वो भैतिक है।
Thank you for bringing this topic... only vaidika drushti is the right one to always stay with the light bcoz it mainly describes about the light and puts the dark far away even though it excepts the existence of both for srushti leela...
गुब्बारे का अविष्कार साल 1824 में महान वैज्ञानिक प्रोफेसर माइकल फैराडे ने किया था।
इसका मतलब ये है, गुब्बारे वाली कहनी बाद में बना के घुसेड दी गयी ....
महाभारत से कुछ समय पहले भी राजा नल उड़ाने वाले गुबारे से उड़ कर गए थे
Mahabharat kalpanik katha hai na ki ithihas
So you ( a brahmin) also believe in anti religious charvak ?
चार्वाक दर्शन का मुख्य सिद्धांत
जब तक जियो मौज करके जियो इसके लिए चाहे किसी को भी बर्बाद करना पड़े,, लूटना पड़े लूटो, पैसा नहीं है तो कर्ज करो , कर्ज को मत पटाओ चाहे बदनामी झेलना पड़े,,
इज्जत से जिसे कोई परवाह नहीं, जिसे ना मान चाहिए ना सम्मान चाहिए,, उसे केवल भोगना है।।
यही चार्वाक दर्शन है, जिंदगी खुशी से जियो चाहे किसी को भी लूट लो
आज भी दुनियां में चार्वाक लोगों की कमी नहीं है केवल लूट रहें हैं लोगों को , जिन्हे इज्जत,मान , प्रतिष्ठा से कोई मतलब नहीं हैं
ऐसे लोगों के ही कारण समाज में अराजकता आती है,जो दूसरों को ही सताकर जीना जानते हैं
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Thanks man for making these kind videos.... This is why I pay for netpack
🙏♥️
भारतीय दर्शन में नास्तिक का मतलब जो वेदों को नही मानता है जैसे चार्वाक,बौद्ध और जैन
🙏आपने चार्वाक दर्शन का बहुत अच्छा वीडियो बनाये, मेरा मन प्रसन्न हो गया। धन्यबाद 🙏
Brilliant video, Bandhu 🙏
🙏😊
Those who haven’t known the soul will always try to deny the existence
have u know the soul have u an experience
Charvak and ☪️huslim
Similar 😂
@@Memarathi56charvaks and chuslims are polar opposites
Soul से तुम्हारा मतलब 'आत्मा' है तो शास्त्रों में आत्मा को अचिंत्य, अज्ञेय और अप्रमेय कहा है।
आत्मा को तुम नहीं जान सकते, जो १००% जानने का दावा कर रहा है वह झूठ बोल रहा है।
@@satyam4827 pr jb jan nhi skte to kaise pta wo maujud hai
नानक नाम जहाज हैजो चड़े सो उतरे पार नाम वो जो जीवित सतगुरु समाधी लगाकर (जीवित मरकर) ईश्वर तत्व से मिल लेता है उनके द्वारा शिष्य के सर पर हाथ रखकर ईश्वर तत्व का ध्यान लगाकर दिया जाता है उसके प्रभाव से चौरासी लाख योनिओ का जन्म मरण का चक्र समाप्त होने लगता है सतगुरु मधु परमहंस जी
आपके कंटेंट बेस्ट है, साधारण व्यक्ति भी आसानी से समझ सकते है भारतीय दर्शन ।❤
जय श्री राम
मैं आपके विचार के लिए कुछ और दे रहा हूं और आपके सहयोग की अपेक्षा करता हूं।
धर्म की समझ के मामले में भारत सबसे बेवकूफ देश है।
भारत हिंदू धर्म को लेकर विरोधाभासी स्वीकृति के साथ जी रहा है।यह विरोधाभास किसी भी चीज़ की सही या गलत प्रकृति को समझने की अनुमति नहीं देता है। विरोधाभास की स्वीकृति धोखेबाज़ और झूठे लोगों को भी खुद को सही साबित करने की अनुमति देती है। यह बहुत ही निम्न श्रेणी की व्यवस्था है। यह बिलकुल गलत है।
2015 से मैं जाति और धर्म व्यवस्था से जुड़े सभी पुराने विवादों को सुलझाने की स्थिति में हूं। लेकिन सरकार इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर देशव्यापी चर्चा के मेरे प्रोजेक्ट में मेरी मदद नहीं कर रही है।सरकार ने मेरी 1400 प्रार्थनाओं को नजरअंदाज कर दिया है।
एक और बात, कभी मत सोचिए कि धर्म का कोई महत्व नहीं है। धर्म ही वह चीज है जो हमें जानवरों से अलग करती है। जानवरों के पास सीमित चीजें होती हैं, जैसे खाना, सेक्स और आश्रय या घर। धर्म के कारण ही इंसान जानवरों से अलग है। धर्म ही वह चीज है जो इंसान को बहुत सी चीजों से आनंद लेने की सुविधा देती है। धर्म सभ्यता की शुरुआत के अलावा और कुछ नहीं है।
हमें जाति और धर्म से जुड़े सभी विवादों को सुलझाना होगा। जाति/धर्म के विवादों के कारण इतिहास एक हास्य बन गया है।
धर्म सभ्यता का सबसे बुनियादी विषय है। यह सभ्यता की अवधारणा का आधार है। चार्वाक दर्शन मेरे विचारों के विरुद्ध नहीं है। यह केवल उचित समझ का विषय है।
मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि आप इतिहास, जाति और धर्म व्यवस्था पर राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें।
अवधूत जोशी
It's mind blowing.....the way you explain, i admire from you❤️❤️❤️
एक पीढी का "पाखंड",
दुसरी पीढ़ी के लिए "परंपरा" बन जाती है,
तीसरी पीढ़ी के लिए "संस्कृति" और
चौथी पीढ़ी के लिए "धर्म "।।।।
ऐसा ही है तुम्हारा धर्म यानी पाखंड ❤❤❤❤❤❤
Avg bhimta 😂😂
Dharam ko bas karmkand tak simit rakh diya
Vedant upanishad darshan real dharam
Tum bhimte ke hisab se varn vyastha, jatiwad his bas dharam hain
Khud tum aapas main sabse jyada jatiwad karo
@@mandakinijha1116 Ye ek mali dharam ke vyakti ne bola hai... Mahatma phule....
Jo tumhare bhi guru hai...
Thoda padha likha to mar nahi jaoge ...
@@CommerceFloor Mali jati ke the par unke batein debatable thi
Dr ambedkar seems more awared and rational
Phule sahab ne jab women ke liye classes shuru ki to unko Ghar ek brhamin bhide nhi diya tha
Absolutely tremendous knowledge you have🎉🎉🎉
🙏♥️
Really appreciable how patiently you replied every comment containing
Jai Shree Ram 🛕🤗🙏🕉️....
बहुत शानदार..... कुछ बातें छोड़ कर , बहुत क्लीयरली इतने जटिल टॉपिक को समझाया
आपके सनातन धर्म के लिए किऐ गये प्रयास सार्थक है आप सदैव उर्जा वान रहे और कार्य करते रहिए धन्यवाद
Excellent enlightening session as always. Freedom of thought and debates through शास्त्रार्थ has always been an integral part of our civilization 🔥🔥🙏🏻🙏🏻
चार्वाक दर्शन ने वास्तव में मनुष्य को अंतिम सुख तक पहुंचा दिया है
इसीलिए ऐसे धर्म जो ईश्वर को मानते हैं वह इस धर्म के लोगों से चिढ़ते हैं
वह इस विचारधारा से नफरत करते हैं
वह इस सोच को मतलबी मानते हैं
लेकिन
चार्वाक दर्शन सत्य मे वह है जिसे मनुष्य को अंतिम संतुष्टि प्रदान की है और यह बताया है वही करो जिससे तुम्हें सुख प्राप्त होता है संतुष्टि प्राप्त होती है
क्योंकि
अंतः इस पृथ्वी पर सब लोग सुख और संतुष्टि ही प्राप्त करना चाहते हैं
Hyper quest, you are superb...your content is always...full of logic, knowledge, facts and written on ancient scriptures. ..keep it on👍...
Dear Viahal,
You juat dont know what you shared for us...
You really gave me a way to motivate in form of Charvahk Darshan.....
Aapko sunkar bahut accha lag raha hai .aapki baton se aapki adhyayan ki gahraai ka pata chalta hai 😊
राजा भोग विलास को reperesent नहीं करते वो एक नगर को represent करते हैं
एक व्यवस्था को चलाते हैं
किसी भी व्यवस्था का हिस्सा बने बिना आप उसको नहीं चला सकते
नगर में सब कुछ होता है
उसका ज्ञान रखना हर वस्तु का यथा सम्भव उपयोग करना उनके लिए अनिवार्य बन जाता था
नगर वासी रोज़ कुछ ना कुछ नया बना ही लेते थे
हर वस्तु बिक जाए सम्भव नहीं
राजा बुद्धिमान होते थे
लोगों की खुशी के लिए तो कभी उपयोग के लिए वो उनकी बनाई वस्तु खरीद ही लेते थे
चाहे वो इस्तेमाल करें या अपने किसी सेवक को दे दें
जनता का विस्वास बना रहता था और उनको मनोबल मिलता था अपनी खोज और प्रयोग को आगे बढ़ाने का,
राजा द्वारा उचित राय मिलने पर
सत्य सनातन धर्म की जय❤जय श्री राम❤ जय श्री हनुमान जी❤🙏🙏
जय श्री राम 🙏♥️
@@HyperQuest bhaiya ek video j Krishn murti par banao ki unki kya thought process thi🙏🙏
The best thing about this channel is that there is no mockery, no hate, no propaganda against any theory, any practice and any belief. He talks about things of their reality, he doesn't attach his opinion while talking about subjects. If such decency is maintained by everyone, the world will be safe, sustainable and supportive of one other. All problems in the world be it in countries, in people, in politics, in families, is because of ego, once it is removed we will see real life.
Best neutral analysis of a lost philosophy by you brother. One of the best well researched video... Great video
5:02 गुब्बारे का इतिहास??? हो सकता है उदाहरण कोई दूसरा हो
Samjhane keliye kaha
Aur ye example wrong bhi h kyoki jb gubbare me hwa hoti h to uska weight me difference hota h pichale hue gubbare...se
जगत मिथ्या है, जगत में जो भी है मिथ्या है।
श्री कृष्ण
श्रीमद भगवाद गीता
aapke dwara nai nai baate jaan ne ko milti hai dhanyawaad
🙏😊
50% spiritual and 50% material is an ultimate balance life
Principal of ladhadhad
💕 Love 💕 from ❤️ india 💕 jharkhand ❤️ jamshedpur 💕 jugsalai ❤️ chaprahiya 💕 mohallah ❤️ 0:19
Thanks for uploading video on this topic
Most Welcome 🙏
This channel greatly needed to follow who want understand sanatan and Hindu history
🙏♥️
उस जगह की सुध कोई नहीं बताता जहाँ से इस धरती की सभी आत्माए अनंत समय पूर्व आई है पानी नहीं पवन,नहीं धरती नहीं सूरज चाँद नहीं, माया और पांच तत्वों से परे वो देश है जिसका कभी नाश नहीं होता जहा कभी उदासी नहीं होती क्योंकि वहां मन नहीं है जिसके कारन सुख दुःख की अनुभूति होती है