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ओम नमः शिवाय जटाओं से है जिनके जलप्रवाह माते गंग का। गले में जिनके सज रहा है हार विष भुजंग का। डमड्ड डमड्ड डमड्ड डमरु कह रहा शिवः शिवम्। तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् सजल लहर विहोग गई चपल चपल ललाट पर। धधक रहा हैं स्वर्ण सा अनल सकल ललाट पर। ललाट से ही अर्द्ध चंद्र, कह उठा शिव: शिवम् ॥ तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् जो नंन्दनी के वंदनीय, नंन्दनी स्वरूप है। वे तीन लोक के पिता, स्वरूप एक रूप है। कृपालु ऐसे है के चित्त जप रहा शिवः शिवम्। तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् समस्त प्राणियों में उनकी ही कृपाएं बह रही। भुजंग देवता के शीर्ष मणि प्रभाएँ कह रही। दशा दशा शिव: शिवम् दिशा दिशा शिव: शिवम्। तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् वे देव देवताओं के अनादि से गढ़े हुए। समक्ष उनके धूल पुष्प शीर्श पर चढ़े हुए। विपन्न कामनाओं की है, सम्पदा शिव: शिवम् । तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् जो इन्द्र देवता का भी घमंड का दमन करें। जो कामदेव की समस्त कामना दहन करें। वही समस्त सिद्धियाँ, वही महा शिव: शिवम् । तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् विशाल भाल पट्टिका पे अग्नि वे जलाये है। वे भस्म काम देवता का शीश पर लगाए है। है नंदिनी की रुप की तरल छटा शिव: शिवम् । तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् नविन श्याम मेघ कंठ पर सवार घर चले । वही तो बाल चंद्र नाग गंग शीश धर चले । सकल जगत का भार भी चले उठा शिव: शिवम् । तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् है नील कंठ सौम्य नील पंकजा समान है। मनुष्य क्या वे देवता के दंड का विधान है। समक्ष उनके काल स्वयं भज रहा शिवःशिवम्। तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् सदैव सर्व मंगला,कला के शीर्ष देवता। वही विनाश काल है, वही जनक जनन सदा। नमन कृतज्ञ प्राण यह जपे सदा शिवः शिवम्। तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् प्रचंड तांडव: प्रभा: स्वयं विलीन देखकर । की नित्य देवता को नृत्य में प्रलिन देखकर। मृदंग मुग्ध भावना से कह उठा शिवः शिवम्। तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् समक्ष उनके देव जन का एक ही विधान है। समग्रता में उनके दृष्टि एक ही समान है। नमन नमन समानता के देवता शिवः शिवम्। तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् मात्र एक कामना है मात्रा एक बंदना। उन्ही के दर्शनों से पूर्ण हो सभी उपासना। न जाने कब करेंगे हम पे यह कृपा शिवः शिवम्। तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् चरण को जिनके अप्सराओं के पराग चूमते। शरण में जिनके इंद्रलोक और देव झूमते। अनादि से उमंग के परंपरा शिवः शिवम्। तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् प्रचंड अग्नि से समस्त पाप कर्म भस्म कर। महान अष्ट सिद्धि से सभी अधर्म नष्ट कर। विजय की मूल मंत्र की है साधना शिवः शिवम्। तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् वही अघोर नाथ है उन से पूर्ण शुद्धता। निहित उन्ही के जाप में मनुष्यता विशुद्धता। समस्त मोह नाश के हैं देवता शिवः शिवम्। तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् पूजा वसान ध्यान से करें जो पाठ स्तोत्र का। मुकुट बने वही मनुज परम विशिष्ट गोत्र का। उसी को देते हैं समस्त संपदा शिव: शिवम्। तरल-अनल-गगन-पवन धरा धरा शिव: शिवम् वे शेष है,अशेष है,प्रशेष है,विशेष है। जो उनको जैसा धार ले वो उसके जैसा वेष है। वे नेत्र सूर्य देवता का चंद्रमा का भाल है। विलय भी वे प्रलय भी वे,अकाल,महाकाल है॥ उसी के नाथ हो गये,जो उनके साथ हो लिया। वही के हो गये है वे जहाँ सुना शिवः शिवम्। डमड्ड डमड्ड डमड्ड डमरु कह रहा शिवः शिवम्। तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् ॥ हर हर महादेव 🔱
हे महामानव, है भक्त श्रेष्ठ आपको मेरा कोटि कोटि नमन जिन्होंने महान शिव तांडव को सरल करके इतने आसान तरीके से गाया हैं कि मेरे शरीर के रोम रोम और रोंगटे भी शिवः शिवम कह रहे हैं। आप पर महादेव की कृपा हमेशा बनी रहे ❤❤ हर हर महादेव 🙏🙏🙏❤❤
Hindi Shiv Tandav Stotra l Ashutosh Rana l Aalok Shrivastav l Lyrics ॐ नमः शिवाय जटाओं से है जिनके जल प्रवाह मात गंग का, गले में जिनके सज रहा है हार विष भुजंग का । डमड्ड मड्ड मड्ड डमरू कह रहा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ सजल लहर भी हो गई चपल चपल ललाट पर , धधक रहा है स्वर्ण सा अनल सकल ललाट पर । ललाट से ही अर्ध चन्द्र कह उठा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ वे नंदिनी के वंदनीय नंदिनी स्वरूप है, वे तीन लोक के पिता स्वरूप एक रूप है । कृपालु ऐसे है के चित्त जप रहा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ समस्त प्राणियों में उनकी ही कृपाए बह रही, भुजंग देवता के शीश मणि प्रभाऐं कह रही । दशा दशा शिव: शिवम् , दिशा दिशा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ वे देव देवताओं के अनादि से गढ़े हुए, समक्ष उनके धोल पुष्प शीष पर चढ़े हुए । विभिन्न कामनाओं की है संपदा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ जो इन्द्र देवता के भी घमंड का दमन करे, जो काम देव की समस्त कामना दहन करे । वही समस्त सिद्धियां, वही महा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ विशाल भाल पट्टिका पर अग्नि वे जलाये है, वे भस्म कामदेवता की शीश पर लगाये है । है नंदिनी के रूप की तरल जटा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ नवीन शाम मेघ कंठ पर स्वार कर चले , वही तो भाल चन्द्र,नाग गंग शीस धर चले । सकल जगत का भार भी चले उठा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ है नीलकंठ सौम्य नील पंकजा समान है, मनुष्य क्या वे देवता के दंड का विधान है । समक्ष उनके काल स्वयं भज रहा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ सदैव सर्व मंगला कला के शीर्ष देवता, वही विनाश काल है, वही जनक जनन सदा । नमन कृतज्ञ प्राण यह जपे सदा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ प्रचंड तांडव प्रभा स्वयं विलीन देख कर, के नृत्य देवता को नृत्य में प्रलीन देखकर । मृदंग मुक्त भावना से कह उठा शिव: शिवम् , तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ समक्ष उनके देव जन का एक ही विधान है, समग्रता मे उनकी दृष्टि एक ही समान है । नमन नमन समानता के देवता शिव: शिवम् , तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ है मात्र एक कामना, है मात्र एक वंदना, उन्ही के दर्शनों से पूर्ण हो सभी उपासना । ना जाने कब करेंगे हम पर यह कृपा शिव: शिवम् , तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ चरण को जिनके अप्सराओ के प्राग चूमते, शरण में जिनकी इंद्रलोक ओर देव झूमते । अनादि से उमंग की परम्परा शिव: शिवम् , तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ प्रचंड अग्नि से समस्त पाप कर्म भस्म कर, महान अष्ट सिद्धि से सभी अधर्म भस्म कर । विजय के मूल मंत्र की है साधना शिव: शिवम् , तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ वही अघोर नाथ है, उन्ही से पूर्ण शुद्धता, निहित उन्ही के जाप में मनुष्यता विशुद्धता । समस्त मोह नाश के है देवता शिव: शिवम् , तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ पूजा वसान ध्यान से करे जो पाठ स्त्रोत का, मुकुट बने वही मनुज परम विशिष्ट गोत्र का । उसी को देते है समस्त संपदा शिव: शिवम् , तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ वे शेष है, अशेष है, प्रशेष है, विशेष है, जो उनको जैसा धार ले, वे उसके जैसा भेष है । वे नेत्र सूर्य देवता का, चन्द्रमा का भाल है, विलय भी वे, प्रलय भी वे, अकाल महाकाल है ॥ उसी के नाथ हो लिए जो उनके साथ हो लिया है, वही के हो गऐ है वे जहाँ सुना शिव: शिवम् । डमड्ड मड्ड मड्ड डमरू कह रहा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥ “ हर हर महादेव “ एक छोटा सा प्रयास I
जटाओ से है जिनके जल प्रवाह मात गंग का, गले में जिन के सज रहा है हार विष भुजंग का डमड्ड मड्ड मड्ड डमरु कह रहा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् सजल लहर भी हो गयी चपल चपल ललाट पर धधक रहा है स्वर्ण सा अनल सकल ललाट पर ललाट से ही अर्ध चंद्र कह उठा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् वे नंन्दनी के वंदनीय,नंन्दनी स्वरूप है, वे तीन लोक के पिता,स्वरूप एक रूप है क्रपालू ऐसे है के चित्त जप रहा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् समस्त प्राणियों में उनकी ही कृपाएं बह रही भुजंग देवता के शीर्ष मणि प्रभाएँ कह रही दशा दशा शिवः शिवम् दिशा दिशा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् वे देव देवताओं के अनादि से गढ़े हुए समक्ष उनके धूल पुष्प शीर्ष पर चढ़े हुए विभिन्न कामनाओ के है सम्पदा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् जो इंद्रा देवता के भी घमंड का दमन करें जो कामदेव की समस्त कामना दहन करें वही समस्त सिद्धियां वही महा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् विशाल भाल पट्टिका पे अग्नि वे जलाए हैं वे भष्म काम देवता के शीर्ष पर लगाए हैं है नंदनी के रुप की तरल छटा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् नविन श्याम मेघ कंठ पर सवार घर चले वही तो बाल चंद्र नाग गंग शीश धर चले सकल जगत का भार भी चले उठा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् है नील कंठ सौम्य नील पंकजा समान है, मनुष्य क्या वे देवता के दंड का विधान है समक्ष उनके काल स्वयं भज रहा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् सदैव सर्व मंगला,कला के शीर्ष देवता वही विनाश काल है,वही जनक जनन सदा नमन कृतज्ञ,प्राण यह जपे सदा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् प्रचंड ताण्डवः प्रभः स्वयं विलीन देख कर की नित्य देवता को नृत्य में प्रलीन देख कर मृदंग मुग्ध भावना से कह उठा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् समक्ष उनके देव जन का एक ही विधान है समग्रता में उनकी दृष्टि उनकी एक ही समान है नमन नमन समानता के देवता शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् है मात्र एक कामना है मात्र एक वंदना उन्ही के दर्शनों से पूर्ण हो सभी उपासना न जाने कब करेंगे हम पे यह कृपा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् चरण को जिनके अप्सराओं के पराग चूमते शरण में जिनके इंद्रालोक और देव झूमते अनादि से उमंग की परमरा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् प्रचंड अग्नि से समस्त पाप कर्म भष्म कर महान अष्ट सिद्धि से सभी अधर्म भष्म कर विजय के मूल मन्त्र की है साधना शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् वही अघोर नाथ है उन्ही से पूर्ण शुद्धता निहित उनके जाप में मनुष्यता विशुद्धता समस्त मोह नाश के हैं देवता शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् पूजा वसान ध्यान से करे जो पाठ स्तोत्र का मुकुट बने वही मनुज परम विशिष्ट गोत्र का उसी को देते है समस्त सम्पदा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् वे शेष है,अशेष है,प्रशेष है,विशेष है जो उनको जैसा धार ले वो उसके जैसा वेष है वे नेत्र सूर्य देवता का चंद्रमा का भाल है, विलय भी वे प्रलय भी वे,अकाल,महाकाल है उसी के नाथ हो गये,जो उनके साथ हो लिया, वही के हो गये है वे जहाँ सुना शिवः शिवम् डमड्ड मड्ड मड्ड डमरु कह रहा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् हर हर महादेव
शिव सत्य है, शिव अनंत है, शिव अनादि है, शिव भगवंत है, शिव ओंकार है, शिव ब्रह्म है, शिव शक्ति है, शिव भक्ति है, आओ भगवान शिव का नमन करें, उनका आशीर्वाद हम सब पर बना रहे। हर हर महादेव
अब आइए पहले जानें कि हिंदू साहित्य और पवित्र पुस्तकों में शिव का शारीरिक स्वरूप कैसा था। लिंग पुराण 31.28-32 कहता है कि, "भगवान के पास अश्लील लक्षण थे । वह एकदम नंगा था। उसने अपने अंगों पर राख लगा रखी थी। उसके हाथ आग की लपटें घुमाने में लगे थे। उसकी आँखें लाल और भूरी थीं। कभी वह जोर से हंसता था, कभी वह आश्चर्यजनक रूप से गाता था। कभी वह प्रेमपूर्वक नाचता तो कभी बार-बार रोता। वह आश्रमों में घूमता था और भीख माँगता था । उसने अपनी माया से अपने मनचाहे रूप धारण कर लिए…” शिव के ससुर दक्ष ने श्रीमद्भागवतम में कहा है कि श्रीमद भागवतम् 4.2.12-15 में कहा गया है कि, "उसकी आंखें बंदर जैसी हैं , फिर भी उसने मेरी बेटी से शादी की है, जिसकी आंखें हिरण के बच्चे जैसी हैं। फिर भी वे मेरे स्वागत के लिए खड़े नहीं हुए और न ही उन्होंने मीठे वचनों से मेरा स्वागत करना उचित समझा। शिव श्मशान जैसी गंदी जगहों में रहते हैं , और उनके साथी भूत और राक्षस हैं। एक पागल की तरह नग्न , कभी हंसते हुए और कभी रोते हुए, वह (शिव) अपने पूरे शरीर पर श्मशान की राख लगाते हैं। वह (शिव) नियमित रूप से स्नान नहीं करते हैं, और वह अपने शरीर को खोपड़ियों और हड्डियों की माला से अलंकृत करते हैं ” मत्स्य पुराण में हम पढ़ते हैं कि, मत्स्य पुराण 154.329-341, ”उन शब्दों को सुनकर मुनियों ने अपने मन को वश में कर लिया और उनकी वस्तु को महसूस करते हुए कहा: -” बेटी! संसार में दो प्रकार के सुख हैं और पहला है शरीर की तृप्ति; दूसरी मन की शांति है। भगवान शिव स्वभाव से नग्न, क्रूर , श्मशानवासी, खोपड़ियों के वाहक, सन्यासी, मूर्ति जैसे कर्म करने वाले, भिखारी, पागल, बदसूरत और भयानक चीजों को इकट्ठा करने के शौकीन और अशुभ अवतार हैं । उसे अपने पति के रूप में पाकर तुम्हें क्या लाभ होगा...”
उपरोक्त तीन अंशों से आप आसानी से शिव की बदसूरत शारीरिक बनावट का पता लगा सकते हैं। अब मैं आपसे पूछता हूं कि क्या शिव को भगवान कहा जा सकता है जब उनके ससुर हों? उपरोक्त अंशों से हमें पता चलता है कि शिव थे: अशिष्ट चरित्र, क्रूर और बदसूरत दिखने वाला है वह ऐसे नाचता है जैसे कि उसकी यौन इच्छा प्रबल हो वह भीख के लिए सड़कों पर भीख मांगता है उसकी बंदर जैसी आंखें हैं वह गंदी जगहों पर बैठता है और उसे पसंद करता है वह नंगा घूमा करता था वह नहाता नहीं है वह कंकालों और हड्डियों की माला धारण करता था जब शिव के ससुर दक्ष ने अपनी बेटी को यह कहकर चेतावनी दी थी कि, "उन्हें अपने पति के रूप में रखने से आपको क्या लाभ होगा?" शिव अपनी यौन इच्छा को पूरा करने के लिए महिलाओं का पीछा भी करते थे । बस नीचे दिया गया अंश पढ़ें: श्रीमद्भागवतम 8.12.26-30 ”सुन्दर स्त्री पहले से ही नग्न थी, और जब उसने भगवान शिव को अपनी ओर आते देखा, तो वह अत्यंत लज्जित हो गई। इस प्रकार वे मुस्कराती रहीं, पर वे वृक्षों के बीच छिप गईं और एक स्थान पर खड़ी न रहीं। उनकी इन्द्रियाँ उत्तेजित होने पर, भगवान शिव, कामुक इच्छाओं से पीड़ित होकर, उनका पीछा करने लगे , जैसे एक कामी हाथी एक हाथी का पीछा करता है। बड़ी तेजी से उनका पीछा करने के बाद, भगवान शिव ने उन्हें अपने बालों की चोटी से पकड़ लिया और उन्हें अपने पास खींच लिया।हालांकि वह अनिच्छुक थी, उसने उसे अपनी बाहों से गले लगा लिया। भगवान शिव द्वारा हथिनी के नर द्वारा आलिंगन किए जाने के कारण, वह स्त्री, जिसके बाल बिखरे हुए थे, सर्प की तरह घूमती थी। हे राजन, यह स्त्री, जिसके बड़े, ऊँचे कूल्हे थे, वह योगमाया की स्त्री थी जिसे भगवान के परम व्यक्तित्व ने भेंट किया था। उसने किसी तरह खुद को भगवान शिव की बाहों के प्यार भरे आलिंगन से मुक्त किया और भाग गई। आइए देखें कि शिव के बारे में और क्या कहा जा सकता है, शिव पुराण, कोटिरुद्र संहिता 4.12.8-13 ”एक बार शिव के ध्यान में लीन शिव के प्रमुख ब्राह्मण भक्त बलि की टहनियाँ लाने के लिए जंगल में गए। इस बीच उनकी भक्ति की परीक्षा लेने के लिए शिव स्वयं एक बहुत ही भयानक रूप धारण कर वहां आए। वह बहुत मेधावी था लेकिन एकदम नंगा था। उन्होंने अपने पूरे शरीर पर एकमात्र आभूषण के रूप में राख लगा रखी थी। वह वहीं खड़ा होकर अपना लिंग पकड़कर तरह-तरह के शातिर करतब दिखाने लगा।वनवासियों को प्रसन्न करने के लिए ही भक्तों के प्रिय शिव उनकी इच्छा से वन में आए। यह देखकर मुनियों की पत्नियां अत्यंत भयभीत हो गईं। दूसरी औरतें उत्तेजित और हैरान होकर भगवान के पास पहुंचीं। कुछ ने उन्हें गले लगा लिया। दूसरों ने उसका हाथ पकड़ लिया। महिलाएं आपस में भिड़ने में मशगूल थीं। क्या किसी देवता के लिए यह शोभा देता है कि वह अपने खड़े हुए लिंग को हाथ में लेकर ऐसी नग्न अवस्था में पतिव्रता स्त्रियों के सामने प्रकट हो? कूर्म पुराण II.38.52 ”ऋषियों ने कहा: एक निश्चित अत्यधिक प्रतिभाशाली व्यक्ति ने अपनी पत्नी के साथ पवित्र दारुवन में प्रवेश किया है, जो अपने सभी अंगों में बहुत सुंदर थी। लेकिन वह नंगा था। उस प्रतापी व्यक्ति ने अपने मोहक व्यक्तित्व से हमारी समस्त स्त्रियों और पुत्रियों को मोहित कर लिया। जबकि उसके प्रिय ने हमारे पुत्रों को अशुद्ध किया। हमने उस पर तरह-तरह की गालियां और गालियां दीं, लेकिन उनकी अवहेलना की गई और उन्हें शून्य कर दिया गया। उसे हमारे द्वारा बुरी तरह पीटा गया था । उसका लिंग नीचे गिरा दिया गया था।
@@ItsMe-xf4nlbe bhn k lode madrchod Teri aukat kya hai tu kon hai Mahadev ko judge krne jiska sisya Ravan jaisa saktisali tha jo devo k dev mahadev hai jisne dukh dur dur rhta hai jo sbse bhole aur dyalu hai isiliye unhe bholenath kha gya hai tujhe kya pta hai muslim mohmmad k chele jisne 6 saal ki ladki se Sadi Kiya wo kya janega Mahadev kon hai😂
Ram Ram mere bhai😍🙏🧡🕉️🚩 We Hindus all around the World r always One, One Family, One World 😍🧡🕉️🚩 We Hindus should always be United 😍🧡🕉️🚩 Jai Hindu Dharma🔥✊🚩 Har Har Mahadev 🔥✊🚩Om Namah Shivaya 🔥✊🚩
Sir मैं रावण द्वारा विरचित इस तांडव स्तोत्र की दीवानी थी जो संस्कृत में है.... किन्तु मैंने जबसे आपके द्वारा गाया गया यह हिंदी स्तोत्र सुना है तबसे मैं इसी की अनुभूति में खोयी हुँ। सच कहु तो यह संस्कृत से भी सुन्दर पहली बार कोई रचना हिंदी में लगी है... आपको बहुत बहुत साधुवाद एवं शुभकामनायें....🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐💐💐
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आज महाशिवरात्रि है ये शिव तांडव सुन कर मन खुश हो गया || ॐ नमः शिवाय || हर हर महादेव || आशुतोष राणा || जी का दिल से धन्यवाद || 🙏🙏 तरल अनल गगन पवन धारा धारा शिव शिवम् ||| 🙏🙏
I have known you as a talented villain in south movies. But you turned out to be my hero now. Salute to your intellect. As a telugu I love the words in Hindi. Diversity our pride. Har Har Mahadev❤
मैं comment पहेली बार लिख रहा हूँ और शिव तांडव 50 बार सुन चुका हू... इसमे जो सांति मिलती है बस मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं.. रोंगटे हर बार खड़े हो जाते हैं... आशुतोष जी आपकी आवाज बहुत खूब है. हर हर महादेव 🙏
चाह ही नही रहा की यह कभी खत्म हो, लग रहा बस कानो में यह सौम्य वाणी और अद्भुत रचना चलती रहे, एक तरफ जीवन चले और दूसरी तरफ यह अनुवाद सुनता रहूं। अद्भुत, अद्वितीय, अकल्पनीय सरंचना, इस कलयुग में महादेव के दर्शन सा है यह भजन । तरल अनल गगन पावन धरा धारा शिवम् शिवम्
आशुतोष जी आपने औऱ आलोक जी ने शिव तांडव स्त्रोत्र का हिन्दी में अनुवाद करा कर न जाने कितने शिवभक्तों के ऊपर उपकार किया है,,बाबा सदैव आप के उपर अपनी कृपा बनाये रखे 😍😘❤🚩🇮🇳
*🛑🔥🔆 शिव तांडव स्तोत्र हिंदी | आशुतोष राणा | 🔆🔥🛑* *ॐ नमः शिवाय* *जटाओं से है जिनके जल प्रवाह मात गंग का, गले में जिनके सज रहा है हार विष भुजंग का ।* *डमड्डमड्डमड्ड डमरू कह रहा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *सजल लहर भी हो गई चपल चपल ललाट पर, धधक रहा है स्वर्ण सा अनल सकल ललाट पर । ललाट से ही अर्ध चन्द्र कह उठा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *वे नंदिनी के वंदनीय नंदिनी स्वरूप है, वे तीन लोक के पिता स्वरूप एक रूप हैं। कृपालु ऐसे है के चित्त जप रहा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *समस्त प्राणियों में उनकी ही कृपाए बह रही, भुजंग देवता के शीश मणि प्रभाऐं कह रही । दशा दशा शिवः शिवम्, दिशा दिशा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *वे देव देवताओं के अनादि से गढ़े हुए, समक्ष उनके धोल पुष्प ☬ पर चढ़े हुए। विभिन्न कामनाओं की है संपदा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *जो इन्द्र देवता के भी घमंड का दमन करे, जो काम दैव की समस्त कामना दहन करे ।* *वही समस्त सिद्धियां, वही महा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *विशाल भाल पट्टिका पर अग्नि वे जलाये है, वे भस्म कामदेवता की शीश पर लगाये है। है नंदिनी के रूप की तरल जटा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *नवीन शाम मेघ कंठ पर स्वार कर चले, वही तो भाल चन्द्र, नाग गंग शीस धर चले । सकल जगत का भार भी चले उठा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *है नीलकंठ सौम्य नील पंकजा समान है, मनुष्य क्या वे देवता के दंड का विधान है। समक्ष उनके काल स्वयं भज रहा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *सदैव सर्व मंगला कला के शीर्ष देवता, वही विनाश काल है, वही जनक जनन सदा । नमन कृतज्ञ प्राण यह जपे सदा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *प्रचंड तांडव प्रभा स्वयं विलीन देख कर के नृत्य देवता को नृत्य में प्रलीन देखकर । मृदंग मुक्त भावना से कह उठा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *समक्ष उनके देव जन का एक ही विधान है, समग्रता मे उनकी दृष्टि एक ही समान है। नमन नमन समानता के देवता शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *है मात्र एक कामना, है मात्र एक वंदना, उन्ही के दर्शनों से पूर्ण हो सभी उपासना । ना जाने कब करेंगे हम पर यह कृपा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *चरण को जिनके अप्सराओ के प्राग चूमते, शरण में जिनकी इंद्रलोक और देव झूमते । अनादि से उमंग की परम्परा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *प्रचंड अग्नि से समस्त पाप कर्म भस्म कर, महान अष्ट सिद्धि से सभी अधर्म भस्म कर । विजय के मूल मंत्र की है साधना शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *वही अघोर नाथ है, उन्ही से पूर्ण शुद्धता, निहित उन्ही के जाप में मनुष्यता विशुद्धता । समस्त मोह नाश के है देवता शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *पूजा वसान ध्यान से करे जो पाठ स्त्रोत का, मुकुट बने वही मनुज परम विशिष्ट गोत्र का । उसी को देते है समस्त संपदा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *वे शेष है, अशेष है, प्रशेष है, विशेष है, जो उनको जैसा धार ले, वे उसके जैसा भेष है । वे नेत्र सूर्य देवता का, चन्द्रमा का भाल है, विलय भी वे प्रलय भी वे अकाल महाकाल है ॥* *उसी के नाथ हो लिए जो उनके साथ हो लिया है, वही के हो गए है वे जहाँ सुना शिवः शिवम् | डमड्ड मड्ड मड्ड डमरू कह रहा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥* *"हर हर महादेव"*
अद्भुत, अकल्पनीय, की इस कालखंड में भी महादेव के कुछ ऐसे दीवाने हैं जिन्होंने महादेव को जो सबसे प्रिय स्तुति है उसका शब्दशः हिंदी रूपांतरण हम जनमानस को सहज ही उपलब्ध करा दिए हैं... आपके इस भागीरथ प्रयास की कोटि कोटि वंदना करता हूं। प्रणाम!
महान शिव तांडव इतना शुद्ध और मंत्रमुग्ध अनुवाद । आशुतोष राणा जी द्वारा अप्रितम शाब्दिक उच्चारण - व्याकरण शुद्धता । धन्यवाद :- आशुतोष राणा जी हर हर महादेव 🙏🙏
श्री आषुतोष राणा जी को शत शत नमन! आपका स्तुति पाठ इतना मंत्रमुग्ध करने वाला था कि बारम्बार सुनने का मन हो रहा है। इतना सुंदर लिखा है एक एक पंक्ति इस प्रकार शिवभक्ति से सराबोर है व इतना अलौकिक महादेव का चित्रण है कि प्रतीत होता की महादेव ही दिख रहे हों। रावण कृत शिव ताण्डव स्तोत्र का इससे अच्छा भावनात्मक अनुवाद असम्भव है। श्री आलोक जी व आशुतोष जी को इस कृति के लिए सादर अभिनंदन। 🙏🙏🙏 ॐ नमः शिवाय।
अद्भुत ,अतुलनीय भावार्थ आपकी योगदान से यह शिव तांडव जनसामान्य के लिए अत्यंत सहज एवं लाभकारी सिद्ध होगा। इस संबंध में आपका तारीफ करना सूरज को दिए दिखाना जैसा है। हर हर महादेव।
@shadowalphawolf9926 putting an abstract meaning from thin air onto idols doesn't stop it being idol worship. Muslims do this too for Graves. You need to understand god is one singular and the only sustainor of the universe and he takes pride in this. To bow to idols or Graves is to transgress his jealousy for his divinity and crosses into blasphemy.
@@User-zo6si how do you know if god is singular and not multiple...how do you know if god does'nt like being worshipped as idol, what is the issue with idol worship?
Kya shiv tandav hindi me banaya hai..giving goosebumps to shiv bhakt.. love from Australia🇦🇺 .. you proved your voice is enough to prove your bhakti towards Lord shiva. Har har mahadev
मैं एक मुसलमान हूं और रात को मैं ये शिव तांडव आशुतोष सर की आवाज़ में सुन कर सोया करता हूं। पहले अक्सर हनुमान चालीसा को सुनता था जो अजय देवगन और सलमान की फिल्म में गाया गया था।❤
अत्यंत ही पवित्र भाव और शुद्ध उच्चारण के साथ आशुतोष जी ने शिव तांडव स्त्रोत का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत किया है। बहुत प्रभावशाली और प्रगाढ़ अनुभव है इसे सुनना। महादेव की असीम अनुकंपा है 🙏 हर हर महादेव 🙏🚩🔱 ॐ शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय 🙏🚩🔱
अद्भूत आशुतोष जी सच्चे और वास्तविक अभिनेता है आप जैसे अभिनेता हम जैसे दर्शको के असली प्रेरणा स्रोत है आप को अवं आपके टीम को कोटी कोटी धन्यबाद् ऐसे गायन के लिये
जितना अद्भुत आलोक जी ने भावानुवाद किया है उतना ही मनहर प्रस्तुतिकरण है आशुतोष जी का...जय शंभू 💕🌺💕 आलोक जी और आशुतोष जी को अशेष साधुवाद... अनन्त शुभकामनाएं...🌸🌸🌸
आशुतोष सर के द्वारा शिव तांडव की हिंदी में दी गई प्रस्तुति अत्यंत प्रभावी हृदय को छू लेने वाली हे इस शानदार प्रस्तुति के लिए सर को हृदय से आभार ओम नमः शिवाय
जय भोलेनाथ आशुतोष राणा जी ऐसा लग रहा है आपके द्बारा यह हिन्दी में गाया हुआ शिव तांडव स्तोत्र को हम सूनते ही रहें , बहुत ही सुन्दर और लाजवाब गाया है आपको मेरे शत् शत् नमन है बारम्बार प्रणाम है ❤❤❤❤❤❤
ॐ नमः शिवाय राणा जी आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम । आज युगों के बाद पुण्य आत्मा ने शिव तांडव स्त्रोत तम का बाल्मीकि रामायण की तरह हिंदी अनुवाद देकर इस सारी सृष्टि प्र उपकार किया है ।ऐसी पुण्य आत्मा को मेरा प्रणाम।ॐ नमः शिवाय
हमारे सनातन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण है शिव स्त्रोतम, जिसके भावानुवाद किया गया है , उस पर आपकी आवाज (आशुतोष राणा जी) इसमें ऐसे घुल गयी है कि जब भी सुनो एक अलग दुनिया का एहसास होता है जैसे कि जहाँ हम पहुचना चाहते थे पहुच गए है आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर🙏🙏🙏🙏
आप सभी के सुझावों और प्यार के लिए हार्दिक धन्यवाद! हमारे UA-cam चैनल पर इतना अच्छा प्रतिक्रिया मिलने पर हम आपकी सराहना करते हैं। कृपया हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें ताकि आप हमारी नवीनतम वीडियो को न खोएं। आपका समर्थन महत्वपूर्ण है। धन्यवाद! ☺️✨
❤️❤️❤️❤️
Sir It was awesome Take ❤❤❤❤ 🕉 🕉 🕉 🕉
Thank you for choosing righ person to deliver this instead of any other celebrity
Aapki kamna purn ho...om namah shivay
Mere mahakaal aa raha hai
ओम नमः शिवाय
जटाओं से है जिनके जलप्रवाह माते गंग का।
गले में जिनके सज रहा है हार विष भुजंग का।
डमड्ड डमड्ड डमड्ड डमरु कह रहा शिवः शिवम्।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
सजल लहर विहोग गई चपल चपल ललाट पर।
धधक रहा हैं स्वर्ण सा अनल सकल ललाट पर।
ललाट से ही अर्द्ध चंद्र, कह उठा शिव: शिवम् ॥
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
जो नंन्दनी के वंदनीय, नंन्दनी स्वरूप है।
वे तीन लोक के पिता, स्वरूप एक रूप है।
कृपालु ऐसे है के चित्त जप रहा शिवः शिवम्।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
समस्त प्राणियों में उनकी ही कृपाएं बह रही।
भुजंग देवता के शीर्ष मणि प्रभाएँ कह रही।
दशा दशा शिव: शिवम् दिशा दिशा शिव: शिवम्।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
वे देव देवताओं के अनादि से गढ़े हुए।
समक्ष उनके धूल पुष्प शीर्श पर चढ़े हुए।
विपन्न कामनाओं की है, सम्पदा शिव: शिवम् ।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
जो इन्द्र देवता का भी घमंड का दमन करें।
जो कामदेव की समस्त कामना दहन करें।
वही समस्त सिद्धियाँ, वही महा शिव: शिवम् ।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
विशाल भाल पट्टिका पे अग्नि वे जलाये है।
वे भस्म काम देवता का शीश पर लगाए है।
है नंदिनी की रुप की तरल छटा शिव: शिवम् ।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
नविन श्याम मेघ कंठ पर सवार घर चले ।
वही तो बाल चंद्र नाग गंग शीश धर चले ।
सकल जगत का भार भी चले उठा शिव: शिवम् ।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
है नील कंठ सौम्य नील पंकजा समान है।
मनुष्य क्या वे देवता के दंड का विधान है।
समक्ष उनके काल स्वयं भज रहा शिवःशिवम्।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
सदैव सर्व मंगला,कला के शीर्ष देवता।
वही विनाश काल है, वही जनक जनन सदा।
नमन कृतज्ञ प्राण यह जपे सदा शिवः शिवम्।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
प्रचंड तांडव: प्रभा: स्वयं विलीन देखकर ।
की नित्य देवता को नृत्य में प्रलिन देखकर।
मृदंग मुग्ध भावना से कह उठा शिवः शिवम्।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
समक्ष उनके देव जन का एक ही विधान है।
समग्रता में उनके दृष्टि एक ही समान है।
नमन नमन समानता के देवता शिवः शिवम्।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
मात्र एक कामना है मात्रा एक बंदना।
उन्ही के दर्शनों से पूर्ण हो सभी उपासना।
न जाने कब करेंगे हम पे यह कृपा शिवः शिवम्।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
चरण को जिनके अप्सराओं के पराग चूमते।
शरण में जिनके इंद्रलोक और देव झूमते।
अनादि से उमंग के परंपरा शिवः शिवम्।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
प्रचंड अग्नि से समस्त पाप कर्म भस्म कर।
महान अष्ट सिद्धि से सभी अधर्म नष्ट कर।
विजय की मूल मंत्र की है साधना शिवः शिवम्।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
वही अघोर नाथ है उन से पूर्ण शुद्धता।
निहित उन्ही के जाप में मनुष्यता विशुद्धता।
समस्त मोह नाश के हैं देवता शिवः शिवम्।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम्
पूजा वसान ध्यान से करें जो पाठ स्तोत्र का।
मुकुट बने वही मनुज परम विशिष्ट गोत्र का।
उसी को देते हैं समस्त संपदा शिव: शिवम्।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा धरा शिव: शिवम्
वे शेष है,अशेष है,प्रशेष है,विशेष है।
जो उनको जैसा धार ले वो उसके जैसा वेष है।
वे नेत्र सूर्य देवता का चंद्रमा का भाल है।
विलय भी वे प्रलय भी वे,अकाल,महाकाल है॥
उसी के नाथ हो गये,जो उनके साथ हो लिया।
वही के हो गये है वे जहाँ सुना शिवः शिवम्।
डमड्ड डमड्ड डमड्ड डमरु कह रहा शिवः शिवम्।
तरल-अनल-गगन-पवन धरा-धरा शिव: शिवम् ॥
हर हर महादेव 🔱
❤
❤ dhanyawad Bhai ❤
Har har mahadev
Jay mahakal
🎉
मैं एक मुस्लिम हु, मैं शुरू से ही आशुतोष जी राना का बिग fan रहा हु, जिस शुद्ध हिंदी भाषा में इन्होंने शिव तांडव का जो सुंदर पाठ किया है, वह अद्भुत है
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❤❤❤❤
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Bhai, aap pahale bhartiya hai or hamare shreeman Rana sahab Hindi bhasya ke prakhyat 😊 pratinidhivakarta hai🙏🏻
Hindu ban jao Roz japo
भगवान शिव के 108 नाम ♥️♥️ ----
१- ॐ भोलेनाथ नमः
२-ॐ कैलाश पति नमः
३-ॐ भूतनाथ नमः
४-ॐ नंदराज नमः
५-ॐ नन्दी की सवारी नमः
६-ॐ ज्योतिलिंग नमः
७-ॐ महाकाल नमः
८-ॐ रुद्रनाथ नमः
९-ॐ भीमशंकर नमः
१०-ॐ नटराज नमः
११-ॐ प्रलेयन्कार नमः
१२-ॐ चंद्रमोली नमः
१३-ॐ डमरूधारी नमः
१४-ॐ चंद्रधारी नमः
१५-ॐ मलिकार्जुन नमः
१६-ॐ भीमेश्वर नमः
१७-ॐ विषधारी नमः
१८-ॐ बम भोले नमः
१९-ॐ ओंकार स्वामी नमः
२०-ॐ ओंकारेश्वर नमः
२१-ॐ शंकर त्रिशूलधारी नमः
२२-ॐ विश्वनाथ नमः
२३-ॐ अनादिदेव नमः
२४-ॐ उमापति नमः
२५-ॐ गोरापति नमः
२६-ॐ गणपिता नमः
२७-ॐ भोले बाबा नमः
२८-ॐ शिवजी नमः
२९-ॐ शम्भु नमः
३०-ॐ नीलकंठ नमः
३१-ॐ महाकालेश्वर नमः
३२-ॐ त्रिपुरारी नमः
३३-ॐ त्रिलोकनाथ नमः
३४-ॐ त्रिनेत्रधारी नमः
३५-ॐ बर्फानी बाबा नमः
३६-ॐ जगतपिता नमः
३७-ॐ मृत्युन्जन नमः
३८-ॐ नागधारी नमः
३९- ॐ रामेश्वर नमः
४०-ॐ लंकेश्वर नमः
४१-ॐ अमरनाथ नमः
४२-ॐ केदारनाथ नमः
४३-ॐ मंगलेश्वर नमः
४४-ॐ अर्धनारीश्वर नमः
४५-ॐ नागार्जुन नमः
४६-ॐ जटाधारी नमः
४७-ॐ नीलेश्वर नमः
४८-ॐ गलसर्पमाला नमः
४९- ॐ दीनानाथ नमः
५०-ॐ सोमनाथ नमः
५१-ॐ जोगी नमः
५२-ॐ भंडारी बाबा नमः
५३-ॐ बमलेहरी नमः
५४-ॐ गोरीशंकर नमः
५५-ॐ शिवाकांत नमः
५६-ॐ महेश्वराए नमः
५७-ॐ महेश नमः
५८-ॐ ओलोकानाथ नमः
५४-ॐ आदिनाथ नमः
६०-ॐ देवदेवेश्वर नमः
६१-ॐ प्राणनाथ नमः
६२-ॐ शिवम् नमः
६३-ॐ महादानी नमः
६४-ॐ शिवदानी नमः
६५-ॐ संकटहारी नमः
६६-ॐ महेश्वर नमः
६७-ॐ रुंडमालाधारी नमः
६८-ॐ जगपालनकर्ता नमः
६९-ॐ पशुपति नमः
७०-ॐ संगमेश्वर नमः
७१-ॐ दक्षेश्वर नमः
७२-ॐ घ्रेनश्वर नमः
७३-ॐ मणिमहेश नमः
७४-ॐ अनादी नमः
७५-ॐ अमर नमः
७६-ॐ आशुतोष महाराज नमः
७७-ॐ विलवकेश्वर नमः
७८-ॐ अचलेश्वर नमः
७९-ॐ अभयंकर नमः
८०-ॐ पातालेश्वर नमः
८१-ॐ धूधेश्वर नमः
८२-ॐ सर्पधारी नमः
८३-ॐ त्रिलोकिनरेश नमः
८४-ॐ हठ योगी नमः
८५-ॐ विश्लेश्वर नमः
८६- ॐ नागाधिराज नमः
८७- ॐ सर्वेश्वर नमः
८८-ॐ उमाकांत नमः
८९-ॐ बाबा चंद्रेश्वर नमः
९०-ॐ त्रिकालदर्शी नमः
९१-ॐ त्रिलोकी स्वामी नमः
९२-ॐ महादेव नमः
९३-ॐ गढ़शंकर नमः
९४-ॐ मुक्तेश्वर नमः
९५-ॐ नटेषर नमः
९६-ॐ गिरजापति नमः
९७- ॐ भद्रेश्वर नमः
९८-ॐ त्रिपुनाशक नमः
९९-ॐ निर्जेश्वर नमः
१०० -ॐ किरातेश्वर नमः
१०१-ॐ जागेश्वर नमः
१०२-ॐ अबधूतपति नमः
१०३ -ॐ भीलपति नमः
१०४-ॐ जितनाथ नमः
१०५-ॐ वृषेश्वर नमः
१०६-ॐ भूतेश्वर नमः
१०७-ॐ बैजूनाथ नमः
१०८-ॐ नागेश्वर नमःv
यह भगवान के १०८ नाम 🌺🌺🌼🌼🙏🏻
आपका कोटी कोटी धन्यवाद जो आपने महादेव जी का 108 नामों से मुझे परिचित करवाया
महाकाल हम सबका भला करें
जय शिव शंभू।
Wow! Thank you
Jai ho❤
🙏🙏🙏🙏🙏
GJab
हे महामानव, है भक्त श्रेष्ठ आपको मेरा कोटि कोटि नमन जिन्होंने महान शिव तांडव को सरल करके इतने आसान तरीके से गाया हैं कि मेरे शरीर के रोम रोम और रोंगटे भी शिवः शिवम कह रहे हैं।
आप पर महादेव की कृपा हमेशा बनी रहे ❤❤
हर हर महादेव 🙏🙏🙏❤❤
अद्भुत शिव तांडव भावानुवाद किन्तु उसे आशुतोष राणा जी द्वारा अपनी आवाज देना वह भी उनके जैसा अप्रतिम शाब्दिक उच्चारण- व्याकरणीय शुद्धता ...हर हर महादेव
हर हर महादेव 🕉
अद्भुत ध्वनि प्रवाह!
Har Har Mahadev 🙏🙏
Adbhut Asadharan 🙏🙏🌺
mahakal
Thanks Ashutosh Rana ji. It boosted my spirit. I loved it.
❤
Thanks
❤
Hiii
❤😂
Hindi Shiv Tandav Stotra l Ashutosh Rana l Aalok Shrivastav l Lyrics
ॐ नमः शिवाय
जटाओं से है जिनके जल प्रवाह मात गंग का, गले में जिनके सज रहा है हार विष भुजंग का ।
डमड्ड मड्ड मड्ड डमरू कह रहा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
सजल लहर भी हो गई चपल चपल ललाट पर ,
धधक रहा है स्वर्ण सा अनल सकल ललाट पर ।
ललाट से ही अर्ध चन्द्र कह उठा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
वे नंदिनी के वंदनीय नंदिनी स्वरूप है, वे तीन लोक के पिता स्वरूप एक रूप है ।
कृपालु ऐसे है के चित्त जप रहा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
समस्त प्राणियों में उनकी ही कृपाए बह रही, भुजंग देवता के शीश मणि प्रभाऐं कह रही ।
दशा दशा शिव: शिवम् , दिशा दिशा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
वे देव देवताओं के अनादि से गढ़े हुए, समक्ष उनके धोल पुष्प शीष पर चढ़े हुए ।
विभिन्न कामनाओं की है संपदा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
जो इन्द्र देवता के भी घमंड का दमन करे, जो काम देव की समस्त कामना दहन करे ।
वही समस्त सिद्धियां, वही महा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
विशाल भाल पट्टिका पर अग्नि वे जलाये है, वे भस्म कामदेवता की शीश पर लगाये है ।
है नंदिनी के रूप की तरल जटा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
नवीन शाम मेघ कंठ पर स्वार कर चले , वही तो भाल चन्द्र,नाग गंग शीस धर चले ।
सकल जगत का भार भी चले उठा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
है नीलकंठ सौम्य नील पंकजा समान है, मनुष्य क्या वे देवता के दंड का विधान है ।
समक्ष उनके काल स्वयं भज रहा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
सदैव सर्व मंगला कला के शीर्ष देवता, वही विनाश काल है, वही जनक जनन सदा ।
नमन कृतज्ञ प्राण यह जपे सदा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
प्रचंड तांडव प्रभा स्वयं विलीन देख कर, के नृत्य देवता को नृत्य में प्रलीन देखकर ।
मृदंग मुक्त भावना से कह उठा शिव: शिवम् , तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
समक्ष उनके देव जन का एक ही विधान है, समग्रता मे उनकी दृष्टि एक ही समान है ।
नमन नमन समानता के देवता शिव: शिवम् , तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
है मात्र एक कामना, है मात्र एक वंदना, उन्ही के दर्शनों से पूर्ण हो सभी उपासना ।
ना जाने कब करेंगे हम पर यह कृपा शिव: शिवम् , तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
चरण को जिनके अप्सराओ के प्राग चूमते, शरण में जिनकी इंद्रलोक ओर देव झूमते ।
अनादि से उमंग की परम्परा शिव: शिवम् , तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
प्रचंड अग्नि से समस्त पाप कर्म भस्म कर, महान अष्ट सिद्धि से सभी अधर्म भस्म कर ।
विजय के मूल मंत्र की है साधना शिव: शिवम् , तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
वही अघोर नाथ है, उन्ही से पूर्ण शुद्धता, निहित उन्ही के जाप में मनुष्यता विशुद्धता ।
समस्त मोह नाश के है देवता शिव: शिवम् , तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
पूजा वसान ध्यान से करे जो पाठ स्त्रोत का, मुकुट बने वही मनुज परम विशिष्ट गोत्र का ।
उसी को देते है समस्त संपदा शिव: शिवम् , तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
वे शेष है, अशेष है, प्रशेष है, विशेष है, जो उनको जैसा धार ले, वे उसके जैसा भेष है ।
वे नेत्र सूर्य देवता का, चन्द्रमा का भाल है, विलय भी वे, प्रलय भी वे, अकाल महाकाल है ॥
उसी के नाथ हो लिए जो उनके साथ हो लिया है, वही के हो गऐ है वे जहाँ सुना शिव: शिवम् ।
डमड्ड मड्ड मड्ड डमरू कह रहा शिव: शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिव: शिवम् ॥
“ हर हर महादेव “
एक छोटा सा प्रयास I
Thank you very much
Thankyou i was just searching for the lyrics so that i can sing along ❤️
Thanku so much.....🤗😇😇
महान शिव तांडव इतना शुद्ध और मंत्रमुग्ध अनुवाद । आशुतोष राणा जी द्वारा अप्रितम शाब्दिक उच्चारण- व्याकरण शुद्धता |
धन्यवाद :- आशुतोष राणा जी ❤🙏
@@shreyajha29 Thank you so much!😇
He gurudev pranaam aapke charno me❤
भाव!
आवाज!
अंदाज!
और उच्चारण!
अद्भुत! अकल्पनीय! अतुलनीय!
हर हर महादेव 🙏
रचनात्मकता
Adbhut Asadharan 🙏🙏🌺
Om namah shivaya
हर हर महादेव 🙏🙏🙏🙏🙏
Nice
मैं झुक नही सकता, मैं शौर्य का अखँड भाग हूँ।
“जला दे जो अधर्म की रुह को, मैं वही महादेव का दास हूँ।🕉
हर हर महादेव🚩
Har har mahadev 🙏🙏🙏🙏
Om namah shivay
अद्भुत ❤
जटाओ से है जिनके जल प्रवाह मात गंग का, गले में जिन के सज रहा है हार विष भुजंग का डमड्ड मड्ड मड्ड डमरु कह रहा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
सजल लहर भी हो गयी चपल चपल ललाट पर धधक रहा है स्वर्ण सा अनल सकल ललाट पर ललाट से ही अर्ध चंद्र कह उठा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
वे नंन्दनी के वंदनीय,नंन्दनी स्वरूप है, वे तीन लोक के पिता,स्वरूप एक रूप है क्रपालू ऐसे है के चित्त जप रहा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
समस्त प्राणियों में उनकी ही कृपाएं बह रही भुजंग देवता के शीर्ष मणि प्रभाएँ कह रही दशा दशा शिवः शिवम् दिशा दिशा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
वे देव देवताओं के अनादि से गढ़े हुए समक्ष उनके धूल पुष्प शीर्ष पर चढ़े हुए विभिन्न कामनाओ के है सम्पदा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
जो इंद्रा देवता के भी घमंड का दमन करें जो कामदेव की समस्त कामना दहन करें वही समस्त सिद्धियां वही महा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
विशाल भाल पट्टिका पे अग्नि वे जलाए हैं वे भष्म काम देवता के शीर्ष पर लगाए हैं है नंदनी के रुप की तरल छटा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
नविन श्याम मेघ कंठ पर सवार घर चले वही तो बाल चंद्र नाग गंग शीश धर चले सकल जगत का भार भी चले उठा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
है नील कंठ सौम्य नील पंकजा समान है, मनुष्य क्या वे देवता के दंड का विधान है समक्ष उनके काल स्वयं भज रहा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
सदैव सर्व मंगला,कला के शीर्ष देवता वही विनाश काल है,वही जनक जनन सदा नमन कृतज्ञ,प्राण यह जपे सदा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
प्रचंड ताण्डवः प्रभः स्वयं विलीन देख कर की नित्य देवता को नृत्य में प्रलीन देख कर मृदंग मुग्ध भावना से कह उठा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
समक्ष उनके देव जन का एक ही विधान है समग्रता में उनकी दृष्टि उनकी एक ही समान है नमन नमन समानता के देवता शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
है मात्र एक कामना है मात्र एक वंदना उन्ही के दर्शनों से पूर्ण हो सभी उपासना न जाने कब करेंगे हम पे यह कृपा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
चरण को जिनके अप्सराओं के पराग चूमते शरण में जिनके इंद्रालोक और देव झूमते अनादि से उमंग की परमरा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
प्रचंड अग्नि से समस्त पाप कर्म भष्म कर महान अष्ट सिद्धि से सभी अधर्म भष्म कर विजय के मूल मन्त्र की है साधना शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
वही अघोर नाथ है उन्ही से पूर्ण शुद्धता निहित उनके जाप में मनुष्यता विशुद्धता समस्त मोह नाश के हैं देवता शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
पूजा वसान ध्यान से करे जो पाठ स्तोत्र का मुकुट बने वही मनुज परम विशिष्ट गोत्र का उसी को देते है समस्त सम्पदा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
वे शेष है,अशेष है,प्रशेष है,विशेष है जो उनको जैसा धार ले वो उसके जैसा वेष है वे नेत्र सूर्य देवता का चंद्रमा का भाल है, विलय भी वे प्रलय भी वे,अकाल,महाकाल है उसी के नाथ हो गये,जो उनके साथ हो लिया, वही के हो गये है वे जहाँ सुना शिवः शिवम् डमड्ड मड्ड मड्ड डमरु कह रहा शिवः शिवम्, तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम् हर हर महादेव
Bhot bhot dhanyawad 🙏
Jay Bholenath
Jai bholenaath
Madhav bhai neeche se 24th line me उनकी remove kr dijiye
Thanks ki aapne pua hindi me btaya
शिव सत्य है, शिव अनंत है,
शिव अनादि है, शिव भगवंत है,
शिव ओंकार है, शिव ब्रह्म है,
शिव शक्ति है, शिव भक्ति है,
आओ भगवान शिव का नमन करें,
उनका आशीर्वाद हम सब पर बना रहे।
हर हर महादेव
ब्रह्मांड हिला दिया आपने 🙏🙏🙏 Om Namah Shivay 🙏
ये शिव तांडव सुनकार मन धन्य हो गया इस तांडव में कितनी शुद्धत्ता है.. हर हर महादेव 🙏
अब आइए पहले जानें कि हिंदू साहित्य और पवित्र पुस्तकों में शिव का शारीरिक स्वरूप कैसा था।
लिंग पुराण 31.28-32 कहता है कि, "भगवान के पास अश्लील लक्षण थे । वह एकदम नंगा था। उसने अपने अंगों पर राख लगा रखी थी। उसके हाथ आग की लपटें घुमाने में लगे थे। उसकी आँखें लाल और भूरी थीं। कभी वह जोर से हंसता था, कभी वह आश्चर्यजनक रूप से गाता था। कभी वह प्रेमपूर्वक नाचता तो कभी बार-बार रोता। वह आश्रमों में घूमता था और भीख माँगता था । उसने अपनी माया से अपने मनचाहे रूप धारण कर लिए…”
शिव के ससुर दक्ष ने श्रीमद्भागवतम में कहा है कि
श्रीमद भागवतम् 4.2.12-15 में कहा गया है कि, "उसकी आंखें बंदर जैसी हैं , फिर भी उसने मेरी बेटी से शादी की है, जिसकी आंखें हिरण के बच्चे जैसी हैं। फिर भी वे मेरे स्वागत के लिए खड़े नहीं हुए और न ही उन्होंने मीठे वचनों से मेरा स्वागत करना उचित समझा। शिव श्मशान जैसी गंदी जगहों में रहते हैं , और उनके साथी भूत और राक्षस हैं। एक पागल की तरह नग्न , कभी हंसते हुए और कभी रोते हुए, वह (शिव) अपने पूरे शरीर पर श्मशान की राख लगाते हैं। वह (शिव) नियमित रूप से स्नान नहीं करते हैं, और वह अपने शरीर को खोपड़ियों और हड्डियों की माला से अलंकृत करते हैं ”
मत्स्य पुराण में हम पढ़ते हैं कि,
मत्स्य पुराण 154.329-341, ”उन शब्दों को सुनकर मुनियों ने अपने मन को वश में कर लिया और उनकी वस्तु को महसूस करते हुए कहा: -” बेटी! संसार में दो प्रकार के सुख हैं और पहला है शरीर की तृप्ति; दूसरी मन की शांति है। भगवान शिव स्वभाव से नग्न, क्रूर , श्मशानवासी, खोपड़ियों के वाहक, सन्यासी, मूर्ति जैसे कर्म करने वाले, भिखारी, पागल, बदसूरत और भयानक चीजों को इकट्ठा करने के शौकीन और अशुभ अवतार हैं । उसे अपने पति के रूप में पाकर तुम्हें क्या लाभ होगा...”
उपरोक्त तीन अंशों से आप आसानी से शिव की बदसूरत शारीरिक बनावट का पता लगा सकते हैं। अब मैं आपसे पूछता हूं कि क्या शिव को भगवान कहा जा सकता है जब उनके ससुर हों? उपरोक्त अंशों से हमें पता चलता है कि शिव थे:
अशिष्ट चरित्र, क्रूर और बदसूरत दिखने वाला है
वह ऐसे नाचता है जैसे कि उसकी यौन इच्छा प्रबल हो
वह भीख के लिए सड़कों पर भीख मांगता है
उसकी बंदर जैसी आंखें हैं
वह गंदी जगहों पर बैठता है और उसे पसंद करता है
वह नंगा घूमा करता था
वह नहाता नहीं है
वह कंकालों और हड्डियों की माला धारण करता था
जब शिव के ससुर दक्ष ने अपनी बेटी को यह कहकर चेतावनी दी थी कि, "उन्हें अपने पति के रूप में रखने से आपको क्या लाभ होगा?"
शिव अपनी यौन इच्छा को पूरा करने के लिए महिलाओं का पीछा भी करते थे । बस नीचे दिया गया अंश पढ़ें:
श्रीमद्भागवतम 8.12.26-30 ”सुन्दर स्त्री पहले से ही नग्न थी, और जब उसने भगवान शिव को अपनी ओर आते देखा, तो वह अत्यंत लज्जित हो गई। इस प्रकार वे मुस्कराती रहीं, पर वे वृक्षों के बीच छिप गईं और एक स्थान पर खड़ी न रहीं। उनकी इन्द्रियाँ उत्तेजित होने पर, भगवान शिव, कामुक इच्छाओं से पीड़ित होकर, उनका पीछा करने लगे , जैसे एक कामी हाथी एक हाथी का पीछा करता है। बड़ी तेजी से उनका पीछा करने के बाद, भगवान शिव ने उन्हें अपने बालों की चोटी से पकड़ लिया और उन्हें अपने पास खींच लिया।हालांकि वह अनिच्छुक थी, उसने उसे अपनी बाहों से गले लगा लिया। भगवान शिव द्वारा हथिनी के नर द्वारा आलिंगन किए जाने के कारण, वह स्त्री, जिसके बाल बिखरे हुए थे, सर्प की तरह घूमती थी। हे राजन, यह स्त्री, जिसके बड़े, ऊँचे कूल्हे थे, वह योगमाया की स्त्री थी जिसे भगवान के परम व्यक्तित्व ने भेंट किया था। उसने किसी तरह खुद को भगवान शिव की बाहों के प्यार भरे आलिंगन से मुक्त किया और भाग गई।
आइए देखें कि शिव के बारे में और क्या कहा जा सकता है,
शिव पुराण, कोटिरुद्र संहिता 4.12.8-13 ”एक बार शिव के ध्यान में लीन शिव के प्रमुख ब्राह्मण भक्त बलि की टहनियाँ लाने के लिए जंगल में गए। इस बीच उनकी भक्ति की परीक्षा लेने के लिए शिव स्वयं एक बहुत ही भयानक रूप धारण कर वहां आए। वह बहुत मेधावी था लेकिन एकदम नंगा था। उन्होंने अपने पूरे शरीर पर एकमात्र आभूषण के रूप में राख लगा रखी थी। वह वहीं खड़ा होकर अपना लिंग पकड़कर तरह-तरह के शातिर करतब दिखाने लगा।वनवासियों को प्रसन्न करने के लिए ही भक्तों के प्रिय शिव उनकी इच्छा से वन में आए। यह देखकर मुनियों की पत्नियां अत्यंत भयभीत हो गईं। दूसरी औरतें उत्तेजित और हैरान होकर भगवान के पास पहुंचीं। कुछ ने उन्हें गले लगा लिया। दूसरों ने उसका हाथ पकड़ लिया। महिलाएं आपस में भिड़ने में मशगूल थीं।
क्या किसी देवता के लिए यह शोभा देता है कि वह अपने खड़े हुए लिंग को हाथ में लेकर ऐसी नग्न अवस्था में पतिव्रता स्त्रियों के सामने प्रकट हो?
कूर्म पुराण II.38.52 ”ऋषियों ने कहा: एक निश्चित अत्यधिक प्रतिभाशाली व्यक्ति ने अपनी पत्नी के साथ पवित्र दारुवन में प्रवेश किया है, जो अपने सभी अंगों में बहुत सुंदर थी। लेकिन वह नंगा था। उस प्रतापी व्यक्ति ने अपने मोहक व्यक्तित्व से हमारी समस्त स्त्रियों और पुत्रियों को मोहित कर लिया। जबकि उसके प्रिय ने हमारे पुत्रों को अशुद्ध किया। हमने उस पर तरह-तरह की गालियां और गालियां दीं, लेकिन उनकी अवहेलना की गई और उन्हें शून्य कर दिया गया। उसे हमारे द्वारा बुरी तरह पीटा गया था । उसका लिंग नीचे गिरा दिया गया था।
Wa? Q 😇 add qvqrt video as d as VT and see if q g tea zone you 😇
@@ItsMe-xf4nltare ko gantha ni pata tu rampal boli Gand ka chala hai jo tham ne gu bhi kilaye vo bhi kha loge muslman ki olad
@@ItsMe-xf4nlbe bhn k lode madrchod Teri aukat kya hai tu kon hai Mahadev ko judge krne jiska sisya Ravan jaisa saktisali tha jo devo k dev mahadev hai jisne dukh dur dur rhta hai jo sbse bhole aur dyalu hai isiliye unhe bholenath kha gya hai tujhe kya pta hai muslim mohmmad k chele jisne 6 saal ki ladki se Sadi Kiya wo kya janega Mahadev kon hai😂
It gives goosebumps... I'm literally crying...
हर हर महादेव
হরহর মহাদেব
OmnamahShivay🙏🙏
Om namah Shivay 🙏🙏🌹🌹🙏🙏
Har Har Mahadev 😍🙏🧡🕉️🚩
Ram Ram mere bhai😍🙏🧡🕉️🚩
We Hindus all around the World r always One, One Family, One World 😍🧡🕉️🚩
We Hindus should always be United 😍🧡🕉️🚩
Jai Hindu Dharma🔥✊🚩
Har Har Mahadev 🔥✊🚩Om Namah Shivaya 🔥✊🚩
सर आप जैसा कोई दूसरा शिव तांडव भवानुवाद नही कर सकता,,श्रेष्ठ से भी श्रेष्ठ,,,, हर हर महादेव 🙏🙏
Sir मैं रावण द्वारा विरचित इस तांडव स्तोत्र की दीवानी थी जो संस्कृत में है.... किन्तु मैंने जबसे आपके द्वारा गाया गया यह हिंदी स्तोत्र सुना है तबसे मैं इसी की अनुभूति में खोयी हुँ। सच कहु तो यह संस्कृत से भी सुन्दर पहली बार कोई रचना हिंदी में लगी है... आपको बहुत बहुत साधुवाद एवं शुभकामनायें....🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐💐💐
Samajh m aa rha
Har har mahadev 🙏🙏
Great 🎉
धन्य हो देवी 😊
Excellent bhajan hai sunkar man ko sakun and Santi milati hai.🎉🎉🎉🎉🙏🙏🙏🙏
भले ही आप फिल्म के विलेन हों लेकिन आप रियल हीरो हैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद har har har Mahadev ❤
❤❤
फिल्मी जगत के सितारे जब सनातन पर गर्व कर रहें हैं,तो यह एक नई दिशा देता है।
आशुतोष जी वास्तविक जीवन के अभिनेता हैं।
Sahi kaha bhai ❤️
🤗
You are a saint
Ek dam sahi
Ashutosh ji ye anovaad aap ki aawaj mein bhut hi sunder lag rha hai. Aap ek bindas actor ho. ❤❤❤❤
आध्यात्मिकता
वाणी स्पष्टता
निर्मलता
श्रद्धात्मकता
तल्लीनता
और शिवात्मकता
से परिपूर्ण स्तुति।।
ॐ नमः शिवाय।।🙏
Adbhut Asadharan 🙏🙏🌺
Nice
एक दम सही कहा आपने
धन्यवाद 🙏
जो शिव के भक्ति को रगो मे घोल दे ऐसी गीत रचित करने के लिए रावण को भी नमन है 🕉️
मुर्दे में भी जान डाल सकती है आपकी आवाज अद्भुत हर हर महादेव 😍🙏
एक दम सही कहा आपने
धन्यवाद 🙏
🙏🙏🙏🙏
Dam h avaaj m
Ram Ram mere bhai😍🙏🧡🕉️🚩
We Hindus all around the World r always One, One Family, One World 😍🧡🕉️🚩
We Hindus should always be United 😍🧡🕉️🚩
Jai Hindu Dharma🔥✊🚩
Har Har Mahadev 🔥✊🚩Om Namah Shivaya 🔥✊🚩
jaan bhi aise hi daale jaati hai sanjivani vidya
आज महाशिवरात्रि है ये शिव तांडव सुन कर मन खुश हो गया || ॐ नमः शिवाय || हर हर महादेव || आशुतोष राणा || जी का दिल से धन्यवाद || 🙏🙏 तरल अनल गगन पवन धारा धारा शिव शिवम् ||| 🙏🙏
He is not a normal human....
His vocal clarity is unbeatable...
🕉️
He is very spiritual in real life too....I have seen him doing seva and satsang since 25+ years now
Aum namah shivay,,,
@@deepakraval1464 Har har mahadev
चित्त को असीम शांति मिली यह अद्भुत हिन्दी अनुवाद सुन कर। हर हर महादेव। हर हर महादेव। हर हर महादेव
Satya vachan
एक दम सही कहा आपने
धन्यवाद 🙏
आशुतोष ही आशुतोष की महिमा गा रहा है
जय भोलेनाथ
@@kishanlaljonwal3810 एक दम सही
हर हर महादेव
Satya kaha aapne
मेरी आंखों में अश्रु है सुन कर इस अनुवादित व्याख्या को,
श्री आशुतोष राणा, श्री आलोक जी एवं पंचतंत्र का कोटि धन्यवाद,
अंतः हृदय से प्रणाम
सिंह गर्जना है आवाज मै ❤️🙏🙏
शिव रौद्र रूप की तरह 🙏🙏❤️❤️🔥🔥🔥
रोंगटे खड़े हो गए 😭😭 ॐ नमः शिवाय
Bhav vidhte bhagwan
I have known you as a talented villain in south movies. But you turned out to be my hero now. Salute to your intellect. As a telugu I love the words in Hindi. Diversity our pride. Har Har Mahadev❤
मैं comment पहेली बार लिख रहा हूँ और शिव तांडव 50 बार सुन चुका हू... इसमे जो सांति मिलती है बस मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं.. रोंगटे हर बार खड़े हो जाते हैं... आशुतोष जी आपकी आवाज बहुत खूब है. हर हर महादेव 🙏
आज हिंदी में सुनकर जान कर बहुत खुशी हुई बहुत लोगों को संस्कृत नही आती है❤❤❤❤❤ बहुत धन्यवाद आपका
चाह ही नही रहा की यह कभी खत्म हो, लग रहा बस कानो में यह सौम्य वाणी और अद्भुत रचना चलती रहे, एक तरफ जीवन चले और दूसरी तरफ यह अनुवाद सुनता रहूं।
अद्भुत, अद्वितीय, अकल्पनीय सरंचना, इस कलयुग में महादेव के दर्शन सा है यह भजन ।
तरल अनल गगन पावन धरा धारा शिवम् शिवम्
बहुत ही अद्भुत आशुतोष जी 👌👌😊
धन्य है वो माता पिता जिन्होंने आपको जन्म दिया सर आपकी आवाज अप्रतिम है। 🙏
आपको बारम्बार प्रणाम 🙏
एक दम सही कहा आपने
धन्यवाद 🙏
हर हर महादेव 🚩🙏
जय शिव शम्भू 🚩🙏
जय श्री महाकालेश्वर महाराज 🚩🙏
सभी पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखें 🙏🙏
I was going through anxiety and downfalls then I listened to this. Now I know that, I CAN'T BE DEFEATED. NOT IN THIS WORLD. ❤ HAR HAR MAHADEV
HAR HAR MAHAKAL🙏❤️🙏
आशुतोष जी आपने औऱ आलोक जी ने शिव तांडव स्त्रोत्र का हिन्दी में अनुवाद करा कर न जाने कितने शिवभक्तों के ऊपर उपकार किया है,,बाबा सदैव आप के उपर अपनी कृपा बनाये रखे 😍😘❤🚩🇮🇳
anuvad alok srivastava n kiya hai.
ua-cam.com/users/shortsugqxN8kYt_0?si=8U44ha5yfsjhKkum
अपने अतिसत्य कहा भई जी हर हर महादेव ✨🔱🙏🙏📿📿🔱🔱
Ati sundar
@@akshaynunaiya6287😊❤🎉🎉🎉😮😮😮😮😮😮😮😮😮😢😮😮😮❤❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉
ये सुन्दर गीत को अकेले मे सुनकर आतमा बाहर निकल गई हो जैसे मेहसूस हो रहा है 😇☺
*🛑🔥🔆 शिव तांडव स्तोत्र हिंदी | आशुतोष राणा | 🔆🔥🛑*
*ॐ नमः शिवाय*
*जटाओं से है जिनके जल प्रवाह मात गंग का, गले में जिनके सज रहा है हार विष भुजंग का ।*
*डमड्डमड्डमड्ड डमरू कह रहा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*सजल लहर भी हो गई चपल चपल ललाट पर, धधक रहा है स्वर्ण सा अनल सकल ललाट पर । ललाट से ही अर्ध चन्द्र कह उठा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*वे नंदिनी के वंदनीय नंदिनी स्वरूप है, वे तीन लोक के पिता स्वरूप एक रूप हैं। कृपालु ऐसे है के चित्त जप रहा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*समस्त प्राणियों में उनकी ही कृपाए बह रही, भुजंग देवता के शीश मणि प्रभाऐं कह रही । दशा दशा शिवः शिवम्, दिशा दिशा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*वे देव देवताओं के अनादि से गढ़े हुए, समक्ष उनके धोल पुष्प ☬ पर चढ़े हुए। विभिन्न कामनाओं की है संपदा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*जो इन्द्र देवता के भी घमंड का दमन करे, जो काम दैव की समस्त कामना दहन करे ।*
*वही समस्त सिद्धियां, वही महा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*विशाल भाल पट्टिका पर अग्नि वे जलाये है, वे भस्म कामदेवता की शीश पर लगाये है। है नंदिनी के रूप की तरल जटा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*नवीन शाम मेघ कंठ पर स्वार कर चले, वही तो भाल चन्द्र, नाग गंग शीस धर चले । सकल जगत का भार भी चले उठा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*है नीलकंठ सौम्य नील पंकजा समान है, मनुष्य क्या वे देवता के दंड का विधान है। समक्ष उनके काल स्वयं भज रहा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*सदैव सर्व मंगला कला के शीर्ष देवता, वही विनाश काल है, वही जनक जनन सदा । नमन कृतज्ञ प्राण यह जपे सदा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*प्रचंड तांडव प्रभा स्वयं विलीन देख कर के नृत्य देवता को नृत्य में प्रलीन देखकर । मृदंग मुक्त भावना से कह उठा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*समक्ष उनके देव जन का एक ही विधान है, समग्रता मे उनकी दृष्टि एक ही समान है। नमन नमन समानता के देवता शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*है मात्र एक कामना, है मात्र एक वंदना, उन्ही के दर्शनों से पूर्ण हो सभी उपासना । ना जाने कब करेंगे हम पर यह कृपा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*चरण को जिनके अप्सराओ के प्राग चूमते, शरण में जिनकी इंद्रलोक और देव झूमते । अनादि से उमंग की परम्परा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*प्रचंड अग्नि से समस्त पाप कर्म भस्म कर, महान अष्ट सिद्धि से सभी अधर्म भस्म कर । विजय के मूल मंत्र की है साधना शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*वही अघोर नाथ है, उन्ही से पूर्ण शुद्धता, निहित उन्ही के जाप में मनुष्यता विशुद्धता । समस्त मोह नाश के है देवता शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*पूजा वसान ध्यान से करे जो पाठ स्त्रोत का, मुकुट बने वही मनुज परम विशिष्ट गोत्र का । उसी को देते है समस्त संपदा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*वे शेष है, अशेष है, प्रशेष है, विशेष है, जो उनको जैसा धार ले, वे उसके जैसा भेष है । वे नेत्र सूर्य देवता का, चन्द्रमा का भाल है, विलय भी वे प्रलय भी वे अकाल महाकाल है ॥*
*उसी के नाथ हो लिए जो उनके साथ हो लिया है, वही के हो गए है वे जहाँ सुना शिवः शिवम् | डमड्ड मड्ड मड्ड डमरू कह रहा शिवः शिवम्, तरल अनल गगन पवन धरा धरा शिवः शिवम् ॥*
*"हर हर महादेव"*
Dhanyawad
अद्भुत, अकल्पनीय, की इस कालखंड में भी महादेव के कुछ ऐसे दीवाने हैं जिन्होंने महादेव को जो सबसे प्रिय स्तुति है उसका शब्दशः हिंदी रूपांतरण हम जनमानस को सहज ही उपलब्ध करा दिए हैं... आपके इस भागीरथ प्रयास की कोटि कोटि वंदना करता हूं। प्रणाम!
Adipurush team should listen this song...perfect tone for Raavan...Om Namah Shivaya 🙏🙏🙏....Love u sir from Myanmar 🇲🇲
Hello bro can we talk I am from Mathura Bharat
❤ ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ❤
महान शिव तांडव इतना शुद्ध और मंत्रमुग्ध अनुवाद । आशुतोष राणा जी द्वारा अप्रितम शाब्दिक उच्चारण - व्याकरण शुद्धता ।
धन्यवाद :- आशुतोष राणा जी
हर हर महादेव 🙏🙏
एक दम सही कहा आपने
धन्यवाद 🙏
What a wonderful Hindi pronounce. Magnificent no doubt. Perfect voice to replace Abhitabh Bacchan for KBC
महान शिव तांडव इतना शुद्ध और मंत्रमुग्ध अनुवाद । आशुतोष राणा जी द्वारा अप्रितम शाब्दिक उच्चारण- व्याकरण शुद्धता |
धन्यवाद :- आशुतोष राणा जी ❤🙏
शिव तांडव स्त्रोत का इतना अच्छा हिंदी अनुवाद आज तक नहीं सुना इसे सुनकर सच में बहुत आनंद आया हर हर महादेव🙏
बहुत सही लिखा
जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम्
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्
जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी
विलो लवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि
धगद् धगद् धगज्ज्वलल् ललाट पट्ट पावके
किशोर चन्द्र शेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम:
धरा धरेन्द्र नंदिनी विलास बन्धु बन्धुरस्
फुरद् दिगन्त सन्तति प्रमोद मानमानसे
कृपा कटाक्ष धोरणी निरुद्ध दुर्धरापदि
क्वचिद् दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि
जटा भुजङ्ग पिङ्गलस् फुरत्फणा मणिप्रभा
कदम्ब कुङ्कुमद्रवप् रलिप्तदिग्व धूमुखे
मदान्ध सिन्धुरस् फुरत् त्वगुत्तरीयमे दुरे
मनो विनोद मद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि
ॐ नमः शिवायः
सदा शिवम् भजाम्यहम्
सदा शिवम् भजाम्यहम्
ॐ नमः शिवायः
सहस्र लोचनप्रभृत्य शेष लेखशेखर
प्रसून धूलिधोरणी विधूस राङ्घ्रि पीठभूः
भुजङ्ग राजमालया निबद्ध जाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोर बन्धुशेखरः
ललाट चत्वरज्वलद् धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीत पञ्चसायकं नमन्निलिम्प नायकम्
सुधा मयूखले खया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदे शिरो जटालमस्तु नः
कराल भाल पट्टिका धगद् धगद् धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुती कृतप्रचण्ड पञ्चसायके
धरा धरेन्द्र नन्दिनी कुचाग्र चित्रपत्रक
प्रकल्प नैक शिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम
नवीन मेघ मण्डली निरुद् धदुर् धरस्फुरत्त
कुहू निशीथि नीतमः प्रबन्ध बद्ध कन्धरः
निलिम्प निर्झरी धरस् तनोतु कृत्ति सिन्धुरः
कला निधान बन्धुरः श्रियं जगद् धुरंधरः
ॐ...
प्रफुल्ल नीलपङ्कज प्रपञ्च कालिम प्रभा
वलम्बि कण्ठकन्दली रुचिप्रबद्ध कन्धरम्
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छि दांध कच्छिदं तमंत कच्छिदं भजे
अखर्व सर्व मङ्गला कला कदंब मञ्जरी
रस प्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्त कान्ध कान्त कं तमन्त कान्त कं भजे
ॐ...
जयत् वदभ्र विभ्रम भ्रमद् भुजङ्ग मश्वस
द्विनिर्ग मत् क्रमस्फुरत् कराल भाल हव्यवाट्
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः
स्पृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः
तृष्णारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समप्रवृत्तिकः कदा सदाशिवं भजाम्यहम्
कदा निलिम्पनिर्झरी निकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन्
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम्
इदम् हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम्
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम्
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम्
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम्
ॐ...
ॐ नमः शिवायः (नमः शिवायः)
ॐ नमः शिवायः (नमः शिवायः)
ॐ नमः शिवायः (नमः शिवायः)
बहुत सुंदर ,बहुत धन्यवाद 🙏
हर हर महादेव 🙏🙏
Ashutosh ji ne kamal kar diya. Adbhut
सुन के रोमते खड़े हो जाते है।❤🚩🙏 हर हर महादेव
आपका हृदय से आभार हर शिव भक्त का दिल खुश होगया। बहुत ही लम्बे समय से हिंदी भावानुवाद का इंतज़ार था।
हर हर महादेव ❤️
एक दम सही कहा आपने
धन्यवाद 🙏
श्री आषुतोष राणा जी को शत शत नमन! आपका स्तुति पाठ इतना मंत्रमुग्ध करने वाला था कि बारम्बार सुनने का मन हो रहा है। इतना सुंदर लिखा है एक एक पंक्ति इस प्रकार शिवभक्ति से सराबोर है व इतना अलौकिक महादेव का चित्रण है कि प्रतीत होता की महादेव ही दिख रहे हों। रावण कृत शिव ताण्डव स्तोत्र का इससे अच्छा भावनात्मक अनुवाद असम्भव है। श्री आलोक जी व आशुतोष जी को इस कृति के लिए सादर अभिनंदन। 🙏🙏🙏 ॐ नमः शिवाय।
अद्भुत ,अतुलनीय भावार्थ आपकी योगदान से यह शिव तांडव जनसामान्य के लिए अत्यंत सहज एवं लाभकारी सिद्ध होगा। इस संबंध में आपका तारीफ करना सूरज को दिए दिखाना जैसा है। हर हर महादेव।
I am a Muslim, and I watched this on loop, goosebumps, and the amount of energy I am feeling through my veins listening to this is unexplainable.
they wont spare u if u kiss their feet mariam, no need to bow to idols :)
Allah is a joke 😂@@User-zo6si
@@User-zo6si idols are prohibited even in Hinduism. They are called murtis which has a more personified meaning to it
@shadowalphawolf9926 putting an abstract meaning from thin air onto idols doesn't stop it being idol worship. Muslims do this too for Graves. You need to understand god is one singular and the only sustainor of the universe and he takes pride in this.
To bow to idols or Graves is to transgress his jealousy for his divinity and crosses into blasphemy.
@@User-zo6si how do you know if god is singular and not multiple...how do you know if god does'nt like being worshipped as idol, what is the issue with idol worship?
मैं बहुत आभारी हूं कि मैं इतना सुंदर संगीत और शिव तांडव का अनुवाद सुन रहा हूं। बहुत बहुत धन्यवाद आशुतोष जी और आलोक ji
हर हर महादेव 🙏
आशुतोष जी आपकी आवाज का पूरी दुनिया में कोई जोड़ नहीं है आप पर शिव जी पूरी कृपा है।
"अद्भुत" जितनी बार सुनो उतनी बार एक नई ऊर्जा का आभास होता,,,#जय_श्री_महाकाल
एक दम सही कहा आपने
धन्यवाद 🙏
वाह क्या आवाज है सर
ईश्वर ने आपको बिलकुल महादेव के भक्त के लायक ही है।
आपका रूप बहुत ही अद्भुत है।विशाल
एक दम सही कहा आपने
धन्यवाद 🙏
Now this is what I call masterpiece. Har Har Mahadev 😌
Vary nice video Om namah shivaya
*WWWWWWHAT A VOICE!!!* *WWWWHAT PRONUNCIATION*
🙏🔱 *Jaiiiii Shiv Shambhu*
Jai ho
जिनको हम विलेन समझते थे वो तों असली हीरो निकले 🙏🏻🚩🚩
रावण भी विलन था लेकिन सबसे बड़ा शिव भक्त उन्होंने ही शिव तांडव स्त्रोत बनाया ।
Sahi kaha bhai...
Sahi me yar
Bhai ravan se bada shivji kahi bhakt the bhul gya kya tu shiv tandav kisne shivji ko arpan ki This ravan ne
@@bhstory84 pata hai
आशुतोष सर मैंने आपको हमेशा एक विलेन की तरह देखा लेकिन आप सच में हीरो निकले हर हर महादेव❤❤❤❤❤❤❤❤
Thanks!
दिल को छू गया आशुतोष जी आपके द्वारा गाया गया हमारे अराध्य देव भगवान भोलेनाथ का शिव तांडव स्तोत्र सुन कर। सहृदय धन्यवाद।
Being a follower of shiva this takes me to some other universe!! Its soo soothing to ears!! Literally floating in air listening to it!!!
True
❤
So true ❤
Kya shiv tandav hindi me banaya hai..giving goosebumps to shiv bhakt.. love from Australia🇦🇺 .. you proved your voice is enough to prove your bhakti towards Lord shiva. Har har mahadev
आशुतोष सर, आप का जन्म ईसी कार्य केलिये हुआ है की आप शिव तांडव आप के सुर मैं गा सखे❤. 🕉️ नमः शिवाय🪷
मैं एक मुसलमान हूं और रात को मैं ये शिव तांडव आशुतोष सर की आवाज़ में सुन कर सोया करता हूं।
पहले अक्सर हनुमान चालीसा को सुनता था जो अजय देवगन और सलमान की फिल्म में गाया गया था।❤
Aameen
Jay ho.
Har har mahadev
Har har mahadev
हर हर महादेव
आशुतोष जी एक बार पूरा शिव तांडव स्तोत्रम संस्कृत में आपकी मधुर आवाज में सुनना चाहता हूं। 🙏
,आप जैसे व्यक्तियों से ही हमारी राष्ट्रभाषा जीवंत है।👏👏👏
अत्यंत ही पवित्र भाव और शुद्ध उच्चारण के साथ आशुतोष जी ने शिव तांडव स्त्रोत का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत किया है।
बहुत प्रभावशाली और प्रगाढ़ अनुभव है इसे सुनना।
महादेव की असीम अनुकंपा है 🙏
हर हर महादेव 🙏🚩🔱
ॐ शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय 🙏🚩🔱
आप जैसी महान आत्मा के मुख से शिव तांडव स्तोत्र हिन्दी अनुवाद का रस पान करने से मन को शांति एवं आपके चरण को कोटि कोटि नमन है। ॐ नमः शिवाय।
अद्भुत प्रस्तुति...ऐसा लगा की, "साक्षात शिवभक्त रावण अपनी निस्सिम भक्ति से महादेव की स्तुति कर रहे हो।"
✨ *ॐ नमः*✨
🙌 *पार्वती पतये* 🙇🏻♀️ *हर-हर महादेवः*🙏🏻
वाह राणा जी वाह.... रोंगटे खड़े हो गये ... आंसू बहने लगे...आंनद आ गया। कोटि कोटि धन्यवाद आपका और साथी टीम का 🙏🏼
अद्भुत, आलोकिक, अप्रतिम, चित्त को शांत करने वाला..... हर हर महादेव !!
हर हर महादेव
धन्यवाद 🙏
अद्भूत आशुतोष जी सच्चे और वास्तविक अभिनेता है
आप जैसे अभिनेता हम जैसे दर्शको के असली प्रेरणा स्रोत है
आप को अवं आपके टीम को कोटी कोटी धन्यबाद् ऐसे गायन के लिये
स्वयं माता सरस्वती का आशीर्वाद है इतना सटीक आवाज और शिव जी का अंदाज 😮😮🙏🙏❤❤
Amazing we were waiting for soo long...... No words how we felt after listening this... Goosebumps 😍😍😍♥️❤️ on manah shivay 🧿
Namah: 😂
@@invinsibleajju7344 😀😀😀😀
एक दम सही कहा आपने
धन्यवाद 🙏
हर हर हर महादेव
👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
जय माँ भवानी
👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
🚩🚩🚩🚩🚩जय बागेश्वर धाम 🙏🙏🙏🙏🙏🙏।।जय माँ विंध्यवासिनी।। 🚩💐
प्रत्येक शिव भक्त जो शिव तांडव स्त्रोत सुनकर मग्न हो जाता था आज उन्मे से मेरे जैसे कई भक्त अर्थ के साथ गा पा रहे हैं। धन्यवाद आशुतोष राणा जी।
Sometimes how good is to hear such a strong chant in such a strong and profound voice. Felt struck and then I listened this and this was so powerful😍
Wonderful 😊.
Adbhut Asadharan 🙏🙏🌺
एक दम सही कहा आपने
धन्यवाद 🙏
इससे ज्यादा सुन्दर मैने आज तक कुछ नही सुना। हर हर महादेव❤️❤️❤️
जितना अद्भुत आलोक जी ने भावानुवाद किया है उतना ही मनहर प्रस्तुतिकरण है आशुतोष जी का...जय शंभू 💕🌺💕
आलोक जी और आशुतोष जी को अशेष साधुवाद... अनन्त शुभकामनाएं...🌸🌸🌸
ऐसा लगता है, स्वयं शिव ही शिव तांडव गा रहे हैं।
बहुत आभार है, आशुतोष राणा जी का 🙏🙏
निशब्द
अनादि से उमंग की परंपरा शिवै: शिवम ❤️
रोम रोम में उमंग जागृत करने के लिए धन्यवाद.. हर हर महादेव🙏
एक दम सही कहा आपने
धन्यवाद 🙏
अप्रतिम शिव तांडव स्त्रोत्र अशीतोषजी के भारदस्त आवाज मे ।
ओम नमः शिवाय 🙏🙏🙏🙏🙏
Har Har Mahadev 🙏
Zg
बहुत अच्छी आवाज पहली बार इतना अच्छा लगा सुनने में जय भोले बाबा की
अद्भुत,अद्भुत कोटि कोटि प्रणाम मेरे प्यारे महादेव,हर हर महादेव🙏🙏🦋🙏❤️❤️
आप का कोई जोड़ नहीं है सर आप की आवाज हमें बहुत पसन्द है
हर हर महादेव 🙏🙏🙏
Kahaa se ho bhai aap
@@AmanKumar-dr8ov UP se hain bro
जय मां पार्वती ॐ नमः शिवाय हर हर महादेव जय भोलेनाथ 😍😘💖🙏
मंत्रमुग्ध हो गया मैं तो, आपकी आवाज में यह अद्भुत शिव तांडव स्त्रोत सुनकर👌👌
मुझे ऐसा महसूस हो रहा, महादेव के साथी नंदी महाराज जी महादेव को ये प्रस्तुति समर्पित कर रहे हैं ❤️🙏🏻 मेरा भाव
Ye shiv prastuti ravan karte the kyuki owh mahan shiv bhakt the
Har har mahadev ji
Shi me aisa kismmmm
आशुतोष सर के द्वारा शिव तांडव की हिंदी में दी गई प्रस्तुति अत्यंत प्रभावी हृदय को छू लेने वाली हे इस शानदार प्रस्तुति के लिए सर को हृदय से आभार ओम नमः शिवाय
जय भोलेनाथ आशुतोष राणा जी ऐसा लग रहा है आपके द्बारा यह हिन्दी में गाया हुआ शिव तांडव स्तोत्र को हम सूनते ही रहें , बहुत ही सुन्दर और लाजवाब गाया है आपको मेरे शत् शत् नमन है बारम्बार प्रणाम है ❤❤❤❤❤❤
अद्भुत भावानुवाद....गुरु गंभीर आवाज..
...अविरल पाठ....आशुतोष जी की प्रसिद्धि के अनुरूप हर पक्ष |
एक दम सही कहा आपने
धन्यवाद 🙏
महान शिव तांडव का इतने शुद्ध और मंत्रमुग्ध अनुवाद आपके अलावा शायद ही कई कर सकता था! धन्यवाद आशुतोष सर। ❣️
हर हर महादेव!🙏🏻🙏🏻🙏🏻
110% superb
एक दम सही कहा आपने
धन्यवाद 🙏
ॐ नमः शिवाय राणा जी आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम । आज युगों के बाद पुण्य आत्मा ने शिव तांडव स्त्रोत तम का बाल्मीकि रामायण की तरह हिंदी अनुवाद देकर इस सारी सृष्टि प्र उपकार किया है ।ऐसी पुण्य आत्मा को मेरा प्रणाम।ॐ नमः शिवाय
विधि के विधान को पिघला दे जो वो है महादेव की भक्ति और उनको पाने का कलात्मक स्तोत्र शिवतांडव स्त्रोत्र
🚩हर हर महादेव 🔱
आलोक जी और आशुतोष जी आप दोनो को शत शत नमन । इतना सुंदर अनुवाद और आवाज़ के जादू ने इस स्तोत्र को अति रमणीय बना दिया है ।
आप दोनो को हृदय से धन्यवाद
हमारे सनातन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण है शिव स्त्रोतम, जिसके भावानुवाद किया गया है , उस पर आपकी आवाज (आशुतोष राणा जी) इसमें ऐसे घुल गयी है कि जब भी सुनो एक अलग दुनिया का एहसास होता है जैसे कि जहाँ हम पहुचना चाहते थे पहुच गए है आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर🙏🙏🙏🙏
, xx zex and 😊
Har Har mahadev❤🚩😍🕉
अढ्भूत अलोकिक निश्ब्द ।ओम नमह शिवायशिवायशिवायशिवायशिवायशिवायशिवायशिवाय
आशुतोष जी अद्भुत आवाज के धनी है आप आपका यह श्लोक सुनकर दिमाग का तार तार खुल गए,,, महादेव की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे, जय भोलेनाथ हर हर महादेव।।।।