Sapne Poem by Avtar Singh Sandhu "Pash"

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  • Опубліковано 24 вер 2024
  • सपने
    हर किसी को नहीं आते ।
    बेजान बारूद के कणों में
    सोई आग को सपने नहीं आते ।
    बदी के लिए उठी हुई
    हथेली के पसीने को सपने नहीं आते ।
    शेल्फ़ों में पड़े
    इतिहास-ग्रंथों को सपने नहीं आते ।
    सपनों के लिए लाज़िमी है
    झेलने वाले दिलों का होना
    सपनों के लिए
    नींद की नज़र होना लाज़िमी है ।
    सपने इसलिए
    हर किसी को नहीं आते ।
    - अवतार सिंह संधू "पाश"

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