उल्लू को सवेरा अच्छा क्यों नहीं लगता \आचार्य योगेंद्र याज्ञिक \BY YOGENDRA YAGYIK
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- Опубліковано 3 кві 2024
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-अस्वीकरण -
●यह चैनल भारतीय समाज मे फैली कुरीतियों, अंधविश्वासो एवं कुप्रथाओ के प्रति समाज में जन चेतना जगाने का कार्य करता है। हमारा मकसद जन सामान्य तक उत्तम सभ्यता एवं उत्तम संस्कारो को प्रेषित करना है। हमारा मकसद किसी व्यक्ति, समाज, समुदाय, मत, मजहब की भावना को ठेस पहुँचाना नही है। चैनल पर प्रस्तुत वीडियो में वक्ताओं के अपने विचार है। चैनल का उनसे कोई सबन्ध नही है। चैनल केवल प्रसारणकर्ता है।
●राष्ट्र के प्रति जागरूक करना,वैदिक संस्कृति ,आर्य समाज के प्रचार व प्रसार के कार्यक्रम।
●वैदिक प्रचार, राष्ट्र रक्षा व निर्माण ,भारतीय संस्कृति, ऋषियों द्वारा दिए गए ज्ञान व संस्कारो को समर्पित।
MY SECOND CHANNEL-ASM BHAJAN / @vaidicbhajan9514
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Jogenra Yagyik Sadare Namasteji
Guruji Pranam. Bahut sunder
हम सब ऋषि मुनियों की संतान हैं मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र योगेश्वर श्रीकृष्ण सृष्टि कर्ता विश्व कर्मा भगवान् हमारे आदर्श है। मैं तो एक आर्य पुत्र हिन्दू मेरा देश आर्य वर्त भारत उप नाम हिन्दू स्थान इण्डिया। मेरा गुरु माता पिता आचार्य वेद भगवान्।। सत्य सनातन वैदिक धर्म।।गुरु मंत्र गायत्री।। ओम्।।
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Swami Dayanand Saraswati ji hamare dil mei base hue hai
🎉 ओम नाम परमात्मा का नहीं है। अकार उकार मकार सतोगुण रजोगुण तमोगुण ब्रह्मा विष्णु महेश यह परमात्मा नहीं है।
🎉 वेद ज्ञान -जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं।
🎉 वेद ज्ञान यजुर्वेद कामंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है। दुनिया माया को ही परमात्मा समझ रहे हैं।
🎉 परमात्मा सच्चिदानंद स्वरुप है सत्य है चेतन है और आनंद स्वरूप है उन्हें निराकार कहना अपराध है।🎉🎉
आप परमात्मा के विषय में क्या समझते हैं आप जैसे लोग ही संसार को भ्रमित कर रहे हैं। कृपया आप अपने अन्तरआत्मा को समझने का प्रयास करैं धन्यवाद।।
@@HaridevSharma-rc1jv वेद केवल निराकार तक है निराकार से आगे का ज्ञान भागवत में है पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद का ज्ञान भागवत में है लेकिन तुम उसे काल्पनिक रहते हो यह तुम पर सराप है।
बिना भागवत प्रमाण के कोई भी पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद को जाहिर नहीं कर सकता और भागवत कलयुग के अवतार पुर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक द्वारा जागृत बुद्धि से खुलता है। इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है। सतयुग आदि से दुनिया में सपन बुद्धि का ही ज्ञान था अर्थात निराकार तक का ही ज्ञान था वेदों में भी निराकार से आगे का ज्ञान नहीं है।
लेकिन कलयुग धन्य है बुद्ध शाखा में जागृत बुद्धि का अवतरण हुआ है जिससे भागवत खुली और परमधाम जाहिर हुआ।
बुद्ध शाखा में सतयुग आदि से राजा महाराजाओं ने तपस्वी होने और जति सतियो ने कठोर तपस्या करके वरदान प्राप्त कर रखे हैं ताकि हमें कलयुग बूध शाखा में जागृत बुद्धि और परमधाम का जगराता ज्ञान प्राप्त हो और सदा सदा के लिए अखंड मोक्ष की प्राप्ति हो। जो सतयुग आदि से आज तक किसी को नहींहुई।
और आज हमें बुद्ध शाखा में भरत खंड पर मनुष्य तन प्राप्त है लेकिन हम निराकार से आगे निकलने की कोशिश ही नहीं कर रहे जबकि वेद स्पष्ट फॉर्म आ रहे हैं की निराकार साकार माया है लेकिन कलयुग की बुद्धि इतनी भ्रष्ट हो चुकी है की जागृत ज्ञान को समझने की हिम्मत नहीं कर रहे। बस निराकार को ही परमात्मा मांग रहे हैं। जो वेद की भी नहीं मानता वह किसी के नहीं मान सकता समझ लो वही भ्रष्ट है।
यजुर्वेद का मंत्र संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है। समझो तो ठीक है नहीं समझो तो यह मत कहना कि हमें किसी ने बताया नहीं था। समय आखिरत में जब हिसाब होगा तपस्या तप की अग्नि में जलना पड़ेगा और वह जलन मामूली नहीं है बस भस्म ही हो जाएंगे लेकिन परमात्मादयालु है निर्मल करके अखंड मोक्ष दे दिया जाएगा। पूरे ब्रह्मांड को अखंड मोक्ष प्राप्त होना है लेकिन पहले पूरे ब्रह्मांड को पश्चाताप की अग्नि में जलकर भस्म होना पड़ेगा तबीयत ब्रह्मांड निर्मल होगा और फिर अव्यक्त ब्रह्म अक्षर ब्रह्म के मां के अंदर इस ब्रह्मांड को अखंड किया जाएगा। यह जागृत बुद्धि की महिमाहै। इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है।
जो जागृत वचनों को ग्रहण करने की कोशिश नहीं करता नहीं उल्लू और चमगादड़ के समान है। एवाणी सुन जो न लावे इमाम,सोई चमगादड़ उल्लू जान।। निष्कलंक ब्रह्म वाणी।।