Podcast: क्यों सारे भगवान का जन्म भारत में हुआ? | Dharma Live | Sanatan Dharm | Ved | Puaranas
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- Опубліковано 24 кві 2024
- #podcast #dharmasamwad #sanatandharma #veda #purana #bhagwatgeeta #geeta #aryasamaj #trending #viral
Podcast: क्यों सारे भगवान का जन्म भारत में हुआ? | Dharma Live | Sanatan Dharm | Ved | Puaranas | Lajpat Rai Aggarwal | Yogi Vishal Tiwari | Neha Rajpput
Dharma Live के Podcast #DharmaSamvad में इस बार हमारे मेहमान हैं, Lajpat Rai Aggarwal जी ( वैदिक मिशनरी ), जो एक संपादक हैं और Yogi Vishal Tiwari जी ,जो Spiritual Mentor हैं, आज इस Podcast में हम जानेंगे कि क्या वाकई भगवान अवतार लेते हैं? साथ ही Vedas, Purana और सनातन धर्म से जुड़े अनेक रहस्यों पर चर्चा होगी.
Anchor- Neha Rajpput
Producer- Mukesh Kaushik
Video Editor- Subodh Sinha
Video Journalist- Dharm Ji & Jassie
DHARMA LIVE is a Spirituality based Entertainment channel. The channel brings viewers information about Daily Horoscope Predictions, Weekly Horoscope Predictions, Monthly Horoscope Predictions, Yearly Horoscope prediction, Planetary Movements and Its Effect. We also talk about Remedies, Transit, Conjunction, Mythology, Numerology, Vedic Astrology, Tarot, Palmistry, Vastu, Yog, Yoga Gurus and Influential Personality and a lot more. We believe Spirituality should be an encouraging and positive part of our daily life. The motive is to bring Spirituality alive while dispelling fears and myths. This vertical is a part of ABP Live.
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/ abplivedharma
मैं भी देखा परम शक्ति को , आवाज भी सुनी , अनुभव तो हर कभी होते रहते हैं । ईश्वर है उसका अस्तित्व भी है और यह सब पारलौकिक चीज हर व्यक्ति को दिखाई नहीं देती और अनुभव नहीं होता ।
केवल पुस्तकें पढ़ने मात्र से सत्य ज्ञान असंभव है, अनुभव अधिक अवश्यक हैं.
गरुजी केवल वेदो के शब्दो मै सीमित रह गए, गुरु जी ने अपनी चेतना को केवल शब्दो मै बधा लिया है
वेद समस्त सत्य विद्याओं की पुस्तक है और वेद विरुद्ध मत का मानना ही नास्तिक होना कहलाता था ।
गुरूजी की बातों में तर्क है l
ईश्वर कभी आवतरित नहीं होता जब इंसानी समताये और उसके आयाम ऊपर जाने लगते है तो व्यक्ति उसे भगवान मानने लगता है
Avatar concept bhakti movement me aya i.e 4th century AD...
Hero worship pehle se chalti aa rahi thi especially from mauryan Empire
लाजपत जी लाजवाब है उनका कथन सच है वेद से उपर कोई किताब नहीं है, और वेद को समजने वाले ही सच है बाकी तो सब दूकाने चलाने के लिए थीक है,
Ved se upar koi nehin par keval ved hi pramaan nehin hai ...yadi aisa hai..Sanskar jo karte ho yagyapabit aadi iska pramaan ved me hai kya ?
@@bikashraut645 जो वेद मे है यही प़माण है और कुछ उपनिषद जैसे की छंद उपनिषद,कठो उपनिषद तथा सत्यार्थ प्रकाश में भी हमारे 16 संस्कार को समझाया है लेकिन वोह पुरानो के संस्कार से थोड़ा अलग समझाया है जैसे कि 16 संस्कार तो है लेकिन उसे लेकर जो उनकी विधीयां है वोह पुरानो मे सिर्फ कर्मकांड में ही निपटा ली गई है सही अर्थ आप को सत्यार्थ प्रकाश में मील जायेगा और वेद सर्वोच्च हे उसका मतलब ऐसा नहीं हे की पुरान और दुसरे गंथ सही नहीं है लेकिन वोह वेद तुल्य नहीं है
@@bikashraut645 जो वेद मे है यही प़माण है और कुछ उपनिषद जैसे की छंद उपनिषद,कठो उपनिषद तथा सत्यार्थ प्रकाश में भी हमारे 16 संस्कार को समझाया है लेकिन वोह पुरानो के संस्कार से थोड़ा अलग समझाया है जैसे कि 16 संस्कार तो है लेकिन उसे लेकर जो उनकी विधीयां है वोह पुरानो मे सिर्फ कर्मकांड में ही निपटा ली गई है सही अर्थ आप को सत्यार्थ प्रकाश में मील जायेगा और वेद सर्वोच्च हे उसका मतलब ऐसा नहीं हे की पुरान और दुसरे गंथ सही नहीं है लेकिन वोह वेद तुल्य नहीं है
@@Jiwandarshnam19 संस्कार परम्पराओं की देन है ? जब आप के अनुसार वेद से भिन्न सभी अवैदिक है तब संस्कार वेद मे वर्णन ना होने के कारण अवैदिक कैसे नहीं है ? थुंक के चाटना ईसी को कहते हैं ,,। वेद मंत्र से जोडकर निष्ठावान किया जाता है ? जब विषय वेद है ही नहीं तब जोडना तो व्यर्थ ही है , कौनसा संस्कार वेद में है ? जो आप जोडने की बात करते हो ? और आप बोल रहे हैं मंत्र को पूर्णता प्रदान करते हैं ,अच्छा इसका अर्थ यह हुआ की मंत्र अपुर्ण है जीसको आप वाद मे जोडकर पुर्ण करते हो ? गझब है भाई , पर सिद्धान्त तो कुछ ओर ही कहता है की "पुर्ण से पुर्ण की उत्पत्ति होती है" तब वेद ईश्वर से उत्पन्न होने के कारण पुर्ण होने चाहिए था ,पर आपका तो कहना है की मंत्र को पूर्णता प्रदान करते हो 😊
Sabse pahle main apko dhanyawad deta hun jo aapne dharm ke vishay ko chuna.
Pahle aap dharm ko paribhashit
karway😂e.Meri alp jankari ke anussr dharm shabd ko bahut se
alag alag arthon me prayog kiya
jata hai.
Ekdam se bhagwan eeshwar per Sam ad samajhna mushkil hai.
महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज की जय कृणवन्तोविश्मार्यम् 🙏🚩
आत्मा संसार का सबसे सुक्ष्मतम् तथा सबसे शक्तिशाली परमाणु है जिससे ही प्रकृति के सभी परमाणुओं का निर्माण हुआ है ( सबसे सुक्ष्म परमाणु ही सबसे शक्तिशाली होता हैं यह विज्ञान का मानना है।) जिसने आत्मा नाम के परमाणु को जान लिया वह प्रकृति में किसी का भी निर्माण व नाश कर सकता है। संसार में शिव ही प्रथम आत्म ज्ञानी थे जिसने सप्त श्रृषियो को इसका ज्ञान दिया। शिव परम्परा में ही एक सिद्ध गोरखनाथ हुए जिसने माटी से लाखों सेनिक बना दिये जिन्हें गोरखा कहते हैं। अमेरिका मशिनो के द्वारा इस परमाणु को पाना चाहता है लेकिन यह निरर्थक है आत्मा को केवल मानव शरीर के द्वारा ही पाया या खोजा जा सकता है। एक आत्म तत्व ऐसा है जिससे कई ब्रह्मांडों की रचना की जा सकती है। इसका उदाहरण ऋषि विश्वामित्र है जिसने सात गृहों की रचना की जिसे आज हम सप्त ऋषि कहते हैं।यह कोई कल्पना या भ्रम नहीं पुर्ण वैज्ञानिक व सारस्वत है।
75 वर्ष k गुरु जी 101%सत्य कह रहे है वेद k अनुसार.
Om
सिर्फ उम्र से तुम नही बता सकते वो कितना ज्ञानी है😂
आर्य समाजी बडे या तुकाराम महाराज ? तुकाराम जी कहते हैं: वेद अनंत बोलीला , अर्थ इतकाची साधिला, विठ्ठलाशी शरण जावे, निज निष्ठे नाम गावे!!
@@A-KR18Yajurveda Aadhya 32 mantra 3 padhke aa khud kabhi ved nahi padha joh padhe hai unhe Gyan deta hai nastik kahika😂
@@realisticcoments283ved bada ya tukaram ji Arya samaj wo kahta hai Jo ved mein likha hai ved virudh tum mante hoge hamm nahi
@@user-ep1ni5xm3o वेदका हम आदर करते है; लेकिन आर्यसमाज ने वेदों का अर्थ अपने मनगढंत रूप से किया है. तुकाराम महाराज के साथ तुम्हारे स्वामीने एक कोटी जन्म लिया तो भी बराबरी नहीं हो सकती; तुकाराम महाराज वैकुंठ गये, तुम्हारा महाराज विष से मर गया.
योगी जी बहुत बोले चुप नहीं हुए पर उत्तर कुछ भी नही दिया हां कविताएं अच्छी सुनाई 😂😂😂
आँप बताओ कि क्या सत्य हे
Yogi ji sawaal ka jawab nhi diya
योगी विशाल जी जिस अनुभव की बात कर रहे हैं वह हमारे पूर्व स्मृति होती है, यह प्रयोग हमारे आश्रम में हमने साधको पर किए हैं, पांच साधक को बताया गया कि हमने गधे कि मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर दी है यह ईश्वर की स्वरूप हो गई है मूर्ति, जबकि पाँच साधकों को बताया गया कि कृष्ण की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है अब यह ईश्वर रूप हो गई है मूर्ति, और पांच साधकों को बिना मूर्ति के साधन में बैठाया गया। परिणाम उत्तम थे गधे वाले को गधा ही परमात्मा रूप में बात कर रहा था अनुभव दिला रहा था कृष्ण वालों को कृष्ण रूप में बाते और अनुभव करा रहा था जबकि बिना मूर्ति वालों को वह आनंद का अनुभव कर रहा था और ज्ञान विज्ञान का अनुभव कराया जो बात उनको नहीं बताई गई कभी उन्होंने सुनी भी नहीं थी उस पर तर्क वितर्क कर रहें थे। इसे ही ईस्वर कि कृपा कहते हैं. और योगी होने के नाते हमारे तो अनुभव सभी प्रकार के हैं। अगर किसी को ईश्वर के दर्शन करने हैं जिस रूप में भी करना है वह संपर्क कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे वह ईस्वर नहीं आपकी स्मृति आधारित ईस्वर होगा। ईश्वर के अनुभव को शब्दों में बयां नहीं कर सकते। हमने बहुत प्रयास किया कि उन्हें शब्दों में लिखा जा सके परंतु नहीं लिख सकते जिस प्रकार जब स्त्री पुरुष में संबंध बनाए जाते हैं तो जो आनंद के अनुभूति होती है उन्हें शब्दों में नहीं लिखा जा सकता उसी प्रकार ईश्वर के अनुभव को शब्दों में नहीं लिखा जा सकता।
गुरूजी को नमस्कार और योगी जी को अभी और साधना कि आवश्यकता हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद जय श्री राम
गुरुजी जितनी आयु बची हे उतनी वेद समजनेमे लगाये और बाकी यमराज जी समजयेंगे 🙏राधे राधे 🙏🚩
Kuch bhi kaho manusmriti darshan upanishad har jagah vedo akhilo dharm moolam bola hai matlab ved hi dharm ke.mool hai kyuki keval ved hi ishvar dwara direct diya hua gyan hai isliye ved ko hi keval shruti kehte hain aur ved mei kahin bhi avatar vaad aur moorti pooja nahi hai
Aur swami dayanand saraswati ne bhi debate mei aise hi jeete the ved mei moorti pooja koi na dikha paya unhe aur na idhar apke pauranik guru dikha paye koi praman
Radha koi thi hi nhi bolo ok namaste
तुझे ज्यादा आते हो तो समझाओ
योगी विशाल जी जिस अनुभव की बात कर रहे हैं वह हमारे पूर्व स्मृति होती है, यह प्रयोग हमारे आश्रम में हमने साधको पर किए हैं, पांच साधक को बताया गया कि हमने गधे कि मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर दी है यह ईश्वर की स्वरूप हो गई है मूर्ति, जबकि पाँच साधकों को बताया गया कि कृष्ण की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है अब यह ईश्वर रूप हो गई है मूर्ति, और पांच साधकों को बिना मूर्ति के साधन में बैठाया गया। परिणाम उत्तम थे गधे वाले को गधा ही परमात्मा रूप में बात कर रहा था अनुभव दिला रहा था कृष्ण वालों को कृष्ण रूप में बाते और अनुभव करा रहा था जबकि बिना मूर्ति वालों को वह आनंद का अनुभव कर रहा था और ज्ञान विज्ञान का अनुभव कराया जो बात उनको नहीं बताई गई कभी उन्होंने सुनी भी नहीं थी उस पर तर्क वितर्क कर रहें थे। इसे ही ईस्वर कि कृपा कहते हैं. और योगी होने के नाते हमारे तो अनुभव सभी प्रकार के हैं। अगर किसी को ईश्वर के दर्शन करने हैं जिस रूप में भी करना है वह संपर्क कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे वह ईस्वर नहीं आपकी स्मृति आधारित ईस्वर होगा। ईश्वर के अनुभव को शब्दों में बयां नहीं कर सकते। हमने बहुत प्रयास किया कि उन्हें शब्दों में लिखा जा सके परंतु नहीं लिख सकते जिस प्रकार जब स्त्री पुरुष में संबंध बनाए जाते हैं तो जो आनंद के अनुभूति होती है उन्हें शब्दों में नहीं लिखा जा सकता उसी प्रकार ईश्वर के अनुभव को शब्दों में नहीं लिखा जा सकता।
गुरूजी को नमस्कार और योगी जी को अभी और साधना कि आवश्यकता हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद जय श्री राम
🙏🙏🙏🙏🙏 उत्तम जानकारी
जय श्री राम
जय श्री कृष्णा
गुरु जी को सादर प्रणाम
अद्भुत ज्ञान दिया आपने
वेदों का ज्ञान आज की youth के लिए अनिवार्य है। कृपया कोई भी धर्म से जुड़े सवाल और उसके सही उतर ढूँढने का सही प्रयास करे। वेदों के ज्ञान के पूर्ण ही हम सब भारत वासी हर सवाल के सटीक उतर देने योग्य बनेंगे। 🙏🏻
बहुत सही कहा 👍
Jis dharm me bahut saare bhagwan ko puja jata hai use dharm nahi pakkhand kehte hai😃😃😃kaafir
आपने कभी वेद पढ़ा है?
😂ua-cam.com/video/CwQk6JX0jk0/v-deo.htmlsi=7ygIRMzzNGVR5R4P
बहन जी धर्म तो एक ही है बाकी तो सब मजहब एवं पंत हैं धर्म तो केवल सनातन वैदिक धर्म है
आप बहुत बहुत धन्यवाद दूंगा आर्य समाज का जिन्होंने मेरे जीवन परिवर्तन किया
शास्त्री जी को नमन। वेद ही जीवन है। हम सभी को वेद पढ़ना और पढ़ना परम कर्तव्य है। 🚩🙏🏻
Yogi ji sach me gyani vyakti h...👌👌👌
I am with Aggarwal ji. Jasa jasa i listen you. I become fan of you. Now I will study Arya samaj
Same I'll also study about arya samaj
Read Satyarth Prakash first.
पूर्ण बकवास है आर्य समाज मेरे भाई।
@@KALKIKALIYUGtumhare jese budhimaan vyakti ko ishwar sadbudhi de
@@shona2262 पढ़ लिया पूरा? पहले पढ़ लो, बिना पढ़े मैं निष्कर्ष नहीं देता।🙏 सद्बुद्धि की आवश्यकता आपको अधिक है।
दर्शनशास्त्र का वचन है ज्ञानेंमुक्ति: यानी ज्ञान ही मुक्ति का मार्ग है | यानी जब हम वेद और दर्शन शास्त्र पढके ज्ञान प्राप्त करते हैं तब हमें परमात्मा का सही स्वरूप पता चलता है हमें परमात्मा के गुण कर्म स्वभाव के बारे में पता चलता है| बिना ईश्वर को जाने ध्यान साधना व्यर्थ है क्योंकि व्यक्ति ध्यान ही उसी चीज का करता है जिसे वह जानता है बिना ईश्वर को जाने अगर व्यक्ति ध्यान करता है तो वह ध्यान नहीं वह उस व्यक्ति की कल्पना मात्र है|
इसलिए मैं आदरणीय गुरुजी के बाद से सहमत हूं हमें ईश्वर को वेदों एवं दर्शन शास्त्र के माध्यम से जानना चाहिए और उसके बाद ध्यान करना चाहिए|
यह अच्छी चर्चा है। जब वेद एवं तर्कों के अनुसार सृष्टिकर्ता परमात्मा निराकार, सर्वव्यापी है तो वह सब स्थानों पर पहले ही है तो उसको अवतार लेने की आवश्यकता ही नही है। इसलिए अवतारवाद का सिद्धान्त गलत है। अतः अवतार होने प्रश्न नहीं उठता। जहां भी अवतार का समर्थन किया गया है वह भ्रमात्मक है। अवतारवाद के कारण बहुत से गलत विचार प्रचलित हो गये हैं। जब निराकार है तो परमात्मा की मूर्ती भी नहीं बनाई जा सकती। जड मूर्ति पूजा के कारण मजार पूजा भी प्रचलित हो गयी है और मूर्तियो व मजार पर चढावा चढाने का प्रचार करके जनता को चढावा चढाने के लिए प्रेरित किया जाता और चढावे को प्रचारकों व पुजारियों द्वारा उठा लिया जाति है। कुछ व्यक्ति अपने को ईश्वर या ईश्वर का अवतार बताकर चढावे आदि के द्वारा लूट रहे हैं। विद्वानों का कर्तव्य है कि वेद व तर्क के अनुसार सृष्टिकर्ता परमात्मा, आत्मा, व प्रकृति के गुणों व परिभाषा का सही सही प्रचार करके जनता से अज्ञान को दूर करें।
Nirakar ka arth bina aakar nahihe.
लाजपत राय जी को देख बहुत अच्छा लगा। आर्य जी दिल से साफ है बुजुर्ग है, कुछ लोगों को लग रहा है वो अहंकार से बोल रहे है, पर ऐसा नहीं है, मैं खुद मिला हूं, मुझे उनसे मिले 2 वर्ष हो गय, उन्होंने उस समाय मेरी पुस्तकों में अत्यंत सहायता करी थी आर्य जी। जो पुस्तकें मैंने चुन लो थी उन्होंने बिना देखे बोल दिया था अपने हिसाब से पैसे दे दो। क्योंकि मैं बालक था।
अपको ईश्वर और लंबी उमर दे 🙏
और मुझे आपसे दुबारा मिलने का अवसर दे।
सत्य बोलने में अहंकार होना ही चाहिए
ज्ञानी की पहेचान ही होती है जो ज्ञान के बाद अहंकार रहित हो जाता है। कमाल है गुरुजी की
Om hi satya h🎉
अच्छा मंच है होना ही चाहिए,,सत्य स्पष्ट होकर ही रहता है।वेदो अखिलो धर्ममूलम्।
सत्य वचन
Satya vachan❤
दोनों सत्य सनातनी वैदिक धर्म के प्रकाण्ड पंडित राजयोग एवं ऋषि हैं।
Bahut prasangik🙏🏻🌹
मैं आर्यसमाज और उसके विद्वानों के प्रति श्रद्धा और सम्मान रखता हूं और जानता हूं कि वे सत्य को जानते एवम् समझते हैं परंतु यह भी जानता हूं की आम आदमी वास्तव में ज्ञानी और पंडित नही है।इस एपिसोड में कई कमेंट देखकर लगता है कि सत्य को जानने या स्वीकार करने में उनका ज्ञान समर्थ ही नहीं है।
मेरे विचार से इस संबंध में मैं आर्य समाजियों से भी निवेदन करना चाहता हु कि वे मूर्ति पूजा को उस पहली कक्षा के बच्चे के समान समझे कि वह बच्चा अ एक अक्षर है,नही जानता वह अ से अनार ही बोलेगा अगली कक्षा में अ से अनार के साथ अमरूद,अन्नानास, अदरख भी पढ़ता है तब उसे पता चलता है कि अ से बहुत शब्द बनते हैं अ अनार नही एक स्वतंत्र अक्षर है उसी प्रकार यदि मूर्ति पूजक भी यह सत्य जान ले कि मूर्ति में भी भगवान हैं,ठीक वैसे ही जैसे कण कण में हैं,किंतु मूर्ति ही भगवान नहीं है।परंतु पौराणिक मूर्ति को ही भगवान मान बैठा है उसका ज्ञान आगे बढ़ना ही नही चाहता।
आपने सत्य वचन कहा है मान्यवर ❤❤
वाह अदभुत
धन्य हैं
आप को प्रणाम है
आस्था का संबंध भाव से है, मूर्ति के रूप में भाव प्रदर्शित किए जाते हैं और उन्हें ही निहिलाया खिलाया और सुलाया जाता है।
@@user-tg8sb6dv1e 🤦♂🖐😃😃😃🤣
अत्यंत सहज व सरल अभिव्यक्ति।।ज्ञान का परम तो अ उ म से शब्द ब्रह्म को जान लेना है जो कि ध्वनि ॐ है जिसे माहेश्वर सूत्र में शिव के डमरू से पाण्नी महाराज ने प्रथम बार सुना,। तो *म* मकार से मौनता की अनुभूतिगम्यता हेतु हमारे सामने रख दिया। कोई सांसारिक ध्वनि नही केवल अनहद ॐ😊वही परमब्रह्म:तत्सत।।
परमात्मा सर्वव्यापी है औरनिराकार भी है जीव और परमात्मा में अंतर इतना ही है कि जीव शरीर को धारण करता है परमात्मा शरीर को धारण नहीं करता क्योंकि इसका विशिष्ट गुण निराकार है परंतु प्रत्येक पदार्थ को यह प्रभावित करता है इसलिए यह सर्वशक्तिमान है इसलिए इस अवतार लेने की आवश्यकता नहीं होती विशिष्ट कार्य के लिए आत्मा को प्रेरित करता है इस तरह प्रत्येक पदार्थ इनके अधीन है इसलिए परमात्मा सर्वशक्तिमान है आत्मा का अवतार होता है परमात्माका नहीं इसलिए वेद कहता है परमात्मा के विषय में नत्स्य प्रतिमा अस्ति इसलिए परमात्मा शक्ति के स्रोत हैं
✌️😎👌
जब शाश्वत परमात्मा पंचभूतों के द्वारा नश्वर अवतार धारण करता है, तब उसे भगवान कहा जाता है, और भगवान की ही प्रतिमा होती है, परमात्मा के विराट विश्वरूप की प्रतिमा संभव ही नहीं है ।
आत्मा, परमात्मा का ही स्वरूप है ।
🚩जय श्री सीताराम 🙏
नास्तिको वेद निन्दक:।
Parampita paramatma nirakar Jyoti Bindu arthat Prakash swaroop hai, sarvashatiman hai, gyan,Pavitrata, Shanti, Shakti, sukh,Prem wa Anand ke sagar arthat sort hain.........parantu sabmain pyapt nahin hai 🙏
I am truly indebted to Dharma Live for inviting GuruJi and Yogi Ji. I am truly grateful Guruji and Yogi Ji for enlightenment. Love you both of you.
शास्त्रों की चर्चा शास्त्रार्थ के माध्यम से होती है. ताकि दोनों ज्ञानी एक दूसरे का ज्ञान वर्धन कर सकें. वेद और शास्त्रों का ज्ञान केवल पढ़ लेने से नहीं होता है. मनन करने में पूरी आयु निकल जाती है.
लाजपत जी शास्त्रार्थ के बजाय विवाद का उपयोग कर रहे हैं. केवल मेरा कहा ही सत्य है. सत्य को आज तक शब्दों में कोई नहीं बता पाया.
हमारा धर्म सत्य सनातन वैदिक धर्म है।
सनातन कोई धर्म नहीं है बल्कि हम खुद सनातनी हैं
@@shashiprabha9887bhai pehle dharm shabd ka arth Jano aur sanatan shabd ka arth pehele Sandi viched Karo phir tumhe apne aap pata chal jayega ❤
@@shashiprabha9887सनातन का अर्थ होता है ,सदा रहने वाला क्या आप का शरीर सदा रहेगा ? अगर आप का उत्तर" नही " है तो फिर सनातन क्या है ?
@@SanataniArya83bhai tera bat sahi hai sada rahne wala sada khane wala Lekin india me 90% mit machhli khata hai ? mit machhli khane wala aadmi hindu hai ki nhi
@@SanataniArya83gussa mat hona tera se jana chahte hai ye log hindu hai ki nhi
योगीजी मे अभी ज्ञान का अभाव है । सिर्फ़ बात घुमा रहे है तथ्यों से कुछ भी सिद्ध नहीं कर पा रहे । सनातन धर्म का आधार ही वेद है । अग्रवाल जी परम ज्ञानी है । वेद अल्पबुद्धि वालों के समझ के परे है तभी इससे पढ़ने का अधिका भी सबको नहीं था और इसलिए पुराणों की रचना की गई थी । वेद को समझने का सरल रास्ता वेदान्त है जिससे उपनिषदों के रूप मे रचा गया है । और किसीभी उपनिषद मे भी अवतार की चर्चा नहीं है । तत्वम् असि 🙏 एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति 🙏 अद्वैत वेदान्त ज्ञान को संतुष्ट करने वाला वेदों का सार ही है ।
Thottha channa bajje ghanna.
Yogi ji upnishad keh rahe hamare mukhya 11 upnishad mai kaunsa avtar ki charcha hai? Upnishad bhram ki charcha kar rahe..
Vedon mai devta aur bhramm hai
Ishwar sarwashaktiman hai. Nirakar bhi hai aur sakar bhi hai.
Nirakar gyan pradhan hai aur sakar prem pradhan hai .
Nirakar universal aur sakar personal.
Nirakar roop me ek hai to sakar roop me anek.
Ved gyan-vichar pradhan hai to Puran prem bhakti pradhan.
Nirakar roop dada sashwat hai to sakar roop samay ke anusar.
Nirakar aur sakar ek hin sikke ke do pahlu hai.
आप ने समझा नही अग्रवाल जी रट्टू है गियानी नही। इस बात को समझो
पहली बात तो आप पहले उसी व्यक्ति को बुलाओ जो बराबर का ज्ञान रखता हो अगर आप बुलाना चाहती हो तो अग्रवाल जी के सामने राघवाचार्य जी को बुलाओ फिर पता चलेगा अग्रवाल जी को ईश्वर अवतार लेते है कि नही
@@kapilkushwaha2658 बिल्कुल सही कहा आपने
सत्य सनातन वैदिक धर्म सहि है।गुरुजी हर शब्द सहि बोल रहेहै विशाल जि ने सत्य स्वीकार करन चाहिय।
गुरु जी का एक बात बहुत अच्छा लगा , लड़ाई आस्तिको के कारण होता है और ये बात सत्य है आज तक जितना भी लड़ाई हुआ है सब धर्म के कारन हुआ है |
वेद सत्य विद्याओं का पुस्तक है। इसमें सब विद्या की जननी है
Sanskaar dikhao ved me ...yagyapabit or nama Karan sanskaar dikhao ved me ..agar nehin hai toh karte kyun ho ?
Chal be
Satya koi praman nhi de sakta,ye anubhuti ka vishay, Bhagwan, Bed , aur ye sab lekar
Satya ka koi praman nhi hota, praman khali anubhuti, debate ek murkhta, jo avi ho raha hai, aur Guru ji jisko khe rahe ho, unka attitude koi gayni insaan ka lakshan nhi hai,isko ( Guru ji) kaha se le aaye.
@@bikashraut645
ये पता है वेद में कितने प्रकार के मुख्य विषय है ???
श्रद्धेय योग योगी श्रीमान बद्रीविशाल जी,के अद्भुत,दिव्य साथ ही सरल, शालीन,सुंदर व सत्य ज्ञान को स्वभाव को मेरा सादर नमन।।
🙌🙌
Excellent yogi ji🎉
आज के समय पर कोई वे्दोंको समाज नाही सकता, हमारे संतोने भगवान की असीम कृपासे वेदोंका सही अर्थ निकाला हे वही पुराण, संत तुकाराम महाराज जी की गाथा और संत ज्ञानेश्वर महाराज जी की ज्ञानेश्वरी पडीये 🚩🙏🙏
Puranme mantra hoti hai gurugi thank you.
अति सुन्दर संवाद सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय
ईश्वर निराकार है, सर्वशक्तिमान है,अगर वह इच्छा अनुसार साकार रूप धारण करते हैं तो इसमें आश्चर्य की गुंजाइश नहीं। रिषि मुनि निराकार की अराधना करते हैं। लेकिन सर्व साधारण खासकर वह जो पढ़े लिखे नहीं है उनके लिए साकार की अराधना उपयुक्त है। कर्मकांड
भाई जी भगवान शिव निराकार राजस्थान में आया है इस भषटाचारी दुनिया को खत्म कर नयी श्रेष्ठाचारी दुनिया बनाने 1936 से धरती पर आया है उसका नाम परमपिता परमात्मा शिव निराकार सत्यम शिवम् सुंदरम है ज्योति बिन्दु स्वरूप है अब वह प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा भारत को स्वर्ग बनाने आया है
सश्वत सत्यसनातन वैदिक धर्म
सत्यं शिवं सुंदरम्
जैसे राष्ट्र पति की कोई पार्टी नहीं होती ठीक वैसे ही सृष्टि कर्ता ईश्वर का कोई मत महजब पथ सम्प्रदाय आदि अलग से नहीं होता है।। सत्य सनातन धर्म एक है और असत्य झूठ पाखंड मन घडंत पथ अनेक है। जय वेद भगवान्। ओउम्।
जिस परमात्मा ने विशाल ब्रम्हांड को बनाया जिसमे अनगिनत आकाश गंगाए ,तारे,ग्रह बनाये है जिसने विविध प्रकार के जीव जंतु पक्षी ,विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे बनाये और अरबों की जनसंख्या में हर व्यक्ति की पहचान और चेहरा अलग है इतनी विविधता जिस परमात्मा ने बनायीं है उसके लिए अवतरित होना कोनसी बड़ी बात है जो निराकार होकर साकर सृष्टि की रचना करता है वो खुद भी साकर रूप में प्रकट हो सकता है उस सर्वशक्तिमान ईश्वर के लिए कुछ भी असंभव नही है।
सत्य ❤❤
Wo kar sakata hai par karega nahi ye uski attributes ke kilaf ab tum aise bol sakte iswar sabkuch kar sakta to use bhuk bhi lag sakti bachhe bhi paida kar sakta hai aorat se ye sab kar sakata par karega nahi ye uske attributes ke kilaf hai
@@user-mk9nf4ge1b mat samjha bhai inhe ye us layak nhi hai jo samjh saken 😂
Jab Maine kaha ishvar sarv vidyaman hai to bhai avtak kyun hi lega jab pahle se hi har jagah hai 😂😂
Har jaga hai prakat ki khud is nirakar bhada ideilogy ko hamesh ghumate raho
Bahut sahi Bhaiji
गुरु जी ने बहुत ही सही विश्लेषण किया है।
अच्छा संवाद सुनकर आनंद आया कुछ समझने का मौका मिला
मेरे को तो इतना खुशी है कि हमारे सनातन धर्म में इतना महान व्यक्ति हैं जो भटके हुए लोगों को राहपे लाने के लिए अपनी पूरी जीवन वैद और ग्रंथ को समझने में और जनता तक पहुंचने में अपने सारा जीवन बिता देते है इस चैनल को मैं सब्सक्राइब किया हूं यही हमारे धर्म के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए जय सियाराम सत्य सनातन वैदिक धर्म कि जय
गुरु जी और योगी जी दोनो वीद्वान है परन्तु यदि अंहकार को छोड़ कर सहजता स्वीकार्यता सम्मान का सहारा लिया जाय,ओर सतर्कता से बात कही जाय, प्रमाण तब तक न मांगा जाय जब तक मंथन न करलिया जाय तो संवाद सार्थक होगा!
कृपया बताएं कि धर्म क्या है,यह प्रश्न योगी जी से व गुरुजी दोनों से है?
ईश्वर की वाणी वेदों को अपडेट करने की सामर्थ्य ईश्वर के सिवाय किसी में नहीं है।
गुरु जी ने यह बात तो ठीक कही है कि पूर्वाग्रह से प्रभावित होकर नहीं कहना चाहिए।
सर्वशक्तिमान ईश्वर को मानने वाले ऐसे तर्क देते हैं जिससे ईश्वर की सर्वशक्तिमान को ही चुनौती देते प्रतीत होते हैं। ईश्वर सर्वशक्तिमान है सर्वसमर्थ है।
योगी जी मैं आपसे सहमत हूं।❤❤❤ भगवान तो सिर्फ अनुभव का भगवान है।
Gud me neem ka anubhav ho sakte hai kya bhai
Tum To yogi Ji Se sahmat Ho Gaye na Kyunki dukaan Tumhara chal raha hai na jitne bhi Brahman Samaj yogi Ji ke Baton Se Sab sahmat hai
Nahi Abe unki baat dheyan se sun pahle thik hai wah bhagwan ko janne ki baat kar rahe hai manne ki nahi tum bhi Jano bhagwan kaun hai kaisa roop hai kya hai kya nahi@@mdalirahi67
Bhagwaan ka anubhav kis sources se hoga.... bta bhai
सही कहा गुरु जी वेद में ही केवल मंत्र है
Mantra sirf Vedo me nahi hai,agar Maa kisi bete se kah rahi waha mat jao gir jayega,to ye usake liye mantra hi hai.....
Mana kisne kiya ? Par Pramaan keval ved hi hai yeh kehna galat hai ..warna toot jaoge aap
Mantra ke mayne hai jisme mann ka tran ho yani jisse mann stambhit ho prasann ho
Upanishad me bhi hai
Juru Ji ne ekdam Satya wachan
अप्प दीपो भव
वैदिक धर्म और तथाकथित धर्मो की एक प्रमुख ग्रंथ होता है वैसे सृष्टि के आदि से वेद वैदिक धर्म का प्रमुख ग्रंथ वेद है वेद का अर्थ ज्ञान है जिसे ईश्वर ने सृष्टि के आदि में कुछ ऋषि मुनियों को समाधि की अवस्था मे दिया था वेदो श्रुति ग्रंथ भी कहते है जिसका अर्थ सुनकर कंठस्थ करना। ऋषियों मुनियों ने वेदो को अपने शिष्यों को सुनाकर कंठस्थ करवाया और फिर उसी ज्ञान को लिपिबद्ध करके चार भागों में लिखा गया वेदो को ज्ञान को जानकर ऋषियों मुनियों व अन्य लोगो ने सरल करके अन्य ग्रथो की रचना की। जो आर्ष ग्रंथ कहे जाते है बाकी सब अनार्ष ग्रंथ है अगर आपको किसी भी धार्मिक ग्रंथ जो बातें वेद विरुद्ध है उसे न माने जो बातें वेदो के अनुकूल उसे मानना चाहिए। और वेद कहते है कि बिना तर्क के क्योई भी बात माननी नही चाहिए। बुजुर्ग व्यक्ति ने निष्पक्ष और तार्किक बातें कही। लेकिन योगी जी 90% बिना सिर पैर की कर रहे है कुछ लोग अंधभक्त और पाखण्ड में फंसे रहना चाहते है अपने शास्त्रो को अध्ययन करें। अगर कुछ समझ न आये तो किसी परंपरागत वैदिक गुरूकुल के आचार्य जी संपर्क करके उनके सानिध्य में शास्त्रो का अध्ययन करें धन्यवाद🙏वेदो और गुरुकुलों की ओर लौटो🙏 ओ३म🙏
ओम् 🚩
@@Brahmachari-df7lk ओ३म नमस्ते🌹🙏☺️
अनेक अवैज्ञानिक गपोड़ गाथाओं से सटीक और कम शब्दों में बुजुर्ग गुरु जी के कथन तार्किक है।
Guruji to nastik hai . Kya anubhab hai . Kuch nahin
Agar jankari Lena hai to adhyatmik Iswariya Viswavidyala ko khoj kijiye
Guruji ki naim par pura murkh hai
Bhagwan ka parichay koi shashtra de nahi Sakta hai parantu woh aakar khud deta hai . Isliye unhen Khuda kahagaya hai.
Ye gapodne me kam nahi hai
मैं मंदिर नहीं जाता हूँ पर श्री Ram जी की प्राण प्रतिष्ठा के स्वरुप को टीवी पर देखते ही मेरे हाथ प्रणाम को उठ जाते हैं ये ही भगवान के अस्तित्व का प्रमाण है
भगवान का अस्तित्व है उसमे कोई शक नहीं। लेकिन आपके हाथ प्रणाम के लिए उठ गए वो आपकी आस्था या फिर कहूं आपके परिवार और परिवेश की आस्था है। आप सिर्फ भेड़ चाल कर रहे हैं यदि आप मंदिर नही जाते और देखा देखी प्रणाम कर लेते हैं। बुरा नही मानिएगा कुछ कॉमेंट करने से पहले 2 मिनट सोचिएगा।
Ayodhya in India is now who is that Buddha, in the time of Buddha, there was a sage named Babar, when he armed with Buddha, met with Buddha, from that day he learned Buddhism, after losing, after Buddha's parinirvana, there was a Buddhist named Babar. Stupa was built, after the Muslim conquest, it was named Babar Masjit
Satya sanatan vedic dharm ki jai
बिखरे हुए समाज को जो एक सूत्र में बंद है वही धर्म सबसे उत्तम धर्म है
आपने बिल्कुल सही कहाँ है गुरु जी ने 🙏🕉️
🙏🌹धन निरंकार जी 🌹🙏
🙏🌹 परमात्मा को मानना और
जानने में बहुत अंतर है 🌹🙏
🙏🌹 परमात्मा शब्द में नहीं आ सकता और कहीं कोई जगह खाली नही है 🌹🙏
Yk Rana
29:05
Are wa arya ji kmal ker diya 🙌🙌🙌🙌
आर्य समाज 🎉🎉❤❤
Yogi Vishal ji sahi hain,
Parampita paramatma Nirakar Jyoti Bindu swaroop hai........
Unka abtaran hota hai na ki Janam.....
Parmatma Kan Kan main hota to sab khoj kyun ho raha hai...,
Parmpita paramatma sarvashaktiman wa unch te unch hai
Om ka arth jyoti wa prakash hin hota hai 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Yogiji bat ka answer dene ke badale ghumate jyada dekhe aur Guruji bahot gyani aur ye gyan itni padhai ke bad hi ata hai isiliye vo thode garam hai because koi vyakti saty ko janta hai ho kadapi asaty ko swikar nai ksr sakta Me bhi Guruji ki bat se agree karta hu ved hi sabse upari hai baki sanvad sunkar achcha laga Saty sanatan dharm ki jay 🙏
गुरु जी ने ईश्वर की प्रार्थना उपासना के प्रथम मंत्र का व्याकरण सहित हिंदी अनुवाद सत्य है ... वेदानुसार सत्य है
दीवाना अंचल दीवान
रामभद्राचार्य जी से शास्त्रार्थ कराएं आर्य समाज वालो की🙏🙏🙏🙏🙏
Rambhadracharya , katha vachak jyada h, tatva charcha alag chiz h,
Ha , shankaracharya se prashna karna uchit h
मुंडक उपनिषद के श्लोक 3.2.9 ..
“स यो ह वै तत् परमं ब्रह्म वेद ब्रह्मैव भवति नास्याब्रह्मवित्कुले भवति”
ब्रह्म ही ब्रह्म को जानता है।
इसलिए यहां पर तर्क करना तो ठीक है लेकिन किसी नतीजे पर वेद भी नहीं पहुंचा तो हम कैसे पहुंच पाएंगे।
ईश्वर का अस्तित्व है उसे तलाशने के लिए गल ना होता है, ध्यान,साधना, तपस्या के मार्ग से उसकी अनुभूति और दिव्य दर्शन किए जा सकते हैं, मैं इस बात को प्रत्यक्ष प्रमाणिकता से जानता और मानता हूं । जिन देखन तीन पाईया ।
गुरुजी आज की जनरेशन जो अंग्रेजी माध्यम में पढ़ रही है उन्हें हमारे वेद और पुराणों का ज्ञान किस तरह समझाया जाए उस पर योगी जी काम कर रहे हैं ज्ञान आप दोनों का ही असीम है बस शिक्षक आप दोनों अलग तरह के है ।
Aapko agarwaal ji ka nahi pata
Sahitya jagat me inka naam hi kafi hai
Kuraan ,baibel,bodho ke granth sabki khaal utari hai agarwaal ji ne. Aapk kya jano inke bare me
ॐ विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव।। यद् भद्रं तन्न आ सुव।। - (ऋग्वेद ५।८२।५)
YOGI JI NE BAHUT SARAL SAMJHAYA HAI, JABKI GUR JI KE ANDAR AHANKAR PRATAIT HO RAHA HAI
श्री लाजपत राय अग्रवाल जी देश के प्रतिष्ठित अमर प्रकाशन के संस्थापक है। ये अमर स्वामी के शिष्य है। गुरुकुल कांगड़ी के स्नातक है। हजारों पुस्तको के संपादक है। बहुत योग्य पुरुष है।इसीलिए वे टू द प्वाइंट उत्तर दे रहे है। योगी जी आपके सारे प्रश्न का उत्तर बहुत आसानी से मिल सकता है।प्रश्न का उत्तर नही दे रहे योगी जी
लाजपत राय जी के वर्णन किसी विद्वान के अनुसार तो नहीं लग रहे हैं....
Kyunki wo shabdon ki jalebi nhi bana rhe to maza nhi aa rha hoga@@alpanamittal8270
yogi ji pranam
🙌🙌
Pandit Yogi Vishal Tiwari Ji ko shat shat naman koti koti pranaam.❤❤❤🌹🌹🌹
Aapki saralta aur sookshm gyaan se mai bahut prabhavit hua hoon.
Aapke shabdo me vadant ki gahraayi hai.Aap vaad me baithkar samvaad sahit jabki vivaad se rahit hain.Aapka purna jor tatva gyan ke shravan manan aur chintan per tha na ki na ki vedo aur upnishad se mantro aur richao ko sunakar apne ko gyani siddha karne ka tha.🙏🙏🙏🙏👌👌👌👌
यह सत्य है कि सत्य सनातन वैदिक धर्म ही सबसे सत्य है पर हमारे धर्म ग्रंथ में जितने भी मिलावट है उनको शुद्धि करण करना जरूरी है हरि ओम सत्य सनातन वैदिक धर्म कि जय 🕉️🙏🚩 जय जय श्री सीताराम
मैं भी यही मानता हूं कि इस्लाम धर्म ही सत्य है तो कैसे पता चलेगा कौन सही है 😂
@@rashidmohammad5050 तुम्हारे कुरान और हदीस में कौन आक्रांता ने कब्जा करके उसमें मिलावट किया था तुम लोग तो बोलते हो आसमानी किताब है तो इसमें कैसे मिलावट हो गया और मिलावट हुआ है तो उसको हटा दो अच्छा रहेगा नहीं तो जाकर एक्स मुस्लिम समीर के यूट्यूब चैनल देखो
@@rashidmohammad5050 अपने धर्म ग्रंथ को पढ़िए और अपनी बुद्धि से विचार करिए की जो आपके धर्म ग्रंथ में जो बातें लिखी है वह विज्ञान की दृष्टि से कितनी सही है|आप अपने धर्म के सिद्धांतों पर डिबेट भी देख सकते हैं उससे भी आपकी बुद्धि बढ़ेगी|
@@Brahmachari-df7lk yahi baat to aap par bhi fit hoti hai
@@rashidmohammad5050 हां भाई यह बात मुझ पर भी लागू होती है
आर्य समाज के गुरु जी सही कह रहे हैं क्या ईश्वर ने वेद में कहा है कि हम राम कृष्ण और शंकर भगवान के आए थे धरती
जब वेदों की रचना हुई तब हर व्यक्ति आदर्श होता था और भगवान की आवश्यकता नहीं पड़ी जैसे जैसे मनुष्य कुकर्मो होता गया भगवान की आवश्यकता पड़ी और डिमाण्ड अनुसार सप्लाई की गई🎉........
😂
Kya conclusion niklaaa re mere pyare yogi ji
वेद नित्य जब राम हुए तब भी वेद था । जब कृष्ण हुए तब भी वेद था । जैसे कि अश्वमेध यज्ञ राम जी ने किया जो कि यजुर्वेद के 22 अध्याय में प्रतिपादित है यज्ञ को ही सब कुछ माना गया है यज्ञ में ही ईश्वर का स्वरूप देखा गया है पुरुष सूक्त में यज्ञ की या उस नारायण का स्वरूप है उसकी व्याख्या किया गया है किंतु समय हमारे यहां ऋषियों ने शास्त्र स्मृति पुराण का का लेखन किया दयानंद सरस्वती जी 18 वीं शताब्दी के हैं उससे पूर्व हमारे यहां पतंजलि की आदि गुरु शंकराचार्य जी आदि ऋषि हुए हैं उन्होंने ईश्वर को स्वीकार किया है
महऋषि दयानंद सरस्वती जी की जय।
What is His parampara?
🙏🙏🙏❤️❤️
@realistiवेद की मन्ये और किसी का नहीं ccoments283
अति सुंदर संवाद सत्य सनातन पर रखा लाजपत जी को मेरी ओर से नमस्ते
उचित तो यही रहेगा कि रामभद्राचार्य जी और गुरु जी की डिबेट करवाई जाए तो शायद यह डिबेट और ऊंचाइयों पर पहुंचाई जा सके।
सनातन धर्म की जय
Sanatan Vedic Dharma ! Bolo.
Satya Sanatan Vadikdharm
भगवान के सब रूप है निराकार भी आकर भी ज्योति स्वरुप भी, कड़ कड़ मे भी वो है सबके अंदर भी वो है सब वो ही है उसके सिबा कुछ भी नहीं है जिसकी जैसी श्रद्धा है वैसा भगवान को मान लो उसी से बेडा पार हो जायेगा.. जय श्री राम
Sambhav sambhav hota hai asambhav sambhav nahi hota.
Samjhe kuch
Jiska akaar nahi ho sakta use hi to nirakaar kehte hai bhai
Uska aakar ho gya to nirakar nahi ho sakta
Nirakar ka definition...
इस बातचीत से पता चलता है कि उम्र से ज्ञान का कोई लेना-देना नहीं है
Bahut achha yogiji
भारत भगवान का हृदय भगवान हृदय में ही रहते हैं अंग में नहीं
भाई आज से ढाई 3000 साल पहले एक ही आर्यावर्त देश था उसमें चक्रवर्ती राजा शासन करते थे| जैस श्री रामचंद्र जी अपने समय में पूरे आर्यावर्त देश के चक्रवर्ती राजा थे| पहले तो देश ही एक था| आपके अनुसार देश मतलब हृदय पहले तो देश ही एक था तो पूरा संसार ही भगवान का हृदय होना चाहिए मतलब आपके अनुसार तब ईश्वर तो कहीं भी अवतार ले सकता था तो भारत में ही क्यों|
मैं वेदों को मानने वाला हूं | मेरे लिए वेद ही परम प्रमाण है| वेद में लिखा है न तस्य प्रतिमा अस्ति यानी उसे परमात्मा की कोई प्रतिमा नहीं है यानी उसे परमात्मा के समान कोई भी वस्तु या पदार्थ पूरे संसार में नहीं है| इस मंत्र से जो साफ स्पष्ट हो जाता है कि वह ईश्वर अवतार नहीं लेता बिना शरीर के वह सारी सृष्टि बन सकता है चला सकता है प्रलय कर सकते हैं अथवा अनेक अनेक काम कर सकता है तो उसे अवतार लेने की आवश्यकता नहीं है इसलिए वह अवतार नहीं लेता|
@@Brahmachari-df7lk
नाम ब्रह्मचारी है... और परमात्मा को रे ते कहकर संबोधित कर रहे हो... ये क्या तरीका है !
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कह रहे हो.. की मै वेद को मानने वाला हूँ /
तो क्या....
ये संस्कार वेदों से सीखे हो !
जरा बताना मुझे.. मैं जानने का इच्छुक हूँ ?? ऊँ.
@@user-xb2et2ql3p प्रिय भ्राता श्री, टाइपिंग में कोई भी प्रकार से गलती हो उसके लिए माफी चाहूंगा।
कृपया करके बोल की खाल मत निकालो।
@@Brahmachari-df7lk
मिस्टेक एक बार होता है.. बार बार नहीं /
खैर ---
मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता...
मैने ये तुम्हारे लिए कहा.. की अपवाधबोध से बचो !
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अब मैं.. चलना चाहूंगा ---
हमसे कुछ पूछने की इच्छा है तो पूछ लो ?? ऊँ.
विशाल योगी जी को कोटी कोटी नमन
🙌🙌
पवित्र श्रीमद् भागवत गीता के अंदर तो अवतारों का वर्णन वासुदेव कृष्ण के मुख से कई बार आया है और वासुदेव कृष्ण तो एक महान आर्य थे । और वैष्णव मत के अनुसार ईश्वर के पूर्ण अवतार भी।
आस्था का संबंध भाव से होता है, और भाव ही प्रदर्शित किए जाते हैं मूर्ति के रूप में खिलाना सुलाना निहिलाना आदि ।
जो अपडेट होता है वह सत्य नहीं हो सकता है। जो अपडेट होता है वह ना सार्वकालिक है,ना सार्वभौमिक है,और ना नित्य है,ना अनादि है,ना अनन्त है।
वेद नित्य, सत्य और शाश्वत ग्रन्थ हैं ! योगी जी को यह पता होना चाहिए कि नित्य सत्य ज्ञान को कभी अपडेट किया ही नहीं जा सकता! जैसे गन्ना मीठा होता है, यह सत्य है , तो क्या भविष्य में कभी गन्ने में उसके मिठास - गुण को अपडेट करने की अपेक्षा होगी, कदापि नहीं!
Genetic modification ke bare me kya khyal hai?
@@anuradhanandanrkyaduvanshi9489 जैनेटिक मोडिफिकेशन के सम्बन्ध में स्पष्ट करें कि क्या जानना चाहते हैं
@@anuradhanandanrkyaduvanshi9489 जैनेटिक मोडिफिकेशन के सम्बन्ध में स्पष्ट करें जी, कि क्या कहना चाहते हैं
गुरुजी, परमात्मा अवतार लेते हैं परमात्मा कण कण में व्याप्त है वह असीम शक्तियों का मालिक है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती उसका कोई स्वरूप नहीं,वहां निराकार है, लेकिन वह हर कण कण में हर आकार में व्याप्त है जिस भाव से उसे याद करोगे उस भाव में दर्शन देंगे । जाकी भावना जैसी प्रभु मूरत देखी वैसी ।
वेद में सम्पूर्ण ज्ञान समाहित है।
जब जवाब नहीं पता तो मीठी मीठी बात और जलेबी ही तोड़ दें 😂😂😂😂😂😅😅😅😅😂😂 जानते तो है लेकीन मानते नहीं समझ में भी आ जाता है लेकिन दुकानदारी भी तो चलानी है 😂😂😂😂
Itna bhi nahi jitna tum roye
😂😊
हवा जब चलती हे तो उसे महसूस कर सकते है लेकिन देख नही सकते किसी आकर में या दूसरे किसी भी तरह तो इस का मतलब ये थोड़ी हुआ की हवा का अस्तित्व नहीं है, अगर कोई कहता है हवा का अस्तित्व नहीं है तो फिर वह महसूस क्यों होती है। बस इसी तरह भगवान का असित्व है जो दिखता नहीं है लेकिन उसे हम हर जगह महसूस कर सकते है शक्ति स्त्रोत से ।
योगी जी धरातल पर रहकर धर्म की व्याख्या कर रहे हैं ,,,अच्छा लगा
Jay gurudev
Itna Sundar satsang Maine pahle nahin dekha
आपके गुरु केवल प़श्न करने के आदी है, उत्तर का भार सामने वाले डालते हैं। दयानन्द महान है, अनेकों महान से महानतम ऋषि, विद्वान हैं।
Yogi ji main aapki baton se sahmat hun