बहुत सुंदर बात, बचपन में दादी खूब बातें सुनायी करती थी। अब भी कभी-कभी सुनाती है तो उनके मुंह बहुत सुंदर लगती है। आज भी जब लोमड़ी और अंगूर वाली बात सुनाती है तो हम दोनों खूब हंसते हैं। " चलौ य्हा सूं कहीं दूर, खट्टे है अंगूर "।
@@banjaranamaklaya4182सर, लोक में अब बात कहने वाले लोग न बराबर बचे हैं। और आने वाले दस-बीस साल बाद सायद कोई भी ना बचे। ये देखकर दुख होता कि इस दौर के बच्चे लोक कथाओं की बजाय मोबाइल पर रिल्स देखकर बड़े हो रहे हैं। देखते-देखते ही आंखों के सामने से हमारी चित्रकला लुप्त हो गई। इसी तरह एक दिन लोकगीत, लोककथाएं इत्यादि भी लुप्त हो जाएंगे। अब जो कुछ भी थोड़ा बहुत बचा है, उसे सहेजा जाना बहुत जरूरी है।
Bahut hi badiya kahani hai chhote bachchon ke liye, Angan badi ke bachchon ke liye bhi bahut upayukt hai. Danywad Prabhat.
शुक्रिया मुरली जी।
बहुत सुंदर बात, बचपन में दादी खूब बातें सुनायी करती थी। अब भी कभी-कभी सुनाती है तो उनके मुंह बहुत सुंदर लगती है। आज भी जब लोमड़ी और अंगूर वाली बात सुनाती है तो हम दोनों खूब हंसते हैं।
" चलौ य्हा सूं कहीं दूर, खट्टे है अंगूर "।
लोक कथाएं जहां भी जिससे भी मिले रिकॉर्ड कर लेनी चाहिए। अब इन्हें कहने वाले लगातार कम हो रहे हैं।
@@banjaranamaklaya4182सर, लोक में अब बात कहने वाले लोग न बराबर बचे हैं। और आने वाले दस-बीस साल बाद सायद कोई भी ना बचे। ये देखकर दुख होता कि इस दौर के बच्चे लोक कथाओं की बजाय मोबाइल पर रिल्स देखकर बड़े हो रहे हैं। देखते-देखते ही आंखों के सामने से हमारी चित्रकला लुप्त हो गई। इसी तरह एक दिन लोकगीत, लोककथाएं इत्यादि भी लुप्त हो जाएंगे। अब जो कुछ भी थोड़ा बहुत बचा है, उसे सहेजा जाना बहुत जरूरी है।
बहुत ही अच्छी लोककथा 🎉🎉🎉🎉
शुक्रिया आपका।
Bhut achi lok ktha sir ji
आपकी प्रतिक्रिया के लिए बहुत शुक्रिया।