121. निराशा में आशा की उजली किरण A ray of hope in despair
Вставка
- Опубліковано 9 лис 2024
- समाज में परिवार, परिवार की संरचना, परिवार के सदस्यों के आपसी संबंध के संबंध में अनेक नकारात्मक समाचार देखने में आते हैं और उनमें आंशिक सत्यता भी होती है इसे नकारा नहीं जा सकता परंतु इस नकारात्मकता के बीच अनेक सकारात्मक और प्रेरणादायक समाचार और प्रसंग भी है यह हमारे लिए निराशा के मध्य आशा की किरण है।
वरिष्ठ जन को भी एक बात सदैव ध्यान रखना चाहिए कि उनके और उनके बाद की पीढ़ी के मध्य आयु का लगभग 25 से 30 वर्ष का अंतर होता है। यह अंतर सोचने, विचारने, कार्य करने में परिलक्षित होता है और यह स्वाभाविक भी है। इससे वरिष्ठ जन को भी थोड़ा एडजस्ट समायोजन करना चाहिए।
मेरा विश्वास है यह वीडियो आपके लिए उपयोगी होगा और नवीन सामाजिक परिस्थितियों के संदर्भ में आपको विचार के लिए प्रेरित करेगा।
In society, many negative news are seen regarding family, family structure, mutual relations between family members and there is also partial truth in them, this cannot be denied but amidst this negativity, there are many positive and inspiring news and incidents, this is a ray of hope for us amidst despair.
Senior people should also always keep one thing in mind that there is an age difference of about 25 to 30 years between them and the generation after them. This difference is reflected in thinking, reasoning, working and it is also natural. Senior people should also adjust a little to this.
I believe that this video will be useful for you and will inspire you to think in the context of new social circumstances.
बहुत बहुत धन्यवाद सर आप का। बहुत ही अच्छी लगी यह विडियो।
धन्यवाद
Satyata ko naman
धन्यवाद
बहुत सुंदर विश्लेषण।
धन्यवाद
सर जी नमस्कार बहुत ही सुन्दर पक्ष साझा किए गए जय श्री महाकाल
धन्यवाद भाई आपका
धन्यवाद सर आपने सही जानकारी दी है
धन्यवाद आपका आभार
यह बहुत दुखद है सर आपने बहुत अच्छा विषय उठाया मेरे दृष्टिकोण मे तीन बातें लगती है समस्या का निदान करने के लिए बुजुर्ग और युवा के बीच सामंजस्य होना चाहिए दूसरा दोनों को ही अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन करना पड़ेगा फिर भी समाज मेऐसी स्थिति होना अत्यंत शर्मनाक है
बहुत सही लिखा है आपने, धन्यवाद
सर, इतने ज्वलंत विषय के विभिन्न पहलुओं को इतने रोचक स्वरूप में प्रदर्शित करने, आधी अधूरी जानकारी को पूर्णता प्रदान करने हेतु आपका धन्यवाद। मेरा मानना है, की रिश्तों में आ रही दूरियां एवम् संस्कारो को अगली पीढ़ी में ठीक ढंग से ना पहुंचा पाना इस समस्या का मूल कारण है।
बहुत सही टिप्पणी
श्रीमान विषय तो विचारणीय हे ही।
आपका विश्लेषण भी विचारणीय है।
लेकिन मैने कुछ मामलो मे वरिष्ठो को भी गलत होते देखा हे।
उनका बेटे बहु के प्रति अति अविश्वास।हमेशा उनको गलत ठहराना।हमेशा दुसरो का उदाहरण देकर उलाहना देते रहना।
अगर आपने वीडियो पूरा देखा है तो आपने सुना होगा मैंने वीडियो के अंतिम भाग में इस बात का भी उल्लेख किया है।
धन्यवाद आपका