आदरणीय बौद्धाचार्य जी-नमो बुद्धाय, कृपया बताएं कि मनुष्य के मरने के बाद उसका भव प्रकृति में किस रूप में विद्दमान रहता है? जो चेतना में बदलकर किस प्रकार से पुनर्भव होता है? अपनी इच्छानुसार या प्रकृति के नियमानुसार पुनर्जन्म होता है? भव मनुष्य के मरने के बाद प्रकृति में तरंग के रूप में या जल,अग्नि,पृथ्वी,वायु, के रूप में विद्दमान रहता है?
भव का अस्तित्व तो सिर्फ अनुभव से है मृत्यु प्रवर्तन के बाद दिमाग का अनुभव शून्य हो जाता है फिर बचे शरीर के पदार्थ हवा जल धूप पे प्रकृति के नियमों ही द्वारा हर छड़ परिवर्तन हो नया रूप धारण करता रहता है।
नहि ये संसार नहि चाहिए अब अपनी शरण मेँ ले लें. 15 saal से बुद्ध को जानने की कोशिश kr रहा हूँ. मार्ग दर्शन कीजिये अपनी शिक्षा ko भी ले रहा हूँ तक्षशिला भी मिलाया इस जीवंत ने नमो buddhai.
Namo Buddhay 🙏 💕. Bhante Ji Aapka bahut Abhaar 🙏.
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Bhudha religion is most important for the world . jaibhim
Buddhacharya ji aapka bahut aabhar
Bahut hi saralta se Samjha Diya
Thanks sir ji🙏🙏🌹🌷🙏🙏
नमो बुद्धाय जय भिम आप बहूत आभार व्यक्त करते हुए साधु साधु साधु
Jai Bhim💐 Namo Buddhay💐
Great 🙏🙏🙏
आदरणीय बौद्धाचार्य जी-नमो बुद्धाय, कृपया बताएं कि मनुष्य के मरने के बाद उसका भव प्रकृति में किस रूप में विद्दमान रहता है? जो चेतना में बदलकर किस प्रकार से पुनर्भव होता है? अपनी इच्छानुसार या प्रकृति के नियमानुसार पुनर्जन्म होता है? भव मनुष्य के मरने के बाद प्रकृति में तरंग के रूप में या जल,अग्नि,पृथ्वी,वायु, के रूप में विद्दमान रहता है?
Simple hai, bhai uske kamm, OR uska aakhri chitt kis bhav ka hai. Eske anusaar uska punrbhav hota hai.
भव का अस्तित्व तो सिर्फ अनुभव से है मृत्यु प्रवर्तन के बाद दिमाग का अनुभव शून्य हो जाता है फिर बचे शरीर के पदार्थ हवा जल धूप पे प्रकृति के नियमों ही द्वारा हर छड़ परिवर्तन हो नया रूप धारण करता रहता है।
🙏🙏🙏
Bahut hi sundar sir Ji 💕💕💕🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Nice
exceelent.
Gagan Buddhist very nice
Dil kush ho gaya sir ji. Bahati sakun mila.
Namo buddhay jai bhim
नहि ये संसार नहि चाहिए अब अपनी शरण मेँ ले लें. 15 saal से बुद्ध को जानने की कोशिश kr रहा हूँ. मार्ग दर्शन कीजिये अपनी शिक्षा ko भी ले रहा हूँ
तक्षशिला भी मिलाया इस जीवंत ने
नमो buddhai.
Yah kahani to samarat ashok ki h
Sir it is very nice teach but there is no material existence o bhav then how it took rebirth can not understand pl discuss
Ye toa Aourangjeb ki Kahani hai...
Namo buddhay jay bhim