परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है। - पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7 পরমেশ্বরের নাম কবিরদেব অর্থাৎ কবীর পরমেশ্বর, যিনি সমস্ত কিছু রচনা করেছেন। যেই পরমেশ্বর অচল অর্থাৎ প্রকৃতিতে অবিনশ্বর। - পবিত্র অথর্ববেদ কান্ড ৪ অনুবাক ১ মন্ত্র ৭
একজন পূর্ণ সন্তের সৎসঙ্গে প্রমাণসহ তত্ত্ব জ্ঞানের তথ্য পাওয়া যায়। এর সাথে কর্তব্য (যা করা উচিত) এবং অকর্তব্য (যা করা উচিত নয়)তার সম্পর্কে তথ্য পাওয়া যায়। যার কারণে সমাজ সংস্কার ও মানবতা গতি পেয়েছে। বর্তমানে সন্ত রামপালজী মহারাজ-ই একমাত্র পূর্ণ সন্ত, তাঁর সৎসঙ্গ অবশ্যই শোনা উচিত।
The guru who performs bhakti according to the scriptures and makes his followers i.e. disciples perform bhakti, he is a complete saint. Salvation is achieved only with the scripture-based devotion described by the complete guru and in this KalYuga, Saint Rampal Ji Maharaj is a complete saint, who according to the scriptures ......... .... True Guru Sant Rampal Ji Maharaj.....
সন্ত রামপাল জী মহারাজের বলা সতভক্তি করে, আজ লক্ষ লক্ষ পরিবার রোগ মুক্ত হয়ে সুখী জীবন-যাপন করছেন। संत रामपाल जी महाराज की बताई सतभक्ति से आज लाखों परिवार रोगों से मुक्त होकर सुखी जीवन जी रहे हैं।
#Kabir_is_Supreme_God परमात्मा कबीर साहेब पाप विनाशक हैं यजुर्वेद अध्याय 8 मन्त्र 13 में कहा गया है कि परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेने व मर्यादा में रहने वाले भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं।
সর্বশক্তিমান পরমাত্মা হলেন কবীর সাহেব বেদে তে প্রমাণ আছে যে কবীর পরমাত্মা নিজের সাধকের সমস্ত সংকট এক মুহূর্তে দূর করে দিতে পারেন | सर्वशक्तिमान परमात्मा कबीर साहेब हैं वेदों में प्रमाण है कि कबीर परमात्मा अपने साधक के हर संकटों को एक क्षण में दूर कर सकता है।
তত্ত্বদর্শী সন্তের (গীতা অধ্যায় 4 শ্লোক 34) থেকে দীক্ষা নিয়ে শাস্ত্রবিধি অনুসারে সৎভক্তি করা ব্যক্তি পরমধাম সাতলোক প্রাপ্ত হয় যেখানে জন্ম-মৃত্যুর, দুঃখ, কষ্ট এবং রোগ নেই। तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
কবীর, গুরু মানুষ করি জানতে, তে নর কহিয়ে অন্ধ। হোয় দুঃখী সংসার মেঁ, আগে যমকা ফন্দ।। कबीर, गुरु मानुष करि जानते, ते नर कहिये अंध। होय दुखी संसार में, आगे यमका फंद।।
संत रामपाल जी महाराज बताते हैं सत्संग से आत्मा को गुरु वचनों की खुराक मिलती है और सकारात्मक भावनाएं जागती हैं। "संत समागम, हरि कथा, तुलसी दुर्लभ दोय। सुत दारा और लक्ष्मी यह तो घर पापी के भी होए।।"
शास्त्र विरुद्ध क्रिया का कोई लाभ नहीं गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 के अनुसार, शास्त्र विरुद्ध मनमाना आचरण करने से कोई लाभ नहीं होता। इसलिए हमें शास्त्र अनुकूल भक्ति करनी चाहिए। अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें अनमोल पुस्तक ज्ञान गंगा
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार, कबीर साहेब सबसे शक्तिशाली भगवान हैं, जो सभी पापों को नष्ट करने और काल के कर्म बंधनों से छुड़वाने वाले हैं। যজুর্বেদ অধ্যায় ৫ মন্ত্র ৩২ অনুসারে, কবীর সাহেব সর্বশক্তিমান ভগবান, যিনি সকল পাপ ধ্বংস করেন এবং কাল এর কর্ম বন্ধন থেকে মুক্তি দেন।
कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय। आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।। कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय। मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय।। इन वाणियों में कबीर साहेब ने समझाया है कि माँस चाहे गाय, हिरनी, मुर्गी आदि किसी प्राणी का हो, जो व्यक्ति माँस खाते हैं वे नरक के भागी हैं। यह माँस तो कुत्ते का आहार है, मनुष्य शरीर धारी के लिए वर्जित है। কবীর-মাঁস মাঁস সব এক হৈ, মুরগী হিরণী গায়। আঁখি দেখি নর খাত হে, তে নর নরকহি জায়।। কবীর-যহ কুফর কো ভক্ষ হৈ, মানুষ দেহ ক্যো খায়? মুখমে আমিখ মেলি কে, নরক পরঁগে জায়।। এই বাণীতে কবীর সাহেব বোঝাচ্ছেন যে মাংস, গরু, হরিণ, মুরগি, ইত্যাদি যে কোনো প্রাণীরই হোক, যে ব্যাক্তি মাংস খায় সে নরকের ভাগী দার। এই মাংস কুকুরের খাদ্য, মানুষ্য শরীর ধারীদের জন্য নিষিদ্ধ।
कबीर-पापी पूजा बैठि कै, भखै माँस मद दोइ। तिनकी दीक्षा मुक्ति नहीं, कोटि नरक फल होइ।। अर्थात जो गुरुजन माँस भक्षण करते हैं तथा शराब पीते हैं उनसे नाम दीक्षा प्राप्त करने वालों की मुक्ति नहीं होती अपितु वे महा नरक के भागी होंगे। কবীর-পাপী পূজা বৈঠি কৈ, ভখৈ মাঁস মদ দৌই। তিনকী দীক্ষা মুক্তি নহী, কোটি নরক ফল হোই। অর্থাৎ যে গুরু জন মাংস খায় এবং মদ পান করে, তাদের কাছ থেকে নাম দীক্ষা প্রাপ্ত করা ব্যক্তিরা মুক্তি পায় না, উল্টে তারা মহা নরকের ভাগী হবে।
कबीर-काजी का बेटा मुआ, उर में सालै पीर। वह साहब सबका पिता, भला न मानै बीर।। इस वाणी में अल्लाह कबीर जी कहते हैं जब काजी के पुत्र की मृत्यु हो जाती है तो काजी को कितना कष्ट होता है। पूर्ण ब्रह्म सर्व का पिता है तो उसके प्राणियों को मारने वाले से वह अल्लाह कैसे खुश हो सकता है। কবীর-কাজী কা বেটা মুআ, উর মেঁ সালৈ পীর। বড় সাহব সবকা পিতা, ভলা ন মানৈ বীর।। এই বাণীতে আল্লাহ কবীর জী বলেছেন, যখন কাজীর পুত্র মারা যায়, তখন কাজী কতটা কষ্ট পায়। পূর্ণ ব্রহ্ম সবারই পিতা, তাহলে যিনি তার প্রাণীদের হত্যা করেন, তার প্রতি আল্লাহ কিভাবে খুশি হতে পারেন?
कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय। आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।। कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय। मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय।। इन वाणियों में कबीर साहेब ने समझाया है कि माँस चाहे गाय, हिरनी, मुर्गी आदि किसी प्राणी का हो, जो व्यक्ति माँस खाते हैं वे नरक के भागी हैं। यह माँस तो कुत्ते का आहार है, मनुष्य शरीर धारी के लिए वर्जित है। কবীর-মাঁস মাঁস সব এক হৈ, মুরগী হিরণী গায়। আঁখি দেখি নর খাত হে, তে নর নরকহি জায়।। কবীর-যহ কুফর কো ভক্ষ হৈ, মানুষ দেহ ক্যো খায়? মুখমে আমিখ মেলি কে, নরক পরঁগে জায়।। এই বাণীতে কবীর সাহেব বোঝাচ্ছেন যে মাংস, গরু, হরিণ, মুরগি, ইত্যাদি যে কোনো প্রাণীরই হোক, যে ব্যাক্তি মাংস খায় সে নরকের ভাগী দার। এই মাংস কুকুরের খাদ্য, মানুষ্য শরীর ধারীদের জন্য নিষিদ্ধ।
कबीर-पापी पूजा बैठि कै, भखै माँस मद दोइ। तिनकी दीक्षा मुक्ति नहीं, कोटि नरक फल होइ।। अर्थात जो गुरुजन माँस भक्षण करते हैं तथा शराब पीते हैं उनसे नाम दीक्षा प्राप्त करने वालों की मुक्ति नहीं होती अपितु वे महा नरक के भागी होंगे। কবীর-পাপী পূজা বৈঠি কৈ, ভখৈ মাঁস মদ দৌই। তিনকী দীক্ষা মুক্তি নহী, কোটি নরক ফল হোই। অর্থাৎ যে গুরু জন মাংস খায় এবং মদ পান করে, তাদের কাছ থেকে নাম দীক্ষা প্রাপ্ত করা ব্যক্তিরা মুক্তি পায় না, উল্টে তারা মহা নরকের ভাগী হবে।
कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय। आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।। कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय। मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय।। इन वाणियों में कबीर साहेब ने समझाया है कि माँस चाहे गाय, हिरनी, मुर्गी आदि किसी प्राणी का हो, जो व्यक्ति माँस खाते हैं वे नरक के भागी हैं। यह माँस तो कुत्ते का आहार है, मनुष्य शरीर धारी के लिए वर्जित है। কবীর-মাঁস মাঁস সব এক হৈ, মুরগী হিরণী গায়। আঁখি দেখি নর খাত হে, তে নর নরকহি জায়।। কবীর-যহ কুফর কো ভক্ষ হৈ, মানুষ দেহ ক্যো খায়? মুখমে আমিখ মেলি কে, নরক পরঁগে জায়।। এই বাণীতে কবীর সাহেব বোঝাচ্ছেন যে মাংস, গরু, হরিণ, মুরগি, ইত্যাদি যে কোনো প্রাণীরই হোক, যে ব্যাক্তি মাংস খায় সে নরকের ভাগী দার। এই মাংস কুকুরের খাদ্য, মানুষ্য শরীর ধারীদের জন্য নিষিদ্ধ।
সন্ত রামপাল জি মহারাজের জ্ঞান হচ্ছে শাস্ত্র প্রমাণিত। তাই সবাই মিলে একবার এই মূল্যবান জ্ঞান অবশ্যই শুনুন।
সঠিক জ্ঞান সত্য জ্ঞান 🙏🙏 🙏 জগৎ গুরু তত্ত্বদর্শি সন্ত রামপাল জি মহারাজ জীর চরনে কোটি কোটি প্রণাম ।🙏🙏🙏
সন্ত রামপালজী মহারাজের জয়
সুনির্দিষ্ট এবং সুন্দর সৎসঙ্গে
Sat voktir fol.sat saheb ji
Sat Sahib ji
Very nice satsang 💗💗
Sat saheb ji
अच्छा इंटरव्यू
Anmol jankari huaa nice 👍👍 Gyan 💯
Sat guru Ram pal ji maharaj ki jai ho
সত্য উপাসনার অলৌকিক কাজ
Sat saheb ji ❤❤❤
ভক্তির মাধ্যমে সকল কষ্ট দূর হয়
True spiritual knowledge 🙏🙏
Great
Bandichhode Sat Guru Rampal Ji Maharaj ki Jai ho 🙏🙏
Nice news
পূর্ণ গুরুর থেকে দীক্ষা নিয়ে নিয়মের মধ্যে থেকে ভক্তি করলে শুভ সংস্কারের বৃদ্ধি হয়, যা দুঃখকে সুখে পরিণত করে।
🙏🙏🙏
Sat rampal ji mohhoaraj ki joy
Khub bhalo
Nice❤❤
Nice interview
Nice interview 🙂
Strange 🙏🙏
True
❤❤❤❤
💞🙏🏻💞
Nice video 👍
Very nice
Mere gurudev Mera bidhata mera sab kuch ho app 😍muj papi 😭per apna daya 🙌babake rakhna
परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
পরমেশ্বরের নাম কবিরদেব অর্থাৎ কবীর পরমেশ্বর, যিনি সমস্ত কিছু রচনা করেছেন। যেই পরমেশ্বর অচল অর্থাৎ প্রকৃতিতে অবিনশ্বর।
- পবিত্র অথর্ববেদ কান্ড ৪ অনুবাক ১ মন্ত্র ৭
একজন পূর্ণ সন্তের সৎসঙ্গে প্রমাণসহ তত্ত্ব জ্ঞানের তথ্য পাওয়া যায়। এর সাথে কর্তব্য (যা করা উচিত) এবং অকর্তব্য (যা করা উচিত নয়)তার সম্পর্কে তথ্য পাওয়া যায়। যার কারণে সমাজ সংস্কার ও মানবতা গতি পেয়েছে।
বর্তমানে সন্ত রামপালজী মহারাজ-ই একমাত্র পূর্ণ সন্ত, তাঁর সৎসঙ্গ অবশ্যই শোনা উচিত।
The guru who performs bhakti according to the scriptures and makes his followers i.e. disciples perform bhakti, he is a complete saint. Salvation is achieved only with the scripture-based devotion described by the complete guru and in this KalYuga, Saint Rampal Ji Maharaj is a complete saint, who according to the scriptures .........
.... True Guru Sant Rampal Ji Maharaj.....
Bandi chhod satguru Rampal Ji Bhagwan ki Jay Ho
जिन मुझको निज नाम दिए, सोई सतगुरु हमार
दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजनहारि
সন্ত রামপাল জী মহারাজের বলা সতভক্তি করে, আজ লক্ষ লক্ষ পরিবার রোগ মুক্ত হয়ে সুখী জীবন-যাপন করছেন।
संत रामपाल जी महाराज की बताई सतभक्ति से आज लाखों परिवार रोगों से मुक्त होकर सुखी जीवन जी रहे हैं।
Sant Rampal ji maharaj puran parmatma ka Awtar hai
🙏Kabir Is God 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
वेदों में प्रमाण है, परमात्मा साकार है।
বেদে প্রমাণ রয়েছে, পরমাত্মা সাকার।
যজুর্বেদ অধ্যায় ৭ মন্ত্র ৩৯, ঋগ্বেদ মণ্ডল ১, সূক্ত ৩১, মন্ত্র ১৭, ঋগ্বেদ মণ্ডল ৯, সূক্ত ৮৬, মন্ত্র ২৬, ২৭, ঋগ্বেদ মণ্ডল ৯, সূক্ত ৮২, মন্ত্র ১ - ৩ (প্রভু রাজার সম দর্শনীয়)
Supreme God Kabir
0:11
Kabir is Supreme God
Kabir is god 🙏🙏
#Kabir_is_Supreme_God
परमात्मा कबीर साहेब पाप विनाशक हैं
यजुर्वेद अध्याय 8 मन्त्र 13 में कहा गया है कि परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेने व मर्यादा में रहने वाले भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं।
সর্বশক্তিমান পরমাত্মা হলেন কবীর সাহেব
বেদে তে প্রমাণ আছে যে কবীর পরমাত্মা নিজের সাধকের সমস্ত সংকট এক মুহূর্তে দূর করে দিতে পারেন |
सर्वशक्तिमान परमात्मा कबीर साहेब हैं
वेदों में प्रमाण है कि कबीर परमात्मा अपने साधक के हर संकटों को एक क्षण में दूर कर सकता है।
তত্ত্বদর্শী সন্তের (গীতা অধ্যায় 4 শ্লোক 34) থেকে দীক্ষা নিয়ে শাস্ত্রবিধি অনুসারে সৎভক্তি করা ব্যক্তি পরমধাম সাতলোক প্রাপ্ত হয় যেখানে জন্ম-মৃত্যুর, দুঃখ, কষ্ট এবং রোগ নেই।
तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
কবীর, গুরু মানুষ করি জানতে, তে নর কহিয়ে অন্ধ।
হোয় দুঃখী সংসার মেঁ, আগে যমকা ফন্দ।।
कबीर, गुरु मानुष करि जानते, ते नर कहिये अंध।
होय दुखी संसार में, आगे यमका फंद।।
संत रामपाल जी महाराज बताते हैं सत्संग से आत्मा को गुरु वचनों की खुराक मिलती है और सकारात्मक भावनाएं जागती हैं।
"संत समागम, हरि कथा, तुलसी दुर्लभ दोय।
सुत दारा और लक्ष्मी यह तो घर पापी के भी होए।।"
Jagat Guru tatwe darsi sant rampalji maharaj ji he
Purna parmatma kabir saheb ji he
Bedo me parman hai Kabir Saheb bhagwan he
शास्त्र विरुद्ध क्रिया का कोई लाभ नहीं
गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 के अनुसार, शास्त्र विरुद्ध मनमाना आचरण करने से कोई लाभ नहीं होता। इसलिए हमें शास्त्र अनुकूल भक्ति करनी चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें अनमोल पुस्तक ज्ञान गंगा
Kabir is God
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार, कबीर साहेब सबसे शक्तिशाली भगवान हैं, जो सभी पापों को नष्ट करने और काल के कर्म बंधनों से छुड़वाने वाले हैं।
যজুর্বেদ অধ্যায় ৫ মন্ত্র ৩২ অনুসারে, কবীর সাহেব সর্বশক্তিমান ভগবান, যিনি সকল পাপ ধ্বংস করেন এবং কাল এর কর্ম বন্ধন থেকে মুক্তি দেন।
कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय।
आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।।
कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय।
मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय।।
इन वाणियों में कबीर साहेब ने समझाया है कि माँस चाहे गाय, हिरनी, मुर्गी आदि किसी प्राणी का हो, जो व्यक्ति माँस खाते हैं वे नरक के भागी हैं। यह माँस तो कुत्ते का आहार है, मनुष्य शरीर धारी के लिए वर्जित है।
কবীর-মাঁস মাঁস সব এক হৈ, মুরগী হিরণী গায়।
আঁখি দেখি নর খাত হে, তে নর নরকহি জায়।।
কবীর-যহ কুফর কো ভক্ষ হৈ, মানুষ দেহ ক্যো খায়?
মুখমে আমিখ মেলি কে, নরক পরঁগে জায়।।
এই বাণীতে কবীর সাহেব বোঝাচ্ছেন যে মাংস, গরু, হরিণ, মুরগি, ইত্যাদি যে কোনো প্রাণীরই হোক, যে ব্যাক্তি মাংস খায় সে নরকের ভাগী দার। এই মাংস কুকুরের খাদ্য, মানুষ্য শরীর ধারীদের জন্য নিষিদ্ধ।
कबीर-पापी पूजा बैठि कै, भखै माँस मद दोइ।
तिनकी दीक्षा मुक्ति नहीं, कोटि नरक फल होइ।।
अर्थात जो गुरुजन माँस भक्षण करते हैं तथा शराब पीते हैं उनसे नाम दीक्षा प्राप्त करने वालों की मुक्ति नहीं होती अपितु वे महा नरक के भागी होंगे।
কবীর-পাপী পূজা বৈঠি কৈ, ভখৈ মাঁস মদ দৌই।
তিনকী দীক্ষা মুক্তি নহী, কোটি নরক ফল হোই।
অর্থাৎ যে গুরু জন মাংস খায় এবং মদ পান করে, তাদের কাছ থেকে নাম দীক্ষা প্রাপ্ত করা ব্যক্তিরা মুক্তি পায় না, উল্টে তারা মহা নরকের ভাগী হবে।
कबीर-काजी का बेटा मुआ, उर में सालै पीर।
वह साहब सबका पिता, भला न मानै बीर।।
इस वाणी में अल्लाह कबीर जी कहते हैं जब काजी के पुत्र की मृत्यु हो जाती है तो काजी को कितना कष्ट होता है। पूर्ण ब्रह्म सर्व का पिता है तो उसके प्राणियों को मारने वाले से वह अल्लाह कैसे खुश हो सकता है।
কবীর-কাজী কা বেটা মুআ, উর মেঁ সালৈ পীর।
বড় সাহব সবকা পিতা, ভলা ন মানৈ বীর।।
এই বাণীতে আল্লাহ কবীর জী বলেছেন, যখন কাজীর পুত্র মারা যায়, তখন কাজী কতটা কষ্ট পায়। পূর্ণ ব্রহ্ম সবারই পিতা, তাহলে যিনি তার প্রাণীদের হত্যা করেন, তার প্রতি আল্লাহ কিভাবে খুশি হতে পারেন?
আর জ্ঞান সব জ্ঞানড়ী কবীর জ্ঞান সো জ্ঞান জেইসে গোলা তোপ কা করতে চলে ময়দান
Nice interview
🙏🙏
कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय।
आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।।
कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय।
मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय।।
इन वाणियों में कबीर साहेब ने समझाया है कि माँस चाहे गाय, हिरनी, मुर्गी आदि किसी प्राणी का हो, जो व्यक्ति माँस खाते हैं वे नरक के भागी हैं। यह माँस तो कुत्ते का आहार है, मनुष्य शरीर धारी के लिए वर्जित है।
কবীর-মাঁস মাঁস সব এক হৈ, মুরগী হিরণী গায়।
আঁখি দেখি নর খাত হে, তে নর নরকহি জায়।।
কবীর-যহ কুফর কো ভক্ষ হৈ, মানুষ দেহ ক্যো খায়?
মুখমে আমিখ মেলি কে, নরক পরঁগে জায়।।
এই বাণীতে কবীর সাহেব বোঝাচ্ছেন যে মাংস, গরু, হরিণ, মুরগি, ইত্যাদি যে কোনো প্রাণীরই হোক, যে ব্যাক্তি মাংস খায় সে নরকের ভাগী দার। এই মাংস কুকুরের খাদ্য, মানুষ্য শরীর ধারীদের জন্য নিষিদ্ধ।
कबीर-पापी पूजा बैठि कै, भखै माँस मद दोइ।
तिनकी दीक्षा मुक्ति नहीं, कोटि नरक फल होइ।।
अर्थात जो गुरुजन माँस भक्षण करते हैं तथा शराब पीते हैं उनसे नाम दीक्षा प्राप्त करने वालों की मुक्ति नहीं होती अपितु वे महा नरक के भागी होंगे।
কবীর-পাপী পূজা বৈঠি কৈ, ভখৈ মাঁস মদ দৌই।
তিনকী দীক্ষা মুক্তি নহী, কোটি নরক ফল হোই।
অর্থাৎ যে গুরু জন মাংস খায় এবং মদ পান করে, তাদের কাছ থেকে নাম দীক্ষা প্রাপ্ত করা ব্যক্তিরা মুক্তি পায় না, উল্টে তারা মহা নরকের ভাগী হবে।
कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय।
आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।।
कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय।
मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय।।
इन वाणियों में कबीर साहेब ने समझाया है कि माँस चाहे गाय, हिरनी, मुर्गी आदि किसी प्राणी का हो, जो व्यक्ति माँस खाते हैं वे नरक के भागी हैं। यह माँस तो कुत्ते का आहार है, मनुष्य शरीर धारी के लिए वर्जित है।
কবীর-মাঁস মাঁস সব এক হৈ, মুরগী হিরণী গায়।
আঁখি দেখি নর খাত হে, তে নর নরকহি জায়।।
কবীর-যহ কুফর কো ভক্ষ হৈ, মানুষ দেহ ক্যো খায়?
মুখমে আমিখ মেলি কে, নরক পরঁগে জায়।।
এই বাণীতে কবীর সাহেব বোঝাচ্ছেন যে মাংস, গরু, হরিণ, মুরগি, ইত্যাদি যে কোনো প্রাণীরই হোক, যে ব্যাক্তি মাংস খায় সে নরকের ভাগী দার। এই মাংস কুকুরের খাদ্য, মানুষ্য শরীর ধারীদের জন্য নিষিদ্ধ।