श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 44**बाहरवां अध्याय भक्ति योग**
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- Опубліковано 4 жов 2024
- Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281
परम पूज्य डॉ विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
((1437))
श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 44
बाहरवां अध्याय भक्ति योग
सबसे छोटा अध्याय और बहुत मार्मिक अध्याय ।
यह परमेश्वर की कृपा देखिएगा, किन किन साधनों से जिस पर वह कृपा देवी ! करना चाहता है, कैसे कैसे कड़े साधन, कैसे कैसे दूसरी तरह के साधन, किस प्रकार के वह साधन अपनाता है, अपनी ओर खींचने के लिए, अपनी ओर आकर्षित करने के लिए, अपना बनाने के लिए । यह है परमात्मा की वास्तविक कृपा ।
आज देखो ! किसके ऊपर यह कृपा होने जा रही है । देवी ! दासी आज हिम्मत करके तो शैया पर लेट गई है । गुदगुदा मुलायम बिस्तर लगा, नींद आ गई, आंख लग गई । आंख लग गई, एक घंटा व्यतीत हुआ ।
दस बजे राजा साहब पधारे हैं । देखा कि यह दासी मेरी शैया पर सो रही है ।
हुकुम दिया hunter मंगवाया । कोड़े मारे गए उस दासी को जगाने के लिए, उस दासी को डांटने डपटने के लिए । कहते हैं उन कोड़ों की बहुत पीड़ा हुआ करती है । और देशों का पता नहीं साधक जनो ! सिंगापुर में भी यदि कोई अपराध करता है तो उसे कोड़े मारे जाते हैं । उनकी पीड़ा इतनी अधिक होती है कि इतनी जल्दी कोई अपराध करने का साहस नहीं करता ।
इसलिए सिंगापुर में अपराध बहुत कम हैं। इस बेचारी को कोड़ों से पीटा गया है । बेबस कुछ कर नहीं सकती । ज़ोर ज़ोर से रो रही है, चिल्ला रही है, थोड़ी ही देर के बाद अपना चिल्लाना बंद करके तो हंसना शुरू कर दिया है । राजा साहब ने hunter फेंका, इसे मारने वाला चाबुक जो भी कुछ कहते हैं, उसे फेंका । पूछा पहले रो क्यों रही थी और अब हंस क्यों रही हो ? कहा राजा साहब मेरे से बहुत बड़ी भूल हो गई है । मुझे आप की शैया पर लेटना नहीं चाहिए था । उसकी आपने मुझे सज़ा दी । कोड़े मारे अपने हाथ से । सामान्यतः जो आपके नौकर चाकर जो आपके employees होते हैं, वह कोड़े मारते हैं । आपको तकलीफ़ करनी पड़ी मेरे कारण । मेरी भूल के कारण । पीड़ा इतनी थी कि मेरे पास रोने के अतिरिक्त कोई और चारा नहीं था । हंसी क्यों ? हंसी इसलिए राजा साहब, दो घंटे इस बिस्तर पर लेटने से यदि मुझे कोड़े पड़ सकते हैं, आप वर्षों से इस बिस्तर पर सो रहे हो । आपका क्या हाल होगा ?
राजा साहब ने इतनी बात सुनी । पांव से लेकर तो सिर तक कंपकंपी सी छा गई।
यह आज परमात्मा ने अपनी कृपा का पहला झटका इब्राहिम को दिया है। मानो तैयारी शुरू हो गई । इस इब्राहिम को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए परमात्मा प्रयत्नशील हैं । ढंग है देव ! करने को तो वह सब कुछ तत्काल कर सकते हैं । instantaneously कर सकते हैं ।
लेकिन अपना ढंग अपनाते हैं, अपने विधान के अनुसार । उसी में परमात्मा रहना ठीक समझते हैं, हमें सिखाने के लिए कि अपने जीवन को discipline में रखो । अपने जीवन को अनुशासन में रखो । जहां कहीं फिसलोगे, वहां फिसल जाओगे । ऐसी ग़लती ना करना । मैं कभी नहीं करता । सो परमात्मा ने इब्राहिम को आज पहला झटका दिया है ।
अपनी छत पर, महल की छत पर आज टहलने के लिए बादशाह सलामत गए हैं । देखा तो वहां दो चार व्यक्ति पहले ही टहल रहे हैं, यह कौन हैं ? यह कहां से आ गए ? किस ने इनको मेरे महल में प्रवेश करने की इज़ाज़त दी ? परिचय पूछा, भाई लोगो ! आप कौन हो ? हम साहूकार हैं, Traders.
यहां कैसे ? राजा साहब हमारे ऊंट गुम हो गए हैं, उन्हें ढूंढ रहे हैं । कितनी असंगत सी बातें हैं । कोई संगति नहीं है इन बातों में । ऊंट और महल की छत पर ढूंढ रहे हो
आप । क्या मूर्ख हो ? राजा साहब ने पूछा ।
कहा, ऊंट महल में कैसे प्रवेश करेंगे ?
और फिर महल की छत पर आप ढूंढ रहे
हो । यहां तक ऊंट कैसे पहुंच सकेंगे ।
क्या यह बात संभव है ?
राजा साहब यदि यह संभव नहीं है तो सवा मन फूलों की सेज पर सोते रहने से परमात्मा की प्राप्ति भी संभव नहीं है । आज परमात्मा ने दूसरा झटका अपनी कृपा का दे दिया ।
मैंने अर्ज़ करी ना परमात्मा की कृपा के, परमात्मा के झटके देने के, नवीनतम साधन, बड़े विलक्षण साधन, सिर्फ अपनी ओर आकर्षित करने के लिए, यह परमात्मा की वास्तविक कृपा है । जब परमात्मा किसी को संसार से हटा कर तो अपनी ओर आकर्षित करना चाहता है, अपनी ओर खींचना चाहता है, जब आपके पांव क्लबों की तरफ ना जा कर तो सत्संगति की ओर मुड़ने लग जाएं तो समझ लीजिएगा परमात्मा की कृपा का शुभारंभ आपके जीवन में हो गया है।
इस वक्त लोग आराम कर रहे हैं, सो रहे हैं, वर्षा का दिन है, इतनी जल्दी उठकर क्या करेंगे ? आप इतने सारे यहां आए हो । यह परमात्मा की कृपा है । परमात्मा अपने साथ आपका प्रेम डलवाना चाहता है, चाहता है संसार और सांसारिकता से प्रेम तोड़कर तो मेरे साथ प्रेम जोड़िएगा । मैं तोड़ने के लिए नहीं कहता । आप यह नहीं कर पाओगे ।
मैं मात्र इतना कहता हूं, मेरे साथ प्रेम
जोड़ो । तोड़ने का काम मैं खुद कर लूंगा । आप मेरे साथ प्रीति जोड़ो । सत्संगति में आना, यहां आकर जप करना, अधिक से अधिक जप करना, धन्य है वह साधक । साधक जनो ! जो सारी सारी रात बैठकर तो जप करते हैं । सोचें कितनी प्रीति, कितनी लगन, परमात्मा ने उनके अंदर भरी होगी । जिसके कारण वह सारी सारी रात बैठकर तो राम राम राम राम जपते हैं । क्या यह आसान बात है ? नहीं, यह परमात्मा की कृपा का साक्षात् प्रमाण है।
उसकी कृपा के बिना, उसकी इच्छा के बिना, उसके दिए हुए समर्थ के बिना, सारी रात बैठकर कोई राम-राम नहीं जप सकता ।
हां ! टीवी तो देख सकता है । टीवी पर प्रोग्राम सारी रात देखा जा सकता है, जुआ, ताश इत्यादि यह सारी रात खेला जा सकता है, कोई और प्रोग्राम हो इत्यादि इत्यादि वह किया जा सकता है । लेकिन सारी रात बैठकर राम राम जपना यह परमात्मा की कृपा के बिना नहीं हो सकता । जारी रखेंगे साधक जनो ! इस चर्चा को कल, आज यही समाप्त करने की इज़ाज़त दीजिएगा । धन्यवाद ।
रमाए नमः श्री रमाए नमः रमाए नमः श्री रमाए नमः रमाए नमः श्री रमाए नमः रमाए नमः श्री रमाए नमः रमाए नमः श्री रमाए नमः रमाए नमः श्री रमाए नमः रमाए नमः श्री रमाए नमः रमाए नमः श्री रमाए नमः
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