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Shree Ram Sharnam
भक्ति में बहुत शक्ति होती है। भक्ति का तात्पर्य है-स्वयं के अंतस को ईश्वर के साथ जोड़ देना। जुड़ने की प्रवृत्ति ही भक्ति है। दुनियादारी के रिश्तों में जुट जाना भक्ति नहीं है
Shree Ram Sharnam
भक्ति में बहुत शक्ति होती है। भक्ति का तात्पर्य है-स्वयं के अंतस को ईश्वर के साथ जोड़ देना। जुड़ने की प्रवृत्ति ही भक्ति है। दुनियादारी के रिश्तों में जुट जाना भक्ति नहीं है
(नवरात्रि पर्व पर विशेष)**रामायणी साधना सत्संग**पहली बैठक भाग २ @bhaktimeshakti2281
Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281
परम पूज्य डाक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
((1443))
*(नवरात्रि पर्व पर विशेष)*
*रामायणी साधना सत्संग*
*पहली बैठक भाग २*
*जाप साधक जनों स्वामीजी महाराज ने चक्कर लगाने वाला नहीं रखा। हम तो used to हैं । साधक जनों कि बातें भी करते जाते हैं और जाप भी करते रहते हैं । इधर उधर देखते भी रहते हैं और जाप भी करते हैं । कैसा जाप है यह ? छूट तो दी हुई है गुरूजनों ने पर जो लाभ मिलना चाहिए वह लाभ नहीं कर पाते । इस साधना सत्संग में जाप बैठ कर उन्होंने करने को कहा है । मानो आँख बंद करके जाप कीजिएगा और कान बंद करके भी जाप कीजिएगा । करके देखना भक्त जनों । न आँख खुले, न कान खुले । ऐसी स्थिति में जाप करके तो देखिएगा कि कैसा लगता है । यदि अभी तक नहीं किया तो इस बार करके देखना । कान तो बंद होते नहीं न, इन कानों को भी बंद करना है । अभ्यास कीजिएगा । कुछ भी सुनाई नहीं देता । मन जाप में होगा तो कान कुछ नहीं सुन सकेंगे । मन जिस इंद्रिय के साथ होती है, वही इंद्रिय सक्रिय होती है । आप मन जाप पर लगा कर रखेंगे तो जो कुछ भी हो रहा है वह सुनाई नहीं देगा । इस बारी आँख बंद करके व कान बंद करके जाप कीजिएगा ।*
*भोजन संबंधित भी कुछ बातें हैं । जैसे पिछले सत्संगों में महिलाओं को सब्ज़ी काटनी पड़ती थी, चपाती बनानी पड़ती थी । न सब्ज़ी काटने की आवश्यकता है, न रोटी बनाने की आवश्यकता है, न आटा गूँधने की आवश्यकता है, न सलाद काटने की आवश्यकता है । एक की आवश्यकता है, वह है जाप करना । सब कुछ आपको किया कराया मिलेगा । परोसने के लिए भी वैसे नहीं बैठेंगे । जैसे चाय लेते थे, दलिया लेते थे वैसे नहीं बैठेंगे । पहली मंज़िल की महिलाएँ उनको सब कुछ चाय से लेकर भोजन तक वहीं मिलेगा । और उनको महिलाएँ ही बाँटेगी । चाय ले, भोजन लें, नाश्ता लें, अपनी थाली ले कर बिस्तर पर बैठ जाएँ । श्री रामशरण की किसी जगह पर नहीं बैठना । परमात्मा की किसी भी चीज़ खराब करने का हमें हक़ नहीं है । थाली अपने आगे रखी है अन्नपते कीजिए और किसी के इंतजार करने कि आवश्यकता नहीं है । कि कमरे के और लोग आए हैं कि नहीं । परमेश्वर का धन्यवाद कीजिएगा और उठ जाइएगा ।उठ कर अपने बर्तन इत्यादि साफ़ कीजिएगा और कुल्ला इत्यादि कीजिएगा । यह सब करके जाप आरम्भ कर दीजिएगा। नीचे पुरुषों को और जो महिलाएँ नीचे ही होंगी उनको भोजन परोसना नीचे ही होगा और पुरुष ही वहाँ परोसेंगे । जो गंगा निवास में ठहरे हुए है, वे इधर ही पुरुषों के तीन कमरे हैं वहाँ भोजन इत्यादि कर लें । दरी भी बिछाई जा सकती है । किन्तु अपना नैपकिन या तौलिया लाना पड़ेगा ।* *श्रीरामशरणम् की दरियों पर नहीं । सीखने वाली बातें हैं । यह न सोचिएगा कि इससे क्या होता है, पाँव भी तो हम रखते हैं, ठीक बात है, मैं मानता हूँ, मैं तो कहता हूं कि परमात्मा के घर में तो पाँव भी फूँक फूँक के रखने चाहिए । हमें अधिकार ही नहीं है परमात्मा की चीज़ें बरबाद करने का । परमात्मा का घर है, आप अपना नैपकिन लेकर आइएगा, तो बरामदे में आपके लिए दरी बिछा दी जाएगी तो वहीं आप बैठिएगा* ।
*सब साधक बहुत अनुशासन में रहेंगे । आपके कमरों में सत्संग के नियम लिख के लगा दिए गए हैं । हर कक्ष में बहुत नए साधक भी हैं, तो किसी कि ड्यूटी लगा दी सकती है कि कोई पढ़ कर सुना दे ताकि कोई यह न कहे कि हमें पता ही नहीं था । पढ़ कर उल्लंघन नहीं करना ।*
एक विशेष प्रार्थना करता हूँ देवियों और सज्जनों । स्वामीजी महाराज ने 1:30 घण्टे का मौन रखा है । आप सब से निवेदन है, आप सबके श्रीचरणों में मस्तक रखके निवेदन करता हूँ, कुछ पा कर जाना चाहते हो तो मात्र 1:30 घण्टे का मौन नहीं बल्कि अभी से मौन धारण कर लीजिएगा । सत्संग की समाप्ति तक मौन रहिएगा । जाप करिएगा । ऐसा नहीं कह रहा कि बिल्कुल नहीं बोलना पर अनावश्यक नहीं बोलना । राम से बढ़कर बोलना और क्या है, इससे बेहतर बोलना और क्या है ? यहां रहकर भी सुअवसर का लाभ नहीं लेता तो बदक़िस्मती ही कही जाएगी न ।
अभी से साधना में हैं हम । हर नियम का पालन करना है जो स्वामीजी महाराज ने बनाया है । प्रेम पूर्वक रहिएगा । किसी को किसी चीज़ की आवश्यकता हो, यहाँ के प्रबन्धकों से सम्पर्क कर सकते हैं । मज़े से बैठिएगा । जहाँ भी आपको बैठने के लिए जगह मिले, मज़े से रामायण जी का पाठ कीजिएगा । दिखावा न करिएगा । छोड़िएगा इस आदत को । परमात्मा को दिखा कर करिए । संसार को दिखा कर करेंगे तो वह दिखावा है । पर उसे दिखा कर करेगें तो - देख तेरे नाम का आराधन कर कहा हूँ । तू देख रहा है न कि नहीं देख रहा है ? इंसान के पीछे घूमने से कुछ नहीं बनता । परमात्मा के पीछे घूमिएगा । देख तेरा नाम जप रहा हूँ, तेरा नाम मैं जप रही हूँ । तू देख रहा है कि नहीं । यह दिखावा नहीं माना जाता । यह तो भीतर की बात है । परमेश्वर को दिखा कर कहा जाता है, तो उसे भक्ति कहा जाता है, इंसान को दिखा कर कहा जाता है तो उसे प्रदर्शन कहा जाता है।
गुरूजनों से आशीर्वाद लेते हैं, परमात्मा हर कार्य के शुभारम्भ में आपसे मंगल आशीष लेते हैं। हमने नाम भेजा था आपने स्वीकार कर लिया है । अब जिस काम के लिए परमात्मा बुलाया है, वह काम हमारे से करवा । हमारे वश की बात होती, आप तो भलि भाँति जानते हो हम घर बैठे भी सब कुछ कर सकते थे, स्पष्ट है आपके श्रीचरणों का आश्रय लिए बिना यह नहीं सम्भव हो सकता । इसीलिए तो श्रीचरणों में बुलाया है महाराजाधिराज । वरना यह सब कुछ घर में भी हो सकता था । रामायण पढ़ रहे हैं लोग, पहले भी पढ़ रहे थे, अब भी पढ़ रहे हैं फिर हमें क्यों बुलाया गया है महाराज । क्यों हमें दलिया खिलाया जाएगा, घर पर कुछ अच्छा खाने को मिल जाता, स्पष्ट है कुछ कारण तो अवश्य होगा । इसका लाभ लीजिएगा।
परम पूज्य डाक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
((1443))
*(नवरात्रि पर्व पर विशेष)*
*रामायणी साधना सत्संग*
*पहली बैठक भाग २*
*जाप साधक जनों स्वामीजी महाराज ने चक्कर लगाने वाला नहीं रखा। हम तो used to हैं । साधक जनों कि बातें भी करते जाते हैं और जाप भी करते रहते हैं । इधर उधर देखते भी रहते हैं और जाप भी करते हैं । कैसा जाप है यह ? छूट तो दी हुई है गुरूजनों ने पर जो लाभ मिलना चाहिए वह लाभ नहीं कर पाते । इस साधना सत्संग में जाप बैठ कर उन्होंने करने को कहा है । मानो आँख बंद करके जाप कीजिएगा और कान बंद करके भी जाप कीजिएगा । करके देखना भक्त जनों । न आँख खुले, न कान खुले । ऐसी स्थिति में जाप करके तो देखिएगा कि कैसा लगता है । यदि अभी तक नहीं किया तो इस बार करके देखना । कान तो बंद होते नहीं न, इन कानों को भी बंद करना है । अभ्यास कीजिएगा । कुछ भी सुनाई नहीं देता । मन जाप में होगा तो कान कुछ नहीं सुन सकेंगे । मन जिस इंद्रिय के साथ होती है, वही इंद्रिय सक्रिय होती है । आप मन जाप पर लगा कर रखेंगे तो जो कुछ भी हो रहा है वह सुनाई नहीं देगा । इस बारी आँख बंद करके व कान बंद करके जाप कीजिएगा ।*
*भोजन संबंधित भी कुछ बातें हैं । जैसे पिछले सत्संगों में महिलाओं को सब्ज़ी काटनी पड़ती थी, चपाती बनानी पड़ती थी । न सब्ज़ी काटने की आवश्यकता है, न रोटी बनाने की आवश्यकता है, न आटा गूँधने की आवश्यकता है, न सलाद काटने की आवश्यकता है । एक की आवश्यकता है, वह है जाप करना । सब कुछ आपको किया कराया मिलेगा । परोसने के लिए भी वैसे नहीं बैठेंगे । जैसे चाय लेते थे, दलिया लेते थे वैसे नहीं बैठेंगे । पहली मंज़िल की महिलाएँ उनको सब कुछ चाय से लेकर भोजन तक वहीं मिलेगा । और उनको महिलाएँ ही बाँटेगी । चाय ले, भोजन लें, नाश्ता लें, अपनी थाली ले कर बिस्तर पर बैठ जाएँ । श्री रामशरण की किसी जगह पर नहीं बैठना । परमात्मा की किसी भी चीज़ खराब करने का हमें हक़ नहीं है । थाली अपने आगे रखी है अन्नपते कीजिए और किसी के इंतजार करने कि आवश्यकता नहीं है । कि कमरे के और लोग आए हैं कि नहीं । परमेश्वर का धन्यवाद कीजिएगा और उठ जाइएगा ।उठ कर अपने बर्तन इत्यादि साफ़ कीजिएगा और कुल्ला इत्यादि कीजिएगा । यह सब करके जाप आरम्भ कर दीजिएगा। नीचे पुरुषों को और जो महिलाएँ नीचे ही होंगी उनको भोजन परोसना नीचे ही होगा और पुरुष ही वहाँ परोसेंगे । जो गंगा निवास में ठहरे हुए है, वे इधर ही पुरुषों के तीन कमरे हैं वहाँ भोजन इत्यादि कर लें । दरी भी बिछाई जा सकती है । किन्तु अपना नैपकिन या तौलिया लाना पड़ेगा ।* *श्रीरामशरणम् की दरियों पर नहीं । सीखने वाली बातें हैं । यह न सोचिएगा कि इससे क्या होता है, पाँव भी तो हम रखते हैं, ठीक बात है, मैं मानता हूँ, मैं तो कहता हूं कि परमात्मा के घर में तो पाँव भी फूँक फूँक के रखने चाहिए । हमें अधिकार ही नहीं है परमात्मा की चीज़ें बरबाद करने का । परमात्मा का घर है, आप अपना नैपकिन लेकर आइएगा, तो बरामदे में आपके लिए दरी बिछा दी जाएगी तो वहीं आप बैठिएगा* ।
*सब साधक बहुत अनुशासन में रहेंगे । आपके कमरों में सत्संग के नियम लिख के लगा दिए गए हैं । हर कक्ष में बहुत नए साधक भी हैं, तो किसी कि ड्यूटी लगा दी सकती है कि कोई पढ़ कर सुना दे ताकि कोई यह न कहे कि हमें पता ही नहीं था । पढ़ कर उल्लंघन नहीं करना ।*
एक विशेष प्रार्थना करता हूँ देवियों और सज्जनों । स्वामीजी महाराज ने 1:30 घण्टे का मौन रखा है । आप सब से निवेदन है, आप सबके श्रीचरणों में मस्तक रखके निवेदन करता हूँ, कुछ पा कर जाना चाहते हो तो मात्र 1:30 घण्टे का मौन नहीं बल्कि अभी से मौन धारण कर लीजिएगा । सत्संग की समाप्ति तक मौन रहिएगा । जाप करिएगा । ऐसा नहीं कह रहा कि बिल्कुल नहीं बोलना पर अनावश्यक नहीं बोलना । राम से बढ़कर बोलना और क्या है, इससे बेहतर बोलना और क्या है ? यहां रहकर भी सुअवसर का लाभ नहीं लेता तो बदक़िस्मती ही कही जाएगी न ।
अभी से साधना में हैं हम । हर नियम का पालन करना है जो स्वामीजी महाराज ने बनाया है । प्रेम पूर्वक रहिएगा । किसी को किसी चीज़ की आवश्यकता हो, यहाँ के प्रबन्धकों से सम्पर्क कर सकते हैं । मज़े से बैठिएगा । जहाँ भी आपको बैठने के लिए जगह मिले, मज़े से रामायण जी का पाठ कीजिएगा । दिखावा न करिएगा । छोड़िएगा इस आदत को । परमात्मा को दिखा कर करिए । संसार को दिखा कर करेंगे तो वह दिखावा है । पर उसे दिखा कर करेगें तो - देख तेरे नाम का आराधन कर कहा हूँ । तू देख रहा है न कि नहीं देख रहा है ? इंसान के पीछे घूमने से कुछ नहीं बनता । परमात्मा के पीछे घूमिएगा । देख तेरा नाम जप रहा हूँ, तेरा नाम मैं जप रही हूँ । तू देख रहा है कि नहीं । यह दिखावा नहीं माना जाता । यह तो भीतर की बात है । परमेश्वर को दिखा कर कहा जाता है, तो उसे भक्ति कहा जाता है, इंसान को दिखा कर कहा जाता है तो उसे प्रदर्शन कहा जाता है।
गुरूजनों से आशीर्वाद लेते हैं, परमात्मा हर कार्य के शुभारम्भ में आपसे मंगल आशीष लेते हैं। हमने नाम भेजा था आपने स्वीकार कर लिया है । अब जिस काम के लिए परमात्मा बुलाया है, वह काम हमारे से करवा । हमारे वश की बात होती, आप तो भलि भाँति जानते हो हम घर बैठे भी सब कुछ कर सकते थे, स्पष्ट है आपके श्रीचरणों का आश्रय लिए बिना यह नहीं सम्भव हो सकता । इसीलिए तो श्रीचरणों में बुलाया है महाराजाधिराज । वरना यह सब कुछ घर में भी हो सकता था । रामायण पढ़ रहे हैं लोग, पहले भी पढ़ रहे थे, अब भी पढ़ रहे हैं फिर हमें क्यों बुलाया गया है महाराज । क्यों हमें दलिया खिलाया जाएगा, घर पर कुछ अच्छा खाने को मिल जाता, स्पष्ट है कुछ कारण तो अवश्य होगा । इसका लाभ लीजिएगा।
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*नवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं एवं मंगलकामनाए* @bhaktimeshakti2281
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*परम पूजनीय श्री प्रेम जी महाराज के अवतरण दिवस पर गुरुजनों से प्रार्थना @bhaktimeshakti2281
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Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281 *परम पूजनीय श्री प्रेम जी महाराज के अवतरण दिवस पर गुरुजनों से प्रार्थना ।* परम पूज्य डॉक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से महाराजाधिराज नित्य आप से मांगते आए हैं और मांगते ही रहेंगे । आज भी आपके श्री चरणों में एक मंगता सबके लिए विनती करता है । आपका संबंध तो परमात्मा के साथ है, और हमारा संबंध महाराज आपके साथ । आपकी प्रार्थना परब्रह्म परमात्मा श्री रा...
प्रवचन: श्री रामायणजी -21** @bhaktimeshakti2281
Переглядів 5487 годин тому
Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281 *प्रवचन: श्री रामायणजी -21* *(मारीच ने प्रभु प्रीति के कारण ही उनके हाथों में अपना जीवन समर्पित कर दिया)* #amritvanisatsang #rambhakti #bhaktipravachan #ramsharnam #ramayana
श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 48**श्रद्धात्रय विभागयोग नामक 17वां अध्याय @bhaktimeshakti2281
Переглядів 3147 годин тому
Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281 परम पूज्य डॉक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से *श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 48* *श्रद्धात्रय विभागयोग नामक 17वां अध्याय* श्रद्धा एवं विश्वास धन्यवाद देवियो । श्रद्धात्रय विभागयोग नामक 17वां अध्याय अभी समाप्त हुआ है। अंतिम निष्कर्ष जो भगवान ने निकाला है, अंतिम पंक्ति से श्रद्धा की महिमा का बोध होता है । पार्थ श्रद्धा के बिना शुभ कर्म, दान, पुण्य, यज्ञ ...
श्री रामायणजी -20**(सुतीक्षण जी ने क्या माँगा प्रभु से )* @bhaktimeshakti2281
Переглядів 6789 годин тому
Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281 *प्रवचन: श्री रामायणजी -20* *(सुतीक्षण जी ने क्या माँगा प्रभु से )* #amritvanisatsang #rambhakti #ramsharnam ramayana
*श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 47*अनन्य भक्त के लक्षणभाग- @bhaktimeshakti2281
Переглядів 5639 годин тому
Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281 परम पूज्य डॉ श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से *श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 47* अनन्य भक्त के लक्षण भाग-3 कोटि कोटि प्रणाम है मेरी माताओं एवं सज्जनों आप सब के श्री चरणों में । असंख्य बार मेरी चरण वंदना स्वीकार कीजिएगा । सर्वप्रथम एक सूचना है। हरिद्वार में दो साधना सत्संग हो रहे हैं । पूज्य श्री प्रेम जी महाराज जी के जन्म दिवस के उपलक्ष में एवं रामायणी सत्...
श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 46**क्षेत्र क्षेत्रज्ञ नामक तेहरवां अध्याय**@bhaktimeshakti2281
Переглядів 16712 годин тому
Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281 परम पूज्य डॉ विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से ((1439)) *श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 46* *क्षेत्र क्षेत्रज्ञ नामक तेहरवां अध्याय* *अनन्य भक्त के लक्षण* आज साधक जनो ! राजा इब्राहिम अपने पुत्र के साथ राज सिंहासन पर बैठे हुए हैं । प्रजा की बातचीत, उनकी शिकायतें, उनके जो कुछ भी वह कहना चाहते हैं, दरबार लगा हुआ है, सुन रहे है, समाधान दे रहे हैं । कुछ शिकायतें हैं, ...
*प्रवचन: श्री रामायणजी -18**(भरत जी की प्रतिक्रिया )*@bhaktimeshakti2281
Переглядів 47112 годин тому
Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281 *प्रवचन: श्री रामायणजी -18* *(भरत जी की प्रतिक्रिया )* #amritvanisatsang #rambhakti #bhaktipravachan #ramsharnam #ramayana
श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 44**क्षेत्र क्षेत्रज्ञ नामक तेहरवां अध्याय**@bhaktimeshakti2281
Переглядів 26814 годин тому
Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281 परम पूज्य डॉ विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से ((1438)) धुन : *धन्यवाद निर्विवाद, सदा करते रहिए ।* *जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिए ।।* *राम राम, राम राम । राम राम, राम राम।।* *श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 44* *क्षेत्र क्षेत्रज्ञ नामक तेहरवां अध्याय* *अनन्य भक्त के लक्षण* *क्षेत्र क्षेत्रज्ञ नामक तेहरवां अध्याय स्वामी जी महाराज ने आज समाप्त किया है । गीताचार...
प्रवचन: श्री रामायणजी -17**@bhaktimeshakti2281
Переглядів 47316 годин тому
Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281 *प्रवचन: श्री रामायणजी -17* *सबका मार्गदर्शन करने वाले प्रभु संतों से क्यों पूछते हैं - हम कहाँ रहें?* *एवं * *(प्रभु ने क्यों लगाया भीलों को अपने गले)* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 #amritvanisatsang #rambhakti #bhaktipravachan #ramsharnam #ramayana
श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 44**बाहरवां अध्याय भक्ति योग** @bhaktimeshakti2281
Переглядів 16916 годин тому
Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281 परम पूज्य डॉ विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से ((1437)) *श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 44* *बाहरवां अध्याय भक्ति योग* *सबसे छोटा अध्याय और बहुत मार्मिक अध्याय ।* यह परमेश्वर की कृपा देखिएगा, किन किन साधनों से जिस पर वह कृपा देवी ! करना चाहता है, कैसे कैसे कड़े साधन, कैसे कैसे दूसरी तरह के साधन, किस प्रकार के वह साधन अपनाता है, अपनी ओर खींचने के लिए, अपनी ओर आकर्...
श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 43**बाहरवां अध्याय भक्ति योग** @bhaktimeshakti2281
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Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281 परम पूज्य डॉ विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से ((1436)) धुन : *प्रभु जी मुझे चरणों का, र लो सेवादार।* *प्रभु जी मुझे चरणों का, र लो सेवादार।।* *श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 43* *बाहरवां अध्याय भक्ति योग* *सबसे छोटा अध्याय और बहुत मार्मिक अध्याय ।* *परमात्मा के श्री चरणों का सेवादार हो जाना, सारे संसार का सेवादार हो जाना अर्थात् परमात्मा के साकार रूप का सेवादार ...
श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 41**11वां अध्याय विश्वरूप दर्शन**(शरणागति) भाग ७ @bhaktimeshakti2281
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Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281 परम पूज्य डाक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से ((1435)) *श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 41* *11वां अध्याय विश्वरूप दर्शन* *(शरणागति) भाग ७* *महर्षि व्यास देव ।* *आज एक महर्षि, महानतम महर्षि की बात चल रही थी, हर वर्ष इनकी पूजा का दिन मनाया जाता है, महर्षि व्यास देव ।* *हर वर्ष व्यास पूर्णिमा मनाई जाती है ।* *All over the world. *संसार भर में पूज्य व्यक्ति...
*प्रवचन: श्री रामायणजी -15** @bhaktimeshakti2281
Переглядів 84121 годину тому
Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281 *प्रवचन: श्री रामायणजी -15* *( लक्ष्मण जी की प्रभु के प्रति अनन्य भक्ति एवं माँ सुमित्रा की हम सभी को शिक्षा लक्ष्मण जी के माध्यम से )* #amritvanisatsang #bhaktipravachan #rambhakti #ramsharnam #ramayana
प्रवचन: श्री रामायणजी -14** @bhaktimeshakti2281
Переглядів 619День тому
प्रवचन: श्री रामायणजी -14 @bhaktimeshakti2281
।*श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 41**11वां अध्याय विश्वरूप दर्शन* *(शरणागति) भाग ६* @bhaktimeshakti2281
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।*श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 41 11वां अध्याय विश्वरूप दर्शन* *(शरणागति) भाग ६* @bhaktimeshakti2281
*प्रवचन: श्री रामायणजी -13** @bhaktimeshakti2281
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*प्रवचन: श्री रामायणजी -13 @bhaktimeshakti2281
श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 40**11वां अध्याय विश्वरूप दर्शन**(शरणागति) भाग ५*@bhaktimeshakti2281
Переглядів 208День тому
श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 40 11वां अध्याय विश्वरूप दर्शन (शरणागति) भाग ५*@bhaktimeshakti2281
*प्रवचन: श्री रामायणजी -12**(राम कैसै हैं और हम कैसै हैं)** @bhaktimeshakti2281
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*प्रवचन: श्री रामायणजी -12 (राम कैसै हैं और हम कैसै हैं) @bhaktimeshakti2281
श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 39**11वां अध्याय विश्वरूप दर्शन**(शरणागति) भाग ४*ध्यान@bhaktimeshakti2281
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श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 39 11वां अध्याय विश्वरूप दर्शन (शरणागति) भाग ४*ध्यान@bhaktimeshakti2281
श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 38*11वां अध्याय विश्वरूप दर्शन(शरणागति) भाग २ *तुलसी*@bhaktimeshakti2281
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श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 38*11वां अध्याय विश्वरूप दर्शन(शरणागति) भाग २ *तुलसी*@bhaktimeshakti2281
श्री रामायणजी _10 प्रभु राम किसी भी परिस्थिति में ना दु:खी हुए ना चिंतित हुए @bhaktimeshakti2281
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श्री रामायणजी _10 प्रभु राम किसी भी परिस्थिति में ना दु:खी हुए ना चिंतित हुए @bhaktimeshakti2281
श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 37**11वां अध्याय विश्वरूप दर्शन**(शरणागति) भाग २*@bhaktimeshakti2281
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श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 37 11वां अध्याय विश्वरूप दर्शन (शरणागति) भाग २*@bhaktimeshakti2281
प्रवचन: श्री रामायणजी -9* @bhaktimeshakti2281
Переглядів 40814 днів тому
प्रवचन: श्री रामायणजी -9* @bhaktimeshakti2281
श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 36**11वां अध्याय विश्वरूप दर्शन**(शरणागति )भाग-१*@bhaktimeshakti2281
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श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 36 11वां अध्याय विश्वरूप दर्शन (शरणागति )भाग-१*@bhaktimeshakti2281
*प्रवचन : परमात्मा की कृपा सब पर एक समान बरसती है @bhaktimeshakti2281
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*प्रवचन : परमात्मा की कृपा सब पर एक समान बरसती है @bhaktimeshakti2281
*प्रवचन: श्री रामायणजी -8**(ईश्वर से संबंध बनाना क्यों आवश्यक)*@bhaktimeshakti2281
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*प्रवचन: श्री रामायणजी -8 (ईश्वर से संबंध बनाना क्यों आवश्यक)*@bhaktimeshakti2281
Sadhna Satsang Pravachan @bhaktimeshakti2281
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Sadhna Satsang Pravachan @bhaktimeshakti2281
*श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 35**बुद्धि योग(विभूति योग) पर चर्चा**भाग-१३*@bhaktimeshakti2281
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*श्री गीता ज्ञान यज्ञ भाग 35 बुद्धि योग(विभूति योग) पर चर्चा भाग-१३*@bhaktimeshakti2281
Ram Ram ji 🙏
Ram ram ram ram ji 🙏
Ram Ramji
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Ram Ram ji 🙏
Ram Ram ji Gurudev ji
Ram Ram ji 🙏
Ram Ram ji 🌹🙏🌹
Ram Ram ji 🙏
Ram Ram ji🌹 kya is namaskar mantra ko bina nhaye bol sakte hain?
Ram Ram ji 🙏 Hamare guru Satyanand ji Maharaj ne hum se kuch bhi nahi churaya bas Ram naam lo kisi time kisi bhi samay before or after bath Sas sas se simre sujan Ram Ram Ram
Gurudev ji koti koti parnam ❤❤❤❤❤🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏
Ram Ram ji 🙏
Ram Ram ji 🙏
Ram Ram ji
Gurudev ji ko Koti koti parnam ❤❤❤❤❤🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏
Ram Ram ji 🙏
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Ram Ram ji 🙏
Ram Ram ji 🙏
Ram Ram ji 🙏
Ram Ram Ji
Ram Ram ji 🙏
Jai Jai Ram
Ram Ram ji 🙏
Jai gurudev ji 🙏🌹jai shree Ram ji 🙏🌹
Ram Ram ji 🙏
Jay guru dev
Ram Ram ji 🙏
Ram Ram Guruji Kirpa Karo Apne Charna wich Lagau 🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌸🌸🌸🌸🙏🙏🙏🙏🙏
Ram Ram ji 🙏
Swamijike charnomea pranamji
Ram Ram ji 🙏
Swamijike charnomea pranamji
Ram Ram ji 🙏
Ram Ram ji
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Swamijike charnomea pranamji
Ram Ram ji 🙏
Jaigurudavji Charan vandan
Ram Ram ji 🙏
Ram Ram ji 🙏
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Ram Ram Ji
Ram Ram ji 🙏
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Jai Guru Ji
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Gurudev ji ko Koti Koti parnam ❤❤❤❤❤🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏
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Guru devji aapko koti koti pernam 🙏 Ram Ram ji 🙏
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Jai jai ram
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Ke. Charan. Kamlo. Mein. Meri. Beti. Mehak. Or. Mujh. Tuch. Geeta. Koti. Kotipranam. Thanks. For. This. Pravachan. Bahut. Hi. Peace. Ful. Pravachan. For. The. Heart ❤️. Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram. Apke. Charno. Mein. By. Both. Of. Us. Dhanywad. Rama
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Guru. Dev. Ji
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Jai gurudev ji 🙏
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Ram Ram ji Jai gurudev 🎉🎉🎉🎉
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Ram Ram Jai Gurudev ji 🪷🪷
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Jai Guru Dev ji 🙏 Ram ram ram ram ji 🙏
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Great way of explaining kripa, satsang and katha❤
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