बहुत ही अच्छी बातबता रहे हैं आज समाज में काफी पढ़े लिखे हैं लेकिन फिर भी कितने लोग आध्याम से काफी दूरी रखते हैं। कल कारखाने न हो तो कितने लोग और भी बे रोजगार हो जाएगे। जय श्री राम हरहर महादेव की जय सँतोशी माँ की जय।।।।।
जब से सनातन को जाना डूबता जा रहा हूं यदि मैं मुस्लिम से हिंदू धर्म में नहीं आता तो सायद दुनिया को जान नहीं पाता जय सनातन आप ज्ञान की परिपूर्ण खजाना है 😪😪😪😪🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बलि देना और मांस तो हिंदू बहोत खाते हे, हालाकि 5 बड़ी beef company ब्रामण or हिंदू की ही हे , अब में हिंदू ग्रंथ से सबूत देता हु, देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि का प्रयोग किया जाता है। बलि प्रथा के अंतर्गत बकरा, मुर्गा या भैंसे की बलि दिए जाने का प्रचलन है। हिन्दू धर्म में खासकर मां काली और काल भैरव को बलि चढ़ाई जाती है। पूर्वी भारत के असम, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा राज्यों के साथ-साथ नेपाल देश में भी पशु बलि की प्रथा है।. बलि देना और मांस तो हिंदू बहोत खाते हे, हालाकि 5 बड़ी beef company ब्रामण or हिंदू की ही हे , अब में हिंदू ग्रंथ से सबूत देता हु, देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि का प्रयोग किया जाता है। बलि प्रथा के अंतर्गत बकरा, मुर्गा या भैंसे की बलि दिए जाने का प्रचलन है। हिन्दू धर्म में खासकर मां काली और काल भैरव को बलि चढ़ाई जाती है। पूर्वी भारत के असम, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा राज्यों के साथ-साथ नेपाल देश में भी पशु बलि की प्रथा है।. मनुस्मृति हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय, मौलिक और पवित्र ग्रंथों में एक है. मनुस्मृति के श्लोक 30, अध्याय 5 में लिखा गया है- ‘खाने योग्य जानवरों का मांस खाना पाप नहीं है क्योंकि ब्रह्मा ने खाने वाले और खाने योग्य दोनों को बनाया है.’ मनुस्मृति के श्लोक 3.267 से 3.272 तक में, मछली,हिरण, मृग, मुर्गी, बकरी, भेड़ और खरगोश के मांस को बलि के भोजन के रूप में मंजूरी देता है. अंबेडकर ने प्राचीन काल में हिंदुओं के गोमांस खाने की बात को साबित करने के लिए हिन्दू और बौद्ध धर्मग्रंथों का सहारा लिया. अंबेडकर ने लिखा है, "ऋगवेद काल के आर्य खाने के लिए गाय को मारा करते थे, जो खुद ऋगवेद से ही स्पष्ट है." ऋगवेद में (10. 86.14) में इंद्र कहते हैं, "उन्होंने एक बार 5 से ज़्यादा बैल पकाए'. ऋगवेद (10. 91.14) कहता है कि अग्नि के लिए घोड़े, बैल, सांड, बांझ गायों और भेड़ों की बलि दी गई. ऋगवेद (10. 72.6) से ऐसा लगता है कि गाय को तलवार या कुल्हाड़ी से मारा जाता था तैत्रीय ब्राह्मण में बताई गई कामयेष्टियों में न सिर्फ़ बैल और गाय की बलि का उल्लेख है बल्कि यह भी बताया गया है कि किस देवता को किस तरह के बैल या गाय की बलि दी जानी चाहिए." वो लिखते हैं, "विष्णु को बलि चढ़ाने के लिए बौना बैल, वृत्रासुर के संहारक के रूप में इंद्र को लटकते सींग वाले और माथे पर चमक वाले सांड, पुशन के लिए काली गाय, रुद्र के लिए लाल गाय आदि." नेपाल, यज्ञ स्थल "तैत्रीय ब्राह्मण में एक और बलि का उल्लेख है जिसे पंचस्रदीय-सेवा बताया गया है. इसका सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, पांच साल के बगैर कूबड़ वाले 17 बौने बैलों का बलिदान और जितनी चाहें उतनी तीन साल की बौनी बछियों का बलिदान." मनुस्मृति हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय, मौलिक और पवित्र ग्रंथों में एक है. मनुस्मृति के श्लोक 30, अध्याय 5 में लिखा गया है- ‘खाने योग्य जानवरों का मांस खाना पाप नहीं है क्योंकि ब्रह्मा ने खाने वाले और खाने योग्य दोनों को बनाया है.’ मनुस्मृति के श्लोक 3.267 से 3.272 तक में, मछली,हिरण, मृग, मुर्गी, बकरी, भेड़ और खरगोश के मांस को बलि के भोजन के रूप में मंजूरी देता है. अंबेडकर ने प्राचीन काल में हिंदुओं के गोमांस खाने की बात को साबित करने के लिए हिन्दू और बौद्ध धर्मग्रंथों का सहारा लिया. अंबेडकर ने लिखा है, "ऋगवेद काल के आर्य खाने के लिए गाय को मारा करते थे, जो खुद ऋगवेद से ही स्पष्ट है." ऋगवेद में (10. 86.14) में इंद्र कहते हैं, "उन्होंने एक बार 5 से ज़्यादा बैल पकाए'. ऋगवेद (10. 91.14) कहता है कि अग्नि के लिए घोड़े, बैल, सांड, बांझ गायों और भेड़ों की बलि दी गई. ऋगवेद (10. 72.6) से ऐसा लगता है कि गाय को तलवार या कुल्हाड़ी से मारा जाता था तैत्रीय ब्राह्मण में बताई गई कामयेष्टियों में न सिर्फ़ बैल और गाय की बलि का उल्लेख है बल्कि यह भी बताया गया है कि किस देवता को किस तरह के बैल या गाय की बलि दी जानी चाहिए." वो लिखते हैं, "विष्णु को बलि चढ़ाने के लिए बौना बैल, वृत्रासुर के संहारक के रूप में इंद्र को लटकते सींग वाले और माथे पर चमक वाले सांड, पुशन के लिए काली गाय, रुद्र के लिए लाल गाय आदि." "तैत्रीय ब्राह्मण में एक और बलि का उल्लेख है जिसे पंचस्रदीय-सेवा बताया गया है. इसका सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, पांच साल के बगैर कूबड़ वाले 17 बौने बैलों का बलिदान और जितनी चाहें उतनी तीन साल की बौनी बछियों का बलिदान."
सत्य सनातन धर्म की जय हो। गर्व है मुझे ऐसे सनातन धर्म पर जिसका न आदि है न अंत है जो सदैव बना रहने वाला है। जंहा मैने जन्म लिया । जय शिव शंकर , जय श्री राम, जय श्री कृष्ण, ओम नमः शिवाय।
धर्म-संस्कृति विश्वास विजय करहि । सनातनधर्म जयतिलक उज्ज्वल भवितव्यहि ।।1।। :::::::::::::::::: आदिमहापुरुष सर्वशास्त्रविशारद अद्वित्य विद्वान आदि शंकराचार्य नमोस्तु ते । सत्य सनातन धर्म संस्थापक शंकराचार्य नमोस्तु ते।।2।। ::::::::::::::::::::::: जय श्री शंकराचार्य स्वामीजी महाराज नमोस्तु ते। जय हिन्द।
आदि गुरु शंकराचार्य जी की इतनी सुन्दर और इतनी समझ से भरी बातों को सुनकर भी यदि कोई व्यक्ति पशु पक्षियों को मार कर खाने की मनसा प्रकट करता है तो उसे साक्षात राक्षस ही समझना चाहिए। यहां इस चंडाल और आदि गुरु शंकराचार्य जी के बीच की वार्तालाप से भी यहीं बात सामने आती है की धरती पर प्रत्येक जीव जंतु एक ही परमात्मा के अंश हैं और मेरे गुरु आचार्य प्रशांत जी ने भी यहीं समझाया है लेकिन इसे सुनने के बावजूद लोग बड़े चाव से मांस खाते हैं। धिक्कार है वैसे लोगों पर जोर आदि गुरु शंकराचार्य जी की बातों को सुनकर भी हिंसा करते हैं।🙏🌻🙏
हर सनातनी बच्चे बच्चे को आदि गुरु शंकराचार्य जी की जीवनी का ज्ञान होना चाहिए । यह मैं इस लिए भी कह रहा हूं कि मुझे खुद 30 साल की उम्र के बाद आदि गुरु शंकराचार्य जी की जीवनी का पता चला । ।
मेरा विश्वास है कि ईश्वर की कृपा से पुनः वैदिक संस्कृति धर्म की स्थापना होगी। जो हिंदू धर्म या वैदिक धर्म जो कुरीतियां आ गई है वे दूर होगी। महर्षि दयानंद ने ऐसा ही प्रयास वैदिक धर्म की स्थापना के लिए किया था। जो स्तुत्य है।
यह सँबिधान बनायाजाता इस लिए राजनीतिज्ञोंको कोपरेशानी होती है। महा मना मदन मोहन मालवीय जी ने भगवत्गीता का अनुवाद पद्य मे किया। मन से है ॐ नमन प्रभु को जिससे यह जड़ चेतन बनता। जो परम पुरूष जो आदि बीज सरबो परि जिसकी ईश्वरता।।।।।।
ज्ञानवर्धक और सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत साधुवाद। सुधार 🙏 वीडियो में 17:15 मिनट पर बताया गया है कि 'चार महाकाव्यों' द्वारा... यहाँ पर 'चार महावाक्यों' होना चाहिए। कृपया विद्वानों से परामर्श करके सुधार करने का कष्ट करें। प्रेरणादायी प्रस्तुति के लिए पुनः साधुवाद। आदरणीय, श्रद्धेय श्री अनुपम खेर जी को भी धन्यवाद🙏।
Ma Saraswati is absolutely right in asking those questions. Sanyasi may mean that someone who has stayed away from the battlefield of life. True knowledge can also be acquired by fighting life. True emotions makes life complete and it can only be experienced by someone who participates in the battle of life. Adi Shankara proved that he is sanyasi by choice and not by force. He proved that a Sanyasi is fully capable of experiencing all emotions but choose to stay unattached from them.
ओम नमो नारायण जय श्री राम यदि पहले जगद्गुरु शंकराचार्य जी नहीं होते तो भारत देश मिट्टी में मिल चुका होता आज प्रेम से बोलो श्री जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज की जय
बलि देना और मांस तो हिंदू बहोत खाते हे, हालाकि 5 बड़ी beef company ब्रामण or हिंदू की ही हे , अब में हिंदू ग्रंथ से सबूत देता हु, देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि का प्रयोग किया जाता है। बलि प्रथा के अंतर्गत बकरा, मुर्गा या भैंसे की बलि दिए जाने का प्रचलन है। हिन्दू धर्म में खासकर मां काली और काल भैरव को बलि चढ़ाई जाती है। पूर्वी भारत के असम, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा राज्यों के साथ-साथ नेपाल देश में भी पशु बलि की प्रथा है।. बलि देना और मांस तो हिंदू बहोत खाते हे, हालाकि 5 बड़ी beef company ब्रामण or हिंदू की ही हे , अब में हिंदू ग्रंथ से सबूत देता हु, देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि का प्रयोग किया जाता है। बलि प्रथा के अंतर्गत बकरा, मुर्गा या भैंसे की बलि दिए जाने का प्रचलन है। हिन्दू धर्म में खासकर मां काली और काल भैरव को बलि चढ़ाई जाती है। पूर्वी भारत के असम, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा राज्यों के साथ-साथ नेपाल देश में भी पशु बलि की प्रथा है।. मनुस्मृति हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय, मौलिक और पवित्र ग्रंथों में एक है. मनुस्मृति के श्लोक 30, अध्याय 5 में लिखा गया है- ‘खाने योग्य जानवरों का मांस खाना पाप नहीं है क्योंकि ब्रह्मा ने खाने वाले और खाने योग्य दोनों को बनाया है.’ मनुस्मृति के श्लोक 3.267 से 3.272 तक में, मछली,हिरण, मृग, मुर्गी, बकरी, भेड़ और खरगोश के मांस को बलि के भोजन के रूप में मंजूरी देता है. अंबेडकर ने प्राचीन काल में हिंदुओं के गोमांस खाने की बात को साबित करने के लिए हिन्दू और बौद्ध धर्मग्रंथों का सहारा लिया. अंबेडकर ने लिखा है, "ऋगवेद काल के आर्य खाने के लिए गाय को मारा करते थे, जो खुद ऋगवेद से ही स्पष्ट है." ऋगवेद में (10. 86.14) में इंद्र कहते हैं, "उन्होंने एक बार 5 से ज़्यादा बैल पकाए'. ऋगवेद (10. 91.14) कहता है कि अग्नि के लिए घोड़े, बैल, सांड, बांझ गायों और भेड़ों की बलि दी गई. ऋगवेद (10. 72.6) से ऐसा लगता है कि गाय को तलवार या कुल्हाड़ी से मारा जाता था तैत्रीय ब्राह्मण में बताई गई कामयेष्टियों में न सिर्फ़ बैल और गाय की बलि का उल्लेख है बल्कि यह भी बताया गया है कि किस देवता को किस तरह के बैल या गाय की बलि दी जानी चाहिए." वो लिखते हैं, "विष्णु को बलि चढ़ाने के लिए बौना बैल, वृत्रासुर के संहारक के रूप में इंद्र को लटकते सींग वाले और माथे पर चमक वाले सांड, पुशन के लिए काली गाय, रुद्र के लिए लाल गाय आदि." नेपाल, यज्ञ स्थल "तैत्रीय ब्राह्मण में एक और बलि का उल्लेख है जिसे पंचस्रदीय-सेवा बताया गया है. इसका सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, पांच साल के बगैर कूबड़ वाले 17 बौने बैलों का बलिदान और जितनी चाहें उतनी तीन साल की बौनी बछियों का बलिदान." मनुस्मृति हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय, मौलिक और पवित्र ग्रंथों में एक है. मनुस्मृति के श्लोक 30, अध्याय 5 में लिखा गया है- ‘खाने योग्य जानवरों का मांस खाना पाप नहीं है क्योंकि ब्रह्मा ने खाने वाले और खाने योग्य दोनों को बनाया है.’ मनुस्मृति के श्लोक 3.267 से 3.272 तक में, मछली,हिरण, मृग, मुर्गी, बकरी, भेड़ और खरगोश के मांस को बलि के भोजन के रूप में मंजूरी देता है. अंबेडकर ने प्राचीन काल में हिंदुओं के गोमांस खाने की बात को साबित करने के लिए हिन्दू और बौद्ध धर्मग्रंथों का सहारा लिया. अंबेडकर ने लिखा है, "ऋगवेद काल के आर्य खाने के लिए गाय को मारा करते थे, जो खुद ऋगवेद से ही स्पष्ट है." ऋगवेद में (10. 86.14) में इंद्र कहते हैं, "उन्होंने एक बार 5 से ज़्यादा बैल पकाए'. ऋगवेद (10. 91.14) कहता है कि अग्नि के लिए घोड़े, बैल, सांड, बांझ गायों और भेड़ों की बलि दी गई. ऋगवेद (10. 72.6) से ऐसा लगता है कि गाय को तलवार या कुल्हाड़ी से मारा जाता था तैत्रीय ब्राह्मण में बताई गई कामयेष्टियों में न सिर्फ़ बैल और गाय की बलि का उल्लेख है बल्कि यह भी बताया गया है कि किस देवता को किस तरह के बैल या गाय की बलि दी जानी चाहिए." वो लिखते हैं, "विष्णु को बलि चढ़ाने के लिए बौना बैल, वृत्रासुर के संहारक के रूप में इंद्र को लटकते सींग वाले और माथे पर चमक वाले सांड, पुशन के लिए काली गाय, रुद्र के लिए लाल गाय आदि." "तैत्रीय ब्राह्मण में एक और बलि का उल्लेख है जिसे पंचस्रदीय-सेवा बताया गया है. इसका सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, पांच साल के बगैर कूबड़ वाले 17 बौने बैलों का बलिदान और जितनी चाहें उतनी तीन साल की बौनी बछियों का बलिदान."
यदि आप तुक्का से किसी मुस्लिम घर में पैदा होते तो आपको इस्लाम धर्म पर गर्व होता। यानी ये आपका झुकाव अपनी तरफ है बस। जबकि हो सकता है आपको दुनिया में कितने धर्म है कब से हैं और क्या कहते हैं किस तरह कहते हैं ये भी सही से पता ना हो।
Thank you, it is so beautiful. Beautifully made beautifully narrated. You are so lucky to have been born to parents who were able to pass on such profound knowledge to you. I thought l was very lucky l escaped going to convent at very young age,. My family was very much impressed by western methods of education,. 😊1947 upset their plans to upset child girls to Swiss finishing schools. Family observed Hindu rituals, some Aarya Samaj, some guru Nanak ,and Santhana. No conflict , they did protect us from being influenced by foreign religions. Hearing younger generation than myself talk so beautifully Sanskrit makes me feel so happy, very great full to all those who kept our culture alive, .
बलि देना और मांस तो हिंदू बहोत खाते हे, हालाकि 5 बड़ी beef company ब्रामण or हिंदू की ही हे , अब में हिंदू ग्रंथ से सबूत देता हु, देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि का प्रयोग किया जाता है। बलि प्रथा के अंतर्गत बकरा, मुर्गा या भैंसे की बलि दिए जाने का प्रचलन है। हिन्दू धर्म में खासकर मां काली और काल भैरव को बलि चढ़ाई जाती है। पूर्वी भारत के असम, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा राज्यों के साथ-साथ नेपाल देश में भी पशु बलि की प्रथा है।. बलि देना और मांस तो हिंदू बहोत खाते हे, हालाकि 5 बड़ी beef company ब्रामण or हिंदू की ही हे , अब में हिंदू ग्रंथ से सबूत देता हु, देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि का प्रयोग किया जाता है। बलि प्रथा के अंतर्गत बकरा, मुर्गा या भैंसे की बलि दिए जाने का प्रचलन है। हिन्दू धर्म में खासकर मां काली और काल भैरव को बलि चढ़ाई जाती है। पूर्वी भारत के असम, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा राज्यों के साथ-साथ नेपाल देश में भी पशु बलि की प्रथा है।. मनुस्मृति हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय, मौलिक और पवित्र ग्रंथों में एक है. मनुस्मृति के श्लोक 30, अध्याय 5 में लिखा गया है- ‘खाने योग्य जानवरों का मांस खाना पाप नहीं है क्योंकि ब्रह्मा ने खाने वाले और खाने योग्य दोनों को बनाया है.’ मनुस्मृति के श्लोक 3.267 से 3.272 तक में, मछली,हिरण, मृग, मुर्गी, बकरी, भेड़ और खरगोश के मांस को बलि के भोजन के रूप में मंजूरी देता है. अंबेडकर ने प्राचीन काल में हिंदुओं के गोमांस खाने की बात को साबित करने के लिए हिन्दू और बौद्ध धर्मग्रंथों का सहारा लिया. अंबेडकर ने लिखा है, "ऋगवेद काल के आर्य खाने के लिए गाय को मारा करते थे, जो खुद ऋगवेद से ही स्पष्ट है." ऋगवेद में (10. 86.14) में इंद्र कहते हैं, "उन्होंने एक बार 5 से ज़्यादा बैल पकाए'. ऋगवेद (10. 91.14) कहता है कि अग्नि के लिए घोड़े, बैल, सांड, बांझ गायों और भेड़ों की बलि दी गई. ऋगवेद (10. 72.6) से ऐसा लगता है कि गाय को तलवार या कुल्हाड़ी से मारा जाता था तैत्रीय ब्राह्मण में बताई गई कामयेष्टियों में न सिर्फ़ बैल और गाय की बलि का उल्लेख है बल्कि यह भी बताया गया है कि किस देवता को किस तरह के बैल या गाय की बलि दी जानी चाहिए." वो लिखते हैं, "विष्णु को बलि चढ़ाने के लिए बौना बैल, वृत्रासुर के संहारक के रूप में इंद्र को लटकते सींग वाले और माथे पर चमक वाले सांड, पुशन के लिए काली गाय, रुद्र के लिए लाल गाय आदि." नेपाल, यज्ञ स्थल "तैत्रीय ब्राह्मण में एक और बलि का उल्लेख है जिसे पंचस्रदीय-सेवा बताया गया है. इसका सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, पांच साल के बगैर कूबड़ वाले 17 बौने बैलों का बलिदान और जितनी चाहें उतनी तीन साल की बौनी बछियों का बलिदान." मनुस्मृति हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय, मौलिक और पवित्र ग्रंथों में एक है. मनुस्मृति के श्लोक 30, अध्याय 5 में लिखा गया है- ‘खाने योग्य जानवरों का मांस खाना पाप नहीं है क्योंकि ब्रह्मा ने खाने वाले और खाने योग्य दोनों को बनाया है.’ मनुस्मृति के श्लोक 3.267 से 3.272 तक में, मछली,हिरण, मृग, मुर्गी, बकरी, भेड़ और खरगोश के मांस को बलि के भोजन के रूप में मंजूरी देता है. अंबेडकर ने प्राचीन काल में हिंदुओं के गोमांस खाने की बात को साबित करने के लिए हिन्दू और बौद्ध धर्मग्रंथों का सहारा लिया. अंबेडकर ने लिखा है, "ऋगवेद काल के आर्य खाने के लिए गाय को मारा करते थे, जो खुद ऋगवेद से ही स्पष्ट है." ऋगवेद में (10. 86.14) में इंद्र कहते हैं, "उन्होंने एक बार 5 से ज़्यादा बैल पकाए'. ऋगवेद (10. 91.14) कहता है कि अग्नि के लिए घोड़े, बैल, सांड, बांझ गायों और भेड़ों की बलि दी गई. ऋगवेद (10. 72.6) से ऐसा लगता है कि गाय को तलवार या कुल्हाड़ी से मारा जाता था तैत्रीय ब्राह्मण में बताई गई कामयेष्टियों में न सिर्फ़ बैल और गाय की बलि का उल्लेख है बल्कि यह भी बताया गया है कि किस देवता को किस तरह के बैल या गाय की बलि दी जानी चाहिए." वो लिखते हैं, "विष्णु को बलि चढ़ाने के लिए बौना बैल, वृत्रासुर के संहारक के रूप में इंद्र को लटकते सींग वाले और माथे पर चमक वाले सांड, पुशन के लिए काली गाय, रुद्र के लिए लाल गाय आदि." "तैत्रीय ब्राह्मण में एक और बलि का उल्लेख है जिसे पंचस्रदीय-सेवा बताया गया है. इसका सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, पांच साल के बगैर कूबड़ वाले 17 बौने बैलों का बलिदान और जितनी चाहें उतनी तीन साल की बौनी बछियों का बलिदान."
हे परमपिता परमेश्वर भारत वर्ष को इसी लिए भारत माता कहा गया और आज शंकराचार्य जी की बराबरी सिर्फ और सिर्फ हिन्दू धर्म य सत्य सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार करने वाले संत श्री आशारामजी बापू हैं निर्दोष संत को न्याय मिले हे हिन्दुस्तान के नागरिकों बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों जागो आज जो अन्याय बापूजी के साथ हों रहा है ऐसा अंग्रेजो ने भी नहीं किया और भारत वर्ष के लोग एक नहीं हो रहें हैं ये अन्याय प्रकृति माफ़ नहीं करेगी परिवर्तन बदला लेगा लेकिन इसमें हरा सूखा सब कुछ जलेगा हरि ओम 🙏🌹😘🙏
प्रिय शिष्य। आप जीवन में बहुत आगे जाएंगे आपके ऊपर हनुमान जी प्रभु की कृपा सदा बनी रहे यही हनुमान जी प्रभु से प्रार्थना करता हूं श्री राम प्रभु की जय श्री हनुमान जी प्रभु की जय हो श्री परम पूज्य माता जी की जय हो जय माता लक्ष्मी जी की जय हो जय हनुमान जी की जय हो हनुमान जी की जय हो जय हनुमान जी की जय हो श्री हनुमते नमः ॐ श्री हनुमते नमः। श्री शनि देव भगवान की जय
हिन्दू संनातन धर्म की महानता की वर्णन मर्म को आत्मसात कराने वाले परम् वंदनीय जगद्गुरु आचार्य आदि शङ्कराचार्य के श्री चरणों में गुरु आद्य शंकराचार्य जी को कोटि कोटि नमन्।
महान सनातन धर्म और शंकराचार्यजीका कम उमर मे महान ग्यान ! कोटी कोटी प्रणाम !! सनातन धर्ममे जातीभेद त बसे बंद होता तो अखंड हिंदूस्थान सनातनही रहता . मुस्लीम सत्ता बिलकूल यहा नही आ सकती .
अनुपम खैर जी सर जी नमस्कार,जय धरती माता 🙏🌹🙏 अधिक जानकारी हेतु श्री नकलंग देव श्री अनोपस्वामीजी महाराज जी के द्वारा लिखित ग्रन्थ जगतहितकारीणी व श्री दयानंद सरस्वती जी महाराज आर्य समाज के द्वारा लिखित ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश वेद का अध्ययन कर सोचे समझे और बनियों के जाल से बचे,व सोदागर महाजनान बनियों के इन्दरजाल कलीयुगी पाप राक्षसी व गुप्ति पाप से धरती माता के ८४लाख।जीवाजुन, वनस्पति पशु पक्षी व संसार की औलाद को बनियों के राक्षसी पाप से मुक्त कराने में सहायक बने सर जी 🙏🌧️🙏 अलख निरंजन, जल ही परमेश्वर है 🙏🌧️🙏 धरती माता,सबकी माता 🙏🌹🌧️🔥☔🙏सर जी आप इस बात को नज़र अंदाज़ में या मजाक मचकरी में मत ले ना जी!! धन्यवाद देवता 🙏🌹🙏
We are proud on our religion and sanskriti , Adi Shakar was great scholar and progenitor of Hindu religion , Our identity and sanskriti is conserved because of his great effort and vision for our sanskriti 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
गर्व है मुझे ऐसे सनातन धर्म में में जन्म लेने पर
गर्व है मुझे ऐसी पुण्य भूमि में पैदा होने पर
गर्व है मुझे ऐसे महात्माओ के देश में बड़ा होने पर
😊
छान
च सीवी@@GolakBoro-lm6gn
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः।।🕉️🌹🥀🌼🪴✍🏽🌻🌸🎸🪐🌷🌺🍊📚📚🎻🌍🌙🌲🥭🥥🪔🔱🍎🚩🎁🔔🙏
*||ॐ: नमस्ते सदा वत्सले मातृभुमे त्यवा हिन्दुभुमे सुखम वरधि तोहम, महामंगले पुण्यभुमे त्यदर्थे पतत्ये सकायो नमस्ते नमस्ते ॐ:||*
*> वंदे मातरम् साधु साधु
जो लोग जानते हैं उन्हें कोटि कोटि लोगों तक इस तरह बताना चाहिए
बहुत ही अच्छी बातबता रहे हैं आज समाज में काफी पढ़े लिखे हैं लेकिन फिर भी कितने लोग आध्याम से काफी दूरी रखते हैं। कल कारखाने न हो तो कितने लोग और भी बे रोजगार हो जाएगे। जय श्री राम हरहर महादेव की जय सँतोशी माँ की जय।।।।।
जब से सनातन को जाना डूबता जा रहा हूं यदि मैं मुस्लिम से हिंदू धर्म में नहीं आता तो सायद दुनिया को जान नहीं पाता जय सनातन आप ज्ञान की परिपूर्ण खजाना है 😪😪😪😪🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Kya tum Hindu ho??
@@Rohit-ij7mb Yes 2016 में आया हु
बहुत ही अच्छा
Hmm
Aa aà
सबसे श्रेष्ठ हिंदू सनातन धर्म , सबसे श्रेष्ठ ज्ञान .
List hai kya koi? Sabse shresth usse thoda Kam shresth, sabse Kam shresth?
Om namay swey om har har Mahadev ji ki jai
my] yy@@sunitaraina8030
my] yy@@sunitaraina8030
@@sunitaraina8030 true all religions are equal..
जय गुरुदेव गुरु कृपा ही केवलम् हरि कृपा ही
केवलम्, मन:कृपा ही केवलम्, तत्व कृपा ही केवलम्. जीव जीव में शिव शिव,सत्यम् शिवम्
सुन्दरम् 🙏🧘🏻♀️🔥
🙏🙏
अनुपम जी धन्यवाद 🙏 जय हिंद सनातन धर्म🙏 बहोत सखोल ज्ञान मिला l ये ज्ञान प्रत्येक पिढी तक पहुचना चाहिए l
मेरे आदर्श रहे है जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी जी 🙏👍🔱🌹बहुत उम्दा प्रस्तुति।।
Jai sadgurudev koti koti pranaam
@@mangeshpranjale9480 ,
बलि देना और मांस तो हिंदू बहोत खाते हे, हालाकि 5 बड़ी beef company ब्रामण or हिंदू की ही हे ,
अब में हिंदू ग्रंथ से सबूत देता हु,
देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि का प्रयोग किया जाता है। बलि प्रथा के अंतर्गत बकरा, मुर्गा या भैंसे की बलि दिए जाने का प्रचलन है। हिन्दू धर्म में खासकर मां काली और काल भैरव को बलि चढ़ाई जाती है।
पूर्वी भारत के असम, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा राज्यों के साथ-साथ नेपाल देश में भी पशु बलि की प्रथा है।.
बलि देना और मांस तो हिंदू बहोत खाते हे, हालाकि 5 बड़ी beef company ब्रामण or हिंदू की ही हे ,
अब में हिंदू ग्रंथ से सबूत देता हु,
देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि का प्रयोग किया जाता है। बलि प्रथा के अंतर्गत बकरा, मुर्गा या भैंसे की बलि दिए जाने का प्रचलन है। हिन्दू धर्म में खासकर मां काली और काल भैरव को बलि चढ़ाई जाती है।
पूर्वी भारत के असम, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा राज्यों के साथ-साथ नेपाल देश में भी पशु बलि की प्रथा है।.
मनुस्मृति हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय, मौलिक और पवित्र ग्रंथों में एक है. मनुस्मृति के श्लोक 30, अध्याय 5 में लिखा गया है- ‘खाने योग्य जानवरों का मांस खाना पाप नहीं है क्योंकि ब्रह्मा ने खाने वाले और खाने योग्य दोनों को बनाया है.’
मनुस्मृति के श्लोक 3.267 से 3.272 तक में, मछली,हिरण, मृग, मुर्गी, बकरी, भेड़ और खरगोश के मांस को बलि के भोजन के रूप में मंजूरी देता है.
अंबेडकर ने प्राचीन काल में हिंदुओं के गोमांस खाने की बात को साबित करने के लिए हिन्दू और बौद्ध धर्मग्रंथों का सहारा लिया. अंबेडकर ने लिखा है, "ऋगवेद काल के आर्य खाने के लिए गाय को मारा करते थे, जो खुद ऋगवेद से ही स्पष्ट है."
ऋगवेद में (10. 86.14) में इंद्र कहते हैं, "उन्होंने एक बार 5 से ज़्यादा बैल पकाए'. ऋगवेद (10. 91.14) कहता है कि अग्नि के लिए घोड़े, बैल, सांड, बांझ गायों और भेड़ों की बलि दी गई. ऋगवेद (10. 72.6) से ऐसा लगता है कि गाय को तलवार या कुल्हाड़ी से मारा जाता था
तैत्रीय ब्राह्मण में बताई गई कामयेष्टियों में न सिर्फ़ बैल और गाय की बलि का उल्लेख है बल्कि यह भी बताया गया है कि किस देवता को किस तरह के बैल या गाय की बलि दी जानी चाहिए."
वो लिखते हैं, "विष्णु को बलि चढ़ाने के लिए बौना बैल, वृत्रासुर के संहारक के रूप में इंद्र को लटकते सींग वाले और माथे पर चमक वाले सांड, पुशन के लिए काली गाय, रुद्र के लिए लाल गाय आदि."
नेपाल, यज्ञ स्थल
"तैत्रीय ब्राह्मण में एक और बलि का उल्लेख है जिसे पंचस्रदीय-सेवा बताया गया है. इसका सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, पांच साल के बगैर कूबड़ वाले 17 बौने बैलों का बलिदान और जितनी चाहें उतनी तीन साल की बौनी बछियों का बलिदान."
मनुस्मृति हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय, मौलिक और पवित्र ग्रंथों में एक है. मनुस्मृति के श्लोक 30, अध्याय 5 में लिखा गया है- ‘खाने योग्य जानवरों का मांस खाना पाप नहीं है क्योंकि ब्रह्मा ने खाने वाले और खाने योग्य दोनों को बनाया है.’
मनुस्मृति के श्लोक 3.267 से 3.272 तक में, मछली,हिरण, मृग, मुर्गी, बकरी, भेड़ और खरगोश के मांस को बलि के भोजन के रूप में मंजूरी देता है.
अंबेडकर ने प्राचीन काल में हिंदुओं के गोमांस खाने की बात को साबित करने के लिए हिन्दू और बौद्ध धर्मग्रंथों का सहारा लिया. अंबेडकर ने लिखा है, "ऋगवेद काल के आर्य खाने के लिए गाय को मारा करते थे, जो खुद ऋगवेद से ही स्पष्ट है."
ऋगवेद में (10. 86.14) में इंद्र कहते हैं, "उन्होंने एक बार 5 से ज़्यादा बैल पकाए'. ऋगवेद (10. 91.14) कहता है कि अग्नि के लिए घोड़े, बैल, सांड, बांझ गायों और भेड़ों की बलि दी गई. ऋगवेद (10. 72.6) से ऐसा लगता है कि गाय को तलवार या कुल्हाड़ी से मारा जाता था
तैत्रीय ब्राह्मण में बताई गई कामयेष्टियों में न सिर्फ़ बैल और गाय की बलि का उल्लेख है बल्कि यह भी बताया गया है कि किस देवता को किस तरह के बैल या गाय की बलि दी जानी चाहिए."
वो लिखते हैं, "विष्णु को बलि चढ़ाने के लिए बौना बैल, वृत्रासुर के संहारक के रूप में इंद्र को लटकते सींग वाले और माथे पर चमक वाले सांड, पुशन के लिए काली गाय, रुद्र के लिए लाल गाय आदि."
"तैत्रीय ब्राह्मण में एक और बलि का उल्लेख है जिसे पंचस्रदीय-सेवा बताया गया है. इसका सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, पांच साल के बगैर कूबड़ वाले 17 बौने बैलों का बलिदान और जितनी चाहें उतनी तीन साल की बौनी बछियों का बलिदान."
सत्य सनातन धर्म की जय हो।
गर्व है मुझे ऐसे सनातन धर्म पर जिसका न आदि है न अंत है जो सदैव बना रहने वाला है।
जंहा मैने जन्म लिया । जय शिव शंकर , जय श्री राम, जय श्री कृष्ण, ओम नमः शिवाय।
ॐशिवोहऽम् 🙏🌸ॐशिवोशक्तिऽहम्🌺🙏 परम आदरणीय, परम पवित्र, शिव स्वरूप आदि शंकराचार्य जी को कोटि कोटि, अनंत कोटि, ब्रह्माण्ड कोटि नमन प्रणाम 🙏🌸💐ॐशिवोहऽम्🙏 🌸
हर हर महादेव जय महाकाल जय श्री राम जय हो जागो सनतनी तेजा जागो सनतनी तेजा जागो सनतनी तेजा जागो सनतनी तेजा नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो
आदी गुरु पूजनीय शंकराचार्य की जिवनिय औं र धर्म और सनातन धर्म का इतिहास की jankari जन जन तक पहुचाने के आपकी चेष्टा सराहनिय है! आपको मेरी औरसे धन्यवाद.
Many more religions have been lost in this world,but Hindu religion still thrives and shall remain for ever.
Hindu is not a religion
Very good
@@nivedita8871A
Hindu is not Religion. It is a geographical identity. You can call it as Santana Dharma. Religion and Dharma are not same; in fact they are opposite.
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धर्म-संस्कृति विश्वास विजय करहि ।
सनातनधर्म जयतिलक उज्ज्वल भवितव्यहि ।।1।।
::::::::::::::::::
आदिमहापुरुष सर्वशास्त्रविशारद अद्वित्य विद्वान आदि शंकराचार्य नमोस्तु ते ।
सत्य सनातन धर्म संस्थापक शंकराचार्य नमोस्तु ते।।2।।
:::::::::::::::::::::::
जय श्री शंकराचार्य स्वामीजी महाराज नमोस्तु ते।
जय हिन्द।
नमस्कार,
खूपच सुंदर माहिती मिळाली.आदिशंकराचार्य महाराजांन बद्दल.
आदि गुरु शंकराचार्य जी की इतनी सुन्दर और इतनी समझ से भरी बातों को सुनकर भी यदि कोई व्यक्ति पशु पक्षियों को मार कर खाने की मनसा प्रकट करता है तो उसे साक्षात राक्षस ही समझना चाहिए। यहां इस चंडाल और आदि गुरु शंकराचार्य जी के बीच की वार्तालाप से भी यहीं बात सामने आती है की धरती पर प्रत्येक जीव जंतु एक ही परमात्मा के अंश हैं और मेरे गुरु आचार्य प्रशांत जी ने भी यहीं समझाया है लेकिन इसे सुनने के बावजूद लोग बड़े चाव से मांस खाते हैं। धिक्कार है वैसे लोगों पर जोर आदि गुरु शंकराचार्य जी की बातों को सुनकर भी हिंसा करते हैं।🙏🌻🙏
धर्म का सार ही है धारण करो जो बात अपने को पसंद ना हो उसे दूसरों के लिए भी व्यवहार में मत लाओ
Mujhe इस सनातन भूमि पर जन्म लेना पर गर्व है जय श्री राम
अद्भुत है सनातन धर्म और इसके मर्म को आत्मसात कराने वाले परम् वंदनीय जगद्गुरु आचार्य आदि शङ्कराचार्य के श्री चरणों में
कोटि कोटि नामन् 🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏
Ò 9 m
Tv .
Dr GT gGhhf @@nepalimusicvideo9906
हर सनातनी बच्चे बच्चे को आदि गुरु शंकराचार्य जी की जीवनी का ज्ञान होना चाहिए । यह मैं इस लिए भी कह रहा हूं कि मुझे खुद 30 साल की उम्र के बाद आदि गुरु शंकराचार्य जी की जीवनी का पता चला । ।
மமமமமமம்
Bahut sahin kaha apne
मेरा विश्वास है कि ईश्वर की कृपा से पुनः वैदिक संस्कृति धर्म की स्थापना होगी। जो हिंदू धर्म या वैदिक धर्म जो कुरीतियां आ गई है वे दूर होगी। महर्षि दयानंद ने ऐसा ही प्रयास वैदिक धर्म की स्थापना के लिए किया था। जो स्तुत्य है।
यह सँबिधान बनायाजाता इस लिए राजनीतिज्ञोंको कोपरेशानी होती है। महा मना मदन मोहन मालवीय जी ने भगवत्गीता का अनुवाद पद्य मे किया। मन से है ॐ नमन प्रभु को जिससे यह जड़ चेतन बनता। जो परम पुरूष जो आदि बीज सरबो परि जिसकी ईश्वरता।।।।।।
हर हिन्दू आदि गुरु शंकराचार्य जी का ऋणी है
I love 😘😭😭😭😭😭😭😭👣🙏🏻🪔 ओम शांति और समृद्धि और भगवान से प्रार्थना है।।श्री हरि।।।मिल जाओ।।🪔🪔👣😭😘💕❤️🚩🚩
अनुपम जी को साधुवाद एक महापुरूष के बारे में प्रस्तुति देते हुए
ज्ञानवर्धक और सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत साधुवाद।
सुधार 🙏
वीडियो में 17:15 मिनट पर बताया गया है कि 'चार महाकाव्यों' द्वारा...
यहाँ पर 'चार महावाक्यों' होना चाहिए।
कृपया विद्वानों से परामर्श करके सुधार करने का कष्ट करें।
प्रेरणादायी प्रस्तुति के लिए पुनः साधुवाद। आदरणीय, श्रद्धेय श्री अनुपम खेर जी को भी धन्यवाद🙏।
जगदगुरु श्री शंकराचार्यजी की जय हो।
मंडन मिश्र समझदार थे।
लेकिन उसकी पत्नी महामूर्ख थी हार सामने देखकर एक संन्यासी से ऐसे प्रश्र पूछे।
Ma Saraswati is absolutely right in asking those questions. Sanyasi may mean that someone who has stayed away from the battlefield of life. True knowledge can also be acquired by fighting life. True emotions makes life complete and it can only be experienced by someone who participates in the battle of life. Adi Shankara proved that he is sanyasi by choice and not by force. He proved that a Sanyasi is fully capable of experiencing all emotions but choose to stay unattached from them.
सनातन धर्मको शाश्वत रक्षित करनेके लिए आदि शंकराचार्यजी महाराजके रुपमें ईशवर ही अवतरित हुए।शंकराचार्यजीको कोटि कोटि प्रणाम।🙏🏼🙏🏼
Dharm ka mul tatv jana
ओम नमो नारायण जय श्री राम यदि पहले जगद्गुरु शंकराचार्य जी नहीं होते तो भारत देश मिट्टी में मिल चुका होता आज प्रेम से बोलो श्री जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज की जय
बलि देना और मांस तो हिंदू बहोत खाते हे, हालाकि 5 बड़ी beef company ब्रामण or हिंदू की ही हे ,
अब में हिंदू ग्रंथ से सबूत देता हु,
देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि का प्रयोग किया जाता है। बलि प्रथा के अंतर्गत बकरा, मुर्गा या भैंसे की बलि दिए जाने का प्रचलन है। हिन्दू धर्म में खासकर मां काली और काल भैरव को बलि चढ़ाई जाती है।
पूर्वी भारत के असम, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा राज्यों के साथ-साथ नेपाल देश में भी पशु बलि की प्रथा है।.
बलि देना और मांस तो हिंदू बहोत खाते हे, हालाकि 5 बड़ी beef company ब्रामण or हिंदू की ही हे ,
अब में हिंदू ग्रंथ से सबूत देता हु,
देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि का प्रयोग किया जाता है। बलि प्रथा के अंतर्गत बकरा, मुर्गा या भैंसे की बलि दिए जाने का प्रचलन है। हिन्दू धर्म में खासकर मां काली और काल भैरव को बलि चढ़ाई जाती है।
पूर्वी भारत के असम, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा राज्यों के साथ-साथ नेपाल देश में भी पशु बलि की प्रथा है।.
मनुस्मृति हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय, मौलिक और पवित्र ग्रंथों में एक है. मनुस्मृति के श्लोक 30, अध्याय 5 में लिखा गया है- ‘खाने योग्य जानवरों का मांस खाना पाप नहीं है क्योंकि ब्रह्मा ने खाने वाले और खाने योग्य दोनों को बनाया है.’
मनुस्मृति के श्लोक 3.267 से 3.272 तक में, मछली,हिरण, मृग, मुर्गी, बकरी, भेड़ और खरगोश के मांस को बलि के भोजन के रूप में मंजूरी देता है.
अंबेडकर ने प्राचीन काल में हिंदुओं के गोमांस खाने की बात को साबित करने के लिए हिन्दू और बौद्ध धर्मग्रंथों का सहारा लिया. अंबेडकर ने लिखा है, "ऋगवेद काल के आर्य खाने के लिए गाय को मारा करते थे, जो खुद ऋगवेद से ही स्पष्ट है."
ऋगवेद में (10. 86.14) में इंद्र कहते हैं, "उन्होंने एक बार 5 से ज़्यादा बैल पकाए'. ऋगवेद (10. 91.14) कहता है कि अग्नि के लिए घोड़े, बैल, सांड, बांझ गायों और भेड़ों की बलि दी गई. ऋगवेद (10. 72.6) से ऐसा लगता है कि गाय को तलवार या कुल्हाड़ी से मारा जाता था
तैत्रीय ब्राह्मण में बताई गई कामयेष्टियों में न सिर्फ़ बैल और गाय की बलि का उल्लेख है बल्कि यह भी बताया गया है कि किस देवता को किस तरह के बैल या गाय की बलि दी जानी चाहिए."
वो लिखते हैं, "विष्णु को बलि चढ़ाने के लिए बौना बैल, वृत्रासुर के संहारक के रूप में इंद्र को लटकते सींग वाले और माथे पर चमक वाले सांड, पुशन के लिए काली गाय, रुद्र के लिए लाल गाय आदि."
नेपाल, यज्ञ स्थल
"तैत्रीय ब्राह्मण में एक और बलि का उल्लेख है जिसे पंचस्रदीय-सेवा बताया गया है. इसका सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, पांच साल के बगैर कूबड़ वाले 17 बौने बैलों का बलिदान और जितनी चाहें उतनी तीन साल की बौनी बछियों का बलिदान."
मनुस्मृति हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय, मौलिक और पवित्र ग्रंथों में एक है. मनुस्मृति के श्लोक 30, अध्याय 5 में लिखा गया है- ‘खाने योग्य जानवरों का मांस खाना पाप नहीं है क्योंकि ब्रह्मा ने खाने वाले और खाने योग्य दोनों को बनाया है.’
मनुस्मृति के श्लोक 3.267 से 3.272 तक में, मछली,हिरण, मृग, मुर्गी, बकरी, भेड़ और खरगोश के मांस को बलि के भोजन के रूप में मंजूरी देता है.
अंबेडकर ने प्राचीन काल में हिंदुओं के गोमांस खाने की बात को साबित करने के लिए हिन्दू और बौद्ध धर्मग्रंथों का सहारा लिया. अंबेडकर ने लिखा है, "ऋगवेद काल के आर्य खाने के लिए गाय को मारा करते थे, जो खुद ऋगवेद से ही स्पष्ट है."
ऋगवेद में (10. 86.14) में इंद्र कहते हैं, "उन्होंने एक बार 5 से ज़्यादा बैल पकाए'. ऋगवेद (10. 91.14) कहता है कि अग्नि के लिए घोड़े, बैल, सांड, बांझ गायों और भेड़ों की बलि दी गई. ऋगवेद (10. 72.6) से ऐसा लगता है कि गाय को तलवार या कुल्हाड़ी से मारा जाता था
तैत्रीय ब्राह्मण में बताई गई कामयेष्टियों में न सिर्फ़ बैल और गाय की बलि का उल्लेख है बल्कि यह भी बताया गया है कि किस देवता को किस तरह के बैल या गाय की बलि दी जानी चाहिए."
वो लिखते हैं, "विष्णु को बलि चढ़ाने के लिए बौना बैल, वृत्रासुर के संहारक के रूप में इंद्र को लटकते सींग वाले और माथे पर चमक वाले सांड, पुशन के लिए काली गाय, रुद्र के लिए लाल गाय आदि."
"तैत्रीय ब्राह्मण में एक और बलि का उल्लेख है जिसे पंचस्रदीय-सेवा बताया गया है. इसका सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, पांच साल के बगैर कूबड़ वाले 17 बौने बैलों का बलिदान और जितनी चाहें उतनी तीन साल की बौनी बछियों का बलिदान."
शंकराचार्य की वजह से भारत से बौद्ध धर्म विलुप्त हो गया और जैन धर्म बिलकुल सीमित हो गया।
जी ❤
Unhone kya kara tha ?
जय सनातन धर्म की जय हो मैं भी सनातनी हूं इसलिए मुझे सनातन धर्म पर गर्व है जय हिंद जय भारत
यदि आप तुक्का से किसी मुस्लिम घर में पैदा होते तो आपको इस्लाम धर्म पर गर्व होता। यानी ये आपका झुकाव अपनी तरफ है बस। जबकि हो सकता है आपको दुनिया में कितने धर्म है कब से हैं और क्या कहते हैं किस तरह कहते हैं ये भी सही से पता ना हो।
अति उत्तम अति महत्वपूर्ण अति सुन्दर मनमोहक प्रस्तुति
मूर्खता है आज के परिवेश में जिसके पास धन है वही विद्वान् है। अपितु भारत में विद्वानों को सम्मान दिया जाता।
( व्यर्थ है यह विडिओ आज के प्रवेश में )
भारतमे 10वी सदी मे शंकराचार्य ने भारत का पूरा इतिहास ही बदल दिया
सनातन धर्म, संस्कृति अनंत है हमें गर्व है 🙏
आप नई पिढ़ी को सही शास्त्र बता रहे है 🙏
Thank you, it is so beautiful. Beautifully made beautifully narrated. You are so lucky to have been born to parents who were able to pass on such profound knowledge to you. I thought l was very lucky l escaped going to convent at very young age,. My family was very much impressed by western methods of education,. 😊1947 upset their plans to upset child girls to Swiss finishing schools. Family observed Hindu rituals, some Aarya Samaj, some guru Nanak ,and Santhana. No conflict , they did protect us from being influenced by foreign religions. Hearing younger generation than myself talk so beautifully Sanskrit makes me feel so happy, very great full to all those who kept our culture alive, .
🙏🙏🙏🙏 धन्यबाद और बहुत बहुत आभार
@@VedicSangeet movie name?
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बलि देना और मांस तो हिंदू बहोत खाते हे, हालाकि 5 बड़ी beef company ब्रामण or हिंदू की ही हे ,
अब में हिंदू ग्रंथ से सबूत देता हु,
देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि का प्रयोग किया जाता है। बलि प्रथा के अंतर्गत बकरा, मुर्गा या भैंसे की बलि दिए जाने का प्रचलन है। हिन्दू धर्म में खासकर मां काली और काल भैरव को बलि चढ़ाई जाती है।
पूर्वी भारत के असम, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा राज्यों के साथ-साथ नेपाल देश में भी पशु बलि की प्रथा है।.
बलि देना और मांस तो हिंदू बहोत खाते हे, हालाकि 5 बड़ी beef company ब्रामण or हिंदू की ही हे ,
अब में हिंदू ग्रंथ से सबूत देता हु,
देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि का प्रयोग किया जाता है। बलि प्रथा के अंतर्गत बकरा, मुर्गा या भैंसे की बलि दिए जाने का प्रचलन है। हिन्दू धर्म में खासकर मां काली और काल भैरव को बलि चढ़ाई जाती है।
पूर्वी भारत के असम, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा राज्यों के साथ-साथ नेपाल देश में भी पशु बलि की प्रथा है।.
मनुस्मृति हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय, मौलिक और पवित्र ग्रंथों में एक है. मनुस्मृति के श्लोक 30, अध्याय 5 में लिखा गया है- ‘खाने योग्य जानवरों का मांस खाना पाप नहीं है क्योंकि ब्रह्मा ने खाने वाले और खाने योग्य दोनों को बनाया है.’
मनुस्मृति के श्लोक 3.267 से 3.272 तक में, मछली,हिरण, मृग, मुर्गी, बकरी, भेड़ और खरगोश के मांस को बलि के भोजन के रूप में मंजूरी देता है.
अंबेडकर ने प्राचीन काल में हिंदुओं के गोमांस खाने की बात को साबित करने के लिए हिन्दू और बौद्ध धर्मग्रंथों का सहारा लिया. अंबेडकर ने लिखा है, "ऋगवेद काल के आर्य खाने के लिए गाय को मारा करते थे, जो खुद ऋगवेद से ही स्पष्ट है."
ऋगवेद में (10. 86.14) में इंद्र कहते हैं, "उन्होंने एक बार 5 से ज़्यादा बैल पकाए'. ऋगवेद (10. 91.14) कहता है कि अग्नि के लिए घोड़े, बैल, सांड, बांझ गायों और भेड़ों की बलि दी गई. ऋगवेद (10. 72.6) से ऐसा लगता है कि गाय को तलवार या कुल्हाड़ी से मारा जाता था
तैत्रीय ब्राह्मण में बताई गई कामयेष्टियों में न सिर्फ़ बैल और गाय की बलि का उल्लेख है बल्कि यह भी बताया गया है कि किस देवता को किस तरह के बैल या गाय की बलि दी जानी चाहिए."
वो लिखते हैं, "विष्णु को बलि चढ़ाने के लिए बौना बैल, वृत्रासुर के संहारक के रूप में इंद्र को लटकते सींग वाले और माथे पर चमक वाले सांड, पुशन के लिए काली गाय, रुद्र के लिए लाल गाय आदि."
नेपाल, यज्ञ स्थल
"तैत्रीय ब्राह्मण में एक और बलि का उल्लेख है जिसे पंचस्रदीय-सेवा बताया गया है. इसका सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, पांच साल के बगैर कूबड़ वाले 17 बौने बैलों का बलिदान और जितनी चाहें उतनी तीन साल की बौनी बछियों का बलिदान."
मनुस्मृति हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय, मौलिक और पवित्र ग्रंथों में एक है. मनुस्मृति के श्लोक 30, अध्याय 5 में लिखा गया है- ‘खाने योग्य जानवरों का मांस खाना पाप नहीं है क्योंकि ब्रह्मा ने खाने वाले और खाने योग्य दोनों को बनाया है.’
मनुस्मृति के श्लोक 3.267 से 3.272 तक में, मछली,हिरण, मृग, मुर्गी, बकरी, भेड़ और खरगोश के मांस को बलि के भोजन के रूप में मंजूरी देता है.
अंबेडकर ने प्राचीन काल में हिंदुओं के गोमांस खाने की बात को साबित करने के लिए हिन्दू और बौद्ध धर्मग्रंथों का सहारा लिया. अंबेडकर ने लिखा है, "ऋगवेद काल के आर्य खाने के लिए गाय को मारा करते थे, जो खुद ऋगवेद से ही स्पष्ट है."
ऋगवेद में (10. 86.14) में इंद्र कहते हैं, "उन्होंने एक बार 5 से ज़्यादा बैल पकाए'. ऋगवेद (10. 91.14) कहता है कि अग्नि के लिए घोड़े, बैल, सांड, बांझ गायों और भेड़ों की बलि दी गई. ऋगवेद (10. 72.6) से ऐसा लगता है कि गाय को तलवार या कुल्हाड़ी से मारा जाता था
तैत्रीय ब्राह्मण में बताई गई कामयेष्टियों में न सिर्फ़ बैल और गाय की बलि का उल्लेख है बल्कि यह भी बताया गया है कि किस देवता को किस तरह के बैल या गाय की बलि दी जानी चाहिए."
वो लिखते हैं, "विष्णु को बलि चढ़ाने के लिए बौना बैल, वृत्रासुर के संहारक के रूप में इंद्र को लटकते सींग वाले और माथे पर चमक वाले सांड, पुशन के लिए काली गाय, रुद्र के लिए लाल गाय आदि."
"तैत्रीय ब्राह्मण में एक और बलि का उल्लेख है जिसे पंचस्रदीय-सेवा बताया गया है. इसका सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, पांच साल के बगैर कूबड़ वाले 17 बौने बैलों का बलिदान और जितनी चाहें उतनी तीन साल की बौनी बछियों का बलिदान."
हे परमपिता परमेश्वर भारत वर्ष को इसी लिए भारत माता कहा गया और आज शंकराचार्य जी की बराबरी सिर्फ और सिर्फ हिन्दू धर्म य सत्य सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार करने वाले संत श्री आशारामजी बापू हैं निर्दोष संत को न्याय मिले हे हिन्दुस्तान के नागरिकों बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों जागो आज जो अन्याय बापूजी के साथ हों रहा है ऐसा अंग्रेजो ने भी नहीं किया और भारत वर्ष के लोग एक नहीं हो रहें हैं ये अन्याय प्रकृति माफ़ नहीं करेगी परिवर्तन बदला लेगा लेकिन इसमें हरा सूखा सब कुछ जलेगा हरि ओम 🙏🌹😘🙏
अनूप जी आप हिंदू जनजागृति करते हैं इस हमे गर्व है।
परमात्मा ही शुरू हैं और परमात्मा ही अन्तिम है
ब्रम्ह और जीव एक ही है 🙏🙏🙏
प्रिय शिष्य। आप जीवन में बहुत आगे जाएंगे आपके ऊपर हनुमान जी प्रभु की कृपा सदा बनी रहे यही हनुमान जी प्रभु से प्रार्थना करता हूं श्री राम प्रभु की जय श्री हनुमान जी प्रभु की जय हो श्री परम पूज्य माता जी की जय हो जय माता लक्ष्मी जी की जय हो जय हनुमान जी की जय हो हनुमान जी की जय हो जय हनुमान जी की जय हो श्री हनुमते नमः ॐ श्री हनुमते नमः। श्री शनि देव भगवान की जय
🙏🙏🙏 चरण वंदन और बहुत बहुत आभार गुरु जी ।
सुधवा चौहान के बारे में बताए
धन्यः मां भारती यस्य सरस्वती स्वरूपा आसीत्।
ईश्वर देवता भगवान में बहुत बङा भेद है सत्य है
जय हो आदि शंकराचार्य। सनातन धर्म को पुनर्जीवित करने के लिए शत शत नमन।
नमन वंदन प्रणाम आप के द्वारा सनातन धर्म संस्कृति का संकलन बहुत ही सुन्दर सराहनीय प्रयास है जय श्री राम
Jai shankaracharya.... 🙏🙏 Proud to be part of dashnami sampradaya ..Jai Jai Shankar.. Jai sanatan 🙏🙏
Jay Dasnam Giri . Puri
Ban . Bharati. Har Har Mahadev
0😊😮😊
Thank toAll
🪔⛳🌞जय:📿🐚श्री:🚩🏹राम:🌼👣❤️🙏✊जय:🚩⚔️🚩हिंदुत्व:🙏🦁💪👊💪👈
नमः शिवाय धन्यवाद जय गुरु शंकराचार्य
ऊंजगत रूपाय ब्रह्मानन्द ये आदि शंकराचार्य नमः
हमे इतना पता नहीं जानकर बहुत खुशी हुई धन्यवाद देता हूँ
🙏👉🌹हिन्दू संनातन धर्म की जय हो |
👉🌹हिन्दू संनातन धर्म की महानता की वर्णन करने के लिए श्री अनुपंम जी की जय हो |
⛳🎪जय सियाराम जी🎪⛳
रोचक और दुर्लभ कथा ! अति प्रिय !!
कलयुग में शिव जी का रूप शंकर जी हुए है।🙏
नारी शकती की जयहो
जय श्री राम 🙏🚩 जय हो 🚩
ज्ञान अनंत है,इसकी कोई सीमा नहीं
शंकरं शंकराचार्यं केशवम बादरायणं सूत्र भाष्यै कृतौ वंदे भगवंतौ पुनः पुनः 🙏💐🚩
Bahut hi umda..
Sachai se lotpot ..jagad guru ji 🙏❤️
Har har mahadev
The great Aadi Shankaracharya was the greatest exponent of Adwait Yoga and mastered supreme Vedic Knowledge at a very young age of three years.
uui
Bahut hi saralta se samjhaya gaya hai sanatan dharm ke bare main . bahut bahut sadhuwad
તન્મયઓ ma shiv sankalp mastu zyanam yogam pratishtru adi shankarachary કો કોટી કોટી વંદન
Har har Mahadev..
Jai shiv shambho..
Jai Mahakal...
Bharat Ek Khoja,the greatest ever seriel produced in Indian history.
Adi shankaracharya 🚩🚩🚩🚩🚩🙏
हिन्दू संनातन धर्म की महानता की वर्णन मर्म को आत्मसात कराने वाले परम् वंदनीय जगद्गुरु आचार्य आदि शङ्कराचार्य के श्री चरणों में गुरु आद्य शंकराचार्य जी को कोटि कोटि नमन्।
योग माया ऐसी होती है कि एक सरीर से दूसरे सरीर में जाया जा सके संसय है कोई दूर करे....
@@AmitAmit-xn7kh is my cv
@@AmitAmit-xn7kh 000
Atma Sharir se vibhinn chijen hai, Atma Sharir Mein aati hai aur Ishrat ko chhodkar Jaati Hai ISI ko Janm Aur mrutyu Bhi Kaha jata hai,
Shankaracharya ki Baton ko samajhne ke liye pahle Hamen yah samajh na Padega ki mai Kaun hun, yes Sharir ya FIR Mai Atma hun,
श्री नारायण हरि सत्य सनातन संस्कृति की जय
आदरणीय श्री खेर साहब को प्रणाम
Shree shivay nmstubhamy Har Har mahadev jagadguru Shankaracharya Maharaj ki gaye🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Bhaj Govindam Bhaj Govindam...Govindam Bhaj Muod mate..HareKrishna,,💐🙏💐💐🙏💐
बहुत ही शानदार
साक्षात भगवान ही थे।।।जय गुरूदेव।
वो भगवान को नही मानते थे फिर आपने उन्हें भगवान बना दिया वो ब्रह्म सत्ता को मानते थे। बाकी में खुद ही परेशान हूँ सत्य क्या है ??
@@TheSatya.ब्रह्मसत्यं जगन्नमित्थ्या
हरि ओम श्री सद्गुरु भगवान
सनातन धर्म ही शाश्वत सत्य है हर हर महादेव
जगत गुरू आदिशंकराचार्य जी भगवान शंकर के अवतार थे
महान सनातन धर्म और शंकराचार्यजीका कम उमर मे महान ग्यान ! कोटी कोटी प्रणाम !! सनातन धर्ममे जातीभेद त बसे बंद होता तो अखंड हिंदूस्थान सनातनही रहता . मुस्लीम सत्ता बिलकूल यहा नही आ सकती .
गुरु आद्य शंकराचार्य जी को कोटि कोटि नमन्।
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Aadya guru Shankara charya ko koti koti naman 🌹🌹🙏🙏🌹🌹
आपको सादर नमन जो ये एपिसोड बनाया धन्यवाद जी
જયશ્રી સ્વામિનારાયણ. ૐમનમશિવાય. ૐમશાંતિ ૐમશાંતિ ૐમશાંતિ. જગતગુરૂશંકાશારીજીનેસતસતપ્રણામજયહો. રાજીરહેજો વહેલાઆવજો ભેળારહેજો જયશ્રી સ્વામિનારાયણ
सनातन धर्म के मर्म को आत्मसात कराने वाले जगद्गुरु आदि शंकराचार्य जी के श्री चरणों में कोटि कोटि नमन वंदन एवं प्रणाम करती हूं
जय हो श्री गुरूदेव श्री की जय हो जय जय सियाराम शरणं ❤❤
I proudly to say my mother from Mahishi (sahersa),Mundal Mishra Village
अनुपम खैर जी सर जी नमस्कार,जय धरती माता 🙏🌹🙏 अधिक जानकारी हेतु श्री नकलंग देव श्री अनोपस्वामीजी महाराज जी के द्वारा लिखित ग्रन्थ जगतहितकारीणी व श्री दयानंद सरस्वती जी महाराज आर्य समाज के द्वारा लिखित ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश वेद का अध्ययन कर सोचे समझे और बनियों के जाल से बचे,व सोदागर महाजनान बनियों के इन्दरजाल कलीयुगी पाप राक्षसी व गुप्ति पाप से धरती माता के ८४लाख।जीवाजुन, वनस्पति पशु पक्षी व संसार की औलाद को बनियों के राक्षसी पाप से मुक्त कराने में सहायक बने सर जी 🙏🌧️🙏 अलख निरंजन, जल ही परमेश्वर है 🙏🌧️🙏 धरती माता,सबकी माता 🙏🌹🌧️🔥☔🙏सर जी आप इस बात को नज़र अंदाज़ में या मजाक मचकरी में मत ले ना जी!! धन्यवाद देवता 🙏🌹🙏
मै आदि शंकराचार्य और स्वामी विवेकानंद से प्रभावित हु नाम सुनते ही कुछ आनंद मेहसूस होता बहोत बहोत धन्यवाद आपका
❤❤❤❤❤❤ dharamraj
आदि शंकराचार्य के चरणों में sat sat Naman
हमें गर्व है हम सनातनी हैं हिंदू हैं हमारे भगवान आदि शंकराचार्य जी स्वामी शंकराचार्य भगवान की जय
We are proud on our religion and sanskriti , Adi Shakar was great scholar and progenitor of Hindu religion , Our identity and sanskriti is conserved because of his great effort and vision for our sanskriti
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हर हर महादेव जय महाकाल जय श्री राम जय हो जागो सनतनी तेजा जागो सनतनी तेजा नमो नमो नमो नमो नमो
मैं गौरवान्वित हूं कि मेरे माता पिता सनातन के पुजारी थे और मुझे भी गर्व है कि सनातन धर्म मेरे संस्कार में समाहित है। जै गुरुदेव🙏
Bum bum bhole
जगत गुरु भगवान शिव शवरूपआ शंकराचार्य भगवान को कोटीस चरण स्पर्श
वो मां कितनी धन्य होगी जो अपनी संतान को देश,, समाज की सेवा में सदा सदा के लिए समर्पित कर देती है।।
राधे कृष्णा❤❤❤
सर्वं शिवमयं जगत। ओम नमः शिवाय। हर हर महादेव।
ह्रीं साम्ब सदाशिवाय नमः
आदि शंकराचार्य जी का मदिर सभी राज्यों में बनाना चाहिए
Jai Shiv❤Shakti🙏❤️🙏🕉🚩
सुंदर जानकारी।कृपया ऐसे प्रयास जारी रखें।
आदि गुरु शंकराचार्य जी महान योगी 🙏🚩
हे भगवान् l अदभुत , धन्य है मेरा भारत 🎉🎉🎉🎉🎉
It's really goosebumps moment ❤❤ first time i got real knowledge about Adiguru Shankaracharya ji Thank you so much