☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️ अनिरोधमनुत्पादमनुच्छेदमशाश्वतम् । अनेकार्थमनानार्थमनागममनिर्गमम् ।। यः प्रतीत्यसमुत्पा दं प्रपञ्चोपशमं शिवम् । देशयामास सम्बुद्ध स्तं वन्दे वदतां वरम् ।। ☸️- माध्यमिक कारिका☸️ जिन सम्बुद्ध ने न निरुद्ध होने वाले, न उत्पन्न होने वाले, न उच्छिन्न होने वाले न शाश्वत, न एकार्थ, न अनेकार्थ, न आने वाले, न निकलने वाले प्रपञ्च के उपशम (शान्ति) स्वरूप और शिव रूप, प्रतीत्य समुत्पाद का उपदेश दिया। उन प्रवचन करने वालों में श्रेष्ठ सम्यक् सम्बुद्ध को प्रमाण करता हूँ। ☸️ आचार्य नागार्जुन ☸️ 🪔बुद्धमं शरणम् गच्छामि 🪔
Namo budhay Jai bhim namo budhay thank you for your information about teaching panchshil asthangmarg dasparmita that is a good justice to the people's of India save Constitution and save Bharat Love to All the people's of Bharat
11:50 This line is a most important line by Acharya Nagarjuna. It means, there is no subject and object which exist independently which means everything is inter-dependent (Pratitsamupada). In order to understand Acharya Nagarjuna view correctly, one must read the commentary written by his last student Acharya Chandrakrit. all these texts were written in Sanskrit, which means Sanskrit is a Bhuddhist Language. 🙏🙏🙏
Jai Mulnivasi ?? Budhh swayam Khstriye Raja the 😂. Sabhi yahan Mulnivasi hi hai . Geography ki padhai achhe se karo sir Jai Bheem Jai Meme karne se kuchh nahi hota
BUDDHA Taught PRAJHANAPRAMITTA Acharya Nagar Arjuna wrote commentary on PRAJHANAPRAMITTA. Acharya Ashwa Gosh Acharya Buddhapalita ( as Prasangika madyamika) Acharya Bhava Vivake (as Sautantrika Madyamika) Acharya Chardra Kirti (as Prasangika, Madyamika ) Acharya Asangha (as in Chitramatirin view point) Acharya Vasubandu (in Sautantrika, & Chitramatirin) Acharya Dingnag (Chitramatirin) Acharya Dharma Kriti (Chitramatirin) Acharya Shantarashitta ( Madyamika) Acharya dipamkara ( Prasangika gika) All of these great Acharyas wrote commentary on PRAJHANAPRAMITTA according to their understanding of Buddha'Original PRAJHANAPRAMITTA
😊Sincere thanks with deep gratitude for this part of update. I want to know more about Nagarjun & other writers. This program of yours is always very informative.🎉
१) नागार्जुन ने शून्य नहीं दिया , शून्यवाद दिया l २) शून्यता को जानने वाला कोई होना चाहिए ना भाई..l ३) शून्यवाद गलत साबित हुआ इसका मतलब ये नहीं कि हम नागार्जुन का सम्मान नहीं करते l
सभी वस्तुएँ शुन्य है इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वस्तुएँ सर्वथा नहीं है ।अपितु वस्तु जैसे दिखाई देती हैं, वास्तव में उसका स्वरूप वैसा नहीं है । उसकी वास्तविक स्थिति वैसी नहीं है,जैसे वे आभासित हो रही है । उन वस्तुओं का जैसा आभास हो रहा है,उससे वे शून्य हैं।अतः उनके प्रति आसक्ति हो रही है,वह निरर्थक है ।बल्कि वह आसक्ति हमें अविद्या रूपी अंधकार में ले जाती है ।
इच्छा का त्याग करना , मन इच्छाओं का सागर है मन ही जीवन का मूल आधार है , मन की इच्छाओं को समाप्त कर देना , मन की इच्छाओं को समाप्त कर पाना , शुन्यवाद अवस्था होती है।
सभी वस्तुएँ शुन्य है इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वस्तुएँ सर्वथा नहीं है ।अपितु वस्तु जैसे दिखाई देती हैं, वास्तव में उसका स्वरूप वैसा नहीं है । उसकी वास्तविक स्थिति वैसी नहीं है,जैसे वे आभासित हो रही है । उन वस्तुओं का जैसा आभास हो रहा है,उससे वे शून्य हैं।अतः उनके प्रति आसक्ति हो रही है,वह निरर्थक है ।बल्कि वह आसक्ति हमें अविद्या रूपी अंधकार में ले जाती है ।
सभी वस्तुएँ शुन्य है इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वस्तुएँ सर्वथा नहीं है ।अपितु वस्तु जैसे दिखाई देती हैं, वास्तव में उसका स्वरूप वैसा नहीं है । उसकी वास्तविक स्थिति वैसी नहीं है,जैसे वे आभासित हो रही है । उन वस्तुओं का जैसा आभास हो रहा है,उससे वे शून्य हैं।अतः उनके प्रति आसक्ति हो रही है,वह निरर्थक है ।बल्कि वह आसक्ति हमें अविद्या रूपी अंधकार में ले जाती है ।
Shunya Hai Isi ley yea. Sub kuch mumkin Hai. Acharya sabkuch subhave say hota Hai Tao. Kuch big karnataka nahin wogha. Jaisa water fall nechey girth Hai.
सभी वस्तुएँ शुन्य है इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वस्तुएँ सर्वथा नहीं है ।अपितु वस्तु जैसे दिखाई देती हैं, वास्तव में उसका स्वरूप वैसा नहीं है । उसकी वास्तविक स्थिति वैसी नहीं है,जैसे वे आभासित हो रही है । उन वस्तुओं का जैसा आभास हो रहा है,उससे वे शून्य हैं।अतः उनके प्रति आसक्ति हो रही है,वह निरर्थक है ।बल्कि वह आसक्ति हमें अविद्या रूपी अंधकार में ले जाती है ।
Fule ji....pustak ki padhai thik hai,lekin manav jivan ke liye jo param satya hai vo dub gaya hai....savadhan apane ko prastut karane ke liye satya ko bigade nahi, isi me hi aap ka kalyan....!!!
सभी वस्तुएँ शुन्य है इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वस्तुएँ सर्वथा नहीं है ।अपितु वस्तु जैसे दिखाई देती हैं, वास्तव में उसका स्वरूप वैसा नहीं है । उसकी वास्तविक स्थिति वैसी नहीं है,जैसे वे आभासित हो रही है । उन वस्तुओं का जैसा आभास हो रहा है,उससे वे शून्य हैं।अतः उनके प्रति आसक्ति हो रही है,वह निरर्थक है ।बल्कि वह आसक्ति हमें अविद्या रूपी अंधकार में ले जाती है ।
सभी वस्तुएँ शुन्य है इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वस्तुएँ सर्वथा नहीं है ।अपितु वस्तु जैसे दिखाई देती हैं, वास्तव में उसका स्वरूप वैसा नहीं है । उसकी वास्तविक स्थिति वैसी नहीं है,जैसे वे आभासित हो रही है । उन वस्तुओं का जैसा आभास हो रहा है,उससे वे शून्य हैं।अतः उनके प्रति आसक्ति हो रही है,वह निरर्थक है ।बल्कि वह आसक्ति हमें अविद्या रूपी अंधकार में ले जाती है ।
सभी वस्तुएँ शुन्य है इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वस्तुएँ सर्वथा नहीं है ।अपितु वस्तु जैसे दिखाई देती हैं, वास्तव में उसका स्वरूप वैसा नहीं है । उसकी वास्तविक स्थिति वैसी नहीं है,जैसे वे आभासित हो रही है । उन वस्तुओं का जैसा आभास हो रहा है,उससे वे शून्य हैं।अतः उनके प्रति आसक्ति हो रही है,वह निरर्थक है ।बल्कि वह आसक्ति हमें अविद्या रूपी अंधकार में ले जाती है ।
Namo Buddhaya 👏👏
Namo Dhammaya 👏👏
Namo Sanghaya 👏👏
Shadu.. Shadu.. Shadu
Dhamma ratri sir 👏👏
Namo Buddhay
धन्यवाद महोदय. वस्तू अनित्य होती हैं ये कहना कुछ तो नित्य है निर्देशीत करता है.
Tathagat ke charnon mein pranaam 🙏🙏🙏
बहुत सुंदर प्रस्तुति
आदरणीय सर जीमैत्रीपूर्ण जयभीम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
उत्तम अतिउत्तम मार्गदर्शन विश्लेषण
साधु साधु साधु 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Buddhay namo Jai bheem Jai bharat Jai shamvidhan sir 💙💙💙💙💙💙🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Fule ji please provide link for buying this book, very informative........
Nagarjun ke bareme Pahlibar Malum Huwa, Jay Bhim namoBudhhay
Jai bhim kya hota hai bay bhaggi???
Nagarjuna was a brahmin
☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️
अनिरोधमनुत्पादमनुच्छेदमशाश्वतम् ।
अनेकार्थमनानार्थमनागममनिर्गमम् ।।
यः प्रतीत्यसमुत्पा दं प्रपञ्चोपशमं शिवम् ।
देशयामास सम्बुद्ध स्तं वन्दे वदतां वरम् ।।
☸️- माध्यमिक कारिका☸️
जिन सम्बुद्ध ने न निरुद्ध होने वाले, न उत्पन्न होने वाले, न उच्छिन्न होने वाले न शाश्वत, न एकार्थ, न अनेकार्थ, न आने वाले, न निकलने वाले प्रपञ्च के उपशम (शान्ति) स्वरूप और शिव रूप, प्रतीत्य समुत्पाद का उपदेश दिया। उन प्रवचन करने वालों में श्रेष्ठ सम्यक् सम्बुद्ध को प्रमाण करता हूँ।
☸️ आचार्य नागार्जुन ☸️
🪔बुद्धमं शरणम् गच्छामि 🪔
Namo budhay aap itni achhi jankar dete hain ki vastavik ki samJh hone lagti hain jaybhim
Jay Bhim Namo Buddhay Acharya Nagarjun ji ko Shatshah Abhivadan
Namo budhay Jai bhim namo budhay thank you for your information about teaching panchshil asthangmarg dasparmita that is a good justice to the people's of India save Constitution and save Bharat Love to All the people's of Bharat
Jai Bhim Jai Bharat Namo Buddhay
11:50
This line is a most important line by Acharya Nagarjuna. It means, there is no subject and object which exist independently which means everything is inter-dependent (Pratitsamupada).
In order to understand Acharya Nagarjuna view correctly, one must read the commentary written by his last student Acharya Chandrakrit.
all these texts were written in Sanskrit, which means Sanskrit is a Bhuddhist Language. 🙏🙏🙏
😂😂😂😂😂😂
JAY Bheem namo Buddhay Jay mulnivashi Jay samvidhan
Jai Mulnivasi ?? Budhh swayam Khstriye Raja the 😂. Sabhi yahan Mulnivasi hi hai . Geography ki padhai achhe se karo sir Jai Bheem Jai Meme karne se kuchh nahi hota
जय भीमटा 😂😂
BUDDHA
Taught PRAJHANAPRAMITTA
Acharya Nagar Arjuna wrote commentary on PRAJHANAPRAMITTA.
Acharya Ashwa Gosh
Acharya Buddhapalita ( as Prasangika madyamika)
Acharya Bhava Vivake (as Sautantrika Madyamika)
Acharya Chardra Kirti (as Prasangika, Madyamika )
Acharya Asangha (as in Chitramatirin view point)
Acharya Vasubandu (in Sautantrika, & Chitramatirin)
Acharya Dingnag (Chitramatirin)
Acharya Dharma Kriti (Chitramatirin)
Acharya Shantarashitta ( Madyamika)
Acharya dipamkara ( Prasangika gika)
All of these great Acharyas wrote commentary on PRAJHANAPRAMITTA according to their understanding of Buddha'Original PRAJHANAPRAMITTA
Bahut achha
Jai Bhim, Namo Buddhay, Bhavatu Sabb Mangalam 👍🌹🙏.
😊Sincere thanks with deep gratitude for this part of update. I want to know more about Nagarjun & other writers.
This program of yours is always very informative.🎉
Jay Bheem,Namo Bhudhay
Namste
अति सुुन्दर
नमो तथागत 🙏🙏🙏🌷🌷🌷
नमो बुद्धाय जी 🙏🙏🙏
जय बुद्ध
जय हो
Jay Bhim Namo Budhay
11:30 watch now
Namo buddhay krantikari jay bhim 💙🙏
Inhen school me padhane ka achha parinam aayega v 👍
Nàmo buddhay
अाचार्य नागार्जुन काे तिब्बती बाैध्द परम्परा मे गाेम्पाे लुडुप नामसे जान्ताहै।।
सर,शुन्यवाद सांगणे सोडून बाकीचेच सांगत सुटला,कसं करावं
Budh satya gen ma phouchne bala sidhant.
When was the last Nagar juna died n which place of India? plsss tell us how he died?
१) नागार्जुन ने शून्य नहीं दिया , शून्यवाद दिया l
२) शून्यता को जानने वाला कोई होना चाहिए ना भाई..l
३) शून्यवाद गलत साबित हुआ इसका मतलब ये नहीं कि हम नागार्जुन का सम्मान नहीं करते l
सभी वस्तुएँ शुन्य है इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वस्तुएँ सर्वथा नहीं है ।अपितु वस्तु जैसे दिखाई देती हैं, वास्तव में उसका स्वरूप वैसा नहीं है । उसकी वास्तविक स्थिति वैसी नहीं है,जैसे वे आभासित हो रही है । उन वस्तुओं का जैसा आभास हो रहा है,उससे वे शून्य हैं।अतः उनके प्रति आसक्ति हो रही है,वह निरर्थक है ।बल्कि वह आसक्ति हमें अविद्या रूपी अंधकार में ले जाती है ।
Sunya vad kya he vo samjaya ho ta to achha hota.
इच्छा का त्याग करना , मन इच्छाओं का सागर है मन ही जीवन का मूल आधार है , मन की इच्छाओं को समाप्त कर देना , मन की इच्छाओं को समाप्त कर पाना , शुन्यवाद अवस्था होती है।
सभी वस्तुएँ शुन्य है इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वस्तुएँ सर्वथा नहीं है ।अपितु वस्तु जैसे दिखाई देती हैं, वास्तव में उसका स्वरूप वैसा नहीं है । उसकी वास्तविक स्थिति वैसी नहीं है,जैसे वे आभासित हो रही है । उन वस्तुओं का जैसा आभास हो रहा है,उससे वे शून्य हैं।अतः उनके प्रति आसक्ति हो रही है,वह निरर्थक है ।बल्कि वह आसक्ति हमें अविद्या रूपी अंधकार में ले जाती है ।
Tell me wha it sunyawad straight,AAP swam nahin samajh paye,book lekar baithe hain, kitabon ke name sabhi jante hai.
We heard his head n body is separated if it is real plss tell us where it happend n which place in India??
Atamgyan ke.doran jab shune shune me bilen ho jata hai tab shune ko kon anubhav karta hai
Only shunya
शुंन्यता ka mening na batate huye kewal intruduction hai not helping eske prakar nahi bataya hai.
सभी वस्तुएँ शुन्य है इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वस्तुएँ सर्वथा नहीं है ।अपितु वस्तु जैसे दिखाई देती हैं, वास्तव में उसका स्वरूप वैसा नहीं है । उसकी वास्तविक स्थिति वैसी नहीं है,जैसे वे आभासित हो रही है । उन वस्तुओं का जैसा आभास हो रहा है,उससे वे शून्य हैं।अतः उनके प्रति आसक्ति हो रही है,वह निरर्थक है ।बल्कि वह आसक्ति हमें अविद्या रूपी अंधकार में ले जाती है ।
Yadi sab shune hai aur yadi koi atma nahi hai to karm ki chinta kyo karni chaie
Shunya Hai Isi ley yea.
Sub kuch mumkin Hai.
Acharya sabkuch subhave say hota Hai Tao. Kuch big karnataka nahin wogha. Jaisa water fall nechey girth Hai.
सभी वस्तुएँ शुन्य है इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वस्तुएँ सर्वथा नहीं है ।अपितु वस्तु जैसे दिखाई देती हैं, वास्तव में उसका स्वरूप वैसा नहीं है । उसकी वास्तविक स्थिति वैसी नहीं है,जैसे वे आभासित हो रही है । उन वस्तुओं का जैसा आभास हो रहा है,उससे वे शून्य हैं।अतः उनके प्रति आसक्ति हो रही है,वह निरर्थक है ।बल्कि वह आसक्ति हमें अविद्या रूपी अंधकार में ले जाती है ।
Fule ji....pustak ki padhai thik hai,lekin manav jivan ke liye jo param satya hai vo dub gaya hai....savadhan apane ko prastut karane ke liye satya ko bigade nahi, isi me hi aap ka kalyan....!!!
शून्यवाद....?
Chuki shune ko anuvhav karne bala koi hai islea shune param nahi hai
शून्य बाद को बताओ केवल इधर उधर घुमा रहे हो
सभी वस्तुएँ शुन्य है इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वस्तुएँ सर्वथा नहीं है ।अपितु वस्तु जैसे दिखाई देती हैं, वास्तव में उसका स्वरूप वैसा नहीं है । उसकी वास्तविक स्थिति वैसी नहीं है,जैसे वे आभासित हो रही है । उन वस्तुओं का जैसा आभास हो रहा है,उससे वे शून्य हैं।अतः उनके प्रति आसक्ति हो रही है,वह निरर्थक है ।बल्कि वह आसक्ति हमें अविद्या रूपी अंधकार में ले जाती है ।
HAI KYA SUNYATA YE TOOO BAATO AAAP
Header in english, comentary in Hindi......typical Indian logic haha
Nagarjun khud confuse tha nonsense
Buddhist monks are not philosopher at all. Do they & you also really know what is philosophy? Stop nonsense.
सभी वस्तुएँ शुन्य है इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वस्तुएँ सर्वथा नहीं है ।अपितु वस्तु जैसे दिखाई देती हैं, वास्तव में उसका स्वरूप वैसा नहीं है । उसकी वास्तविक स्थिति वैसी नहीं है,जैसे वे आभासित हो रही है । उन वस्तुओं का जैसा आभास हो रहा है,उससे वे शून्य हैं।अतः उनके प्रति आसक्ति हो रही है,वह निरर्थक है ।बल्कि वह आसक्ति हमें अविद्या रूपी अंधकार में ले जाती है ।
Sunyavad ki koi Charcha hi nahi ki ??
सभी वस्तुएँ शुन्य है इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वस्तुएँ सर्वथा नहीं है ।अपितु वस्तु जैसे दिखाई देती हैं, वास्तव में उसका स्वरूप वैसा नहीं है । उसकी वास्तविक स्थिति वैसी नहीं है,जैसे वे आभासित हो रही है । उन वस्तुओं का जैसा आभास हो रहा है,उससे वे शून्य हैं।अतः उनके प्रति आसक्ति हो रही है,वह निरर्थक है ।बल्कि वह आसक्ति हमें अविद्या रूपी अंधकार में ले जाती है ।
बकवास ज़्यादा करते हो काम की बात कम