आप के प्रवचन सुनकर बहुत ज्ञानवर्धन होता है और मैं इनको निरंतर सुनता रहा हूं। सहयोग के लिए 11 सो रुपए की धनराशि आज पेटीएम से भेज दूंगा। आचार्य सत्यनारायण पाटोदिया
नमस्ते आचार्य जी। आपके समझाने में एक अलग आनंद आता है। एक एक बात स्पष्टता से समझ आ गई। यह तीन शरीरों का विषय पढ़ा तो था ,पर जिस स्तर तक आज समझ आया पहले नहीं आया था।
Aapka samjane ka tarika bahut achha hai.aur Bina puchhe hi aap sari jankari de dete ho ki fir man me koi sawal hi nahi rehta.lagta hai ,aap mahut mehnat karte hoge.
मेरी समझ के अनुसार - जैसे कारण शरीर में सुषुप्ति रहती है वैसे ही तुरीय शरीर में समाधि रहती है और इसी शरीर में समाधि जन्य संस्कार मुक्ति में भी होते हैं । जीवात्मा मुक्ति का आनन्द स्वाभाविक शरीर से ही भोगता है । तुरीय शरीर से नहीं ।
@@rajendrasharma414मेरी समझ के अनुसार - जैसे कारण शरीर में सुषुप्ति रहती है वैसे ही तुरीय शरीर में समाधि रहती है और इसी शरीर में समाधि जन्य संस्कार मुक्ति में भी होते हैं । जीवात्मा मुक्ति का आनन्द स्वाभाविक शरीर से ही भोगता है । तुरीय शरीर से नहीं ।
😂आचार्य जी,आपने जो चौथा शरीर बताया उसे स्वामी विवेकानंद परिव्राजक जी ने यह पेरा विषय पढ़ाते हुए चोथी अवस्था बताया।इससे संशय हुआ है की कौन सही व्याख्या अर्थ बता रहा है।
आचार्य जी जागृत अवस्था वाला वीडियो चाहिए
ओम नमः शिवाय जी आप आत्मा के स्वरूप का
જયશ્રીગુરુદેવ
आप के प्रवचन सुनकर बहुत ज्ञानवर्धन होता है और मैं इनको निरंतर सुनता रहा हूं। सहयोग के लिए 11 सो रुपए की धनराशि आज पेटीएम से भेज दूंगा।
आचार्य सत्यनारायण पाटोदिया
नमस्ते आचार्य जी। आपके समझाने में एक अलग आनंद आता है। एक एक बात स्पष्टता से समझ आ गई। यह तीन शरीरों का विषय पढ़ा तो था ,पर जिस स्तर तक आज समझ आया पहले नहीं आया था।
धन्यवाद 🙏
आदरणीय आचार्य जी आप को सादर करबध्द प्रणाम नमन वंदन रामरक्षपालसिह आर्य कासगंज उत्तर प्रदेश पश्चिम भारत
Aacharye ji ko pranam h ji 🙏
Adbudh btaya smjhaya aapne
Bht aanand aaya bht kuch smjh bhi aaya 🙏🙏🙏🙏🙏
ओम नमस्ते जी भाई जी आप मुझे आत्मा के स्वरूप का वर्णन विस्तार से
प्रणाम आचार्य , आप ही एक ऐसे आचार्य हो जिनकी वीडियो में बिना skip किए देखता हूं।
आपके समझाने का तरीका रोचक है।
धन्यवाद 🙏
Aapka samjane ka tarika bahut achha hai.aur Bina puchhe hi aap sari jankari de dete ho ki fir man me koi sawal hi nahi rehta.lagta hai ,aap mahut mehnat karte hoge.
Bahut acha
नमस्ते आचार्य जी
सबको सादर नमस्ते जी🕉🚩
Namasteji... very beautiful
Namaste ji 🙏
सुप्रभातम् शुभकामनाएं आयुष्मान भव हार्दिक धन्यवाद ओ३म् 🙏🏼
कृण्वनतो विश्वार्यम जय आर्य जय आर्यव्रत 🚩 वन्देमातरम् वन्देमातरम् वन्देमातरम् 🇮🇳
Jey ho
तुरीय शरीर का उदाहरण बहुत अच्छा है |
धन्यवाद आचार्य जी बहुत अछा समझाया
जय आर्य जय आर्यावर्त
नमस्तेजी
ओम् नमस्ते आचार्य जीं जय सनातन
प्रणाम आचार्य जी
Aap ko Pranaam 🙏🌻💐Aap ko ek Rishi Sant ka Gyaan hai 🙏🌼🌻🌺
🙏🙏
सुंदर और ज्ञानवर्धक।
34:24
Àacharya ji parnam om shanti
🕉️🙏
Namaste guruji humko subah Sham Vaidik Sandhya kaise
ओम् सादर नमस्ते आचार्य जी 🙏
🚩🙏
🌷🙏🙏🌷
Guruji pranam.
प्रणाम
Pranam guruji 🙏🙏🙏🙏🙏👍👍👍
Vivek sharir ke konse ang me nivash karta hai
Atma ka Dayan kase kare
मेरी समझ के अनुसार - जैसे कारण शरीर में सुषुप्ति रहती है वैसे ही तुरीय शरीर में समाधि रहती है और इसी शरीर में समाधि जन्य संस्कार मुक्ति में भी होते हैं ।
जीवात्मा मुक्ति का आनन्द स्वाभाविक शरीर से ही भोगता है । तुरीय शरीर से नहीं ।
Bhagwan koun hai guruji
Santhoshi Mata kon hai
नमस्ते भाई जी आप आत्मा के स्वरूप का वर्णन करें
मुक्ति में तो स्वाभाविक शरीर भी होता हे फिर तुरीय को अलग से क्यों गिना ?
Haan
@@rajendrasharma414मेरी समझ के अनुसार - जैसे कारण शरीर में सुषुप्ति रहती है वैसे ही तुरीय शरीर में समाधि रहती है और इसी शरीर में समाधि जन्य संस्कार मुक्ति में भी होते हैं ।
जीवात्मा मुक्ति का आनन्द स्वाभाविक शरीर से ही भोगता है । तुरीय शरीर से नहीं ।
Yadi appp Sh Krishan ko Bhagwan nehi mantey ho to fir kyaa mantey ho?
Ager vo Bhagwan nehi they to fir vo kya they?
Kya vo Vishnu ovtar nehi they?
तुरीय शरीर को स्पष्ट नहीं किया
Haan keval samadhi mein thodi mukti mein vhi hota g
Aap Shrikrishna ko kyunn bhagwan nehi mante
Aacharya ji namste.. upasna me jo anubhutiyaa Hoti hai...kya unke baare me kisii ke saamne batane se hamara kuch upasna ka nuksaan hota hai🧘🧘
Definitely
तुरीय शरीर समझ आया ?
Nahi aaya
😂आचार्य जी,आपने जो चौथा शरीर बताया उसे स्वामी विवेकानंद परिव्राजक जी ने यह पेरा विषय पढ़ाते हुए चोथी अवस्था बताया।इससे संशय हुआ है की कौन सही व्याख्या अर्थ बता रहा है।
ओम् नमस्ते आचार्य जीं जय सनातन
🚩🙏