आपके व्याख्यान को सिर्फ सुनने की तरह नहीं सुना जा सकता आत्मसात भी करना चाहिए और हर शब्द सोख भी लेना चाहिए .. इतने कम समय में इतने मुद्दे, इतने सवाल, इतनी चिंताएं, इतने दर्शन, बीच-बीच में कथाओं का पुट , गाँधी-नेहरु के कथ्य , धर्मपाल जी की वर्तमान प्रासंगिकता ? देश, शहर, गांव, भारतीयता, संतोष, पुराण फेसबुक, वर्ण व्यवस्था आदि कितने प्रसंग उठाये हैं ... बहुत ही विराट दृष्टिकोण .........संक्षिप्त, सारगर्भित, सार्थक व प्रभावशाली
बहुत ज्ञानवर्धक उद्बोधन🙏
आपके व्याख्यान को सिर्फ सुनने की तरह नहीं सुना जा सकता आत्मसात भी करना चाहिए और हर शब्द सोख भी लेना चाहिए .. इतने कम समय में इतने मुद्दे, इतने सवाल, इतनी चिंताएं, इतने दर्शन, बीच-बीच में कथाओं का पुट , गाँधी-नेहरु के कथ्य , धर्मपाल जी की वर्तमान प्रासंगिकता ? देश, शहर, गांव, भारतीयता, संतोष, पुराण फेसबुक, वर्ण व्यवस्था आदि कितने प्रसंग उठाये हैं ... बहुत ही विराट दृष्टिकोण .........संक्षिप्त, सारगर्भित, सार्थक व प्रभावशाली
Full of knowledge thanks sir