कामायनी और भारत की अस्मिता राधावल्लभ त्रिपाठी की विजय बहादुर सिंह से बातचीत। Kamayani

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  • Опубліковано 31 гру 2024

КОМЕНТАРІ • 41

  • @sandhyatikekar3049
    @sandhyatikekar3049 13 днів тому +1

    इस चर्चा से कामायनी को नए आलोक में समझने का अवसर मिला । दोनों आचार्यों को नमन और साधुवाद ।

  • @anythinguwantadityaadybalo5600
    @anythinguwantadityaadybalo5600 23 дні тому

    दोनों विद्वानों को सादर प्रणाम। बहुत ही सुन्दर विमर्श।

  • @RinkiChandra-y7r
    @RinkiChandra-y7r 11 місяців тому +2

    AAP dono ki baatchit kamayani ki samiksha bahut bahut sarahniy hai.🙏🙏🙏🙏🙏

  • @praveenpandya79
    @praveenpandya79 11 місяців тому +3

    विजयबहादुर सिंह जी भारतीय मेधा और प्रज्ञा के आचार्य हैं। जितनी गहनता से आचार्य ने प्रसाद और कामायनी को समझाया है, वह दुर्लभ है। वंदन है इस तरह के श्रद्धेय आचार्य को।

  • @professorraviranjan7574
    @professorraviranjan7574 2 роки тому +2

    'कामायनी' के इस बहुत ही महत्त्वपूर्ण विश्लेषण के लिए आदरणीय विजयबहादुर सिंह जी को साधुवाद।

  • @JITENDRAKUMAR-ok1vo
    @JITENDRAKUMAR-ok1vo 2 місяці тому

    कामायनी पर विमर्श से स्रोता बहुत समृद्ध हुए।उसे समझने की नयी दृष्टि मिली।

  • @sumitaojha1883
    @sumitaojha1883 Рік тому +2

    बहुत ही सारगर्भित और महत्वपूर्ण चर्चा। कामायनी के प्रति दृष्टि को नया विस्तार मिला। आप दोनों विद्वजनों को मेरा नमस्कार है।

  • @neelamrishi9205
    @neelamrishi9205 Рік тому +2

    बहुत सारगर्भित एवं नवीन दृष्टि से किया गया आकलन।

  • @shashiprakash5693
    @shashiprakash5693 4 роки тому +3

    बहुत महान विमर्श।कामायनी कुव्याख्या की शिकार हुई।भारत के चित्त की और चेतना की व्याख्या है यह कृति। विजय बहादुर सिंह हमारी हिंदी जाति के अवचेतना के श्रेष्ठ प्रवक्ता और आचार्य है।यह व्यख्यान मैं हिंदी के प्रत्येक अध्यापकों से सुनने का प्रस्ताव करता हूँ।

  • @Chandrabhan-bn6qh
    @Chandrabhan-bn6qh 3 місяці тому

    बहुत सुन्दर। दोनों विद्वानों को सादर प्रणाम🎉

  • @vishwanathmishra8524
    @vishwanathmishra8524 Рік тому +1

    कामायनी पर बहुत सुंदर विश्लेषण सबसे अलग विमर्श

  • @veenasharma436
    @veenasharma436 2 місяці тому +2

    मेरी दृष्टि में भी प्रसाद ही प्रथम राष्ट्र कवि हैं।❤❤

  • @Dp30-e1q
    @Dp30-e1q 4 місяці тому +2

    बहुत ज्ञानवर्धक चर्चा रही। चर्चा के आरम्भ में गाँधी जी का कथन कि उन्हें अँगरेज़ों से नहीं अँगरेज़ियत से नफ़रत है, गम्भीरतापूर्वक विचारणीय है। आज तो हर क्षेत्र में अँगरेज़ियत ही हावी है। सॅर की व्याख्या मौलिक है।

    • @neeharikasinha5260
      @neeharikasinha5260 10 днів тому

      अंग्रेजियत और कोलोनियल हैंग‌‌‌ ओवर दिख ही जाता है।

  • @veenasharma436
    @veenasharma436 2 місяці тому +1

    बहुत धन्यवाद सिंह सर जी👏👏

  • @monishagaud1763
    @monishagaud1763 4 місяці тому +1

    बहुत कुछ जानने और सीखने को मिला। एक नए दृष्टिकोण और साहित्य के बहुत से पहलु खोलने के लिए धन्यवाद ✨

  • @jitendraKumar-cw2yv
    @jitendraKumar-cw2yv 3 місяці тому

    कामायनी को समझने के लिए सुंदर विमर्श

  • @raghuchy6157
    @raghuchy6157 Рік тому +1

    अद्भुत चर्चा, बहुत बहुत साधुवाद !

  • @Graceofgod01
    @Graceofgod01 Рік тому +3

    Kamayani , aansoo by jayashankar prasaad ji , is kept in my possessions since my childhood..

  • @abhishekkumarmishra9902
    @abhishekkumarmishra9902 Рік тому +1

    बहुत ही सुंदर विश्लेषण I

  • @mkt452
    @mkt452 3 місяці тому

    kamayani ko is tarah se dekhana ....adwitya hai..... bahut sundar sir

  • @veenasharma436
    @veenasharma436 2 місяці тому +2

    प्रसाद का नाट्य सृजन बिल्कुल नया आरंभ था।

  • @ramajiray8164
    @ramajiray8164 Місяць тому

    Dhnebad

  • @ranjanaargade2008
    @ranjanaargade2008 4 роки тому +2

    कामायनी के स्त्री पक्ष को बहुत अच्छे से उठाया।

  • @suryanathsingh8098
    @suryanathsingh8098 4 роки тому +1

    बहुत उपयोगी विमर्श।

  • @mindrechargerwithghanshyam3409
    @mindrechargerwithghanshyam3409 2 місяці тому +1

    कामायनी मानवीय सभ्यता का मार्गदर्शन

  • @lucky-lu6vu
    @lucky-lu6vu 4 роки тому +1

    बहुत ही ज्ञानवर्धक 👌

  • @parvatikumari-r4p
    @parvatikumari-r4p 2 місяці тому

    🙏🙏🙏👍👍

  • @veenasharma436
    @veenasharma436 2 місяці тому +2

    प्रसाद के काव्य का मूल स्वर वेदांत है।

  • @atheistnothing5039
    @atheistnothing5039 Рік тому

    राधा ❤❤❤

  • @ranjanaargade2008
    @ranjanaargade2008 4 роки тому

    अच्छा विमर्श।

  • @atheistnothing5039
    @atheistnothing5039 Рік тому

    विजय ❤❤❤❤

  • @manojbhartigupta6555
    @manojbhartigupta6555 Рік тому

    👍❤️👍

  • @kirnakhuriyal195
    @kirnakhuriyal195 10 місяців тому

    ❤❤❤

  • @hindiekkhoj7800
    @hindiekkhoj7800 11 місяців тому +1

    प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह कामायनी की व्याख्या को भावुक व्याख्या की ओर ले गए हैं, दूसरे शब्दों में कहें तो यह अवसरवादी व्याख्या है। जिस चेतना को प्रोफेसर जी भारतीय चेतना कह रहे हैं वास्तव में वह ब्राह्मणवादी चेतना है जो अभिजात्य की अभिव्यक्ति है। लोक का ज्ञान होना और उसका रचना में प्रयोग होना दोनों बातों में अंतर है। 'नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नग पगतल में / पीयूष-स्रोत-सी बहा करो /जीवन के सुंदर समतल में'
    'नारी केवल श्रद्धा हो' केवल श्रद्धा ही क्यों?
    'नग पगतल में' नारी 'पगतल' में ही क्यों रहेगी।

  • @bashishthanarayan4822
    @bashishthanarayan4822 3 місяці тому

    गांधी कह रहे हैं मुझे अंग्रेजियत से नफरत है एकदम सफेद झूठ है । खुद तो लंगोटी पहना लेकिन अंग्रेजियत को ही बढ़ावा दिया ।

  • @vinodshankarjha3059
    @vinodshankarjha3059 3 місяці тому

    Oral lecture on such serious topics becomes boring with somany irrelevant examples .we require to the point discussion on the topic. With the help of well prepared written notes. As we teach in class room. Pl.dont take other wise

  • @sachinpandey5983
    @sachinpandey5983 3 місяці тому

    ❤❤❤❤❤

  • @baljeetkanaujiya809
    @baljeetkanaujiya809 3 місяці тому

    ❤❤❤