धन्य है हमारे कायस्थ भाई🙏 उनकी यज्ञोपवीत व मृत्युभोज वाली बात से मै पूर्णतः सहमत हूं गलत कार्य करने से अच्छा है कार्य ना किया जाए,स्वर्गीय गुरुदेव के चरणों में सादर प्रणाम हमें इस ज्ञान से अवगत कराने के लिए🙏हरिबोल🙏
@@maheshgoswami8508 that's not true . A lot of groupism is happening from the various sects. I agree jobs are there but majority of them don't even hold any interest which can satisfy my kayasth brain . I have given many govt exams but either the exam was compromised or it got leaked .
Kayastho ko ab noukri ke peshe se nikal kar business me aana chahiye. Ya phir koshish karni chahiye ki hamare samaj se aur adhik proffessionals ban sake, khaas kar education, health, legal, financial aur media ki field me. Isse noukriyon par hamare samaj ki nirbharta bhi kam hogi.
The four varnas as per The Purusha Suktam is the first mention of the four varnas, or social classes, in the Vedas. The hymn describes how the four varnas are made up of parts of Purusha's body: Brahmins make up his mouth, Kshatriyas his arms, Vaishyas his thighs, and Shudras his feet.
Duniya ka koyi bhi dharm varnvadi byavastha ko manyata nahi deta. kayastho to ek padha likha samudaya hai, par inki soch ka bhi brahmani karan ho gaya hai
@@MadanSingh-oc2xp we kyasth are top intelligent people and pure sanatani hindu from time immemorial, brahmans are always pujniya to us. We read veds write veds , hafij maulvi used to employed in our homes to teach holy kuran , we kayasth remembered kuran, when we went to mission school to study english we also lernt bible , but In practice we remained pure sanatanihidu by thought, speech, and action. No body can fool us kayasth and covert . This is your miscoception that sanatan hindu dharma be copared to all other dharma becaue all religion are not same , it is malisious to say duniya ki koyi bhi dharm me varnavadi byavastha nahi hai , other so called relgion has their own agenda.
Shankaracharya ne apne kayasth shishya maharishi Mahesh yogi ko shankaracharya nhi bnaya jbki ek brahman ko bnaya shankaracharya khud brahmanbad se bhare hua hai
वर्ण एक काल्पनिक अवधारणा है सृष्टि के आरंभ में इसकी आवश्यकता थी वर्तमान में नहीं ब्राह्मण हो या शूद्र उनमें जन्म से कोई अंतर भेद नहीं होता जब परमेश्वर भेद नहीं करता तो हम मनुष्य क्यों भेद करे इसी जाती व्यवस्था और जन्मजात वर्ण व्यवस्था भारत के शूद्रों के शोषण का कारण और भारत के हजारों वर्षों के गुलामी के कारण है जय श्री कृष्ण
@@shashanksrivastav7191 hame kisi chij ko faltu ghosit karne ke pahale bahut gahrai se uska adhyan karna chahiye. Varn sachai hai is liye aap srivastav likhate hai . Yah maine samjhane ke liye likha hain kripaya bura nahi manenge. Janm se hi ved hota hai , kaise aap jhoothala sakate hain. Aap rahul gandhi , akhilesh yadav, tejaswi yadav , mukesh ambani , ratan tata , nahi ho sakate hain kyo ki we aapne purv janm ke pratap se itane bare kul me aur itane bare pita ke yanha janm liye hain. Is liye janm se vi bhed hai to satya hai yah to satya hai .england ka raja raja ka beta banega, japan ka raja raja ka beta banega, isko vi yad rakhen.
@@AnilKumarSingh-rb6gb जी नहीं, सबको भारत में नहीं पैदा किया । यूनानियों (Greeks) के फैलाव के पूर्व पूरे मध्य एशिया और ईरान के बहुत बड़े क्षेत्र में वैदिक परंपरा ही थी । जैसे ऋषि कश्यप के नाम पर ईरान के उत्तर में स्थित कश्यप सागर है । चाहें तो नक्शा खोल कर देख सकते हैं । मगर सिकंदर के हमले के बाद से आज तक पंजाब विदेशी कौमों के अधीन ही रहा । इसलिए पश्चिम में हिन्दुओं का फैलाव रुक गया, मगर पूर्व में फिर भी जारी रहा । पूर्व में तो इंडोनेशिया तक सनातन धर्म का फैलाव था, वो तो इस्लाम के बाद सुमात्रा और जावा इस्लामी द्वीप बन गए । बाली द्वीप आज भी ९०% हिंदू है ।
@@drbksharanjis param param param sukshm se anadi sanatan druggochar bramhand ki nirmiti hui hai,usnehi sat rushiyon ka nirman kiya hai aur unke dwara sat gotra nirman kiye gaye hai ! tabse hi 4 varn vyavastha samaj ke dainandin kamkaj , suvyavastha se chale ,is liye sat gotronke in mulpurushonevarn vyavadtha unki agali pidhiyonpar sop di hai. Jab se ye mulnivasiyompar diti ke daittya purone ramayan kal ke pahale sehi akraman kiye hai aur har kuchh samay ke bad anndhan ki khoj me aajtak karate rahe hai,vo bharat me hi nahi ,pruthvi ke sabhi mulnivasiyonpar julm karate , naye naye sankarit,dushit rakt ke manav samuh, nirman karate rahe hai ! un prajatiyo me normal blood clots se honewala cancer nahi , dher sare bhayanak cancer,eds ke vushsnu hote hai ;jis tarahase france,portugal jihone amerika me than manda hai,sur cheen me corona ka vishanu jane diya ,aur abhi laboratories me aur bhi naye naye vishanu banvakar ,duniyabharme failanewale hai ,jin ko keval vo ati sukshtar paramatma/parmanu hi nasht kar sakti hai ! namostu te !
काल्पनिक है। कायस्थ कौम सबसे ज्यादा विज्ञान में विश्वास करता है। आगे भी करना चाहिए। इसीसे विश्व कल्याण होगा। ब्राह्मणों से तुलना करने की कोई जरूरत नहीं।
@@ashokroy5184 पर जितने भी महापुरूष थे, उनमें कोई मुंशी था ? मुंशी दयाराम निगम और प्रेमचन्द साथ पत्रिका निकाला करते थे, दयाराम जी का मुंशी उनसे जुड़ गया। ये बात शायद आपको पता न हो। क्या प्रेमचन्द मुंशी थे?
@@Rudrature Aap kisi se bhi kahiyega ki Kayasth kon h to log sbse pehle bolnge Munsiyo ki jaati h..Mahan Lekhak Munsi Premchand Ji bhi khud ko munsi kehne me nhi sarmaye...Akhir Jinke Purvaj khud Yamraj ke Munsi h Unhe is sabd se chota feel nhi hona chahiye...Garv krna chahiye ki apne Purvajdevta ke na se unhe pukara jaa rha
@@aditya4120kayasth cast jati nahi padvi hai ok jo brahmaji k mastask chit se bhaguwan sri chitraguptji ki utpatti hui jo buddhi se prakat hue and budman bhi hai kalam k shipahi bhi hai poorv se general highcast hai n koi reservation tha but kisi n inhe sudra bol diya but e highcast hai ok
मुगलों के समय में कायस्थ राजसत्ता में ऊंचे स्थानों पर थे। बीरबल और दूसरे अनेक प्रधान बने थे। कालक्रम में कुछ इस्लाम में कन्वर्ट हुवे थे क्योंकि ऊंचे स्थान हिंदू को नहीं मिलता था। देश आजाद हुआ तब बहुत सारे पाकिस्तान चल गए थे, वहां पर भी आज ऊंचे पद पर है।
बिल्कुल, स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था भारत शूद्रों का होगा, ब्राह्मणवाद जहां देखो पैरों तले कुचल डालो और मुंशी प्रेमचंद की कहानियां ज्यादातर शोषण के खिलाफ ही होती थी।
@@ramkrishna4256 इस अभिलेख में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि वास्तव्य कायस्थ छात्र वेद मंत्रों का पाठ करते हैं, जो कायस्थों के ब्राह्मण मूल के बारे में एच.एस. सिन्हा के दृष्टिकोण को उचित ठहराता है। स्रोत: चंदेल शिलालेखीय अभिलेख दर्शाते हैं कि 11वीं शताब्दी की शुरुआत तक, कायस्थ इस क्षेत्र में प्रमुख जातियों में से एक बन गए थे, और के.सी. 800 की रीवा शिला लेख में कायस्थ जाति की उत्पत्ति का एक पौराणिक विवरण दिया गया है। एक अभिलेख से यह स्पष्ट होता है कि कायस्थ जाति ने जो प्रमुखता प्राप्त की थी, वह इस प्रकार से उल्लेखित है- “छत्तीस नगर थे, जो लेखक जाति के लोगों के निवास से पवित्र हो गए थे (करण-कर्म-निसास्पुट) और अन्य नगरों की अपेक्षा अधिक सुख-समृद्धि से संपन्न थे। उनमें सबसे उत्कृष्ट, जिसे देवताओं का निवास माना गया था, वह तक्करिका था, जो ईर्ष्या का कारण बना.....और इस (नगर) में, जो छात्रों की भीड़ से वेदों के मंत्रों के पाठ से गूंज रहा था, वहां वास्तव्य परिवार में उन कायस्थों का जन्म हुआ, जिनकी ख्याति ने सभी लोकों को हंसों की तरह उज्ज्वल कर दिया, दिशाओं को आलोकित किया।” यह अभिलेख दर्शाता है कि कायस्थ, क्षत्रियों की तरह, अपनी जाति की तुलना में अपने परिवारों पर अधिक गर्व करते थे; और परमार्दी के एक अनुदान में, लेखक ने अपने जाति का उल्लेख किए बिना खुद को वास्तव्य वंश का सदस्य कहा है। वे स्पष्ट रूप से एक बुद्धिजीवी वर्ग माने जाते थे, जो प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान रखने के साथ-साथ नागरिक प्रशासन की कला में भी निपुण थे।
@@shivanjalsrivastava9469 कुछ भी कहो हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार कायस्थ शूद्र में है. मुगल काल में आपको मुन्शी का काम मिला जिससे आर्थिक रूप से सबल बने और शिक्षा के क्षेत्र में भी आगे निकले. समर्थ को ना कोई दोष गोसाई.
पृथ्वी के नीचे खुदाई करने से केवल और केवल बुद्ध की मूर्तियां निकल रही है बुद्धिस्ट भारत एक समय में था उनकी सब कोई कल्पना है ऐसे सुनते रहिए विदेशी सत्ता को मदद करने वाले ल लोगों के भी गौरव गाथा भारत में ही सुनी जा सकती है
देश का बुद्धिजीवी और पढ़ालिखा वर्ग इन बेतुकी बातों को केसे मानता है ! इन्हें चाहिए अपनी शिक्षा और अपने विद्वता को अपने समाज और देश को गौरवान्वित करे।फालतू के बकवास में न पड़े.
अरे आज सच इसलिए विलुप्त हो गया क्योंकि इसे बोलने और सुनने वाले दोनों खत्म हो गया...क्योंकि वामपंथी और उदारवादी ने लोगों को इतना भटकाया कि वही सत्य लग रहा...
@@praveenramteke6551 aaj ke yug me jab reservation hai , agar yah tay ho jaye ki kayasth shudra hain to 10 sal ke andar pure bharat me sarkari naukari aur politics me no 1 position par aa jayenge, by the way kayasth jo hai woh to rahega hi.iam srivastv kayash, my grand father, my father who was famous docter of bihar and was directer in chief of health of bihar, all my chachas, and we wear janeu, had jamindari, so we are sanatani hindu and bharat mata ki santan.
@@Rudrature इसीलिए तो दुनिया में कोई राष्ट्र हिंदू राष्ट्र नहीं। हिंदू धर्म में सिर्फ विसंगतियों की ही भरमार है। कर्म पर आधारित वर्ण व्यवस्था का ढिंढोरा पीटते हैं लेकिन करते हैं जन्म पर आधारित।
@@praveenramteke6551 Hum kasth puri koshish kar rahe hain ki hame shudra hi man kar savi aarakchan diya jay, tavi hum kayathon ka vikas sambhav hai, agar kayasth shudra ghosit ho jayen to rajasthan ke mina jati ke saman savi sarkari nakarion me 90percent kaysth honge, is liye aap se nivedan hai ki hame shudra ghosit kar aarakshan diya jay aur vanchi shosit kayshon ko samajik , rajnitik nyay mil sake.
@@rajeshshrivastava6207 घबरा काहे रहे हो,लोकतंत्र का चक्की धीमे जरूर चलता है,लेकिन पिसता बहुत बारीक है,बिल्कुल एक सामान।अभी तो लोकतंत्र को 100 साल भी नहीं हुआ है।
Guruji kayasth sirf clerk aur adhikari hi nhi the inhone apne rajya bhi sthapit kiye jaise karkota dynasty k prasidh raja lalitaditya muktapith bangal ke sen pal chol bose mitra rajvansh etc kashmir k karkota utpal aur shahi vansh
Hum kayasth ko khud ko shudra jaati me include karana chahiye taki hume bhi SC quota ka reservation mile! Jabki kuch log hume shudra mante the toh hume koi problem nhi hai khud ko shudra kehne me 😂😂😂
Kayasthas always given lots of respect to Brahman.Although, Brahman never accepted Kayastha greatness and on most of occasions were part of conspiracy to defame them.This was mainly because of kayasthas ascendence on higher lader during Delhi Sultanate and Mugal Period as they learnt Persian which Brahmans refused. Kayasthas were not a caste, rather were a professional group who were recruited mainly from Brahman and Khatriya.Evolutilon of Kayatha as a new caste is much later phenomenon and this also resulted into confusion regarding their exact place in Varna system.
@@PratapSingh-pl8xs you are naming their nationalit . If you study these soieties sociologocally as science you will find all these societies are deeply divided in super section, upper section, upper middle section, midium middle section, lower middle section, lower section, they do marrige in their social copatible section only .
ऐतिहासिक तौर पर कायस्थ अछूत रहे है हमेशा से लेकिन इस्लामिक शासन और मुख्य तौर पर अंग्रेजों का शासन काल का सबसे अच्छा इनलोगों ने इस्तेमाल किया और खुद को सामाजिक तौर पर ऊपर उठाने केलिए शिक्षा का सहारा लिया
अगर कायस्थ अछूत वर्ग से थे, तो उनके प्रति अपार सम्मान होना चाहिए। उन्होंने वंचित वर्ग से होते हुए भी शिक्षा और बुद्धिबल से समाज में उच्च और समर्थ स्थान प्राप्त किया। साथ ही विश्व में भारत का नाम किया और संस्कार और सभ्रांतता की मिसाल क़ायम की। उन्होंने किसी आरक्षण की बैसाखी के दम पर यह सब नहीं किया, अपना मार्ग स्वयं प्रशस्त किया।
चंदेला अभिलेखों से पता चलता है कि 11वीं शताब्दी की शुरुआत में कायस्थ भारत के इस हिस्से में मुख्य जातियों में से एक बन गए थे और के.सी. 800 के रीवा पत्थर के शिलालेख में कायस्थ जाति की उत्पत्ति का एक पौराणिक विवरण मिलता है। एक जाति के रूप में कायस्थों को प्राप्त प्रमुखता एक शिलालेख से स्पष्ट होती है जो इस प्रकार है- ''छत्तीस शहर थे, जो इस तथ्य से शुद्ध थे कि उनमें लेखक जाति के लोग रहते थे (करण-कर्म-निसस्पुत) और अधिक (अन्य शहरों की तुलना में) बहुत आराम से संपन्न थे। उनमें से सबसे उत्कृष्ट, जिसे देवताओं का निवास माना जाता था, तक्कारिका था, जो ईर्ष्या का विषय था... (और) इस (शहर) में, जिसे (छात्रों की) भीड़ ने वेदों के मंत्रों से गुंजायमान कर दिया था, वस्तव्य परिवार में वे कायस्थ पैदा हुए थे जिनकी ख्याति हंसों की तरह सफेद होकर सभी दिशाओं को प्रकाशित कर रही थी।" यह शिलालेख दर्शाता है कि कायस्थ, क्षत्रियों की तरह, अपनी जाति से भी अधिक अपने परिवारों पर गर्व करते थे; और परमार्दी के एक अनुदान में, लेखक अपनी जाति का उल्लेख किए बिना खुद को वस्तव्य वंश का सदस्य कहता है। जाहिर तौर पर उन्हें बुद्धिजीवियों का एक वर्ग माना जाता था, जो प्राचीन पुस्तकों के ज्ञान के अलावा, नागरिक प्रशासन की कला जानते थे। Bhai lekin written history to kuch aor keh rhi h, yaha toh Kayasthon k gharo me Ved ka uchcharan ho raha h, toh achhut kese hue ya Shudra kese hue bhai history bhi padhe , kewal dhongi Brahmin ki likhi kitabo k ilawa
@@voicesms इस अभिलेख में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि वास्तव्य कायस्थ छात्र वेद मंत्रों का पाठ करते हैं, जो कायस्थों के ब्राह्मण मूल के बारे में एच.एस. सिन्हा के दृष्टिकोण को उचित ठहराता है। स्रोत: चंदेल शिलालेखीय अभिलेख दर्शाते हैं कि 11वीं शताब्दी की शुरुआत तक, कायस्थ इस क्षेत्र में प्रमुख जातियों में से एक बन गए थे, और के.सी. 800 की रीवा शिला लेख में कायस्थ जाति की उत्पत्ति का एक पौराणिक विवरण दिया गया है। एक अभिलेख से यह स्पष्ट होता है कि कायस्थ जाति ने जो प्रमुखता प्राप्त की थी, वह इस प्रकार से उल्लेखित है- “छत्तीस नगर थे, जो लेखक जाति के लोगों के निवास से पवित्र हो गए थे (करण-कर्म-निसास्पुट) और अन्य नगरों की अपेक्षा अधिक सुख-समृद्धि से संपन्न थे। उनमें सबसे उत्कृष्ट, जिसे देवताओं का निवास माना गया था, वह तक्करिका था, जो ईर्ष्या का कारण बना.....और इस (नगर) में, जो छात्रों की भीड़ से वेदों के मंत्रों के पाठ से गूंज रहा था, वहां वास्तव्य परिवार में उन कायस्थों का जन्म हुआ, जिनकी ख्याति ने सभी लोकों को हंसों की तरह उज्ज्वल कर दिया, दिशाओं को आलोकित किया।” यह अभिलेख दर्शाता है कि कायस्थ, क्षत्रियों की तरह, अपनी जाति की तुलना में अपने परिवारों पर अधिक गर्व करते थे; और परमार्दी के एक अनुदान में, लेखक ने अपने जाति का उल्लेख किए बिना खुद को वास्तव्य वंश का सदस्य कहा है। वे स्पष्ट रूप से एक बुद्धिजीवी वर्ग माने जाते थे, जो प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान रखने के साथ-साथ नागरिक प्रशासन की कला में भी निपुण थे।
Abe murkh kayasth agar achhoot the to itne budhimaan kaise ho gaye lagta hai tu hi shudra varna se ho bramha ki kaya se janm liya tabhi kayasth naam pada chalo ye puran ki baat hai kaun hai jo kayasth se uncha hai viswa me jara mujhe bata vivekanand mahadevi verma premchand dr Rajendra prasad lal bahadur shastri abhi to ye kuch naam hai kayasth wah hai jinke charano par kamal ka phool brahman rakhkar pooja karte hain kewal kayasth hi hai jinki brahman pooja karte hain pahle ja padl likh fir aana
Guruji Can you please confirm/quote the SOURCE of this Story about "Bramhans telling Swami ji, that he cannot take sanyas because he is not a Bramhan" 12:30
योद्धा सन्यासी नाम से एक पुस्तक है जो स्वामी विवेकानंद जी की जीवनी पर आधारित है ।। उसमे ये सब स्पष्ट रूप से लिखी है ।। लेकिन उसमे ये लिखा है की उस समय के कुछ ब्राह्मण जिनको अपने ज्ञान का अंहकार था ओर जो खुद भी अपने कुल परंपराओ का पालन नही करते थे ओर विवेकानंद जी से वैरभाव रखते थे ।। उन्होने विरोद्ध किया था ओर ऐसे ही ब्राहमणो को विवेकानंद जी ने अपनी जाति का प्रमाण दिया था ।। उसके बाद ही विवेकानंद जी ने विश्व धर्म संसद शिकागो मे हिंदू धर्म का डंका बजाया था
@@sonupandey1342 इस अभिलेख में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि वास्तव्य कायस्थ छात्र वेद मंत्रों का पाठ करते हैं, जो कायस्थों के ब्राह्मण मूल के बारे में एच.एस. सिन्हा के दृष्टिकोण को उचित ठहराता है। स्रोत: चंदेल शिलालेखीय अभिलेख दर्शाते हैं कि 11वीं शताब्दी की शुरुआत तक, कायस्थ इस क्षेत्र में प्रमुख जातियों में से एक बन गए थे, और के.सी. 800 की रीवा शिला लेख में कायस्थ जाति की उत्पत्ति का एक पौराणिक विवरण दिया गया है। एक अभिलेख से यह स्पष्ट होता है कि कायस्थ जाति ने जो प्रमुखता प्राप्त की थी, वह इस प्रकार से उल्लेखित है- “छत्तीस नगर थे, जो लेखक जाति के लोगों के निवास से पवित्र हो गए थे (करण-कर्म-निसास्पुट) और अन्य नगरों की अपेक्षा अधिक सुख-समृद्धि से संपन्न थे। उनमें सबसे उत्कृष्ट, जिसे देवताओं का निवास माना गया था, वह तक्करिका था, जो ईर्ष्या का कारण बना.....और इस (नगर) में, जो छात्रों की भीड़ से वेदों के मंत्रों के पाठ से गूंज रहा था, वहां वास्तव्य परिवार में उन कायस्थों का जन्म हुआ, जिनकी ख्याति ने सभी लोकों को हंसों की तरह उज्ज्वल कर दिया, दिशाओं को आलोकित किया।” यह अभिलेख दर्शाता है कि कायस्थ, क्षत्रियों की तरह, अपनी जाति की तुलना में अपने परिवारों पर अधिक गर्व करते थे; और परमार्दी के एक अनुदान में, लेखक ने अपने जाति का उल्लेख किए बिना खुद को वास्तव्य वंश का सदस्य कहा है। वे स्पष्ट रूप से एक बुद्धिजीवी वर्ग माने जाते थे, जो प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान रखने के साथ-साथ नागरिक प्रशासन की कला में भी निपुण थे।
Actually there are other Brahmin communities as well that don't eat shradha food or participate in death ceremonies. My community of Mathur (meaning originating from Mathura) Chaturvedi Brahmins or Choubeys of Mathura are one such example.
@@tsunamiotoko6321 इस अभिलेख में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि वास्तव्य कायस्थ छात्र वेद मंत्रों का पाठ करते हैं, जो कायस्थों के ब्राह्मण मूल के बारे में एच.एस. सिन्हा के दृष्टिकोण को उचित ठहराता है। स्रोत: चंदेल शिलालेखीय अभिलेख दर्शाते हैं कि 11वीं शताब्दी की शुरुआत तक, कायस्थ इस क्षेत्र में प्रमुख जातियों में से एक बन गए थे, और के.सी. 800 की रीवा शिला लेख में कायस्थ जाति की उत्पत्ति का एक पौराणिक विवरण दिया गया है। एक अभिलेख से यह स्पष्ट होता है कि कायस्थ जाति ने जो प्रमुखता प्राप्त की थी, वह इस प्रकार से उल्लेखित है- “छत्तीस नगर थे, जो लेखक जाति के लोगों के निवास से पवित्र हो गए थे (करण-कर्म-निसास्पुट) और अन्य नगरों की अपेक्षा अधिक सुख-समृद्धि से संपन्न थे। उनमें सबसे उत्कृष्ट, जिसे देवताओं का निवास माना गया था, वह तक्करिका था, जो ईर्ष्या का कारण बना.....और इस (नगर) में, जो छात्रों की भीड़ से वेदों के मंत्रों के पाठ से गूंज रहा था, वहां वास्तव्य परिवार में उन कायस्थों का जन्म हुआ, जिनकी ख्याति ने सभी लोकों को हंसों की तरह उज्ज्वल कर दिया, दिशाओं को आलोकित किया।” यह अभिलेख दर्शाता है कि कायस्थ, क्षत्रियों की तरह, अपनी जाति की तुलना में अपने परिवारों पर अधिक गर्व करते थे; और परमार्दी के एक अनुदान में, लेखक ने अपने जाति का उल्लेख किए बिना खुद को वास्तव्य वंश का सदस्य कहा है। वे स्पष्ट रूप से एक बुद्धिजीवी वर्ग माने जाते थे, जो प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान रखने के साथ-साथ नागरिक प्रशासन की कला में भी निपुण थे।
Brahma ke pass char sir the to charo varno ko charo sir se paida kar diye hote to unch nich ka bhedbhav samaj me nahi hota. Iska matlab soch samajhkar ek dusre ko upar niche karne ke liye hi char ango se varno ka nirman karvaya Gaya yah Sochi samjhi sajish hai..
यह आपका गैरसमज है । शरीर का कोईभी अंग उच या निच नही होता, बल्की विभिन्न कार्य के लिये विभिन्न अंग होते है।क्या अगर किसिको पैर न होते तो वह पुर्ण होता है? अपंग समाज भी क्या सुदृढ हो सकता है? जैसे शरीरके अंग होते है वैसे समाज भी विभिन्न अंग से बनता है ,और इसमें सभीका योगदान आवश्यक होता है। दुसरी बात वर्ण व्यवस्था जनमपर निर्भर नहोती थी बल्की व्यक्तीके गुण और रूचीपर होती थी । अब यह मनुष्यकी कमजोरी है की अपना अधिकार बनाये रखने कारण वह ऐसे विकृती निर्माण करता है ।वैसेही राजकीय मानसिकता कारण यह हुआ है।कास्ट या जाती हमारी सनातन परंपरा नही है।
कायस्थ कदापि ब्राह्मण नहीं है कोई शास्त्र प्रमाण नहीं है। क्षत्रिय के मूल (क्षत्रिय) मंत्री पुत्र हैं, संदर्भ- सामवेद परिशिष्ट का राजन्य सूक्त। राजसेवा में सब स्मृतियों के मत से शूद्रत्व है ही नहीं। भगवान् श्री चित्रगुप्त देव स्वयं चौदहवें यम हैंं।
Mahoday aapki is 11:33 baat se bilkul bhi sahmat nhi hu...Panchal yaani ki Vishwakarma jaati Bhi Devta ki santan hai...Bhgwan Vishwakarma ke Tapobal se prakat kiye hue 5 putro se ye vansh chla Manu,Maya,Twashta,Shilpi,Daivgya Brahmrishi se... Aapke channel pr hi Shri RamSharan Yuyutusu ji ke video me is baare me Achse se shodh kra gya h...
उत्तर प्रदेश में एक कायस्थ मुख्यमंत्री के जमाने में सारी सरकारी नौकरियां कायस्थों को ही उपलब्ध करा दी थी यही उपलब्धि है (गुरु जी ने जिन चौदह हजार लेखपालों की नौकरी का जिक्र किया है उसी समय की बात है)
@@maheshgoswami8508मतलब इतना दम था उस कायस्थ मुख्यमंत्री मे जिसने 14000 के 14000 पद कायस्थो को दे दिए ओर गैर कायस्थ समुदाय ने कोई विरोद्ध ही नही किया ,,
चंदेला अभिलेखों से पता चलता है कि 11वीं शताब्दी की शुरुआत में कायस्थ भारत के इस हिस्से में मुख्य जातियों में से एक बन गए थे और के.सी. 800 के रीवा पत्थर के शिलालेख में कायस्थ जाति की उत्पत्ति का एक पौराणिक विवरण मिलता है। एक जाति के रूप में कायस्थों को प्राप्त प्रमुखता एक शिलालेख से स्पष्ट होती है जो इस प्रकार है- ''छत्तीस शहर थे, जो इस तथ्य से शुद्ध थे कि उनमें लेखक जाति के लोग रहते थे (करण-कर्म-निसस्पुत) और अधिक (अन्य शहरों की तुलना में) बहुत आराम से संपन्न थे। उनमें से सबसे उत्कृष्ट, जिसे देवताओं का निवास माना जाता था, तक्कारिका था, जो ईर्ष्या का विषय था... (और) इस (शहर) में, जिसे (छात्रों की) भीड़ ने वेदों के मंत्रों से गुंजायमान कर दिया था, वस्तव्य परिवार में वे कायस्थ पैदा हुए थे जिनकी ख्याति हंसों की तरह सफेद होकर सभी दिशाओं को प्रकाशित कर रही थी।" यह शिलालेख दर्शाता है कि कायस्थ, क्षत्रियों की तरह, अपनी जाति से भी अधिक अपने परिवारों पर गर्व करते थे; और परमार्दी के एक अनुदान में, लेखक अपनी जाति का उल्लेख किए बिना खुद को वस्तव्य वंश का सदस्य कहता है। जाहिर तौर पर उन्हें बुद्धिजीवियों का एक वर्ग माना जाता था, जो प्राचीन पुस्तकों के ज्ञान के अलावा, नागरिक प्रशासन की कला जानते थे।
@@dineshprasad9923 Chandella epigraphic records indicate that by the beginning of the 11th century, the Kayasthas had become one of the main castes in this part of India, and the Rewa Stone Inscription of K.C. 800 gives a mythical account of the origin of the Kayastha caste. The prominence gained by the Kayasthas as a caste is evident from an inscription which runs as follows-‘’There were thirty six towns, purified by the fact that men of the writer caste dwelt in them (Karana-karma-nisasputa)and more (than other towns) endowed with great comfort. Among them the most excellent, thought of as the abode of gods, was Takkarika, an object of envy….. (and) in this (town) which by crowds (of students) was made to resound with the chants of the Vedas, there were born in the Vastavya family those Kayasthas whose fame was filled (and rendered) white like swans all the worlds, illuminging the quarters.” This inscription shows that the Kayasthas, like the Ksatriyas, were even more proud of their families than of their caste; and in a grant of Paramardi, the writer calls himself a member of the Vastavya Vamsa without mentioning his caste. The were apparently regarded as a class of intellectualas, who, besides having knowledge of the ancient books, knew the art of civil administration.
Ghar ki bahi aur Kaka likhne wala , ye kiya brahamno ne . Guruji ka ye video to SWAYAMSIDH h . Bal Thakre ko kyon bhul gaye ? Dr. Shanti Swarup Bhatnagar ,
Muslim shashko dwara kayasto ko padhne likhne ka adhikar diya , yahi karan haiki muslim shashan me ye chhoti 2 naukariyo me aa gaye the anyatha ye shudro me bhi ati shudra varn me aate rahe hai. Shikchha hi wah shashtra hai jo varno me shresth banate hain.
Even if it's the case, the kaysth community managed to change their status from shudra to general, and never complained about caste system always respected Brahmans
@@MadanSingh-oc2xp kayasth savarn hain eska bahut dukh hai? Kayasth chandragupta maurya and uaske pahale se king dhananand of magadh ke prime minister hote aaye hain, todarmal kayasth the jo akbar ke finance minister the, is liye apni tippani chote chote naukari par dhyan den. Agar aap apani jati batate to turant samajh aa jayega ki aap kaysthon se itna gussa kyo hain. Vase hum kayasth rajaon aur jamindaron ne khabhi bhi aapani raiyaton, aur jano ka soshan nahi kiya hai aur aapni santan man kar unka palan kiya hai.
Muslim kyo denge kayastha ko padhne ke liye. Ye log pahle se hi gyani the aur sc caste ke log 80 sal ke reservation se bhi itna nhi padh paye. Sambhavtah ye phle se hi vidvan the.
Most awaited for me, pure 1 saal se upar laga diya, thank you so much vikas ji ।।
@@abhinavshrivastava3793 Bhai slulti ganga shaastr nahi mante kya aap
कायस्थों ने अंग्रेजों एवं मुगलों का भरपूर साथ दिया l
Aaj kal to hum apni jaatiyon ke baare me jaante hi nahi. Isiliye ye bahut hi gyaanvardhak vishleshan laga. ❤
जय श्री चित्रगुप्त जी महाराज 🙏🏻🙏🏻
सदा सहाय करें प्रभु 🙏🏻
अगर ऐसी बाते आगे चालू रही तो देश एक बार ओर टूटेगा बंटेगा
Thank you Quest:
Guru ji ko hamare hridaya me jeevit rakhe rehne k liye bahut aabhari hu
Kayasthas are remarkable people particularly Marathi Kayasthas and Bengali Kayasthas.
Please translate इंग्लिश or Hindi ।
I am a Brahmin and my husband is Kayastha. I now understand their worth. Thank You
@@poojamitra3990
As Kayasthas we don't support intercaste marriages like yours but anyways, appreciate your validation on our community 👍🏻
@@realSrvBhtngrAs a kayastha maximum no of intercaste and inter religion marriages have happened in kayastha community
Ladki milti bhi kahan jo kar lein 😅@@realSrvBhtngr
isse pehle kya sochte the aap unke baare mein
@@realSrvBhtngr Bengali aur Maharashtrian Brahmins mein Brahmin-Kayastha shadiyan pracheen samay se bahut common hai.
Kayasthon par video laane ke liye dhanyawaad guruji. Pranam.
गुरू जी आपकी कृपा बनी रहें । स्वर्ग से आशीर्वाद दीजिए।
महान पुरुष राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति भी इसी बुद्धिमान वर्ग से थे
Finally ❤❤ thanku so much Sinha Sahab🙇
Jay Shri Chitragupta ji Maharaj 🙏🙏
धन्य है हमारे कायस्थ भाई🙏 उनकी यज्ञोपवीत व मृत्युभोज वाली बात से मै पूर्णतः सहमत हूं गलत कार्य करने से अच्छा है कार्य ना किया जाए,स्वर्गीय गुरुदेव के चरणों में सादर प्रणाम हमें इस ज्ञान से अवगत कराने के लिए🙏हरिबोल🙏
Bahut din se aapka intejar kar raha hu is topic par
🙏
Me toooo❤❤❤
@@TheQuestURL आचार्य जी माली समाज किस वर्ण में आयेगा ।।
ये सिन्हा जी की पुरानी वीडियो की क्लिप है. भगवान सिन्हा जी को अपने चरणों में स्थान दे ❤
@@Professor0333 नहीं ये पहली बार साझा किया गया है
इस बढ़ती बेरोजगारी में कायस्थ समाज कहीं न कहीं पिछड़ता नजर आ रहा है। कायस्थ समाज अपना स्थान कैसे शुद्धृण करे इस विषय पर प्रकाश डाले।
इसके लिए आपको पढ़ाई करनी पड़ेगी भारत में नौकरियां बहुत हैं काबिल आदमी के लिए।
कृपया सही हिंदी लिखें 'सुदृढ़' को शुद्धृण ना लिखें।
@@maheshgoswami8508 that's not true . A lot of groupism is happening from the various sects. I agree jobs are there but majority of them don't even hold any interest which can satisfy my kayasth brain . I have given many govt exams but either the exam was compromised or it got leaked .
सारे नौकरियों में छाए हों अब क्या जान लोगे
Koi fayda nahi hai apne baccho ko sambhalo pahle
Kayastho ko ab noukri ke peshe se nikal kar business me aana chahiye. Ya phir koshish karni chahiye ki hamare samaj se aur adhik proffessionals ban sake, khaas kar education, health, legal, financial aur media ki field me. Isse noukriyon par hamare samaj ki nirbharta bhi kam hogi.
Thankyou Vikasji,guruji ki etni sunder ,upyogi video dikhane ke liye
भगवान् श्री चित्रगुप्त जी धर्माधीकारी है, सृष्टि के भाग्य विधाता एवं नियंता है।
love and miss u and always glad to listen to u ,
Kayastho k bare mai btane k liye dhanybad ye jati poore bharatvarsh mai faili hai
अब इंतजार नहीं हो रहा जितनी भी वीडियो है कायस्थ पर जल्दी से रिलीज़ करे।
सिन्हा जी को कोटि कोटि चरण स्पर्श।
@@shivanjalsrivastava9469 bakwas hai shastra padhiye
*कायस्थ विवरण*
*----------------*
*कुल* - कायस्थ
*गुरुकुल (गोत्र)-*
*निगम* - माण्डव्य
*गौतम (गौड)* - गौतम
*श्रीवास्तव* - हर्ष
*हर्याणा (कुलश्रेष्ठ)* - हारित
*सौरभ (अम्बष्ट)* - सौभर
*वाल्मीकी* - वाल्मीकी
*वसिष्ठ (अस्थाना)* - वसिष्ठ
*दालभ्य (कर्ण)* - दालभ्य
*सुखसेन (सक्सेना)* - हंस
*भट्ट* - भट्ट
*सूर्य* - सौरभ
*माथुर* - माथुर
*प्रवर* - श्रवण, चित्र, चित्रगुप्त
*वर्ण* - ब्राह्मण
*जाति* - गौड
*वेद* - यजुर्वेद
*शाखा* - माध्यन्दिनी
*सूत्र* - कात्यायन
*उपवेद* - आयुर्वेद
*पुराण* - गरुड एवं पद्मपुराण
*कुलदेवता* - शिव
*कुलदेवी* - काली, दुर्गा
*कर्म* - पढ़ना - पढाना, यज्ञकरना - यज्ञकराना, दानदेना - दान लेना तथा वेद लिखना।
*संस्कार* - 16 संस्कार।
👉 कुलदेवी काली-दुर्गा का उपासक होने के कारण इनका आहार *मांसाहार* है।
====================
*चित्रगुप्त वंश में - गुरुगौतम, गुरुहर्यात्मा, गुरुवाल्मीकी, गुरुवसिष्ठ, गुरुसूर्य व्यास हैं।*
*गुरुवसिष्ठ के पुत्र - शक्ति, शक्ति के पुत्र पाराशर, पाराशर के पुत्र कृष्णद्वैपायन भी व्यास हैं।*
*वेद लिखने वाले ब्राह्मण को कायस्थ कहते हैं।*
====================
*सौजन्य से-*
*सनातन धर्म ट्रस्ट, गोरखपुर।*
====================
@@ashwanisrivastava4077 🌹🙏
The guest को धन्यवाद जानकारी वो भी एक महाविद्वान् से ❤
The four varnas as per The Purusha Suktam is the first mention of the four varnas, or social classes, in the Vedas. The hymn describes how the four varnas are made up of parts of Purusha's body: Brahmins make up his mouth, Kshatriyas his arms, Vaishyas his thighs, and Shudras his feet.
You are perfectly right
Jai shri ram jai chitragupta maharaj
गुरू जी के ज्ञान के आगे नतमस्तक हूं
We are srivastav kayasth of bihar for hundred of years . Our ancesters came from kashmir here to save their dharm from muslim perscution.
*where is mention source??*
@@ambersingh1848rajataranginhi
@@ambersingh1848read kalhana in persecution of kayastha
@@harshtaguarey bhaiya he will not agree for Kalhan also.. he is being brainwashed by muslims
You meant to say you were Bhagodas… instead of fighting for your ancestral land and dharma.. chose to run away. Shame!
Duniya ka koyi bhi dharm varnvadi byavastha ko manyata nahi deta. kayastho to ek padha likha samudaya hai, par inki soch ka bhi brahmani karan ho gaya hai
@@MadanSingh-oc2xp we kyasth are top intelligent people and pure sanatani hindu from time immemorial, brahmans are always pujniya to us. We read veds write veds , hafij maulvi used to employed in our homes to teach holy kuran , we kayasth remembered kuran, when we went to mission school to study english we also lernt bible , but
In practice we remained pure sanatanihidu by thought, speech, and action. No body can fool us kayasth and covert . This is your miscoception that sanatan hindu dharma be copared to all other dharma becaue all religion are not same , it is malisious to say duniya ki koyi bhi dharm me varnavadi byavastha nahi hai , other so called relgion has their own agenda.
Very true.
Satyameva jayathe,
Sanaatana dharma mother of all religions
गुरुजी को सादर प्रणाम. जहाँ भी हो.
शंकराचार्य का कायस्थों पर क्या कहना है।
Shankaracharya ne apne kayasth shishya maharishi Mahesh yogi ko shankaracharya nhi bnaya jbki ek brahman ko bnaya shankaracharya khud brahmanbad se bhare hua hai
Correct @@mukulkulshreshtha1284
Boycott Hindu dharm@@mukulkulshreshtha1284
Mai bhi kayasth hu . Shrivastava huaur hamare yha to ygyopawit dharan karne ki parampra rahi hai
वर्ण एक काल्पनिक अवधारणा है सृष्टि के आरंभ में इसकी आवश्यकता थी वर्तमान में नहीं ब्राह्मण हो या शूद्र उनमें जन्म से कोई अंतर भेद नहीं होता जब परमेश्वर भेद नहीं करता तो हम मनुष्य क्यों भेद करे इसी जाती व्यवस्था और जन्मजात वर्ण व्यवस्था भारत के शूद्रों के शोषण का कारण और भारत के हजारों वर्षों के गुलामी के कारण है जय श्री कृष्ण
@@shashanksrivastav7191 hame kisi chij ko faltu ghosit karne ke pahale bahut gahrai se uska adhyan karna chahiye. Varn sachai hai is liye aap srivastav likhate hai . Yah maine samjhane ke liye likha hain kripaya bura nahi manenge. Janm se hi ved hota hai , kaise aap jhoothala sakate hain. Aap rahul gandhi , akhilesh yadav, tejaswi yadav , mukesh ambani , ratan tata , nahi ho sakate hain kyo ki we aapne purv janm ke pratap se itane bare kul me aur itane bare pita ke yanha janm liye hain. Is liye janm se vi bhed hai to satya hai yah to satya hai .england ka raja raja ka beta banega, japan ka raja raja ka beta banega, isko vi yad rakhen.
Bahut gahrai mein kya? Duniya ke matlab keval jambudweep? Samudra paar nahi kia tab kuan k mendhak sarikhe kuan k bhitar ko duniya?
ब्रह्मा जी सभी को भारत मे पैदा ही पैदा किया? सारा बकवास है। अमेरिका यूरोप मे भी ऐसे होना चाहिए ये सज्जन मजेदार झुठ बोल रहा है।
@@AnilKumarSingh-rb6gb
जी नहीं, सबको भारत में नहीं पैदा किया । यूनानियों (Greeks) के फैलाव के पूर्व पूरे मध्य एशिया और ईरान के बहुत बड़े क्षेत्र में वैदिक परंपरा ही थी ।
जैसे ऋषि कश्यप के नाम पर ईरान के उत्तर में स्थित कश्यप सागर है । चाहें तो नक्शा खोल कर देख सकते हैं ।
मगर सिकंदर के हमले के बाद से आज तक पंजाब विदेशी कौमों के अधीन ही रहा । इसलिए पश्चिम में हिन्दुओं का फैलाव रुक गया, मगर पूर्व में फिर भी जारी रहा ।
पूर्व में तो इंडोनेशिया तक सनातन धर्म का फैलाव था, वो तो इस्लाम के बाद सुमात्रा और जावा इस्लामी द्वीप बन गए । बाली द्वीप आज भी ९०% हिंदू है ।
@@drbksharanjis param param param sukshm se anadi sanatan druggochar bramhand ki nirmiti hui hai,usnehi sat rushiyon ka nirman kiya hai aur unke dwara sat gotra nirman kiye gaye hai ! tabse hi 4 varn vyavastha samaj ke dainandin kamkaj , suvyavastha se chale ,is liye sat gotronke in mulpurushonevarn vyavadtha unki agali pidhiyonpar sop di hai. Jab se ye mulnivasiyompar diti ke daittya purone ramayan kal ke pahale sehi akraman kiye hai aur har kuchh samay ke bad anndhan ki khoj me aajtak karate rahe hai,vo bharat me hi nahi ,pruthvi ke sabhi mulnivasiyonpar julm karate , naye naye sankarit,dushit rakt ke manav samuh, nirman karate rahe hai ! un prajatiyo me normal blood clots se honewala cancer nahi , dher sare bhayanak cancer,eds ke vushsnu hote hai ;jis tarahase france,portugal jihone amerika me than manda hai,sur cheen me corona ka vishanu jane diya ,aur abhi laboratories me aur bhi naye naye vishanu banvakar ,duniyabharme failanewale hai ,jin ko keval vo ati sukshtar paramatma/parmanu hi nasht kar sakti hai ! namostu te !
इतिहास है या कहानी?😮
Casteism is curse on Santana dharma.
But it's good for Brahmins, this is the reason they defend this curse system.
Much awaited topic
काल्पनिक है। कायस्थ कौम सबसे ज्यादा विज्ञान में विश्वास करता है। आगे भी करना चाहिए। इसीसे विश्व कल्याण होगा। ब्राह्मणों से तुलना करने की कोई जरूरत नहीं।
साधुवाद बधाई हो
कायस्थ सिर्फ मुंशी नही है गुरूजी। क्षमा कीजिएगा।
Bhai Dr Khud Kayastha hai...
मुंशी कोई अपमानजनक शब्द नहीं है। महान हिन्दी लेखक श्री प्रेम चंद को आदरपूर्वक मुंशी प्रेमचंद कहा जाता है।
@@motivatioanl_hub15 मुझे पता है भाई, पर कायस्थ कोई मुंशी नही हैं।
@@ashokroy5184 पर जितने भी महापुरूष थे, उनमें कोई मुंशी था ? मुंशी दयाराम निगम और प्रेमचन्द साथ पत्रिका निकाला करते थे, दयाराम जी का मुंशी उनसे जुड़ गया। ये बात शायद आपको पता न हो। क्या प्रेमचन्द मुंशी थे?
@@Rudrature Aap kisi se bhi kahiyega ki Kayasth kon h to log sbse pehle bolnge Munsiyo ki jaati h..Mahan Lekhak Munsi Premchand Ji bhi khud ko munsi kehne me nhi sarmaye...Akhir Jinke Purvaj khud Yamraj ke Munsi h Unhe is sabd se chota feel nhi hona chahiye...Garv krna chahiye ki apne Purvajdevta ke na se unhe pukara jaa rha
गुरूजी प्रणाम
कृपया तेली जाति-समाज के वेद-पुराण और समाजशास्त्र या ऐतिहासिक विषय मेें बताए?
कायस्थ समाज मे स्वामी विवेकानंद नेताजी सुभाषचंद्र बोस बाबू राजेन्द्र प्रशाद लाल बहादूर शास्त्री लोकनातक जयप्रकाश नारायण +++ श्रीवास्तव सिन्हा सक्सेना माथुर राय कुलश्रेष्ठ भटनागर निगम ___
मुस्लिम जैन बौद्ध पारसी और इसाई कैसे पैदा हुए. ब्रह्मा से ही सब पैदा हुआ तो सब देवता हुए. कायस्थ पूरे शरीर से पैदा हुई ये तो ग़ज़ब हो गया?
😂😂😂
Ye baat Shruti me nahi hai - Shruti me Virat Purush ka mukh Brahman ko kaha hai
Muslim, Jain, Baudh, Parsi ek soch se paida hue. Par wo soch Bhrahma ki nahin, kisi aur ki thi.
kayastha shudra thae varn ke hisaab se
@@aditya4120kayasth cast jati nahi padvi hai ok jo brahmaji k mastask chit se bhaguwan sri chitraguptji ki utpatti hui jo buddhi se prakat hue and budman bhi hai kalam k shipahi bhi hai poorv se general highcast hai n koi reservation tha but kisi n inhe sudra bol diya but e highcast hai ok
❤કરછી કાયસ્થ પરીવાર કે નમન❤
मुगलों के समय में कायस्थ राजसत्ता में ऊंचे स्थानों पर थे। बीरबल और दूसरे अनेक प्रधान बने थे। कालक्रम में कुछ इस्लाम में कन्वर्ट हुवे थे क्योंकि ऊंचे स्थान हिंदू को नहीं मिलता था। देश आजाद हुआ तब बहुत सारे पाकिस्तान चल गए थे, वहां पर भी आज ऊंचे पद पर है।
बीरबल ब्राह्मण थे।
@@SanjaySingh-nv5pkmai kayastha hu aur aapki bat satya h. Birbal bramhan the, todarmal sambhavtah kayastha the.
Manusmriti mein inhen shudra kaha gaya hai
बिल्कुल, स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था भारत शूद्रों का होगा, ब्राह्मणवाद जहां देखो पैरों तले कुचल डालो और मुंशी प्रेमचंद की कहानियां ज्यादातर शोषण के खिलाफ ही होती थी।
Isliye brahman bhi unki puja karte hain
@@ramkrishna4256 केवल पौराणिक कथाएं ही न पढ़ें, इतिहास भी पढ़ें
@@ramkrishna4256 इस अभिलेख में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि वास्तव्य कायस्थ छात्र वेद मंत्रों का पाठ करते हैं, जो कायस्थों के ब्राह्मण मूल के बारे में एच.एस. सिन्हा के दृष्टिकोण को उचित ठहराता है।
स्रोत: चंदेल शिलालेखीय अभिलेख दर्शाते हैं कि 11वीं शताब्दी की शुरुआत तक, कायस्थ इस क्षेत्र में प्रमुख जातियों में से एक बन गए थे, और के.सी. 800 की रीवा शिला लेख में कायस्थ जाति की उत्पत्ति का एक पौराणिक विवरण दिया गया है। एक अभिलेख से यह स्पष्ट होता है कि कायस्थ जाति ने जो प्रमुखता प्राप्त की थी, वह इस प्रकार से उल्लेखित है- “छत्तीस नगर थे, जो लेखक जाति के लोगों के निवास से पवित्र हो गए थे (करण-कर्म-निसास्पुट) और अन्य नगरों की अपेक्षा अधिक सुख-समृद्धि से संपन्न थे। उनमें सबसे उत्कृष्ट, जिसे देवताओं का निवास माना गया था, वह तक्करिका था, जो ईर्ष्या का कारण बना.....और इस (नगर) में, जो छात्रों की भीड़ से वेदों के मंत्रों के पाठ से गूंज रहा था, वहां वास्तव्य परिवार में उन कायस्थों का जन्म हुआ, जिनकी ख्याति ने सभी लोकों को हंसों की तरह उज्ज्वल कर दिया, दिशाओं को आलोकित किया।” यह अभिलेख दर्शाता है कि कायस्थ, क्षत्रियों की तरह, अपनी जाति की तुलना में अपने परिवारों पर अधिक गर्व करते थे; और परमार्दी के एक अनुदान में, लेखक ने अपने जाति का उल्लेख किए बिना खुद को वास्तव्य वंश का सदस्य कहा है। वे स्पष्ट रूप से एक बुद्धिजीवी वर्ग माने जाते थे, जो प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान रखने के साथ-साथ नागरिक प्रशासन की कला में भी निपुण थे।
@@ramkrishna4256 do you know sanskrit? Have you read mansmriti in original text in your hand? Or you are telling suni sunai bat?
ऐसी बाते हास्यास्पद हैं 😂
चित्रगुप्त देवाय नम:::
Waiting for part 2 ❤❤
Lalitaditya Muktipeed😊
Pranam Guruji🙏
Chitragupt Maharaj ki pehli patni brahmani thi aur unke baad kshatrani se vivah kiya. Isliye pehli ke bacho mein brahman gun tatha dusri ke bacho mein kshatriye gun paaye jaate hain.
Swami Vivekanand कायस्थ थे उनके बारे में एक वीडियो विस्तार से बनाए।
बंगाल ने कायस्थ का अर्थ, क्षत्रिय वर्ण हैं इनके भी क ई भाग है, चार घर ,आठ घर, ७२ घर, चार घर घोष ,वोस, कुहा, मित्रा ,ये कुलिन है,
विवेकानंद को शूद्र होने के कारण धर्म सभा शिकागो में भाग लेने के लिए शंकराचार्य ने अनुमति नहीं दी ये कहकर की आप शूद्र हो
नरेदनाथ उर्फ विवेका नन्द कायस्थ थे
@@shivanjalsrivastava9469 कुछ भी कहो हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार कायस्थ शूद्र में है. मुगल काल में आपको मुन्शी का काम मिला जिससे आर्थिक रूप से सबल बने और शिक्षा के क्षेत्र में भी आगे निकले. समर्थ को ना कोई दोष गोसाई.
Kuha nahi guha hota hai. Yeh uche sudra hai 😂@@meetachoudhary8244
आदरणीय विकास जी, कृपया दूसरा भाग का वीडियो जल्दी अपलोड करें।
From Converted shak, hoon & kushaan .... See history.
कायस्थ पर जितनी भी वीडियो है जल्द से जल्द रिलीज करे।
पृथ्वी के नीचे खुदाई करने से केवल और केवल बुद्ध की मूर्तियां निकल रही है बुद्धिस्ट भारत एक समय में था उनकी सब कोई कल्पना है ऐसे सुनते रहिए विदेशी सत्ता को मदद करने वाले ल लोगों के भी गौरव गाथा भारत में ही सुनी जा सकती है
India me Sabse jayde agar kisi Praman mila hai to Wo Shiva ka mila hai , India Golden Period bas Gupta Period me kehlaye hai jo Brahmin the
India me jitne bare Mathematician hue sab Brahmin hi The
Kayastha bhi Buddhist hi hai isliye woh janeu nahi pehenta hai .
कायस्थ भी बुद्धिस्ट ही होते थे, अनेकों प्रमाण मिल जाएंगे
@@ank7027 Jara praman pesh kro
देश का बुद्धिजीवी और पढ़ालिखा वर्ग इन बेतुकी बातों को केसे मानता है ! इन्हें चाहिए अपनी शिक्षा और अपने विद्वता को अपने समाज और देश को गौरवान्वित करे।फालतू के बकवास में न पड़े.
अरे आज सच इसलिए विलुप्त हो गया क्योंकि इसे बोलने और सुनने वाले दोनों खत्म हो गया...क्योंकि वामपंथी और उदारवादी ने लोगों को इतना भटकाया कि वही सत्य लग रहा...
इस विकसित भारत को पीछे धकेलने में आप जैसे विचार काफी है
Good 👍....
Jay ho guru dev 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
कृपया अहलूवालिया या वालिया या कलाल इस वर्ण के बारे में भी कुछ बताए इनकी इतिहास क्या है ।
बहुत-बहुत धन्यवाद
काल्पनिक कहानियों का ही हवाला देना है, तो व्यास स्मृति का हवाला भी दीजिए, जिसमें बढ़ई तेली कुम्हार जैसे ही कायस्थ को शूद्र कहा गया है।
@@praveenramteke6551 aaj ke yug me jab reservation hai , agar yah tay ho jaye ki kayasth shudra hain to 10 sal ke andar pure bharat me sarkari naukari aur politics me no 1 position par aa jayenge, by the way kayasth jo hai woh to rahega hi.iam srivastv kayash, my grand father, my father who was famous docter of bihar and was directer in chief of health of bihar, all my chachas, and we wear janeu, had jamindari, so we are sanatani hindu and bharat mata ki santan.
भाई साहब वर्ण व्यवस्था कर्म आधारित थी तो यह सब निर्रथक है और कोई भी ॠषि ऐसी भेदभावपूर्ण बात नही करेगा । काल्पनिकता वहाँ हैं।
@@Rudrature इसीलिए तो दुनिया में कोई राष्ट्र हिंदू राष्ट्र नहीं। हिंदू धर्म में सिर्फ विसंगतियों की ही भरमार है। कर्म पर आधारित वर्ण व्यवस्था का ढिंढोरा पीटते हैं लेकिन करते हैं जन्म पर आधारित।
@@praveenramteke6551 Hum kasth puri koshish kar rahe hain ki hame shudra hi man kar savi aarakchan diya jay, tavi hum kayathon ka vikas sambhav hai, agar kayasth shudra ghosit ho jayen to rajasthan ke mina jati ke saman savi sarkari nakarion me 90percent kaysth honge, is liye aap se nivedan hai ki hame shudra ghosit kar aarakshan diya jay aur vanchi shosit kayshon ko samajik , rajnitik nyay mil sake.
सबकुछ तो जन्म से है धर्मशास्त्रों व वेदो में ' गीता में कर्म आधारितर कहा है ' साथ ही स्वधर्म भी कहा है
ये काल्पनिक बातें है।अब भारतवर्ष संविधान से चलता है।संविधान में वर्णव्यवस्था का कोई महत्व नहीं,सब को समान अवसर देता है,संविधान।
कबसे बना संविधान ना बनता तो क्या भारतवर्ष चलता ही नही या पहले था नही तो भारतवर्ष चल नहीं रहा था बकवास मत किया करो
@@rajeshshrivastava6207 घबरा काहे रहे हो,लोकतंत्र का चक्की धीमे जरूर चलता है,लेकिन पिसता बहुत बारीक है,बिल्कुल एक सामान।अभी तो लोकतंत्र को 100 साल भी नहीं हुआ है।
De liya gyaan tune
Guruji kayasth sirf clerk aur adhikari hi nhi the inhone apne rajya bhi sthapit kiye jaise karkota dynasty k prasidh raja lalitaditya muktapith bangal ke sen pal chol bose mitra rajvansh etc kashmir k karkota utpal aur shahi vansh
Puranas Anusaar kayasth Brahman Aur Kashtriye dono rahe hai
मुखमासी का अर्थ मुख समान है ना कि मु़ख से पैदा होना।
Hum kayasth ko khud ko shudra jaati me include karana chahiye taki hume bhi SC quota ka reservation mile! Jabki kuch log hume shudra mante the toh hume koi problem nhi hai khud ko shudra kehne me 😂😂😂
ब्रह्मण की कितनी भी बुराई करलो ब्रह्मण हमेशा महान रहेंगे।
@@bharatsharma8110 hum kayastho ke liye brahman hamesha se pujniya hain aur rahenge🙏
यह बोलिए कि मानसिक रूप से ब्राह्मणों के गुलाम रहे है।@@drbksharan
Bhai pure video me kab Brahmanon ke khilaaf bole? Brahmano ka sabse jyada samman kaayasth hi karte hain
@@kumarpallavchitransh4397उसे सम्मान करना नहीं, बल्कि मानसिक गुलामी का सबूत देना कहते हैं। जाति के आधार पर सम्मान या अपमान करना घोर जातिवाद है।
Kayasthas always given lots of respect to Brahman.Although, Brahman never accepted Kayastha greatness and on most of occasions were part of conspiracy to defame them.This was mainly because of kayasthas ascendence on higher lader during Delhi Sultanate and Mugal Period as they learnt Persian which Brahmans refused. Kayasthas were not a caste, rather were a professional group who were recruited mainly from Brahman and Khatriya.Evolutilon of Kayatha as a new caste is much later phenomenon and this also resulted into confusion regarding their exact place in Varna system.
Sita Ram 🙏
Nice
European, japanese and African kaun kaun se ang se nikle hain vo bhi bataiye guruji
@@PratapSingh-pl8xs you are naming their nationalit . If you study these soieties sociologocally as science you will find all these societies are deeply divided in super section, upper section, upper middle section, midium middle section, lower middle section, lower section, they do marrige in their social copatible section only .
Bahut sateek prashn hai😂
European are from Bhoota, Preta, Pishacha Yonis. The name "Britain" comes from (प्रेतानि)
ऐतिहासिक तौर पर कायस्थ अछूत रहे है हमेशा से लेकिन इस्लामिक शासन और मुख्य तौर पर अंग्रेजों का शासन काल का सबसे अच्छा इनलोगों ने इस्तेमाल किया और खुद को सामाजिक तौर पर ऊपर उठाने केलिए शिक्षा का सहारा लिया
Ye kisne kaha ??
अगर कायस्थ अछूत वर्ग से थे, तो उनके प्रति अपार सम्मान होना चाहिए। उन्होंने वंचित वर्ग से होते हुए भी शिक्षा और बुद्धिबल से समाज में उच्च और समर्थ स्थान प्राप्त किया। साथ ही विश्व में भारत का नाम किया और संस्कार और सभ्रांतता की मिसाल क़ायम की। उन्होंने किसी आरक्षण की बैसाखी के दम पर यह सब नहीं किया, अपना मार्ग स्वयं प्रशस्त किया।
चंदेला अभिलेखों से पता चलता है कि 11वीं शताब्दी की शुरुआत में कायस्थ भारत के इस हिस्से में मुख्य जातियों में से एक बन गए थे और के.सी. 800 के रीवा पत्थर के शिलालेख में कायस्थ जाति की उत्पत्ति का एक पौराणिक विवरण मिलता है। एक जाति के रूप में कायस्थों को प्राप्त प्रमुखता एक शिलालेख से स्पष्ट होती है जो इस प्रकार है- ''छत्तीस शहर थे, जो इस तथ्य से शुद्ध थे कि उनमें लेखक जाति के लोग रहते थे (करण-कर्म-निसस्पुत) और अधिक (अन्य शहरों की तुलना में) बहुत आराम से संपन्न थे। उनमें से सबसे उत्कृष्ट, जिसे देवताओं का निवास माना जाता था, तक्कारिका था, जो ईर्ष्या का विषय था... (और) इस (शहर) में, जिसे (छात्रों की) भीड़ ने वेदों के मंत्रों से गुंजायमान कर दिया था, वस्तव्य परिवार में वे कायस्थ पैदा हुए थे जिनकी ख्याति हंसों की तरह सफेद होकर सभी दिशाओं को प्रकाशित कर रही थी।" यह शिलालेख दर्शाता है कि कायस्थ, क्षत्रियों की तरह, अपनी जाति से भी अधिक अपने परिवारों पर गर्व करते थे; और परमार्दी के एक अनुदान में, लेखक अपनी जाति का उल्लेख किए बिना खुद को वस्तव्य वंश का सदस्य कहता है। जाहिर तौर पर उन्हें बुद्धिजीवियों का एक वर्ग माना जाता था, जो प्राचीन पुस्तकों के ज्ञान के अलावा, नागरिक प्रशासन की कला जानते थे।
Bhai lekin written history to kuch aor keh rhi h, yaha toh Kayasthon k gharo me Ved ka uchcharan ho raha h, toh achhut kese hue ya Shudra kese hue bhai history bhi padhe , kewal dhongi Brahmin ki likhi kitabo k ilawa
@@voicesms इस अभिलेख में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि वास्तव्य कायस्थ छात्र वेद मंत्रों का पाठ करते हैं, जो कायस्थों के ब्राह्मण मूल के बारे में एच.एस. सिन्हा के दृष्टिकोण को उचित ठहराता है।
स्रोत: चंदेल शिलालेखीय अभिलेख दर्शाते हैं कि 11वीं शताब्दी की शुरुआत तक, कायस्थ इस क्षेत्र में प्रमुख जातियों में से एक बन गए थे, और के.सी. 800 की रीवा शिला लेख में कायस्थ जाति की उत्पत्ति का एक पौराणिक विवरण दिया गया है। एक अभिलेख से यह स्पष्ट होता है कि कायस्थ जाति ने जो प्रमुखता प्राप्त की थी, वह इस प्रकार से उल्लेखित है- “छत्तीस नगर थे, जो लेखक जाति के लोगों के निवास से पवित्र हो गए थे (करण-कर्म-निसास्पुट) और अन्य नगरों की अपेक्षा अधिक सुख-समृद्धि से संपन्न थे। उनमें सबसे उत्कृष्ट, जिसे देवताओं का निवास माना गया था, वह तक्करिका था, जो ईर्ष्या का कारण बना.....और इस (नगर) में, जो छात्रों की भीड़ से वेदों के मंत्रों के पाठ से गूंज रहा था, वहां वास्तव्य परिवार में उन कायस्थों का जन्म हुआ, जिनकी ख्याति ने सभी लोकों को हंसों की तरह उज्ज्वल कर दिया, दिशाओं को आलोकित किया।” यह अभिलेख दर्शाता है कि कायस्थ, क्षत्रियों की तरह, अपनी जाति की तुलना में अपने परिवारों पर अधिक गर्व करते थे; और परमार्दी के एक अनुदान में, लेखक ने अपने जाति का उल्लेख किए बिना खुद को वास्तव्य वंश का सदस्य कहा है। वे स्पष्ट रूप से एक बुद्धिजीवी वर्ग माने जाते थे, जो प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान रखने के साथ-साथ नागरिक प्रशासन की कला में भी निपुण थे।
Abe murkh kayasth agar achhoot the to itne budhimaan kaise ho gaye lagta hai tu hi shudra varna se ho bramha ki kaya se janm liya tabhi kayasth naam pada chalo ye puran ki baat hai kaun hai jo kayasth se uncha hai viswa me jara mujhe bata vivekanand mahadevi verma premchand dr Rajendra prasad lal bahadur shastri abhi to ye kuch naam hai kayasth wah hai jinke charano par kamal ka phool brahman rakhkar pooja karte hain kewal kayasth hi hai jinki brahman pooja karte hain pahle ja padl likh fir aana
Guruji Can you please confirm/quote the SOURCE of this Story about "Bramhans telling Swami ji, that he cannot take sanyas because he is not a Bramhan" 12:30
Guru ji is no more now, he passed away a couple of years back.
योद्धा सन्यासी नाम से एक पुस्तक है जो स्वामी विवेकानंद जी की जीवनी पर आधारित है ।। उसमे ये सब स्पष्ट रूप से लिखी है ।। लेकिन उसमे ये लिखा है की उस समय के कुछ ब्राह्मण जिनको अपने ज्ञान का अंहकार था ओर जो खुद भी अपने कुल परंपराओ का पालन नही करते थे ओर विवेकानंद जी से वैरभाव रखते थे ।। उन्होने विरोद्ध किया था ओर ऐसे ही ब्राहमणो को विवेकानंद जी ने अपनी जाति का प्रमाण दिया था ।। उसके बाद ही विवेकानंद जी ने विश्व धर्म संसद शिकागो मे हिंदू धर्म का डंका बजाया था
Vivekananda letters mentioned that incident.
Read his book, " Yuvkon ke prati". He told his experience in his famous Madras speech.
@@maheshgoswami8508 Thank you for informing... My respect and condolences 🙏
डार्विनवाद के सिद्धांत धरा का धरा रह गया! 🎉😂
😂😂😂😂😂
जय गुरुदेव
नमस्कारम, मैं सर से मिलकर कुछ जरुरी विषय पर जानकारी लेना चाहती हूँ | कृप्या बताइये कि कब बात हो सकती है? धन्यवाद 🙏
@@sonupandey1342 इस अभिलेख में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि वास्तव्य कायस्थ छात्र वेद मंत्रों का पाठ करते हैं, जो कायस्थों के ब्राह्मण मूल के बारे में एच.एस. सिन्हा के दृष्टिकोण को उचित ठहराता है।
स्रोत: चंदेल शिलालेखीय अभिलेख दर्शाते हैं कि 11वीं शताब्दी की शुरुआत तक, कायस्थ इस क्षेत्र में प्रमुख जातियों में से एक बन गए थे, और के.सी. 800 की रीवा शिला लेख में कायस्थ जाति की उत्पत्ति का एक पौराणिक विवरण दिया गया है। एक अभिलेख से यह स्पष्ट होता है कि कायस्थ जाति ने जो प्रमुखता प्राप्त की थी, वह इस प्रकार से उल्लेखित है- “छत्तीस नगर थे, जो लेखक जाति के लोगों के निवास से पवित्र हो गए थे (करण-कर्म-निसास्पुट) और अन्य नगरों की अपेक्षा अधिक सुख-समृद्धि से संपन्न थे। उनमें सबसे उत्कृष्ट, जिसे देवताओं का निवास माना गया था, वह तक्करिका था, जो ईर्ष्या का कारण बना.....और इस (नगर) में, जो छात्रों की भीड़ से वेदों के मंत्रों के पाठ से गूंज रहा था, वहां वास्तव्य परिवार में उन कायस्थों का जन्म हुआ, जिनकी ख्याति ने सभी लोकों को हंसों की तरह उज्ज्वल कर दिया, दिशाओं को आलोकित किया।” यह अभिलेख दर्शाता है कि कायस्थ, क्षत्रियों की तरह, अपनी जाति की तुलना में अपने परिवारों पर अधिक गर्व करते थे; और परमार्दी के एक अनुदान में, लेखक ने अपने जाति का उल्लेख किए बिना खुद को वास्तव्य वंश का सदस्य कहा है। वे स्पष्ट रूप से एक बुद्धिजीवी वर्ग माने जाते थे, जो प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान रखने के साथ-साथ नागरिक प्रशासन की कला में भी निपुण थे।
Please share the link to buy the book?
Actually there are other Brahmin communities as well that don't eat shradha food or participate in death ceremonies. My community of Mathur (meaning originating from Mathura) Chaturvedi Brahmins or Choubeys of Mathura are one such example.
सिंनहा साहब क्या कायस्थ थे।
@@maheshlal56 ji
That’s obvious from his narration😂
@@tsunamiotoko6321 इस अभिलेख में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि वास्तव्य कायस्थ छात्र वेद मंत्रों का पाठ करते हैं, जो कायस्थों के ब्राह्मण मूल के बारे में एच.एस. सिन्हा के दृष्टिकोण को उचित ठहराता है।
स्रोत: चंदेल शिलालेखीय अभिलेख दर्शाते हैं कि 11वीं शताब्दी की शुरुआत तक, कायस्थ इस क्षेत्र में प्रमुख जातियों में से एक बन गए थे, और के.सी. 800 की रीवा शिला लेख में कायस्थ जाति की उत्पत्ति का एक पौराणिक विवरण दिया गया है। एक अभिलेख से यह स्पष्ट होता है कि कायस्थ जाति ने जो प्रमुखता प्राप्त की थी, वह इस प्रकार से उल्लेखित है- “छत्तीस नगर थे, जो लेखक जाति के लोगों के निवास से पवित्र हो गए थे (करण-कर्म-निसास्पुट) और अन्य नगरों की अपेक्षा अधिक सुख-समृद्धि से संपन्न थे। उनमें सबसे उत्कृष्ट, जिसे देवताओं का निवास माना गया था, वह तक्करिका था, जो ईर्ष्या का कारण बना.....और इस (नगर) में, जो छात्रों की भीड़ से वेदों के मंत्रों के पाठ से गूंज रहा था, वहां वास्तव्य परिवार में उन कायस्थों का जन्म हुआ, जिनकी ख्याति ने सभी लोकों को हंसों की तरह उज्ज्वल कर दिया, दिशाओं को आलोकित किया।” यह अभिलेख दर्शाता है कि कायस्थ, क्षत्रियों की तरह, अपनी जाति की तुलना में अपने परिवारों पर अधिक गर्व करते थे; और परमार्दी के एक अनुदान में, लेखक ने अपने जाति का उल्लेख किए बिना खुद को वास्तव्य वंश का सदस्य कहा है। वे स्पष्ट रूप से एक बुद्धिजीवी वर्ग माने जाते थे, जो प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान रखने के साथ-साथ नागरिक प्रशासन की कला में भी निपुण थे।
@@tsunamiotoko6321 केवल पौराणिक कथाएं ही न पढ़ें, इतिहास भी पढ़ें 😂
Brahma ke pass char sir the to charo varno ko charo sir se paida kar diye hote to unch nich ka bhedbhav samaj me nahi hota. Iska matlab soch samajhkar ek dusre ko upar niche karne ke liye hi char ango se varno ka nirman karvaya Gaya yah Sochi samjhi sajish hai..
यह आपका गैरसमज है । शरीर का कोईभी अंग उच या निच नही होता, बल्की विभिन्न कार्य के लिये विभिन्न अंग होते है।क्या अगर किसिको पैर न होते तो वह पुर्ण होता है? अपंग समाज भी क्या सुदृढ हो सकता है? जैसे शरीरके अंग होते है वैसे समाज भी विभिन्न अंग से बनता है ,और इसमें सभीका योगदान आवश्यक होता है।
दुसरी बात वर्ण व्यवस्था जनमपर निर्भर नहोती थी बल्की व्यक्तीके गुण और रूचीपर होती थी ।
अब यह मनुष्यकी कमजोरी है की अपना अधिकार बनाये रखने कारण वह ऐसे विकृती निर्माण करता है ।वैसेही राजकीय मानसिकता कारण यह हुआ है।कास्ट या जाती हमारी सनातन परंपरा नही है।
Ghanta
@@BasantKumar-bk3bg have you undersood mystry of god? Bramhaji aapse puch kar aapke anusar kam karte?
@@madhurichaubal5439Apki bat se poori tarah sahmat hun.
कायस्थ कदापि ब्राह्मण नहीं है कोई शास्त्र प्रमाण नहीं है। क्षत्रिय के मूल (क्षत्रिय) मंत्री पुत्र हैं, संदर्भ- सामवेद परिशिष्ट का राजन्य सूक्त। राजसेवा में सब स्मृतियों के मत से शूद्रत्व है ही नहीं। भगवान् श्री चित्रगुप्त देव स्वयं चौदहवें यम हैंं।
वेद और धर्मसूत्र ही सामाजिक व्यवस्था में वर्ण धर्म तथ धर्म धारणायें निश्चित करती है। ये पुराण की बात कर रहे है उसकी मान्यता नही ।
Kayastha par video jaldi release kare.
Mahoday aapki is 11:33 baat se bilkul bhi sahmat nhi hu...Panchal yaani ki Vishwakarma jaati Bhi Devta ki santan hai...Bhgwan Vishwakarma ke Tapobal se prakat kiye hue 5 putro se ye vansh chla Manu,Maya,Twashta,Shilpi,Daivgya Brahmrishi se... Aapke channel pr hi Shri RamSharan Yuyutusu ji ke video me is baare me Achse se shodh kra gya h...
कायस्थ समाज की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाले ।
उत्तर प्रदेश में एक कायस्थ मुख्यमंत्री के जमाने में सारी सरकारी नौकरियां कायस्थों को ही उपलब्ध करा दी थी यही उपलब्धि है (गुरु जी ने जिन चौदह हजार लेखपालों की नौकरी का जिक्र किया है उसी समय की बात है)
@@maheshgoswami8508मतलब इतना दम था उस कायस्थ मुख्यमंत्री मे जिसने 14000 के 14000 पद कायस्थो को दे दिए ओर गैर कायस्थ समुदाय ने कोई विरोद्ध ही नही किया ,,
@@maheshgoswami8508कायस्थ समाज की उपलब्धिया खुद स्वामी विवेकानंद जी ( कायस्थ ) ने बता रखी है पूरे देश को ।।।
@@Mandirwala_1992Because other castes did not have the requisite qualification. It's as simple.
वह रे विद्वान ऐसा झूठा वक्तव्य आज तक नहीं सुना झूठ ऐसा भी होता है जो मन में आया सो बोल दिया
Hnn भोस्डम्डीके तू ही सबसे बड़ा ज्ञानी है
चंदेला अभिलेखों से पता चलता है कि 11वीं शताब्दी की शुरुआत में कायस्थ भारत के इस हिस्से में मुख्य जातियों में से एक बन गए थे और के.सी. 800 के रीवा पत्थर के शिलालेख में कायस्थ जाति की उत्पत्ति का एक पौराणिक विवरण मिलता है। एक जाति के रूप में कायस्थों को प्राप्त प्रमुखता एक शिलालेख से स्पष्ट होती है जो इस प्रकार है- ''छत्तीस शहर थे, जो इस तथ्य से शुद्ध थे कि उनमें लेखक जाति के लोग रहते थे (करण-कर्म-निसस्पुत) और अधिक (अन्य शहरों की तुलना में) बहुत आराम से संपन्न थे। उनमें से सबसे उत्कृष्ट, जिसे देवताओं का निवास माना जाता था, तक्कारिका था, जो ईर्ष्या का विषय था... (और) इस (शहर) में, जिसे (छात्रों की) भीड़ ने वेदों के मंत्रों से गुंजायमान कर दिया था, वस्तव्य परिवार में वे कायस्थ पैदा हुए थे जिनकी ख्याति हंसों की तरह सफेद होकर सभी दिशाओं को प्रकाशित कर रही थी।" यह शिलालेख दर्शाता है कि कायस्थ, क्षत्रियों की तरह, अपनी जाति से भी अधिक अपने परिवारों पर गर्व करते थे; और परमार्दी के एक अनुदान में, लेखक अपनी जाति का उल्लेख किए बिना खुद को वस्तव्य वंश का सदस्य कहता है। जाहिर तौर पर उन्हें बुद्धिजीवियों का एक वर्ग माना जाता था, जो प्राचीन पुस्तकों के ज्ञान के अलावा, नागरिक प्रशासन की कला जानते थे।
Bhai agar Ved ka uchcharan hota tha ya koi krta h wuh kewal Brahmin h
@@dineshprasad9923 Chandella epigraphic records indicate that by the beginning of the 11th century, the Kayasthas had become one of the main castes in this part of India, and the Rewa Stone Inscription of K.C. 800 gives a mythical account of the origin of the Kayastha caste. The prominence gained by the Kayasthas as a caste is evident from an inscription which runs as follows-‘’There were thirty six towns, purified by the fact that men of the writer caste dwelt in them (Karana-karma-nisasputa)and more (than other towns) endowed with great comfort. Among them the most excellent, thought of as the abode of gods, was Takkarika, an object of envy….. (and) in this (town) which by crowds (of students) was made to resound with the chants of the Vedas, there were born in the Vastavya family those Kayasthas whose fame was filled (and rendered) white like swans all the worlds, illuminging the quarters.” This inscription shows that the Kayasthas, like the Ksatriyas, were even more proud of their families than of their caste; and in a grant of Paramardi, the writer calls himself a member of the Vastavya Vamsa without mentioning his caste. The were apparently regarded as a class of intellectualas, who, besides having knowledge of the ancient books, knew the art of civil administration.
Ghar ki bahi aur Kaka likhne wala , ye kiya brahamno ne . Guruji ka ye video to SWAYAMSIDH h .
Bal Thakre ko kyon bhul gaye ?
Dr. Shanti Swarup Bhatnagar ,
0:40 iss bokk ka kya koi English version hai guruji ?
Muslim shashko dwara kayasto ko padhne likhne ka adhikar diya , yahi karan haiki muslim shashan me ye chhoti 2 naukariyo me aa gaye the anyatha ye shudro me bhi ati shudra varn me aate rahe hai. Shikchha hi wah shashtra hai jo varno me shresth banate hain.
@@MadanSingh-oc2xp origina or fake singh?
Even if it's the case, the kaysth community managed to change their status from shudra to general, and never complained about caste system always respected Brahmans
जिस दिन तुम कायस्थों के बारे में पढ़ोगे रोज सुबह उठ के पर छुओगे वो भी पूरे परिवार और अपने बच्चों को शिक्षा लेने के कायस्थों के पास भेज दोगे
@@MadanSingh-oc2xp kayasth savarn hain eska bahut dukh hai? Kayasth chandragupta maurya and uaske pahale se king dhananand of magadh ke prime minister hote aaye hain, todarmal kayasth the jo akbar ke finance minister the, is liye apni tippani chote chote naukari par dhyan den. Agar aap apani jati batate to turant samajh aa jayega ki aap kaysthon se itna gussa kyo hain. Vase hum kayasth rajaon aur jamindaron ne khabhi bhi aapani raiyaton, aur jano ka soshan nahi kiya hai aur aapni santan man kar unka palan kiya hai.
Muslim kyo denge kayastha ko padhne ke liye. Ye log pahle se hi gyani the aur sc caste ke log 80 sal ke reservation se bhi itna nhi padh paye. Sambhavtah ye phle se hi vidvan the.
ये guru sara मनगढ़ंत कहानी suna rahe hain..jhuth bada bol rahe hain
Was it not Ganesh who wrote?
मुशो फारसी का शब्द है
बात भेद की नहीं है । पर श्रीवास्तव कायस्थ अत्यंत बुद्धिमान हैं ।
Ramayan ya mahabharat kaal me kahan they kayastha
@@ashishsingla9992 aapke jati ka ramayan mahabharat me kanha ullekh hai aapni jati batate huye page no bhejane ki kripa karenge.
अगर पूरी दुनिया का लेखा जोखा भगवान चित्रगुप्त जी रखते है तो दुनिया मे दुसरे धर्म भी है क्या उनका लेखा जोखा भी चित्रगुप्त जी रखते है???
Jo parbachan de the hai kya kayasth hai?
Haan vah Kayasth hain.
पाखंड कथा।
Funny origins : How preaching and propagating
Ok if it's funny, what about the origin of others? Are they scientific and based on tangible proof?
Sir dr himmat singh sinha sir kayastha hai ki kshatriya hai
Please bataye
Sir batayiye
ब्रहामण + क्षत्रिय = कायस्थ ( ब्रहमक्षत्रिय )
♥️🙏🚩🇮🇳