उत्तराखंड में क्यों सबसे अहम है ढोल? Nand Kishore Hatwal | Baramasa Podcast

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  • Опубліковано 28 січ 2025

КОМЕНТАРІ • 132

  • @devenkoranga4204
    @devenkoranga4204 3 місяці тому +25

    हमारे समाज का, हमारे संस्कृति का,उत्तराखंड के धार्मिक व्यस्था का एक महान हिस्सा ढोल और ढोल वादक है पर हमने कभी इनकी अर्थिक रूप से और सामाजिक रूप से साथ नही दिया और उत्तराखंड के कई हिस्सों में अब विलुप्त हो रहा है।

    • @surendrasinghgusain874
      @surendrasinghgusain874 3 місяці тому

      सर जी ढोल बादन या ढोल के बारे मे जानकारी तभी सम्भव है जब तक ढोल सागर का अध्ययन न किया हो ढोल सागर पहले अलिखित था कारण शिक्षा न थी जब से शिक्षित हुये तभी से ढोल सागर के रागो शब्दो को लिखा गया ढोल सागर की शिक्षा के लिए प्रयास हो तभी जातिगत भेदभाव मिटेगा अब तो नयी पीढी पुरानी सोच से बाहर है

    • @UttarakhandLokVirasat
      @UttarakhandLokVirasat 3 місяці тому

      Sir , Uttarakhand Lok Virasat trust ढोल और ढोल वादकों की आर्थिक और सामाजिक रूप से मदद करता है । इसके साथ ही हम उत्तराखंड की संस्कृति बचाने के लिए भी काम करते है ।

  • @BimlaRawat-c1k
    @BimlaRawat-c1k 3 місяці тому +9

    भुला कोटियाल , आप उत्तराखंड की संस्कृति के प्रति जो प्रेम और जागरूकता का कार्य कर रहे हैं , वह एक अत्यंत सराहनीय है। ऐसे पोडकास्ट से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ऐसे विषयों की जानकारियां उपलब्ध होती हैं। एक बार पुनः आपको इस जन जागरण के लिए साधुवाद। मैं लुप्त होती स्थानीय सामुहिक लोकगीत जो सर्दियों के समय जब उत्तराखंड में खेती का कार्य कम होता था तो गांव की महिलाएं, गांव के प्लान के आंगन (थाड) में पैरों की थाप के साथ गातीं थी , उस पर भी एक विस्तृत पोडकास्ट प्रसारित करें। धन्यवाद

  • @kanchanjadlilati
    @kanchanjadlilati 3 місяці тому +9

    Dr. Nand Kishor Hatwal ji ki baton ko to ghanta suna ja sakta hai. Thanku inke sath podcast banane k liye.
    Hatwal ji teacher, writer, play writer, poet, painter hain.

  • @salonisingh9832
    @salonisingh9832 3 місяці тому +15

    श्रीमान जी हर कोई टीवी पर वीडियो पर तो ढोल वादक "औजी" के सम्मान की बात करता है
    परंतु वर्तमान में भी उन देवदूतों की साथ पशुओं जैसा ही व्यवहार होता है यही कारण है की एक औजी कभी नहीं चाहता की वही पशु व्यवहार उसकी अगली पीढ़ी के भी साथ हो
    जात पात का भेद खत्म करने पर ही इस समस्या का समाधान हो सकता है
    जय बद्री विशाल जय उत्तराखंड
    जय हिन्द 🚩🚩🚩🚩

  • @ShriRamS-t9b
    @ShriRamS-t9b 3 місяці тому +3

    बहुत ही सुंदर ब्याख्या, श्री हटवाल जी द्वारा, बरामासा को भी बहुत बधाई जो आपने इस इस विषय को चर्चा के लिए चुना

  • @sawanrawat03
    @sawanrawat03 3 місяці тому +17

    जय देवभूमि उत्तराखंड ❤🙏
    जय हो भूमियाल देवताओ की, जय हो ३३ कोटि देवताओ की
    जय रावल देवता
    जय माँ हरियाली
    जय हो पांडव देवता
    जय हो बगद्वाल देवता
    जय हो नो बेनी अचेरी बारा बेनी भ्रानी
    जय बद्री जय केदार जय गंगोत्री जय यमुनोत्री
    जोशीमठ मा नर्शिंग बाबा को ध्यान जाग
    पंच पांडवो को ध्यान जाग
    पंच प्रयागो को ध्यान जाग
    पंच केदार को ध्यान जाग
    पंच बद्री सप्त बद्री को ध्यान जाग
    ढोल दमो हमारी संस्कृति का एक मूल स्वरूप है🙏
    जय हो केदारखंड
    जय हो मानस खण्ड 🙏

  • @Deepchander-x8e
    @Deepchander-x8e 3 місяці тому +2

    Ati sundar🌹🙏🙏

  • @pankajpurohit8639
    @pankajpurohit8639 3 місяці тому +4

    Guruji ko koti koti pranam

  • @pradeepsingh-fs8nt
    @pradeepsingh-fs8nt 3 місяці тому +2

    इससे बेहतर कुछ हो नहीं सकता.. आदरणीय गुरु नन्द किशोर हटवाल जी जैसे विद्वान का साक्षात्कार आपने लिया..इसके लिए बारामासा का धन्यवाद ❤🎉

  • @Yogesh_pandey.04
    @Yogesh_pandey.04 3 місяці тому +9

    हमारा कल्चर और सांस्कृतिक विरासत है ढोल❤ कुमाऊं और गढ़वाल की शान है ढोल ❤ पहाड़ी एकता की पहचान है ढोल❤ उत्तराखंड का सम्मान है ढोल❤ आपका बहुत आभार कि आपने हमारी संस्कृति और धरोहर को एक मंच पर संजोने का काम किया हैं

    • @Jakhoniofficialyt
      @Jakhoniofficialyt 3 місяці тому +3

      सर फिर ढोल बजाने वाले को क्यों सम्मान नहीं मिलता है

    • @Devesh-z6c
      @Devesh-z6c 3 місяці тому +1

      ​😂😂 chup reh bhai aishi achut baatein mat kr ​@@Jakhoniofficialyt

    • @mr.nickey8517
      @mr.nickey8517 3 місяці тому

      ​@@Devesh-z6cthoda aukat m bol le neele kabootar

    • @AbhinavSingh-vl6ok
      @AbhinavSingh-vl6ok 3 місяці тому +1

      ​@@Devesh-z6cbhai galat baat hai ye

    • @Devesh-z6c
      @Devesh-z6c 3 місяці тому +1

      @@AbhinavSingh-vl6ok sahi baat bata fir

  • @jaswantsinghbisht9369
    @jaswantsinghbisht9369 3 місяці тому +5

    शैक्षिक विकास, यातायात की सुगमता और कृषि से विमुखता ने हमारी आंचलिक संस्कृति को कमजोर करके विलुप्ति की कगार पर पहुंचाने में प्रमुख भूमिका निभाई है। जैसे जैसे हम कृषिकर्म से विमुख हुए या कृषि पर हमारी निर्भरता कम हुई वैसे वैसे हमारी संस्कृति क्षीण होती चली गई।

  • @harishdholjagar2808
    @harishdholjagar2808 3 місяці тому +3

    डा नंदकिशोर हटवाल जी के द्वारा बहुत अछा ढोल सागर के लिए कह गये शब्द अति सुन्दर कथन है 🙏🏻 ढोल और ढोली को दोनों बचना जरूरी है हमारे हर मठ मंदिरों मे एक ढोली को नियुक्त किया जाय ढोली समुदाय से तब जा के नयीं पिढी इसमे रुचि रखेगी जरुर संज्ञान ले 🙏🙏🙏

  • @sushilkothari3167
    @sushilkothari3167 3 місяці тому +4

    प्रसिद्ध लेखक विद्या सागर नौटियाल जी ने भी उत्तराखण्ड संस्कृति-कला बहुत शोध किया है। उत्तराखंडी संस्कृति और ढोल सागर पर विस्तृत जानकारी देने हेतु बारामासा टीम का और श्री हटवाल जी का बहुत आभार।

  • @uttrakhandfirst
    @uttrakhandfirst 3 місяці тому +3

    "Waow Baramasa.."
    विलक्षण प्रतिभा के धनी श्री हटवाल जी को बुलाने के लिए आपका धन्यवाद...
    इनकी एक वीडियो नंदा देवी राज़ जात पर भी आनी चाइये जिसपे जबकि रिसर्च है और चारधाम के आर्थिक महत्व पर भी..
    इनकी कविता "बोये जाते हैं बेटे और उग आती हैं बेटियां" अपने आप में एक क्रांति के समान है..
    धन्यवाद Baramasa.. ❤🙏🙏

  • @YourHommiiSLive
    @YourHommiiSLive 3 місяці тому +2

    Sir nand kishore hatwal ji huge respect to you the way you explained and the respect you gave to the people dhol vadhak of uttarakhand i hope everyone have this kind of thinking in uttarakhand soon 🙏

  • @pahadidagdiya1998
    @pahadidagdiya1998 3 місяці тому +6

    अगर मैं बोलू की मुझे पंजाबी ढोल सीखना है। तो कोई ना कोई मुझे सिखा देगा। लेकिन अगर मैं बोलूँ की मुझे ढोल दमाऊ सीखना है। तो मुझ पर हँसेंगे और मुझ को और मेरी सोच को छोटा समझा जाएगा।
    कला किसी जाति या बिरादारी की मोहताज नहीं होती।

    • @yogeshpandey3443
      @yogeshpandey3443 3 місяці тому

      Ek dhol academy ki shuruwat ki thi Pritam bhartwan ji ne dehradun me 1-2 saal pehle, usme sikh sakte ho

    • @pahadidagdiya1998
      @pahadidagdiya1998 3 місяці тому

      @@yogeshpandey3443 hem look kala kendra ke naam s
      Pr vo bhi jada improve wali nahi hai

  • @SheetalNautiyal-dc8ws
    @SheetalNautiyal-dc8ws 3 місяці тому +4

    बहुत अच्छा वार्तालाप,
    कृपया इस प्रकार के वीडियो और लाइए!
    बारहमासा का सह धन्यवाद!!⭐⭐⭐⭐⭐

  • @bahugunabandhuofficial
    @bahugunabandhuofficial 3 місяці тому +4

    ढोल जैसे वाद्ययंत्र के विस्तृत जानकारी के लिए आदरणीय हटवाल जी के समकक्ष कोई ढोली ही बता पायेगा यह बड़ा मुश्किल है, बड़ं क्षेत्र के मनीषियों में अग्रणीय व्यक्तिव सादर नमन....

  • @gobindchauhan8057
    @gobindchauhan8057 3 місяці тому +2

    Bahut hi sundar, aap dono ka dhaniyavad

  • @ManverSinghRawat-cc7rn
    @ManverSinghRawat-cc7rn 3 місяці тому +3

    Baramasa is doing well keep it up wishing you a very very Happy future 🎉🎉🎉🎉🎉 Jai Badri Vishal

  • @Surajjakhwal
    @Surajjakhwal 3 місяці тому +7

    जिस उत्तराखंड की संस्कृति को ढोल वादकों ने जिंदा रखा है।।उन लोगों के साथ आज भी जातिगत भेदभाव होता है।।।शासन को इस पर सोचना चाहिए।।

    • @yogendrachand78
      @yogendrachand78 3 місяці тому

      वे हमारी संस्कृति के वाहक हैं लेकिन सबसे अधिक उपेक्षित हैं। यही कारण है कि उत्तराखंड अपनी संस्कृति खो रहा है, इस प्रकार पैदा हुए शून्य को मैदानी इलाकों और दक्षिणी भारत के काल्पनिक देवताओं द्वारा भरा जा रहा है

  • @Rahul.Rawat.
    @Rahul.Rawat. 3 місяці тому +8

    बारामासा के द्वारा बहुत अच्छा प्रयास किया जा रहा है। उत्तराखंड के हर छोटी-छोटी बातों को , मान्यताओं को परम्पराओं के बारे मे बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। उम्मीद है कि आगे भी इसी तरह नये - नये चीज़ों से हमें अवगत कराया जाएगा।

    • @sandeeprwt300
      @sandeeprwt300 3 місяці тому +1

      दर्शको और युवाओं का प्यार टीम बारामासा के साथ यूँही बना रहो तो ❤

  • @VinodSingh-fu9oc
    @VinodSingh-fu9oc 3 місяці тому +2

    Bhaut accha laga ji hamari dev bhomi

  • @NainRam-sn5id
    @NainRam-sn5id 3 місяці тому +4

    अच्छी जानकारी मिली । आगे भी जारी रहे

  • @ajayrawat725
    @ajayrawat725 3 місяці тому +6

    हमारी संस्कृति हमारी पहचान❤❤
    जय देवभूमि उत्तराखंड ❤

  • @Rawat04729
    @Rawat04729 3 місяці тому +5

    Jai devbhumi uttarakhand ❤❤❤❤❤

  • @ashishrawat8527
    @ashishrawat8527 3 місяці тому +2

    Thankyou baramasa❤🙂

  • @sachinchauhan8271
    @sachinchauhan8271 3 місяці тому +3

    Beautiful
    Next videos mai sare culture uttarakhand k.. Unn par baatchit

  • @sohanchauhan1991
    @sohanchauhan1991 3 місяці тому +2

    बहुत सुंदर एपिसोड की शुरुआत 👏👏
    बधाई बारामासा टीम💐💐👏👏

  • @nomadakki929
    @nomadakki929 3 місяці тому +2

    बहुत ही अच्छा लगा ये विडियो देख कर। आज जब अपने परिवार के ग्रुप में ये विडियो साझा किया तो मालूम पड़ा कि आपके आज के ब्लॉग में जो अतिथि हैं,मेरे पिताजी के कॉलेज मेट रहे हैं गोपेश्वर में, फिर बाद में ताऊजी के साथ छिनका में भी कार्यरत रहे है।

  • @vipinrawatgarhwali274
    @vipinrawatgarhwali274 3 місяці тому +2

    बहुत सुंदर सर जी, हटवाल जी के द्वारा संक्षिप्त में जानकारी के लिए आपका आभार 🙏🙏

  • @AbbalSingh-rf3mx
    @AbbalSingh-rf3mx 3 місяці тому +3

    बहुत बहुत धन्यवाद कोटियाल जी ढोल सागर से जरूर करें हटवाल जी के साथ

  • @prembhadri5650
    @prembhadri5650 3 місяці тому +2

    Nice team baramasa😊

  • @YourHommiiSLive
    @YourHommiiSLive 3 місяці тому +10

    ढोल सागर किसी व्यक्ति या समाज को मनोरंजन करने के लिए नहीं बनाया गया था तब अंग्रेजों के राज एवं गोरखों के राज में उत्तराखंड के ढोल सागर की विद्या रखने वाले समाज पर अत्याचार हुए और देवी देवताओ को उजागर करने की सिद्धि को मनोरंजन में बदल गया | लेकिन आज कुछ महान लोग इस ग्रंथ को इस सिद्धि को जीवित रख रहे हैं जिनका एक नाम डॉक्टर श्री प्रीतम भरतवाण जी हैं | पांडवाज़ एक लोक बैंड है जिस कल| को ब्राह्मण युवक प्रदर्शित कर रहे हैं वह उच्च जाति के होकर नीचा काम कर रहे हैं मेरा कहने का तात्पर्य बस यहीं है शास्त्र की विद्या रखने वाले समाज इज्जत मिलनी चाहिए|

    • @jaydewbhumiuk5717
      @jaydewbhumiuk5717 3 місяці тому

      महोदय एक तो आप ढोल वादको का सम्मान कर रहे हैं और एक बात बोल रहे हैं कि ब्राह्मण युवक उच्च जाति के होकर नीच काम कर रहे हैं

    • @InfiniteExpressions-q5i
      @InfiniteExpressions-q5i 2 місяці тому

      "उच्च जाति होकर नीचा काम कर रहे हैं"
      यही जो नीचा है, पतन की और ले जाएगी,
      थोड़ा सोच बदलिए मान्यवर "नीच जाति" तो होती नहीं लेकिन , नीच मानसिकता जरूर होती है, जो आपके शब्दों के गर्भ में छुपा है....
      यही ढोल विद्या जानने वाला शिल्पकार समाज ही उत्तराखंड संस्कृति का स्तंभ है, जिस दिन वह भी आपके इस नजरिए से देखेगा की ढोल बजाना "नीच जाति" का काम है, उस दिन फ़िर समझ लेना ये जो "संस्कृति " है ,थी में सिमट कर रहेगी,

  • @jaswantsinghbisht9369
    @jaswantsinghbisht9369 3 місяці тому +4

    हमारा औजी अपने ढोल के माध्यम से देवता को किसी व्यक्ति के शरीर में अवतरित कर देता है, अब इससे बड़ा कार्य भला कोई और क्या हो सकता है। जातिवाद को एक तरफ रख दिया जाय तो हमारी संस्कृति में ढोल भी पूजनीय है और औजी भी पूजनीय है।

  • @sohansinghaswal698
    @sohansinghaswal698 3 місяці тому +3

    बहुत सुंदर जानकारी दी है Hatwalji ne🎉🎉🎉🎉🎉 बहुत सुन्दर कोशिश..your all volgs are superb 🎉🎉🎉

  • @BalvirSingh-de4be
    @BalvirSingh-de4be 3 місяці тому +2

    🙏🙏🙏❤❤ ढोल दमोह जो है हमारे देवी देवताओं नाचते हमारे दिल देखते इनके बिना हमारा दिल देखते नाचते नहीं है

  • @rover9839
    @rover9839 3 місяці тому +2

    Appreciate work dadaji

  • @pahaditalkculture8461
    @pahaditalkculture8461 3 місяці тому +4

    धन्यवाद बारहमासा का नंदकिशोर हटवाल जी के साथ अगला कार्यक्रम में आप चमोली में पूजे जाने वाले दो भाईयों सिधवा और विधवा के बारे में पूछ सकते हैं इस पर एक पूरा एपिसोड हो सकता है

    • @roms7626
      @roms7626 3 місяці тому

      Sidhua and bidhua are not only worshipped in Chamoli but in other regions of Garhwal as well

    • @pahaditalkculture8461
      @pahaditalkculture8461 3 місяці тому

      @@roms7626 जी सही कहा आपने मैं इस बारे में अपने इंस्टाग्राम चैनल पर और फेसबुक चैनल पर लिखा भी है
      उत्तराखंड संस्कृतिक रूप से एक विशिष्ट क्षेत्र है यह पर कई लोक कथाएं हैं जिनमें से एक कहानी है दो भाइयों सिदुध्वा और बिदुध्वा की जो गढ़वाल कुमाऊं को जोड़ने का काम करती है गंगू रमोला और भगवान श्रीकृष्ण की कहानी तो हम सब ने सुनी है गंगू रमोला जो नागवंशी राजा थे जिन्होंने उत्तराखंड के प्रसिद्ध सेममुखेम मंदिर का निर्माण करवाया यह उन्हीं के पुत्र थे दोनों भाईयों को गढ़वाल, कुमाऊं और पैनखण्डा क्षेत्र तक में पूजा जाता है
      यही नहीं इनकी कहानियां हमें नेपाल तक में दिखाने को मिलतीं है जहां इनका पूजन नाग सिद्धो या सिद्धनाथ के रूप में किया जाता है
      लगभग हर जगह इनकी कहानियां एक जैसी है जागरो में कहीं कहीं इनको गुरु गोरखनाथ का शिष्य भी बताया जाता है इनके वन देवियों अछारियो द्वारा हरण की कुछ कहानियां भी है
      उत्तराखंड में सिध्वा और बिध्वा रमोला 2 भाइयों को किसानों पशुपालकों और भेड़पालको क देवताओं के रूप में पूजा जाता है। उत्तराखंड में सिधवा विधवा की गाथा प्रचलित है इनके पिता का नाम गंगू रमोला था और मां का नाम मैणा था इनका संबंध नागवंशी राजाओं से बताया जाता है इसलिए प्रचलित गाथा को नाग सिध्वा की गाथा के नाम से भी जाना जाता है प्रचलित गाथाओं में सिध्वा बिध्वा भाइयों को भेड़ पालक बताया जाता है अपनी असीम देवी शक्तियों के कारण कृषक और पशु चारक समाज में इन्हें देवता के रूप में पूजा जाता है उत्तराखंड में नाग सिध्वा की गाथा गायन एवं गाथा नृत्य की परंपरा है इस गाथा नृत्य को परंपरागत पूजा पद्धति एवं पूजा प्रक्रिया भी माना जाता है।

    • @Virendra139
      @Virendra139 3 місяці тому

      ​@@roms7626also in Pithoragarh

    • @praveensinghnegi7470
      @praveensinghnegi7470 3 місяці тому

      Sidhwa or vidhwa gangu ramola ke bete hai, jinka janm tehri garhwal ke pratap nagar chetra me huwa hai, gangu ramola ramoli gadh ke raja theey, ramola wansh ki shuruwat inhi se hai,

  • @sarojrawat5324
    @sarojrawat5324 3 місяці тому +1

    बहुत ही सुन्दर विषय पर आपका ये प्रोग्राम ,किंतु धोलवाडको के परिश्रमिक का जहा तक सवाल है,ये सत्य नही है, वे लोग खुद ही तय करते है जितना कहते है उतना दिया जाता है,हमारे यह तो एक शादी में10 से 15 हजार लेते है

  • @ravinderkandari9796
    @ravinderkandari9796 3 місяці тому +2

    As always salute to you sir for your journalism. You are doing a great work for your community. Jai Uttarakhand.

  • @SaahityaPanwar5987
    @SaahityaPanwar5987 3 місяці тому +2

    Very amazing presentation.

  • @Surajjakhwal
    @Surajjakhwal 3 місяці тому +12

    दुःखद आज भी जाति विषेस के लोगों के द्वारा ही ढोल बाजने का कार्य किया जाता है।।और ढोल बाजाने वालों को आज भी समाज का अछूत वर्ग कहा जाता हैं।।।और उन्हें वह सम्मान नही मिलता जिस की वो हक़दार हैं ।।

    • @mr.nickey8517
      @mr.nickey8517 3 місяці тому +1

      Aap bhi dhol bjate h bhai???

    • @Surajjakhwal
      @Surajjakhwal 3 місяці тому +2

      @@mr.nickey8517 नही भाई में तो नही बजाता पर।।जो लोग बाजाते हैं ।।उनके साथ बहुत बड़ा भेदभाव है आज भी समाज मे मैने अपनी आंखों से देखा है ।।और वो लोग आर्थिक रूप से मजबूत न होने के कारण भेदभाव सहते है।।।।।।

  • @surajnegi7829
    @surajnegi7829 3 місяці тому +3

    Dhol wadako ko patti wise apne same tall wise group banana chaiye sir unko bade sangathan banane me madad milegi tabhi har mulk ki taal v jinda rhegi or jan jeewan ke Puja anushthano ka apne riti riwaj v jinda rhega🎉

  • @shivuu__
    @shivuu__ 3 місяці тому +2

    Baramasa doing god's work ❤️ keep growing 💗

  • @Deepakuttarkhandi
    @Deepakuttarkhandi 3 місяці тому +5

    फौजी सीमा की रक्षा करते है/
    और औजी उतराखंड के देवताओं कि सेवा करते है.

  • @himanshu_rwt
    @himanshu_rwt Місяць тому

    अति सुंदर ❤ बारामासा

  • @BharatSingh-fj4vj
    @BharatSingh-fj4vj 3 місяці тому +5

    "डडवार" लेना या देना, "नेग" लेना या देना कोई गलत शब्द नहीं है, पंडित जी भी और औजी भाईयों को दिया जाने वाला अनाज को डडवार ही बोला जाता है,

  • @dineshprasadtiwari9634
    @dineshprasadtiwari9634 3 місяці тому

    जय श्री राम आपके द्वारा किया गया डोल सागर आपके द्वारा

  • @surjansinghpanwar2592
    @surjansinghpanwar2592 3 місяці тому +2

    Hatwal ji is a Visenary person having knowledge of Dhol Sagar we hope this group will get proper money and Maan when they form an association thanks someone is thinking of their uplifting

  • @Gangakamal77
    @Gangakamal77 Місяць тому

    बहुत अच्छा

  • @theretiredengg3314
    @theretiredengg3314 3 місяці тому +2

    Please expand your network till Himachal Pradesh

  • @sharmaji9065
    @sharmaji9065 3 місяці тому +4

    Dhol bhi Hamari Sanskriti jaise Bali Pratha thi, aur Dhol ka Durupyog dekhna ho to kisi Shaadi mein jaakar dekho, kis tarah se DJ ke band hone ke time ke baad ek gareeb dhol wale ko Shaadi mein aaye guests kaise pareshaan karke usko der raat Dhol bajane ko majboor karte hai, jaante hai Police aayegi to Dhol wale ko hi suanyegi, Sanskriti ke naam par kisi ka soshan karna apraadh hona chahiye

  • @SumitDobhal-g8b
    @SumitDobhal-g8b 3 місяці тому +3

    Hamari Sanskriti Hamari Pehchan❤

  • @NatureAdventureRides
    @NatureAdventureRides 2 місяці тому

    Very nicely explained.. Government should establish Institutes for learning these folk instruments .. Also everyone should try to learn playing dhol

  • @bharatbhushanpurohit1390
    @bharatbhushanpurohit1390 3 місяці тому +1

    उत्तराखंड के लोक जीवन में नाथ पंथी साधुओं का किस प्रकार प्रभाव प्रारंभ हुवा और कितना प्रभाव रहा?
    इस विषय पर

  • @RSN1989
    @RSN1989 3 місяці тому +1

    Shandar podcast

  • @NatureAdventureRides
    @NatureAdventureRides 2 місяці тому

    Very nice initiative by team baramasa.. Bring more guests like hatwal sir... Also bring dholis from deep kumaon and garhwal villages and provide them a medium to keep their voice

  • @surendersingh4615
    @surendersingh4615 3 місяці тому +1

    पहाड़ की पहचान ढोल दामों ❤

    • @karki96
      @karki96 3 місяці тому

      Sabhi pahad ki nahi hai, dhol damau nene sirf gadwal aur nepal ke achham me dekhaa hai, kumaon ki aur Mahakali zone areme hukdo aur daayin damau bajaya jaataa hai.

  • @Negi33666
    @Negi33666 3 місяці тому +2

    ❤❤❤

  • @ChandanSingh-p3r
    @ChandanSingh-p3r 3 місяці тому +1

    🙏🙏🙏🙏

  • @SanjeevKotnala
    @SanjeevKotnala 3 місяці тому +1

    Great. But the whole episode without Dhol thap etc sounds hollow. And if these are groups which do booking etc... then the channel should shave shared a bit about them... so as to contribute towards betterment.... appreciate the effort .. thanks Baramasa.

  • @BharatSingh-fj4vj
    @BharatSingh-fj4vj 3 місяці тому +5

    ढोल,दमाउ,और नगाड़ा, भंकोर, रणसिंगा और भी बहुत कुछ, Indian Idol और Voice India के विजेता, पहाड़ की तीजनबाई लोकगायिका स्व कबूतरी के नाती पवनदीप राजन के पिता लोक गायक सुरेश राजन ने कहा था,("मूल का पानी मूल का होता है,"बस्गयाल" का पानी बरसा,बहा और चला गया,) उन्होंने लोक गीतों को गाने वाले समाज की बात की है, तमाम संस्कारों में भी लोक गायकी का उपयोग था, वे लोग सवर्णों के नेग,भेंट,"डडवार" पर ही आश्रित थे, छुआछूत आज भी समस्या है लेकिन कई लोक देवता ऐसे ही हैं कि जो बिना ढोली के नाचते ही नहीं हैं, फिर हजारों रुपये देकर औजी ससम्मान के साथ बुलाए जा रहे हैं, चढ़ावे में भी उनकी हिस्सेदारी "ब्राह्मण-खस समाज" को निश्चित करनी चाहिए,

  • @SaahityaPanwar5987
    @SaahityaPanwar5987 3 місяці тому +1

    👍

  • @gautamrawat8284
    @gautamrawat8284 3 місяці тому +1

    🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤

  • @kunwaranuradhaannu8544
    @kunwaranuradhaannu8544 3 місяці тому +1

    ❤❤🙏🙏

  • @urbanslang9926
    @urbanslang9926 Місяць тому

    Pithoragarh me chalia + dholi 50 -55 hazar lete hai 1 dinki shadi kee 😊😊

  • @sam24singh
    @sam24singh 3 місяці тому +1

    Uttrakhand ki पहचान ढोल,,,✅✅✅✅✅✅✅✅

  • @coolhimalaya
    @coolhimalaya 3 місяці тому +2

    🎉🎉🎉🎉❤

  • @SattimohanNegi
    @SattimohanNegi 3 місяці тому +1

    🚩🚩🚩🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳

  • @DVS51612
    @DVS51612 3 місяці тому

    आजकल मंदिरों में भी यांत्रिक ढोल रख दिए है जिससे पहाड़ के मंदिरों मे भी ढोल वादक नही दिखते ये बड़ा दुखद है की पहाड़ की संस्कृति धीरे धीरे विलुप्त हो गई है इसका कारण जातिगत उपेक्षा भी है

  • @budhirambudhiram795
    @budhirambudhiram795 3 місяці тому

    बहुत बहुत धन्यवाद सर इसमें संकृतिविभाग को भी ध्यान देना पड़ेगा

  • @DocHighlander96
    @DocHighlander96 3 місяці тому

    himachal mai dol devi devtaon ke sath bohot important hai

  • @mayankvswild5517
    @mayankvswild5517 3 місяці тому

    ढोल गंवार शूद्र पशु नारी तुलसी दास जी ने भी लिखा है रामायण में 🙌🏻

  • @gopendrakumar7180
    @gopendrakumar7180 3 місяці тому

    उत्तराखंड देवभूमि है और देवी देवताओं की यहां पर पूजा अनादि काल से होती आ रही है जिसका अभिन अंग उत्तराखंड में बजगी की समुदाय रहा है परंतु जातिवाद और सामाजिक भेदभाव इस ओजी जाति के साथ चरम सीमा पर हमेशा रहा है इन लोगों को उत्तराखंड पर हास्य पर रखा गया है और यह लोग दलित में से भी महा दलित बन चुके हैं जिस कारण से इनका संवर्धन और संरक्षण राज्य की सरकार द्वारा करवाई जाना चाहिए और इनका आर्थिक एवं सामाजिक रूप से विकास के मुख्य धारा में लाया जाना चाहिए और इनको उत्तराखंड क्रांतिकारी घोषित कर दिया जाना चाहिए।
    प्रदेश में बड़े दुख की बात है जो लोग सभी कार्यों में आगे रहते हैं आज सबसे ज्यादा पिछडा चुके हैं।

  • @Uk04Moto
    @Uk04Moto 3 місяці тому

    दादा आप लता बिष्ट केस के लिए भी आवाज उठाओ वो बहुत सीधी थी । 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

  • @SURESHKUMAR-hd3kn
    @SURESHKUMAR-hd3kn 3 місяці тому

    Any comments from shilpkars

  • @VipinKumar-ql1th
    @VipinKumar-ql1th 3 місяці тому

    Dhol walo ke sath Uttarakhand
    Me jaati bhed bhaw Hota hai

  • @unreachable_Aadi
    @unreachable_Aadi 3 місяці тому

    Uttarakhand maghe bhoo kanoon or bhari logo bhar nikalo🙏🏻

  • @Narendra-l5k
    @Narendra-l5k 3 місяці тому

    Badi badi baate ! Shilpakar ko uk main kaya kahte hai unko gharo kain andar or mandiron mahin aaney dete hain kaya? Kewal maansikta badlo😊😊😊

  • @raviagri1249
    @raviagri1249 3 місяці тому +3

    Lekin jaat k hisab se bol bol k logo ne apne cultural chod diya kyuki unko choti jat ka bola jata tha

  • @kishanrawat5149
    @kishanrawat5149 3 місяці тому

    Esko pujne walo ko bi hamare yaha ooojjiii ... Ji hi kaha jata hai

  • @DIGPALSINGHBISHT-k2b
    @DIGPALSINGHBISHT-k2b 3 місяці тому +3

    bjp congress bhgao 60 lac desi or 20 lac muslim basa dye yha sare mafi ko job jameen pani jungle bech dya

  • @kishanrawat5149
    @kishanrawat5149 3 місяці тому

    Dhol ki thap or dhol ki taal .. hamare uttrakahand ka kan kan hai ... Eska matlab bahoot uncha hai esko yaha aise batana ek chooti si bat ho jayegi gir bhi apka prayas ..theek hai ...lekin eska kisi bhi sanskriti se milna jhulna dhol ka apman jaisa hai ..

  • @BharatSingh-fj4vj
    @BharatSingh-fj4vj 3 місяці тому +1

    ईरान कभी पर्शियन (पारसियों) का देश था, और अब मुस्लिम देश है,उत्तराखंड भी कभी खसों का देश है/था,लेकिन अब वह क्या बनेगा? बताना जरा............

  • @DIGPALSINGHBISHT-k2b
    @DIGPALSINGHBISHT-k2b 3 місяці тому +3

    haridwar udham singh nagar hatao 2026 me parseeman me dikat ayegi seat badhegi yha sab 39 lac desi or 14 lac muslim nahar honge

    • @binodbhai684
      @binodbhai684 3 місяці тому

      Uttarakhand ki gdp me sbse jyada contribution ha in district ka wese bhi nhi hta sakte

  • @mohitadhikari1866
    @mohitadhikari1866 3 місяці тому

    अब तो हमारे गांव गांव में ढोली लोग जागर भी हिंदी में लगाने बैठ गए है , ऐसे ढोलियो का तो विरोध होना चाहिए । हमारे 1000 साल पुराने जागर 100 साल पुरानी भाषा में बदल दिए कुछ ढोलियो ने। आप लोगो से निवेदन है की जो भी ऐसा ढोली हो उसे अपने सदी, जागर, आदि में न बुलाए , और उसे ये भी बताइए की जागर हिंदी में लगाने के कारण तुम्हें न्योता नही दिया ।

  • @Rahulkumar-pp2yc
    @Rahulkumar-pp2yc 3 місяці тому +1

    ajeeb hai na instrument important hai but play karne wale nhi. Unke sath to bhedbhav hota hai

  • @sudhirkant4100
    @sudhirkant4100 3 місяці тому

    Pandito me ar oji samaj me kitni bhinnata h kaam ek hi h bus jaati ka farak hone se oji samaaj ko ijjat na mili .. jarurat hai par respect nhi h.. yeh ek achaa pakhand hua h pahadiion k sath

  • @SURESHKUMAR-hd3kn
    @SURESHKUMAR-hd3kn 3 місяці тому

    It is very strange that Auji community is doing great job since thousands of year but yet not given respect in shilpkars let alone upper caste. This double standard weaken the fight casteism by Shilpkars because they also indulge in caste system among themselves. Koli, Tamta and others consider themselves upper caste and do not solmenized marriages with Auji. What a pity

  • @abishere
    @abishere 3 місяці тому

    i believe your ( majority) of audience is tolerant to supposedly controversial discussion, so trust your audience (majority of them, some of them will still will have knives out) and do not edit so deep when the guest is saying something nwhich could be unpalatable read controversial

  • @Digubisht8057
    @Digubisht8057 3 місяці тому

    Haridwar us magar bjp vongres ko hatao😡

  • @rauthangusain6165
    @rauthangusain6165 29 днів тому

    Myth means:
    Myth, lie, story, anecdote, gossip, legend, mythology, imaginary person.
    Myth is a genre of folklore. It includes such stories which play an important role in the society. Myths are symbolic stories of unknown origin that are linked to real events. These stories are especially related to religious beliefs. Myths are evidence of the unwavering faith and immense loyalty of the people.
    The word myth is found in both Sanskrit and English languages. The word myth in Sanskrit means union of two elements and direct knowledge. In English, myth means mere imagination.
    Podcast के अन्तिम चरण में मुझे sir के पौराणिक संदर्भ के विषय में (भगवान शिव एवम पार्वती का उल्लेख) मिथक कहने पर थोड़ा असहजता हुई
    धन्यवाद 😊

  • @rajendersinghnakoti1112
    @rajendersinghnakoti1112 3 місяці тому +1

    श्रीमान बैक ग्राउंड में बहुत शोरगुल है, समझने में दिक्कत होती हैं। कृपया ठीक करे।

    • @SheetalNautiyal-dc8ws
      @SheetalNautiyal-dc8ws 3 місяці тому

      श्री मान मुझे तो नहीं सुनाई देरा है शोरगुल 😅

    • @saurabhsaklani6593
      @saurabhsaklani6593 3 місяці тому

      ​Unhone starting k shor sunke video bnd krdi Syd 😂​@@SheetalNautiyal-dc8ws

  • @vikashvinjola3062
    @vikashvinjola3062 3 місяці тому +1

    ❤❤

  • @himanshuthapliyal__
    @himanshuthapliyal__ 3 місяці тому +1

  • @Creepy_woman
    @Creepy_woman 7 днів тому

    💗

  • @DVS51612
    @DVS51612 3 місяці тому

    आजकल मंदिरों में भी यांत्रिक ढोल रख दिए है जिससे पहाड़ के मंदिरों मे भी ढोल वादक नही दिखते ये बड़ा दुखद है की पहाड़ की संस्कृति धीरे धीरे विलुप्त हो गई है इसका कारण जातिगत उपेक्षा भी है