What a brilliant video on gender equality I have seen today, thankyou Tedx for sharing this video and also organising such events ❤❤❤ thankyou dil se 😊
शिवपुराण सार🌟 एक बार शिवजी ने शिवलिला के अधीन होकर माता पार्वती के सामने सम्पूर्ण स्त्री जाति को कुछ ग़लत कह दिया,ये बात माता को बहुत बुरी लगी ,तभी माता स्वंय तथा समस्त स्त्री जाति के आत्मसम्मान हेतु उसी क्षण शिवजी को छोड़कर तप करने किसी एकांत में चली गई,कई वर्ष तक मां ने तप किया , शिवजी को माता की कमी का एहसास हुआ ,उन्होंने माता को ढूंढना प्रारंभ किया, कुछ प्रयास बाद माता एक पर्वत पर तप करती नजर आई, माता का गौर वर्ण कौशीकी वर्ण का हो गया था, शिवजी ने तांडव विभिन्न प्रयास से माता को तप से बाहर लाना चाहा, लेकिन माता अपने तप में इतनी लीन हो गयी कि उन्हें जगाना अंसभव था, प्रयास विफल होने पर, शिवजी को बहुत क्रोध आया,वह कुछ अनर्थ करते उससे पहले ही ब्रह्माजी वहां प्रकट हो गये,और उन्हें कहां आप स्वयं भी ध्यानप्रिय तप से जागृत नहीं होते ,तो शिवा आपसे अलग कहां। ये कहकर ब्रह्माजी ने शिवजी को धैर्य धारण करने को कहां । शिवा जगत माता हैं,अपनी संतान की रक्षा और दुष्टों के संहार हेतु भवानी का तप करना आवश्यक हैं। भवानी अपने पराशक्ति स्वरूप का साक्षात्कार तप द्वारा ही पूर्ण करेगी, इसलिए हैं शिवजी इसमें आपका कोई दोष नहीं हैं,आप निश्चिंत होकर कैलाश जाएं, भवानी तप पूर्ण होते ही लौट आएंगी,आप कैलाश पर उनके स्वागत की तैयारी करें। शिव जी ऐसा सुनकर चले जाते हैं,तभी वहां एक शेर माता के तप से प्रभावित होकर तपस्थल के पास बैठ जाता है, मां का जब तप पूर्ण होता हैं,तब वह शेर को अपना वाहन बनाकर जगदम्बा रूप में आकाश मार्ग से कैलाश पहुंचती हैं, दसों दिशाओं में मां की जय-जयकार होती हैं। शिवजी जो शान्ति के सागर हैं, सदाशिव हैं।जगदम्बा को देखकर प्रसन्न होते हैं। माता जो सौंदर्य की प्रतिमा हैं शिवजी को देखकर प्रसन्न भाव से प्रणाम करती हैं। 😇 ब्रह्माजी को अर्द्धनारीश्वर रूप में प्रकट होकर स्त्री -पुरूष समानता का परिचय देते हैं। मैथुनी क्रिया के ज्ञान द्वारा ब्रह्माजी को सृष्टि निर्माण का ज्ञान दिया। जिससे सृष्टि का विकास हो सके।शिव आधार ने स्वयं को तीन भागों में विभक्त किया ब्रह्मा, विष्णु और शंकर जी तथा शिवा अर्थात शक्ति ने स्वयं को सरस्वती, लक्ष्मी,और पार्वती में विभक्त किया। शिवशक्ति ने मिलकर ज्ञान,धन, शक्ति द्वारा निर्माण,पालन,और संहार का कार्य पूर्ण किया।✨माता सती ने पिता के घमंड के कारण स्वयं को हवन कुंड में झोंक दिया था,माता ने जाते जाते एक बात कहीं,जब सीताजी धरती पर अवतरित होती हैं तो रामजी उनके साथ चलते हैं। अर्थात सभी के कोई न कोई अवश्य साथ रहता हैं। मेरे भोलेनाथ का मेरे अलावा कौन हैं?वह ध्यान में भी मेरे प्रकृति स्वरूप से जुड़े रहते हैं। मेरे जाने के बाद उन्हें कौन संभालेगा, सब अपने स्वार्थ पूर्ण करने हेतु उन्हें याद करते हैं।और आज उनके अपमान में सब मौन है। शिव जी माता की याद में विलाप करते हुए महादेव से मनुष्य बन जाते हैं, ब्रह्माजी और विष्णु जी ये सब देखकर बहुत दुखी होते हैं, स्वयं आदिशक्ति प्रकट होकर शिवजी को विलाप करने से रोकती हैं और पार्वती रूप में पुनः मिलन का आश्वासन देती हैं।यह सुनकर शिवजी सती के पिन्डो को शक्तिपीठ में परिवर्तित कर देते हैं,और ध्यान में लीन हो जाते हैं। फिर महाशिवरात्रि के दिन शिव पार्वतीजी का विवाह होता हैं,इसलिए इन्हें आदियोगी और आदिगृहस्थ भी कहते हैं।⭐शिव + शक्ति = परमात्मा । शिवशक्ति का दिव्यज्योतिर्लिंग पौरूष व स्त्रैण रूप के मिलन वह समानता को दर्शाता हैं। शिवलिंग का आधार भाग गौरी पीठ अर्थात शक्ति पीठ, व ऊपर का भाग शिवजी का प्रतीक हैं। 😇ओम शिवशक्ति नमः। जय हो जगत पिता जगत माता।🌟😇😇
Super. Mam❗
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ಸೂಪರ್...
Speck in hindi 😊
ABBSWomen... Good...by Diploma In Women's Empowerment and Development.. Abbas 🤗🤝🅰️
Well Said Ma'am.
Jai Hind❤
It's amazing
शिवपुराण सार🌟 एक बार शिवजी ने शिवलिला के अधीन होकर माता पार्वती के सामने सम्पूर्ण स्त्री जाति को कुछ ग़लत कह दिया,ये बात माता को बहुत बुरी लगी ,तभी माता स्वंय तथा समस्त स्त्री जाति के आत्मसम्मान हेतु उसी क्षण शिवजी को छोड़कर तप करने किसी एकांत में चली गई,कई वर्ष तक मां ने तप किया , शिवजी को माता की कमी का एहसास हुआ ,उन्होंने माता को ढूंढना प्रारंभ किया, कुछ प्रयास बाद माता एक पर्वत पर तप करती नजर आई, माता का गौर वर्ण कौशीकी वर्ण का हो गया था, शिवजी ने तांडव विभिन्न प्रयास से माता को तप से बाहर लाना चाहा, लेकिन माता अपने तप में इतनी लीन हो गयी कि उन्हें जगाना अंसभव था, प्रयास विफल होने पर, शिवजी को बहुत क्रोध आया,वह कुछ अनर्थ करते उससे पहले ही ब्रह्माजी वहां प्रकट हो गये,और उन्हें कहां आप स्वयं भी ध्यानप्रिय तप से जागृत नहीं होते ,तो शिवा आपसे अलग कहां। ये कहकर ब्रह्माजी ने शिवजी को धैर्य धारण करने को कहां । शिवा जगत माता हैं,अपनी संतान की रक्षा और दुष्टों के संहार हेतु भवानी का तप करना आवश्यक हैं। भवानी अपने पराशक्ति स्वरूप का साक्षात्कार तप द्वारा ही पूर्ण करेगी, इसलिए हैं शिवजी इसमें आपका कोई दोष नहीं हैं,आप निश्चिंत होकर कैलाश जाएं, भवानी तप पूर्ण होते ही लौट आएंगी,आप कैलाश पर उनके स्वागत की तैयारी करें। शिव जी ऐसा सुनकर चले जाते हैं,तभी वहां एक शेर माता के तप से प्रभावित होकर तपस्थल के पास बैठ जाता है, मां का जब तप पूर्ण होता हैं,तब वह शेर को अपना वाहन बनाकर जगदम्बा रूप में आकाश मार्ग से कैलाश पहुंचती हैं, दसों दिशाओं में मां की जय-जयकार होती हैं। शिवजी जो शान्ति के सागर हैं, सदाशिव हैं।जगदम्बा को देखकर प्रसन्न होते हैं। माता जो सौंदर्य की प्रतिमा हैं शिवजी को देखकर प्रसन्न भाव से प्रणाम करती हैं। 😇 ब्रह्माजी को अर्द्धनारीश्वर रूप में प्रकट होकर स्त्री -पुरूष समानता का परिचय देते हैं। मैथुनी क्रिया के ज्ञान द्वारा ब्रह्माजी को सृष्टि निर्माण का ज्ञान दिया। जिससे सृष्टि का विकास हो सके।शिव आधार ने स्वयं को तीन भागों में विभक्त किया ब्रह्मा, विष्णु और शंकर जी तथा शिवा अर्थात शक्ति ने स्वयं को सरस्वती, लक्ष्मी,और पार्वती में विभक्त किया। शिवशक्ति ने मिलकर ज्ञान,धन, शक्ति द्वारा निर्माण,पालन,और संहार का कार्य पूर्ण किया।✨माता सती ने पिता के घमंड के कारण स्वयं को हवन कुंड में झोंक दिया था,माता ने जाते जाते एक बात कहीं,जब सीताजी धरती पर अवतरित होती हैं तो रामजी उनके साथ चलते हैं। अर्थात सभी के कोई न कोई अवश्य साथ रहता हैं। मेरे भोलेनाथ का मेरे अलावा कौन हैं?वह ध्यान में भी मेरे प्रकृति स्वरूप से जुड़े रहते हैं। मेरे जाने के बाद उन्हें कौन संभालेगा, सब अपने स्वार्थ पूर्ण करने हेतु उन्हें याद करते हैं।और आज उनके अपमान में सब मौन है। शिव जी माता की याद में विलाप करते हुए महादेव से मनुष्य बन जाते हैं, ब्रह्माजी और विष्णु जी ये सब देखकर बहुत दुखी होते हैं, स्वयं आदिशक्ति प्रकट होकर शिवजी को विलाप करने से रोकती हैं और पार्वती रूप में पुनः मिलन का आश्वासन देती हैं।यह सुनकर शिवजी सती के पिन्डो को शक्तिपीठ में परिवर्तित कर देते हैं,और ध्यान में लीन हो जाते हैं। फिर महाशिवरात्रि के दिन शिव पार्वतीजी का विवाह होता हैं,इसलिए इन्हें आदियोगी और आदिगृहस्थ भी कहते हैं।⭐शिव + शक्ति = परमात्मा । शिवशक्ति का दिव्यज्योतिर्लिंग पौरूष व स्त्रैण रूप के मिलन वह समानता को दर्शाता हैं। शिवलिंग का आधार भाग गौरी पीठ अर्थात शक्ति पीठ, व ऊपर का भाग शिवजी का प्रतीक हैं। 😇ओम शिवशक्ति नमः। जय हो जगत पिता जगत माता।🌟😇😇
sheer bakchodi
Good.
TN extended 18 different benefits to women and orphan s
Nice 👍🏻
❤🎉
Mam please send summary on this mam
Please honestly think about gender equal laws. Laws should be there to punish crime and not genders.
Where is gender equality points here? Ity all about women here
Who is here from gfgc bagalkot?😅
The song was really bakwass
Lala land song from women with bruised ego having wishful thinking that they can do everything a man can 😂😂
she Is IAS and you are not lol
bakwass
bakwass
bakwass