🌹 इसे ओर ज़्यादा विस्तार तथा सरलतापूर्वक समझाने की आवश्यकता है, किसी भी धर्म की यही कड़ी सबसे महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इसी से बंधन और उससे मुक्त होने का प्रयास के आधार पर सारा ज्ञान आधारित होता है, यह समझ आ जाए तो ईश्वर तत्व स्वत समझ में आ जाता है या फिर थोड़े से ओर प्रयास से समझ आने की पूरी पूरी संभावना रहती है क्योंकि उस जीव की सृष्टि की वह आखिरी कड़ी होती है उसके बाद बचने वाला तत्व ही प्रमुख तत्व होता है जिसे ईश्वर या परमात्मा कहा जा सकता है🌹
Yahi bat muje bhi samaj me nahi aati. Ho sakta he sayad is kadi ko aapas me jod ne k liye hi anya dharmo me atma ki Kalpna ki gayi ho.? Use vahak ke rup me mana gaya ho.?
मैने अभी तक यह जाना कि जब तक यह जीवन है तब तक मनुष्यता के गुण लेकर मनुष्य बन कर जिया जाए अन्यथा अन्य सारे जीव के समान ही जीना और मरना है। मरने में सारे के सारे शारीरिक अवयव जल, भूमि, अग्नि और वायु के घटकों में परिवर्तित हो जाते है। मन, बुद्धि, चित और अहंकार भी इसी शरीर के साथ नष्ट हो जाते है क्योंकि मन बुद्धि चित और अहंकार कोई भौतिक द्रव्य नहीं है। इसका संबंध मस्तिष्क के साथ है। इस तरह से मस्तिष्क के खत्म होते ही इनका कोई अस्तित्व नहीं रहता है। अर्थात मरने के बाद यह कहानी खत्म। दूसरी कहानी नए तरीके से चालू होगी। जिससे हमारा कोई लेना देना नहीं। शायद विज्ञान भी यही कहता है।
मैं आपके द्वारा।बताया गए भगवान बुद्ध।के संदेश को सुनते सुनते यहां तक आया हूं जहां तक आप पहुंचे हैं बताने के लिए। भगवान बुध की सभी संदेश सभी स्त्य। है इसका मैंने अध्ययन भी किया। यही प्रश्न मेरे समझ में नहीं आ रहा है यह प्रश्न मेरी समझ से यह। भ्रम पैदा हो जाएगा जिससे दूसरे धर्म वाले। व्यक्ति से वह।आत्मा।होने का जिद करेगा।
अंबेडकरवादी नवबौध पुनर्जन्म को नहीं मानते जब की पूरी बौद्ध दर्शन पुनर्जन्म पर आधारित है। आत्मा को बुद्ध नहीं मानते हैं परंतु यह कहते हैं की संस्कारों का संचरण होता है। यह क्रम तब तक चलता है जबतक तृष्णा का समूल नाश नहीं हो जाता।।🙏🙏 अगर सहमत हो तो बताओ। असहमत हो तो भी बताओ।
मैने करिब आपके सभी व्हिडिओ देखे है ! आप बौध्दधम्म को बहोत क्लिष्ट ढंग से बताते हो ! कृपया ! प्रतीत्यसमुत्पाद,पुनर्भवपर सबको समझ आए ऐसी सरल और आसान व्हिडिओ बनाईए !🇮🇳🙏
सर मुझे आपके वीडियो अच्छे लगते है और मैं बुध्द भगवान का उपासक हूँ पर मुझे भव से जाति होना ठीक से समझ नही आ रहा सर बुध्द धम्म एक विज्ञानिक धम्म भी है पुन अगली वीडियो में भव से प्रतीत्यसमुत्पाद के कारण जाति को समझाइएगा सर क्या यदि व्यक्ति के मन में भव उत्पन्न होता है तो प्रतीत्यसमुत्पाद के कारण शरीर का जन्म होता है यदि किसी कारण से प्राकृतिक घटना से सभी पशु , पक्षी , इंसानों की मृत्यु हो जाती है तो पृथ्वी जीवों से वीरान हो जायेगी फिर शरीर का जन्म कैसे होगा ? नागसेन और मिलिंद राजा की वार्ता अनुसार यदि किसी मनुष्य ने कोई बुरे कर्म किये है तो उसका पुनर्जन्म ( उसका पुत्र / पुत्री ) उन्हें भी उसके परिणाम मिलते है पर यदि किसी मनुष्य ने बुरे कर्म किये और उसकी कोई संतान नहीं है तो उसके बुरे कर्म का परिणाम नहीं होगा , या तो उसे बुरे कर्म के परिणाम उसी व्यक्ति को उसी नामरूप में मिलते जायेंगे मुझे बताइयेगा सर 🙏
नमो बुद्धाय जय भिम आप शुपस्ट समझाते है बहुत धन्यवाद साधु साधु साधु
Namo Buddhay
भगवान बुद्ध के विचारों पर चलकर ही कुछ पाप्तकिया जा सकता है नमो बुद्धाय
नमो बुदधाय नमो धमाय नमो संघाय 👍👍👍👍👍🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏
🌹 इसे ओर ज़्यादा विस्तार तथा सरलतापूर्वक समझाने की आवश्यकता है, किसी भी धर्म की यही कड़ी सबसे महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इसी से बंधन और उससे मुक्त होने का प्रयास के आधार पर सारा ज्ञान आधारित होता है, यह समझ आ जाए तो ईश्वर तत्व स्वत समझ में आ जाता है या फिर थोड़े से ओर प्रयास से समझ आने की पूरी पूरी संभावना रहती है क्योंकि उस जीव की सृष्टि की वह आखिरी कड़ी होती है उसके बाद बचने वाला तत्व ही प्रमुख तत्व होता है जिसे ईश्वर या परमात्मा कहा जा सकता है🌹
Yeah that was nice.
Jai Bhim💐Jai Bharat💐
नमो बुद्धा य
संस्कार, इच्छाओं का अगले जन्म के लिए वाहक कौन होता है?
Yahi bat muje bhi samaj me nahi aati. Ho sakta he sayad is kadi ko aapas me jod ne k liye hi anya dharmo me atma ki Kalpna ki gayi ho.? Use vahak ke rup me mana gaya ho.?
मैने अभी तक यह जाना कि जब तक यह जीवन है तब तक मनुष्यता के गुण लेकर मनुष्य बन कर जिया जाए अन्यथा अन्य सारे जीव के समान ही जीना और मरना है। मरने में सारे के सारे शारीरिक अवयव जल, भूमि, अग्नि और वायु के घटकों में परिवर्तित हो जाते है। मन, बुद्धि, चित और अहंकार भी इसी शरीर के साथ नष्ट हो जाते है क्योंकि मन बुद्धि चित और अहंकार कोई भौतिक द्रव्य नहीं है। इसका संबंध मस्तिष्क के साथ है। इस तरह से मस्तिष्क के खत्म होते ही इनका कोई अस्तित्व नहीं रहता है। अर्थात मरने के बाद यह कहानी खत्म। दूसरी कहानी नए तरीके से चालू होगी। जिससे हमारा कोई लेना देना नहीं। शायद विज्ञान भी यही कहता है।
Good video.nice video 💋💋💋💋💋💋💋💋💋💋💋💋💋💋💋💋 sir apa kaha se ho... 💋💋💋🌹🌹🌹🙏🙏🙏
❤❤❤❤❤
Thank you for sharing geat lesson given by Tathagath Buddha
मैं आपके द्वारा।बताया गए भगवान बुद्ध।के संदेश को सुनते सुनते यहां तक आया हूं जहां तक आप पहुंचे हैं बताने के लिए। भगवान बुध की सभी संदेश सभी स्त्य। है इसका मैंने अध्ययन भी किया। यही प्रश्न मेरे समझ में नहीं आ रहा है यह प्रश्न मेरी समझ से यह। भ्रम पैदा हो जाएगा जिससे दूसरे धर्म वाले। व्यक्ति से वह।आत्मा।होने का जिद करेगा।
जिनका में अनुसरण कर रहा हूं अगर वो reply दें तो यह सबसे बड़ी खुशी की बात नहीं होती.
Namo Buddhay Jai Bheem 🙏🙏🙏👍💐
Thanks
अंबेडकरवादी नवबौध पुनर्जन्म को नहीं मानते जब की पूरी बौद्ध दर्शन पुनर्जन्म पर आधारित है।
आत्मा को बुद्ध नहीं मानते हैं परंतु यह कहते हैं की संस्कारों का संचरण होता है। यह क्रम तब तक चलता है जबतक तृष्णा का समूल नाश नहीं हो जाता।।🙏🙏
अगर सहमत हो तो बताओ। असहमत हो तो भी बताओ।
please clarify whether one person is died and getting birth same person how it is possible if rebirth is not there
मैने करिब आपके सभी व्हिडिओ देखे है ! आप बौध्दधम्म को बहोत क्लिष्ट ढंग से बताते हो ! कृपया ! प्रतीत्यसमुत्पाद,पुनर्भवपर सबको समझ आए ऐसी सरल और आसान व्हिडिओ बनाईए !🇮🇳🙏
Sir, mujhe hariyali khekkhalisn aur aakash mein megh mandal ka bhivinna vinyas dekh kar bahut chain sakun aur santi milti hai. Namo Buddhay.
क्या भव का मतलब मैं नहीं होता है?
Sir please share methods of doing anapani sati dhyan step by step
सर मुझे आपके वीडियो अच्छे लगते है और मैं बुध्द भगवान का उपासक हूँ पर मुझे भव से जाति होना ठीक से समझ नही आ रहा सर बुध्द धम्म एक विज्ञानिक धम्म भी है पुन अगली वीडियो में भव से प्रतीत्यसमुत्पाद के कारण जाति को समझाइएगा सर क्या यदि व्यक्ति के मन में भव उत्पन्न होता है तो प्रतीत्यसमुत्पाद के कारण शरीर का जन्म होता है यदि किसी कारण से प्राकृतिक घटना से सभी पशु , पक्षी , इंसानों की मृत्यु हो जाती है तो पृथ्वी जीवों से वीरान हो जायेगी फिर शरीर का जन्म कैसे होगा ? नागसेन और मिलिंद राजा की वार्ता अनुसार यदि किसी मनुष्य ने कोई बुरे कर्म किये है तो उसका पुनर्जन्म ( उसका पुत्र / पुत्री ) उन्हें भी उसके परिणाम मिलते है पर यदि किसी मनुष्य ने बुरे कर्म किये और उसकी कोई संतान नहीं है तो उसके बुरे कर्म का परिणाम नहीं होगा , या तो उसे बुरे कर्म के परिणाम उसी व्यक्ति को उसी नामरूप में मिलते जायेंगे मुझे बताइयेगा सर 🙏
Thanks🙏
What is material existence of Bhav which take rebirth?
it's mental existence