खान sir जैन धर्म पर आपका विश्लेषण सुंदर है । इसमें 22 वे तीर्थंकर श्री नेमीनाथ भगवान बाल ब्रह्मचारी थे । जैन धर्म जीवन बदलाव का मुख्य स्तोत्र है । इसको जीवन आचरण में लाकर निरोगी स्वस्थ रहने हेतु जड़ीबूटी है । जय जिनशासन
अच्छा पढ़ा रहे है। जरूरी है आज समाज में जैन धर्म की शिक्षा हर घर तक पहुंचाना। आपस में भाईचारे से रहना और किसी से अपेक्षा न रखना और हमेशा अपने काम में अग्रसर रहना यही जैन धर्म दिखलाता है।
जैन धर्म अनादी अनंत है।जैसे सूरज चांद है। वृषभ देव जी के पहले भी २४ तीर्थंकर हो गये हैं।उनको भूतकाल के तीर्थंकर बोलते है।और वृषभ नाथ से लेकर महावीर जी तक के तीर्थंकरों को वर्तमान काल के तीर्थंकर बोलते हैं।और आगे भविष्य में भी २४ तीर्थंकर होनेवाले हैं। सब के नाम भी शास्त्रो में है।और तीर्थंकरों के बीच क ई सालों का अंतर रहता है।जैन धर्म अनादी काल से है।उसका अंत भी नहीं है। तीर्थंकर कहा पैदा हुए,कहा दीक्षा हुई, कहां केवलज्ञान हुआ और कहां मोक्ष हूआ ये सब शास्त्रो मैं लिखा हुआ है। वेदों में भी जैन धर्म का उल्लेख है।इसके बारे में हमारे मुनियों से जान सकते हैं।जैनं जयतु शासनं।🙏
हेलो खान सर मेरा नाम प्रदीप जैन है को पटाने का तरीका बहुत अच्छा है शब्दों में कुछ नहीं रखा अपने चीजों की भावना को पकड़ा और बच्चों को समझने का प्रयास किया आपको शुभकामनाएं
आपने जैन धर्म के बारे में काफी जानकारी दी जो बड़ी सराहनीय प्रशंसनीय हैं किन्तु जो जैन धर्म के मौलिक सिद्धांत और मौलिक बातों को समझाने के लिए गहराई से समझने की आवश्यकता है जिससे सिद्धांत समझाने में बहुत आसानी होगी तथा उनकी प्रतिष्ठा और ख्याति भी आपको मिल सकेगी।
धन्यवाद सरजी आप ने जैन धर्म के लिए कुछ बच्चो को बताया जैन लोग या जैन के धर्म में शरीर और आत्म को अलग मानने पर ही ध्यान दिया है,जब ये शरीर ही हमारा नही है तो उसके लिए क्यों कुछ करना,,जो आत्मा है वोही मैं हु,,ओर उसी के लिए सब कुछ करना है,,,शरीर तो छोड़ के जाना ही है,तो उस के लिए हिंसा,जूठ ,चोरी ओर परिगृह जैसे पाप क्यों करना?🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
धन्यवाद, खान सर, वास्तव में जैन धर्म, जितना महान हे, उसका आम लोगो को पता ही नही, जैन साधु, हजारों साल पुराने नियम आज भी कठोरता से पालन कर रहे हे, यह शोध का विषय है की हमारे समाज की इतनी जनसंख्या कम क्यों हे
खान साहब आपका पढ़ाने का तरीका बहुत अच्छा है। बस एक निवेदन है कि पढ़ाने के पहले थोड़ा डीप स्टडी भी कर लेना चाहिए, ताकि थोड़े फैक्ट भी सही आ जाएं। जैनधर्म वस्तुत: प्राकृतिक धर्म है। जैनधर्म में चतुरायन कोई शब्द कहीं भी और किसी भी स्थिति में नहीं रहा। जैनधर्म अहिंसा धर्म है। अहिंसा मतलब जैन और जैन मतलब अहिंसा। इसी अहिंसा को जीतने के लिए बाकी अन्य हैं। इस तरह जैन धर्म में 1. अहिंसा, 2. सत्य, 3. अचौर्य, 4. अपरिग्रह और 5. ब्रह्मचर्य ये 5 धर्म हैं। सत्य, अचौर्य, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य ये चारों अहिंसा धर्म को प्राप्त करने के साधना मात्र हैं या यूं कहें कि ये उदाहरण मात्र हैं। जैनधर्म को किसी अच्छे पंडित से समझना लेना चाहिए।
Har Tirthankar ne Pancho Paap ka tyaag karne ka sandesh diya tha, kisi teerthankar ke sandesh me antar nahi tha....yeh to factual baat he, par Khan Sir ne unke jaroori sandesh ki prabhavana kari iske liye unki sarahana
@@nitinkumarjain2877 aapki is baat ka shrot kya he, har teerthankar ek jaise the aur sabka updesh ek tha....agar aap swetambar panth ke anusaar bol rahe he to krapaya spast kariye....digambar panth ke anusaar sab terrthankaro ke updesh alag ho hi nahi sakte
प्रभु ने जो प्रकृति बनाई है वही शास्वत सत्य है..चिरकाल तक उसकी आयु है..बाकी सब जीवों की बनाई दुनिया अपने एक समय के बाद खत्म हो जाती..इसलिए प्रकृति के अनुरूप चलो उसके विपरित नहीं..❤❤
जय जिनेंद्र... जैन धर्म में... भूतकाल में 24 तीर्थंकर हुए है... उसके बाद.... वर्तमान काल में 24 तीर्थंकर हुए है (जैसे की पहले तीर्थंकर ॠषभदेव/आदिनाथ से 24 वे तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी).... और इसके बाद भविष्यकाल में भी 24 तीर्थंकर होने वाले है.... सब मिलाके भूतकाल-वर्तमानकाल-भविष्यकाल 72 तीर्थंकर की नामो की सुची भी जैन ग्रंथ में आपको मिल जाएगी....
भगवान ऋषभदेव और भगवान महावीर के समय पंचयान यानि पांच महाव्रत का पालन और बीच के 22 तीर्थंकरो के समय चतुर्याम यानि चार महाव्रतों का पालन करना होता है स्त्री को भी परिग्रह में माना जाता है।
Khan sir you are the great persalnalty profesher teacher you are teach student of our student student are futures of our country also salut Khan sir ko
आपने दूसरे नंबर को जो धन संग्रह बोला उसे परिग्रह भी कहते हे, ऋषभदेव से लेकर पार्श्वनाथ भगवान तक के २३ भगवान ने भी ब्रह्मचर्य का पालन करना बताया है ब्रह्मचर्य का पालन तभी होगा जब स्त्री के साथ संयोग नहीं होगा, तो ऋषभदेव से लेकर पारसनाथ भगवान तक के सभी साधु स्त्री त्याग वाला नियम परिग्रह के त्याग के अंदर ही ले लेते हैं..(याने परिग्रह का त्याग तो स्त्री का भी त्याग) तो स्त्री का त्याग हुआ तो ब्रह्मचर्य का भी पालन हो गया यानि two in one नियम हो जाता है। परंतु महावीर स्वामी भगवान ने सोचा कि आने वाले समय में लोग यह बात अच्छे से समझ नहीं पाए तो! इसलिए यह बात क्लियर करने के लिए उन्होंने ब्रह्मचर्य को अलग से बता दिया। तो इस प्रकार से सभी तीर्थंकर के शासनकाल में पांचों नियम का पालन होता हे। इसे पंचमहाव्रत कहा जाता है।🙏🏻 पांचों के नाम लाइन से बोलते हैं अहिंसा का पालन करना, झूठ नही बोलना, चोरी नही करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना,परिग्रह नही करना।
खान सर तेईसवें तीर्थंकर भगवान तक चातुर्याम में पांच की पालना अहिंसा,सत्य,अचौर्य, ब्रह्मचर्य अपरिग्रह, उस समय ब्रह्मचर्य अपरिग्रह को साथ में मानते थे, भगवान महावीर स्वामी के समय अलग-अलग हुआ, जिससे पांच महाव्रत बोला जाता है,
घर में पास में धन दौलत पुण्य के उदय से आती तो जैनियों के पास है तो कोई पाप नहीं। उसमें आसक्ति होना पाप है।जो हर जैनी जानता है और खूब दान भी देते हैं जैनी।
जैन बहुत मेहनत कर पैसा कमाते है। दुकान 12 से 14 घंटे खुली रख काम करते है। कोई छुट्टी भी नही। और दान भी हर क्षेत्र मे देते है। देश मे 16000 गोशाला है और 12500 गोशाला जैन चलाते है। देश पर जब भी संकट आता है तब जैन karodo का दान भी देते है। संख्यामे आधा प्रतिशत होकर भी 24 परसेंट टैक्स देते है। पाप ke🎉 कार्य जुवा,मांसहर,शराब् आदि मे पैसे नही गमाते है, भगवान् की पूजा आदि मे समय भी देते है इसलिए पुण्य कमानेसे भगवान् उन्हे यश देते है।
Gujar log dhan bi nahi kamte na daan... muje dharna yaad aata hai bus ... jain 24 %desh ki GDP hai ... gujar sagar jitna bada hai time pass karta hai kya?
BAHOT badhia/ek change please,not dhan sangrah only but any thing which is overstock in your house & more over any over expectations in mind also known sangrah.
Bhramcharya aap shaadi krke bhi palan kr skte h jisme Bhramcharya ka arth h ki vivah ke pashchat sirf apni apni pati ya patni pr hi dhyaan dena h baki sb maa ya bhen h
If doctors and engineers are service providers, they should remain in main steeam and serve people, chargé those who can afford for survival instead of begging
खान सर आपका ट्राय अच्छा हे मगर जो पारस नाथ भगवान 4 व्रत हे उसमे 2 जो व्रत है परिग्रह उसमे ही ब्रह्मचर्य आ जाता है उसमे नारी को भी परिग्रह माना है खाली महावीर स्वामि के समय में उसको अलग से 5 वे महाव्रत के तौर पे बताया वो इसलिए की आपके जैसी कोई गलतफहमी ना पाले इसके लिए और जैन धर्म शाश्वत है इसकी कोई भी सरुआत नही करता ये आदि अनादि है बाकी आपके हिसाब से आपकी कोशिष को भी हम नवाजते है.....
Sir jay jinendr Sir Jain dharm me 24 ve tirthankar ke samay me Panch mahavrat Sadhu ke liye he Usake pahale char mahavrat the panchava parigrah namaka Vrat Dhan rupaya sona chandi makan jamin kapada nokar gay bhens ghar ki sab chize adi vastuon ka bhi tyag Hota he Chaturaiyan panchayaton aesa koi shabd Jain dharm me nahi he Bhagavaan I agua viruddh kuchh likha ho to michhami dukkadam
Shree parshvnath swami 28 no pr nhi 23 ve tirthankar h Chaturayan nhi 4 mahavrat bolte h Brahmcharya ka palan 24 tirthankar hi krte h Avashyakta Se Jyada sangrah karne ke liye Mana Kiya Gaya Khud daal roti kha Sako Itna sangrah shravak Jivan mein kiya Ja sakta hai aur sirf Dhan ke sangrah ke liye Nahin vastuon ke sangrah ke liye kapdon ke sangrah ke liye Ghar Daulat sangrah ke liye Sabhi Ke liye Mana Kiya Gaya Sara sangrah sirf itna hi Hona chahie jisse Jivan ki avashyakta ki purti ho sake ichchaon ki purti ke liye sangrah Mana Kiya Gaya
Khan Sir kindly go through the history and philosophy of Jain dharma carefully before passing the information to the students. Your intention is appreciable but there is nothing like Chaturain or panchayan. These are panch Anuvrat and panch Mahavrat followed by the jains living a family life and Jain saints respectively .
त्रिशला गुप्ता बहन से अनुरोध है कि आप भी अपने मैसेज को दुबारा देखें, अणुव्रत पांच नहीं है बल्कि अणुव्रत बारह है, महाव्रत पांच ही है, तेईसवें तीर्थंकर तक चार महाव्रत जिसे चातुर्याम धर्म भगवान महावीर के समय पांच महाव्रत यानि पांचयाम धर्म हैं,चार महाव्रत में ब्रह्मचर्य अपरिग्रह को साथ मानते थे,जय जिनेन्द्र सा, फिर भी आपने जानकारी दी वो भी सराहनीय है
Jain Dharm Anadi se hai, aur anant kaal Tak rahega. Is kaal me pahle Tirthankar RISHABH DEV hue, Aur antim Bhagwan Mahaveer Swami hue. Isse pichle alag-alag kaalo me, alag - alag 24 Tirthankar hue hai. Aur aane Wale kaalo me bhi hote rahenge. Is drishti se chuki Jain Dharm Anadi se hai, iske koi sansthapak nhi hai. Do Tirthankaro ke bich me kabhi - kabhi karoro varsho se jyada ka antar Raha hai. Sabhi Tirthankaro ne Paanch (5) ka hi updesh diya. Brahmcharya baad me juda, Ye kehna sarasar galat hai. JAIN DHARM Ki Jay. "Ahinsa Parmo Dharm ki Jay,"
खान सरजी,कोई चतुरायन धर्म अलग से नही होता ये पंच महा व्रत कहे जाते हैंजो सदा काल से चले आरहे हैं यदि आपको जैन धर्म समझना है तो पहले दिगम्बर जैन दर्शन को पहले स्वयम पढ़े और समझें इसके बाद पढाये।
Sir, parigrah or say to collect......this includes bhramchariye is part four points taking oath and sir mahaveer swami made it elaborate into five points as it also clarification in to five oaths...... Sir, in jainism.......seven habits should not permitted or say be avoided this life. As this will lead to this life make pity and sorrowful, future birth and death cycle in to miserable as any human should obey as(1) Don't have to be sex with any other female except own wife. (2) Don't have sex with any prostitute female (3) Don't take anything from anywhere without permission as don't do theft (4) Don't do hunting of any creature (5)Don't eat Non- vegetarian in entire life (6) Don't carry out any type of gambling in entire life(7) Don't do any types of taking of alcoholic or tobacco or any types items which cause habits.....etc is main points for simple good life features......jai jiendra and..thank you
May khud jain community sa hu, sanathani bana jain maat bana, bhagawad gitaji, puran and ved paada dharam ki rakha karo🙏,bharat mataki jai vanda mataram 🙏🤝
खान सर वैसे अपने धर्म की ही शिक्षा दें तो बेहतर है।जैन धर्म भगवान आदिनाथ से शुरू नहीं हुआ ।इसका कोई भी संस्थापक नहीं है ।अनादि अनंत हैइस भरतक्षेत्र में और दूसरी जगह से भी अनंतानंत तीर्थंकर और अर्हंत भगवान हो चुके हैं।जो सम्मेद शिखर जी और अन्य स्थानों से निर्वाण को प्राप्त हो चुके हैं।सच तो ये है भगवान अवतरित या प्रगट नहीं होते ।कई जन्मों तक तपस्या करके फिर निर्वाण को प्राप्त करके जन्म-मरण से मुक्त हो जाते हैं।दिगम्बर जैन धर्म के सभी ग्रंथों का अध्ययन आपके वश में नहीं। इसलिए इस विशाल ज्ञान में हाथ डालने का दुस्साहस न करें।अपनी शिक्षा दें।
भाई आपकी बात सही है । पर जैनिजम के बारे मे जानने का प्रयास सराहनीय है ।उन्होंने बताया वह सही नही है पर सही ढंग से जानेगे तो उनका कल्याण हो सकता है ।हम क्यो राग द्वेष करे।
खान सर आपको प्रणाम। आपने जैन धर्म के सिध्दांतों को सभी धर्मों के लोगों को बहुत सरल शब्दों में समझाया।
अमल राज जैन, भोपाल
खान sir
जैन धर्म पर आपका विश्लेषण सुंदर है ।
इसमें 22 वे तीर्थंकर श्री नेमीनाथ भगवान बाल ब्रह्मचारी थे ।
जैन धर्म जीवन बदलाव का मुख्य स्तोत्र है । इसको जीवन आचरण में लाकर निरोगी स्वस्थ रहने हेतु जड़ीबूटी है ।
जय जिनशासन
अच्छा पढ़ा रहे है। जरूरी है आज समाज में जैन धर्म की शिक्षा हर घर तक पहुंचाना। आपस में भाईचारे से रहना और किसी से अपेक्षा न रखना और हमेशा अपने काम में अग्रसर रहना यही जैन धर्म दिखलाता है।
जैन धर्म अनादी अनंत है।जैसे सूरज चांद है। वृषभ देव जी के पहले भी २४ तीर्थंकर हो गये हैं।उनको भूतकाल के तीर्थंकर बोलते है।और वृषभ नाथ से लेकर महावीर जी तक के तीर्थंकरों को वर्तमान काल के तीर्थंकर बोलते हैं।और आगे भविष्य में भी २४ तीर्थंकर होनेवाले हैं। सब के नाम भी शास्त्रो में है।और तीर्थंकरों के बीच क ई सालों का अंतर रहता है।जैन धर्म अनादी काल से है।उसका अंत भी नहीं है। तीर्थंकर कहा पैदा हुए,कहा दीक्षा हुई, कहां केवलज्ञान हुआ और कहां मोक्ष हूआ ये सब शास्त्रो मैं लिखा हुआ है। वेदों में भी जैन धर्म का उल्लेख है।इसके बारे में हमारे मुनियों से जान सकते हैं।जैनं जयतु शासनं।🙏
True
This is true.🙏
True.
6:39
Agam, jin dharm ke uday or Rishabh Dev ji ke bare me vistrit jankari kahan se milegi??
हेलो खान सर मेरा नाम प्रदीप जैन है को पटाने का तरीका बहुत अच्छा है शब्दों में कुछ नहीं रखा अपने चीजों की भावना को पकड़ा और बच्चों को समझने का प्रयास किया आपको शुभकामनाएं
आपने अच्छा लिखा है किन्तु लिखते समय प्रूफ़ रीडिंग जरुर कर लें, "प्रदीप जैन को पटाने" के स्थान पर "बच्चों को पढ़ाने " होना चाहिए .
आपने जैन धर्म के बारे में काफी जानकारी दी जो बड़ी सराहनीय प्रशंसनीय हैं किन्तु जो जैन धर्म के मौलिक सिद्धांत और मौलिक बातों को समझाने के लिए गहराई से समझने की आवश्यकता है जिससे सिद्धांत समझाने में बहुत आसानी होगी तथा उनकी प्रतिष्ठा और ख्याति भी आपको मिल सकेगी।
धन्यवाद सरजी आप ने जैन धर्म के लिए कुछ बच्चो को बताया
जैन लोग या जैन के धर्म में शरीर और आत्म को अलग मानने पर ही ध्यान दिया है,जब ये शरीर ही हमारा नही है तो उसके लिए क्यों कुछ करना,,जो आत्मा है वोही मैं हु,,ओर उसी के लिए सब कुछ करना है,,,शरीर तो छोड़ के जाना ही है,तो उस के लिए हिंसा,जूठ ,चोरी ओर परिगृह जैसे पाप क्यों करना?🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Proud to be jain 🙏
धन्यवाद, खान सर, वास्तव में जैन धर्म, जितना महान हे, उसका आम लोगो को पता ही नही, जैन साधु, हजारों साल पुराने नियम आज भी कठोरता से पालन कर रहे हे,
यह शोध का विषय है की हमारे समाज की इतनी जनसंख्या कम क्यों हे
Respected Khan sir, Truly and pure-hearted excellent teacher. I have seen in my life.
Respected khan sir, truly and pure hearted excellent teacher. I have seen in my life 🙏🙏👌👌❤se god bless you sir 🙏
AM TRULY AMAZED & PROUD OF YOU, SIR JI😊& AM TRULY IMPRESSED BY YOUR SIMPLE EXPLAINING😊😊😊😊😊
सरल शब्दों में जैन धर्म का ज्ञान देने के लिये अनुमोदना
खान साहब आपका पढ़ाने का तरीका बहुत अच्छा है। बस एक निवेदन है कि पढ़ाने के पहले थोड़ा डीप स्टडी भी कर लेना चाहिए, ताकि थोड़े फैक्ट भी सही आ जाएं। जैनधर्म वस्तुत: प्राकृतिक धर्म है। जैनधर्म में चतुरायन कोई शब्द कहीं भी और किसी भी स्थिति में नहीं रहा। जैनधर्म अहिंसा धर्म है। अहिंसा मतलब जैन और जैन मतलब अहिंसा। इसी अहिंसा को जीतने के लिए बाकी अन्य हैं। इस तरह जैन धर्म में 1. अहिंसा, 2. सत्य, 3. अचौर्य, 4. अपरिग्रह और 5. ब्रह्मचर्य ये 5 धर्म हैं। सत्य, अचौर्य, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य ये चारों अहिंसा धर्म को प्राप्त करने के साधना मात्र हैं या यूं कहें कि ये उदाहरण मात्र हैं। जैनधर्म को किसी अच्छे पंडित से समझना लेना चाहिए।
इतना तो वे सही कह रहे हैं पार्श्वनाथ भगवान तक चार ही शिक्षाएं थी ब्रह्मचर्य व्रत महावीर के समय दिव्य ध्वनि में आया है
Har Tirthankar ne Pancho Paap ka tyaag karne ka sandesh diya tha, kisi teerthankar ke sandesh me antar nahi tha....yeh to factual baat he, par Khan Sir ne unke jaroori sandesh ki prabhavana kari iske liye unki sarahana
अजैन होकर इतना बताना भी काम बात nhi है hr बात में कमीया मत निकाला करो
@@nitinkumarjain2877 aapki is baat ka shrot kya he, har teerthankar ek jaise the aur sabka updesh ek tha....agar aap swetambar panth ke anusaar bol rahe he to krapaya spast kariye....digambar panth ke anusaar sab terrthankaro ke updesh alag ho hi nahi sakte
संसार मे सभी जीव जैन धर्म की 50% आदर्श अपना ले तो इस कलियुग में सतयुग के दर्शन हो जाये..❤
Proud to be jain
Yes we are proud to be jain.🙏
जैन धर्म ही सभी धर्म जाती जीव वनस्पति के प्रति आदर करुणा प्रेम की शिक्षा देता है ❤❤
Really great knowledge about Jain religion. Salute sir
Talwar ki dhar per chalna assan hai.lekin jain diksha dharm palna bahut mushkil hai.
Dhanyavad khansir
thankyou for spreading such valuable knowledge which builds character with wisdom
भले ही आपको पूरा तो नहीं लेकिन बेसिक ज्ञान भी न हो, पर आपके मुख से सुनने में अच्छा लग रहा है। आपके जैन धर्म की अनुमोदना की हम अनुमोदना करते हैं।
Deep study/knowledge you have indeed.
Khan sir I proud of you
खान सर आपने खूब अध्ययन किया ओर 1जैन ये जाती नाही।जो ये नियमो आंतरिक मन से पालन करता वो भी जैन बनता है
Khan sir salute sir....Good knowledge excellent 🙏🙏🙏👌👌
Jai jinendra sir
Duniya ki sab se kathin disha bahut badiya h a har insan dharm ko nahi apana nahi pate ha
Khan sir you are the best teachers of student of best persnalty
🙏🙏
जय जिनेँद्र🙏🙏🙏
प्रभु ने जो प्रकृति बनाई है वही शास्वत सत्य है..चिरकाल तक उसकी आयु है..बाकी सब जीवों की बनाई दुनिया अपने एक समय के बाद खत्म हो जाती..इसलिए प्रकृति के अनुरूप चलो उसके विपरित नहीं..❤❤
Bahut sunder sir 🙏🏻🙏🏻
बहुत बढ़िया '👌👌👍🏻👍🏻👍🏻
ua-cam.com/video/WcED1Uyl7zo/v-deo.htmlsi=UNDYXZwlvHMhCbDr
जय जिनेंद्र...
जैन धर्म में... भूतकाल में 24 तीर्थंकर हुए है... उसके बाद.... वर्तमान काल में 24 तीर्थंकर हुए है (जैसे की पहले तीर्थंकर ॠषभदेव/आदिनाथ से 24 वे तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी).... और इसके बाद भविष्यकाल में भी 24 तीर्थंकर होने वाले है.... सब मिलाके भूतकाल-वर्तमानकाल-भविष्यकाल 72 तीर्थंकर की नामो की सुची भी जैन ग्रंथ में आपको मिल जाएगी....
Great 🙏🙏🥰
Baap re sir bhut kathin h
Thankyou Khan sar aap bahut achcha kam kar rahe hain thnku🙏🙏👍👍👍👌
Bahut Sundar
जय जिनेन्द्र सा. 🙏🙏
भगवान ऋषभदेव और भगवान महावीर के समय पंचयान यानि पांच महाव्रत का पालन और बीच के 22 तीर्थंकरो के समय चतुर्याम यानि चार महाव्रतों का पालन करना होता है स्त्री को भी परिग्रह में माना जाता है।
Kuch bhi 😂
Khan Sahab ko bahut bahut dhanyvad parantu abhi bahut kam Jain Dharm ki jankari hai kripya Jain Dharm ka Dhyan se 0
सही बात है जैन धर्म बहुत कठिन हैं
❤❤❤❤❤❤😊😊😊😊😊😊😊😊🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉 बहुत ही सुन्दर भैया
जियो और जीने दो वन्देमात्रम भारत माता की जय 🙏🙏🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳💪💪💪💪💪
Jai oh 🙏🙏🙏👏👏👏
Jay jinendra
Love you jan Dharm❤
Bahot Sundar Jay jinendra
Khan sir jai jinendra aap digamber jain aacharya ke pass jaiye jain sidhdhanton ke baare mai comp
Yahaan panthvaad mat karo bhaiya
Khan sir you are the great persalnalty profesher teacher you are teach student of our student student are futures of our country also salut Khan sir ko
Sir ji aapne bahut achhe tarike se students ko jain dharm ke bare me bataya
जैन धर्म का ऐतिहासिक आसीलन
ये तो बुद्दिस्ट पारा है ❤
Nahi ,, sabhi log yahi kahte he par Jo Gautam Buddha the vo jain teachings se prabhavit hue isle liye unone ya teachings sab ko batai
Acchi koshish jain dharm ko samjhane ki …. 👏
Good sar aap or aage bde yahi kamna aqp 32 aagam Shastri pde
Sir aap bohot accha pedhate h ilove you sir 😘😘
जय जिनेन्द्र
Thank you sir 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 bahut accha lga padhai mein 😊😊😊😊😊
वीडियो पुराना है, मैने आज देखा, आपकी जानकारी के हिसाब से ठीक है, आपको जैन धर्म की विस्तृत जानकारी जुटाकर ही पढ़ना चाहिए | धन्यवाद
सभी तीर्थंकर का उपदेश एक समान होता है
It's most pious normally Gujrat, Rajasthan , M.P , Karnataka.
,👏👏👏
आपने दूसरे नंबर को जो धन संग्रह बोला उसे परिग्रह भी कहते हे, ऋषभदेव से लेकर पार्श्वनाथ भगवान तक के २३ भगवान ने भी ब्रह्मचर्य का पालन करना बताया है ब्रह्मचर्य का पालन तभी होगा जब स्त्री के साथ संयोग नहीं होगा, तो ऋषभदेव से लेकर पारसनाथ भगवान तक के सभी साधु स्त्री त्याग वाला नियम परिग्रह के त्याग के अंदर ही ले लेते हैं..(याने परिग्रह का त्याग तो स्त्री का भी त्याग) तो स्त्री का त्याग हुआ तो ब्रह्मचर्य का भी पालन हो गया यानि two in one नियम हो जाता है।
परंतु महावीर स्वामी भगवान ने सोचा कि आने वाले समय में लोग यह बात अच्छे से समझ नहीं पाए तो! इसलिए यह बात क्लियर करने के लिए उन्होंने ब्रह्मचर्य को अलग से बता दिया।
तो इस प्रकार से सभी तीर्थंकर के शासनकाल में पांचों नियम का पालन होता हे।
इसे पंचमहाव्रत कहा जाता है।🙏🏻
पांचों के नाम लाइन से बोलते हैं
अहिंसा का पालन करना, झूठ नही बोलना, चोरी नही करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना,परिग्रह नही करना।
Naice sir
खान सर तेईसवें तीर्थंकर भगवान तक चातुर्याम में पांच की पालना अहिंसा,सत्य,अचौर्य, ब्रह्मचर्य अपरिग्रह, उस समय ब्रह्मचर्य अपरिग्रह को साथ में मानते थे, भगवान महावीर स्वामी के समय अलग-अलग हुआ, जिससे पांच महाव्रत बोला जाता है,
बहुत बहुत धन्यवाद आप जो जानकारी दे रहे हैं वह बहुत अच्छा है विकास पाटनी गया
Jai jinendra
❤❤❤
आजकल के जैन धर्म के लोग धन संग्रह सबसे अधिक करते है
Correction pls... Dhan kamakar ..daan bahut dete he... Taki dhan sangrah kam ho... 😊
घर में पास में धन दौलत पुण्य के उदय से आती तो जैनियों के पास है तो कोई पाप नहीं। उसमें आसक्ति होना पाप है।जो हर जैनी जानता है और खूब दान भी देते हैं जैनी।
जैन बहुत मेहनत कर पैसा कमाते है। दुकान 12 से 14 घंटे खुली रख काम करते है। कोई छुट्टी भी नही। और दान भी हर क्षेत्र मे देते है। देश मे 16000 गोशाला है और 12500 गोशाला जैन चलाते है। देश पर जब भी संकट आता है तब जैन karodo का दान भी देते है। संख्यामे आधा प्रतिशत होकर भी 24 परसेंट टैक्स देते है। पाप ke🎉 कार्य जुवा,मांसहर,शराब् आदि मे पैसे नही गमाते है, भगवान् की पूजा आदि मे समय भी देते है इसलिए पुण्य कमानेसे भगवान् उन्हे यश देते है।
Dhan sangrah aur dhan kamna mai antar hai babu😂
Gujar log dhan bi nahi kamte na daan... muje dharna yaad aata hai bus ... jain 24 %desh ki GDP hai ... gujar sagar jitna bada hai time pass karta hai kya?
जैन धर्म मे तीर्थंकर की अंतर में करोडो साल का अंतर रहा है।
जैन धर्म अनादि अनत है। और अध्यन कीजिये
❤❤❤❤❤❤❤❤
Nice 👌
👌🏻👌🏻👌🏻🙏🏻🙏🏻
ua-cam.com/video/WcED1Uyl7zo/v-deo.htmlsi=UNDYXZwlvHMhCbDr
BAHOT badhia/ek change please,not dhan sangrah only but any thing which is overstock in your house & more over any over expectations in mind also known sangrah.
🙏🙏🙏
Bhramcharya aap shaadi krke bhi palan kr skte h jisme Bhramcharya ka arth h ki vivah ke pashchat sirf apni apni pati ya patni pr hi dhyaan dena h baki sb maa ya bhen h
Baki sab thik hai. Dhan sangrah to karana padata Hai ajkal.
Sabse main nahi bola brahmacharya palan❤
If doctors and engineers are service providers, they should remain in main steeam and serve people, chargé those who can afford for survival instead of begging
जैन धर्म का ऐतिहासिक आसीलन
Khan sir science journey sir se history pe debet kyo nahi karte open chelenj hai khan sir aapko debet karna chahiye nayi bato ki jankari milegi
Jinbane padkar samjna hi to or acee se samj aaega
खान सर आपका ट्राय अच्छा हे मगर जो पारस नाथ भगवान 4 व्रत हे उसमे 2 जो व्रत है परिग्रह उसमे ही ब्रह्मचर्य आ जाता है उसमे नारी को भी परिग्रह माना है खाली महावीर स्वामि के समय में उसको अलग से 5 वे महाव्रत के तौर पे बताया वो इसलिए की आपके जैसी कोई गलतफहमी ना पाले इसके लिए
और जैन धर्म शाश्वत है इसकी कोई भी सरुआत नही करता ये आदि अनादि है
बाकी आपके हिसाब से आपकी कोशिष को भी हम नवाजते है.....
Sir jay jinendr Sir Jain dharm me 24 ve tirthankar ke samay me Panch mahavrat Sadhu ke liye he Usake pahale char mahavrat the panchava parigrah namaka Vrat Dhan rupaya sona chandi makan jamin kapada nokar gay bhens ghar ki sab chize adi vastuon ka bhi tyag Hota he Chaturaiyan panchayaton aesa koi shabd Jain dharm me nahi he Bhagavaan I agua viruddh kuchh likha ho to michhami dukkadam
Shree parshvnath swami 28 no pr nhi 23 ve tirthankar h
Chaturayan nhi 4 mahavrat bolte h
Brahmcharya ka palan 24 tirthankar hi krte h
Avashyakta Se Jyada sangrah karne ke liye Mana Kiya Gaya Khud daal roti kha Sako Itna sangrah shravak Jivan mein kiya Ja sakta hai aur sirf Dhan ke sangrah ke liye Nahin vastuon ke sangrah ke liye kapdon ke sangrah ke liye Ghar Daulat sangrah ke liye Sabhi Ke liye Mana Kiya Gaya Sara sangrah sirf itna hi Hona chahie jisse Jivan ki avashyakta ki purti ho sake ichchaon ki purti ke liye sangrah Mana Kiya Gaya
जैन धर्म
का ऐतिहासिक आसीलन प्रोजेक्टर लिखने का तरीका बताइये
बताइये
Khan son.
Khan Sir kindly go through the history and philosophy of Jain dharma carefully before passing the information to the students.
Your intention is appreciable but
there is nothing like Chaturain or panchayan. These are panch Anuvrat and panch Mahavrat followed by the jains living a family life and Jain saints respectively .
त्रिशला गुप्ता बहन से अनुरोध है कि आप भी अपने मैसेज को दुबारा देखें, अणुव्रत पांच नहीं है बल्कि अणुव्रत बारह है, महाव्रत पांच ही है, तेईसवें तीर्थंकर तक चार महाव्रत जिसे चातुर्याम धर्म भगवान महावीर के समय पांच महाव्रत यानि पांचयाम धर्म हैं,चार महाव्रत में ब्रह्मचर्य अपरिग्रह को साथ मानते थे,जय जिनेन्द्र सा, फिर भी आपने जानकारी दी वो भी सराहनीय है
Jain Dharm Anadi se hai, aur anant kaal Tak rahega. Is kaal me pahle Tirthankar RISHABH DEV hue, Aur antim Bhagwan Mahaveer Swami hue. Isse pichle alag-alag kaalo me, alag - alag 24 Tirthankar hue hai. Aur aane Wale kaalo me bhi hote rahenge. Is drishti se chuki Jain Dharm Anadi se hai, iske koi sansthapak nhi hai. Do Tirthankaro ke bich me kabhi - kabhi karoro varsho se jyada ka antar Raha hai. Sabhi Tirthankaro ne Paanch (5) ka hi updesh diya. Brahmcharya baad me juda, Ye kehna sarasar galat hai.
JAIN DHARM Ki Jay. "Ahinsa Parmo Dharm ki Jay,"
खान सरजी,कोई चतुरायन धर्म अलग से नही होता ये पंच महा व्रत कहे जाते हैंजो सदा काल से चले आरहे हैं यदि आपको जैन धर्म समझना है तो पहले दिगम्बर जैन दर्शन को पहले स्वयम पढ़े और समझें इसके बाद पढाये।
😮😮😮😮😮
जैन धर्म का अध्यन कीजिये खान सर l वैसे जानकारी के लिए ठीक है लेकिन फिर भी आप प्रमाणिक तथ्य रखिये
😢
Sir, parigrah or say to collect......this includes bhramchariye is part four points taking oath and sir mahaveer swami made it elaborate into five points as it also clarification in to five oaths......
Sir, in jainism.......seven habits should not permitted or say be avoided this life. As this will lead to this life make pity and sorrowful, future birth and death cycle in to miserable as any human should obey as(1) Don't have to be sex with any other female except own wife. (2) Don't have sex with any prostitute female (3) Don't take anything from anywhere without permission as don't do theft (4) Don't do hunting of any creature (5)Don't eat Non- vegetarian in entire life (6) Don't carry out any type of gambling in entire life(7) Don't do any types of taking of alcoholic or tobacco or any types items which cause habits.....etc is main points for simple good life features......jai jiendra and..thank you
Is video ke bare me kuchh nahi bolunga lekin iske pehle inke videos dekhe the Jain ke oopar to us video me kafi sare galat facts the
Parasnath ka chaturayan dharam kar sakta hai kya😂😮😅
😅
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
May khud jain community sa hu, sanathani bana jain maat bana, bhagawad gitaji, puran and ved paada dharam ki rakha karo🙏,bharat mataki jai vanda mataram 🙏🤝
Jain ki gaddari
खान सर वैसे अपने धर्म की ही शिक्षा दें तो बेहतर है।जैन धर्म भगवान आदिनाथ से शुरू नहीं हुआ ।इसका कोई भी संस्थापक नहीं है ।अनादि अनंत हैइस भरतक्षेत्र में और दूसरी जगह से भी अनंतानंत तीर्थंकर और अर्हंत भगवान हो चुके हैं।जो सम्मेद शिखर जी और अन्य स्थानों से निर्वाण को प्राप्त हो चुके हैं।सच तो ये है भगवान अवतरित या प्रगट नहीं होते ।कई जन्मों तक तपस्या करके फिर निर्वाण को प्राप्त करके जन्म-मरण से मुक्त हो जाते हैं।दिगम्बर जैन धर्म के सभी ग्रंथों का अध्ययन आपके वश में नहीं। इसलिए इस विशाल ज्ञान में हाथ डालने का दुस्साहस न करें।अपनी शिक्षा दें।
भाई आपकी बात सही है ।
पर जैनिजम के बारे मे जानने का प्रयास सराहनीय है ।उन्होंने बताया वह सही नही है पर सही ढंग से जानेगे तो उनका कल्याण हो सकता है ।हम क्यो राग द्वेष करे।
चतुरायन नही चतुर्याम।
इनको जैन धर्म किसने पढाया है