मैं तुम में या तुम मुझमें इसका भी अब भान नहीं प्रभु श्वास तुम्हारे जीती हूँ अब अपनी भी पहचान नहीं छवि तुम्हारी अपनी लागे द्वैत का कोई ज्ञान नहीं हर स्पर्श तुम्हारे हैं अब पृथकता का अभिमान नहीं।
About the writer- आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
The books themselves are so well researched that it is mind boggling.... The amount of work that has gone into it by Shri Rajendra ji. It is like his life's work. And we are ever so grateful to Lord to have given these precious 'Gudari ka heera' in our hands to study and imbibe. Yes....Itihaas ke Radha Krishna and Vedaateet Nitya Viharee Vihaarin are different. Yes...The Radha Krishna born on earth and left earth and Nitya Vihaar Leela are separate and different. Yes..They are but ONE appearing as two. Yes...They are not born but appear and not separately but together as complimentary forms of the same Prem Tattwa. Study of Shri Rajendra Ranjan Chaturvedi's Kelimaal and Mimaamsaa texts are for those who have been chosen to study them just like Shri Rajendra ji has been 'chosen' to research it, collect it from so many places, study it deeply, to be revealed its meanings, and to disseminate it for the ones who are the Lionesss' disciples, students, children, wards.... Shyama Kunj Bihaaree Shree Haridaas....
After thorough study and learning we have discovered that- There are huge mistakes in the book, though well researched. Please get yourself authentic satsang and discourses by the initiated sants of the parampara.
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
@@Monu.Haridasi आपको संतों की कृपा रूपी सत्संग प्राप्त है तभी आपको कोई भ्रमित नहीं कर सकता. पर यहाँ पर कितने भोले श्रोता भ्रमित हुए हैं और उनकी पुस्तक में ऐसी बातें पढ़कर न जाने कितने और भ्रमित हुए होंगे. इसीलिए हम ने आपके और अन्य सखियों के कमेन्ट में भी यह बात डाली है जो हमने उनको सीधे सीधे भी बताया है. अगर आपके कमेन्ट में नहीं डालते तो आप नहीं जान पाते के संत कृपा से उनकी बात का उत्तर भी आया है. आपको साधुवाद के आपने स्वामी जी के परिशुद्ध रस रीति के प्रति खेलने वालों को सही गलत का भान कराने का प्रयास किया है. जय हो. श्री हरिदास
हमारा पुरुष शरीर वाला होने का तुच्छ अहम किस उपाय से नष्ट हो। इस शरीर मन बुद्धि अहंकार के खोल को भंग करके चित्त की ऐसी दुर्लभ अवस्था को कैसे प्राप्त किया जा सकता है।🙏🙂
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
Radha Krishna Radha Krishna
मैं तुम में या तुम मुझमें
इसका भी अब भान नहीं
प्रभु श्वास तुम्हारे जीती हूँ अब
अपनी भी पहचान नहीं
छवि तुम्हारी अपनी लागे
द्वैत का कोई ज्ञान नहीं
हर स्पर्श तुम्हारे हैं अब
पृथकता का अभिमान नहीं।
जय हो
जय श्री हरिदास जी
श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास जी 🙏🙏🌺🌺
About the writer-
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
Jai Ho Radhavallabh lal ki 🙏 Radhavallabh shri harivansh 🙏
आचार्य श्री सादर 🙏🙏
The books themselves are so well researched that it is mind boggling....
The amount of work that has gone into it by Shri Rajendra ji. It is like his life's work. And we are ever so grateful to Lord to have given these precious 'Gudari ka heera' in our hands to study and imbibe.
Yes....Itihaas ke Radha Krishna and Vedaateet Nitya Viharee Vihaarin are different.
Yes...The Radha Krishna born on earth and left earth and Nitya Vihaar Leela are separate and different.
Yes..They are but ONE appearing as two.
Yes...They are not born but appear and not separately but together as complimentary forms of the same Prem Tattwa.
Study of Shri Rajendra Ranjan Chaturvedi's Kelimaal and Mimaamsaa texts are for those who have been chosen to study them just like Shri Rajendra ji has been 'chosen' to research it, collect it from so many places, study it deeply, to be revealed its meanings, and to disseminate it for the ones who are the Lionesss' disciples, students, children, wards....
Shyama Kunj Bihaaree Shree Haridaas....
Shree Haridash 🙏
@@binita894 Shree Haridas Behen
After thorough study and learning we have discovered that-
There are huge mistakes in the book, though well researched. Please get yourself authentic satsang and discourses by the initiated sants of the parampara.
Radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe🙏🙏
Shri Radhey 🙏🏻🙏🏻
🌷🚩🌷 गुरुदेव सादर प्रणाम ,🙏 आभार प्रकट करते हुए प्रसन्न्ता है ।🙏😊
2🌹🐦जय श्रीमन्नारायण. जय श्री कृष्ण जय श्री राम. जय श्री हनुमान. जय श्री गणेश. ॐ नमः शिवाय.🐦🌹(इचलकरंजी महाराष्ट्र)🌹🐦
Bahut anandmaya🎉
कुंज बिहारी श्री हरिदास 🤗🤗🙏
Radhe Radhe ji bahut acchi baten Bata rahe ho dhanyvad
Shri haridas
2🌹🐦भारतीय विक्रम संवत 2079🌹🐦
🌹🐦नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🌹🐦
🌹🐦(इचलकरंजी महाराष्ट्र)🌹🐦
श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास ❤️
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
अति सुन्दर गुरुवर 💐💐💐
कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏🙏
Kelimal book kitne ki hai
@@jyotiprakash8415 जी ,श्री केलीमाल जी का न्यौछावर 151 रूपया है ....🙇♀️
श्रीहरिदास 🙏
Shri haridas Jai bihari ji ki
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
धन्य कर दिया प्रभु
Adhbhut gyan🙏💐
Radha Radha
जय श्री जी जय हो
Dandavat Pranam .Bahut achcha laga
श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
जय जय श्रीराधे !
प्रणाम🌸🌸
रसदेश पर मात्र 3 episode? और नहीं हैं क्या?कृपया मार्गदर्शन करें।
Aur record nhi huye
Aane h ishwar kare
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
adbhut 🙏🙏🙏
जय श्री कृष्णा।श्री हरिदास श्यामा कुंज बिहारी।जय हो! जय हो !जय हो!
रसदेश पर मात्र 3 ही एपिसोड?और नहीं हैं क्या?
कुंज बिहारी श्री हरिदास
Krupya aage ka episode release kare🙏
Shri kunjbihari Shri haridass
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
Ye book kaha milegi please aap bataye
अति सुंदर व्याख्या 🙏
JSK🙏👏🌹
Kevalya and moksh ke bare me bataiye
Doctor डॉक्टर साहब श्री स्वामी हरिदास जी महाराज के पावन पवित्र देश में नारी का भी प्रवेश नहीं गलत डॉक्टरी झाड़ रहे कृपया सही करके आओ जब बात करना
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.
@@jaichabria83 मै भी तो यही कह रहा हू मेरी गलती नहीं है इस डाक्टर की है
@@Monu.Haridasi आपको संतों की कृपा रूपी सत्संग प्राप्त है तभी आपको कोई भ्रमित नहीं कर सकता. पर यहाँ पर कितने भोले श्रोता भ्रमित हुए हैं और उनकी पुस्तक में ऐसी बातें पढ़कर न जाने कितने और भ्रमित हुए होंगे. इसीलिए हम ने आपके और अन्य सखियों के कमेन्ट में भी यह बात डाली है जो हमने उनको सीधे सीधे भी बताया है. अगर आपके कमेन्ट में नहीं डालते तो आप नहीं जान पाते के संत कृपा से उनकी बात का उत्तर भी आया है. आपको साधुवाद के आपने स्वामी जी के परिशुद्ध रस रीति के प्रति खेलने वालों को सही गलत का भान कराने का प्रयास किया है. जय हो. श्री हरिदास
राधा 😀
Please Guru ji kevalya and moksh ke bare me bataiye
हमारा पुरुष शरीर वाला होने का तुच्छ अहम किस उपाय से नष्ट हो। इस शरीर मन बुद्धि अहंकार के खोल को भंग करके चित्त की ऐसी दुर्लभ अवस्था को कैसे प्राप्त किया जा सकता है।🙏🙂
देह भाव से ऊपर उठ चूके किसी महापुरुष की चरण शरण लेकर। उनके बताए हुए मार्ग को अनुसरण कर के।उनकी आज्ञा को निष्ठा से पालन करके।
आप को केलिमाल की टीका संतों ने कृपा वश दे दी, पर आपने उनकी ही वस्तु में दाग लगाने का जघन्य अपराध किया है.यहाँ केवल देह ही नहीं,बुद्धि का भी प्रवेश नहीं.परंतु आपने मुख्य गुरु महंत जी से शोध किए बिना यह भ्रम छाप दिया के श्री ललिता त्रिपुर सुन्दरी ही श्री ललिता हरिदासी हैं.आपके पिताजी को परिवार के ही किसी अज्ञानी बालक के कही सुनी बात पर किसी अन्य वंश के पुत्र का पिता घोषित किया जाए,तो यह आपके परिवार पर कलंक लगाने की ही चेष्टा और अक्षम्य अपराध माना जाएगा.आपके महंत जी से शोध न करवाना आपके बुद्धि की कुटिलता का प्रमाण है.जितनों ने आपकी पुस्तक ली उन सबको दिग्भ्रमित करने का पाप भी आपके सर लगेगा.पूरे प्रमाण के साथ संत महंत आपके इस अपराध को सिद्ध कर सकते हैं.ऊपर से आप इस प्रकार कह रहे हैं जैसे आपकी बात संतों द्वारा स्वीकार नहीं होने जैसा कोई एक तरफा मामला है और आपकी बुद्धि अपनी बड़े हृदय और दीनता का प्रदर्शन कर रही है.आप बोलो आपके वंश में ऐसा झूठा आरोप से कलंक लगाने वाला और ऊपर से छाप कर दूर दूर तक ये मक्कारी फैलाने वाला आपको कभी क्षम्य होगा?आपमें मानवता है तो अगले वीडियो में सच साफ साफ बता दीजिए,सभी को चेता दीजिए के अपराध हुआ है.महंत जी से सभी संतों के सामने क्षमा याचना कीजिए.आप जिस स्वतंत्रता से कह रहे हैं के चौबे ने बताया और आपने लिख दिया('अनेक प्रतियों में छाप दिया और बेच दिया' कहिये),उस अहंकार के स्वरूप को मिटाने हेतु संत महंत और स्वामी जी की सर्वोपरि परंपरा का कुटिल अपराध जान बूझकर करने के कारण जब विधि का लेख आप पढ़ोगे,कहीं ऐसा न हो के अगला जन्म आपको मनुष्य का भी न प्राप्त हो.